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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli

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ज मकंु डल या होती है ? कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल ? ज म कंु डल के सभी भाव, गह
ृ और
सभी जानका रयां
By Religion World (https://www.religionworld.in/author/admin/) Email religionworldin@gmail.com (mailto:religionworldin@gmail.com)
 Posted May 6, 2018 (https://www.religionworld.in/2018/05/)  In Astrology (https://www.religionworld.in/category/astrology/) Views: 9,396

ज म कंु डल या होती है ? कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल ? ज म कंु डल के सभी भाव, सभी गह


ृ और ज म कंु डल के अ य
योगायोग

वतमान म जब इंसान अपने जीवन म तमाम परे शा नय का शकार है और जीवन म सख


ु और शां त पाना चाहता है । दो त ! हमन तर क तो बहुत कर ल पर तु आज भी हर
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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
चीज हमारे नयं ण म नह है । हम मेहनत तो बहुत करते है पर तु सबको एक जैसा फल नह ं मलता, कोई बीमार है , कोई आ थक तंगी का शकार है , कसी क शाद नह हो रह »
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और कसी को नौकर नह मल रह तो कोई यापार म घाटा उठा रहा है , कोई पाप करता है और फर भी मजे से िज दगी काटता है और कोई बहुत शभ ु कम करता है तब भी
क ट उठा रहा है ,  वैसे तो आजकल भा य और यो तष को नरथक और अनपढ़ लोगो क व या समझ कर नकार दया जाता है ले कन जब हम अभी कह गयी बात का
लगातार शकार होते है , तब हमे लगता है क इस संसार म भा य नाम क एक चीज भी है । ज म कंु डल म बारह खाने बने होते ह िज ह भाव कहा जाता है । ज म कु डल अलग
– अलग थान पर अलग-अलग तरह से बनती है । जैसे भारतीय प त तथा पा चा य प त।। भारतीय प त म भी उ तर भारतीय, द ण भारतीय तथा पव
ू भारत म बनी
कंु डल भ न होती है ।

ज म कंु डल बनाने के लए बारह रा शय का उपयोग होता है , जो मेष से मीन रा श तक होती ह। बारह अलग भाव म बारह अलग-अलग रा शयाँ आती है । एक भाव म एक रा श
ह आती है । ज म के समय भच पर जो रा श उदय होती है वह कंु डल के पहले भाव म आती है ।

अ य रा शयाँ फर म से वपर त दशा म चलती है . माना पहले भाव म मथन


ु रा श आती है तो दस
ू रे भाव म कक रा श आएगी और इसी तरह से बाक रा शयाँ भी चलेगी.
अं तम और बारहव भाव म वष
ृ रा श आती है ।

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इसी भा य पर बात करता है हमारा यो तष। 

म , तल
ु सीदास जी ने कहा है …

“कम धान व व रची राखा”

मतलब क ये संसार कम आधा रत है । अथात अ छे कम करोगे तो अ छा फल और बरु े कम का फल बरु ा होता है । हमारा भा य भी हमारे कम से मलकर बना है । पछले ज म
के सं कार हमारे इस ज म के भा य बनाते है । तो आप समझे क भा य या है ।

हमारे ाचीन ऋ षय ने यो तष का वकास इस लए कया ता क हम अपने भ व य के बारे म जान सके और अपने समय का सदप
ु योग कर अपने कम को समय रहते सध
ु ार
कर सक।

यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी के अनस


ु ार कई लोग के मन म अवधारणा है क ये तारे और न हमारे भा य का नधारण कैसे कर सकते है ? म उन लोग से सहमत हूँ
क हाँ तारे और न हमारे भा य का नधारण नह ं कर सकते है , यंू क ये नधारक नह ं संकेतक ह। आप सो चये क अगर आसमान म बदल दख रह है तो म कहूँगा क
बा रश होने वाल है , अगर गम के मौसम म गरमी बहुत बढ़ जाती है तो हम लोग कह दे ते है क आज आंधी आएगी। जब कह ं भक
ू ं प आता है तो वहां के पशु प य म बहुत ह
बेचन
ै ी दे खी जाती है । ले कन जब हम ये सब बात बोल रहे होते है तो हम अ ध व वासी नह ं होते ह ले कन अगर कोई यि त यो तष के आधार पर कुछ कहता है तो फर ये
अ ध व वास कैसे? ये भी एक व ान है िजसे हमारे ऋ ष मु नय ने संसार के क याण के लए संसार को दया।

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यो तष म हम लोग न और तार क ग त के आधार पर भ व यवाणी करते ह। हमे जो तारा मंडल प ृ वी से लगातार दखाई दे ते ह हमने उनको अपना आधार मान लया। इन
तारा मंडल को बारह रा शय म वभािजत कर लया जो क है ….

1. मेष – Aries

2. वष
ृ – Tauras

3. मथन
ु – Gemini

4. कक – Cancer

5 . संह – Leo

6. क या – Virgo

7. तल
ु ा – Libra

8. विृ चक – Scorpio

9. धनु – Sagittarius

10. मकर – Capricorn

11. कु भ – Aquarius

12. मीन – Pieces

इसके बाद हमने ह दे खे जो क हमारे काफ पास है और इन सब रा शय पर मण करते तीत होते ह।

इनके नाम है …. 

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सय
ू ,  च , मंगल , बध
ु , बह
ृ प त, श ु , श न Translate »

दो छाया ह- राहू और केतु

इ ह ह के ग त के आधार पर भ व य कथन कया जाता ह ।

कैसे दे खे कंु डल ?

हम अपनी कंु डल तो बनवा लेते है ले कन उसके बारे म जानते नह ं है कम से कम आपको इतना तो मालम
ू ह होना चा हए क ये जो कंु डल है वो या है । ये जो च दे ख रहे है
आप ये एक यि त क कंु डल है िजनक ज म त थ है 01 अग त 1985, ज म समय है दोपहर के 2 बजे और ज म थान है द ल ।

आईये कंु डल के बारे म जानते है …

इसम 12 खाने है और हर खाने म 1 सं या लखी हुई है । ये सं या है वो दरअसल राशf क सं या है जो क इस कार है …

1. मेष

2. वष

3. मथन

4. कक

5. संह

6. क या

7. तल
ु ा

8. विृ चक

9. धनु

10. मकर

11. कु भ

12. मीन

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तो इस कंु डल म आप दे खगे क सबसे ऊपर वाले खाने के थान पर सं या 8 लखी हुई है , दे खये जहाँ पर ल. लखा है , ल. मतलब क ल न,  इसका मतलब क ल न वाले थान
पर 8 लखा है और 8 न बर हम बता चक
ु े है क विृ चक राशी है । तो समझे आप यि त का ल न हुआ विृ चक। इस ल न से हम बाएं ओर को गनना शु करे तो अगला खाना
िजसमे क 9 लखा हुआ ये कंु डल का दस
ू रा भाव है इसी कार िजसमे 10 लखा है वो तीसरा भाव हुआ और िजसमे 11 लखा है वो चौथा भाव हुआ और िजसमे 12 लखा है वो
पांचवा भाव हुआ और िजसमे 1 लखा है वो छठा भाव हुआ। िजसमे 2 लखा है वो खाना सातवाँ भाव हुआ और िजसमे 3 लखा है वो खाना 8 भाव हुआ। िजसमे 4 लखा है वो
खाना नवां भाव हुआ और िजसमे 5 लखा है वो दसवां भाव हुआ और िजसमे 6 लखा है वो यारहवां भाव हुआ और िजसमे 7 लखा है वो बारहवां भाव हुआ।

एक बात और कंु डल म भाव तो नि चत रहते है । इन भाव क गनती इसी कार होगी।

यो तष से जीवन के रह य खोलने के लए ज म समय के अनस


ु ार कु डल बनाना ज र होता है ,अ सर
कंु डल बनाने के बाद उसके अ दर भावो के अनस
ु ार ह का ववेचन कैसे कया जाता है इस बात पर लोग
अपने अपने ान के अनस
ु ार कथन करते है ,कई बार तो मने दे खा है क कंु डल दे खते ह कहना शु कर
दे ते है क यह बात है इस बात का होना यह बात हुयी है ले कन जो कंु डल को पंछ
ू ने के लए आया है वह
अपनी बात को कह ह नह ं पाया और तब तक दस
ू रे का नंबर आ गया,अपनी कंु डल को अपने आप जब
तक पढ़ना नह ं आयेगा तब तक जीवन के भेद आप अपने लए नह ं खोल पायगे,हर यि त के लए तीन
बाते ज र है क वह अपने समय को प हचानना सीखे उसके बाद अपनी बात को दस
ू रे को समझना सीखे
और तीसर बात है क जब दःु ख या क ट का समय है बीमार है तो उसका अपने आप ह इलाज करना
सीखे.समय को सीखना यो तष कहलाता है और अपनी बात को समझाने क कला को मा टर के प म
जाना जाता है तीसर बात जीवन के अ दर आने वाल बीमा रय को दरू करने के लए वै य का होना भी
ज र है ,बाक के काम जो जीवन म अपने लए ज र है वे केवल कमाने खाने के लए और लोगो के साथ
रहने तथा आगे क संत त को चलाने से ह जड़
ु े होते है . यो तष के अनस
ु ार जब भेद खोले जा सकते है तो
य न भेद को खोल कर अपने हत के लए दे खा जाए और जो द कत आने वाल है उसका नराकारण
खद
ु के वारा ह कर लया जाए तो कतना अ छा होगा.आज कल कंु डल बनाने के लए ख़ास मेहनत नह ं
करनी पड़ती है कंु डल को बनाने के लए बहुत से सो ट वेयर आ गए उनके वारा अपनी ज म तार ख
और समय तथा थान के नाम से आप अपनी कंु डल को आसानी से बना सकते है .

उपरो त कंु डल म नंबर लखे हुए और भावो के नाम लखे है तथा ह के नाम लखे हुए है .नंबर रा श से स बं धत है जैसे लगन िजस समय जातक का ज म हुआ था उस समय
तीन नंबर क रा श आसमान म थान हण कये हुए थी,एक नंबर पर मेष दस
ू रे नंबर क वष
ृ तीसरे नंबर क मथन
ु चौथे पर कक पांचवे पर संह छठे नंबर क क या सातवे
नंबर क तल
ु ा आठवे क विृ चक नवे क धनु दसवे क मकर यारहवे क कु भ और बारहवे नंबर क रा श मीन होती है .इसी कार कसे लगन जो पहले नंबर का भाव होता है
उसके अ दर जो रा श था पत होती है वह लगन क रा श कहलाती है जैसे उपरो त कंु डल म तीन नंबर क मथन
ु रा श था पत है .इससे बाएं तरफ दे खते है चार नंबर लखा
है ,इसी म से भावो का प बना हुया होता है .पहले भाव को शर र से दस
ु रे को धन से तीसरे को ह मत और छोटे भाई ब हन से चौथे नंबर को माता मन मकान और सख
ु से
पांचवे को संतान श ा और प रवार से छठे भाव को द ु मनी कजा बीमार से सातवे नंबर के भाव को जीवन साथी प त या प नी के लए आठवे भाव को अपमान म ृ यु जान
जो खम नवे को भा य और धम याय वदे श दसवे को कम और धन के लए कये जाने वाले यास यारहवे को लाभ और बड़े भाई ब हन दो त के लए बारहवे को खच और
आराम करने वाले थान के नाम से जाना जाता है .

या ह यो तष ?

यो तष एक ऐसा महा व ान है जो अपने आप म ह एक अदभत


ु रह य को अपने म समाये रखा है ाचीनकाल  से ह हमारे ऋ षमु न यो तष व धया के वारा भत
ु ,भ व य
के बारे म आसानी से बता सकते थे यो तष व धया परू तरह से गह
ृ न ो पर आधा रत  एक ग णतीय व धया है जो ह क चाल तथा थ त के वारा भ व य म  होने  वाल
घटनाओं के बारे म बताया जा सकता है यो तष 9 ह पर आधा रत  एक ग णतीय व ध है   ये 9 गह
ृ अलग-अलग फल दे ते है तथा इस के आधार पर ह भ व य म होने वाल
घटनाओं के बारे म जाना जा सकता है   और यि त के जीवन पर इन ह का काफ भाव परता है  

ये गह
ृ न न कार के होते है  

१ . सय
ू  

२.च

३ . मंगल

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४ . बध
ु Translate »

५ . बह
ृ पत

६ . शु

७.शन

८ . राहू

९ . केतु

१.सय
ू गह
ृ :-

सय
ू गह
ृ को आ मा का कारक माना गया है सय
ू गह
ृ संह रा श का वामी होता है सय
ू पता का त न ध व भी करता है तांबा,घास,शेर, हरन सोने के आभष
ू णआ द का भी कारक
होता है सय
ू का नवास थान  जंगल कला मं दर एवं नद है सय
ू सर र म हदय आँख पेट और चहरे का त न ध व करता है और इस गह
ृ से र तचाप गंजापन आँख सर एवं
बख
ु ार संबं धत बीमार यां होती है सय
ू े ीय जाती का है इसका रं ग केश रया माना जाता है सय
ू एक पु ष गह
ृ है इसम आयु क गरणा ५० साल क मानी जाती है सय
ू क दशा
पव
ू है िजस यि त के सय
ू उ च का होने पर राजा का कारक होता है सय
ू गह
ृ के म च मंगल और गु को माना जाता है तथा इस गह ृ के श ु शु और श न है सय ू गहृ अपना
असर गहू धी प थर दवा और मा ण य पदाथ पर डालता है ल बे पेड़ और पत रोग का कारण भी सय
ू गह
ृ होता है स य
ू गहृ के दे वता महादे व शव है गम ऋत ु स य
ू का मौसम है
और इस गह
ृ से शु होने वाला नाम ‘अ’ ‘ई’ ‘उ’ ‘ए’ अ र से चालू होते है

२.च गह
ृ :-

च गह
ृ सोम के नाम से भी जाना जाता है इ ह च दे वता भी कहते है उ ह जवान संद ु र गौर और मनमोहक द बाहू के प म व णत कया जाता है और इनके एक हाथ म
कमल और दस ु रे हाथ म मग
ु दर रहता है और इनके वारा रात म परु े आकास म अपना रथ चलाते है उस रथ को कह सफ़ेद गोड़ो से खीचा जाता है   च गहृ जनन मता के
दे वताओ म से एक है   च गह ृ ओस से जड़ ु े हुए है उ ह नषा दप त भी कहा जाता है  

नशा                     =                 रात  

नषा दप त            =                 दे वता

शप
ु ारक (जो रा ी को आलो कत करे ) सोम के प म वे सोमवार के वामी है   और मन माता क रानी का त न ध व करते है वे स व गुण वाले है

३.मंगल गह
ृ :- 

मंगल गह
ृ लाल और यु के दे वता है और वे मचार भी  है मंगल गह ृ विृ चकऔर मेष रासी के वामी है मंगल गह ृ को सं कृत म अंगारक भी कहा जाता है (‘जो  लाल रं ग का है
‘) मंगल गह
ृ धरती का प ु है अथात मं ग ल गहृ को प ृ वी दे व ी क सं त ान माना जाता है मं गल गहृ को लौ या लाल रं ग म रं गा जाता है चतभ
ु ज
ु   एक शल
ू मग
ु दर कमल और एक
भाला लए हुए च कया जाता है उनका वाहन एक भेडा है वे मंगलवार के वामी है मंगल गह
ृ क कृ त तमस गुण वाल है और वे ऊजावान कारवाई ,आ म व वास और
अहं कार का त न ध व करते है

४.बध
ु गह
ृ   :-

बध
ु गह
ृ यपार के दे वता है और च मा और तारा (तारक) का पु है बध
ु गह
ृ शांत सव
ु ता और हरे रं ग म तत
ु कया जाता है बध
ु गह
ृ यपा रयो के र क और रजो गण
ु वाले है
बध
ु बध
ु वार के मा लक है उनके एक हाथ म कृपाण और दस
ु रे हाथ म मग
ु दर और ढाल होती है बध
ु गह
ृ रामगर मं दर म एक पंख वाले शेर क सवार करते है और शेरो वाले रथ क
सवार करते है बध
ु गह
ृ सय
ू गह
ृ के सबसे च हता गह
ृ है

५.बह
ृ प त गह
ृ   :-

सभी ह म से बह
ृ प त गह
ृ सभी ह के गु है और शील और धम के अवतार है बह
ृ प त गह
ृ ब लदान और ाथनाओ के तावक है िज ह दे वताओ के परु ो हत के प म भी
जाना जाता है ये गु शु ाचाय के क र द ु मन थे दे वताओ म ये वाि मता के दे वता, िजनके नाम कई कृ तया है जैसे क नाि तक बा प य सू .बह
ृ प त गह
ृ पीले तथा सन
ु हरे
रं ग के है और एक छड़ी एक कमल और अपनी माला धारण करते है वे बह
ृ प त गह
ृ के वामी है वे स व गुनी है और ान और श ण का त न ध व करते है

६.शु गह
ृ   :-

शु गह
ृ दै य के श क और असरु ो के गु है िज ह शु गह
ृ के साथ पहचाना जाता है शु ,श ु गह
ृ का त न ध व करता है शु गह
ृ साफ़, शु द या चमक, प टता के लए
जाना जाता है और उनके बेटे का नाम ग
ु ु और उशान है वे शु वार के वामी है कृ त से वे राजसी है और धन ख़श
ु ी और जनन का त न ध व करते है शु गह
ृ सफ़ेद रं ग
म यम आयु वग और भले चेहरे के है शु गह
ृ घोड़े पर या मगरम छ पर वे एक छड़ी ,माला और एक कमल धारण करते है शु क दशा क यि त के जीवान म २० वष तक
स य बनी रहती है ये दशा यि त के जीवन म अ धक धन ,भा य और ऐशो-आराम दे ती है अगर उस यि त क कंु डल म शु मजबत
ू थान पर वराजमान हो और साथ ह
साथ शु उसक कंु डल म एक मह वपण
ू फलदायक गह
ृ के प म हो शु गह
ृ वैभव का भी कारक होता है

७.श न गह
ृ :-

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श न गह
ृ तमस कृ त का होता है श न , श नवार का वामी है शनी सामा यतया क ठन माग य श ण ,कै रयर और द घायु को दशाता है श न श द क यु प त शनये मत »
Translate
स: अथात, वह जो धीरे -धीरे चलता है श न को सय
ू क प र मा म ३० वष लगते है श न सय
ू के पु है और जब उ ह ने एक शशु के प म पहल बार अपनी आँखे खोल , तो
सरू ज हण म चला गया,िजसमे यो तष कंु डल पर श न के भाव का साफ संकेत  मलता है श न वा तव म एक अध दे वता  है श न का च ण काले रं ग म ,काले लबास म
,एक तलवार ,तीर और कौए पर सवार होते है

८.राहू गह
ृ   :-

राहू गह
ृ रा सी सांप का मु खया है   राहू  उ तर च /आरोह आसं ध के दे वता है राहू ने समु मंथन के दौरन असरु राहू ने थोडा द य अमत
ृ पी लया था अमतृ उनके गले से
नीचे उतरने से पहले मो हनी ( व णु भागवान) ने उसका गला काट दया तथा इसके उपरांत उनका सर अमर बना रहा उसे राहू काहा जाता है राहू काल को अशभ ु माना जाता है
यह अमर सर कभी-कभी सरू ज और चाँद को नगल जाता है िजससे हण लगता है

९.केतु :-

केतु गह
ृ का मानव जीवन पर इसका जबरद त भाव पड़ता है वे केतु अवरोह /द णच आसं ध का दे वता है केतु को एक छाया गह
ृ के प म माना जाता है   केतु रा स सांप
क पँछ
ू के प म माना जाता है केतु च मा और सरू ज को नगलता है केतु और राहू ,आकाशीय प र ध म चलने वाले च मा और सय
ू के माग के त छे दन बंद ु को न पत
करते है इस लए राहू और केतु को उ तर और द णच आसं ध कहा जाता है सय
ू को हण तब लगता है जब सय
ू और चं मा इनमे से एक बंद ु पर होते है ये कसी वशेष
प रि थ तय म यह कसी को सि द के शखर पर पंहुचने म मदद करता है वह कृ त म तमस है और परलौ कक भाव का त न ध व करता है

कंु डल के बारह भाव और उनसे या जान

ऊपर आपको  कंु डल के भाव कैसे दे ख ये बताया था अब ये जानगे क येक भाव या बताता है और हम कस वषय के बारे म जानना हो तो उस वषय को उस भाव से दे ख। 

यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी ने बताया क उदाहरण के लए अगर हमे जानना हो क कसी यि त के ववाह के बारे म वचार करना हो तो उसक कंु डल का स तम भाव
दे खगे। इसी कार क रअर के लए दसवां भाव दे खगे। भाव का प रचय :-

ज म कंु डल म भाव या होते ह आइए उ ह जानने का यास कर. ज म कंु डल म बारह भाव होते ह और हर भाव म एक रा श होती है . कँु डल के सभी भाव जीवन के कसी ना
कसी े से संबं धत होते ह. इन भाव के शा ो म जो नाम दए गए ह वैसे ह इनका काम भी होता है . पहला भाव तन, दस
ू रा धन, तीसरा सहोदर, चतथ
ु मात,ृ पंचम पु , छठा
अ र, स तम रप,ु आठवाँ आय,ु नवम धम, दशम कम, एकादश आय तो वादश यय भाव कहलाता है

सभी बारह भाव को भ न काम मले होते ह. कुछ भाव अ छे तो कुछ भाव बरु े भी होते ह. िजस भाव म जो रा श होती है उसका वामी उस भाव का भावेश कहलाता है . हर भाव
म भ न रा श आती है ले कन हर भाव का कारक नि चत होता है .

बरु े भाव के वामी अ छे भाव से संबंध बनाए तो अशभ


ु होते ह और यह शभ
ु भाव को खराब भी कर दे ते ह. अ छे भाव के वामी अ छे भाव से संबंध बनाए तो शभ
ु माने जाते ह
और यि त को जीवन म बहुत कुछ दे ने क मता रखते ह. कसी भाव के वामी का अपने भाव से पीछे जाना अ छा नह ं होता है , इससे भाव के गुणो का ास होता है . भाव
वामी का अपने भाव से आगे जाना अ छा होता है . इससे भाव के गुणो म व ृ होती है .

थम भाव – First House 

तनु भाव   थम भाव से यि त क शार रक संरचना का वचार कया जाता है . परू े शर र क बनावट इस भाव से दे खी जाती है . शर र का रं ग, प, बाल,  सहनशि त, ान,
वभाव जीवन के सख
ु -दख
ु ,   वा य, शर र का बलाबल, मान सक व ृ ्ि त को बताता है .

वतीय भाव – Second House

धन भाव  इस भाव से यि त क वाणी, कुटु ब,धन आ द का वचार कया जाता है . इस भाव से दांई आँख का भी वचार कया जाता है . व या,चेहरा,खान-पान क आदत आ द
भी इसी भाव से दे खी जाती ह. सच और झूठ, जीभ, म ृ ्द ु वचन, म ता, शि त, आय क व ध आ द बात का वचार भी इस भाव से कया जाता है . यह भाव मारक भाव भी है . इस
भाव से म ृ ् यु के बारे म भी पता चलता है . कु डल का थम मारक थान है .

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
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त ृ ्तीय भाव – Third House

सहज भाव  इस भाव से छोटे भाई-बहन, धैय,परा म, यि त का पु षाथ, छोट या ाएँ,दा हना कान और दा हना हाथ, शि त,वीरता,ब ध,ु म ता,नौकर, दास-दासी. यह मजबत

इ छा शि त का भी भाव है .  मह ष पराशर के अनस
ु ार त ृ ्तीय भाव उपदे श या धा मक उपदे श का भी होता है . दस
ू र को ताप पहुंचाना भी इस भाव का कारक व है .

चतथ
ु भाव – Fourth House

सख
ु भाव  यह भाव भवन का तीक है . घर, घर से नकालना, वाहन,माता,घर का सख
ु ,झूठा आरोप, मकान, खेतीबाड़ी, वाहन, आ द इस भाव से दे खा जाता है . भौ तक सख
ु क
ाि त, अनभ
ु ू त, माता से वा स य का सख
ु , माता के परू े भ व य का पता इस भाव से चलता है . ऎश – आराम के सभी साधन, पद मलेगा या नह ं इस भाव से दे खते ह. जीवन के
त नकारा मक और सकारा मक ्ि टकोण यह ं से पता चलता है . सामा य श ा, मन के भाव, मि त क, भावक
ु ता आ द इस भाव से दे खा जाता है . इस भाव से छाती और
फेफड़ को दे खते ह.

पंचम भाव – Fifth House

पु भाव [संतान भाव]  यह संतान ाि त का भाव है . श ा का भाव है . श ा का तर कैसा होगा, इस भाव से पता चलेगा. ववेक का भाव, पव
ू ज म के सं चत कम, पंचम भाव
से ेम संबंध, लेखन काय भी पंचम भाव से दे खते ह. पंचम भाव से राज शासन, मं ी व, शा का ान, लॉटर , पेट, म ृ ् त आ द का वचार कया जाता है . इस भाव से दय,
पेट का ऊपर भाग का वचार करते ह.

ष ठ भाव – Sixth House

अ र भाव [श ु भाव] इस भाव से य और अ य  हर कार के श ओ


ु ं का वचार कया जाता है . शार रक और मान सक श ु [काम, ोध, मद, लोभ] अहं कार, सेवा े म
त पधा [competition in service] रोग क ारि भक अव था, ऋण, जैसे जीवन यापन और यापार आ द के लये ऋण आ द लेना इसी भाव से. छठा भाव स वस भाव भी है .
च क सक क कु डल म यह भाव बल होता है . वक ल का यवसाय भी यह ं से दे खा जाता है .   सौतेल मां, झगडा –
़ मक
ु दमा, पानी से भय, जानवर से भय, मामा – मौसी को
भी इस भाव से वचारते ह. इस भाव से गुद, पेट क आँत तथा हर तरह के यसन का वचार कया जाता है .

स तम भाव – Seventh House

दारा या कल भाव इस भाव से जीवन साथी का वचार करते ह. उसका प-रं ग, श ा, यवहार सभी का वचार इस भाव से कया जाता है . दा प य जीवन सख
ु ी रहे गा या उसम
कलह होगा, सभी का वचार इस भाव से होता है . यह साझेदार का भाव है . आधु नक समय म इस भाव से यापार तथा यापार म साझेदार क गुणव ता का वचार करते ह. इस
भाव से जीवन के हर े क साझेदार को दे खा जाता है . जातं म यह जनता का भाव भी है . नेताओं क कु डल म य द यह भाव बल है तो वह नेता जनता म लोक य होगा.  
इस भाव से म यम तर क या ाएं दे खते ह इस भाव से travels for fun and travels for business भी दे खते ह. यह कु डल का दस
ू रा मारक थान है .

अ टम भाव – Eighth House

इस भाव से पैत ृ ्क स प त, वरासत, अचानक आ थक लाभ, वसीयत आ द अ टम भाव के सकारा मक प है . ल बी बीमार , म ृ ् यु का कारण, यौन संबंध, दा प य जीवन,
अ टम भाव का नकारा मक प है . इस भाव से जननेि य का वचार करते ह.

नवम भाव – Ninth House


भा य भाव नवम भाव से आचाय, गु जन, पता और अपने से बडे स मा नत लोग का वचार कया जाता है . यह भाव भा य भाव भी कहलाता है . इस भाव से ल बी समु या ा,
तीथ या ाएं, भाई क ी, जीजा, अपने ब च क संतान का वचार भी इस भाव से होता है .   आ याि मक व ृ ् तयाँ, भि त या धम अनरु ाग, सीखना या ान ा त करना,
धा मक और याय से संबं धत यि तय के बारे म इस भाव से वचार करते ह. एक अ छा नवम भाव कु डल को बहुत बल बनाता है . नवम भाव से जाँघ दे खते ह.

दशम भाव – Tenth House

कम थान यह कम का े है . रोजगार के लये जो कम करते है वो दशम भाव से दे खे जाते ह. कस आयु म कम क ाि त होगी, कम का े या होगा, कस तरह से समय का
सदप
ु योग या द ु पयोग करते ह. रोजगार कैसा और कब शु होगा, रोजगार म टकाव रहे गा या नह ,ं रोजगार म कतना मान मलेगा , वयं का मान-स मान आ द बात का
वचार इस भाव से कया जाता है .   स , स मान, आदर, त ठा तथा यि त क उपलि धयाँ दशम भाव से दे खी जाती है . दशम भाव से घट
ु न का वचार कया जाता है .

एकादश भाव – Eleventh House


आय या लाभ भाव इस भाव से आय, लाभ, पद ाि त, शंसा, बडे भाई – बहन, पु वध,ु बांया कान और बांह दे खते ह. यापार से लाभ – हा न और सभी कार के लाभ इस भाव
से दे खे जाते ह. जो कम जातक ने कये ह उनका ेय इस भाव से मलता है . इस भाव से प ड लयाँ और टखने का वचार करते ह.

वादश भाव – Twelfth House

यय भाव  िजंदगी का अं तम पडाव़ , हर तरह के यय, हा न, बरबाद , जेल, अ पताल, षडयं आ द इस भाव से दे खे जाते ह. खु फया पु लस, द र ता, पाप, नक
ु सान, श त
ु ा,
कैद, शयन सख
ु , बायां ने , गु त श ,ु नंदक आ द का वचार इस भाव से कया जाता है .  आधु नक स दभ म वदे श या ा, वदे श म यवसाय, वदे श म रहना आ द का वचार

इस भाव से कया जाता है . इस भाव से पैर और पैर क अंगु लय का वचार करते ह. जो लोग आ या म से जडु े ह उनक कु डल म वादश भाव का बहुत मह व होता है .
आ याि मक जीवन के संकेत और मो के वषय म वादश भाव से वचार करते ह 

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
य पाठक , अभी ऊपर हमने दे खा क येक भाव का या काम है अब हम यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी से जानते ह क क येक रा श का वामी कौन हTranslate
होता है । »
हो क ि थ त :-


ज म कंु डल म सबसे आव यक ह क ि थ त है , आइए उसे जाने. ह ि थ त का अ ययन करना ज म कंु डल का बहुत मह वपण
ू पहलू है . इनके अ ययन के बना कंु डल का
कोई आधार ह नह ं है .

पहले यह दे ख क कस भाव म कौन सा ह गया है , उसे नोट कर ल. फर दे ख क ह िजस रा श म ि थत है उसके साथ ह का कैसा यवहार है . ज म कंु डल म ह म रा श
म है या श ु रा श म ि थत है , यह एक अ य मह वपण
ू पहलू है इसे नोट कर. ह उ च, नीच, मल
ू कोण या वरा श म है , यह दे ख और नोट कर.

ज म कंु डल के अ य कौन से ह से संबंध बन रहे है इसे भी दे ख. िजनसे ह का संबंध बन रहा है वह शभ


ु ह या अशभ
ु ह, यह जांचे. ज म कंु डल म ह कसी तरह के योग म
शा मल है या नह ,ं जैसे राजयोग, धनयोग, अ र ट योग आ द अ य बहुत से योग ह.

१२ रा शय के नाम एवम उनके वामी क जानकार न न है …

मेष का वामी = मंगल ,

वष
ृ का वामी = शु ,

मथन
ु का वामी = बध
ु ,

कक का वामी = च मा ,

  संह का वामी = सय
ू ,

क या का वामी -= बध
ु ,

 तल
ु ा राशी का वामी = शु ,

विृ चक का वामी = मंगल ,

धनु का वामी = गु ,

मकर का वामी = श न ,

कु भ का वामी = श न ,

मीन का वामी = गु |

कंु डल का फलकथन :-

फलकथन क चचा करते ह, भाव तथा ह के अ ययन के बाद ज म ् कंु डल के फ लत करने का यास कर. पहले भाव से लेकर बारहव भाव तक के फल को दे ख क कौन सा भाव
या दे ने म स म है .

यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी के अनस


ु ार कौन सा भाव या दे ता है और वह कब अपना फल दे गा यह जानने का यास गौर से कर. भाव, भावेश तथा कारक तीनो क
कंु डल म ि थ त का अवलोकन करना आव यक होता है . ज म कंु डल म तीनो बल ह तो जीवन म चीज बहुत अ छ होगी.

तीन म से दो बल ह तब कुछ कम मलने क संभावना बनती है ले कन फर भी अ छ होगी. य द तीनो ह कमजोर ह तब शभ


ु फल नह ं मलते ह और परे शा नय का सामना
करना पड़ सकता है .

जा नए कैसे कर दशा का अ ययन :-

अभी तक बताई सभी बात के बाद दशा क भू मका आती है , बना अनक
ु ू ल दशा कै कु नह ं मलता है . आइए इसे समझने का यास कर. सबसे पहले यह दे ख क ज म कंु डल
म कस ह क दशा चल रह है और वह ह कसी तरह का कोई योग तो नह ं बना रहा है .

िजस ह क दशा चल रह है वह कस भाव का वामी है और कहाँ ि थत है , यह जांचे. कंु डल म महादशा नाथ और अ तदशानाथ आपस म म ता का भाव रखते है या श त
ु ा का
भाव रखते ह यह दे ख.

यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी के अनस


ु ार कंु डल के अ ययन के समय महादशानाथ से अ तदशानाथ कस भाव म ि थत है अथात िजस भाव म महादशानाथ ि थत है
उससे कतने भाव अ तदशानाथ ि थत है , यह दे ख. महादशानाथ बल है या नबल है इसे दे ख. महादशानाथ का ज म और नवांश कंु डल दोनो म अ ययन कर क दोनो म ह
बल है या एक मे बल तो दस
ू रे म नबल तो नह ं है यह दे ख.

कैसे कर गोचर का अ ययन :-

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
सभी बातो के बाद आइए अब हो के गोचर क बात कर. दशा के अ ययन के साथ गोचर मह वपण
ू होता है . कंु डल क अनक
ु ू ल दशा के साथ ह का अनक
ु ू ल गोचर भीTranslate
आव यक »
है तभी शभ
ु फल मलते ह.

कसी भी मह वपण
ू घटना के लए श न तथा गु का दोहरा गोचर ज र है . ज म कंु डल म य द दशा नह ं होगी और गोचर होगा तो अनक
ु ू ल फल क ाि त नह ं होती है यो क
अकेला गोचर कसी तरह का फल दे ने म स म नह ं होता है .

जा नए कैसे बनाएं कंु डल :-

यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी के अनस


ु ार कंु डल बनाने का काय मु य प से पं डत या ा ममण करते ह ले कन आज इंटरनेट ने अपना व तार इस तरह कया है क
यो तष क इस अहम शाखा म भी उसक पहुंच हो गई है ।

कंु डल और ह दशा :-

आकाश म डल म बहुत से ह ह मगर यो तष शा म सात ह व दो छाया ह का ह उ लेख मलता है और यह ह हमारे जीवन को ज म ल न क ि थ तनस
ु ार फल दे ते
ह। मा यता है क कसी भी जातक का जीवन नव ह के शभ
ु और अशभ
ु फल के भाव पर ह नभर करता है । कंु डल म नव ह क ि थ त के अनु प ह मानव जीवन म
आने वाले सख
ु -दख
ु , खश
ु ी-गम, सफलता-असफलता दे ते ह। या वा तव म सभी ह हमार रा श के अनस
ु ार फल दान करते ह?

इस संसार म हरे क व तु चाहे वह ह हो, पेड़-पौधे हो, मानव हो, ख नज त व हो। सब अपनी-अपनी तरं ग से एक-दस
ू रे को भा वत कर रहे ह। हम न चय प से केवल नव ह
से ह नह ं संपण
ू तारामंडल से भा वत होते ह नव ह तो मांड का कुछ तशत ह सा भी नह ं है । तो या ये सब हमारे भ व य को भा वत करते ह, न मत करते ह ?

अगर आपक शार रक-मान सक मताएं अपनी गलत धारणाओं और आहार- वहार से कमजोर हो गई है तो आप न चय ह इससे भा वत होते ह। या ह के भाव से बच
सकते ह ?

हम सभी जानते ह क जब हम कमजोर होते ह तो गम , सद , बरसात, कोलाहल ह क आवाज भी हमसे सहन नह ं होती। जब हम मजबत
ू होते ह तो इन सब को लंबे समय तक
झेल सकते ह। अगर आप ाकृ तक आहार- वहार, योग- यान, रे क , तनाव र हत जीवन से या सकारा मक धारणाओं से अपने आपको सश त रखते ह तो ह के कोई भी भाव
आपको वच लत नह ं करते आपको पता भी नह ं चलता क कौन-सा ह कब आया और कब गया, कौन सा मौसम कब आया कब गया, य क आपके अपने शर र मन म कोई
प रवतन नह ं आता।

फलादे श कैसे करते है :-

जो ह अपनी उ च, अपनी या अपने म ह क रा श म हो – शभ


ु फलदायक होगा। 

इसके वपर त नीच रा श म या अपने श ु क रा श म ह अशभ


ु फल दायक होगा। 

जो ह अपनी रा श पर ि ट डालता है , वह शभ
ु फल दे ता है । 

कोण के वामी सदा शभ


ु फल दे ते ह। 

ू र भाव (3, 6, 11) के वामी सदा अशभ


ु फल दे ते ह। 

द ु ट थान (6, 8, 12) म ह अशभ


ु फल दे ते ह। 

शभ
ु ह के (1, 4, 7, 10) म शभ
ु फल दे ते ह, पाप ह के म अशभ
ु फल दे ते ह। 

बध
ु , राहु और केतु िजस ह के साथ होते ह, वैसा ह फल दे ते ह। 

सय
ू के नकट ह अ त हो जाते ह और अशभ
ु फल दे ते ह। 

सय
ू के उपाय 

आ द य दय तो का पाठ करे 3 बार सय


ू के सामने 

ॐ घण
ृ ी सय
ू ाय नमः का कम से कम 108 बार जप कर ले 

गाय ी का जप कर ले 

घर क पव
ू दशा से रौशनी आयेगी तो अ छा रहे गा । 

घर म तल
ु सी का पौधा ज र लगा दे  

पता क सेवा 

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
शराब और मांसाहार न खलाये  Translate »

शवजी ,पीपल के उपाय। 

यो त ष को अपनी कंु डल दखाइए।

कंु डल से जाने ेम ववाह कब होगा :-

वैलटाइन डे को आज का यव
ु ा वग ेम के इजहार के पव के प म मनाने लगा है । कुछ ेम के इजहार को ववाह म भी बदल लेते ह। आपके भावी जीवन साथी क ज म कंु डल म
य द आपके अनक
ु ू ल ि थ तयां ह तो ेम ववाह के बाद दा प य जीवन पण
ू सख
ु ी व सफल रहता है और भा यो न त होती है । 

ज म कंु डल का पंचम भाव णय संबंध और स तम भाव ववाह से संबं धत होता है । शु स तम भाव का कारक है । अत: जब पंचमेश, स तमेश और शु का शभ
ु संयोग होता है
तो दोन म घ न ठ नेह होता है । 

दोन क रा शयां एक दस
ू रे से समस तक ह या एक से अ धक ह समस तक ह जैसे एक का चं मा ल न म तथा दस
ू रे का स तम भाव म हो। 

दोन के शभ
ु ह समान भाव म ह अथात एक क कंु डल म शभ
ु ह य द ल न, पंचम, नवम या क म ह तथा दस
ू रे के भी इ ह ं भाव म ह । 

दोन के ल नेश और रा श वामी एक ह ह ह । जैसे एक क रा श मीन हो और दस


ू रे क ज म ल न मीन होने पर दोन का रा श वामी गु होगा। 

दोन के ल नेश, रा श वामी या स तमेश समान भाव म या एक दस


ू रे के सम-स तक होने पर र त म गाढ़ता दान करगे। 

दोन क कंु ड लय के ह म समान ि ट संबंध हो। जैसे एक के गु चं म ि ट संबंध हो तो दस


ू रे क कंु डल म भी यह ह ि ट संबंध बनाएं। 

स तम एवं नवम भाव म रा श प रवतन हो तो शाद के बाद भा योदय होता है । स तमेश यारहव या वतीय भाव म ि थत हो तथा नवमांश कंु डल म भी स तमेश 2, 5 या
11व भाव म हो तो ऐसी ह ि थ त वाले जीवन साथी से आ थक लाभ होता है । 

उपरो त ह ि थ तय म से िजतनी अ धक ह ि थ तयां दोन क कंु ड लय म पाई जाएंगी, उनम उतना ह अ धक सामंज य होकर गह
ृ थ जीवन सख
ु ी रहे गा। 

इसी कार कुछ वषम ह ि थ तयां दा प य जीवन को दख


ु दायी बना सकती ह। अत: ऐसी ह ि थ तय म दोन क कंु ड लय का मलान कराने के बाद ह ववाह कर। 

श न, सयू , राहु, 12व भाव का वामी ( वादशेश) तथा राहु अ धि ठत रा श का वामी (जैसे राहु मीन रा श म हो तो, मीन का वामी गु राहु अ धि ठत रा श का वामी होगा)
यह पांच ह व छे दा मक व ृ त के होते ह। इनम से क ह ं दो या अ धक ह का यु त अथवा ि ट संबंध ज म कंु डल के िजस भाव/भाव वामी से होता है तो उसे नक ु सान
पहुंचाते ह। स तम भाव व उसके वामी को इन ह से भा वत करने पर दा प य म कटुता आती है । स तमेश ज म ल न से 6, 8, 12व भाव म हो अथवा स तम भाव से 2, 6
या 12व भाव म हो अथवा नीच, श ु े ीय या अ त हो तो वैवा हक जीवन म तनाव पैदा होगा। 

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कंु डल और ह दोष :-

बजरं गबल क आराधना से आप खु शय का वरदान पा सकते ह। मंगलवार को बजरं गबल क पज


ू ा के लए बेहद उ तम माना गया है । इसके साथ ह य द कसी यि त क
कंु डल म कोई ह दोष हो तो बजरं गबल क पज
ू ा से वह भी दरू हो जाता है । बजरं गबल को स न करने के लए कई कार के उपाय बताए गए ह। 

धन का संचय न हो पा रहा हो अथवा घर म बरकत न हो पा रह हो तो लाल चंदन, लाल गुलाब के फूल एवं रोल को लाल कपड़े म बांध कर एक स ताह के लए घर पर बने
बजरं गबल के मं दर म रख द। एक स ताह प चात उस कपड़े को घर क तथा दक
ु ान क तजोर म रख द। 

हनम
ु ान चा लसा का पाठ करने से मन को शां त ा त होती है और मान सक तनाव दरू होता है । 

यो तष के मतानस
ु ार बजरं गबल के भ त को श न क साढ़सती और ढै या म अशभ
ु भाव नह ं झेलने पड़ते। बजरं गबल का नाम समरण करने मा से आप जीवन म आ
रह तमाम सम याओं से मिु त पा सकते ह। 

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
बजरं गबल को संदरू और चमेल का तेल अपण करने से वह बहुत स न होते ह और शी ह अपने भ त क इ छाओं को पण
ू करते ह।  Translate »

मंगलवार के दन पीपल के पेड़ से 11 प ते तोड़ कर उ ह शु जल से साफ कर। कुमकुम, अ टगंध और चंदन मलाएं। कसी बार क तीले से ी राम का नाम उन प त पर
लख। नाम लखते समय हनम
ु ान चा लसा का पाठ कर। इसके बाद ीराम नाम लखे हुए इन प त क एक माला बनाएं और बजरं गबल के मं दर म जाकर बजरं गबल को
पहनाएं। ऐसा करने से जीवन म आने वाल सम त सम याओं का समाधान होगा। 

ज म कंु डल म बह
ृ प त खराब हो :-

म हलाओं का जीवन उनके प त ब च और घर -गह


ृ थी म समटा होता है । ज म कंु डल म बह
ृ प त खराब हो तो वह म हला को वाथ , लोभी और ू र वचार धारा क बना दे ता
है । दा प य जीवन म दख
ु का समावेश होता है और संतान क ओर से भी सम याओं का सामना करना पड़ता है । पेट और आंत के रोग हो जाते ह। अगर ज म- कंु डल म
बह
ृ प त शभ
ु भाव दे तो म हला धा मक, याय य, ानवान, प त या और उ तम संतान वाल होती है । ऐसी म हलाएं व वान होने के साथ -साथ बेहद वन भी होती है । 

कुछ कंु ड लय म बह
ृ प त शभ
ु होने पर भी उ प धारण कर लेता है तो ी म वन ता क जगह अहं कार भर जाता है । वह अपने सम सभी को तु छ समझती है य क
बह
ृ प त के शभ
ु होने पर उसम ान क सीमा नह ं रहती। वह सफ अपनी ह बात पर व वास करती है ।अपने इसी यवहार के कारण वह घर और आस-पास के वातावरण से
कटने लगती है और धीरे - धीरे अवसाद क और घरने लग जाती है य क उसे खद
ु ह मालम
ू नह ं होता क उसके साथ ऐसा य हो रहा है  

यह अहं कार उस म मोटापे का कारण भी बन जाता है । वैसे तो अ य ह के अशभ


ु भाव से भी मोटापा आता है मगर बह
ृ प त के अशभ
ु भाव से मोटापा अलग ह पहचान म
आता है यह शर र म थल
ु थल
ू ा पन अ धक लाता है य क क बह
ृ प त शर र म मेद कारक भी है तो मोटापा आना वाभा वक ह है । 

कमजोर बह
ृ प त हो तो पख
ु राज र न धारण कया जा सकता है मगर कसी यो तष क राय ले कर। गु वार का त कर, सोने का धारण कर,पीले रं ग के व पहन और पीले
भोजन का ह सेवन कर। एक चपाती पर एक चट
ु क ह द लगाकर खाने से भी बह
ृ प त अनक
ु ू ल होता है । 

उ बह
ृ प त को शांत करने के लए बह
ृ प त वार का त करना, पीले रं ग और पीले रं ग के भोजन से परहे ज करना चा हए बि क उसका दान करना चा हए। केले के व ृ क पज
ू ा
कर और व णु भगवान ् को केले का भोग लगाएं और छोटे ब च , मं दर म केले का दान और गाय को केला खलाना चा हए। 

अगर दा प य जीवन क टमय हो तो हर बह


ृ प त वार को एक चपाती पर आटे क लोई म थोड़ी सी ह द ,दे सी घी और चने क दाल ( सभी एक चट
ु क मा ह ) रख कर गाय को
खलाएं। कई बार प त-प नी अगल -अलग जगह नौकर करते ह और चाह कर भी एक जगह नह ं रह पाते तो प त -प नी दोन को ह बह
ृ प त को चपाती पर गुड क डल रख
कर गाय को खलानी चा हए और सबसे बड़ी बात यह के झूठ से िजतना परहे ज कया जाय, बज
ु ग
ु और अपने गु , श क के त िजतना स मान कया जायेगा उतना ह
बह
ृ प त अनक
ु ू ल होता जायेगा। 

व भ न ल न के लए राजयोग ह :-

कुछ ह ल न कंु डल म अपनी ि थ त के अनस


ु ार शभ
ु योग बनाते ह जो यि त को धन, यश, मान, त ठा सारे सख
ु दे ते ह। 

व भ न ल न के लए राजयोगकार ह न न ह। 

1. मेष ल न के लए गु राजयोग कारक होता है । 

2. वष
ृ भ और तल
ु ा ल न के लए श न राजयोग कारक होता है । 

3. कक ल न और संह ल न के लए मंगल राजयोग कारक होता है । 

4. मथन
ु ल न के लए शु अ छा फल दे ता है । 

5. विृ चक ल न के लए चं मा अ छा फल दे ता है । 

6. धनु ल न के लए मंगल राजयोग कारक है । 

7. मीन ल न के लए चं मा व मंगल शभ
ु फल दे ते ह। 

8. मकर ल न के लए शु योगकारक होता है । तो कंु भ ल न के लए शु और बध


ु अ छा फल दे ते ह। क या ल न के लए शु नवमेश होकर अ छा फल दे ता है । 

जो ह एक साथ क व कोण के अ धप त होते ह, वे राजयोगकार होते ह। ऐसा न होने पर पंचम व नवम के वा म व क गणना क जाती है । 

य द कंु डल म ये ह अशभ
ु थान म हो, नीच के हो, पाप भाव म हो तो उनके लए उ चत उपाय करना चा हए।

ह का फल दे ने का समय :-

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
ह अपनी दशा अ तदशा म तो अपना फल दे ते ह ह बि क कुछ और भी जीवन म ऐसे मौके आते ह जब ह अपना परू ा भाव यि त के जीवन पर डालते ह | िजतनाTranslate
कुछ मेरे »
मि त क म है वह सब तो म य त नह ं कर सकता पर तु आव यक नयम इस कार ह |जब आप बीमार होते ह उस समय सय
ू का भाव आपपर होता है | सय
ू य द अ छा हो
तो बीमार क अव था म भी आपका मनोबल बना रहता है इसके वपर त य द सय
ू अ छा न हो तो जरा सा वा य खराब होने के बाद आपको जीवन से नराशा होने लगती है |
इस समय सय
ू का पण
ू भाव आप पर होता है | 

घर म कसी ब चे के ज म के समय हम चं मा के भाव म होते ह | जीवन म संवेदनशील ल ह म च का भाव हमारे जीवन पर पड़ता है | इसके अ त र त जब हम अपने
हुनर या कला का दशन करते ह तब च हमारे साथ होते ह | 

चोट लगने पर, सजर या आपरे शन के समय, संघष करते समय और मेहनत करते व त मंगल हमारे साथ होता है | उस व त कसी अ य ह क अपे ा मंगल का असर
सवा धक आप पर रहता है | हाथ क मंगल रे खा या मंगल के फल दे ने का काल यह होता है | 

जब बोलकर कसी को भा वत करने का समय आता है तब बध


ु का समय होता है | जब आप चालाक से अपना काम नकालते ह तो बध
ु का बलाबल आपक सहायता करता है | 

जब हम श ा हण करते है या फर जब हम श ा दे ते ह उस समय गु का भाव हमारे जीवन पर होता है | कसी को आशीवाद दे ते समय या कसी को बददआ
ु दे ने के समय
बह
ृ प त ह क कृपा हम पर होती है | इसके अ त र त पु के ज म के समय या पु के वयोग के समय भी बह
ृ प त का परू ा भाव हमारे जीवन पर होता है | 

मनोरं जन के समय शु का भाव होता है | ववाह, वषगांठ, मांग लक उ सव और स भोग के समय शु के फल को हम भोग रहे होते ह | आन द का समय हो या न ृ य का, हर
समय शु हमारे साथ होते ह | यह एकमा ऐसा ह है िजसके नबल होने पर जीवन एक बोझ के समान लगता है | जीवन से आन द ख़ म हो जाए या जीना मा एक मजबरू
बन कर रह जाए तो समझ ले क शु का बरु ा भाव आप पर है | 

श न का अथ ह दःु ख है | िजस समय हम दःु ख क अव था म होते ह तब श न का समय समझे | इस काल को छोड़कर सभी काल ण भंगुर होते ह | श न के काल क अव ध
ल बी होती है | दःु ख या शोक के समय, सेवा करते व त, कारावास म या जेल म और बढ
ु ापे म श न का भाव सवा धक होता है | 

कंु डल म एक कार के हण दोष :-

हण दोष दो कार के होते है सय


ू हण और च हण ! सय
ू हण का उपाय उस समय कया जाता है जब सय
ू हण का म य काल हो और च हण का उपाय च हण
म कया जाता है ! यहाँ मै सय
ू हण का उपाय बता रहा हूँ जो आप सय
ू हण के म य काल म कर सकते है ! इस उपाय से राहू च के घर म चला जाता है और शांत हो जाता है
और पता के सख
ु और मान स मान म व ृ करता है ! सरकार क तरफ से लाभ मलता है और सय
ू का शभ
ु फल ा त होता है ! 

य द ल न म राहू हो या ल न म सय
ू और राहू एक साथ बैठे हो तो 100 ाम बादाम गर और एक सख
ु ा नार यलबहते पानी म बहाए ! 

य द दस
ु रे भाव म सय
ू और राहू एक साथ बैठे हो तो 200 ाम बादाम और दो सख
ू े नार यल बहते पानी म बहाए ! 

य द तीसरे भाव म सय
ू और राहू एक साथ बैठे हो तो 300 ाम बादाम गर और तीन सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द चौथे भाव म सय
ू और राहू एक साथ बैठे हो तो 400 ाम बादाम गर और चार सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द पांचवे घर म सय
ू और राहू एक साथ बैठे हो तो 500 ाम बादाम गर और पांच सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द छटे भाव म सय
ू और राहू एक साथ बैठे हो तो 600 ाम बादाम गर और ६ सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द सातवे भाव म सय
ू और राहू एक साथ बैठे हो तो 700 ाम बादाम गर और ७ सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द आठवे भाव म राहू और सय


ू एक साथ बैठे हो तो 800 ाम बादाम गर और ८ सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द नौवे भाव म सय
ू और राहू एक साथ हो तो 900 ाम बादाम गर और ९ सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द दशवे घर म सय
ू और राहू एक साथ हो तो 1 कलो बादाम गर और १० सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

य द एकादश भाव म सय
ू और राहू एक साथ हो तो 1100 ाम बादाम गर और ११ सख
ू े ना रयल बहते पानी म बहाए ! 

११. बध
ु दे वता क कृपा से पाएं धन-वैभव :-

बध
ु ह को ह म राजकुमार क उपा ध द गई है । बध
ु ह को भगवान व णु का त न ध कहा जा सकता है । इसी लए धन, वैभव आ द का संबंध बध
ु से है । बध
ु क दशा
उ तर है तथा उ तर दशा कुबेर का थान भी है । बध
ु से जडा
ु ़ सवा धक मह वपण
ू गुण धम है । अनक
ु ू लनशीलता हर हाल म खद
ु को ढाल लेना सफ बध
ु धान यि त ह कर
सकता है । बध
ु को कई मह वपण
ू त य का कारक ह माना गया है जैसे – वाणी का कारक, बु का कारक, वचा का कारक, मि त क क तं का तं का कारक आ द। 

ज म या वष कंु डल म बध
ु ह अशभ
ु फलदायी हो तो भगवान व णु का यान करके शु ल प के बध
ु वार को आरं भ करके 9000 क सं या म बीज मं का जप करना चा हए।
बध
ु के तां ो त मं ह 

 ऊँ ऎ ं ीं ीं बध
ु ाय नम: 

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 ऊँ ां ीं स: बध
ु ाय नम:  Translate »

 ऊँ ीं ीं बध
ु ाय नम: 

दान यो य व तए
ु ं मंग
ू ी, 5 हरे फल, चीनी, हरे पु प, हर इलायची, कां य प , प ना सोना, हाथी का दांत, हर स जी, हरा कपड़ा, द णा स हत दान कर। 

उपाय कंु डल म बध
ु शभ
ु होते हुए भी फलकारक न हो तो न न उपाय शभ
ु ह गे- 

1 हरे रं ग का प ना बध
ु वार को सोने क अंगुठ म धारण कर। 

2 हरे रं ग के व पहन परं तु य द बध


ु अशभ
ु हो तो हरे व कदा प न पहन। 

3 बध
ु वार को चांद या कां य के गोल टुकड़े को हरे रं ग के कपड़े म लपेट कर जेब म रख या भज
ु ाओं के साथ बांध। 

य द बध
ु अशभ
ु हो तो 

1 मंग
ू ी साबत के सात दान, हरा प थर, कांसे का गोल चक
ु ड़ा, हरे व म लपेट कर बध
ु वार को चलते पानी म बहाना शभ
ु होगा। पानी म बहाते समय कम से कम सात बार बीज
मं पढ़। 

2 हरे रं ग के व कसी हजड़े को बध


ु वार के दन दे ना शभ
ु होता है । 

3 6 इलायची हरे माल म लपेटकर अपने पास रख तथा इसके प चात एक इलायची व तल
ु सी प का सेवन करना शभ
ु रहे गा। 

१२. ठे ह को मनाने के लए :-

बेवजह कु त को क ट दे ने से राहु क उ ता बढऩे लगती है । कु त को भोजन कराने से कंु डल म राहु क नाराजगी कम होती है । आ याि मक और यो तषीय ि ट से स पण

व व कम धान है । हमारे शा भी कम बंधन क बात करते ह। कम धान व व र च राखा, जो जस कराई तो तस फ ल चाखा, सकल पदाथ है जग माह , कम ह न पर पावत
नाह ं। 

पदाथ कभी न ट नह ं होता है केवल प बदल जाता है । इसी कार कया गया कम भी कभी न फल नह ं होता है । हम जैसा कम करते ह वैसा ह फल पाते ह। ह को स न
करने के लए उपासना, य और र न आ द धारण करने का वधान है । हम लोग जड़ क अपे ा सीधे जीव से संबंध था पत रख तो ह अ तशी स न हो सकते ह। 

वेद म कहा गया है क…. 

मात ृ दे वो भव: पत ृ दे वो भव: गु दे वो भव: अ त थ दे वो भव:। 

हमारे शा म सू संकेत के प म ह िज ह समझने क को शश करनी चा हए। 

अ भवादन शील य न य 

व ृ ोपसे वन:। 

च वा र त य वधते, 

आयु व या यशो बलं॥ 

अथात मा णाम करने से, सदाचार के पालन से एवं न य व ृ क सेवा करने से आय,ु व या, यश और बल क व ृ होती है । भगवान ीगणेश अपने माता- पता म ल
ै ोक
समा हत मान कर उनका पज
ू न और द णा (च कर लगाना) करने से थम पू यनीय बन गए। य द हम जीव के त परोपकार क भावना रख तो अपनी कंु डल म ह क
टता को यन
ू तम कर सकते ह। 

नव ह इस चराचर जगत म पदाथ, वन प त, त व, पश-ु प ी इ या द म अपना वास रखते ह। इसी तरह ऋ षय ने पा रवा रक सद य और आसपास के लोग म भी ह का
त न ध व बताया है । माता- पता दोन के संयोग से कसी जातक का ज म होता है इस लए सय
ू आ मा के साथ-साथ पता का त न ध व करता है और चं मा मन के साथ-
साथ मां का त न ध व करता है । 

योग शा म दा हने वर को सय
ू और बाएं को चं मा कहा गया है । वास ह जीवन है और इसको दे ने वाले सय
ू और चं ह। योग ने इस वास को ाण कहा है । आजकल
यो तष म तरह-तरह के उपाय च लत ह पर तु यि त के आचरण संबंधी और जीव के नकट संबं धय से जो उपाय शा म व णत ह कदा चत वे चलन म नह ं रह गए ह। 

य द कंु डल म सय
ू अशभ
ु ि थ त म हो, नीच का हो, पी ड़त हो तो कम वपाक स ांत के अनस
ु ार यह माना जाता है क पता ट रहे ह गे तभी जातक सय
ू क अशभ
ु ि थतम
ज म पाता है । सय
ू के इस अ न ट प रहार के लए इस ज म म जातक को अपने पता क सेवा करनी चा हए और ात: उनके चरण पश करे और अ य सांसा रक याओं से
उ ह स न रख तो सय
ू अपना अशभ
ु फल कम कर सकते ह। 

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य द सय
ू ह ट ह तो पता को स न कर, चं ट है तो माता को स न कर, मंगल ट है तो भाई-बहन को स न कर, बध
ु ट है तो मामा और बंधओ ु ं को सTranslate
न कर, »
गु ट है तो गु जन और व ृ को स न कर, शु ट है तो प नी को स न कर, श न ट है तो दास-दासी को स न कर और य द केतू ट है तो कु ठ रोगी को स न
कर। यो तष ंथ के अनस
ु ार य द हम ेम-स कार और आदर का भाव रख कर ह के त यवहार कर तो ट ह क नाराजगी को शांत कया जा सकता है । 

१३. कंु डल म बध
ु कमजोर हो तो या कर :-

घर म तल
ु सी का पौधा लगाएं, बध
ु वार के दन तल
ु सी प ते को शाद के प म हण कर। 

बध
ु वार के दन हरे रं ग क चू डयां हजड़े को भट व प द। 

हर स जी अथवा दाल पकाएं। 

हरा चारा गाय को खलाएं। 

बध
ु वार के दन गणेश जी के मं दर म जाए णाम करने के उपरांत मोदक का भोग लगाएं तथा ब च म बांट द। 

तोता पालने से बध
ु ह क अनक
ु ू लता बढ़ती है । 

येक बध
ु वार को ॐ बंु बध
ु ाय नम: के जाप क 2 माला कर। 

पांच बध
ु वार तक पांच क याओं को हरे व दान कर। 

बध
ु वार के दन उपहार आ द म बध
ु से संबं धत व तए
ु ं ना ल। 

त बध
ु वार गर ब को हरे मंग
ू का दान कर। 

त बध
ु वार त-उपवास कर। 

आपक कंु डल के अनस


ु ार यो तषी से सलाह लेकर बध
ु का र न व प ना धारण कर सकते ह। 

१४. कंु डल और मंगल ह :-

ववाह संबंध म मंगल दोष मख


ु यवधान होता है और कई बार अ ानतावश भी मंगल वाल कंु डल का हौआ बना दया जाता है और जातक का ववाह हो ह नह ं पाता। मंगल
वभाव से तामसी और उ ह है । यह िजस थान पर बैठता है उसका भी नाश करता है िजसे दे खता है उसक भी हा न करता है । केवल मेष व विृ चक रा श ( व ह ) म होने पर
यह हा न नह ं करता। जब कंु डल म मंगल थम, चतथ
ु , स तम, अ टम या वादश थान म हो तो प का मांग लक मानी जाती है । 

* थम थान का मंगल सातवीं ि ट से स तम को व चतथ


ु ि ट से चौथे घर को दे खता है । इसक ताम सक विृ त से वैवा हक जीवन व घर दोन भा वत होते ह। 

* चतथ
ु मंगल मान सक संतल
ु न बगाड़ता है , गह
ृ सौ य म बाधा पहुँचाता है , जीवन को संघषमय बनाता है । चौथी ि ट से यह स तम थान यानी वैवा हक जीवन को भा वत
करता है । 

* स तम मंगल जीवनसाथी से मतभेद बनाता है व मतभेद कई बार तलाक तक पहुँच सकते ह। 

* अ टम मंगल संत त सख
ु को भा वत करता है । जीवन साथी क आयु कम करता है । 

* वादश मंगल ववाह व शै या सख


ु को न ट करता है । ववाह से नक
ु सान व शोक का कारक है । 

 कब न ट होता है यह दोष :- 

* मंगल गु क शभ
ु ि ट म हो 

* कक व संह ल न म (मंगल राजयोगकारक ह है ।) 

* उ च रा श (मकर) म होने पर। 

* व रा श का मंगल होने पर 

* शु , गु व चं शभ
ु होने पर भी मंगल क दाहकता कम हो जाती है । 

* प का मलान करते समय य द दस


ू रे जातक क कंु डल म इ ह ं थान पर मंगल, श न या राहु हो तो यह दोष कम हो जाता है                                                                  
 

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कंु डल पढ़ना सीख  Translate »

१. माता- पता क कंु डल और संतान :-

पव
ू ज म तथा वतमान ज म म जातक वारा कए गए कम के फल से जातक के भा य का नमाण होता है परं तु जातक के भा य नमाण म जातक के अलावा अ य लोग के
कम का भी योगदान रहता है । ाय: लोग इस ओर यान नह ं दे त।े

कहा जाता है क बाढ़ ह पु पता के धमा। पव


ू ज के कम भी उनक संतान के भा य को भा वत करते ह। दशरथ ने वण कुमार को बाण मारा िजसके फल व प माता- पता के
शाप के कारण पु वयोग से म ृ यु का कमफल भोगना पड़ा। कं तु इसका प रणाम तो उनके पु , पु वधू समेत परू े राजप रवार यहां तक क अयो या क जा को भी भोगना
पड़ा।

कहा जाता है क संग त गुण अनेक फल। घन


ु गेहूं क संग त करता है । गेहूं क नय त च क म पसना है । गेहूं से संग त करने के कारण ह घन
ु को भी च क म पसना पड़ता
है । दे खा जाता है क कसी जातक के पी ड़त होने पर उसके संबंधी तथा म भी पी ड़त होते ह। इस ि ट से स जन का संग साथ शभ
ु फल और अपरा धय द ु ट का संगसाथ
अशभ
ु फल क पव
ू सच
ू ना है । कसी भी अपराधी से संपक उसका आ त य या उपहार वीकार करना भयंकर दभ
ु ा य वपि त को आमं ण दे ना है ।

अत: यश-अपयश, उ चत-अनु चत का हर समय वचार करके ह कोई काम करना चा हए, य क इ ह ं से सख
ु द-दख
ु द ि थ तयां बनती ह।

माता- पता क कंु डल से उनक संतान पु -पु ी के भा य के रह य कट होते ह। अत: कंु डल दे खते समय इन बात का यान रखना चा हए।

२. भगवान ीकृ ण जी क कंु डल क ववेचना :-

वापर यग
ु म भगवान ीकृ ण ने भा पद क अ टमी बध
ु वार रो हणी न म अवतार लया। भगवान ीकृ ण ने अपनी महान ल लाआ◌ के मा यम से समाज को बताया क
महान यि तय ं को न केवल क ठनाइय को बदा त करना पड़ता है , बि क उनसे यार भी करना पड़ता है । 

भगवान ीकृ ण ने महाभारत म अपने वराट व प का दशन कराते हुए अजन


ु को द य ान दे ते हुए संदेश दया क शां त का माग ह ग त एवं सम ृ का रा ता है जब क
यु का माग सीधे मशान ले जाता है । भगवान ीकृ ण क कंु डल म पण
ू पु ष कृ ण योगी और पंचम भाव म ि थत उ च के बु ने जहां उ ह वाकचातय ु , व वध, कला व
बनाया, वह ं बना ह थयार से वाकचातय
ु से क ठन से क ठन काय भी स कए तथा वगह
ृ बह
ृ प त ने आय भाव म, नवम भाव म ि थत उ च के मंगल ने और श ु भाव म
ि थत उ च के श न ने वीरा णी और परम परा मी बनाया। 

माता के थान म ि थत वगह


ृ सय
ू ने माता- पता से दरू रखा। स तमेश मंगल और ल म ि थत उ च के च ने तथा वगह ृ शु ने गोपी गण से वत र सक शरोम ण और
कला ेमी सौ दय-उपासक बनाया। लाभ घर के बह
ृ प त , नवम भाव म उ च के मं ग ल, छठे भाव म ि थत उ च के श न, पं च म भाव म ि थत उ च के बध
ु और चतथु भाव म
ि थत उ च के सय
ू ने महान पु ष, श ह
ु ता, त व , वजयी, जननायक और अमर क तकारक बनाया। 

इ ह ं ह के वराजमान होने के कारण तथा ल म उ च के सय


ू के कारण चंचल ने , सम ृ शाल , ऐ वयवान एवं वैभवशाल च वत राज योग का नमाण कया। भगवान
ीकृ ण ने महाभारत म अधम पर धम क वजय क पताका फहराई पांडव पी धम क र ा क एवं कौरव पी अध मय का नाश कया।

३. कंु डल म ह तथा वा तु का सम वय :-

मानव सव े ठ ाणी है , अत: सख


ु शां तपव
ू क रहने के लए आवास म वा तु क ज रत होती है । नए घर के नमाण के लए भू म चयन, भू म पर ा, भख
ू ंड का आकार- कार,
भवन नमाण व ध एवं पंच त व पर आधा रत कमर का नमाण इ या द बात के बारे म जानकार आव यक है ।

ज म कंु डल म चौथे भाव पर शभ


ु ह के अभाव व भावेश के बलाबल के आधार पर मकान सख
ु के बारे म जानकार ा त होती है तथा चौथे भाव भावेश अथवा इन पर ि ट
डालने वाले ह अथवा चौथे भाव भावेश का वामी िजस न पर हो, उस न वामी क दशा-अंतदशा से मकान का सख
ु ा त होता है ।

 मं : ओम नमो वै वानर वा तु पाय भप


ू त एवं मे दे ह काल वाहा।

 भख
ू ंड का आकार आयताकार, वगाकार, चतु कोण अथवा गोलाकार शभ
ु होता है ।

भू म पर ण के म म भख
ू ंड के म य म भू वामी अपने एक हाथ से ल बा चौड़ा व गहरा ग ढा खोदकर उसे उसी म ी से भरने पर म ी कम हो जाने से अशभ
ु ले कन सम या
म ी शेष रहने म उ तम जान। दोष- नवारण के लए उस ग ढे म अ य जगह से शु म ी लाकर भर द। खद
ु ाई करने पर चू डय़ां, ऐनक, सप, ब छू, अंडा, परु ाना कोई व या
ई नकले तो अशभ
ु जान। नवारण के लए उपरो त मं को कागज म लख कर सात बार पढ़कर पव
ू दशा म जमीन म गाड़ द।

४. कंु डल म जा नए आपक प नी कैसी होगी? :-

हर पु ष क तम ना होती है क उसे संद


ु र प नी मले। इसी लए हर पु ष अपनी होने वाल प नी के बारे म जानने के लए उ सा हत रहता है ले कन वह सोच नह ं पाता क वह
ऐसा कैसे कर?

ये सब जानने के लए अपनाइए ये आसान सा तर का। जी हां इस तर के से आप खद


ु ह जान लगे क आपक प नी संद
ु र होगी या साम य प रं ग क । यो तषशा के अनस
ु ार
कंु डल का सातवां घर ववाह थान होता है । अगर कु डल म शु पहले घर म बैठा हो या गु से सातव घर म शु बैठा है तो संद
ु र प नी ा त होती है ।

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
सातव घर म जो रा श है उस रा श के वामी ह को शु दे ख रहा हो या गु सातव घर म बैठा है तो संद
ु र जीवनसाथी ा त होता है । कंु डल म अगर शु सातव घर म Translate
तलु ा, वष
ृ »
या कक रा श म बैठा है तो आपक प नी गोरे रं ग क होगी और उसके नयन न श आकषक ह गे।

५. ॉपट म नवेश और ह क चाल :-

जमीन-जायदाद म नवेश करना आज के समय म फायदे का यापार सा बत हो रहा है । ॉपट म नवेश के ह न का संबंध यो तष से बहुत गहरा होता है । कस यि त को
ॉपट म नवेश से फायदा होगा, इसका नधारण उसक ज मप ी म इस यापार से संबं धत ह व भाव के अवलोकन से हो सकता है । ॉपट म नवेश करने से पहले इन ह
को जान लेना ज र होता है ।

ज म कंु डल के चतथ
ु भाव से जमीन-जायदाद तथा भ-ू स पि त के बारे म वचार कया जाता है । य द चतथ
ु भाव तथा उसका वामी ह शभ
ु रा श म, शभ
ु ह या अपने वामी
से यत
ु या ट हो, कसी पाप ह से यत
ु या ट न हो तो, जमीन संबंधी यापार से शभ
ु फल क ाि त होती है । भू म का कारक ह मंगल है । अत: कंु डल म चतथ
ु भाव,
चतथ
ु श तथा मंगल क शभ
ु ि थ त से भू म संबंधी यापार से फायदा होगा।

भू म के यापार म जमीन का य- व य करना, ॉपट म नवेश कर लाभ म बेचना, दलाल के प म काम करना तथा कॅालोनाइजर के प म क म काटकर बेचना इ या द
शा मल है , ऐसे सभी यापार का उ े य आय बढ़ाकर धन कमाना होता है । अत: भू म से संबं धत ह का शभ
ु संयोग कंु डल के धन ( वतीय) तथा आय (एकादश) भाव से भी
होना आव यक है ।

चतथ
ु भाव का वामी एवं मंगल उ च, व ह अथवा मल
ू कोण का होकर शभ
ु यु त म हो तथा धनेश, लाभेश से संबंध बनाए तो ॉपट के कारोबार से उ तम फल क ाि त
होती है । इसी कार चतथ
ु भाव का वामी धनेश, लाभेश, ल न अथवा दशम भाव के वामी से रा श प रवतन करे तो, उस यि त को भू म के य- व य से धन लाभ होता है ।

६. धन लाभ कब और कैसे? :-

जमीन-जायदाद म नवेश करना आज के समय म फायदे का यापार सा बत हो रहा है । ॉपट म नवेश के ह न का संबंध यो तष से बहुत गहरा होता है । कस यि त को
ॉपट म नवेश से फायदा होगा, इसका नधारण उसक ज मप ी म इस यापार से संबं धत ह व भाव के अवलोकन से हो सकता है । ॉपट म नवेश करने से पहले इन ह
को जान लेना ज र होता है ।

ज म कंु डल के चतथ
ु भाव से जमीन-जायदाद तथा भ-ू स पि त के बारे म वचार कया जाता है । य द चतथ
ु भाव तथा उसका वामी ह शभ
ु रा श म, शभ
ु ह या अपने वामी
से यत
ु या ट हो, कसी पाप ह से यत
ु या ट न हो तो, जमीन संबंधी यापार से शभ
ु फल क ाि त होती है । भू म का कारक ह मंगल है । अत: कंु डल म चतथ
ु भाव,
चतथ
ु श तथा मंगल क शभ
ु ि थ त से भू म संबंधी यापार से फायदा होगा।

भू म के यापार म जमीन का य- व य करना, ॉपट म नवेश कर लाभ म बेचना, दलाल के प म काम करना तथा कॅालोनाइजर के प म क म काटकर बेचना इ या द
शा मल है , ऐसे सभी यापार का उ े य आय बढ़ाकर धन कमाना होता है । अत: भू म से संबं धत ह का शभ
ु संयोग कंु डल के धन ( वतीय) तथा आय (एकादश) भाव से भी
होना आव यक है ।

चतथ
ु भाव का वामी एवं मंगल उ च, व ह अथवा मल
ू कोण का होकर शभ
ु यु त म हो तथा धनेश, लाभेश से संबंध बनाए तो ॉपट के कारोबार से उ तम फल क ाि त
होती है । इसी कार चतथ
ु भाव का वामी धनेश, लाभेश, ल न अथवा दशम भाव के वामी से रा श प रवतन करे तो, उस यि त को भू म के य- व य से धन लाभ होता है ।

७. कंु डल और भा य उदय :-

यि त जीवन म सफल हो तो जीवन म खु शयां अपने आप आ ह जाती ह ले कन असफल होने पर सारे सख


ु -साधन यथ और जीवन नीरस लगने लगता है । जीवन म ऊजा
आ म व वास बनकर हमारे यि त व म झलकती है तो सफलता बनकर क रयर म। िजतना हमारे यवि तगत गुण और सं कार मह व रखते ह, उतना ह मह व रखता है
हमारा भा य और हमारे आसपास के वातावरण म मौजद
ू अ य ऊजाशि तयां । 

हक कत म धन ध+न का रह य वे ह समझ पाएं है जो ध यानी भा य और न यानी जो खम द नो को साथ लेकर चलते रहे ह। ज म कंु डल म िजस थान पर धनु और विृ चक
रा शयां ह गी उसी थान से धन कमाने के रा ते खल
ु गे। जब जो खम है तो भा य को आगे आना ह है , जब तक जो खम नह ं है तब तक भा य भी नह ं है । 

गु सोना है तो मंगल पीतल अब होता यह है क ऐसी अव था म जब भी मंगल और गु क यु त हो जाती है तो पीतल सोने क चमक को दबाने लगता है । सोने म मलावट होनी
शु हो जाती है अथात का बल होते हुए भी आपक मताओं का उ चत मू यांकन नह ं होता। आपसे कम गुणी लोग आपको ओवरटे क करके आगे नकल जाते ह और धन कहां से
बचना है जब यय के प म मंगल व रोग के प म शु ल न म बनने वाले धनप त योग को तबाह करने पर तल
ु जाते ह तो पैसा आने से पहले उसके जाने का रा ता तैयार
रहता है । 

ऐसी अव था म कसी व श ट व वान के परामश से सवा सात र ती का पख


ु राज धारण कर। त दन माथे पर च दन का तलक लगाएं, शु को हावी न होने द अथात महं गी
बेकार क व तए
ु ं न खर द ,खाने पीने ,पाट दावत,व महं गे प रधान पर बेकार खच न कर। 

कंु डल म ल न से नवां भाव भा य थान होता है । भा य थान से नवां भाव अथात भा य का भी भा य थान पंचम भाव होता है । वतीय व एकादश धन को क ोल करने वाले
भाव होते ह। तत
ृ ीय भाव परा म का भाव है .अततः कंु डल म जब भी गोचरवश पंचम भाव से धनेश, आएश, भा येश व परा मेश का स ब ध बनेगा वो ह समय आपके जीवन
का शानदार समय बनकर आएगा। ये स ब ध चाहे ह क यु त से बने चाहे आपसी ि ट से बन।

या होती ह काल पु ष क कंु डल :-

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काल पु ख िजसक क पना हम यो तष शा म करते ह और िजसके रचयता माजी ह और जो स परू ण जातक का त न धतव भी करता है वह असल म कस Translate
कार से »
काय करता है !

यहाँ पर वचारणीय बात ये भी है क िजस लाल कताब का आज इतना चार कया जा रहा है वो भी इसी काल पु ख लगन से े रत है और उसका मह व उपचार पर यादा है .

इसी कार से अंक व या केपी स टम जो क बहुत ह सट कता से फोरकाि टं ग करता है और न जाने कतने स टम ह यो तष व या म वे सब के सब अपने आप म मह व
परू ण माने जाते ह पर उन सब का आधार यह काल पु ख कंु डल माना जाता है

इसके बाहर तो यो तष शा क क पना करना भी बेकार है !

१ . थम भाव :-

उसम काल पु ख क मेष रा श यानी एर ज जो डएक पड़ता है और िजसका के वा म व हम मंगल गह


ृ को मानते ह वह मंगल फर अ टम भाव का भी वामी मन जाता है य
क उसक दस
ू र रा श विृ चक वहां पड़ती है और दोन रा शय का अपना अलग भाव मन जाएगा .

तो हम बात कर रहे थे पहले भाव क वहां मेष राशी िजसका वामी मंगल को माना जाता है व धर िजसे हम खन
ू भी कहते है का शर र म त न धतव करता करता है और
मंगल को हम उ साह व उजा का कारक भी मानते ह दस
ु रे वहां पर सय
ू उ च का मन जाता है वह भी उजा का कार मन जाता है तो दोन मंगल और सय
ू उजा के कारक होने के
साथ साथ अि न के कारक भी है इस लए ये जीवन के संचालक गह
ृ थम भाव के कारक बनाये गए जो क परू ण तया तकसंगत मन जाएगा .

अब मे डकल साइंस के मत
ु ा वक भी इनका यह मतलव नकलता है य को व ान भी यह मानता आया है क ये सारा मा ड एक उजा के आधीन है और मा णत व त
प से सय
ू तो इसका माण है ह .

अब वचार नए बात यह है क जीवन जीने के लए वो भी सह जीवन जीने के लए हम इस उजा का सह सम वय करना पड़ता है नह ं तो हम कह ं न कह ं पछड़ना शु हो जाते
ह सो हम उजा का नेगे टव या पॉिज टव योग करना आना चा हए .

अपनी अपनी पसनल होरो कोप म दे खने पर इन दोन उजा यु त ह का कस कार से बैठे ह

कन कन न म

उप न म और आगे उप उप न म

न मंषा कंु डल म

षोडस वग म

अ टक वग म

पराशर शा अनस
ु ार क लेनेट और न जाने और कतनी व धय अनस
ु ार दे खने के वाद ह ये पता चलता है के वे गह
ृ कतने बलवान ह .

मा एक आधी व ध अपरू ण मानी जाती गयी है और वचार नए बात ये भी है के आज के व त म इस प व शा का मज़ाक बना कर रख दया गया है मा सफ भौ तकता के
चलते ऐसा हो रहा है , य के हर आदमी दो चार कताब पढ़ कर अपने आप को ानी मानने लगता है और आज जब सब कुछ कोम शअल यानी यावसा यक सोच सब पर हावी
हो चक
ु है तो हर चीज क सि टट यानी प व ता ख़तम हो रह है

जब वाथ हावी हो जाए तो अ ल पर पदा पड़ना शु हो जाता है , तो हम यहाँ दे खते ह के इन दोन ऊजाय का हम कैसे सह इ तेमाल करते ह और जैसे के अगर कह ं न कह ं
कोई ह म कमी पव
ू ज नत कम के कारण आ गयी हो तो हम उसमे काफ हद तक सध
ु ार भी ला सकते ह .

हालां क वह सध
ु ार अपनी अपनी ब पावेर या न इ छा शि त करम और भु पर परू ण भरोसा इसी के चलते परू ण हो पाती है

२. कुटु भ व धन भाव :-

बात करते ह दस
ु रे भाव क या न कुटु भ व धन भाव क तो वहां का वा म व शु व्च को दया है और कारक गु को माना गया है , इस लए क शु भौ तक गह
ृ है और
भौ तक सख
ु को ा त करने के लए धन क ज़ रत पड़ती ह है |

वचार नए बात यहाँ ये भी है के गु को दस


ु रे पांचवे नवं और एकादस का कारक भी माना गया है य क सब असल न धय का वामी गु ह होता है जो के कसी के साथ कभी
प पात नह ं करता और अगर ये ह अ धकार दस
ु रे गह
ृ को दया गया होता तो व ज़ र प पात करता तो यह वह
ृ प त का बढ़ पन माना जाता है जो क कसी के साथ कभी
अ याय नह ं करते ह और सबको स बु ध दे ने वाले गह
ृ माने जाते ह !

हम यह भी दे खते ह के दस
ू रा भाव मारकेश का भी मन जाता है वजह चाहे जो भी रह हो मसलन के अ टम जो के आयु का भाव माना गया है उससे अ टम यानी तत
ृ भाव से
दवा ष भाव यानी दस
ू रा भाव इस लए इसे मारकेश माना जाएगा |

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
पर तु दशन के प म दे ख तो यह पता चलता है के शु और च के प म जो हम भौ तकता जब वह
ृ प त पी यू रट को हम ए स लड
ू या न बाहर करना शु करते ह तो »
Translate
वह मारक का काम करना शु कर दे ती है |

हम यहाँ इसको लॉिजकल एंगल से दे ख तो यह न कष नकलता है के बना मतलब का बना मेहनत और गलत तर क से कमाया भौ तक सख
ु आ खरकार हमारे लए मारकेश
का ह काम करे गा.

३. तीसरा और आगे छठा भाव :-

तीसरा और आगे छठा भाव दोन का वामी और कारक बध


ु व मंगल को माना जाएगा यहाँ पर बध
ु भाई बहन का और छठे हाव म बंधू बांधव का जो इए वे भी भाई बहन के
प म हमारे सामने आते ह का कारक बन जाता है |

दस
ू रा है मंगल तो इन दोन ह क इस लए वा म व मला के बध
ु पी लचकता व जब
ु ान से और परा म से ह हम बंधय
ु के साथ इंटरै ट करते ह |

बध
ु यानी जब
ु ान का उ चत योग ह हम सबका म या श ु बनाता है और सह व पॉिज टव मंगल पी साहस और परा म हम वजयी बनाता है !

इस के साथ हम इनके दस
ु रे भाव या न छठे भाव को भी दे ख के जो क श त
ु ा व रोग और ऋण का वामी होता है उस संधभ म हम दे खते ह के दोन ह का सह तालमेल हम
वजेता बनाता है |

श ु का यहाँ लॉिजकल मतलव जीवन पी संघष से है तो यहाँ हम दे खते ह के कैसे वह दोन गह


ृ उन चीज का सह प म नपटारा करते नज़र आते ह और कैसे दो धार तलवार
क तरह बन जाते ह |

४. चतथ
ु भाव :-

चतथ
ु भाव क बात कर तो यह भाव सख
ु का मन जाता है और इस भाव का वामी च और कारक वह ृ प त को माना जाता है ,ये दोन गह
ृ जब आपस म मलते ह तो कंु डल म
एक कार का गजकेसर योग बना दे ते ह | गजकेसर यानी गज का यहाँ मतलब हाथी से है तो केसर शेर को कहते ह जब दोन ताक़तवर मल जाएँ तो या कहना| ठ क इसी
कार से इन दोन ह क क पना क गयी और उ ह सख ु थान का वामी बनाया गया |वैसे भी हम दे ख तो सफ वह ृ प त ह ऐसा गह
ृ नज़र आता है जो सौर मंडल म सबसे
बड़ा और ान का दाता माना गया है अगर और कसी गह ृ को ये अ धकार दे दया होता जैसे शु ाचाय को तो जो के सफ वाहर भौ तक सख
ु का कारक है तो या होता !

चतथ
ु थान माँ का भी माना गया है और यो तष म च को माँ का कारक माना जाता है , माँ के आँचल म ह संतान को सख
ु मलता है !

५. पंचम भाव :-

पंचम भाव का वामी सय


ू और कारक वह गु को बनाया गया य क सय
ू पी काश वारा ह हम पंचम पी व या हण करते ह और इसके संतान कारक होने का कारण भी
यह है के संतान ह अपने माता पता का नाम रौशन करती है | 

इसी पंचम से हर यि त क मान सकता भी दे खी जाती है तो उन कारक क पोजीशन के अनस


ु ार ह हम कोई नणय ले सकते ह ! 

६. सातवाँ भाव :-

सातवाँ भाव प त या प नी और काम का माना जाता है और इसका वामी फर शु बन जाता है | 

शु िजसे हम इस द ु नया म भौ तक सख
ु का कारक मानते ह वह नर यानी मंगल या न धर और मादा यानी शु यानी वर य प से िृ ट का कारण बनता है वैसे भी लॉिजक
एंगल से दे ख तो शर र म इन दोन त व का होना ह जीवन का कारण बनता है ! 

अब यह स तम भाव फर मारक बन जाता है य क जब हम भौ तकता क अ धकता या कह सकते ह के भौ तक सख


ु को ा त करने के एवज म मारकता सहन करनी ह
पड़ती है ! 

७. अ टम भाव :-

अ टम भाव िजसे आयु और क ट का भाव माना जाता है उसका वामी फर वह मंगल और कारक श न बन जाता है तो अगर मंगल उजा के प म हम जीवन दे ता है तो वह
उजा दए और वाती क तरह जब धीमी पड़नी शु हो जाती है तो जीवन ख़तम हो जाता है | 

जैसे िजतना तेल हम द पक म डालगे उतनी ह दे र तक वह जलता रहे गा और उसके बाद उसे बझ
ु ना ह पड़ेगा इसी कर से अ टम भाव काय करता है ! 

८. नवम भाव :-

नवम भाव के बारे म चचा करगे के यह भाव धरम का और भा य का माना जाता है और इसका वामी और कारक सफ एक क गह
ृ बनता है वो है दे व गु वह
ृ प त जो के सम त
सख
ु का कारक है और हम यह स दे श दे ता है के हम मानवता का धम अपनाते हुए ह करमरत रहना चा हए | 

य क चाहे इस संसार म आदमी ने कतने धरम बनाये ह वो अपनी यि तगत सोच और पर परा के अनस
ु ार बनाये जाते ह पर क पु ख ल न के प म ई वर ने सफ एक ह
धरम बनाया जो क सफ मानवता ह है वैसे भी धरम का मतलब होता है धारण करना यानी आप कसी वचार को धारण करते ह और उसके बनाये नयम म चलते ह | 

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ये सब कुछ तभी बनाये गए य क यह संसार व व सं कृ तय के मेल जोल से बनता है और हम एक दस
ु रे का आदर करते हुए सबसे कुछ न कुछ सीखते रहते ह परTranslate
इस चीज़ »
को न भल
ू ते हुए के इ वर को सफ और सफ मानवता का ह धरम अ छा लगता है | 

तभी जब का पु ख कंु डल क मा ने क पना क होगी तो शु पी भौ तकता का याल ना आते हुए

आ याि मक दे व गु वह
ृ प त को ह इस पदवी का हक़दार बनाया गया य क तमाम धरम ंथ व गीता का भी अंत का स दे श सफ मो को ह माना गया िजसका स दे श
योगे वर ीकृ ण ने अजन
ु को दया था और इस पर नरथक वाद ववाद से कोई फायदा नह ं य क मो का कांसे ट बहुत गहरा है जो हर कसी के बस क बात नह ं ! 

१०. दसम भाव और एकादस भाव :-

दसम भाव का वामी और एकादस भाव का वामी सफ श न को माना गया है और कारक दसम भाव का कम को माना गया है दसम भाव ह कम करने क ेरणा दे ता है इसके
और कारक जैसे सय
ू बध
ु भी माने जाते ह पर मु यता श न को इसका अ धकार मलता है | 

वह यारह भाव का वामी भी श न ह बनता है िजसका कारक गु को बनाया गया इससे यह न कष नकलता है क श न पी करम जो के धीमी ग त से चलता रहता है वह
एकादस के प म धीमी ग त से गु के प म कैश लो भी नरं तर दे ता रहता है यानी करम करोगे तभी फल के हकदार बन पायोगे यह श न का स दे श है | 

और श न का एक और भी स दे श है क न काम भाव से कये हुए करम का असल फल गु के प म मलता है | 

श न सफ और सफ करम वो भी असल करम यानी वह करम िजससे कसी को हा न न पहुंचे उसका फल ज़ र अ छा दे ता है और गलत करम हालां क हम कह ं ना कह ं करम
करने को मजबरू भी होते ह पर तु ववेक और बु ध का इ तेमाल तो खद
ु ह करना पड़ता है उस प म भी श न का याय च हम नह ं छोड़ता उसक चाहे िजतनी पज
ू ा कर लो
, त रख लो मं पढ़ लो इससे श न कभी भा वत नह ं होते , श न क कृपा ा त करने के लए हम सह कम करने पढगे तभी श नदे व हमार पक
ु ार सन
ु ेग | 

नह ं तो ये कुछ ऐसा हुआ के कबत


ू र ने ब ल को दे खा और आँख बंद कर ल उससे तो ब ल उसे ज़ र खाएगी सो कम क असल प रभाषा को समझते हुए ह कम करगे तो
ज़ र अ छा फल मलेगा !

११. बारहवां भाव :-

वादस यानी बारहवां भाव माना जाता है उसका वामी भी वह


ृ प त को बनाया गया जो के नवं भा य और धरम का भी वामी है उसका स दे श यह है के अ छे कम करते रहने
से ह मो क ाि त होगी और ये भाव खच का भी बनता है जो यह स दे श दे ता है क अ छे काम म हम अपना धन लगाना चा हए 

और इस संसार म थम भाव के प म जनम लेने के बाद सांसा रक िज मेदा रय का अ छे प से नवहन करने के बाद मो क ाि त क और कदम बढ़ाने चा हय तभी हमारा
जीवन म आने का असल मकसद परू ण हो पायेगा.

जा नए कैसे कर कंु डल का मलान 


कंु ड लय का मलान :-

न न कार क ह ि थ तयां जीवन म कटुता पैदा कर तनाव के लए उ तरादायी हो सकती ह। अत: ऐसी ह ि थ तय म दोन क कंु ड लय का मलान कराने के बाद ह
ववाह करने का नणय करना चा हए।

ज म कंु डल म हो क चाल

श न सय
ू राहु 12व भाव का वामी ( वादशेश ) तथा राहु अ धि ठत रा श का वामी (जैसे राहु मीन रा श म हो तो मीन का वामी गु राहु अ धि ठत रा श का वामी होगा) ये
पांच ह व छे दा मक व ृ त के होते ह।

इनम से क ह ं दो या अ धक ह का यु त अथवा ि ट संबंध ज म कंु डल के िजस भाव/भाव वामी से होता है तो उसे नु सान पहुंचाते ह। अत: स तम भाव अथवा उसके
वामी को इन ह वारा भा वत करने पर दा प य जीवन म कटुता आती है ।

स तम भाव म श न :-

स तमेश ज म ल न से 6 8 12व भाव म हो अथवा नीच श ु े ीय या अ त हो तो वैवा हक जीवन म तनाव पैदा होगा। स तम भाव म श न पाटनर को नीरस बनाता है | 

मंगल से तनाव होता है , सय


ू आपस म मतभेद पैदा करता है । स तम भाव म बध
ु -श न दोन नपंस
ु क ह क यु त यि त को भी (डरपोक) तथा न साह बनाते ह। य द इन
ह ि थ तय के कोई अ य प रहार (काट) अथवा उपाय ज मकंु डल म उपल ध नह ं ह तो ववाह नह ं कर। 

बध
ु तथा शु स तम भाव के कारक :-

बध
ु तथा शु स तम भाव के कारक ह। अत: बध
ु अ लेषा ये ठा या रे वती न म रहते हुए अकेला स तम भाव म हो अथवा शु -भरणी पव
ू ा फा गुनी या पव
ू ाषाढ़ न म
रहते हुए अकेला स तम भाव म हो तथा इन पर कसी अ य ह का शभ
ु भाव नह ं हो तो खल दोष के कारण सख
ु ी दा प य जीवन म बाधक बनगे। 

कल कारक शु वैवा हक तथा यौन संबंध का नैस गक कारक है । अत: शु बल वरा श उ चगत हो अथवा शभ
ु भाव (क - कोण) म ि थत हो तथा द ू षत भाव से मु त
हो तो अ य द ू षत ह का भाव होते हुए भी दा प य जीवन को सख
ु द बनाता है । 
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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
इसके वपर त शु के अशभ
ु भाव म नीचगत अथवा क भाव म होने पर दा प य जीवन के लए क टकारक हो सकता है । इसी कार शु -मंगल क यु त अ त काम क
ु और
Translate »
उ साह बनाती है । सय
ू तथा श न के साथ मलकर शु जातक क यौन शि त को कम करके नीरसता लाता है । इन प रि थ तय म शु ह के उपाय मं दान त करने से लाभ
मलता है । 

* अ टकूट गुण मलान म यान रख :-

• शु भकूट और नाड़ी दोष र हत 18 से अ धक गुण ह तो ववाह शभ


ु मा य होता है । 

• अशु भकूट ( व वादश नवपंचम षड़ा टक) होने पर भी य द म भकूट क ेणी म हो तो 20 से अ धक गुण होने पर ववाह े ठ माना जाता है । 

• श ु षड़ा टक (6-8) भकूट दोष होने पर ववाह नह ं कर। दा प य जीवन म अ न ट क संभावना रहे गी। 

• म षड़ा टक भकूट दोष म भी प त-पि न म कलह होती रहती है । इस लए षड़ा टक भकूट दोष म ववाह करने से सदै व बचना चा हए। 

• नाड़ी दोष के साथ य द षड़ा टक भकूट दोष (चाहे म षड़ा टक हो अथवा दोन क रा शय का वामी एक ह ह हो) हो तो ववाह कदा प नह ं कर। 

• शु भकूट से गुण-दोष का प रहार वत: ह हो जाता है । 

* मेष ल न क कंु डल :-

मेष ल न के कंु डल म स तम भाव का वामी शु व रा श तल


ु ा होती है शु ववाह का कारक है अत: संद
ु र व सु श त वर ा त होगा। शु कला ेमी व स दय के तीक ह अत:
वर घर क साज स जा पर वशेष यान दे गा।

* वष
ृ ल न क कंु डल :-

इस रा श का स तमेश मंगल व रा श विृ चक है , ऐसी क या का प त कम पढ़ा- लखा, गु सैल व खे वभाव वाला होगा। ऐसे जातक का जीवन संघषमय होगा व अ सर कसी
न कसी परे शानी का सामना करते रहना होगा।

* मथन
ु ल न क कंु डल :-

इस ल न क क या के स तम भाव म गु क रा श धनु होती है । ऐसी क या का प त संद


ु र, गौरवशाल होगा। इनको अव ा पसंद नह ं है , ऐसा होने पर ये बहुत ो धत हो जाते
ह। इस ल न क क या बहू पु वान होती है ।

* कक ल न क कंु डल :-

इस ल न का वामी चं मा व स तमेश श न होते ह। ऐसी क याओं के प त अ ययन क बजाय शौक न यादा होते ह, क या क आयु से उ म बड़ा होने क संभावना होती है , 

वभाव से ोधी व परा-शि तय म व वास करने वाला होता है । अपने आ म-स मान क र ा हे तु वह कसी भी कार का याग कर सकता है , परं तु अपने गव पर चोट सहन
नह ं कर सकता।

* संह ल न क कंु डल :-

इस ल न क क या के स तम भाव म भी श न क रा श कंु भ होती है , इस ल न क क या का प त जीवन म अपने ल य क ाि त हे तु क ठन से क ठन मेहनत करने वाला, बड़


क सेवा करने वाला, पर हत व दस
ू र क भलाई करने वाला, गुणवान व े ठ संतान का पता होता है , ऐसा यि त अपना नमाण वयं करता है ।

* क या ल न क कंु डल :-

इस ल न वाल क या के स तम भाव म गु क मीन रा श होती है । ऐसी क या का प त आ थावान, संद


ु र, वाकपटु, धा मक विृ त वाला व भा यशाल होता है ।

* तल
ु ा ल न क कंु डल :-

तल
ु ा ल न क क या का स तमेश मंगल व रा श मेष होती है । वर ोधी वभाव, िज ी, बात-बात पर कलह करने वाला व अशांत वातावरण बनाए रखने वाला होता है । ऐसा
यि त हमेशा वयं के बारे म ह सोचता है कसी अ य के बारे म नह ,ं जो तर इस यि त का होता है उससे अ धक दशन क आदत होती है य य प इनका वैवा हक जीवन
सख
ु मय व सफल रहता है ।

* विृ चक ल न क कंु डल :-

इस ल न क क या का स तमेश शु व रा श वष
ृ होती है । ऐसा यि त शांत वभाव, कमयोगी, कसी वशेष वधा म वीण व भावक
ु क म का यि त होता है । इस क या के
गु से व गम मजाज को इसका प त सहजता से आ मसात कर लेता है व दांप य-जीवन म मधरु ता बनाए रखने का यास करता रहता है ।

* धनु ल न क कंु डल :-

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
धनु ल न क क या के स तम भाव म बध
ु क मथन
ु रा श होती है , ऐसी क या का प त यावसा यक विृ त वाला, शाल न, उ च वचार व भा यशाल होता है । संद
ु रताTranslate
का पज
ु ार »
व हमेशा साफ सफाई पसंद करने वाला होता है ।

* मकर ल न क कंु डल :-

इस ल न क क या के स तम भाव म चं मा क कक र श होती है ऐसी क या का प त वभाव से िज ी व दोहरे वभाव वाला,मधरु वाणी व भावक


ु व ृ त वाला होता है ।
अनश
ु ासन,भय क बजाय भावनाओं से इन पर नयं ण कया जा सकता है । ऐसे यि तय म वषम प रि थ तय को सहन करने क आदत कम होती है ।

* कु भ ल न क कंु डल :-

इस ल न वाल क या का प त अपनी बात पर अ डग रहने वाला, वभाव से ोधी, दस


ू र क सलाह नह ं मानने वाला होता है । संद
ु रता से इ ह कोई मतलब नह ,ं येक यि त
से मेल-मल
ु ाकात करना इनका वभाव होता है । ऐसा यि त कसी भी कार से हर हालात को अपने अनु प करने म वीण होता है । झूठ से इनको चढ़ होती है ।

* मीन ल न क कंु डल :-

मीन ल न वाल क या के स तमेश बध


ु व रा श क या होती है । वर संद
ु र व मद
ृ भ
ु ाषी होने के साथ-साथ कम बोलने वाला, हं समख
ु वभाव व बात बात पर शरमाने वाला होता है ।
मन म अनेक इ छाएं रखते हुए भी अपने यि त व पर उन इ छाओं को हावी नह ं होने दे ता ह |

कंु डल म सरकार नौकर के योग

य दशक /पाठक , कसी भी यि त के जीवन म हो रह ं, छोट या बड़ी हर कार क घटनाओं के लए कंु डल के ह का बहुत बड़ा हाथ होता है । कंु डल म िजस कार का ह
शि तशाल होता है उसी कार के प रणाम भी यि त को ा त होते ह। कई बार ऐसा होता है क अथक मेहनत और प र म के बाद भी यि त को सरकार नौकर ाि त म
सफलता नह ं मल रह होती है । आपक जानकार के लए बता द क सरकार नौकर का नधारण यि त क यो यता, श ा, अनभ
ु व के साथ-साथ उसक ज मकंु डल म बैठे
ह योग के कारण भी होता है । आइये जानते ह क वह कौन-से ह योग होते ह जो सरकार नौकर ाि त म मदद करते ह।

सरकार नौकर के लए कंु डल म न न योग का होना शभ


ु माना जाता है …

यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी के अनस


ु ार कंु डल म दशम थान को (दसवां थान) को काय े के लए जाना जाता है । सरकार नौकर के योग को दे खने के लए इसी घर
का आंकलन कया जाता है । दशम थान म अगर सय
ू , मंगल या ह प त क ि ट पड़ रह होती है तो सरकार नौकर का बल योग बन जाता है । कभी-कभी यह भी दे खने म
आता है क जातक क कंु डल म दशम म तो यह ह होते ह ले कन फर भी जातक को संघष करना पड़ रहा होता है तो ऐसे म अगर सय
ू , मंगल या ह प त पर कसी पाप ह
(अशभ
ु ह) क ि ट पड़ रह होती है तब जातक को सरकार नौकर ाि त म द कत का सामना करना पड़ता है । अतः यह ज र है क आपके यह ह पाप ह से बचे हुए
रह।

अगर जातक का ल न मेष, मथन


ु , संह, विृ चक, वष
ृ या तल
ु ा है तो ऐसे म श न ह और गु ( ह प त)  का एक-दस
ू रे से क या कोण म होना, सरकार नौकर के लए अ छा
योग उ प न करते ह।

क म अगर च मा, ह प त एक साथ होते ह तो उस ि थ त म भी सरकार नौकर के लए अ छे योग बन जाते ह। साथ ह साथ इसी तरह च मा और मंगल भी अगर
के थ ह तो सरकार नौकर क संभावनाय बढ़ जाती ह।

यो तषाचाय पं डत दयान द शा ी के अनस


ु ार कंु डल म दसव घर के बलवान होने से तथा इस घर पर एक या एक से अ धक शभ
ु ह का भाव होने से जातक को अपने
क रयर े म बड़ी सफलताएं मलतीं ह तथा इस घर पर एक या एक से अ धक बरु े ह का भाव होने से कंु डल धारक को आम तौर पर अपने क रयर े म अ धक सफलता
नह ं मल पाती है । 

यो तष के अ दर इस तरह क सम या के लए उपयु त उपचार भी मौजद


ू ह। जातक क कंु डल का परू ा आंकलन करने के बाद ह उपाय को सझ
ु ाया जा सकता है । जो शभ
ु ह
कमजोर ह उ ह बलवान बनाकर और अशभ
ु ह को शांत कर, इस तरह क सम याओं का अंत कया जा सकता है ।

महाल मी योग, नप
ृ योग, गजकेसर योग, पा रजात योग, छ योग

ये योग आपके जीवन के हर काय से जड़


ु े है और य द ये आपके प म है तो आपको कसी भी तरह से कभी भी कोई परे शानी नह उठानी पड़ेगी और आपको आपके हर काय म
सफलता ज र ाि त होगी. आपक कंु डल म नौकर से स बं धत ह योग के बारे म ह आज हम आपको कुछ ज र बाते बताना चाहगे.

1. जब आपक कंु डल के 10 भाव म मंगल मकर रा श हो तब आपको एक अ छ सरकार नौकर क ाि त होगी.

2. अगर आपक राशी म मंगलवार बलवान होकर 1, 4, 7, 10 वे भाव म से कसी भी भाव म हो या फर 5 या 9 वे भाव म भी ह गे तब भी आपको एक अ छ नौकर क ाि त
होगी.

3. य द आपक कंु डल म मंगल वरा श म या फर म राशी का होकर 10 वे भाव म हो तो आपको आपक नौकर म तर क मलेगी.

4. िजन पु षो क कंु डल म 8 वे भाव के अ त र त अ य कसी भाव म उ च राशी का हो, तो उन लोगो को भी अ छ नौकर क ाि त ज र होगी.

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8/30/2019 ज म कंु डल ज म कंु डल कैसे दे खी जाती है ज मकंु डल janm kundli , janmkundli
5. और अगर आपक कंु डल म 10 वे भाव म सय
ू हो, साथ ह गु उ च राशी म, वरा श म या म राशी म हो तो इससे भी आपके जीवन म एक अ छ सरकार नौकर के योग »
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बनते है .

6. य द आपक कंु डल के क म कसी उ च राशी का ह व यमान हो और उसके साथ साथ आपक कंु डल के क पर कसी शभ
ु हक ट हो या फर आपक कंु डल के 10
वे भाव म कसी शभ
ु ह का वास हो या फर उसक ट भी हो तो इससे भी आपके नौकर म ऊँचे पद क स भावना बढती है .

7. अगर आपक कंु डल म ल नेश क ल न पर ट हो या फर मंगल क दशमेश म यु त हो तो इस तरह से भी आपको अ छ नौकर क स भावना बढती है .

8. इसके अलावा भी अगर आपके ल नेश या दशमेश म यु त हो तब भी आपको एक अ छ नौकर क ाि त होगी.

तो एक अ छ नौकर क ाि त के लए आपको अपनी कंु डल के इन ह और योगो को यान म रखना ज र होता है , आपको एक अ छ नौकर क ाि त ज र होगी. 

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कैसा होगा साल 2019 : मेष रा श का वा षक रा शफल : ARIES HOROSCOPE 2019
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