You are on page 1of 1

Poem

पास हो..खास हो..

एक अलग सा एहसास हो..

मेरे ललए तो तुम शायद ..

वो ऊंचा सा आकाश हो..

बह रही है लिसमें लिश्छल..

ज्ञाि की तेरी एक गंगा..

मािो मुझको रोक रही..

बिा बिा के वो मृदंगा..

लमलकर तुझे लगा है ऐसा..

पा ललया िग सरा िैसा..

चल पडा ये लकस्सा मेरा..

िबसे बिा तू लहस्सा मेरा..

You might also like