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ये समय वियोग में व्यर्थ करने का नह ीं हैं ममत्र (हार कर टुटा हुआ व्यक्ति ममत्र को ढाींढस

बींधािे हुए )

हमसे भल ु दे ि।(गुरुदे ि की ओर दे खिे हुए )


ू हुयी है एिीं इस बाि का आभास है हमें गरु

बचपन से द हुयी आपकी हर मिक्षा को जब परखने का समय आया िो पिा नह ीं स्ियीं को


इिना सदृ
ृ ढ़ समझने िाला ये अींिमथन विचमलि होने लगा ,सींभििः यद्
ु ध के जीि या हार
या होने िाले ककसी भी ननर्थय में उलझने सा लगा ,भटकने लगा।

आत्मविििास में अन्िननथहहि मैं ये समझ ह नह ीं पाया की यद्


ु ध केिल िार करने को
लेकर नह ीं िरन बचाि पर भी उिना ननभथर करिा है , अपनी एिीं अपनी सेना के उत्साह को
ककस हदिा में मोड़ना है ये उसके सेनापनि का कायथ है ,एिीं उसमे उनका सेनापनि असफल
रहा गरु ु े क्षमा कर द क्जये ,क्षमा कर द क्जये (भरे हुए
ु दे ि ,आपका मिष्य असफल रहा ,मझ
गले से, पश्चािाप की अक्नन में जलिा हुआ )

(कुछ याद आकर अपने ददथ को लगभग समाप्ि करिे हुए )

मैं आपके िचन को यूँू व्यर्थ नह ीं जाने दीं ग


ू ा आचायथ ,ये प्रनिज्ञा केिल अब आपकी ह नह ीं
रह िरन हम सबकी है ।
भरे दरबार में हुआ आपका अपमान एक हार से बहुि बड़ा है , कोई भी कारर् उस अपमान
के प्रनििोध से अत्यींि छोटा है ।
इस राष्र के ननमाथर्, इस प्रजा की भलाई हे िु आपका मिष्य आपकी प्रनिज्ञा को पर्
ू थ करने
की प्रनिज्ञा लेिा हैं , ऐसा सदृि होगा ,ये भविष्य को िचन दे िा हैं।
चारो हदिाओ एिीं िीनो ऋिुओ को साक्षी मान ये प्रनिज्ञा लेिा हूूँ आचायथ ,की पींचित्ि से
ननममथि ये िर र अपनी प्रनिज्ञा को पर्
ू थ कर ह पींचित्ि में विल न होगा।
(नायक बन सबको सम्बोधधि करिे हुए)

मैं चींद्र आप सभी से भी ऐसी ह प्रनिज्ञा की माींग करिा हूूँ साधर्यों , स्मरर् रहे , ये यद्
ु ध
ककसी भी ननर्थय हे िु नह ीं लड़ा जायेगा ,ये केिल और केिल हमार एिीं हमारे आचायथ की
प्रनिज्ञा को पर्
ू थ करने के मलए लड़ा जायेगा।
ये यद्
ु ध ककसी के मल
ू नाि की मलए लड़ा जायेगा एिीं ककसी के पर्
ू थ उदय के मलए।
हर हर महादे ि
हर हर महादे ि

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