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>> मू य रिहत पु तक >> िह दी ाकरण

अ याय 20

समास

समास का ता पय है ‘संि ीकरण’। दो या दो से अिधक श द से िमलकर बने ए एक नवीन एवं साथक श


कहते ह। जैसे-‘रसोई के िलए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते ह।
सामािसक श द- समास के िनयम से िन मत श द सामािसक श द कहलाता है। इसे सम तपद भी कहते ह।
बाद िवभि य के िच न (परसग) लु हो जाते ह। जैसे-राजपु ।
समास-िव ह- सामािसक श द के बीच के संबंध को प करना समास-िव ह कहलाता है। जैसे-राजपु -राज
पूवपद और उ रपद- समास म दो पद (श द) होते ह। पहले पद को पूवपद और दूसरे पद को उ रपद कहत
जैसे-गंगाजल। इसम गंगा पूवपद और जल उ रपद है।

समास के भेद

समास के चार भेद ह-


1. अ यीभाव समास।
2. त पु ष समास।
3. ं समास।
4. ब ीिह समास।

1. अ यीभाव समास

िजस समास का पहला पद धान हो और वह अ य हो उसे अ यीभाव समास कहते ह। जैसे-यथामित (मि
आमरण (मृ यु कर) इनम यथा और आ अ य ह।
कु छ अ य उदाहरण-
आजीवन - जीवन-भर, यथासाम य - साम य के अनुसार
यथाशि - शि के अनुसार, यथािविध िविध के अनुसार
यथा म - म के अनुसार, भरपेट पेट भरकर
हररोज़ - रोज़-रोज़, हाथ हाथ - हाथ ही हाथ म
रात रात - रात ही रात म, ित दन - येक दन
बेशक - शक के िबना, िनडर - डर के िबना
िन संदेह - संदेह के िबना, हरसाल - हरे क साल
अ यीभाव समास क पहचान- इसम सम त पद अ य बन जाता है अथात समास होने के बाद उसका प

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बदलता है। इसके साथ िवभि िच न भी नह लगता। जैसे-ऊपर के सम त श द है।

2. त पु ष समास

िजस समास का उ रपद धान हो और पूवपद गौण हो उसे त पु ष समास कहते ह। जैसे-तुलसीदासकृ त=त
(रिचत)
ात - िव ह म जो कारक कट हो उसी कारक वाला वह समास होता है। िवभि य के नाम के अनुसार इ
ह-
(1) कम त पु ष िगरहकट िगरह को काटने वाला
(2) करण त पु ष मनचाहा मन से चाहा
(3) सं दान त पु ष रसोईघर रसोई के िलए घर
(4) अपादान त पु ष देशिनकाला देश से िनकाला
(5) संबंध त पु ष गंगाजल गंगा का जल
(6) अिधकरण त पु ष नगरवास नगर म वास

(क) नञ त पु ष समास

िजस समास म पहला पद िनषेधा मक हो उसे नञ त पु ष समास कहते ह। जैसे-


सम त पद समास-िव ह सम त पद समास-िव ह
अस य न स य अनंत न अंत
अना द न आ द असंभव न संभव

(ख) कमधारय समास

िजस समास का उ रपद धान हो और पूववद व उ रपद म िवशेषण-िवशे य अथवा उपमान-उपमेय का स


कमधारय समास कहलाता है। जैसे-
सम त पद समास-िव ह सम त पद समात िव ह
चं मुख चं जैसा मुख कमलनयन कमल के समान नयन
देहलता देह पी लता दहीबड़ा दही म डू बा बड़ा
नीलकमल नीला कमल पीतांबर पीला अंबर (व )
स न सत् (अ छा) जन नर सह नर म सह के समान

(ग) ि गु समास

िजस समास का पूवपद सं यावाचक िवशेषण हो उसे ि गु समास कहते ह। इससे समूह अथवा समाहार का ब
जैसे-
सम त पद समात-िव ह सम त पद समास िव ह

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नव ह नौ ह का मसूह दोपहर दो पहर का समाहार


ि लोक तीन लोक का समाहार चौमासा चार मास का समूह
नवरा नौ राि य का समूह शता दी सौ अ दो (साल ) का समूह
अठ ी आठ आन का समूह

3. ं समास

िजस समास के दोन पद धान होते ह तथा िव ह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं लगता है, वह ं समा
जैसे-
सम त पद समास-िव ह सम त पद समास-िव ह
पाप-पु य पाप और पु य अ -जल अ और जल
सीता-राम सीता और राम खरा-खोटा खरा और खोटा
ऊँच-नीच ऊँच और नीच राधा-कृ ण राधा और कृ ण

4. ब ीिह समास

िजस समास के दोन पद अ धान ह और सम तपद के अथ के अित र कोई सांकेितक अथ धान हो उसे ब
कहते ह। जैसे-
सम त पद समास-िव ह
दशानन दश है आनन (मुख) िजसके अथात् रावण
नीलकं ठ नीला है कं ठ िजसका अथात् िशव
सुलोचना सुंदर है लोचन िजसके अथात् मेघनाद क प ी
पीतांबर पीले है अ बर (व ) िजसके अथात् ीकृ ण
लंबोदर लंबा है उदर (पेट) िजसका अथात् गणेशजी
दुरा मा बुरी आ मा वाला (कोई दु )
ेतांबर ेत है िजसके अंबर (व ) अथात् सर वती

संि ध और समास म अंत र

संिध वण म होती है। इसम िवभि या श द का लोप नह होता है। जैसे-देव+आलय=देवालय। समास दो प
समास होने पर िवभि या श द का लोप भी हो जाता है। जैसे-माता-िपता=माता और िपता।

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कमधारय और ब ीिह समास म अंतर- कमधारय म सम त-पद का एक पद दूसरे का िवशेषण होता है। इस
धान होता है। जैसे-नीलकं ठ=नीला कं ठ। ब ीिह म सम त पद के दोन पद म िवशेषण-िवशे य का संबंध
अिपतु वह सम त पद ही कसी अ य सं ा द का िवशेषण होता है। इसके साथ ही श दाथ गौण होता है और
ही धान हो जाता है। जैसे-नील+कं ठ=नीला है कं ठ िजसका अथात िशव।
मु य पृ

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