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मैं अपने आदरणीय प्रधानाध्यापक, मेरे शिक्षकगण, मेरे वररष्ठ और सहपाठीयों को सुबह का

नमस्कार कहना चाहूंगा।


चशिये मैं आप सबको इस खास अवसर के बारे में कु छ जानकारी देता हूँ.
आज हम सभी अपने राष्ट्र का 70वाूं गणतूंत्र ददवस मना रहें हैं। 1947 में भारत की आजादी के ढाई
साि बाद इसको मनाने की िुरुआत सन् 1950 से हुई| हम इसे हर वर्ष 26 जनवरी को मनाते हैं
क्योंदक इसी ददन भारत का सूंशवधान अशस्तत्व में आया था.
1947 में शिरिि िासन से आजादी पाने के बाद, भारत एक स्व-िाशसत देि नहीं था आथाषत् एक
सूंप्रभु राज्य नहीं था|
भारत एक स्व-िाशसत देि बना जब 1950 में इसका सूंशवधान िागू हुआ, उससे पूवष भारत एक
िोकताूंशत्रक देि नहीं था.
िेदकन अब भारत एक िोकताूंशत्रक देि है शजसका यहाूँ पर िासन करने के शिये कोई राजा या
रानी नहीं है हािाूंदक यहाूँ की जनता यहाूँ की िासक है|
इस देि में रहने वािे हरे क नागररक के पास बराबर का अशधकार है, शबना हमारे वोि के कोई भी
मुख्यमूंत्री या प्रधानमूंत्री नहीं बन सकता है|
देि को सही ददिा में नेतृत्व प्रदान करने के शिये हमें अपना सबसे अच्छा प्रधानमूंत्री या कोई भी
दूसरा नेता चुनने का ह़क है|
हमारे नेता को अपने देि के पक्ष में सोचने के शिये पयाषप्त दक्षता होनी चाशहये| देि के सभी राज्यों,
गाूँवों और िहरों के बारे में उसको एक बराबर सोचना चाशहये शजससे नस्ि, धमष, गरीब, अमीर,
उच्च वगष, मध्यम वगष, शनम्न वगष, अशिक्षा आदद के शबना दकसी भेदभाव के भारत एक अच्छा
शवकशसत देि बन सकता है.
देि के पक्ष में हमारे नेताओं को प्रभुत्विािी प्रकृ शत का होना चाशहये शजससे हर अशधकारी सभी
शनयमों और शनयूंत्रकों को सही तरीके से अनुसरण कर सकें .
इस देि को एक भष्ट्राचार मुक्त देि बनाने के शिये सभी अशधकाररयों को भारतीय शनयमों और
शनयामकों का अनुगमन करना चाशहये।
“शवशवधता में एकता” के साथ के वि एक भष्टाचार मुक्त भारत ही वास्तशवक और सच्चा देि होगा|
हमारे नेताओं को खुद ही को एक खास व्यशक्त नहीं समझना चाशहये, क्योंदक वो हम िोगों में से ही
एक हैं और देि को नेतृत्व देने के शिये अपनी क्षमता के अनुसार चयशनत होते हैं.
एक सीशमत अूंतराि के शिये भारत के शिये अपनी सच्ची सेवा देने के शिये हमारे द्वारा उन्हें चुना
जाता है। इसशिये, उनके अहम और सत्ता और पद के बीच में कोई दुशवधा नहीं होनी चाशहये.
भारतीय नागररक होने के नाते, हम भी अपने देि के प्रशत पूरी तरह से शजम्मेदार हैं। हमें अपने
आपको शनयशमत बनाना चाशहये, ख़बरों को पढें और देि में होने वािी घिनाओं के प्रशत जागरुक
रहें, क्या सही और गित हो रहा है, क्या हमारे नेता काम कर रहें हैं दक नहीं और सबसे पहिे क्या
हम अपने देि के शिये कु छ कर रहें हैं.
पूवष में, शिरिि िासन के तहत भारत एक गुिाम देि था शजसे हमारे हजारों स्वतूंत्रता सेनाशनयों के
बशिदानों के द्वारा बहुत वर्ों के सूंघषर्ों के बाद आजादी प्राप्त हुई|
इसशिये, हमें आसानी से अपने सभी बहुमूल्य बशिदानों को नहीं जाने देना चाशहये और दिर से इसे
भ्रष्टाचार, अशिक्षा, असमानता और दूसरे सामाशजक भेदभाव का गुिाम नहीं बनने देना है.
आज का ददन सबसे बेहतर ददन है जब हमें अपने देि के वास्तशवक अथष, शस्थशत, प्रशतष्ठा और सबसे
जरुरी मानवता की सूंस्कृ शत को सूंरशक्षत करने के शिये प्रशतज्ञा करनी चाशहये|
धन्यवाद, जय शहन्द…!

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