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1- आचमन

हाथ में जल लेकर एक बूंद के साथ एक मंत कहें


ऊँ ऐ आतममतत्ं शोधयामम नमः स्ाहात
ऊँ ह् व्िामतत्ं शोधयामम नमः स्ाहा तत
ऊँ कल् शश्मतत्ं शोधयामम नमः स्ाहा त
ऊँ ऐ ह् कल् स्रींमतत्ं शोधयामम नमः स्ाहा तत
2- संकल्प

संकल्प:- दा वहने हाथ मे जल लेत मै ……..अमुक……… गोत मे ज जनमा,……… ………. यहाँ आपके वपमता का
नाम………. ……… का पुत……………………….. वन्ासी…………………..आपका पमता……………………….
आज सभी दे ्ी-दे ्मताओ को साकी मानमते हुए दगारीं सपमतशमती की पुजा ् पात, गणपमती और गुर जी की पुजा
मामता की कृपा पारपमत के शलए कर रहा हँ जल और सामगी को छोड दे

3-गणेश पूजन

4-गुर पूजन

5 -श्री दगारींसपमतशी का शापोधाार

करना चा वहए ,जजसके शलए इलस मंत को 7 बार पढे ़

""ऊँ ह् कल् श्र् कां कर चचणणणकादे व् शापनाशानुगहं कुर कुर स्ाहा ""

इलसके पशामत उतकीलन मंत का इलककीस बार उचचारण करें --ऊँ श्र् कल् ह् सपमतशी चचणणणके उतकीलनं कुर कुर
स्ाहा तत

इलसके पशामत दे ्ी क्च का पात करें

वफिर अगरींलासमतोत का करें. आगे कीलक पढे ़ ,कीलक पढने के बाद ,रा वतसूक, व् वनयोग करें,ऋष्यादद जनयास,कर जनयास,
हृदयादद जनयास, अकर जनयास ,ददण् जनयास, न्ाणरीं मंत का एक माला जाप

ध्यान पाथरींना के बाद

श्री दगारींसपमतशमती के अध्याय का पात कर सकमते है

1 पात पहले ददन पहला अध्याय

2 दूसरे ददन दूसरा ् मतीसरा अध्याय

3 मतीसरे ददन चचथा अध्याय

4 चोथे ददन पांच्ा छटा सामत्ां आत्ां,

5 पांच्ें ददन न्ा ् दस्ा अध्याय पढे ़

6 छटे ददन गयारह्ां और


7 सामत्ें ददन बारह्ां ओर मतेरह्ां अध्यायो का पात करना चा वहए .इलस मतरह सामत ददन में 13 अध्यायो का अध्ययन
करना चा वहए. सामत्ें ददन अध्याय 13 का अध्ययन करने के बाद दोबारा व् वनयोग जनयास पाथरींना पढकर दे ्ीसूक
का अध्ययन करेंगे ् दचबारा न्ाणरीं मंत का जाप करेंगे वफिर कमा पाथरींना करके आरमती करना चा वहए.....

Sadhanahijiwan@gmail.com हमारा दूसरा च्नल( शुभ लाभ व्थ शश्म जी )ह्(Shubh labh with shivam
ji) इलसपर साधनाओ ् मतां वतक पयोगो की जानकारी दी गई ह्

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