Question Paper For Class 12 Hindi Core

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KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN : CHENNAI REGION


CLASS XII COMMON PRE BOARD EXAMINATION
SUBJECT : HINDI(CORE TIME ALLOTED : 3 HOURS MAX. MARKS : 100

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साभान्म ननदे श :
 कृऩमा जाॉच कय रे कक प्रश्न-ऩत्र भें भद्रु ित ऩष्ृ ठ 8 है ।
 कृऩमा जाॉच कय रे कक प्रश्न-ऩत्र भें 14 प्रश्न है ।
 इस प्रश्न-ऩत्र को ऩढ़ने के लरए 15 लभनट का सभम द्रदमा गमा है । इस अवधध के दौयान छात्र
उत्तय ऩस्ु ततका भें कोई उत्तय नह ॊ लरखें गे ।

खण्ड क

1. ननम्नलरखखत ऩदमाॊश ऩढ़कय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए : 1x5=5
भक्
ु त कयो नाय को भानव ! धचयफॊद्रदनी नाय को,
मग
ु -मग
ु की फफबय काया से जननन, सखी, प्माय को ।
नछन्न कयो सफ तवणब-ऩाश उसके कोभर तन-भन के,
वे आबष
ू ण नह ॊ, दाभ उसके फॊद जीवन के !
उसे भानवी का गौयव दे ऩण
ू ब सत्व दो नत
ू न ,
उसका भख
ु जग का प्रकाश हो, उठे अॊध अवगठ
ुॊ न !
भक्
ु त कयो जीवन-सॊधगनी को, जननन दे वी को आदृत ,
जगजीवन भें भानव के सॊग हो भानवी प्रनतस्ष्ठत !
प्रेभ तवगब हो धया, भधुय नाय भद्रहभा भॊडडत,
नाय -भख
ु की नव ककयणों से मग
ु -प्रबात हो ज्मोनतत !

क] कवव नाय को ककस दशा से भक्


ु त कयना चाहता है ? वह उसके ककन-ककन रूऩों का उल्रेख कय यहा
है ?
ख] कवव नाय के आबष
ू णों को उसके अरॊकयण के साधन न भानकय उन्हें ककन रूऩों भें दे ख यहा है ?
ग] कवव नाय को ककन दो गरयभाओॊ से भॊडडत कया यहा है औय क्मा काभना कय यहा है ?
घ] कवव नाय को ककन-ककन रूऩों भें प्रनतस्ष्ठत कयना चाहता है ?
ङ] आशम तऩष्ट कीस्जए : नाय -भख
ु की नव ककयणों से मग
ु -प्रबात हो ज्मोनतत !

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2. ननम्नलरखखत गदमाॊश ऩढ़कय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए :

ऩरयमोजना लशऺा का एक फहुत भहत्त्वऩण


ू ब अॊग है । इसे तैमाय कयने से ककसी खेर की तयह का
ह आनॊद बी लभरता जाता है । इस तयह ऩरयमोजना तैमाय कयने का अथब है –खेर-खेर भें फहुत कुछ
सीख जाना । मद्रद आऩको कहा जाए कक दशहया ऩय एक ननफॊध लरखखए, तो आऩको शामद उतना आनॊद
नह ॊ आएगा । रेककन मद्रद आऩसे कहा जाए कक अखफायों भें छऩे अरग-अरग शहयों के दशहये के धचत्र
काटकय अऩनी काऩी भें धचऩकाइए औय लरखखए कक कौन-सा धचत्र ककस शहय के दशहये का है , तो शामद
आऩको फहुत आनॊद आएगा । तो इस तयह से धचत्र इकट्ठे कयके धचऩकाना बी एक शैक्षऺक ऩरयमोजना है
। मह एक प्रकाय की फ़ोटो-फ़ीचय ऩरयमोजना कहराएगी । इस तयह से न केवर आऩने धचत्र काटे औय
धचऩकाए, फस्ल्क कई शहयों भें भनाए जानेवारे दशहये के तय कों को बी जाना । ऩरयमोजना ऩाठ्म-ऩत
ु तक
से प्राप्त जानकारयमों के अरावा बी आऩको दे श-दनु नमा की फहुत साय जानकारयमाॉ प्रदान कयती है । मह
आऩको तथ्मों को जट
ु ाने तथा उन ऩय ववचाय कयने का अवसय प्रदान कयती है । इससे आऩ भें नए-नए
तथ्मों के कौशरों का ववकास होता है । इससे आऩभें एकाग्रता का ववकास होता है । रेखन सॊफध
ॊ ी नमी-
नमी शैलरमों का ववकास होता है । आऩ भें धचॊतन कयने तथा ककसी ऩव
ू ब घटना से वतबभान घटना को
जोड़कय दे खने की शस्क्त का ववकास होता है । ऩरयमोजना कई प्रकाय से तैमाय की जा सकती है । हय
व्मस्क्त इसे अरग ढॊ ग से अऩने तय के से तैमाय कय सकता है । ठीक उसी प्रकाय जैसे हय व्मस्क्त का
फातधचत कयने का, यहने का, खाने-ऩीने का अऩना अरग तय का होता है । ऐसा ननफॊध, कहानी, कववता
लरखते मा धचत्र फनाते सभम बी होता है । रेककन ऊऩय कह गई फातों के आधाय ऩय महाॉ हभ
ऩरयमोजना को भोटे तौय ऩय दो बागों भें फाॉट सकते हैं- एक तो वे ऩरयमोजनाएॉ जो सभतमाओॊ के ननदान
के लरए तैमाय की जाती हैं औय दस
ू य जो ककसी सभधु चत जानकाय प्रदान कयने के लरए तैमाय की जाती
है ।
सभतमाओॊ के ननदान के लरए तैमाय की जानेवार ऩरयमोजनाओॊ भें सॊफधॊ धत सभतमा से जुड़े
सबी तथ्मों ऩय प्रकाश डारा जाता है औय उस सभतमा के सभाधान के लरए सझ
ु ाव बी द्रदए जाते हैं ।
इसतयह की ऩरयमोजनाएॉ प्राम् सयकाय अथवा सॊगठनों दवाया ककसी सभतमा ऩय कामबमोजना तैमाय कयते
सभम फनाई जाती है । इस से उस सभतमा के ववलबन्न ऩहरओ
ु ॊ ऩय कामब कयने भें आसानी हो जाती है ।
ककॊ तु दस
ू ये प्रकाय की ऩरयमोजना आऩ आसानी से तैमाय कय सकते हैं । इसे शैक्षऺक ऩरयमोजना बी कहा
जा सकता है । इस तयह की ऩरयमोजनाएॉ तैमाय कयते सभम आऩ सॊफधॊ धत ववषम ऩय तथ्मों को जुटाते
हुए फहुत साय नई-नई फातों से अऩने-आऩ ऩरयधचत बी हो जाते हैं ।

क] ऩरयमोजना क्मा है ? इसका क्मा भहत्त्व है ? 2


ख] शैक्षऺक ऩरयमोजना क्मा है ? 2
ग] ऩरयमोजना हभें क्मा प्रदान कयती है ? 2
2

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घ] ऩरयमोजना ककस प्रकाय तैमाय की जाती है ? मह ककतने प्रकाय की होती है ? 2


ङ] सभतमा का ननदान कयने वार ऩरयमोजना कैसी होनी चाद्रहए ? 2
च] ऩरयमोजना शब्द का ननभाबण ककस प्रकाय हुआ है ? 1
छ] ‘लशऺा’ औय ‘सॊफध
ॊ ’ शब्दों से ववशेषण फनाइए । 1
ज] फ़ोटो-फ़ीचय ऩरयमोजना से आऩ क्मा सभझते है ? 1
झ] शैक्षऺक, सयकाय शब्दों से भर
ू शब्द तथा प्रत्मम अरग कीस्जए । 1
ञ ] गदमाॊश के लरए उऩमक्
ु त शीषबक द स्जए । 1

खण्ड ख
3. ननम्नलरखखत भें से ककसी एक ववषम ऩय ननफॊध लरखखए : 5

क] काभकाजी भद्रहराओॊ की सभतमाएॉ


ख] आधनु नक पैशन
ग] चरयत्र : सवबश्रेष्ठ धन
घ] कपल्भों की साभास्जक बलू भका

4. आऩके नगय भें वन भहोत्सव के अवसय ऩय रगाए गए वऺ


ृ उदमान ववबाग की राऩयवाह के कायण
सख
ू ते जा यहे हैं। उदमान ववबाग के ननदे शक को ऩत्र लरखकय उधचत कायब वाई के लरए अनयु ोध कीस्जए ।
अथवा 5
अऩोरो अतऩतार के प्रफॊधन ऩय सॊतोष व्मक्त कयते हुए धचककत्सा अधीऺक को अनयु ाग श्रीवाततव की
ओय से ऩत्र लरखखए ।

5.अ] सॊऺेऩ भें उत्तय लरखखए : 1x5=5

i] ऩत्रकारयता ककसे कहते हैं ?


ii] द्रहन्द का ऩहरा साप्ताद्रहक ऩत्र कौन-सा था ? इसके सॊऩादक कौन थे ?
iii] खोजऩयक ऩत्रकारयता ककसे कहते हैं ?
iv] सॊऩादकीम ककसी के नाभ के साथ क्मों नह ॊ छाऩा जाता ?
v] बायत भें ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ खुरा ?

5.आ] `आदशब ववदमारम’ अथवा `ऩेट्रोर-डीज़र की फढ़ती ़ीभतें ’ ववषम ऩय आरेख लरखखए । 5

6. `भहॉगी लशऺा’ अथवा `भोफाइर के सख


ु -दख
ु ’ ववषम ऩय फ़ीचय लरखखए । 5
3

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खण्ड ग

7. ननम्नलरखखत काव्माॊश के आधायऩय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए : 2x4=8

भैं मौवन का उन्भाद लरए कपयता हूॉ,


उन्भादों भें अवसाद लरए कपयता हूॉ,
जो भझ
ु को फाहय हॉसा, रुराती बीतय,
भैं, हाम, ककसी की माद लरए कपयता हूॉ !
कय मत्न लभटे सफ, सत्म ककसी ने जाना ?
नादान वह ॊ है ,हाम,जहाॉ ऩय दाना !
कपय भढ़
ू न क्मा जग, जो इस ऩय बी सीखे ?
भैं सीख यहा हूॉ सीखा ऻान बर
ु ाना ।

क] मौवन का उन्भाद से क्मा तात्ऩमब है ?


ख] कवव की भन्स्तथनत कैसी है ?
ग] ‘नादान’ कौन है ? क्मों?
घ] कवव सीखे ऻान को क्मों बर
ु ाना चाहता है ?
अथवा
धूत कहौ, अवधूत कहौ, यजऩत
ू ु कहौ, जोरहा कहौ कोऊ ।
काहू की फेट सों फेटा न ब्माहफ, काहुकी जानत बफगाय न सोऊ ॥
तर
ु सी सयनाभ गर
ु ाभु है याभ को, जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ ।
भाॉधगकै खैफो, भसीत को सोइफो, रैफे को एकु न दै फे को दोऊ ॥

क] कवव ककन ऩय व्मॊग्म कयता है ? क्मों ?


ख] कवव को अऩने ककस रूऩ ऩय गवब है ?
ग] कवव का सभाज से कैसा सॊफध
ॊ है ?
घ] कवव अऩना जीवन-ननवाबह कैसे कयता है ?

8. ननम्नलरखखत काव्माॊश ऩय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए : 2x3=6
रुद्ध कोष है , ऺुब्ध तोष
अॊगना-अॊग से लरऩटे बी

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आतॊक अॊक ऩय काॉऩ यहे हैं।


धनी, वज्र-गजबन से फादर !
त्रतत नमन-भख
ु ढाॉऩ यहे हैं ।
जीणब फाहु है , शीणब शय य,
तझ
ु े फर
ु ाता कृषक अधीय,
ऐ ववप्रव के वीय !
चस
ू लरमा है उसका साय,
हाड़ भात्र ह है आधाय,
ऐ जीवन के ऩायावाय !

क] धननकों एवॊ कृषकों के लरए प्रमक्


ु त ववशेषणों का सौंदमब तऩष्ट कीस्जए ।
ख] ‘ववप्रव के वीय’ शब्द के सौंदमब को उदघाद्रटत कीस्जए ।
ग] काव्माॊश की बाषागत ववशेषता ऩय प्रकाश डालरए ।
अथवा
प्रात नब था फहुत नीरा शॊख जैसे
बोय का नब
याख से गीरा चौका
(अबी धगरा ऩड़ा है )
फहुत कार सीर ज़या से रार केसय से
कक जैसे धर
ु गई हो
तरेट ऩय मा रार खडड़मा चाक
भर द हो ककसी ने
नीर जर भें मा ककसी की
गौय खझरलभर दे ह
जैसे द्रहर यह हो ।
औय….
जाद ू टूटता है उषा का अफ
सम
ू ोदम हो यहा है ।

क] काव्माॊश भें प्रमक्


ु त उऩभानों का उल्रेख कीस्जए ।
ख] काव्माॊश की दो बाषागत ववशेषताओॊ की चचाब कीस्जए ।

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ग] बाव-सौंदमब तऩष्ट कीस्जए-


नीर जर भें मा ककसी की
गौय खझरलभर दे ह
जैसे द्रहर यह हो ।

9. ननम्नलरखखत प्रश्नों भें से ककन्ह ॊ दो के उत्तय लरखखए : 3+3=6


क] ‘छोटा भेया खेत’ कववता का उद्देश्म तऩष्ट कीस्जए ।
ख] ‘फात सीधी थी ऩय’ कववता के आधाय ऩय ‘बाषा को सहूलरमत से फयतने’ का क्मा अलबप्राम है ?
फताइए ।
ग] ‘कैभये भें फॊद अऩाद्रहज’ शीषबक की उऩमक्
ु तता लसद्ध कीस्जए ।

10. ननम्नलरखखत गदमाॊश के आधाय ऩय ऩछ


ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए : 2x4=8
बस्क्तन का दब
ु ाबग्म बी उससे कभ हठी नह ॊ था, इसी से ककशोय से मव
ु ती होते ह फड़ी रड़की
बी ववधवा हो गमी । बइमहू से ऩाय न ऩा सकने वारे जेठों औय काकी को ऩयातत कयने के लरए कद्रटफद्ध
स्जठौतों ने आशा की एक ककयण दे ख ऩाई । ववधवा फद्रहन के गठफॊधन के लरए फड़ा स्जठौत अऩने तीतय
रड़ाने वारे सारे को फर
ु ा रामा, क्मोंकक उसका हो जाने ऩय सफ कुछ उन्ह ॊ के अधधकाय भें यहता ।
बस्क्तन की रड़की बी भाॉ से कभ सभझदाय नह ॊ थी, इसी से उसने वय को नाऩसॊद कय द्रदमा । फाहय के
फहनोई का आना चचेये बाइमों के लरए सवु वधाजनक नह ॊ था, अत् मह प्रतताव जहाॉ-का-तहाॉ यह गमा ।
तफ वे दोनों भाॉ-फेट खूफ भन रगाकय अऩनी सॊऩस्त्त की दे ख-बार कयने रगी औय ‘भान न भान भैं तेया
भेहभान’ की कहावत चरयताथब कयने वारे वय के सभथबक उसे ककसी-न-ककसी प्रकाय ऩनत की ऩदवी ऩय
अलबवषक्त कयने का उऩाम सोचने रगे ।

क] बस्क्तन का दब
ु ाबग्म क्मा था ?
ख] जेठों औय स्जठौतों को आशा की कौन-सी ककयण द्रदखाई द ?
ग] स्जठौत ककसके लरए वववाह का प्रतताव रामा ? उसका क्मा ऩरयणाभ हुआ ?
घ] ‘वय की ऩदवी ऩय अलबवषक्त कयने का’-क्मा आशम है ?

अथवा
एक-एक फाय भझ
ु े भारभ
ू होता है कक मह लशय ष एक अद्भत
ु अवधूत है । द्ु ख हो मा सख
ु , वह हाय
नह ॊ भानता । न उधो का रेना, न भाधो का दे ना । जफ धयती औय आसभान जरते यहते है , तफ बी मह

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हज़यत न जाने कहाॉ से अऩना जीवन यस खीॊचते यहते है । भौज भें आठों माभ भतत यहते है । एक
वनतऩनतशातत्री ने भझ
ु े फतामा है कक मह उस श्रेणी का ऩेड़ है , जो वामभ
ु ड
ॊ र से अऩना यस खीॊचता है ।
ज़रूय खीॊचता होगा । नह ॊ तो बमॊकय रू के सभम इतने कोभर तॊतज
ु ार औय ऐसे सक
ु ु भाय केसय को कैसे
उगा सकता था ? अवधत
ू ों के भॉह
ु से ह सॊसाय की सयस यचनाएॉ ननकर है । कफीय फहुत कुछ इस
लशय ष के सभान ह थे, भतत औय फेऩयवा, ऩय सयस औय भादक । कालरदास बी ज़रूय अनासक्त मोगी
यहे होंगे । लशय ष के पूर पक्कड़ाना भतती से ह उऩज सकते हैं औय ‘भेघदत
ू ’ का काव्म उसी प्रकाय के
अनासक्त अनाववर उन्भक्
ु त रृदम भें उभड़ सकता है । जो कवव अनासक्त नह ॊ यह सका, जो पक्कड़
नह ॊ फन सका, जो ककए-कयाए का रेखा-जोखा लभराने भें उरझ गमा, वह बी क्मा कवव है ?

क] रेखक ने लशय ष को क्मा सॊऻा द है ? क्मों ?


ख] ‘अवधूतों के भॉह
ु से ह सॊसाय की सयस यचनाएॉ ननकर है ।’-आशम तऩष्ट कीस्जए ।
ग] रेखक ने कालरदास को क्मा कहा है ? क्मों ?
घ] कफीयदास ऩय रेखक ने क्मा द्रटप्ऩणी की है ?

11. ननम्नलरखखत भें से ककन्ह ॊ चाय प्रश्नों के उत्तय लरखखए : 3x4=12


क] ‘श्रभववबाजन औय जनत-प्रथा’ ऩाठ के आधाय ऩय फताइए कक जानत-प्रथा बायतीम सभाज भें
फेयोज़गाय व बख
ु भय का बी कायण कैसे फनती यह है ? क्मा मह स्तथनत आज बी है ?
ख] फाज़ाय ककसी का लरॊग, जानत, धभब मा ऺेत्र नह ॊ दे खता ; वह दे खता है लसफ़ब उसकी क्रम शस्क्त
को । इस रूऩ भें वह एक प्रकाय से साभास्जक सभता की बी यचना कय यहा है ।’ आऩ इससे कहाॉ
तक सहभत हैं ?
ग] ‘भानधचत्र ऩय रकीय खीॊच दे ने बय से ज़भीन औय जनता फॉट नह ॊ जाती है –उधचत तकों व उदाहयणों
के ज़रयए इसकी ऩस्ु ष्ट कीस्जए ।
घ] ‘कारे भेघा ऩानी दे ’ ऩाठ के आधाय ऩय फताइए कक जीजी ने इॊदय सेना ऩय ऩानी पेंकने को ककस तयह
सह ठहयामा ?
ङ] रेखक ववष्णु खये ने चारी का बायतीमकयण ककसे कहा है ? गाॉधी औय नेहरू ने बी उनका सास्न्नध्म
क्मों चाहा ?

12. ननम्नलरखखत प्रश्नों के उत्तय लरखखए : 3+2=5


क] ’डामय के ऩन्ने’ ऩाठ के आधाय ऩय फताइए कक ऐन की डामय एक ऐनतहालसक दततावेज है ?

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ख] लसॊध-ु सभ्मता साधन सॊऩन्न थी, ऩय उस भें बव्मता का आडॊफय नह ॊ था। ’अतीत भें दफे ऩाॉव’ ऩाठ के
आधाय ऩय फताइए।
13. ननम्नलरखखत गदमाॊश ऩढ़कय ऩछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तय लरखखए : 2+3=5

जफ तक ककशनदा द्रदल्र भें यहे तफ तक मशोधय फाफू ने उनके ऩट्ट लशष्म औय उत्साह कामबकताब
की बलू भका ऩयू ननष्ठा से ननबाई। ककशनदा के चरे जाने के फाद उन्होंने ह उनकी कई ऩयॊ ऩयाओॊ को
जीववत यखने की कोलशश की औय इस कोलशश भें ऩत्नी औय फच्चों को नायाज़ ककमा। घय भें होर
गवाना, जन्मो ऩन्
ु मूॊ के द्रदन सफ कुभाउॉ ननओॊ को जनेऊ फदरने के लरए अऩने घय आभॊबत्रत कयना,
याभर रा की तार भ के लरए क्वाटब य का एक कभया दे दे ना-मे औय ऐसे ह औय कई काभ मशोधय फाफू
ने ककशनदा से ववयासत भें लरए थे। उनकी ऩत्नी औय फच्चों को इन आमोजनों ऩय होनेवारा खचब औय
इन आमोजनों भें होने वारा शोय, दोनों ह सख्त नाऩसॊद थे। फदतय मह कक इन आमोजनों के लरए
सभाज भें बी कोई खास उत्साह यह नह ॊ गमा है ।

क] मशोधय फाफू ने ककशनदा से ककन भल्


ू मों को ववयासत भें प्राप्त ककमा ? आऩ मशोधय फाफू की जगह
होते तो क्मा कयते ?
ख] मद्रद आऩ मशोधय फाफू के फच्चे (फेटे) होते तो क्मा कयते ?

14. ’भअ
ु नजो-दड़ो’ के उत्खनन से प्राप्त जानकारयमों के आधाय ऩय लसॊधु सभ्मता की ववशेषताएॉ
लरखखए।
अथवा 5

’जूझ’ कहानी के नामक की चारयबत्रक ववशेषताएॉ लरखखए।

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