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ब��कंग
�वशेष संस्करण
तथ्यात्मक ब��कंग सामान्य �ान
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विषयसच
ू ी
बैंक िं ग इतिहास और बैंक िं ग में सभी प्रथम ............................................................................................................................. 4
वित्तीर् समािेशन.................................................................................................................................................................... 12
अतनिासी भारिीर्ों/भारिीर् मल
ू े व्र्स्तिर्ों े खािे........................................................................................................ 17
बैंक िं ग सिंबध
िं ी र्ोर्नाएिं........................................................................................................................................................... 24
मद्र
ु ातफीति सच
ू ािं बॉन्ड (IIBs) ......................................................................................................................................... 33
धन-प्रेषण / विप्रेषण (धन अिंिरण सेिा र्ोर्ना (MTSS) और रूपर्ा आहरण व्र्ितथा (̈RDA)....................................... 43
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त्िररि सध
ु ारात्म किर्ा (PCA) ......................................................................................................................................... 45
दृस्ष्ट्टबिंध .............................................................................................................................................................................. 45
धगरिी ..................................................................................................................................................................................... 46
बिंध ...................................................................................................................................................................................... 46
भग
ु िान और तनपटान प्रणाली (PSS) अधधतनर्म, 2007 ................................................................................................... 50
भारि बबल भग
ु िान प्रणाली (BBPS) .................................................................................................................................. 50
ित् ाल भग
ु िान सेिा (IMPS) ............................................................................................................................................. 51
ए ी ृ ि भग
ु िान इिंटरफेस (UPI).......................................................................................................................................... 51
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बैंक एक प्रकार का वित्तीय संगठन है , जो जमा स्िीकार करता है , जजसे मांग होने पर िापस लिया/ननकािा
जा सकता है और जरूरतमंद व्यजततयों और व्यािसानयक घरानों को धन उधार दे ता है ।
बैंक ऑफ़ हहंदस्
ु तान भारत का पहिा बैंक है जजसकी स्थापना सन 1770 में हुई थी और इसे सन 1829-32
में बंद कर हदया गया था और सन 1786 में जनरि बैंक ऑफ इंडिया का स्थापना ककया गया िेककन 1791
में विफि हो गया।
स्टे ट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) सबसे बडा और सबसे पुराना बैंक, जो अभी भी अजस्तत्ि में है । यह जून
1806 में बैंक ऑफ किकत्ता के रूप में उभरा। सन 1809 में इसका नाम बदिकर बैंक ऑफ बंगाि रखा
गया।
बैंक ऑफ बंगाि, बैंक ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास की स्थापना एक प्रांतीय सरकार द्िारा की गई थीं
और सन 1921 में इनका वििय करके इंपीररयि बैंक ऑफ इंडिया की शुरुआत की गई, जो भारत की
आजादी के बाद सन 1955 में स्टे ट बैंक ऑफ इंडिया बन गया।
भारतीय ररजिव बैंक अधधननयम, 1934 के तहत िर्व 1935 में भारतीय ररजिव बैंक की स्थापना की गई थी।
सन 1969 में भारत सरकार ने 14 प्रमुख ननजी बैंकों को राष्ट्रीयकृत ककया, उन बडे बैंको में एक ‘बैंक ऑफ
इंडिया’ था। सन 1980 में , 6 और ननजी बैंकों को राष्ट्रीयकृत ककया गया।
सन 1991 में नरलसम्हा सलमनत ने बैंककंग क्षेत्र के सुधारों का पहिा ब्िू वप्रंट हदया।
ररजिव बैंक का केंद्रीय कायाविय आरं भ में किकत्ता में स्थावपत ककया गया था िेककन सन 1937 में यह
स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतररत हो गया। केंद्रीय कायाविय िह जगह है , जहां गिनवर बैठता है और जहां
नीनतयां तैयार की जाती हैं।
ररज़िव बैंक के मामिों को केंद्रीय ननदे शक मंिि/बोिव द्िारा ननयंत्रत्रत ककया जाता है । बोिव की ननयुजतत
भारतीय ररज़िव बैंक अधधननयम को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्िारा की जाती है ।
• संविधान:
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→ आधधकाररक ननदे शक
पूणक
व ालिक: गिनवर और चार से अधधक िेप्युटी गिनवर नहीं
→ गैर-आधधकाररक ननदे शक
सरकार द्िारा मनोनीत: विलभन्न क्षेत्रों के दस ननदे शक और दो सरकारी अधधकारी
अन्य: चार ननदे शक - चार स्थानीय बोिों में से प्रत्येक से एक
आरबीआई े ार्य:
• बैंककंग पररचािनों के व्यापक मानकों को ननधावररत करता है , जजसके अंतगवत दे श की बैंककंग और वित्तीय
प्रणािी कायव करती है ।
• िह मुद्रा और लसतके जो संचिन के लिए उपयुतत नहीं है , उन्हें जारी और बदिी या नष्ट्ट करता है ।
• सरकार का बैंकर: केंद्रीय और राज्य सरकारों के लिए व्यापारी बैंककंग कायव करता है और उनके बैंकर के
रूप में भी कायव करता है ।
मद्र
ु ा ा इतिहास
पहिी बार त्रिहटश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान कागजी मुद्रा जारी की गई थी। 18िीं शताब्दी के
अंनतम दौर में बैंक ऑफ हहंदस्
ु तान और प्रांतीय बैंक जैसे ननजी बैंकों द्िारा पहिी बार पेपर मुद्रा जारी की
गई थी।
कागजी/पेपर मद्र
ु ा अधधननयम, 1861 के बाद ही भारत सरकार को मद्र
ु ा छापने के लिए एकाधधकार हदया गया
था।
सन 1935 में आरबीआई की स्थापना होने से पहिे तक मुद्रा छापने का अधधकार भारत सरकार के पास था,
उसके बाद यह जजम्मेदारी आरबीआई ने संभािी।
ररजिव बैंक की सिाह पर सरकार विलभन्न मूल्यिगों पर ननणवय िेती है और आरबीआई सुरक्षा सवु िधाओं
सहहत बैंक नोटों के डिजाइन में सरकार के साथ समन्िय करता है ।
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आरबीआई अधधननयम केंद्रीय बैंक को 5000 रुपये और 10,000 रुपये के मूल्यिगों तक नोट प्रकालशत करने
की अनुमनत दे ता है । अब तक का मुहद्रत उच्चतम मूल्य का नोट 10,000 रुपये का है , जजसे 1938 में और
1954 में मुहद्रत ककया गया था। इन्हें 1946 में और कफर 1978 में विमुहद्रत ककया गया था।
5 रुपये का नोट जनिरी 1938 में आरबीआई द्िारा जारी की गई पहिी कागजी मुद्रा थी। इसमें जॉजव VI
की तस्िीर थी।
लसतका अधधननयम, 2011 के आधार पर लसतकों की नतजोरी की जज़म्मेदारी भारत सरकार के पास है ।
आरबीआई सरकार के एजेंट के रूप में कायव करता है , जो केिि बाजार में लसतके वितररत करता है ।
आरबीआई नतजोरी नामक बैंक शाखाओं के माध्यम से नोट और लसतके वितररत करता है । मुद्रा नतजोररयााँ
और लसतके डिपो िाणणजज्यक, ऑपरे हटि और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्िारा प्रबंधधत ककए जाते हैं।
एसबीआई और उसके सहयोगी बैंक अधधकतम संख्या में मुद्रा नतजोररयों का प्रबंधन करते हैं।
मुद्रा प्रिाह के अनुसरण का मागव: वप्रिंद्रटिंग प्रेस → आरबीआई ार्ायलर् → मुद्रा तिर्ोररर्ााँ → बैं शाखाएिं →
साियर्तन
छोटे लसतकों का डिपो - कुछ बैंक शाखाएं आरबीआई द्िारा छोटे लसतकों को जमा करने हे तु छोटे लसतकों
(अथावत ् 1 रुपये से कम मूल्य के लसतके) के डिपो स्थावपत करने के लिए प्राधधकृत हैं, जो उनके संचािन के
क्षेत्र में लसतकों को वितररत करें गे।
भारिीर् ररर्िय बैं नोट मुद्रण प्राइिेट मलममटे ड (BRBNMPL) ररजिव बैंक की पूणव स्िालमत्ि िािी सहायक
कंपनी है , जो मैसूर और सािबोनी में दो बैंकनोट वप्रंहटंग प्रेस चिाती है । 'मेक इन इंडिया' कायवक्रम के
प्रयासों के तहत बीआरबीएनएमपीएि के भीतर एक स्याही विननमावण इकाई स्थावपत करने का प्रस्ताि है ।
सेतर्ुटी वप्रिंद्रटिंग एिंड ममिंद्रटिंग ॉपोरे शन ऑफ इिंडडर्ा मलममटे ड (SPMCIL) भारत सरकार की पूणव स्िालमत्ि
िािी अनुसूची 'ए' कंपनी है । यह लसतको का मुद्रांकन और बैंक नोटों की छपाई में भी शालमि है । ये टकसाि
मुंबई, है दराबाद, कोिकाता और नोएिा में जस्थत हैं।
गिंदे नोट
गंदे नोट िे नोट हैं, जो खराब हो गए हैं या थोडे कट गए हैं। हािांकक, कट संख्या पैनिों से गज
ु रना नहीं
चाहहए। इन नोटों की कोई भी आिश्यक विशेर्ता गायब नहीं होती है ।
टे -फटे नोट
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गंदे और कटे -फटे नोटों को सािवजननक क्षेत्र बैंक (PSB) शाखा के काउं टरों पर या ननजी क्षेत्र बैंक में मुद्रा
नतजोरी शाखा या आरबीआई के जारी कायाविय पर बदिा जा सकता है ।
जो नोट अत्यधधक गंदे, खस्ताहाि या जिे हुए होते हैं, उन्हें केिि आरबीआई के जारी कायाविय में बदिा
जा सकता है (RBI के जारी विभाग के दािा अनुभाग के प्रभारी अधधकारी से संपकव करने की आिश्यकता
है )।
गैर-भुगतान योग्य नोट - आरबीआई (नोट ररफंि) ननयम, 2009 के ननयमों के अनुसार, 1रुपये, 2 रुपये, 5
रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के नोटों के सबसे बडे टुकडों का क्षेत्रफि 50% से कम या बराबर होने पर
आदान-प्रदान नहीं ककया जाएगा।
एक अध्यादे श, बैंककंग कंपननयों (उपक्रमों का अधधग्रहण और हस्तांतरण) के माध्यम से, 19 जुिाई 1969
को, सरकार ने दे श के 14 िाणणजज्यक बैंकों को राष्ट्रीयकृत ककया। 14 प्रमुख िाणणजज्यक ननजी बैंक, जजनके
द्िारा दे श में जमा रालश का 70 प्रनतशत ननयंत्रत्रत करने का अनुमान है , उनका स्िालमत्ि सरकार को
स्थानांतररत कर हदया गया था।
िह 14 बैंक जजन्हें राष्ट्रीयकृत ककया गया था - इिाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ बडौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक
ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंरि बैंक ऑफ इंडिया, दे ना बैंक, इंडियन बैंक, पंजाब और लसंध बैंक, लसंडिकेट
बैंक, इंडियन ओिरसीज बैंक, यूको बैंक, पंजाब नेशनि बैंक और यूनाइटे ि बैंक ऑफ इंडिया।
िर्व 1969 तक, स्टे ट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) एकमात्र बैंक था, जजसका स्िालमत्ि सरकार के पास था।
राष्ट्रीयकरण से पहिे 1955 में इसे इंपीररयि बैंक कहा जाता था।
इन 14 बैंकों के स्िालमत्ि को सरकार के पास स्थानांतररत कर दे ने के मुख्य रूप से दो कारण थे। पहिा
कारण था - अप्रत्यालशत तरीके, जजनके द्िारा इनमें ननजी संस्थाओं के रूप में कायव हो रहा था और दस
ू रा
कारण था - इन िाणणजज्यक बैंकों को बडे उद्योगों और व्यिसायों के लिए आसानी से उपिब्ध चारे के रूप
में दे खा गया जा रहा था। ननजी बैंक अविश्िसनीय थे और उनमें से सन 1947 से सन 1955 के बीच में
361 बैंक असफि रहे थे। एक क्षेत्र के रूप में , कृवर् को इन बैंकों द्िारा बडे पैमाने पर अनदे खा ककया जा
रहा था।
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मौद्रद्र नीति
भारतीय ररजिव बैंक (RBI) मौहद्रक नीनत आयोजजत करने की जज़म्मेदारी के साथ ननहहत है । भारतीय ररजिव
बैंक अधधननयम, 1934 के तहत यह जजम्मेदारी स्पष्ट्ट रूप से अननिायव है ।
मौहद्रक नीनत का प्राथलमक उद्दे श्य विकास के उद्दे श्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य जस्थरता बनाए रखना
है ।
भारतीय ररज़िव बैंक अधधननयम, 1934 को केंद्र सरकार द्िारा गहठत छह सदस्यीय मौहद्रक नीनत सलमनत
(MPC) को सशतत बनाने के लिए प्रदान करता है । एमपीसी के तीन सदस्य आरबीआई से होंगे और अन्य
तीन सदस्यों को केंद्र सरकार द्िारा ननयुतत ककया जाएगा।
• भारतीय ररजिव बैंक के डिप्टी गिनवर , मौहद्रक नीनत के प्रभारी - सदस्य, पूिव पदाधधकारी;
• भारतीय ररजिव बैंक के एक अधधकारी को केंद्रीय बोिव द्िारा मनोनीत ककया जाना है - सदस्य, पि
ू व
पदाधधकारी;
अथवव्यिस्था में धन प्रिाह को ननयंत्रत्रत करने के लिए उपयोग की जाने िािी मौहद्रक नीनत के लिखत
व्यापक रूप से 2 प्रकार के होते हैं:
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→ आरबीआई के साथ जजतना अधधक सीआरआर होगा, लसस्टम में उतनी ही तरिता कम होगी, या कफर
इसके विपरीत होगा।
सािंविधध चलतनधध अनुपाि (SLR): प्रत्येक वित्तीय संस्थान को अपने एनिीटीएि के ककसी भी समय अपने
पास कुछ ननजश्चत अथवसुिभ / चि / तरि आजस्त / पररसंपवत्त को बनाए रखना होता है ।
→ एसएिआर जजतना अधधक होगा, बैंकों को लसस्टम में उधार दे ने की अनुमनत उतनी ही कम होगी, या
कफर इसके विपरीत होगा।
→ आरबीआई क्रेडिट के प्रवाह को नियंत्रित करिे के लिए सरकारी प्रनतभूनतयों को बेचता है और क्रेडिट फ्िो
बढािे के लिए सरकारी प्रनतभूनतयों को खरीदता है ।
2. िि
ु ा बाजार पररचािि (िि
ु े बाजार में प्रनतभूनतयों ा क्रय-विक्रय) (OMO):
खि
ु ा बाजार पररचािन मौहद्रक नीनत का एक साधन है , जजसमें सरकारी प्रनतभूनतयों को पजब्िक और बैंकों से
खरीदा या बेचा जाता है ।
आरबीआई क्रेडिट प्रिाह को ननयंत्रत्रत करने के लिए सरकारी प्रनतभूनतयों को बेचता है और क्रेडिट प्रिाह को
बढाने के लिए सरकारी प्रनतभूनतयों को खरीदता है ।
बैं दर: बैंककंग प्रणािी को धन या ऋण प्रदान करने के लिए आरबीआई द्िारा िगाई गई ब्याज की दर को
बैंक दर कहा जाता है , जजसे बट्टा दर के नाम से भी जाना जाता है ।
चलतनधध समार्ोर्न सुविधा (LAF): एक मौहद्रक नीनत है , जो बैंकों को पुनखवरीद समझौतों के माध्यम से
धन उधार िेने की अनुमनत दे ती है ।
पन
ु :खरीद दर: रे पो दर िह दर है , जजस पर आरबीआई आम तौर पर सरकारी प्रनतभनू तयों के विरुद्ध अपने
ग्राहकों को उधार दे ता है ।
प्रतिििी रे पो / पुन: िर् दर: िह दर जजस पर आरबीआई िाणणजज्यक बैंकों से पैसा उधार िेता है ।
सीमािंि तथार्ी सवु िधा (MSF): जब आंतररक बैंक चिननधध परू ी तरह से खत्म जाती है , तो यह बैंकों के
लिए आपातकािीन जस्थनत में आरबीआई से उधार िेने की एक णखडकी है ।
ये उपकरण क्रेडिट की गुणित्ता या क्रेडिट के उपयोग की ओर ननदे लशत नहीं हैं। उनका उपयोग क्रेडिट के
विलभन्न उपयोगों के बीच भेदभाि के लिए ककया जाता है ।
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माजजवन "ऋण रालश का िह अनुपात है , जजसे बैंक द्िारा वित्त पोवर्त नहीं ककया जाता है "।
माजजवन में बदिाि का तात्पयव ऋण की रालश में बदिाि से है । इस विधध का उपयोग जरूरतमंद क्षेत्र के लिए
क्रेडिट आपूनतव को प्रोत्साहहत करने और अन्य गैर-आिश्यक क्षेत्रों के लिए इसे हतोत्साहहत करने के लिए
ककया जाता है ।
2. उपभोक्ता ऋण विनियमि:
3. चयिात्म ऋण नियिंत्रण:
इसके तहत आरबीआई विशेर् रूप से बैंकों को ननदे श दे सकता है कक िे ननजश्चत िस्तओ
ु ं के व्यापाररयों को
ऋण न दें ।
सेंरि बैंक क्रेडिट रालश की मंजरू ी को तय करता है । इससे अिांनछत क्षेत्रों में बैंकों के क्रेडिट एतसपोजर को
कम करने में मदद लमि सकती है ।
इसमें िाणणजज्यक बैंकों को ककसी विशेर् तरीके से व्यिहार करने हे तु राजी करने के लिए केंद्रीय बैंक द्िारा
उपयोग की जाने िािी विविध प्रकार की अनौपचाररक विधधयां शालमि हैं। इसमें कोई अननिायवता नहीं है ।
शतों और आिश्यकताओं को पूरा नहीं करने िािे बैंकों के णखिाफ आरबीआई द्िारा यह कदम लिया जाता
है ।
बैंक खाता ककसी ग्राहक के लिए एक बैंक द्िारा प्रदान ककया जाने िािा एक वित्तीय खाता है । एक बैंक
खाता जमा खाता, क्रेडिट कािव खाता, चािू खाता या ककसी वित्तीय संस्थान द्िारा प्रदान ककया जाने िािे
ककसी अन्य प्रकार का खाता हो सकता है और उस धन का प्रनतननधधत्ि करता है , जजसे ग्राहक ने वित्तीय
संस्थान को सौंप हदया है और जजससे ग्राहक ननकासी कर सकता है । िैकजल्पक रूप से, बैंक खाते ऋण खाते
भी हो सकते हैं, जजसमें ग्राहक वित्तीय संस्थान को धन का भुगतान करता है ।
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1. बचत िाता -
यह खाता बैंक में व्यजततगत रूप से अपनी कमाई के कुछ हहस्से को बचाने के लिए खोिा जा सकता है ।
बचत खाते में ककसी व्यजतत द्िारा एक महीने के अंदर धन जमा करने या ननकािे जा सकने पर प्रनतबंध
होता है । ककसी व्यजतत द्िारा खाते में अननिायव रूप से रखी जाने िािी न्यूनतम जमा रालश बैंकों द्िारा
ननधावररत की जाती है । कुछ बैंक शून्य शेर् खाते भी प्रदान करते हैं।
बचत खाते पर कोई व्यजतत ब्याज की कुछ दर अजजवत करता है , जो अिग अिग बैंकों में लभन्न-लभन्न होती
है । इससे पहिे यह ब्याज दर आरबीआई तय करती थी, िेककन अब बैंक बचत खातों पर अपनी ब्याज दर
तय करने के लिए स्ितंत्र हैं।
2. चािू िाता-
फमव या कंपनी के नाम पर व्यापाररक िेनदे न के लिए चािू खाते खोिे जाते हैं।
बैंक चािू खाते में रखे गए पैसे पर ब्याज की कोई दर नहीं दे ते हैं, िेककन इस पर बचत खाते की तुिना में
अनतररतत सुविधाएं प्रदान करते हैं, जैसे चािू खातों में जमा या ननकासी पर कोई सीमा नहीं है , िेककन चािू
खाता धारक के लिए कोई पासबुक जारी नहीं की जाती है ।
ओिरड्राफ्ट
चािू खाता धारक को ओिरड्राफ्ट सवु िधा, खाते का वििरण जैसे कई सवु िधाएं प्रदान की जाती हैं।
3. आिती जमा
यह खाता िेतनधारी िोगों के लिए है , जो हर महीने एक ननजश्चत रालश बचा सकते हैं।
इस खाते में एक व्यजतत ननजश्चत अिधध के लिए एक ननजश्चत रालश जमा करता है ।
आरिी की न्यन
ू तम अिधध 6 महीने है और अधधकतम 10 िर्व है।
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4. सािधध र्मा
एफिी खाते में एक व्यजतत एक ही बार में ननजश्चत अिधध के लिए एक ननजश्चत धनरालश जमा करता है ।
यहद ननजश्चत अिधध के पूरा होने से पहिे व्यजतत को पैसे की जरूरत होती है और िह समयपूिव धन
ननकािता है , तो बैंक उसे जुमावना भी िगाता है ।
ननिि मांग और आिधधक/ सािधध/ मीयादी दे यताएं या एनिीटीएि ककसी बैंक (सािवजननक या अन्य बैंक के
साथ) की मांग और आिधधक/ सािधध/ मीयादी दे यताओं (जमा) के योग और अन्य बैंक द्िारा आयोजजत
संपवत्त के रूप में जमा के बीच का अंतर दशावता है ।
बैंक का एनिीटीएि = ननिि मांग और आिधधक/ सािधध/ मीयादी दे यताएं (जमा) - अन्य बैंक के साथ जमा
वित्तीर् समािेशन
निंबर 2005 में बैंकों को सिाह दी गई कक िे मूिभूत बैंककंग 'सादा-खाते (नो-किि)' को 'शून्य' या बहुत
कम न्यूनतम शेर् रालश पर उपिब्ध कराने के साथ-साथ ऐसे शुल्क भी उपिब्ध कराएं, जो इस तरह के
खातों को जनसंख्या के विशाि िगों तक पहुंचा सकें।
िेककन मूिभूत बैंककंग 'नो-किि' खातों को खोिने के हदशाननदे शों को संशोधधत करने का ननणवय लिया गया
है ।
वित्तीय समािेशन पर, बैंकों को सिाह दी गई है कक िे 'मूि बचत बैंक जमा खाता' प्रदान करें जो उनके
सभी ग्राहकों को ननम्नलिणखत न्यूनतम सामान्य सुविधाएं प्रदान करे गी:
एक माह में ककए जा सकने िािे जमा की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी, खाता धारकों को एक महीने में
अधधकतम चार बार ननकासी की अनुमनत होगी, जजसमें एटीएम ननकासी भी शालमि है ।
बीएसबीिीए भारत के सभी अनुसूधचत िाणणजज्यक बैंकों पर िागू है , जजसमें िो विदे शी बैंक भी शालमि हैं,
जजनकी भारत में शाखाएं हैं।
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'क्षेत्र दृजष्ट्टकोण' के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पयावप्त बैंककंग और क्रेडिट प्रदान करने के लिए िर्व 1969 में
आरबीआई द्िारा एिबीएस की शुरुआत की गई थी , जजसमें एक क्षेत्र को एक बैंक आिंहटत ककया गया।
एिबीएस को गािगीि अध्ययन समूह और बैंकर सलमनत (नरीमन सलमनत) की लसफाररश के आधार पर पेश
ककया गया था। एिबीएस के तहत, दे श भर के हर जजिे को एक िाणणजज्यक बैंक आिंहटत ककया जाएगा।
अग्रणी बैंक के काम करने के लिए उस बैंक की उस जजिे में बडी उपजस्थनत होनी चाहहए। अग्रणी बैंक
सिेक्षण करता है और विलभन्न क्षेत्रों में ऋण सुविधा उपिब्ध कराता है ।
पीएमर्ेडीिाई वित्तीय समािेशन पर एक राष्ट्रीय लमशन है , जजसमें दे शभर के सभी घरों के व्यापक वित्तीय
समािेशन को हालसि करने के लिए एक एकीकृत दृजष्ट्टकोण शालमि है । पीएमर्ेडीिाई का उद्दे श्य विलभन्न
वित्तीय सेिाओं जैसे कक मूि बचत बैंक खाते की उपिब्धता, आिश्यकता आधाररत क्रेडिट तक पहुंच, प्रेर्ण
सवु िधा, बीमा और पें शन की वपछडे अनभु ागों जैसे कमजोर िगों और कम आय िािे समह ू ों तक पहुंच
सनु नजश्चत करना है । इसके अिािा, िाभाधथवयों को रुपे िेत्रबट कािव लमिेगा, जजसमें 1 िाख रुपये का
अंतननवहहत दघ
ु ट
व ना बीमा किर होगा। इस योजना में िाभाधथवयों के खातों में सभी सरकारी िाभों (केंद्र / राज्य
/ स्थानीय ननकाय से) की चैनलिंग पररकजल्पत है और केंद्र सरकार की प्रत्यक्ष िाभ हस्तांतरण (िीबीटी)
योजना को बढािा दे ने की भी योजना है ।
बीसी द्िारा प्रदान ककए गए उत्पाद हैं: छोटे बचत खाते, सािधध जमा और कम न्यूनतम जमा के साथ
आिती जमा, ककसी भी बीसी ग्राहक के लिए धन-प्रेर्ण / विप्रेर्ण, माइक्रो क्रेडिट और सामान्य बीमा।
बैंककंग प्रनतननधधयों के साथ प्रौद्योधगकी का उपयोग बैंक को बडे बैंक-रहहत क्षेत्र / केंद्र को किर करने में
मदद करता है तयोंकक बैंक बैंककंग प्रनतननधधयों के साथ मोबाइि और माइक्रो एटीएम का उपयोग बैंक-रहहत
ग्राहकों को कम िागत िािे बैंककंग समाधान प्रदान करने के लिए कर सकते हैं।
माइिो एटीएम- माइक्रो एटीएम कािव स्िाइप मशीनें हैं, जजसके माध्यम से बैंक दरू स्थ रूप से अपने मूि
बैंककंग लसस्टम से जुड सकते हैं। इस मशीन के साथ एक कफं गरवप्रंट स्कैनर जुडा होता है । इनका उपयोग
दरू स्थ स्थानों में नकद बांटने के लिए ककया जाता है , जहां बैंक शाखाओं की पहुंच नहीं है । माइक्रो एटीएम
पॉइंट ऑफ सेि (पीओएस) टलमवनि के समान हैं और यह िोरस्टे प मोबाइि बैंककंग व्यिस्था सह-मोबाइि
एटीएम डििाइस हैं।
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पीएसएि आरबीआई द्िारा बैंकों को दी गई एक महत्िपूणव भूलमका है , जो मुख्य रूप से कुछ विलशष्ट्ट क्षेत्रों
में बैंक ऋण के ननहदव ष्ट्ट हहस्से को प्रदान करने के लिए है । यह अननिायव रूप से अथवव्यिस्था के सभी
पहिुओं के विकास के लिए है , जो केिि वित्तीय क्षेत्र पर ध्यान केंहद्रत करने का विरोध करता है ।
प्राथलमकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत श्रेणणयां हैं: कृवर्, सूक्ष्म, िघु और मध्यम उद्यम, ननयावत क्रेडिट, लशक्षा,
आिास, सामाजजक आधारभूत संरचना, निीकरणीय ऊजाव, अन्य।
प्राथलमकता-प्राप्त ऋण प्रमाण पत्र (PSLC) एक तंत्र है , जो बैंकों को कमी के मामिे में इन उपकरणों की
खरीद द्िारा प्राथलमकता क्षेत्र ऋण िक्ष्य और उप-िक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम बनाता है । यह अधधक/अन्य
बैंकों को भी प्रोत्साहहत करता है तयोंकक इससे उन्हें िक्ष्य पर अपनी अनतररतत उपिजब्ध बेचने की अनुमनत
लमिती है जजससे प्राथलमकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत श्रेणणयों को उधार दे ने में िद्
ृ धध होती है ।
छोटे वित्त बैंक भारत में ननर् ् बैंकों (niche banks) का एक प्रकार हैं। छोटे वित्त बैंक िाइसेंस िािे बैंक जमा
और उधार की स्िीकृनत की मूि बैंककंग सेिा प्रदान कर सकते हैं। इसके पीछे का िक्ष्य अथवव्यिस्था के उन
िगों को वित्तीय समािेश प्रदान करना है , जजन्हें अन्य बैंकों से सेिा नहीं लमि रही है , जैसे छोटी व्यिसानयक
इकाइयां, छोटे और सीमांत ककसान, सूक्ष्म और िघु उद्योग और असंगहठत क्षेत्र की इकाइयां।
आरबीआई ने िर्व 2016 में छोटे वित्त बैंक स्थावपत करने के लिए दस इकाइयों को मंजूरी दी। इनमें से
प्रत्येक बैंक को अपनी शाखाओं की कम से कम 25% शाखाओं को उन क्षेत्रों में खोिना था , जहां ककसी
अन्य बैंक की शाखाएं नहीं हैं (बैंक-रहहत क्षेत्र / केंद्र)। प्राथलमकता-प्राप्त ऋण में फमों हे तु एक छोटे वित्त बैंक
के पास उसके शद्
ु ध क्रेडिट का 75% ऋण के रूप में होना चाहहए और इसके पोटव फोलियो में 50% ऋण ₹
25 िाख से कम होने चाहहए।
भग
ु िान बैं
भुगतान बैंक ककसी भी अन्य बैंक की तरह है िेककन ककसी भी क्रेडिट जोणखम के त्रबना छोटे पैमाने पर
इसका पररचािन होता है । यह ज्यादातर बैंककंग पररचािन कर सकते हैं िेककन ऋण अधग्रम नहीं कर सकता
हैं या क्रेडिट कािव जारी नहीं कर सकते हैं। यह मांग जमा (1 िाख रुपये तक), प्रेर्ण सेिाएं, मोबाइि
भुगतान / स्थानान्तरण / खरीद और अन्य बैंककंग सेिाओं जैसे एटीएम / िेत्रबट कािव, नेट बैंककंग और थिव
पाटी फंि रांसफर स्िीकार कर सकते हैं।
भग
ु तान बैंक का मख्
ु य उद्दे श्य सरु क्षक्षत प्रौद्योधगकी संचालित िातािरण में छोटे व्यिसाय, कम आय िािे
पररिारों, प्रिासी श्रम कायवबि को भग
ु तान और वित्तीय सेिाओं के प्रसार को विस्तत
ृ करना है ।
इन बैंकों को बैंककंग विननयमन अधधननयम, 1949 की धारा 22 के तहत िाइसेंस प्राप्त होता है और कंपनी
अधधननयम, 2013 के तहत पजब्िक लिलमटे ि कंपनी के रूप में पंजीकृत होते हैं।
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पीएमएमिाई योजना की शुरुआत 8 अप्रैि, 2015 को गैर-कॉपोरे ट, गैर-कृवर् छोटे / सूक्ष्म उद्यमों को 10
िाख तक ऋण प्रदान करने के लिए की गई है ।
इन ऋणों को पीएमएमिाई के तहत मुद्रा ऋणों के रूप में िगीकृत ककया गया है । ये ऋण िाणणजज्यक बैंकों,
आरआरबी, िघु वित्त बैंकों, सहकारी बैंकों, एमएफआई और एनबीएफसी द्िारा हदए जाते हैं।
पीएमएमिाई के तहत, िाभाथी माइक्रो यूननट / उद्यमी की प्रगनत/विकास और वित्त पोर्ण आिश्यकताओं के
चरण को इंधगत करने के लिए मुद्रा ने तीन उत्पादों का ननमावण ककया है , अथावत ् 'लशशु' (50,000 रुपये तक
के ऋण को किर करता है ), 'ककशोर' (50,000 रुपये से ऊपर और 5 िाख रुपये तक के ऋण को किर
करता है ) और 'तरुण' (5 िाख रुपये से ऊपर और 10 िाख रुपये तक के ऋण को किर करता है ) और यह
स्नातक/विकास के अगिे चरण के लिए संदभव त्रबंद ु भी प्रदान करता है ।
एमसीएिआर प्रणािी को ररजिव बैंक द्िारा ग्राहकों को न्यूनतम दरों पर ऋण प्रदान करने के साथ-साथ
बाजार दर में उतार-चढाि िाभ प्रदान करने के लिए पेश ककया गया था। इस नई प्रणािी ने बेस रे ट को
बदि हदया, जजसने खुद ही बेंचमाकव प्राइम िें डिंग रे ट को बदि हदया।
एमसीएिआर चार घटकों पर ननभवर करता है - वित्त पोर्ण की सीमांत िागत, प्रकट प्रीलमयम, पररचािन
िागत और क्रेडिट आरक्षक्षत ननधध अनुपात के नकारात्मक िाहक खाते।
कोई भी संपवत्त, जजसमें पट्टे िािी संपवत्त भी शालमि है , जब बैंक के लिए आय उत्पन्न करना समाप्त कर
दे , तो िह अनजवक आजस्त/ पररसंपवत्त हो जाती है । भारत में बैंक और एनबीएफसी आम तौर पर 90 हदन
और 120 हदन के अपराधी मानदं िों के आधार पर अनजवक आजस्त/ पररसंपवत्त (NPA) के रूप में ऋण खाते
को िगीकृत करते हैं।
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ऑडयर ऑफ ऑडयर 'स्तथति: बकाया रालश िािा खाता जो िगातार स्िीकृत सीमा/ड्राइंग पािर से अधधक बना
रहता है ।
अतिदे र्: यहद ककसी भी क्रेडिट सुविधा के तहत बैंक को दे य ककसी भी रालश का भुगतान बैंक द्िारा तय की
गई दे य नतधथ पर नहीं ककया जाता है , तो यह रालश 'अनतदे य' है ।
वित्तीर् आस्तिर्ों े प्रतिभूति रण िथा पुनतनयमायण और सुरक्षा ब्र्ार् प्रिियन अधधतनर्म (SARFAESI Act)
सरफेसी अधधननयम, 2002 एक ऐसा कानून है , जो वित्तीय संस्थानों को कई तरीकों से संपवत्त की गुणित्ता
सुननजश्चत करने में मदद करता है । यह अधधननयम बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ जमा एनपीए से
ननपटने के लिए पररसंपवत्त पुनननवमावण (RCs) और पररसंपवत्त सुरक्षा कंपननयों (SCs) की स्थापना को बढािा
दे ता है ।
िीआईसीजीसी, आरबीआई का बहुत पुराना गौण ननकाय है , जो आरबीआई ऐतट के हदशाननदे शों के तहत
पंजीकृत सभी बैंकों को इंश्योरें स मह
ु ै या कराती है ।
भारत में कायवरत विदे शी बैंकों की शाखाओं सहहत सभी िाणणजज्यक बैंक, राष्ट्रीयकृत/स्थानीय बैंक और
आरआरबी का िीआईसीजीसी के द्िारा बीमा ककया जाता है ।
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िीआईसीजीसी बचत, चािू, सािधध, आिती, आहद के रूप में सभी जमा की बीमा करता है ।
'अननिासी भारतीय' (NRI) िह व्यजतत हैं, जो भारत के बाहर रहते हैं, िेककन भारत के नागररक हैं।' भारतीय
मूि के व्यजतत (PIO) िह व्यजतत हैं, जो भारत के बाहर रहते हैं, िेककन जो बांग्िादे श या पाककस्तान या
ऐसे दस
ू रे दे शों, जजन्हें केंद्र सरकार द्िारा ननहदव ष्ट्ट ककया जाता है , उनके अिािा ककसी भी दे श के नागररक
हैं।
एनआरई खाते में पैसा भारतीय रुपए में रखा जाता है । यह एक बचत खाता, एक चािू खाता या सािधध
जमा खाता हो सकता है ।
अननिासी भारतीयों द्िारा एनआरओ खाता खोिा जा सकता है । यह एक बचत खाता, चािू खाता, या
सािधध/लमयादी जमा खाता हो सकता है । अगर खाता धारक एनआरआई बन जाता है , तो समान्य बैंक खाता
भी एनआरओ खाते में बदि जा सकता है ।
एनआरई और एनआरओ खाते के बीच मुख्य अंतर यह है कक एनआरओ खाते से पैसे का स्िदे श प्रत्याितवन
नहीं ककया जा सकता। इसीलिए, एनआरओ खाते में धाररत धन का उपयोग केिि भारतीय रुपए में स्थानीय
भुगतानों के लिए ही ककया जा सकता है । साथ ही, एनआरओ खाते से एनआरई खाते में धनरालश
स्थानांतररत नहीं की जा सकती।
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ईईएफसी िह खाता है , जजसे एक अधधकृत िीिर श्रेणी-I बैंक के साथ विननमय में रखा खाता है , अथावत ् िह
बैंक विदे शी मुद्रा में सौदा करने के लिए अधधकृत होता है । यह सुविधा विदे शी मुद्रा अजवक को प्रदान की
जाती है , जजसमें ननयावतक भी शालमि हैं, उन्हें अपनी विदे शी मुद्रा आय का 100 प्रनतशत हहस्सा जमा करना
होता है ताकक खाता धारक विदे शी मुद्रा को रुपए में पररिनतवत या इसके विपरीत िेन-दे न ना कर सके,
जजससे िेनदे न िागत कम हो जाती है । विदे शी मुद्रा अजवकों की सभी श्रेणीयां जैसे व्यजततयों, कंपननयों
आहद जो भारत में ननिास कर रहे हैं, ईईएफसी खाता खोि सकते हैं।
एक एफसीएनआर खाता सािधध जमा खाता होता है , जजसे एनआरआई और पीआईओ द्िारा विदे शी मुद्रा में
रखा जा सकता है । इस प्रकार, एफसीएनआर बचत खाते नहीं बजल्क सािधध जमा खाते होते हैं।
िर्व 2011 से पहिे, एफसीएनआर जमा छह मुद्राओं में रखे जाने की अनुमनत दी गई थी: अमेररकी िॉिर,
पाउं ि स्टलििंग (GBP), यूरो, जापानी येन, ऑस्रे लियाई िॉिर और कनेडियन िॉिर । हािांकक, आरबीआई ने
फैसिा ककया कक भारत में प्राधधकृत िीिर बैंकों को ककसी भी अनुमत मुद्रा में एफसीएनआर डिपॉजजट
स्िीकार करने की अनुमनत दी जा सकती है । इस प्रयोजन के लिए अनुमत मुद्रा का अथव एक विदे शी मुद्रा से
होगा, जो स्ितंत्र रूप से पररितवनीय है और दस
ू रों में से िेननश क्रोन, जस्िस िैंक और स्िीडिश क्रोना के बीच
िोकवप्रय हैं ।
भारत के बाहर ननिास करने िािा कोई व्यजतत, यहद भारत में व्यापार कर रहा है , तो िह रुपए में ननष्ट्कपट
िेनदे न के माध्यम से चिने के उद्दे श्य के लिए एक प्राधधकृत िीिर के साथ SNRR खाता खोि सकता है ,
जो इसके अंतगवत बने अधधननयमों, ननयमों और विननयमों के प्रािधानों के अनुरूप है । SNRR केिि त्रबना
ब्याज के खाते के रूप में आयोजजत ककया जा सकता है और यह एक प्रत्याितवनीय खाता है ।
MICR मैगनेद्रट इिं ै रतटर रे ोस्ग्नशन (Magnetic Ink Character Recognition) का संक्षक्षप्त रूप
है , जो एक तकनीक है , जजसका उपयोग बैंककंग उद्योग में MICR कोि मुद्रण में ककया जाता है ।
MICR कोि एक 9-अंकीय कोि होता है , जो इिेतरॉननक जतियररंग लसस्टम (ECS) में भाग िेने िािे ककसी
बैंक और शाखा की अद्वितीय रूप से पहचान करता है । कोि के पहिे 3 अंक शहर-कोि का प्रनतननधधत्ि
करते हैं, मध्य िािे बैंक कोि का प्रनतननधधत्ि करते हैं और अंनतम 3 शाखा कोि का प्रनतननधधत्ि करते है ।
ककसी चेक के नीचे, चेक नंबर के बगि में MICR कोि का पता िगा सकते हैं। यह आमतौर पर एक बचत
बैंक खाते की पासबक
ु के प्रथम पष्ट्ृ ठ पर छपा होता है ।
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MICR कोि मशीनों द्िारा चेकों के संचािन में प्रयोग ककया जाता है । यह कोि चेक के तेजी से संचािन को
सक्षम बनाता है ।
स्तिफ्ट (SWIFT)
SWIFT का अथव है ‘दनु नया भर में अंतरबैंक वित्तीय दरू संचार के लिए समाज (Society for Worldwide
Interbank Financial Telecommunications)’। यह एक संदेश नेटिकव है , जजसका उपयोग वित्तीय
संस्थाओं द्िारा कोिों की एक मानकीकृत प्रणािी के माध्यम से सच
ू ना और ननदे शों के सरु क्षक्षत संचरण के
लिए ककया जाता है । जस्िफ्ट प्रत्येक वित्तीय संगठन के लिए एक अनन्य कोि प्रदान करता है , जजसमें या तो
8 अक्षर या 11 अक्षर होते है । इस कोि को बैंक पहचानकताव कोि (BIC), जस्िफ़्ट कोि, जस्िफ़्ट आईिी, या
ISO 9362 कोि कहा जाता है ।
राष्ट्रीर् इलेतरॉतनतस तनधध अिंिरण प्रणाली, National Electronics Funds Transfer System (NEFT)
NEFT ककसी एक के द्िारा ककसी अन्य को ककए जाने िािे ननधध अंतरण को सुकर बनाने िािी एक राष्ट्र-
व्यापी भुगतान प्रणािी है । इस योजना के तहत, व्यजततयों, फमों और कंपननयों को इिेतरॉननक रूप से ककसी
भी बैंक शाखा से ककसी भी व्यजतत, फमव या कंपनी को इस योजना में भाग िेने िािे दे श की ककसी भी
अन्य बैंक शाखा के एक खाते में धन हस्तांतरण करने की अनुमनत होती हैं।
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आरटीजीएस को आदे श के आधार पर (ननिि रालश के त्रबना) व्यजततगत रूप से एक आदे श पर ननधधयों के
स्थानांतरण के सतत (तत्काि समय) ननपटान के रूप में पररभावर्त ककया जा सकता है । 'तत्काि समय'
का अथव, उसी समय पर ननदे शों का संचािन होने से है , जजस समय पर िह प्राप्त होते हैं, न कक कुछ समय
बाद ननदे शों के संचािन से है ;' सकि ननपटान' का अथव, ननधध अंतरण ननदे शों का ननपटान व्यजततगत रूप
से होने से है । (अनुदेशक के अनुदेश के आधार पर)
आरटीजीएस के माध्यम से प्रेवर्त की जाने िािी न्यूनतम रालश 2 िाख है । आरटीजीएस िेनदे न के लिए
कोई ऊपरी सीमा नहीं है ।
एक स्िचालित टे िर मशीन (ATM) ग्राहकों को ककसी भी समय और बैंक कमवचाररयों के साथ सीधी बातचीत
की आिश्यकता के त्रबना वित्तीय िेन-दे न जैसे नकद ननकासी, जमा, ननधध अंतरण या खाते कक जानकारी
प्राप्त करने में सक्षम बनाती है ।
नेशनि फाइनेंलशयि जस्िच (NFS) भारत में साझा एटीएम का सबसे बडा नेटिकव है । इसे िर्व 2004 में
बैंककंग प्रौद्योधगकी विकास और अनुसंधान संस्थान (IDRBT) द्िारा डिजाइन, विकलसत और तैनात ककया
गया था । इसे एनपीसीआई द्िारा चिाया जाता है ।
भारत में पहिा एटीएम िर्व 1997 में एचएसबीसी द्िारा मुंबई में स्थावपत ककया गया था। इंडियन बैंतस
एसोलसएशन (IBA) ने भारत में साझा एटीएम के पहिे नेटिकव SWADHAN को स्थावपत ककया। इसका
प्रबंधन पांच साि तक इंडिया जस्िच कंपनी (ISc) द्िारा ककया गया और कािवधारकों को नकदी ननकािने की
अनुमनत दी गई थी।
पहिा आधनु नक एटीएम हदसंबर 1972 में त्रिटे न में उपयोग में लिया गया था। एटीएम को विदे शी बैंकों
द्िारा की गई शुरुआत से 1990 के दशक में भारतीय बैंककंग उद्योग में पेश ककया गया था।
एटीएम े प्र ार
बैं एटीएम- इनका स्िालमत्ि और संचािन संबंधधत बैंकों द्िारा ककया जाता है । उदाहरण के लिए एसबीआई
बैंक एटीएम, आईसीआईसीआई बैंक एटीएम।
जब बैंक ककसी तीसरे पक्ष को एटीएम संचािन का जजम्मा दे ते (आउटसोसव) हैं , तो उसे िाउन िेबि एटीएम
कहा जाता है । ननजी कंपनी एटीएम मशीन पर स्िालमत्ि रखती हैं और उनका संचािन करती हैं।
िह बैंक जो इस काम का आउटसोसव करते है , िही एटीएम के लिए नकद प्रदान करते हैं।
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100 करोड रुपए की न्यन ू य िािी कोई भी गैर-बैंककंग संस्था व्हाइट िेबि एटीएम के लिए
ू तम ननिि मल्
आिेदन कर सकती है ।
टाटा कम्युननकेशंस पेमेंट सॉल्यूशन िाइट िेबि एटीएम खोिने के लिए आरबीआई की अनुमनत प्राप्त करने
िािी पहिी कंपनी है ।
ाडय े प्र ार
कािव को ननगवमन, कािव धारक द्िारा उपयोग और भुगतान के आधार पर िगीकृत ककया जा सकता है । तीन
प्रकार के कािव होते हैं - (a) िेत्रबट कािव (b) क्रेडिट कािव और (c) प्रीपेि कािव
िेत्रबट कािव बैंकों द्िारा जारी ककए जाते हैं और एक बैंक खाते से जुडे होते हैं। क्रेडिट कािव आरबीआई द्िारा
अनुमोहदत बैंकों/अन्य संस्थाओं द्िारा जारी ककए जाते हैं। प्रीपेि कािव कािवधारक द्िारा पहिे से भुगतान ककए
गए मूल्य के लिए बैंकों/गैर बैंकों द्िारा जारी ककए जाते हैं, जो इन कािव में संग्रहहत होता है , जो स्माटव कािव
या धचप कािव, मैगनेहटक जस्रप कािव, इंटरनेट खातों, इंटरनेट िॉिेट, मोबाइि खातों, मोबाइि िॉिेट, पेपर
िाउचर आहद के रूप में जारी ककया जा सकता है ।
डेबबट ाडय: िेत्रबट कािव का उपयोग एटीएम से नकदी ननकािने के लिए, घरे िू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तर
पर सामान और सेिाओं को पॉइंट ऑफ सेि (पीओएस)/ई-कॉमसव (ऑनिाइन खरीद) से खरीदने के लिए
ककया जाता है (बशते यह अंतरावष्ट्रीय उपयोग के लिए सक्षम हो)। हािांकक, इसका उपयोग एक व्यजतत से
दस
ू रे व्यजतत को घरे िू ननधध अंतरण के लिए भी ककया जा सकता है ।
िेडडट ाडय: क्रेडिट कािव का उपयोग पॉइंट ऑफ सेि (POS) और ई-कॉमसव (ऑनिाइन खरीद) में
इंटरएजतटि िॉयस ररस्पांस (आईिीआर)/आिती िेन-दे न/मेि आिवर टे िीफोन आिवर (MOTO) के माध्यम से
िस्तओ
ु ं और सेिाओं की खरीद के लिए ककया जाता है । ये कािव घरे िू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाि
ककये जा सकते हैं (बशते यह अंतरराष्ट्रीय उपयोग के लिए सक्षम होना चाहहए)। क्रेडिट कािव का उपयोग
ककसी एटीएम से नकदी ननकािने के लिए और दे श के भीतर बैंक खातों, िेत्रबट कािव, क्रेडिट कािव और प्रीपेि
कािव के लिए धन हस्तांतररत करने के लिए ककया जा सकता है ।
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प्रीपेड ाडय: बैंकों द्िारा जारी ककए गए प्रीपेि कािव का इस्तेमाि ककसी एटीएम से नकदी ननकािने, पॉइंट
ऑफ सेि (POS) और ई-कॉमसव (ऑनिाइन खरीद) पर िस्तुओं और सेिाओं की खरीद के लिए और एक
व्यजतत से दस
ू रे व्यजतत को घरे िू ननधध अंतरण के लिए ककया जा सकता है । ऐसे प्रीपेि कािव ओपन लसस्टम
प्रीपेि कािव के रूप में जाने जाते हैं। हािांकक, प्राधधकृत गैर-बैंक संस्थाओं द्िारा जारी ककए गए प्रीपेि कािव
का उपयोग केिि पॉइंट ऑफ सेि (पीओएस) और ई-कॉमसव (ऑनिाइन खरीद) पर िस्तुओं और सेिाओं की
खरीद के लिए और एक व्यजतत से दस
ू रे व्यजतत को घरे िू ननधध अंतरण के लिए ककया जा सकता है । ऐसे
प्रीपेि कािव सेमी-तिोज्ि लसस्टम प्रीपेि कािव के रूप में जाने जाते हैं। इन कािव को केिि घरे िू उपयोग के
इस्तेमाि ककया जा सकता है ।
एक बैंक कई प्रकार के जोणखम उठा सकता है , जजन्हें ध्यान से प्रबंधधत ककया जाना चाहहए। जोणखम उस
शतव को संदलभवत करता है , जहां एक विशेर् पररणाम की अिांछनीय घटनाओं के घहटत होने की संभािना
होती है , जो सबसे अधधक घहटत होने के लिए जाना जाता है और इसलिए बीमा योग्य होता है ।
1. ऋण र्ोणखम-
2॰ बार्ार र्ोणखम
बाजार जोणखम वित्तीय बाजार के समग्र प्रदशवन को प्रभावित करने िािे कारकों के कारण पनपता है । बैंकों
की व्यापाररक पुस्तक में मैजतकंज़े बैंक घाटे के जोणखम के रूप में बाजार जोणखम को पररभावर्त करता है ,
जजसका कारण इजतिटी मूल्य, ब्याज दरों, क्रेडिट स्प्रेि, विदे शी विननमय दरों, कमोडिटी की कीमतों, और
अन्य संकेतकों में पररितवन है , जजनका मल्
ू य एक सािवजननक बाजार में ननधावररत होता है ।
3॰ पररचालन र्ोणखम
बैंक की दै ननक गनतविधधयों के अंतगवत ककन्ही असफि (त्रहु टपूण)व व्यिसानयक प्रकक्रयाओं के पररणामस्िरूप
पररचािन जोणखम पनपता है । पररचािन जोणखम के उदाहरणों में गित खाते में जमा ककए गए भुगतान या
बाज़ारों में िेनदे न करते समय गित ऑिवर को कक्रयांवित करना आहद शालमि होते हैं। ककसी बैंक का कोई
भी विभाग पररचािन जोणखमों से उन्मत
ु त नहीं है ।
4. चिनिधध जोखिम
जब जमाकताव अपने पैसे िापस िेने के लिए आते हैं, तो बैंक द्िारा अपने दानयत्िों को पूरा नहीं कर पाने से
होने िािे जोणखम को चिननधध जोणखम कहते है । यह जोणखम आंलशक ररजिव बैंककंग प्रणािी में ननहहत है ।
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5. व्र्ापार र्ोणखम
प्रनतष्ठा बैंककंग कारोबार में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अमूतण पररसंपत्ति है । प्रनतष्ठा जोखखम ककसी व्यापार के
अच्छे िाम के लिए खतरा या चेताविी है । यह कई प्रकारों के माध्यम से उत्पन्ि हो सकती है , जैसे स्वयं
कंपिी के कायों के सीधे पररर्ाम के रूप में या ककसी कमणचारी के कायों के कारर्।
7. प्रणािीगत जोखिम
प्रणािीगत जोणखम िह जोणखम है , जो ककसी एक बैंक या वित्तीय संस्थान प्रभावित करने की बजाय पूरे
उद्योग को प्रभावित करता है । प्रणािीगत जोणखम व्यापक विफिताओं के साथ जुडे हुए हैं, जहााँ एक बडी
एंहटटी की विफिता, उद्योग में अन्य सभी की विफिता का कारण बन सकती है ।
जब एक बडा बैंक या बडी वित्तीय संस्थान यह जानते हुए भी कोई जोणखम िेता है , कक ककसी और को उन
जोणखमों के बोझ का सामना करना पडेगा, तो इस प्रकार के जोणखम को नैनतक पररसंकट/जोणखम कहा जाता
है ।
बैंककंग िोकपाि आरबीआई द्िारा ननयुतत एक िररष्ट्ठ अधधकारी है , जो बैंककंग िोकपाि योजना 2006 के
खंि 8 के अंतगवत ननहदव ष्ट्ट लशकायत के आधार पर कुछ बैंककंग सेिाओं में कमी के णखिाफ ग्राहकों की
लशकायतों का ननपटान करता है ।
बैंक ग्राहकों के लिए बैंकों द्िारा प्रदान की जाने िािी ननजश्चत सेिाओं से संबंधधत लशकायतों के समाधान
हे तु बैंककंग िोकपाि योजना एक आवििजम्बत और सस्ता फोरम है । बैंककंग िोकपाि योजना को आरबीआई
द्िारा बैंककंग विननयमन अधधननयम, 1947 की धारा 35 ए के तहत 1995 से िागू ककया गया है । ितवमान
में बैंककंग िोकपाि योजना 2006 (यथा 1 जुिाई, 2017 तक संशोधधत) संचािन में है ।
इस योजना के अंतगवत सभी अनुसूधचत िाणणजज्यक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और अनुसूधचत प्राथलमक
सहकारी बैंकों को शालमि ककया गया है ।
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बेसि समझौते, बैंक पयविेक्षण पर बेसि सलमनत (BCBS) द्िारा ननधावररत बैंककंग विननयमों (बेसि I, II और
III) के तीन समूह हैं, जो पूंजी जोणखम, बाजार जोणखम और पररचािन जोणखम के संबंध में बैंककंग विननयमों
पर लसफाररशें प्रदान करते हैं। इस समझौते का उद्दे श्य यह सुननजश्चत करना है कक वित्तीय संस्थाओं के पास
दानयत्िों को पूरा करने और अप्रत्यालशत हानन की क्षनतपूनतव करने के लिए खाते में पयावप्त पाँज
ू ी हो।
BCBS की स्थापना 1947 में बैंककंग पयविेक्षी मामिों में अपने सदस्य दे शों के बीच ननयलमत रूप से
सहयोग के लिए एक मंच के रूप में की गई थी।
बैंककंग पयविेक्षण पर बेसि सलमनत के अनुसार "बेसि III, बैंककंग पयविेक्षण पर बेसि सलमनत द्िारा विकलसत
सुधार उपायों का एक व्यापक सेट है , जो बैंककंग क्षेत्र के विननयमन, पयविेक्षण और जोणखम प्रबंधन को सुदृढ
करता है "।
• त्तविीय और आर्थणक तिाव से उत्पन्ि संकटों की उपिब्ध स्रोतों के साथ क्षनतपूनतण करिे के लिए बैंककंग
क्षेि की क्षमता में सुधार
• SCSS मख्
ु य रूप से भारत के िररष्ट्ठ नागररकों के लिए है , जो ननयलमत आय प्रदान करता है और
जोणखम मत
ु त कर बचत ननिेश है ।
• 2. िह सेिाननित्त
ृ , जजन्होने स्िैजच्छक सेिाननिवृ त्त योजना (VRS) या 55-60 िर्व के बीच की आयु के साथ
अधधिवर्वता को चन
ु ा है ।
• 4. हहंद ू अविभतत पररिारों (HUFs) और अननिासी भारतीयों को इस योजना में ननिेश करने की अनुमनत
नहीं है ।
• तनिेश ै से रें ?
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• कोई भी िररष्ट्ठ नागररक ककसी िाकघर या अनुसूधचत िाणणजज्यक बैंक के साथ या तो व्यजतत खाता या
संयुतत खाता (जीिनसाथी के साथ) खोि कर इस योजना में ननिेश कर सकते हैं।
• योजना में ननिेश की गई रालश सेिाननिवृ त्त पर प्राप्त होने िािे धन से अधधक नहीं हो सकती। अत: कोई
व्यजतत या तो 15 िाख रुपए या सेिाननिवृ त्त िाभ के रूप में प्राप्त रालश में से जो भी कम हो, उसका ननिेश
कर सकता है । नकद द्िारा 1 िाख रुपए से नीचे की रालश और चेक द्िारा 1 िाख रुपए से ऊपर की रालश
जमा करा कर खाता खोिा जा सकता है ।
• प्रनतगामी बंधक, िररष्ट्ठ नागररकों को अपने घर को धगरिी रखने के बदिे में ककसी उधारदाता (कोई बैंक
या कोई वित्तीय संस्थान) से एक ननयलमत आय की रालश प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है । उधारकताव
(अथावत ् संपवत्त को धगरिी रखने िािा व्यजतत), अपने जीिन के अंत तक संपवत्त में रहता है और उस पर एक
आिधधक भुगतान प्राप्त करता है । यह पारं पररक आिास ऋण से अिग है ।
• पात्रिा
• आिासीय घर या फ्िैट के मालिक व्यजतत, जो भारत के एक ननिासी है और 60 िर्व की आयु से ऊपर हैं,
िे इस ऋण का िाभ उठा सकते हैं।
• यहद ऋण संयुतत खाते में है , तो दं पनत में से एक 60 िर्व और उससे ऊपर का होना चाहहए और दस
ू रा
कम से कम 58 िर्व का होना चाहहए।
• यह एक ऐसी योजना है , जजससे सोने के जमाकतावओं को अपने धातु खातों पर ब्याज अजजवत करने की
सवु िधा दी जाती है । एक बार सोना धातु खाते में जमा हो जाए, तो उस पर ब्याज लमिना शरू
ु हो जाता है ।
• इस योजना ने तत्कालिन स्िणव जमा योजना, 1999 को प्रनतस्थावपत कर हदया। हािांकक, स्िणव जमा
योजना और स्िणव धातु ऋण योजनाओं के तहत बकाया जमा को पररपतिता तक रखे जाने की अनुमनत है ।
अगर इन जमाकतावओं द्िारा समय से पहिे मौजूदा ननदे शों के अनुसार ननकासी नहीं की जाती है , तो इन्हें
पररपतिता तक रखे जाने की अनुमनत है ।
• जमा की न्यन
ू तम मात्रा 30 ग्राम है । सोना ककसी भी रूप में हो सकता है , बलु ियन या आभर्
ू ण। कोई
अधधकतम सीमा नहीं है ।
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• अल्पािधध: 1 से 3 िर्व
• मध्यािधध: 5 से 7 साि
• दीघाविधध: 12 से 15 िर्व
• SGBs सोने के ग्रामों में मूल्यिगव की सरकारी प्रनतभूनतयां हैं। ये भौनतक सोने को रखने का एक विकल्प
हैं। ननिेशकों को नकद में ननगवम के भाि/ की कीमत का भुगतान करना होगा और पररपतिता पर बॉन्ि का
नकद में मोचन ककया जाएगा। भारत सरकार की ओर से ररजिव बैंक द्िारा बॉन्ि जारी ककया जाता है ।
• विदे शी मद्र
ु ा प्रबंधन अधधननयम, 1999 के अंतगवत दी गई व्याख्या के अनस
ु ार भारत में ननिास करने िािे
व्यजतत एसजीबी में ननिेश करने के लिए पात्र हैं। पात्र ननिेशकों में कोई भी व्यजतत, HUFs (हहंद ू अविभतत
पररिार), रस्ट, विश्िविद्यािय और धमावथव संस्थान शालमि हैं।
• ये बॉन्ि सोने के एक ग्राम के मूल्यिगव में और उसके गुणकों में जारी ककए जाते हैं। इन बॉन्िों में
न्यूनतम ननिेश एक ग्राम होगा और सदस्यता की अधधकतम सीमा व्यजततयों के लिए 4 ककग्रा, हहंद ू
अविभतत पररिारों के लिए 4 ककग्रा और रस्टों और प्रनत वित्त िर्व (अप्रैि-माचव) में सरकार द्िारा समय-
समय पर अधधसूधचत समान संस्थाओं के लिए 20 ककग्रा होगी। संयुतत खाते के मामिे में , पहिे आिेदक
पर सीमा िागू होती है ।
• PMGKDS 2016 गरीबी को संबोधधत करने के उद्दे श्य से 16 हदसम्बर, 2016 को भारत सरकार द्िारा
अधधसूधचत एक योजना है । PMGKY को कराधान कानून (द्वितीय संशोधन) अधधननयम, 2016 का हहस्सा
बनाया गया है ।
• इसके अनतररतत, उनकी अज्ञात आय का 25% PMGKDS योजना में ननिेश ककया जाएगा, जो त्रबना
ककसी ब्याज के जमा के 4 िर्ों के बाद िापस ककया जाएगा।
• यह योजना भारतीय ररजिव बैंक के साथ पंजीकृत एनबीएफसी द्िारा सेिाओं में कमी करने से संबंधधत
िागत रहहत और शीघ्र लशकायत ननिारण प्रणािी प्रदान करे गी।
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• यह प्रारं लभक तौर पर चार मेरो केंद्रों अथावत चेन्नई, कोिकाता, मुंबई और नई हदल्िी में संबंधधत जोनों से
लशकायतों से ननपटने के लिए शुरू की जा रही है , ताकक पूरे दे श को किर ककया जा सके।
• इंडिया पोस्ट ने 1988 में स्मॉि सेविंग सहटव कफकेट स्कीम के रूप में KVP पेश ककया। इसका प्राथलमक
उद्दे श्य िोगों में दीघवकालिक वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहहत करना है । योजना के 2014 संशोधन के
अनुसार इस योजना के लिए अब तक की अिधध 118 माह (9 िर्व & 10 माह) है । न्यूनतम ननिेश 1000
रुपए है और इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है । 7.3% की ब्याज दर प्रनतिर्व चक्रिद्
ृ धधत की जाती है ।
• शुरूआत में , यह ककसानों के लिए दीघाविधध बचत के लिए बनाई गई थी और इसलिए इसका नाम यह है ।
अब यह सभी के लिए उपिब्ध है ।
धन मल्
ू य के रूप में कुछ भी हो सकता है , जो ननम्न के रूप में कायण करता है -
पैसे की मध्यस्थता के त्रबना िस्तुओं के आदान-प्रदान को िस्तु-विननमय मुद्रा कहा जाता है । यह अनुकूि
जस्थनत के दोहरे संयोग की कमी से ग्रस्त है ।
धन (पैसे) े प्र ार
ितिु मुद्रा
यह एक प्रकार का धन है , जजसे पैसे के रूप में इस्तेमाि नहीं ककए जाने पर भी जजसका मल्
ू य होता है । यह
आमतौर पर आंतररक मल्
ू य के रूप में जाना जाता है । ' आंतररक मल्
ू य ' का अथव है कक पैसे के रूप में
इसके उपयोग के अनतररतत भी इसका मूल्य होता है । इनतहास में विलभन्न कािों में सोने, चांदी, अनाज,
पशुधन, नमक, और अन्य सामग्री ने िस्तु मुद्रा के रूप में कायव ककया है ।
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प्रतितनधध धन
यह कागज मुद्रा है , जजसे ककसी मूल्यिान िस्तु आमतौर पर सोने या चांदी की एक ननजश्चत रालश के लिए
विननमय ककया जा सकता है । कागज मुद्रा सुविधाजनक है तयोंकक इसका िजन कम होता है और इस पर
बहुत बडा मूल्यिगव मुहद्रत ककया जा सकता है , जजसका िजन मुद्रा के एकि इकाइयों से अधधक नहीं होता
है । उदाहरण – चैक, डिमांि ड्राफ्ट आहद।
िैध/कागजी मुद्रा ा कोई आंतररक मूल्य नहीं होता है और न ही इसका सोने-चांदी के लसतकों (नोटों के
बजाय लसतकों के रूप में धन) से मोचन ककया जा सकता है । इसका मूल्य सरकारी डिक्री या िैधता से
उत्पंन होता है । िैध मुद्रा का सबसे अच्छा उदाहरण ागर् मुद्रा है ।
िाणणस्यर् बैं धन
यह ककसी मुद्रा के उस भाग का िणवन करता है , जो िाणणजज्यक बैंकों द्िारा हदये गए ऋण के लिए बनाया
जाता है । जब बैंक उनके पास की िास्तविक संप्रभु मुद्रा के कई गुना मूल्य (आमतौर पर 10 गन
ु ा अधधक)
के ऋण जारी करने के लिए आंलशक आरक्षक्षत बैंककंग का उपयोग करते हैं, तो इसे बनाया जाता है ।
धन आपूतिय े उपार्
पैसे की आपूनतव, पैसे की मांग की तरह, एक स्टॉक चर है । समय के एक विशेर् त्रबंद ु पर जनता के बीच
संचालित धन के कुि स्टॉक को पैसे की आपूनतव कहा जाता है । आरबीआई धन आपूनतव के चार िैकजल्पक
उपायों अथावत ् M1, M2, M3 और M4 के आंकडे प्रकालशत करता है । इन्हें ननम्नानुसार पररभावर्त ककया
जाता हैं:
आरक्षक्षत धन M0 = संचिन में मुद्रा + आरबीआई के पास बैंकरों का जमा + आरबीआई के पास 'अन्य'
जमा
Narrow Money M1 = Currency with the public + Demand deposits with the banking
system + ‘Other’ deposits with the RBI
संकीणव मद्र ु ा + बैंककंग प्रणािी के साथ मांग जमा + आरबीआई के पास 'अन्य'
ु ा M1 = जनता के पास मद्र
जमा
मध्यिती मद्र
ु ा M2 = M1 + ननिालसयों के अल्पकालिक जमा (एक िर्व की संविदात्मक पररपतिता तक और
उसके सहहत)
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व्यापक / स्थि
ू मुद्रा M3 = M2 + ननिालसयों के दीघवकालिक जमा + वित्तीय संस्थाओं से कॉि/टमव ननधध
वित्तीय बाजार में एक प्रकार का िह बाजार है , जजसमें िोग वित्तीय प्रनतभूनतयों और व्युत्पन्नों (िेररिेहटि)
जैसे फ्यूचर और आप्शन के रूप में कम िागत दर पर व्यापार करते हैं। प्रनतभूनतयों में स्टॉतस और बॉन्ि
तथा कीमती धातुय ेँ शालमि हैं।
मद्र
ु ा बार्ार- मि
ू रूप से वित्तीय बाजार के एक िगव को संदलभवत करता है , जहां उच्च चिननधध और
अल्पकालिक पररपतिताओं के साथ वित्तीय लिखतों का कारोबार ककया जाता हैं। मुद्रा बाजार एक िर्व या
उससे कम की अल्पकालिक पररपतिताओं की प्रनतभूनतयों की त्रबक्री और खरीद के लिए वित्तीय बाजार का
एक हहस्सा बन गया है ।
Main instruments of money market in India are: 1. Treasury Bills 2. Commercial Paper 3.
Call Money 4. Certificate of Deposit 5. Commercial Bills 6. Repo Market 7. Collateralised
Borrowing and Lending Obligation (CBLO)
भारत में मुद्रा बाजार के मुख्य लिखत हैं: 1. राजकोर् / खजाना त्रबि 2॰िाणणजज्यक पत्र 3. मांग मुद्रा 4.
जमा प्रमाण पत्र 5. िाणणजज्यक त्रबि 6.पुन:खरीद बाजार 7. सिंपास््िय ी ृ ि उधार लेन-दे न सिंबिंधी दातर्त्ि
(CBLO)
रार् ोष / खर्ाना बबल: राजकोर्/खजाना त्रबि, जजन्हें शून्य कूपन बॉन्ि के नाम से भी जाना जाता है , ये
एक िर्व से कम की पररपतिता अिधध के अल्पािधध उधार लिखत होते हैं।
िाणणस्यर् पत्र (CP) एक प्रकार के अल्पकालिक अरक्षक्षत िचन-पत्र होते हैं, जजनकी पररपतिता अिधध 7
हदन से एक िर्व तक की होती है । चकूं क यह अरक्षक्षत होते हैं, इसलिए इन्हें बडी और उधार-विश्िासपात्र
कंपननयों द्िारा जारी ककया जाता है ताकक िे अपनी अल्पकालिक ननधध की आिश्यकताओं को पूरा कर सके।
एक अल्पािधध वित्त, जजसे अंतरबैंक िेनदे न के लिए इस्तेमाि ककया जाता है , उसे मािंग मुद्रा कहा जाता है ।
बैंकों द्िारा मांग मुद्रा बाज़ार में चिननधध को पूरा करने के लिए एक रात के के उधार (एक हदिसीय ऋण)
का िाभ उठाया जा सकता है । यहद बैंक को कुछ और हदनों के लिए ननधध की जरूरत होती है , तो िह
सूचना मुद्रा बाज़ार (notice money market) के जररए धन का फायदा उठा सकते हैं। यह दो हदन से
चौदह हदन तक ऋण उपिब्ध कराया जाता है ।
र्मा प्रमाण पत्र िघु अिधध के लिखत हैं, जजन्हें िाणणजज्यक बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्िारा व्यजततयों,
ननगमों और कंपननयों को जारी ककया जाता है । िे अरक्षक्षत और परक्राम्य (negotiable) हैं।
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िाणणस्यर् बबल एक प्रकार के विननमय पत्र हैं, जजनका उपयोग फमों की कायवशीि पूंजी को वित्त-पोवर्त
करने के लिए ककया जाता है । यह एक अल्पकालिक, परक्राम्य (negotiable) और स्ियं पररसमापनशीि
लिखत है ।
पुन:खरीद बार्ार (रे पो बार्ार)- रे पो या रे िी फोरिोिव कांरैतट (ready forward contract) िह लिखत है ,
जजसमें प्रनतभूनतयों को बेचकर ननधध उधार िी जाती है और पारस्पररक रूप से सहमत ककसी तारीख पर
आपस में सहमत ककसी मूल्य पर, जजसमें उधार की ननधध का ब्याज शालमि होता है , कधथत प्रनतभूनतयों की
पुिखणरीद का समझौता ककया जाता है ।
सिंपास््िय ी ृ ि उधार लेन-दे न सिंबिंधी दातर्त्ि (CBLO) - CBLO एक अन्य मुद्रा बाज़ार लिखत है , जजसका
संचािन जतियररंग कॉरपोरे शन ऑफ इंडिया लिलमटे ि (CCIL) द्िारा ककया जाता है । यह एक हदन से िेकर
एक िर्व तक की पररपतिता सीमा-अिधध के लिए इिेतराननक बूक एंरी फामव में उपिब्ध छूट प्राप्त लिखत
है ।
पंज
ू ी बाजार उन गनतविधधयों को संदलभवत करता है , जो कुछ संस्थाओं से धन इकट्ठा करती है और उन्हें
अन्य संस्थाओं जजन्हें धन की जरूरत है , उन्हें उपिब्ध कराती है । इस तरह के बाजार का मख्
ु य कायव
िेनदे न की क्षमता में सध
ु ार करना है ताकक प्रत्येक इकाई को खोज और विश्िेर्ण करने, कानन
ू ी अनब
ु ंध
बनाने और ननधध अंतरण परू ा करने की आिश्यकता नहीं हो।
ऋण लिखत के प्रकार है - नोट, बॉन्ि, डिबेंचर, प्रमाणपत्र, बंधक, पट्टा या एक ऋणदाता और उधारकताव के
बीच अन्य समझौते शालमि हैं।
इस्तिटी शेर्र: इन शेयरों के मालिक एक व्यापार उद्यम के साथ जुडे अधधकतम उद्यमी जोणखमों को उठाते
हैं। इजतिटी ककसी पररसंपवत्त का िह मूल्य है , जो उस पररसंपवत्त पर सभी दे नदाररयों की रालश से कम होता
है ।
एक िेखांकन समीकरण के रूप में , इसका प्रनतननधधत्ि ककया जा सकता है : पररसंपवत्त - दे नदाररयााँ =
इजतिटी
अधधमानी शेर्र: अधधमानी शेयर, जजन्हें समान्यता प्रेफरि स्टॉक (preferred stock) के नाम से अधधक
संदलभवत ककया जाता है , िह िाभांश के साथ कंपनी के स्टॉक के शेयर हैं , जजन्हें बांि पर ब्याज के जैसे एक
ननजश्चत दर शेयर धारक को को भुगतान ककया जाता है ।
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यदद कंपिी हदिालिया हो जाती है , तो प्रेफरि स्टॉक के शेयरधारक कंपिी की संपत्ति से पहिे भुगताि पाने
के हकदार होते हैं।
व्र्ुत्पन्न: यह ककसी अंतननवहहत पररसंपवत्त या संपनतयों के समूह से व्युत्पन्न या उन पर ननभवर कोई वित्तीय
सुरक्षा है , जजसका कुछ मूल्य होता है । व्युत्पंन संपत्ति या संपनतयों के आधार पर दो या अधधक पक्षों के बीच
एक अनुबंध है ।
सबसे आम अंतननवहहत संपवत्त मेन स्टॉतस, बॉन्ि, रूपांतरण/कायांतरण, मुद्रा, ब्याज दर और बाजार सूचकांक
शालमि हैं।
परक्राम्य लिखत अर्धनियम, 1881 की धारा 13 (i) के अनुसार ककसी परक्राम्य लिखत का अथव िचन-पत्र,
विननमय पत्र या चेक से होता है , जो उसमें शालमि होता है ।
(1) कोई आजस्त या सम्पवत्त (अथावत ् जो लिखत की विर्य िस्तु है ) अंतरणकताव से अंतररती तक मात्र
सप
ु द
ु व गी और/या लिखत के परांकन (पत्र आहद के संदभव में ) से होकर जाती है ,
(2) कोई अंतररती जो अच्छे विश्िास और मूल्य के लिए (और जजसे अंतरणकताव की ओर से में ककसी भी
दोर् का कोई नोहटस नहीं है ) लिखत स्िीकार करता है , उसे अपररहायवता प्राप्त होती है और उसके नाम से
लिखत पर कोई मुकदमा ककया जा सकता है , तथा
(3) लिखत के उत्तरदायी पक्ष को दी जाने िािी अंतरण आिश्यकतों का कोई नोहटस नहीं होता।
वितनमर् पत्र - विननमय पत्र एक त्रबना शतव के आदे श युतत ननमावता द्िारा हस्ताक्षर ककया हुआ िेखन में
एक लिखत है , जो ककसी ननजश्चत व्यजतत को ककसी अन्य ननजश्चत व्यजतत को या लिखत के िाहक को या
तो केिि उसे या आदे श से धन की एक ननजश्चत रालश का भुगतान करने के लिए ननहदव ष्ट्ट करता है । एक
हुंिी ककसी भारतीय भार्ा में विननमय पत्र है , जो सीमा शुल्क और स्थानीय उपयोग द्िारा ननयंत्रत्रत होता है।
हािांकक, NI अधधननयम, हुंिी को ननयंत्रत्रत नहीं करता है , इसलिए विननमय पत्र हुंिी को शालमि हो कर
सकता है , िेककन हुंिी विननमय पत्र नहीं हो सकती है ।
िचन पत्र - परक्राम्य लिखत अर्धनियम, 1881 की धारा 4 में एक िचन पत्र को िेखन में एक लिखत के
रूप में पररभावर्त ककया गया है । यह एक त्रबना शतव का उपक्रम है , जो ननमावता के हस्ताक्षर यूतत होता है ,
जजसे धन की एक ननजश्चत रालश का या तो ककसी व्यजतत के आदे श या लिखत के िाहक को भुगतान करना
है । िह व्यजतत, जो िचन पत्र बनाता है , िह भुगतान करने का िादा करता है और ननमावता कहिाता है ।
जजस व्यजतत के लिए भुगतान मोि होना है , िह प्राप्तकताव कहिाता है ।
चे - एक चेक एक ननहदव ष्ट्ट बैंकर द्िारा तैयार ककया गया विननमय पत्र है । यह मांग होने पर दे य होता है ।
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बैं ड्राफ्ट- यह भुगतानकताव की ओर से एक भुगतान है , जजसकी जारीकताव बैंक द्िारा गारं टी िी जाती है ।
आम तौर पर, बैंक द्िारा बैंक ड्राफ्ट ननिेदक के खाते की समीक्षा की जाएगी, ताकक यह सुननजश्चत ककया जा
सके कक चेक का भुगतान करने के लिए पयावप्त धन है या नहीं। एक बार यह पुजष्ट्ट कर दी जाये कक पयावप्त
धनरालश उपिब्ध है , तो बैंक ड्राफ्ट का उपयोग ककए जाने पर संबजन्धत बैंक व्यजतत के खाते से धन को
प्रभािी रूप से अिग कर दे ता है ।
िाह बॉन्ड - यह एक निश्चचत-आय प्रनतभूनत है , जो धारक (वाहक) के स्वालमत्व में बश्ल्क एक पंजीकृत
मालिक के स्िालमत्ि में होती है । ब्याज भुगताि के लिए कूपि, भौनतक रूप से प्रनतभूनत से जुडे होते हैं और
यह बॉन्ि धारक की श्जम्मेदारी है कक िह कूपि को भग
ु ताि के लिए ककसी बैंक में जमा करें और जब बॉन्ि
पररपक्वता नतर्थ तक पहुंचिे जाएाँ, तो भौनतक प्रमार् पि का मोचन कर िें ।
बॉन्ड
र्ी-से
केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्िारा जारी ककया गया एक व्यापाररक लिखत, एक सरकारी सुरक्षा (G-Sec)
है । यह सरकार के ऋण दानयत्ि को स्िीकार करता है । इस तरह की प्रनतभूनतयां अल्पािधध (आमतौर पर
इन्हें राजकोर्/खजाना त्रबि कहा जाता है , इनकी मूि पररपतिता एक िर्व से कम की होती है ) या
दीघवकालिक (आमतौर पर इन्हें सरकारी बॉन्ि या हदनांककत प्रनतभूनतयां कहा जाता है , इनकी मूि पररपतिता
एक िर्व या उससे अधधक की होती है ) होती हैं।
भारत में , केंद्र सरकार राजकोर्/खजाना त्रबि और बॉन्ि या हदनांककत प्रनतभूनतयां दोनों जारी करती हैं, जबकक
राज्य सरकारें केिि बॉन्ि या हदनांककत प्रनतभूनतयों का ननगवमन करती हैं, जजन्हें राज्य विकास ऋण
(SDLs) कहा जाता है । जी-सेक में व्यािहाररक रूप से डिफ़ॉल्ट का कोई जोणखम नहीं िेते हैं और इसलिए,
इसे जोणखम मत
ु त श्रेष्ट्ठ प्रनतभनू त लिखत कहा जाता है ।
जी-सेक आरबीआई द्िारा आयोजजत नीिामी के माध्यम से जारी ककए जाते हैं। ररजिव बैंक के ई-कुबेर नामक
कोर बैंककंग सॉल्यूशन (CBS) इिेतराननक प्िेटफॉमव पर नीिामी का आयोजन ककया जाता है । िाणणजज्यक
बैंकों, अनुसूधचत शहरी सहकारी बैंकों, प्राथलमक िीिरों, बीमा कंपननयों और भविष्ट्य ननधध, जो भारतीय ररजिव
बैंक के साथ धन खाता (चािू खाता) और प्रनतभूनत खाते (सहायक सामान्य िेज़र (SGL) खाता) का
रखरखाि करते हैं, िह इस इिेतरॉननक प्िेटफ़ॉमव के सदस्य होते हैं।
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बीमा कंपननयों की तरह संस्थागत ननिेशकों के अिािा जी-सेक बाजार में प्रमुख णखिाडडयों के रूप में
िाणणजज्यक बैंक और पीिीएस (प्राथलमक सदस्यों के रूप में प्रलसद्ध -पीएमएस) शालमि हैं। पीिीएस जी-सेक
बाजार में बाजार ननमावताओं के रूप में एक महत्िपूणव भूलमका ननभाते हैं। अन्य प्रनतभाधगयों में सहकारी बैंक,
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, म्यूचुअि फंि, भविष्ट्य और पें शन फंि शालमि हैं।
IIBs ननिेशकों को मुद्रास्फीनत की ताकतों से बचाने के लिए तैयार ककया गया हैं।
इन बॉन्िों के मूिधन और ब्याज भुगतान आमतौर पर िब्िूपीआई या सीपीआई जैसे मुद्रास्फीनत सूचकांक से
जुडे होते हैं।
िर्व 1997 में मुद्रास्फीनत से जुडे पूंजी सूचकांक बॉन्ि (CIBs) के नाम पर बॉन्ि पहिे जारी ककए गए थे।
यह प्रदत्त सुरक्षा केिि मूिधन पर थी और ब्याज भुगतान के लिए नहीं नहीं थी।
िर्व 1997 में , मुद्रास्फीनत सूचकांक बॉन्ि के नाम से नए बॉन्ि (IIBs) जारी ककए गए, जो मूिधन और
ब्याज भुगतान दोनों के लिए सुरक्षा प्रदान करते है ।
वित्तीय संस्थान और वित्त ननमयक िह कंपननयााँ हैं, जो मौहद्रक िेनदे न जैसे जमा, ऋण, ननिेश और मुद्रा
विननमय से ननपटने के कारोबार में हैं। FIs वित्तीय सेिा क्षेत्र के अंतगवत बैंक, रस्ट कंपननयों, बीमा कंपननयों,
और िोकरे ज फमों या ननिेश िीिरों सहहत के व्यापक रूप से कई व्यापार कायों को शालमि करती है ।
1. आरबीआई - भारतीय ररजिव बैंक की स्थापना 1 अप्रैि, 1935 को भारतीय ररजिव बैंक अधधननयम, 1934
के प्रािधानों के अनस
ु ार की गई थी।
कृवर् और ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण की व्यिस्थाओं की समीक्षा करने िािी सलमनत
(CRAFICARD) की लसफ़ाररशों पर इसकी स्थापना की गई। बी. लशिरामन की अध्यक्षता में सलमनत का
गठन ककया गया।
मुख्र्ालर्: मुंबई
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आरआरबी की स्थापना सन 1975 में एक अध्यादे श द्िारा की गई है । बाद में आरआरबी अधधननयम 1976
द्िारा प्रनतस्थावपत कर हदया गया।
शेयरधारकों का योगदान:
लसिबी का गठन 02 अप्रैि, 1990 में ककया गया। यह सूक्ष्म, िघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के
संिधवन, वित्तपोर्ण और विकास के लिए प्रमुख वित्तीय संस्थान है ।
मुख्र्ालर्-िखनऊ
सेबी भारत में प्रनतभनू त बाजार (ननिेशक के हहत की रक्षा के लिए) ननयामक है । यह भारतीय प्रनतभनू त एिं
विननमय बोिव अधधननयम, 1992 के प्रािधानों के अनस
ु ार 12 अप्रैि, 1992 को स्थावपत ककया गया था।
अध्यक्ष-अजय त्यागी
मख्
ु यािय-मंब
ु ई
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इसे1982 में भारत के विदे शी व्यापार के वित्तपोर्ण, सवु िधा और संिधवन के लिए स्थावपत ककया गया था।
उद्दे श्य- भारत में विदे शी व्यापार को वित्त-पोवर्त करना, सुगम बनाना और बढािा दे ना। इसके अिािा
ननयावत आयात व्यापार के वित्तपोर्ण में िगे संस्थानों के कायव का समन्िय करना।
Headquarter- Mumbai
सीईओ-यदि
ु ेन्द्र माथरु
मुख्यािय-मुंबई
उद्दे श्य - भारतीय उद्यलमयों जोणखम प्रदान करने के साथ-साथ को बीमा किर प्रदान करना।
यह िाणणज्य मंत्रािय के अंतगवत प्रशासननक ननयंत्रण में है और पूणव रूप से भारत सरकार के स्िालमत्ि में
है । यह ननयावत के लिए ऋण जोणखम बीमा और संबंधधत सेिाएं प्रदान करके दे श में ननयावत को बढािा दे ने
के उद्दे श्य से 1957 में स्थावपत ककया गया था।
मुख्यािय-मुंबई
मुख्यािय-नई हदल्िी
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9. IRDAI- दी इंश्योरें स रे गुिेटरी एंि िेििपमें ट अथॉररटी ऑफ इंडिया (IRDAI) भारत में इंश्योरें स और री-
इंश्योरें स इंिस्रीज को विननयलमत और बढािा दे ने के साथ एक स्िायत्त, सांविधधक ननकाय है ।
यह भारत सरकार द्िारा पाररत संसद के एक अधधननयम ‘बीमा विननयामक और विकास प्राधधकरण
अधधननयम, 1999 द्िारा गहठत ककया गया था।
मल्होिा कमेटी की ररपोटण की लसफाररश पर IRDAI ऐक्ट पाररत ककया गया। इसकी अध्यक्षता आर एि
मल्होिा िे की।
10. PFRDA
भारत सरकार द्िारा 23 अगस्त, 2003 को ओएलसस (ओल्ि एज सोशि & इनकम लसतयोररटी) ररपोटव की
लसफाररशों के आधार पर अंतररम पें शन फंि विननयामक एिं विकास प्राधधकरण (PFRDA) की स्थापना की
गई।
PFRDA अटि पें शि योजिा (APY) को व्यवस्थात्तपत करिे के साथ-साथ राष्रीय पें शि प्रर्ािी (NPS) का
त्तवनियमि और व्यवस्थापि कर रहा है , जो असंगदठत क्षेि के लिए एक पररभात्तित िाभ पें शि योजिा है ,
श्जसकी गारं टी भारत सरकार द्वारा दी गई है ।
मख्
ु यािय-नई हदल्िी
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कोई गैर-बैंककंग संस्था जो एक कंपनी है और ककसी भी योजना या व्यिस्था के तहत एक बडी रालश में या
ककस्तों में थोडा थोडा करके या ककसी अन्य तरीके से जमा प्राप्त करने का प्रमुख व्यिसाय है , तो यह भी
एक गैर-बैंककंग वित्तीय कंपनी (अिलशष्ट्ट गैर बैंककंग कंपनी) कहिाती है ।
एनबीएफसी को िगीकृत ककया जाता है a) एनबीएफसी स्िीकार करने िािे जमा और गैर-जमा में दे यताओं
के प्रकार के संदभव में , b) गैर-जमा जो एनबीएफसी को उनके आकार के आधार पर िेते हुए महत्ि के
अनुसार प्रणािीबद्ध करे और अन्य गैर-जमा होजल्िंग कंपननयां (NBFC-NDSI और NBFC-ND) और c)
उनके द्िारा की गई गनतविधधयों िे आचरण के अनुसार। इस व्यापक िगीकरण के अनुसार एनबीएफसी के
विलभन्न प्रकार ननम्नानुसार हैं:
I. एसेट फाइनेंस िं पनी (AFC): एएफसी एक ऐसी वित्तीय संस्था है , जजसका प्रमुख व्यिसाय ऑटोमोबाइि,
रै तटर, खराद मशीन, जनरे टर सेट, धरती खद
ु ाई और सामग्री हैंिलिंग उपकरण, स्ियं ऊजाव गनतमान और
सामान्य प्रयोजन औद्योधगक मशीनों जैसे उत्पादों /आधथवक गनतविधधयों का समथवन करने िािी भौनतक
संपवत्तयों का वित्तपोर्ण करना है ।
II. इनिेतटमें ट िं पनी (IC): आईसी एक वित्तीय संस्थान है ; जजसका प्रमुख व्यिसाय प्रनतभनू तयों का
अधधग्रहण करना है ।
IV. इिंफ्रातरतचर फाइनेंस िं पनी (IFC): IFC एक गैर बैंककंग वित्त कंपनी है , ए) जो आधारभत
ू संरचना ऋण
में अपनी कुि संपवत्त का कम से 75 प्रनतशत ननयोजजत करती है , b) जजसके पास ₹ 300 करोड की
न्यन
ू तम ननिि स्िालमत्ि ननधध है , c) जजसकी न्यन
ू तम क्रेडिट रे हटंग 'A' या समकक्ष हो d) और जजसके
पास 15% का CRAR (capital to risk weighted assets ratio) होता है ।
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VI. इनफ्रातरतचर डैब्ट फिंड NBFC (IDF-NBFC): IDF-NBFC, NBFC के रूप में पंजीकृत एक कंपिी है ,
जो आधारभूत संरचना पररयोजिाओं में दीर्णकालिक ऋर् के प्रवाह की सुत्तवधा दे ती है । IDF-NBFC न्यूनतम
5 िर्व की पररपक्वता के बांि के साथ रुपये या िॉिर के मूल्यिगव के माध्यम से संसाधि जुटाती है । केवि
इिंफ्रातरतचर फाइनेंस िं पतनर्ााँ (आईएफसी), IDF-NBFC को प्रायोजजत कर सकती हैं।
VII. गैर-बैंक िं ग वित्तीर् िं पनी-सूक्ष्म वित्त सिंतथा (NBFC: MFI): NBFC: MFI एक प्रकार के गैर जमा िेने
िािे NBFC होते हैं, विशेर्क संपनत (qualifying assets) में जजनकी संपवत्तयों का 85% से कम नहीं होता
है ।
VIII. नॉन-बैंक िं ग फाइनें मशर्ल िं पनी – फैतटर (NBFC-Factor): NBFC-Factor एक गैर जमा िेने िािे
NBFC हैं, जो प्रमुख रूप से फैतटररंग के व्यिसाय में होते हैं। फैतटररंग व्यिसाय में वित्तीय आजस्तयों का
गठन उसकी कुि आजस्तयों का कम से 50 प्रनतशत होना चाहहए और फैतटररंग व्यिसाय से प्राप्त उसकी
आय उसकी सकि आय के 50 प्रनतशत से कम नहीं होनी चाहहए।
IX. बिंध गारिं टी िं पतनर्ााँ (MGC)- MGC िो वित्तीय संस्थाएं हैं, जजनके लिए व्यापार कारोबार का कम से
90% बंधक गारं टी व्यिसाय है या सकि आय का कम से कम 90% बंधक गारं टी व्यिसाय से है और
ननिि स्िालमत्ि ननधध ₹100 करोड है ।
X. NBFC-िॉि-ऑपरे टटि िाइिेंलशयि होर््ििंग िं पिी (NOFHC) वह त्तविीय संस्थाि है , श्जसके माध्यम
से एक िया बैंक स्थात्तपत करिे के लिए प्रमोटर/प्रमोटरों के समूहों को अिुमनत दी जाएगी। यह एक पूर्ण
स्वालमत्व वािी नॉन-ऑपरे दटव त्तविीय होश्ल्िंग कंपिी (NOFHC) है , जो बैंक के साथ-साथ आरबीआई या
अन्य त्तविीय क्षेि नियामकों द्वारा त्तवनियलमत अन्य सभी त्तविीय सेवा कंपनियों को िागू त्तवनियामक के
तहत अिुमत सीमा तक आयोश्जत करे गी।
बैं ों ी रे द्रटिंग
क्रेडिट रे हटंग वित्तीय प्रणािी में एक महत्िपूणव भूलमका ननभाती हैं। कोई क्रेडिट रे हटंग एजेंसी एक कंपनी है ,
जो क्रेडिट रे हटंग प्रदान करती है , जो एक ऋणी के समय पर ब्याज भुगतान द्िारा ऋण के िापसी भुगतान
की योग्यता और डिफ़ॉल्ट की संभािना को रे हटंग दे ती है । एक एजेंसी ऋण दानयत्िों, ऋण के लिखतों और
कुछ मामिों में अंतननवहहत ऋण की सेिा िेने िािों के जारीकताव की साख की रे हटंग कर सकती है , िेककन
व्यजततगत उपभोतताओं की नहीं।
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CRISIL (कक्रलसि)
क्रेडिट रे हटंग इन्फॉमेशन सविवसेस ऑफ इंडिया लिलमटे ि, Credit Rating Information Services of India
Limited (CRISIL) भारत की सबसे बडी क्रेडिट रे हटंग एजेंसी है ।
कक्रलसि के बहुसंख्यक शेयरधारक स्टैंििव एंि पूसव हैं, जो मैतग्रा हहि फ़ाइनेंजन्सयि का एक ननकाय है और
फ़ाइनेंजन्सयि माकेट इंटेलिजेंस के प्रदाता हैं।
मख्
ु यािय- मंब
ु ई, महाराष्ट्र
CIBIL (मसबबल)
Credit Information Bureau of India Limited (क्रेडिट इन्फॉमेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिलमटे ि)
यह एजेंसी िर्व 2000 में स्थावपत की गई थी और पहिी क्रेडिट इन्फॉमेशन कंपनी थी।
क्रेडिट इन्फॉमेशन ररपोटव (CIR) बनाने के लिए इस इन्फॉमेशन का उपयोग ककया जाता है ।
मुख्र्ालर्-मुंबई
ICRA (आईसीआरए)
इनिेस्टमें ट इन्फॉमेशन एंि क्रेडिट रे हटंग एजेंसी (ICRA) एक भारतीय स्ितंत्र और व्यािसानयक ननिेश सूचना
और क्रेडिट रे हटंग एजेंसी है , जजसकी स्थापना 1991 में की गई थी।
मुख्र्ालर्-गुरुग्राम, हररयाणा
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कफच रे दटंग इंक (Fitch Ratings Inc.) "तीि सबसे बडी क्रेडिट रे दटंग एजेंलसयों" में से एक है और तीि
राष्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सांश्ययकीय रे हटंग संगठिों (NRSRO) में से एक है , जो 1975 में अमेररका
के प्रनतभूनत और त्तवनिमय आयोग द्वारा ननहदव ष्ट्ट है ।
यह फमव जॉन नोल्स कफच द्िारा 24 हदसंबर, 1914 को न्यूयॉकव शहर में स्थावपत ककया गया था।
कफच रे हटंग की िंबी अिधध की क्रेडिट रे हटंग 'AAA' से ‘D’ तक एक िणवमािा पैमाने ननदे शीत की जाती है ।
मि
ू ी कोरपोरे शन के बांि क्रेडिट रे हटंग व्यापार का नाम मि
ू ी है ।
मूिी की निवेशक सेवा वाखर्श्ययक और सरकारी संस्थाओं द्वारा जारी बांि पर अंतरराष्रीय त्तविीय अिुसंधाि
प्रदाि करता है ।
स्टैंििव एंि पूअर तथा कफच ग्रुप के साथ साथ मूिी भी तीन सबसे बडी क्रेडिट रे हटंग एजेंलसयों में से एक
माना जाता है ।
मूिी की स्थापना 1909 में जॉि मूिी द्वारा स्टॉक और बॉन्ि तथा बॉन्ि रे दटंग से संबंर्धत आंकडों के
मैिुअि का उत्पादि करने की लिए की गयी थी।
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S&P अपने शेयर बाजार सूचकांक के लिए जाना जाता है , जैसे US आधाररत S&P 500, कनाडियन
S&P/TSX, और ऑस्रे लियाई S&P/ASX 200
मख्
ु र्ालर्- न्यय
ू ॉकव, संयत
ु त राज्य अमेररका
भारत के बाहर से होने िािी फंडिंग के साधन के साथ भारत में ककया जाने िािा कोई भी ननिेश विदे शी
ननिेश होता है । इसलिए, विदे शी कॉरपोरे टों, विदे शी नागररकों और अननिासी भारतीयों द्िारा ककए जाने िािे
ननिेश विदे शी ननिेश की श्रेणी में आते हैं।
विदे शी दे शों से ननधधयों को शेयरों, संपवत्तयों, स्िालमत्ि/प्रबंधन या सहयोग में ननिेश ककया जा सकता है । इस
के आधार पर, विदे शी ननिेश को ननम्न प्रकार से िगीकृत ककया जा सकता हैं।
एफिीआई ककसी भारत से बाहर के ननिासी व्यजतत द्िारा पूंजीगत लिखतों के माध्यम से ननिेश है ।
(a) एक असच
ू ीबद्ध भारतीय कंपनी में ; या
(b) ककसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के पूणव रूप से हहस्सेदारी के आधार पर पोस्ट इश्यू पेि-अप इजतिटी
कैवपटि में 10% या उससे अधधक में ।
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एफपीआई में त्तवदे शी निवेशकों द्वारा धाररत प्रनतभूनत और अन्य त्तविीय पररसंपत्तियां शालमि हैं । यह
ननिेशकों को त्तविीय आश्स्तयों का प्रत्यक्ष स्वालमत्व नहीं प्रदाि करता है और यह अपेक्षाकृत बाजार की
अश्स्थरता के आधार पर अथवसुिभ / तरि ननिेश है । एफपीआई, एफिीआई से अिग है , श्जसमें एक र्रे िू
कंपिी त्तवदे शी फमण चिाती है , हािांकक एफिीआई भी ककसी कंपिी को त्तवदे श में धाररत फमण पर बेहतर
नियंिर् बिाए रखिे की अिुमनत दे ता है , िेककि भत्तवष्य में उसे प्रीलमयम मूल्य पर फमण को बेचिे में
अर्धक कदठिाई का सामिा करिा पड सकता है ।
एफआईआई िह संस्थागत ननिेशक हैं, जो जजन दे शों में जस्थत हैं, िहााँ के संगठनो को छोडकर, ककसी लभन्न
दे श से संबंधधत संपवत्तयों में ननिेश करते हैं।
विदे शी संस्थागत ननिेशक बडी कंपननयां हैं, जैस-े इन्िेस्टमें ट बैंक, म्यूचअ
ु ि फंि आहद, जो भारतीय बाजारों में
काफी मात्रा में पैसा ननिेश करते हैं।
ईसीबी, बैंक ऋण, प्रनतभूतीकृत लिखतों, क्रेता की साख पर उधार, आपूनतवकताव उधार, विदे शी मुद्रा पररितवनीय
बॉन्ि (FCCBs), वित्तीय पट्टा और विदे शी मुद्रा विननमेय बॉन्ि (FCEBs) के रूप में िाणणजज्यक ऋण को
संदलभवत करता है । ईसीबी की पररपतिता अिधध लिए गए ईसीबी के प्रकार पर ननभवर करती है ।
व्र्ापारर उधार (TC) विदे शी आपनू तवकतावओं, बैंक और वित्तीय संस्थाओं द्िारा पांच िर्व तक की पररपतिता
के लिए सीधे आयात के लिए विस्ताररत क्रेडिट को संदलभवत करता है । वित्त के स्रोत के आधार पर, इस तरह
के व्यापाररक उधार में क्रेता की साख पर उधार या आपूनतवकताव उधार शालमि हैं।
‘आपूनतवकताव उधार’ विदे शी आपूनतवकतावओं द्िारा विस्ताररत भारत में आयात के लिए ऋण से संबंधधत है ,
जबकक ‘क्रेता की साख पर उधार’ भारत के बाहर ककसी बैंक या वित्तीय संस्थान से भारत में आयात के
भुगतान के लिए आयातक द्िारा लिए गए ऋण को दशावता है ।
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एक रुपया िोलमनटे ि बॉन्ि विदे शी बाजारों में एक भारतीय इकाई द्िारा जारी ककया गया बॉन्ि है और ब्याज
भुगतान और मूिधन प्रनतपूनतव रुपये में विनामांककत (व्यतत) की जाती है ।
सभी भुगतान, भुगतान के समय के अनुसार उसके संबजन्धत िॉिर के मूल्यों में बदि जाते हैं।
रुपया िोलमनटे ि बॉन्ि का िणवन करने के लिए 'मसाला बॉन्ड' शब्द का उपयोग भी ककया जाता है , तयोंकक
रुपया िोलमनटे ि बॉन्ि के पहिे जारीकताव ने अपने लिए मसािा बॉन्ि नाम का इस्तेमाि ककया था।
अंतरराष्ट्रीय वित्त ननगम (IFC)- जो विश्ि बैंक से सहबद्ध है , िह 'मसािा बॉन्ि' के नाम के साथ रुपया
िोलमनटे ि बॉन्ि का पहिा प्रमुख प्रदाता है । बाद में , लसतंबर 2015 में , आरबीआई ने रुपया िोलमनटे ि बॉन्ि
के ननगवम के लिए विस्तत
ृ विननयामक हदशाननदे श जारी ककए।
धन-प्रेषण / विप्रेषण (धन अिंिरण सेिा र्ोर्ना (MTSS) और रूपर्ा आहरण व्र्ितथा (̈RDA)
भारत में हहताधधकारी बैंककंग और िाक चैििों के माध्यम से सीमा पार से आवक धन-प्रेर्ण / विप्रेर्ण प्राप्त
कर सकते हैं।
आवक धन-प्रेर्ण / विप्रेर्ण प्राप्त करिे के यूनिवसणि पोस्ट यूनियि के अंतराणष्रीय त्तविीय प्रर्ािी (IFS)
प्िेटफॉमण के अिावा (जो पोस्टि चैिि के लिए उपयोग ककया जाता है ) दो चैिि हैं और िे हैं - रुपया
आहरण व्यवस्था (̈RDA) और धि अंतरर् सेवा योजिा (MTSS), जो सबसे आम व्यवस्थाएं हैं, श्जिके
तहत दे श में त्तवप्रेिर् प्राप्त होते हैं।
RDA विदे शी क्षेत्राधधकारों से सीमा पार धन-प्रेर्ण / विप्रेर्ण प्राप्त करने के लिए एक चैनि है ।
इस व्यिस्था के तहत, प्राधधकृत श्रेणी I बैंकों को अपने िोस्टरों (Vostro) खाते को खोिने और बनाए रखने
के लिए एफएटीएफ अनुरूप दे शों में अननिासी विननमय गह
ृ ों के साथ गठबंधन में प्रिेश करना होता है ।
प्रेर्ण रालश के साथ-साथ प्रेर्ण की संख्या पर भी कोई सीमा नहीं है । हािांकक व्यापार संबंधी िेन-दे न के
लिए 15.00 िाख रुपये की ऊपरी सीमा है ।
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धन अिंिरण सेिा र्ोर्ना (MTSS) भारत में िाभाधथवयों के लिए विदे शों से व्यजततगत प्रेर्ण के हस्तांतरण
का एक तरीका है ।
भारत में केिि आिक ननजी प्रेर्ण, जैसे कक पररिार के लिए और भारत में आने िािे विदे शी पयवटकों के
लिए प्रेर्ण हे तु केिि व्यजततगत धन-प्रेर्ण / विप्रेर्ण की अनुमनत है ।
इस योजना के तहत विदे श में प्रनतजष्ट्ठत धन अंतरण कंपननयों जजन्हें विदे शी वप्रंलसपिों (Overseas
Principals) और भारत में एजेंटों जजन्हें भारतीय एजेंटों के रूप में जाना जाता है , उनके बीच एक गठबंधन
होता है , जो भारत में चि रही विननमय दरों पर िाभाधथवयों को धन का वितरण करते हैं।
LRS के तहत, सभी ननिासी व्यजतत स्ितंत्र रूप से चािू या पूंजी खाते के एक अनुमत सेट के िेनदे न से
$250000 तक विदे श में प्रनत वित्तीय िर्व प्रेर्ण कर सकते हैं।
विदे शों में रहने िािे ररश्तेदारों के रखरखाि, उपहार दे ने और दान के अिािा विदे शी लशक्षा, यात्रा, धचककत्सा
उपचार और शेयरों और संपवत्त की खरीद के लिए विप्रेर्णों की अनुमनत है ।
व्यजततगत िेन-दे न के लिए भी विदे शी बैंकों के साथ विदे श मुद्रा में खाते खोिे जा सकते हैं और उनका रख-
रखाि ककया जा सकता है ।
हािांकक, ननयमों के अनुसार विदे शी मुद्रा बाज़ारों, माजजवन या माजजवन पर व्यापार के लिए विदे शी बाजारों और
समकक्षों को कॉि और विदे शों में भारतीय कंपननयों द्िारा जारी ककए गए विदे शी करें सी पररितवनीय बॉन्िो
की खरीद के लिए प्रेर्ण की अनुमनत नहीं है ।
एनईएफटी योजना के अंतगवत सक्षम भारत से नेपाि में धन अंतरण करने के लिए सीमा पार से विप्रेर्ण
योजना है ।
भारत में प्रिासी नेपािी कामगारों को सुरक्षक्षत और कम िागत के कुशि अिसर उपिब्ध कराने के लिए यह
योजना शुरू की गई थी ताकक नेपाि में उनके पररिारों को िापस पैसा हदया जा सके।
एक प्रेर्क भारत में एनईएफटी सक्षम शाखाओं में से ककसी से भी 50000 भारतीय रुपए (अधधकतम अनम
ु त
रालश) तक ननधध अंतरण कर सकता है ।
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िह प्रकक्रया या तंत्र जजसके तहत भारतीय ररजिव बैंक ने मूल्यांकन करने, मॉनीटर करने, ननयंत्रण करने और
कमज़ोर और संकटग्रस्त बैंकों पर सुधारात्मक कारव िाइयां करने के लिए कुछ हरगर त्रबन्द ु ननधावररत ककए गए
हैं, उसे त्िररत सुधारात्मक कक्रया या पीसीए के रूप में जाना जाता है ।
अगर पीसीए द्ररगर बैंकों को महाँ गी जमा को दे खने/एतसैस और निीनीकरण करने या उनकी शुल्क आधाररत
आय को बढाने के लिए कदम उठाने की अनुमनत नहीं है , तो बैंकों को भी एनपीए का स्टॉक कम करने के
लिए एक विशेर् अलभयान शुरू करना होगा और इसमें नए एनपीए का उत्पादन करना होंगा।
• भारतीय ररजिव बैंक द्िारा सन 1969 में यह संस्थान बैंककंग प्रणािी के 'धथक
ं -टैंक' की सकक्रय भूलमका
ननभाने की अननिायवता के साथ, भारत सरकार के परामशव से, एक स्िायत्त शीर्वस्थ संस्थान के रूप स्थावपत
ककया गया था।
• यह संस्थान पण
ु े में जस्थत है ।
• एनआईबीएम भारत में बैंककंग उद्योग को एक नई हदशा दे ने और उद्योग को राष्ट्रीय विकास के लिए
अधधक िागत प्रभािी लिखत बनाने की िह
ृ त दृजष्ट्ट का हहस्सा है ।
• उनकी भलू मका अपने शीर्व प्रबंधन के लिए प्रासंधगक ज्ञान और कौशि का ननरं तर उं नयन करने के लिए
बैंककंग उद्योग का मख्
ु य अनस
ु ंधान और अकादलमक ननकाय होना है ।
दृस्ष्ट्टबिंध
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धगरिी
• धगरिी का प्रयोग तब ककया जाता है , जब ऋणदाता (धगरिीदार) आजस्तयों पर िास्तविक अधधकार (अथावत
प्रमाण-पत्र, सामान) िे िेता है ।
• यहद उधारकताव दोर्ी पाया जाता है , तो धगरिीदार को अपने कब्जेके सामान को बेचने और दे य रालश
(अथावत ् मि
ू धन और ब्याज रालश) के लिए अपनी आय को समायोजजत करने का अधधकार है ।
• धगरिी के कुछ उदाहरण स्िणव/आभूर्ण ऋण, सामान/स्टॉक के णखिाफ अधग्रम, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के
णखिाफ अधग्रम आहद हैं।
बिंध
• यह उस अचि संपवत्त के विरुद्ध प्रभार िगाने के लिए बनाया जाता है , जजसमें धरती, इमारतें या पथ्
ृ िी से
जुडी हुई कुछ भी या पथ्
ृ िी से संबजन्धत ककसी अचि संपनत से स्थाई रूप से जकडा हुआ कुछ भी शालमि है
(हािांकक, इसमें बढती हुई फसिें या घास को शालमि नहीं ककया जाता है , तयोंकक इन्हें आसानी से पथ्
ृ िी से
अिग ककया जा सकता है ।
• बंधक बनाए जाने का सबसे अच्छा उदाहरण है , जब कोई घर बनाया जाता है , जब कोई आिास ऋण िेता
है ।
• इस मामिे में घर बैंक/फाइनांसर के पक्ष में धगरिी होता है , िेककन उधारकताव के कब्जे में रहता है , जजसे
िह खद
ु के लिए उपयोग कर सकता है या ककराए पर दे सकता है ।
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• IDR वित्तीय लिखत है , जो विलभन्न कंपननयों को विदे शी इजतिटी के लिए पात्रता और भारतीय शेयर
बाजारों में जगह पाने के द्िारा भारतीय बाजारों से धन जुटाने की अनुमनत दे ता है ।
• IDR ककसी घरे िू डिपॉजजटरी (भारतीय प्रनतभूनत और विननमय बोिव के साथ पंजीकृत प्रनतभूनतयों के
संरक्षक) द्िारा भारतीय रुपये के मूल्यिगव में बनाई गई एक डिपॉजजटरी रसीद है , जो विदे शी कंपननयों को
भारतीय प्रनतभूनत बाजार से धन जुटाने के लिए सक्षम करने हे तु जारी करने िािी कंपनी के अंतननवहहत
इजतिटी के विरुद्ध होती है ।
• IDR जारी करने िािी कंपनी के पास एक प्री-इशू पैि-अप कैवपटि और कम से कम 100 लमलियन
अमेररकी िॉिर की ननबिंध आरक्षक्षत ननधधयां होनी चाहहए और तीन वित्तीय िर्ों के दौरान 500 लमलियन
अमेररकी िॉिर का औसत टनवओिर होना चाहहए।
• कोई IDR भारत में ककसी घरे िू डिपॉजजटरी द्िारा जारी ककए गए भारतीय रुपए के मूल्यिगव मेन एक
डिपॉजजटरी रसीद है ।
• चकूं क त्तवदे शी कंपनियों को भारतीय इश्क्वटी बाजारों की सूची में आने की अिुमनत िहीं है , IDR एक तरह
से उि कंपनियों के लिए शेयर खरीदने का एक रास्ता है । ये IDRs भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।
• स्टैंििण चाटण िण पीएिसी (Standard Chartered Plc) एक IDR मुद्दे के साथ कदम रखने िािी पहिी फमण
है , जो IDRs के माध्यम से अपिे अंतरराष्रीय शेयरों की पेशकश करती है ।
• PSLCs बैंकों के प्राथलमकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के णखिाफ जारी ककए गए व्यापार योग्य प्रमाण पत्र हैं ताकक
बैंकों को प्राथलमकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के लिए अपने ननहदव ष्ट्ट िक्ष्य और उप-िक्ष्य हालसि करने में सक्षम
बनाया जा सके।
• PSLCs का उद्दे श्य है कक, बैंक प्राथलमकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण के िक्ष्य को पार करने के कुछ प्रीलमयम कमा
सके। PSLCs को प्राथलमकता क्षेत्र के तहत ऋण बढाने के लिए पेश ककया गया है ।
• PSLCs के चार प्रकार हैं-कृवर्, िघु एिं सीमांत कृर्क, िघु उद्यम तथा सामान्य.
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• कंपनी अधधननयम 1956 की धारा 25 (अब कंपनी अधधननयम 2013 की धारा 8) के प्रािधानों के अंतगवत
इसे “नोट फॉर प्रॉकफ़ट (not for प्रॉकफ़ट)” कंपनी के रूप में शालमि ककया गया है , जजसका मुख्य उद्दे श्य
भारत में पूरी बैंककंग प्रणािी को भौनतक के रूप तथा साथ ही साथ इिेतरॉननक भुगतान और ननपटान
प्रणािी को आधारभूत सुविधायेँ प्रदान करना है ।
• इसके दस कोर प्रितवक बैंक हैं - स्टे ट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनि बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बडौदा,
यूननयन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, एचिीएफसी बैंक, लसटी बैंक एन. ए.
और एचएसबीसी
• मुख्यािय: मुंबई
• एनपीसीआई ने बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और सरकार के लिए NACH िागू ककया है , जो अंतरबैंक, उच्च
मात्रा, दोहराये जाने िािे और आिधधक प्रकृनत के इिेतरॉननक िेनदे न की सुविधा प्रदान करने के लिए एक
िेब आधाररत समाधान है ।
• NACH एक केंद्रीकृत प्रणािी है , जजसे दे श भर में चि रहे कई ईसीएस प्रणालियों को समेककत करने और
मानकता तथा पद्धनतयों की अनरू
ु पता के लिए एक ढांचा प्रदान करने के लिए और स्थानीय अिरोधों को
हटाने के लिए शुरू ककया था।
• NACH प्रणािी का उपयोग सजब्सिी, िाभांश, ब्याज, िेतन, पें शन आहद के वितरण के लिए थोक िेनदे न
करने के लिए और टे िीफोन, त्रबजिी, पानी, ऋण, म्युचअ
ु ि फंि, इंश्योरें स प्रीलमयम आहद मे ककए गए
ननिेश से संबंधधत भुगतान की िसूिी हे तू थोक िेनदे न के लिए ककया जा सकता है ।
तयोंकक यह सेवा यए
ू सएसिी पर काम करती है , इसलिए यह सभी हैंिसेटों पर उपिब्ध है और उपयोग करिे
के लिए बहुत सत्तु वधाजिक है ।
QSAM में यूजसव अपने हैंिसेट से *99*99# िायि कर सकते हैं और अपना आधार नंबर िगाकर आधार
सीडिंग स्टे टस जान सकते हैं।
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एमएमआईिी ककसी बैंक ग्राहक को दी गई 7 अंकों की एक संख्या है । एमएमआईिी कोि के पहिे चार अंक
आपको आईएमपीएस प्रदान करने िािे बैंक की अद्वितीय पहचान संख्या के रूप में कायव करते हैं।
उपयोगकताव के मोबाइि नंबर का एमएमआईिी विलशष्ट्ट रूप से उनके बैंक खाता संख्या के साथ जुडा हुआ
होता है और ननधध अंतरण की सुविधा के लिए महत्िपूणव ननविजष्ट्टयों (key inputs) में से एक है ।
प्रत्येक बैंक खाते का केिि एक एमएमआईिी होता है । लभन्न-लभन्न एमएमआईिी एक ही मोबाइि नंबर से
जुडे जा सकते हैं।
एलशया और प्रशांत की संयुक्त राष्र आर्थणक तथा सामाश्जक पररिद (ESCAP) की पहि पर क्षेिीय सहयोग
को बढावा दे िे के लिए एसीयू की स्थापिा 9 ददसंबर 1974 को की गई। इसका मुययािय तेहराि, ईराि में
है ।
समाशोधन संघ का मख् ु य उद्दे श्य एक बहुपक्षीय आधार पर पात्र िेनदे न के लिए सदस्य दे शों के बीच
भग
ु तान की सवु िधा प्रदान करना है , जजससे विदे शी मद्र
ु ा भंिारण और अंतरण िागतों के उपयोग पर
ककफ़ायती अथवव्यिस्था स्थावपत की जाये तथा साथ ही साथ भाग िेने िािे दे शों के मध्य व्यापार को बढािा
लमि सके।
सदतर्: बांग्िादे श, भूटान, भारत, ईरान, मािदीि, म्यांमार, नेपाि, पाककस्तान और श्रीिंका के केंद्रीय बैंकों
और मौहद्रक अधधकारी
USSD अनस्रतचिव सजप्िमें री सविवस, Unstructured Supplementary Service Data को संदलभवत करता
है । यह एक तकनीक है , जो जीएसएम नेटिकव चैनिों के माध्यम से जानकारी पहुंचाता है -इन चैनिों को
आम तौर पर आपके फोन के माध्यम से िॉइस कॉि के लिए इस्तेमाि ककया जाता है ।
USSD आधाररत संचार का उपयोग खाते की शेर् रालश की जांच करने, लमनी स्टे टमें ट जनरे ट करने,
एमएमआईिी (मोबाइि बैंककंग पंजीकरण पर बैंकों द्िारा आिंहटत कोि), आईएफएससी कोि या आधार
संख्या के जररए ननधध अंतरण करने के लिए ककया जा सकता है ।
* 99 # बैंककंग के लिए िेनदे न की सीमा आरबीआई द्िारा प्रनत िेनदे न ₹5000 ननधावररत की गई है ।
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PSS अधधननयम, 2007 भारत में भुगतान प्रणालियों के विननयमन और पयविेक्षण के लिए है और
आरबीआई को इस उद्दे श्य और सभी संबंधधत मामिों के लिए प्राधधकरण के रूप में नालमत करता है ।
PSS अधधननयम, 2007 के अंतगवत भुगतान और ननपटान प्रणालियों के विननयमन और पयविेक्षण के लिए
BPSS, भारतीय ररजिव बैंक की ओर से शजततयों का अभ्यास करता है । बाद में ककसी भुगतान प्रणािी को
शुरू करने के लिए प्राधधकरण के लिए आिेदन पत्र के फामव और प्राधधकरण के अनुदान के जैसे मामिों को
दे खा जाता है ।
भारत में यह बहुत महत्िपूणव है कक तत्काि सकि ननपटान (RTGS) प्रणािी के अिािा अन्य सभी भुगतान
प्रणालियां एक शुद्ध ननपटान के आधार पर कायव करते हैं।
BBPS एक एकीकृत ऑनिाइन मंच है जजसे सभी प्रकार के त्रबि भुगतान करने के लिए नेशनि पेमेंट्स
कॉपोरे शन ऑफ इंडिया द्िारा विकलसत ककया जा रहा है ।
यह मंच एजेंटों के एक नेटिकव के माध्यम से एक प्रचलित सेिा का ननमावण करना चाहता है , जो भुगतान के
कई मोि चािू करने की कोलशश में है , जजनमें भुगतान प्राजप्त की रसीद उसी समय बना दी जाएगी।
यह एक छोर उपयोधगता सेिा कंपननयों को जोडेगा और अन्य छोर पर सभी भुगतान सेिा प्रदाताओं को
जोडेगा।
दे श भर में त्रबि भुगतान के लिए ररटे ि पॉइंट्स होंगे जो क्रेडिट कािव, िेत्रबट कािव, मोबाइि िॉिेट, नेट बैंककंग
(IMPS, NEFT) के माध्यम से ककए गए सभी प्रकार के त्रबिों के भुगतान को स्िीकार करने में सक्षम होंगे।
इसके साथ साथ, BBPS मंच में धोखाधडी की ननगरानी और जोणखम शमन प्रणालियों की व्यिस्था होगी
ताकक सच
ु ारु ऑनिाइन िेनदे न सनु नजश्चत ककया जा सके।
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आईएमपीएस मोबाइि फोन के माध्यम से एक तत्काि अंतरबैंक इिेतरॉननक ननधध अंतरण सेिा है । इसे
अन्य चैनिों जैसे एटीएम, इंटरनेट बैंककंग आहद के माध्यम से भी काम में लिया जा सकता है ।
आईएमपीएस एक तत्काि समय भुगतान सेिा है , जजसका कोई भी छुट्हटयों सहहत ककसी भी हदन उपयोग
कर सकता है ।
यह सेिा एनपीसीआई द्िारा पेश की जाती है , जो ग्राहकों को दे श भर में बैंकों और भारतीय ररज़िव बैंक के
अधधकृत प्रीपेि भुगतान लिखत (PPIs) जारीकताव के माध्यम से तुरंत धन हस्तांतररत करने का विकल्प
प्रदान करती है ।
PPIs ऐसे भुगतान के साधन हैं, जो इन साधनों में संग्रहहत मूल्य के बदिे में िस्तुओं और सेिाओं की
खरीद सहहत वित्तीय सेिाओं, विप्रेर्ण सुविधाओं आहद की सुविधा दे ते हैं।
बैंक-रहहत ग्राहक भी PPIs की सेिाओं का उपयोग करके आईएमपीएस के माध्यम से धन अंतरण कर सकते
हैं। आईएमपीएस के अंतगवत अंतरण की सीमा की ननधावरण के लिए प्रत्येक बैंक की अपनी नीनत होती है ।
यूपीआई एक भुगतान प्रणािी है जो स्माटव फोन का उपयोग करके ककन्ही भी दो बैंक खातों के बीच धन
हस्तांतरण की अनुमनत दे ती है ।
ू ीआई क्रेडिट कािव के वििरण, आईएफएससी कोि, या नेट बैंककंग / िॉिेट पासििव टाइप करने की परे शानी
यप
के त्रबना, ककसी ग्राहक को सीधे बैंक खाते से अिग-अिग व्यापाररयों को ऑनिाइन और ऑफिाइन दोनों
भग
ु तान करने की अनम
ु नत दे ता है ।
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भीम, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान ननगम (NPCI) का यूपीआई पर आधाररत एक डिजजटि भुगतान समाधान
ऐप है , जो भारत में सभी राष्ट्रीय खद
ु रा भुगतान प्रणालियों के लिए एक छतरी की तरह काम करता है ।
इसका उपयोग बैंक खाते से साइन अप करके यूपीआई-आधाररत भुगतान के लिए डिजजटि िेनदे न करने के
लिए ककया जा सकता है , जो मोबाइि फोन नंबर से भी जुडा हुआ है ।
भीम में आईएफएससी और एमएमआईिी के माध्यम से गैर-यूपीआई बैंकों के लिए स्थानांतररत करने के
विकल्प भी हैं।
बीएचआईएम अधधकतम 10,000 रुपये प्रनत िेनदे न और 24 घंटे के भीतर 20,000 रुपये तक स्िीकार
करता है ।
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