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ू न के गित-िनयम: Newton’s Law of Motion in Hindi

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September 20, 2016

यूटन के गित-िनयम: Newton’s Law of Motion


यूटन ने 1686 ई. म व तुओ ं की गित के स ब ध म िन निलिखत िनयमों का उ लेख िकया है.वा तव म ये िनयम उनकी
कीित के िशला- त भ ह. य िप इनके ारा पितपािदत िनयमों को िस करना किठन है; िफर भी इनके आधार पर की गई
गणनाएँ करीब-करीब स य िनकलती है. ये िस ांत खगोल-िव ान के मूलभूत आधार ह. इनके ारा गहों, उपगहों तथा
आकाश के अ य िपंडों की गितयों तथा सूय-गहण, च द-गहण आिद के स ब ध म की गई भिव यवाणी करीब-करीब स य
िनकलती है. ये ही इन िनयमों (laws) की स यता का सव े ठ पमाण है. अतः इन िनयमों को िस करने की आव यकता
नही ं रही है. इ ह वयंिस मान िलया गया है.

यूटन के गित-िनयम सं या म तीन है. इनकी पिरभाषाएँ इस पकार ह–

i) व तु अपनी िवरामावा था या एक सीध में एक प ग याव था में तब तक रहती है, जब तक बा बल ारा उसकी
िवरामाव था या ग या था में कोई पिरवतन न लाया जाए.

ii) आवेग (Momentum) के पिरव न की दर संवेग (Impressed force) की अनुपाती होती है तथा वह उसी
िदशा में होती है िजस िदशा में बल लगता है.

iii) प येक ि या (Action) की उसके बराबर तथा उसके िव िदशा में पिति या (Reaction) होती है.

यूटन के पहले गित-िनयम की या या (Explanation of Newton’s


First Law of Motion)
यूटन के पथम िनयम से व तु के िवराम की अव था (Inertia) का बोध होता है. अतः इस िनयम को िवराम का
िनयम भी कहते ह. यिद कोई व तु ि थर है तो वह तब तक ि थर ही रहेगी जब तक उसे थानांतिरत नही ं िकया जाए या
बल लगाकर उसे गितशील नही ं िकया जाए. िकसी व तु को गितशील करने म बा बल की आव यकता होती है. यिद कोई
व तु एक सीध म तथा एक प म गितशील है तो इसकी गित म या गित की िदशा म तब तक कोई पिरवतन नही ं िकया जा
सकता है जब तक कोई बल नही ं लगे. गितशील व तु अनंत काल तक एक सीध म गितशील रहेगी, यिद कोई अवरोध
डालकर इसकी गित म कावट न डाली जाए.

चलती हुई मोटर-गाड़ी अनंत काल तक एक सीध म चलती रहे, यिद धरातल का घषण और वायु का पितरोध नही ं हो.
धरातल का घषण और वायु का पितरोध दूर करने के िलए ही बल की आव यकता होती है और यह बल पे ोल के जलने से
पा त होता है. आकाश म फका हुआ बॅाल आकाश के अनंत गभ म िवलीन हो जाता, यिद वायु का घषण तथा गु व इसके
िव नही ं होते.

िवराम के भेद:– उपयु त िनयम से व तु के दो तरह के िवरामों का बोध होता है– िवराम की अव था और गित की अव था.

िवराम की अव था:– िवराम की अव था प येक व तु का साधारण गुण है. टे बल या मेज अपनी जगह पर तब तक बनी
रहेगी, जब तक इसे हटाया नही ं जाए.

ब चों को कैरम खेलते आपने देखा होगा. पायः वे कैरम की गोिटयों को तह लगाकर रखते ह और ाइकर से नीचे वाली
गोटी को मारते ह. अब िवराम के कारण ऊपरवाली होती यों-की- यों बनी रहती है और नीचे वाली गोटी आघात से
िखसककर दूर चली जाती है.

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इसी पकार एक ठे लागाड़ी तब तक अपनी जगह पर खड़ी रहेगी जब तक बल लगाकर इसे गितशील नही ं िकया जाए. िवराम
के कारण ही ये अपने थान पर बने रहते ह. हमारे दैिनक जीवन म िवराम की अव था के कई उदाहरण िमलगे. िवराम की
अव था के कारण ही गाड़ी के अक मात् चलने से उसपर बैठा हुआ मुसािफर पीछे की ओर लुढ़क जाता है. बैठे हुए मुसािफर
के नीचे के भाग का संपक “सीट” से है. जब गाड़ी अक मात् गितशील होती है तो मुसािफर का यह भाग भी गितशील हो
जाता है; लेिकन िवराम की अव था के कारण उसका ऊपरवाला भाग ि थर रहना चाहता है, िजसके कारण ऊपरवाली भाग
पीछे की और झुक जाता है और वह लुढ़क पड़ता है.

माली को लोहे के ती ण ल बे लेड से घास को काटते हमने देखा है. घास की जड़ के पास से वह एक तेज झटका मारता है.
िवराम की अव था के कारण घास का ऊपरी भाग अपने थान पर बना रहता है और ती ण धार जड़ के पास से िनकल
जाती है और घास काटकर धराशायी हो जाता है.

>>िवराम के अव था को िदखाने के िलए आप एक पयोग कर सकते ह.

>>एक सूखा िगलास लेकर उसके ऊपर एक पो टकाड रख.

>>अब पो टकाड पर एक पया रखकर काड के िकनारे पर एक झटका लगाएँ.

>>काड ैितज िदशा म िखसक जाता है और पया िगलास म आ िगरता है.

गित की अव था:–
गित की अव था गितशील व तु का िविश ट गुण है. हम भले ही इसका प य प अनुभव नही ं कर सक. चलती हुई गाड़ी
के ड बे म उछलाया हुआ गद गाड़ी की गित से ही अगसर होता है. गाड़ी पर बैठा हुआ मुसािफर गाड़ी की गित से ही आगे की
ओर बढ़ता है योंिक गाड़ी के अक मात् कने से वह आगे की ओर लुढ़क जाता है. उसके ऊपर वाले भाग की गित गाड़ी
की पूववाली गित जैसी बनी रहती है लेिकन उसका िन न भाग क जाता है. फलतः गित की अव था के कारण उसका
ऊपरवाला भाग आगे की ओर झुक जाता है. गित की अव था के कारण ही दौड़ता हुआ बालक ठोकर खाकर िगर जाता है.

बल या है?
यूटन के गित-िनयम के अंितम भाग पर यिद हम यान द तो बल की साधारण पिरभाषा प ट हो जायेगी:– “बल वह कारण
है िजससे िकसी व तु की िवरामा था या ग या था में पिरवतन लाया जा सके“.

पर सच किहये तो यह पिरभाषा उस समय गलत हो जाती है यिद एक छोटा-सा बालक िकसी िवशालकाय वृ के त भ को
ध का मार कर िगराने की कोिशश करता है. उसने बल तो ज र लगाया पर वृ वही ं का वही ं खड़ा रह गया अथात् वृ
की िवरामावा था पिरवितत नही ं हुई.

इसिलए उपरो त पिरभाषा म यिद कु छ श द और जोड़ िदए जाएँ तो बल की पिरभाषा ठीक हो जायेगी:– “बल वह कारण है
जो व तु की िवरामा था या एक सीध में याव था में बल पिरवतन न लाये या लाने का पय न करे.”

यूटन के दूसरे िनयम की या या (Explanation of Newton’s


Second Law)
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यूटन के पहले िनयम (first law of Newton) से बल की सामा य पिरभाषा का ान हम हो जाता है; लेिकन बल का
पिरमाण (measurement) हम नही ं िमलता. यूटन के दूसरे िनयम म हम बल का पिरमाण या दो बलों का तुलना मक ान
सहज ही पा त होता है. इस िनयम की या या करने के पहले हम आवेग (Momentum) का िववेचन करगे.

आवेग (Momentum) :–>> हम अनुभव से जानते ह िक गितशील व तु के सामने कावट डालने से हम ध के का


अनुभव करते ह. िन चल इंजन भयावह नही ं है पर तु गितमान इंजन भारी व तुओ ं को रौंदती हुई िनकल जाती है. जो व तु
िजतनी ही गितशील होती है उसको रोकने म उतना ही अिधक ध के का अनुभव हम होता है. ब दूक की गोली से तीव
आघात, गोली के तीव वेग के कारण ही होता है. मंद हवा सुखदायी होती है, लेिकन वायुि थत धुल-कणों म तीव गित हो जाने
के कारण आँधी के प म वायु अिधक िवनाशकारी होती है.

अनुभव से हम यह भी जानते ह िक समान गित से चलनेवाली दो व तुओ ं म, हम उसे


रोकने म अिधक ध का लगता है या बल लगाना पड़ता है, िजसकी मा ा अिधक रहती है.

इस पकार यिद हम दो व तुओ ं म समान वेग उ प न करना हो तो हम उस िवशेष व तु म


अिधक बल लगाना पड़ता है, िजसकी मा ा अपे ाकृत अिधक रहती है. एक साधारण
चोट से प थर की गोली बहुत दूर चली जाती है; लेिकन इतनी ही चोट से लोहे के बड़े
गोले पर कोई असर नही ं पड़ता, यह अपने थान पर बना रहता है.

यूटन के तीसरे िनयम की या या (Explanation of Newton’s Third


Law)
प येक ि या की उसके बराबर तथा उसके िव िदशा म पिति या होती है. थूल प से िवचार करने पर यह िनयम
असंभव जान पड़ता है; लेिकन यिद हम इसपर यानपूवक िवचार कर तो इसकी स यता प ट होगी. हम िजस व तु को
िजतने बल से खी ंचते ह, वह व तु भी हम उतने ही बल से अपनी ओर खी ंचती है, फक है केवल िदशा म.

िजतनी जोर से हम जमीन पर अपना पैर पटकते ह, उतनी ही अिधक हम चोट लगती है अथात् िजतनी जोर से हम जमीन
को नीचे की ओर दबाते ह उतनी ही जोर से प ृ वी हम ऊपर की और ठे लती है. िजतनी जोर से हम गद को पटकते ह उतना
ही ऊपर यह उछलता है. व तु को खी ंचना, जमीन पर पैर पटकना, गद को जमीन पर िगराना आिद ि याएँ ह. व तु का
िवपरीत िदशा म खी ंचना, पैर म चोट लगना तथा गद का ऊपर िदशा म जाना आिद पिति याएँ ह. अतः यूटन का प तुत
तीसरा िनयम ि या-पिति या (Law of action and reaction) भी कहलाता है.

यिद हम टे बल पर िकताब रखते ह तो िजतने जोर से


िकताब टे बल को नीचे की ओर दबाती है उतना ही टे बल
िकताब को ऊपर की ओर उठाता है. जब कोई बालक
अपने हाथ म िकताब रखता है तो िजतनी भारी िकताब
होती है, उसे अपने हाथ म स हाले रखने के िलए उतना
ही बल लगाना पड़ता है. यिद इसे ऊपर उठाना पड़ता है
तो पु तक के भार से अिधक बल लगाने की आव यकता
होती है. यूटन का यह िनयम सभी समयों तथा सभी
अव थाओं म लागू है, भले ही व तुए ँ ि थर या गितशील
हों या िनकट या दूर हों.

यूटन के तीनों िनयमों (Three laws of Newton) का साधारण पमाण नही ं िदया जा सकता है; लेिकन इसका स यापन
िकया जा सकता है. इसके आधार पर की जानेवाली गणनाएँ पायः ठीक-ठीक िनकलती है; अतः हम इ ह वयंिस
(Axiom) मान लेते ह.

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