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Hindi QP 1
Hindi QP 1
पी-बोरर्न परीक्
(2017-18)
हहिन्दी्न ‘अ’्द्न
कक्- दसवी
सरमरन्य ननिरर श –
खण्ड ह (क)
रिरनष्ट्रिय तर कर भरषर औरि सरनकत्य के सरथ बहत की घननिि संबंर क। ऐसर कोनिर स्िरभरनिक क कय ोंनक
रिरनष्ट्रिय तर औरि जिरतीय तर के अंगों में सबसे अधरक अंग ए कतर क औरि िक ए कतर नकसी निषय में निकी कप।
ए कतर जजितनिी वरपक कोगी, उतनिी की रिरनष्ट्रिय तर सस्थरि कोगी औरि िक शलकशरलिी कोगी। भरिों की ए कतर
सब प्रकररि कर मररलि क। भरिों की ए कतर तभी को सकती क , जिब िे नििभभ वलक, जजिनिके दररिर रिरनष्ट्रिय तर
कर ननिमरर्धा् कोतर क, अपनिे भरिों को नकसी दसरिे परि वक करि सकें। इस मकरनि करय र्धा के ललिए ए क भरषर
सरनकत्य कय र क? सरनकत्य मरनिि जिरनत के उचच-से-उचच तथर सुंंररि-से-सुंंररि निचररिों औरि भरिों कर िक
निकी को सकती, जिब तक नक उसके भरि तथर निचररि उभत नि कों। जिरनत औरि रिरष्ट्रि के उत्थरनि के सरथ-सरथ
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उस जिरनत य र रिरष्ट्रि के सरनकत्य नक उभनत भी कोती क। इस प्रकररि सरनकत्य की अिनिनत उस जिरनत के पतनि
भररित के इनतकरस को लिीजजिय े। मकरभररित, रिरमरय ् तथर उपननिषर अिशय की ऐसे समय में ललिखे गए थे ,
जिब य क रे श बहत उभत थर। य क कलपनिर असंभि निकी तो दुकरि अिशय क नक ऐसे गंथ नकसी असभय ,
बबर्धारि जिरनत के आचरय य दररिर ललिखे गए कों। जिब बौद्धों कर रिरज्यय भररित के ए क ्ोरि से दसरिे ्ोरि तक फेलि
गय र औरि उनिकर प्रभुंत्ि तथर गौरिि भररितिषर्धा के बरकरि भी फेलि गय र, तो परललि-सरनकत्य नक उभनत भी उस
1 ‘सत्य तथर अहकर्मिसर’ निे नकस प्रकररि निि जिग-जिीिनि कर सृजिनि नकय र? 2
2
4 ‘मरनििपनि’ से कनि कर कय र तरत्पय र्धा क? 1
खंड ह-‘ख’
( वरिकरररिक वरकरि्) 15
ग) कलि मुंझे ठरललिी जिरनिर क औरि नफरि मुंंबं। (सरिलि िरकय में)
ख) अरिे! तुंम भी आ गए ।
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ख) घृ्र नकस रिस कर स्थरय ी भरि क?
ग) शृग
ं ररि रिस कर ए क उररकरि् ललिखखए
खंर- ‘गद
फरररि बुंलके संकलप से सन्य रसी थे। कभी-कभी लिगतर क िक मनि से सन्य रसी निकी थे। ररिशतर बनिरते थे तो
तोड़ीनिे निकी थे। रलसय ों सरलि बरर धमलिनिे के बरर भी उसकी गंर मकसररस कोती थी। िक जिब भी ठरललिी आते
जिरूरि धमलिते-खोजिकरि, समय ननिकरलिकरि, गमर, सरर, बरिसरत झेलिकरि धमलिते, चरके रो धमनिट के ललिए की
सकी। य क कौनि सन्य रसी करितर क? उनिकी चचर्मितर नकन्री को रिरष्ट्रिभरषर के रूप में रे खनिे की चचर्मितर थी। करि मंच
में इसकी तकलिीफ बय रनि करिते , इसके ललिए अकरट तकर्धा रे ते। बस इसी ए क सिरलि परि उन्कें झुंंझलिरते
रे खर क औरि नकन्री िरलिों दररिर की नकन्री की उपेकर परि दख करिते उन्कें परय र क। घरि -पररििररि के बररिे में,
ननिजिी दख-तकलिीफ के बररिे में परर्निर उनिकर स्िभरि थर औरि बड़ीे से बड़ीे दख में उनिके मुंख से सरंत्िनिर के
जिरद भरिे रो शबर सुंनिनिर ए क ऐसी रिोशनिी से भरि रे तर थर जिो नकसी गकरिी तपस्य र से जिनिमती क। ‘करि मौत
ठरखरती क जिीिनि को निय ी रिरक’। मुंझे अपनिी पत्निी औरि पुंत्र की मृत्य ुं य रर आ रिकी क औरि फ़रररि के शबरों
’्थव्
बरलिगोनबनि भगत मँझोलिे कर के गोरिे -धचटे आरमी थे। सरठि के ऊपरि के की कोंगे। बरलि पक गए थे। लिंबी
ररढ़ी य र जिटरजिररट तो निकी रिखते थे , नकन्तुं कमेशर उनिकर चेकरिर सफ़ेर बरलिों से की जिगमग नकय े रिकतर।
कपड़ीे नबलकुंलि कम पकनिते। कमरि में ए क लिंगोटी-मरत्र औरि लसरि में कबीरि पंलथय ों की -सी कनिपटी टोपी।
जिब जिरड़ीर आतर, ए क करलिी कमलिी ऊपरि से ओढ़े रिकते। मस्तक परि कमेशर चमकतर हआ रिरमरनिंरी चन्रनि
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जिो निरक के ए क ्ोरि से की, औरितों के टीके की तरिफ शुंरू कोतर। गलिे में तुंलिसी की जिड़ीों की ए क बेड हौलि
ग) ‘स्त्री-लशकर के निरिोरी कुंतकय कर खंड हनि’ परठि के आरररि परि बतरइए की तब की लशकर प्र्रलिी
घ) ऐसे कय र कररि् थे जजिनिकी िजिक से लिेखखकर मभरर भंड हररिी के मनि में कीनि भरिनिर परर को गं
थी?
अथिर
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धमलिर ककरँ िक सुंख जजिसकर मप स्िवप रे खकरि जिरग गय र।
क) संगतकररि के मरधय म से कनि नकस प्रकररि के वलकय ों की ओरि संकेत करिनिर चरक रिकर क ?
घ) ‘सरकस औरि शलक के सरथ निनिम्रतर को तो बेकतरि क’। रिरम-लिक्ष्म् परिशुंरिरम संिरर के आरररि
परि बतरइए ।
11. ए क संिेरनिशीलि य ुंिर निरगररिक के रूप में पय रर्धािरि् प्रदष् को रिोकनिे में आपकी कय र भररधमकर को सकतर
अथिर
6
निरक मरनि-सम्मरनि ि प्रनतिर कर ्योतक क। य क बरत परररिी वंग्य रिचनिर में नकस तरिक उभरिकरि आं क ? ‘जिरं
खंर-घ
लेखन 10×1=10
12. नकसी ए क निषय परि ठरए गए संकेत-नबन्दं के आरररि परि 200 से 250 शबरों में ननिबंर ललिखखय े
प्रस्तरिनिर
स्िच्तर कर मक्ि
उपसंकररि
प्रस्तरिनिर
उपसंकररि
ग) रे श-प्रेम
प्रस्तरिनिर
बललिररनि कर भरि
उपसंकररि
13. बढ़निे अपकरि् औरि नफरिौती के कररिोबररि परि चचर्मितर वक करिते हए नििभररित टरइम्स के संपररक को पत्र
ललिखखए । 5×1=5
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अथिर
्रत्ररिरस में रिकनिे के कररि् आप की शिकक प्रगनत को लिेकरि आप के मरतर -नपतर चचर्मिनतत कप। उन्कें परिीकर
14. नकसी आय ुंिरठरक तेलि की निशेषतर बतरते हए 25-30 शबरों कर निजरपनि तय ररि करिें। 5×1=5
अथिर
आप के शकरि में निश्व पुंस्तक मेलिे कर आय ोजिनि कोनिे जिर रिकर क। इसके ललिए 25 से 30 शबरों कर