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OSHO Times Body Dharma मृ ु एक ार है FEATURED

The Knack of Transforming


Feelings
This is a beautiful method, it
will...

आं त रक ा वा िवक
ा है ।
अब ऐसे गु ...

A MATTER OF LIFE AND


DEATH (Part 12)
Life has no insurance to it; it
is...

OSHO Mystic Rose


Nov 11 - Dec 1
Dec 11 - 31
Jan 11 - 31

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मृ ु के बारे म ा कहा जाए? मृ ु के संबंध म कुछ कैसे कहा जा सकता है ? कोई भी श मृ ु के आशय को बता नहीं
Meditate 5 Meditations
सकता। इस श मृ ु का ा अथ है ? उसका कोई अथ नहीं है ।जब आप श मृ ु का योग करते ह तो उसका ा अथ on OSHO iMeditate Anytime
होता है ? वह िसफ एक ार है िजसके पार ा होता है हम नहीं जानते। हम एक आदमी को ार म िवलीन होते दे खते ह। हम
केवल ार तक दे खते ह, उसके बाद वह आदमी बस खो जाता है । तु ारा श 'मृ ु' िसफ ार का अथ बता सकता है , Play 7+ Spreads
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लेिकन वा व म ार के पार ा होता है ? ोंिक ार ही वह बात नहीं है ।

ार से गुजरना होता है , िफर जो ार से गुजरता है उसका ा होता है िजसे हम नहीं दे ख सकते?  ा होता है उसका? और ओशो ऑन
यह ार ा है ? केवल सां स का क जाना? ा सां स ही पूरा जीवन है ? ा तु ारे पास सां स से अिधक कुछ नहीं है ? सां स
कती है , शरीर गलता है , यिद तुम िसफ शरीर और सां स ही हो तो कोई हज नहीं है । िफर मृ ु कुछ भी नहीं है , वह िकसी की J. KRISHNAMURTI
ओर  ार नहीं है । वह िसफ क जाना है , िवलीन होना नहीं है । यह घड़ी की भां ित है । कृ ामूित इसिलए असफल ए ोंिक वे मनु के...

घड़ी चल रही है , िटक-िटक कर रही है , िफर वह क जाती है । तुम यह नहीं पूछते िक िटक-िटक कहां गई? वह िनरथक
होगा। वह कहीं नहीं गई है । वह कहीं नहीं गई है , वह िसफ क गई है । वह एक यं था और यं म कुछ खराबी आ गई। तुम अ
घास के छोटे से प े से लेकर िवशालतम तारे तक, हर
यं को ठीक कर सकते हो, िफर वह दु बारा िटक-िटक करे गी। ा मृ ु िसफ घड़ी का क जाना है ? बस यूं ही?
चीज...

यिद ऐसा है तो वह रह नहीं है , व ुत: यह कुछ  भी नहीं है । लेिकन जीवन इतनी  आसानी से कैसे िवलीन हो सकता है ?
जीवन यां ि क नहीं है , जीवन एक सजगता है । घड़ी सजग नहीं है । तुम िटक-िटक सुन सकते हो, घड़ी कभी नहीं सुन सकती। एकीकरण
"मनु साधारणता एक भीड़ है । कोई भी साधारण...
तुम अपनी यं की धड़कन को सुन सकते हो। यह सुननेवाला कौन है ? यिद धड़कन ही एकमा जीवन है तो यह सुननेवाला
कौन है ?  यिद सां स ही कुल जीवन है तो तुम अपनी सां स के ित सजग कैसे हो सकते  हो? इसिलए पूरब की सभी  ान- MORE OSHO ON TOPICS
िविधयां सां स की सजगता को एक सू िविध की तरह इ ेमाल करती ह… ोंिक यिद तुम सां स के ित सजग हो तो िफर
यह सजगता कौन है ? वह सां स के पार होनी चािहए। वह सां स के पार कुछ होनी चािहए ोंिक तुम उसे दे ख सकते हो और
दे खनेवाला िवषय नहीं हो सकता। तुम उसके सा ी हो सकते हो। तुम आं ख बंद करके अपनी सां स को आती-जाती दे ख
सकते हो। यह दे खनेवाला, यह सा ी कौन है ? यह कोई अलग श होनी चािहए  जो सां स के ऊपर िनभर नहीं है । जब सां स
क जाती है तब वह घड़ी का क जाना है , लेिकन यह सजगता कहां जाती है ? यह सजगता िकस तल पर जाती है ?

Death is a door, it is not a stopping. Awareness moves but your body remains at the door � just as you
have come here and left your shoes at the door. The body is left outside the temple, and your
awareness enters the temple. It is the most subtle phenomenon, life is nothing before it. Basically life
is just a preparation for dying, and only those are wise who learn in their life how to die. If you don�t
know how to die you have missed the whole meaning of life: it is a preparation, it is a training, it is a
discipline.

Life is not the end, it is just a discipline to learn the art of dying. But you are afraid, you are scared, at
the very word death you start trembling. That means you have not yet known life, because life never
dies. Life cannot die.
 
कहीं न कहीं तुमने शरीर के साथ, यं के साथ तादा कर िलया है । यं को मरना ही है , यं शा त नहीं हो सकता ोंिक
यं कई चीजों पर िनभर करता है । वह सं ा रत घटना है । सजगता बेशत है , वह िकसी चीज पर िनभर नहीं करती। वह
आकाश म बादल की तरह तैर सकती है । उसकी कोई जड़ नहीं ह। वह अज ा है इसिलए वह कभी मर नहीं सकती।

 जब भी कोई मरता है ,तु उसके पास बैठकर  ान करना होगा, ोंिक मंिदर िबलकुल पास है   और यह पावन भूिम है ।
बचपना मत करो, िज ासाओं को मत लाओ, मौन रहो तािक तुम दे खो और सा ी रह सको। कुछ अ ंत अथपूण घट रहा है ।
इस ण को खोना मत।

ओशो, ऐ िद ावज़ शावड, #5

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