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जब सीमा के इस पार पडी थीीं लाशें

तब सीमा के उस पार पडी थीीं लाशें

ससकुडी सििरी नींगी अनजानी लाशें

वे उधर से इधर आ करके मरते थे

या इधर से उधर जा करके मरते थे

यह बहस राजधानी में हम करते थे

हम क्या रुख़ लेंगे यह इस पर सनर्भर था

सकसका मरने से पहले उनको डर था

र्ु खमरी के सलए अलग-अलग अफ़सर थ

इतने में दोनोीं प्रधानमींत्री बोले

हम दोनोीं में इस बरस दोस्ती हो ले

यह कह कर दोनोीं ने दरवाजे खोले

परराष्ट्र मींसत्रयोीं ने दो सनयम बताए

दो पारपत्र उसको जो उडकर आए

दो पारपत्र उसको जो उडकर जाए

पै दल को हम केवल तब इज़्ज़त दें गे

जब दे कर के बींदूक उसे र्े जेंगे

या घायल से घायल अदले-बदलेंगे

पर कोई र्ू खा पै दल मत आने दो

समट्टी से समट्टी को मत समल जाने दो

वरना दो सरकारोीं का जाने क्या हो

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