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नन्ह ीं चिच़िया

बहुत समय पु र ानी बात है , एक बहुत घना जं ग ल हुआ करता था| एक बार ककन्ी ं
कारण ं से पू रे जं ग ल में भीषण आग लग गयी| सभी जानवर दे ख के डर रहे थे की
अब क्या ह गा??

थ डी ही दे र में जं ग ल में भगदड मच गयी सभी जानवर इधर से उधर भाग रहे थे
पू र ा जं ग ल अपनी अपनी जान बचाने में लगा हुआ था| उस जं ग ल में एक नन्ी ं
कचकडया रहा करती थी उसने दे खा क़ि सभी ल ग भयभीत हैं जं ग ल में आग लगी है
मु झे ल ग ं की मदद करनी चाकहए|

यही स चकर वह जल्दी ही पास की नदी में गयी और च च में पानी भरकर लाई और
आग में डालने लगी| वह बार बार नदी में जाती और च च में पानी डालती| पास से ही
एक उल्लू गु ज र रहा था उसने कचकडया की इस हरकत क दे खा और मन ही मन
स चने लगा ब ला क़ि ये कचकडया ककतनी मू खख है इतनी भीषण आग क ये च ंच में
पानी भरकर कै से बु झ ा सकती है |

यही स चकर वह कचकडया के पास गया और ब ला कक तु म मू खख ह इस तरह से आग


नही ं बु झ ाई जा सकती है |

कचकडया ने बहुत कवनम्रता के साथ उत्तर कदया-“मु झे पता है कक मे रे इस प्रयास से


कु छ नही ं ह गा ले क कन मु झे अपनी तरफ से best करना है , आग ककतनी भी भयं क र
ह ले क कन मैं अपना प्रयास नही ं छ डू ़ूँ गी”

उल्लू यह सु न कर बहुत प्रभाकवत हुआ|

त कमत् ं यही बात हमारे जीवन पर भी लागू ह ती है | जब क ई परे शानी आती है त


इं सान घबराकर हार मान ले त ा है ले क कन हमें कबना डरे प्रयास करते रहना चाकहए
यही इस कहानी की कशक्षा है |

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