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CBSE

क ा 11 अथशा
पाठ - 6 ामीण िवकास
पुनरावृ नो स

मरणीय िब द-ु

ामीण िवकास से अिभ ाय उस मब योजना से है जसके ारा ामीण े के लोग के जीवन तर तथा आ थक व
सामा जक क याण म वृि क जाती है।
ामीण िवकास के मु य त व:-
1. भूिम के ित इकाई कृिष उ पादकता को बढ़ाना।
2. कृिष िवपणन णाली को सुधारना तािक िकसान को उसके उ पाद का उिचत मू य ा हो सके।
3. यादा मू य वाली फसल के उ पाद को बढ़ावा देना।
4. कृिष िविवधीकरण को बढ़ावा देना।
5. उ पादन क गितिव धय का िविवधीकरण तािक फसल-खेती के अलावा रोजगार के वैक पक साधन को ढू ंढा जा
सके।
6. ामीण े म साख को सुिवधाएँ उपल ध कराना।
7. ामीण े म कृिष तथा गैर-कृिष रोजगार ारा िनधनता को कम करना।
8. जैिवक-खेती को बढ़ावा देना।
9. ामीण े म िश ा तथा वा य सेवाओं का िव तार करना।

भारत म ामीण साख के ोत


गैर-सं थागत अथवा अनौपचा रक ोत:- इसम साहकार, यापारी, कमीशन एजट, जम दार, संबध
ं ी तथा िम
को शािमल िकया जाता है।
सं थागत अथवा औपचा रक ोत:-
i. सहकारी साख सिमितयाँ।
ii. टेट बक ऑफ इ डया व अ य यापा रक बक।
iii. े ीय- ामीण बक।
iv. कृिष तथा ामीण िवकास के लए रा ीय बक (NABARD)।
v. वयं सहायता समूह।
कृिष िवपणन म उन सभी ि याओं को शािमल िकया जाता है जो फसल के सं हण, सं करण, वग करण, पैिकंग,
भंडारण, प रवहन तथा िब से स ब धत है।
किष िवपणन के दोष
1. अपया भ डार ह

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2. प रवहन व संचार के कम साधन
3. अिनयिमत म डय म गड़बिड़याँ
4. िबचौ लय क बहलता
5. फसल के उिचत वग करण का अभाव
6. पया सं थागत िव का अभाव
7. पया िवपणन सुिवधाओं का अभाव

िवपणन णाली को सूधारने के लए सरकार ारा उठाए गए कदम


1. िनयिमत म डय क थापना।
2. कृिष उ पाद के सं हण के लए भ डार गृह क सुिवधाओं का ावधान।
3. मानक बाट और नाप-तौल क अिनवायता।
4. रयायती यातायात क यव था।
5. कृिष व संब व तुओ ं क ेणी िवभाजन एं व मानवीकरण क यव था (के ीय ेणी िनयं ण योगशाला महारा के
नागपुर म है)
6. भ डार मता को बढाने के उ े य से सावजिनक म भारतीय खा िनगम (FCI), क ीय गोदाम िनगम (CWC)आिद
क थापना।
7. यूनतम समथन क मत नीित
8. िवपणन सूचना का सार
िविवधीकरण
कृिष े म बढ़ती हई म शि के एक बड़े िह से के अ य और कृिष े म वैक पक रोजगार म अवसर ढू ँढ़ने क
ि या को िविव धकरण कहते ह। इसके दो पहलू है:-
1. फसल के उ पादन का िविव धकरण:- इसके अ तगत एक फसल क बजाए बह-फसल के उ पादन को बढ़ावा िदया
जाता है।
इसके दो लाभ है:-
i. मानसून क कमी के कारण होने वाले खेत के जा खम को कम करती है।
ii. यह खेत के यापारीकरण को बढ़ावा देती है।
2. उ पादन गितिव धय अथवा रोजगार का िविव धकरण:- इसम म शि को कृिष े से हटाकर गैर-कृिष काय ं जैसे-
पशुपालन, म य पालन, बागवानी आिद म लगाया जाता है।
ामीण जनसं या को लए रोजगार को गैर कृिष े
1. पशुपालन
2. मछली पालन
3. मुग पालन
4. मधुम खी पालन
5. बागवानी

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6. कुटीर और लघु उ ोग
जैिवक कृिष
जैिवक कृिष खेती क वह प ित है जसम खेत के लए जैिवक खाद (मु यतः पशु खाद और हरी खाद) का योग िकया
जाता है। इसके अ तगत रासायिनक उवरक के उपयोग को हतो सािहत करते हए जैिवक खाद के उपयोग पर बल िदया
जाता है। यह खेत करने क वह प ित है जो पयावरण के स तुलन को पुनः थािपत करके उसका संर ण एं व संवधन
करती है।
जैिवक किष के लाभ
1. जैिवक खाद के योग से मृदा का जैिवक तर बढ़ता है और मृदा काफ उपजाऊ बनी रहती है।
2. जैिवक खाद पौध क वृि के लए आव यक खिनज पदाथ दान करती है, जो मृदा म मौजूद सू म जीव ारा पौध
को िमलाते ह। जससे पौधे व थ बनते ह और उ पादन बढ़ता है।
3. रसायिनक खाद के मुकाबले जैिवक खाद स ते और िटकाऊ होते ह।
4. जैिवक खाद के योग से हम पौि क व वा य वधक भोजन ा होता है।
5. जैिवक खाद पयावरण िम होते ह। इनम रासायिनक दषू ण नही फैलता।
6. छोटे और सीमा त िकसान के लए स ती ि या है।
7. यह प ित धारणीय कृिष को बढ़ावा देती है।
8. जैिवक खेती म धान तकनीक पर आधा रत है।

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