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िनबंध-लेखन-िनधा रत अंक:
1. भूिमका/ तावना
2. िव ान का अथ
3. िवजान वरदान ह
िश ा के े म
िचिक सा के े म
मनोरंजन के े म
कृिष के े म
यातायात के े म
4. िव ान अिभशाप है –
5. िव ान के ित हमारे उ रदािय व
6. उपसंहार
3. िव ान व कला
4. बदलते जीवन मू य
िवचार , भाव , संदेश एवं सूचनाओं के सं ेषण के लए प सहज, सरल तथा पारंप रक मा यम है। प अनेक कार के हो सकते ह,
पर ायः परी ाओं म िशकायती-प , आवेदन-प तथा संपादक के नाम प पूछे जाते ह। इन प को लखते समय िन न बात का
यान रखा जाना चािहए:
प -लेखन के अंग:-
1. पता और िदनांक- प के ऊपर बाई ओर ेषक का पता व िदनांक लखा जाता है (छा पते के लए परी ा-भवन ही लख)
2. संबोधन और पता- जसको प लखा जारहा है उसको यथानु प संबो धत िकया जाता है, औपचा रक प म पद-नाम और
कायालयी पता रहता है।
3. िवषय- केवल औपचा रक प म योग कर (प के क य का संि प, जसे पढ़ कर प क साम ी का संकेत िमल जाता है)
4. प क साम ी- यह प का मूल िवषय है, इसे सं ेप म सारगिमत और िवषय के प ीकरण के साथ लखा जाए।
5. प क समाि - इसम ध यवाद आभार सिहत अथवा साभार जैसे श द लख कर लेखक अपने ह ता र और नाम लखता है।
6. यान द, छा प म कह अपना अिभ ान (नाम-पता) न द। औपचा रक प म िवषयानु प ही अपनी बात कह। ि -अथक और
बो झल श दावली से बच।
प का नमूना
परी ा-भवन,
िदनांकः -----
मानाथ
िचिक सा-अधी क,
कोरोनेशन अ पताल,
देहरादन
ू ।
मा यवर,
इस प के मा यम से म आपके िचिक सालय के सु बंधन से भािवत होकर आपको ध यवाद दे रहा हँ। गत स ाह मेर े िपता जी
दय-आघात से पीिड़त होकर आपके यहाँ दा खल हए थे। आपके िचिक सक और सहयोगी टाफ ने जस त परता, कत यिन ा
और ईमानदारी से उनक देखभाल तथा िचिक सा क उससे हम सभी प रवारी जन संतु ह। हमारा िव वास बढ़ा है। आपके
िचिक सालय का अनुशासन शंसनीय है।
साभारः
भवदीय
क ख ग
अ यासाथ न:-
1. िकसी दैिनक समाचार-प के संपादक के नाम प ल खए जसम वृ क कटाई को रोकने के लए सरकार का यान आकिषत
िकया गया हो।
2. िहंसा- धान िफ़ म को देख कर बालवग पर पड़ने वाले द ु भाव का वणन करते हए िकसी दैिनक प के संपादक के नाम प
ल खए।
6. दैिनक प के संपादक को प िन खए , जसम िहंदी भाषा क ि - पता को समा करने के सुझाव िदए गए ह ।
(i) अिभ यि और मा यम: (एक-एक अंक के 5 न पूछे जाएँ गे तथा उ र सं ेप म िदए जाएँ गे)
1. अिभ यित और मा यम से संबं धत न िवशेष प से त यपरक होते ह अतः उ र लखते समय सही त य को यान म रख।
5. उ र म अनाव यक बात न लख I
जनसंचार मा यम
‘संचार' श द चर् धातु के साथ सम् उपसग जोड़ने से बना है- इसका अथ है चलना या एक थान से दस
ू रे थान तक पहँचना संचार
संदेश का आदान- दान है।
सूचनाओं, िवचार और भावनाओं का ल खत, मौ खक या य- य मा यम के ज रये सफ़लता पूवक आदान- दान करना या
एक जगह से दस
ू री जगह पहँचाना संचार है।
स संचार शा ी िव बर ेम ने।
3. संचार मा यम से आप या समझते ह ?
संचारक या ोत
ए कोिडंग (कूटीकरण)
संदेश ( जसे संचारक ा कता तक पहँचाना चाहता है)
मा यम (संदेश को ा कता तक पहँचाने वाला मा यम होता है जैसे- विन-तरंग, वायु तरंग, टेलीफोन, समाचारप ,
रेिडयो, टी वी आिद)
ा कता (डीकोिडंग कर संदेश को ा केरने वाला)
फ डबैक (संचार ि या म ा कता क िति या)
शोर (संचार ि या म आने वाली बाधा)
6. जनसंचार से आप या समझतेह ?
य संवाद के बजाय िकसी तकनीक या यांि क मा यम के ारा समाज के एक िवशाल वग से संवाद कायम करना जनसंचार
कहलाता है।
सूचना देना
िशि त करना
मनोरंजन करना
िनगरानी करना
एजडा तय करना िवचार-िवमश के लए मंच उपल ध करांना
समाचार-प और पि का
संवाददाता
िहंदी का पहला सा ािहक प ‘उदंत मातड’ को माना जाता है जो कलकता से पंिडत जुगल िकशोर शु ल के संपादन म िनकला था।
महा मा गांधी, लोकमा य ितलक, मदन मोहन मालवीय, गणेश शंकर िव ाथ , माखनलाल चतुवदी, महावीर साद ि वेदी, ताप
नारायण िम , बाल मुकंु द गु आिद हए।
केसरी, िह द ु तान, सर वती, हंस, कमवीर, आज, ताप, दीप, िवशाल भारत आिद।
19. आजादी के बाद क मुख प -पि काओं तथा प कार के नाम लखए।
मुख प - नव भारत टाइ स, जनस ा, नई दिु नया, िह द ु तान, अमर उजाला, दैिनक भा कर, दैिनक जागरण आिद।
मुख पि काएँ - धमयुग, सा ािहक िह द ु तान, िदनमान, रिववार, इंिडया टु डे, आउट लुक आिद।
मुख प कार- अ ेय, रघुवीर सहाय, धमवीर भारती, मनोहर याम जोशी, राजे माथुर, भाष जोशी आिद।
2. कूटवाचन से आप या समझते ह?
5. फ डबैक से आप या समझते ह?
6. शोर से या ता पय है?
1. प का रता या है ?
ऐसी सूचनाओं का संकलन एवं संपादन कर आम पाठक तक पहँचाना, जनम अ धक से अ धक लोग क िच हो तथा जो अ धक
से अ धक लोग को भािवत करती ह , प का रता कहलाता है। (देश-िवदेश म घटने वाली घटनाओं क सूचनाओं को संक लत एवं
संपािदत कर समाचार के प म पाठक तक पहँचाने क ि या/िवधा को प का रता कहते ह)
प कारीय लेखन क मुख उ े य सूचना दान करना होता है, इसम त य क धानता होती है, जबिक सािह यक सृजना मक
लेखन भाव, क पना एवं स दय- धान होता है।
समाचार िकसी भी ऐसी ताजा घटना, िवचार या सम या क रपोट है जसम अ धक से अ धक लोग क िच हो और जसका
अ धक से अ धक लोग पर भाव पड़ता हो।
5. समाचार के त व को ल खए।
नवीनता िनकटता, भाव, जन िच, संघष, मह वपूण लोग, उपयोगी जानका रयाँ, अनोखापन आिद।
6. डेडलाइन से आप या समझते ह ?
7. संपादन से या अिभ ाय है ?
काशन के लए ा समाचार-साम ी से उसक अशुि य को दरू करके पठनीय तथा काशन यो य बनाना संपादन कहलाता है।
8. संपादक य या है ?
संपादक ारा िकसी मुख घटना या सम या पर लखे गए िवचारा मक लेख को, जसे संबं धत समाचारप क राय भी कहा जाता
है, संपादक य कहते ह। संपाठक य िकसी एक यि का िवचार या राय न होकर सम प -समूह क राय होता है, इस लए
संपादक य म संपादक अथवा लेखक का नाम नह लखा जाता।
खोजी प का रता
िवशेषीकृत प का रता
वॉचडॉग प का रता
एडवोकेसी प का रता
पीतप का रता
पेज ी प का रता
जसम आम तौर पर सावजिनक मह व के मामल , जैसे- ाचार, अिनयिमतताओं और गड़बिड़य क गहराई से छानबीन कर
सामने लाने क कोिशश क जाती है। टंग ऑपरेशन खोजी प का रता का ही एक नया प है।
लोकतं म प का रता और समाचार मीिडया का मु य उ रदािय व सरकार के कामकाज पर िनगाह रखना है और कोई गड़बड़ी
होने पर उसका परदाफाश करना होता है, परंपरागत प से इसे वॉचडॉग प का रता कहते ह।
इसे प धर प का रता भी कहते ह। िकसी खास मु े या िवचारधारा के प म जनमत बनाने के लए लगातार अिभयान चलाने वाली
प का रता को एडवोकेसी प का रता कहते ह।
ऐसी प का रता जसम फैशन, अमीर क पािटय , महिफ़ल और जानेमाने लोग के िनजी जीवन के बारे म बताया जाता है।
जजासा का
िकसी िवशेष े क िवशेष जानकारी देते हए उसका िव लेषण करना िवशेषीकृत प का रता है।
मु य धारा के मीिडया के िवपरीत जो मीिडया थािपत यव था के िवक प को सामने लाकर उसके अनुकूल सोच को अिभ य
करता है उसे वैक पक प का रता कहा जाता है। आम तौर पर इस तरह के मीिडया को सरकार और बड़ीपूँजी का समथन ा
नह होता और न ही उसे बड़ी कंपिनय के िव ापन िमलते ह।
संसदीय प का रता
यायालय प का रता
आ थक प का रता
खेल प का रता
िव ान और िवकास प का रता
अ य मह वपूण न:
2. कोई घटना समाचार कैसे बनती है? सूचनाओं का संकलन, संपादन कर पाठक तक पहँचाने क ि या को या कहते ह?
4. िन न के बारे म ल खए-
(घ) लीड
िविभ मा यम के लए लेखन
ि ंट मा यम (मुि त मा यम)-
1. ि ंट मीिडया से या आशय है ?
छपाई वाले संचार मा यम को ि ंट मीिडया कहते ह। इसे मु ण-मा यम भी कहा जाता है। समाचार-प पि काएँ , पु तक आिद
इसके मुख प ह।
भारत म पहला छापाखाना सन १७७६ म गोवा म खुला, इसे ईसाई िमशन रय ने धम- चार क पु तक छापने के लए खोला था।
छपे हए श द म थािय व होता है, इ ह सुिवधानुसार िकसी भी कार से पढ़ा जा सकता है।
यह मा यम ल खत भाषा का िव तार है।
यह िचंतन, िवचार-िव लेषण का मा यम है।
8. मुि त मा यम के लेखन के लए लखते समय िकन-िकन बात का यान रखा जाना चािहए।
रेिडयो (आकाशवाणी)
1. इलै टािनक मा यम से या ता पय है ?
जस जन संचार म इलैकटािनक उपकरण का सहारा लया जाता है इलै टािनक मा यम कहते ह। रेिडयो, दरू दशन, इंटरनेट मुख
इलै टािनक मा यम ह।
सन् १९३६ म
3. एफ़.एम. रेिडयो क शु आत कब से हई ?
जसम त य को मह व के म से तुत िकया जाता है, सव थम सबसे यादा मह वपूण त य को तथा उसके उपरांत मह व क
ि से घटते म म त य को रखा जाता है उसे उ टा िपरािमड शैली कहते ह। उ टािपरािमड शैली म समाचार को तीन भाग म
बाँटा जाता है- इंटो, बॉडी और समापन।
दरू दशन जनसंचार का सबसे लोकि य व सश मा यम है। इसम विनय के साथ-साथ य का भी समावेश होता है। इसके लए
समाचार लखते समय इस बात का यान रखा जाता है िक श द व पद पर िदखने वाले य म समानता हो।
भारत म टेलीिवजन का ारंभ १७ सतंबर १९७९ को हआ। यूने को क एक शैि क प रयोजना के अ तगत िद ी के आसपास के
एक गाँव म दो टी.वी. सैट लगाए गए, ज ह २०० लोग ने देखा। १९६७ के बाद िव धवत टीवी सेवा आरंभ हई। १९७६ म दरू दशन
नामक िनकाय क थापना हई।
दरू दशन मे कोई भी सूचना िन न चरण या सोपान को पार कर दशक तक पहँचती है।
(5) एं कर-बाइट (एं कर का य दश या संबं धत यि के कथन या बातचीत ारा ामािणक खबर तुत करना)
(7) एं कर-पैकेज (इसम एं कर ारा तुत सूचनाएँ ; संबं धत घटना के य, बाइट, ािफ़ स आिद ारा यव थत ढंग से िदखाई
जाती ह)
इंटरनेट
इंटरनेट िव व यापी अंतजाल है, यह जनसंचार का सबसे नवीन व लोकि य मा यम है। इसम जनसंचार के सभी मा यम के गुण
समािहत ह। यह जहाँ सूचना, मनोरंजन, ान और यि गत एवं सावजिनक संवाद के आदान- दान के लए े मा यम है, वह
अ लीलता, द ु चारव गंदगी फ़ैलाने का भी ज रया है।
2. इंटरनेट प का रता या है ?
इंटरनेट (िव यापी अंतजाल) पर समाचार का काशन या आदान- दान इंटरनेट प का रता कहलाता है। इंटरनेट प का रता दो
प म होती है। थम- समाचार सं ेषण के लए नेट का योग करना। दस
ू रा- रपोटर अपने समाचार को ई-मेल ारा अ य भेजने
व समाचार को संक लत करने तथा उसक स यता, िव वसनीयता स करने के लए करता है।
‘तहलका डॉटकॉम’
7. भारत म स चे अथ म
ं वेब प का रता करने वाली साइट के नाम ल खए।
टाइ स आफ़ इंिडया, िहंद ु तान टाइ स, इंिडयन ए स ैस, िहंद,ू िट यून आिद।
‘इंिडया टु डे’
रीिडफ
िहंदी वेब जगत म ‘अनुभूित’, अिभ यि , िहंदी ने ट, सराय आिद सािह यक पि काएँ चल रही ह।
िह दी वेब जगत क सबसे बड़ी सम या मानक क -बोड तथा फ ट क है। डायनिमक फ ट के अभाव के कारण िह दी क यादातर
साइट खुलती ही नह ह।
अ यासाथ नः
5. एं कर बाईट या है?
1. प कारीय लेखन या है ?
समाचार मा यम मे काम करने वाले प कार अपने पाठक तथा ोताओं तक सूचनाएँ पहँचाने के लए लेखन के िविभ प का
इ तेमाल करते ह, इसे ही प कारीय लेखन कहते ह। प कारीय लेखन का संबध
ं समसामियक िवषय , िवचार व घटनाओं से है।
प कार को लखते समय यह यान रखना चािहए वह सामा य जनता के लए लख रहा है, इस लए उसक भाषा सरल व रोचक
होनी चािहए। वा य छोटे व सहज ह । किठन भाषा का योग नह िकया जाना चािहए। भाषा को भावी बनाने के लए अनाव यक
िवशेषण , जाग स (अ च लत श दावली) और लीशे (िप ोि , दोहराव) का योग नह होना चिहए।
प क रता या प कारीय लेखन के अ तगत समपादक य, समाचार, आलेख, रपोट, फ चर, त भ तथा काटू न आिद आते ह।
प कारीय लेखन का मुख उ े य है- सूचना देना, िशि त करना तथा मनोरंजन करना आिद होता है।
प कारीय लेखन के कई कार ह यथा- ‘खोजपरक प का रता', वॉचडॉग प का रता और ए वोकैसी प का रता आिद।
पूण का लक
समाचार उलटा िपरािमड शैली म लखे जाते ह, यह समाचार लेखन क सबसे उपयोगी और लोकि य शैली है। इस शैली का
िवकास अमे रका म गृह यु के दौरान हआ। इसम मह वपूण घटना का वणन पहले तुत िकया जाता है, उसके बाद मह व क ि
से घटते म म घटनाओं को तुत कर समाचार का अंत िकया जाता है। समाचार म इंटो, बॉडी और समापन के म म घटनाएँ
तुत क जाती ह।
समाचार लखते समय मु य प से छह न - या , कौन , कहाँ , कब , य और कैसे का उ र देने क कोिशश क जाती है।
इ ह समाचार के छह ककार कहा जाता है। थम चार न के उ र इंटो म तथा अ य दो के उ र समापन से पूव बॉडी वाले भाग
म िदए जाते ह।
8. फ़ चर या है ?
9. फ़ चर लेखन का या उ े य होता है ?
फ़ चर का उ े य मु य प से पाठक को सूचना देना, िशि त करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है।
समाचार म रपोटर को अपने िवचार को डालने क वतं ता नह होती, जबिक फ़ चर म लेखक को अपनी राय, ि कोण और
भावनाओं को जािहर करने का अवसर होता है। समाचार उ टा िपरािमड शेली म लखे जाते ह, जबिक फ़ चर लेखन क कोई
सुिन चत शैली नह होती। फ़ चर म समाचार क तरह श द क सीमा नह होती। आमतौर पर फ़ चर, समाचार रपोट से बड़े होते
ह। प -पि काओं म ायः २५० से २००० श द तक के फ़ चर छपते ह।
सामा य समाचार से अलग वे िवशेष समाचार जो गहरी छान-बीन, िव लेषण और या या के आधार पर कािशत िकए जाते ह,
िवशेष रपोट कहलाते ह।
(1) खोजी रपोट: इसम अनुप ध त य को गहरी छान-बीन कर सावजिनक िकया जाता है।
(3) िव लेषणा मक रपोट: इसम िकसी घटना या सम या का िववरण सू मता के साथ िव तार से िदया जाता है। रपोट अ धक
िव तृत होने पर कई िदन तक िक त म कािशत क जाती है।
(4) िववरणा मक रपोट: इसम िकसी धटना या सम या को िव तार एवं बारीक के साथ तुत िकया जाता है।
जस लेखन म िवचार एवं िचंतन क धानता होती है, उसे िवचार परक लेखन कहा जाता है। समाचार-प म समाचार एवं फ़ चर के
अित रत संपादक य, लेख, प , िट पणी, व र प कार व िवशेष के तंभ छपते ह। ये सभी िवचारपरक लेखन के अंतगत आते
ह।
संपादक ारा िकसी मुख घटना या सम या पर लखे गए िवचारा मक लेख को, जससे संबं धत समाचार प क राय भी कहा
जाता है, संपादक य कहते ह। संपादक य िकसी एक यि का िवचार या राय न होकर सम प -समूह क राय होता है, इस लए
संपादक य म संपादक अथवा लेखक का नाम नह लखा जाता।
15. तंभलेखन से या ता पय है ?
यह एक कार का िवचारा मक लेखन है। कुछ मह वपूण लेखक अपने खास वैचा रक झान एवं लेखन शैली के लए जाने जाते ह।
ऐसे लेखक क लोकि यता को देखकर समाचरप उ ह अपने प म िनयिमत तंभ-लेखन क ज मेदारी दान करते ह। इस
कार िकसी समाचार-प म िकसी ऐसे लेखक ारा िकया गया िविश एवं िनयिमत लेखन जो अपनी िविश शैली एवं वैचा रक
झान के कारण समाज म याित- ा हो, तंभ लेखन कहा जाता है।
समाचार प म संपादक य पृ पर तथा पि काओं क शु आत म संपादक के नाम आए प कािशत िकए जाते ह। यह येक
समाचारप का िनयिमत तंभ होता है। इसके मा यम से समाचार-प अपने पाठक को जनसम याओं तथा मु पर अपने िवचार
एवम् राय य करने का अवसर दान करता है।
िकसी प कार के ारा अपने समाचारप म कािशत करने के लए, िकसी यि िवशेष से उसके िवषय म अथवा िकसी िवषय या
मु े पर िकया गया नो रा मक संवाद सा ा कार कहलाता है।
अ य मह वपूण नः
6. बाड़ी या है?
12. िवचारपरक लेखन या है तथा उसके अ तगत िकस कार के लेख आते ह?
िवशेष लेखन िकसी खास िवषय पर सामा य लेखन से हट कर िकया गया लेखन है; जसम िवषय से संबं धत िव तृत सूचनाएँ दान
क जाती ह।
2. डे क या है ?
समाचारप , पि काओं, टीवी और रेिडयो चैनल म अलग-अलग िवषय पर िवशेष लेखन के लए िनधा रत थल को डे क कहते ह
और उस िवशेष डे क पर काम करने वाले प कार का भी अलग समूह होता है। यथा- यापार तथा कारोबार के लए अलग तथा
3. बीट से या ता पय है ?
िविभ िवषय से जुड़े समाचार के लए संवाददाताओं के बीच काम का िवभाजन आम तौर पर उनक िदलच पी और ान को
यान म रख कर िकया जाता है। मीिडया क भाषा म इसे बीट कहते ह।
बीट रपोिटग के लए संवाददाता म उस े के बारे म जानकारी व िदलच पी का होना पया है, साथ ही उसे आम तौर पर अपनी
बीट से जुड़ी सामा य खबर ही लखनी होती ह। िक तु िवशेषीकृत रपोिटग म सामा य समाचार से आगे बढ़कर संबं धत िवशेष े
या िवषय से जुड़ी घटनाओं, सम याओं और मु का बारीक से िव लेषण कर तुतीकरण िकया जाता है। बीट कवर करने वाले
रपोटर को संवाददाता तथा िवशेषीकृत रपोिटग करने वाले रपोटर को िवशेष संवाददाता कहा जाता है।
िवशेष लेखन क भाषा-शैली सामा य लेखन से अलग होती है। इसम संवाददाता को संबं धत िवषय क तकनीक श दावली का
जान होना आव यक होता है, साथ ही यह भी आव यक होता है िक वह पाठक को उस श दावली से प रिचत कराए जससे पाठक
रपोट को समझ सक। िवशेष लेखन क कोई िन चत शैली नह होती।
िवशेष लेखन के अनेक े होते ह, यथा- अथ- यापार, खेल, िव ान- ौ ोिगक , कृिष, िवदेश, र ा, पयावरण िश ा, वा य,
िफ़ म-मनोरंजन, अपराध, कानून व सामा जक मु े आिद।
अ यासाथ मह वपूण न:
4. बीट से आप या समझते ह?
1. ि ंट मा यम िकसे कहते ह?
5. िहंदी का पहला समाचार-प कब, कहाँ से िकसके ारा कािशत िकया गया?
6. िहंदी म कािशत होने वाले दो दैिनक समाचार-प तथा पि काओं के नाम ल खए।
अथवा
संपादक य से या ता पय है?
आलेख
1. िकसी िवषय पर सवागपूण जानकारी जो त या मक, िव लेषणा मक अथवा िवचारा मक हो आलेख कहलाती है।
नमूना आलेख:
जंगली जीव क िविभ जाितय को सरं ण देने तथा उनक सं या को बढाने के उ े य से िहमालय क तराई से लगे उ राखंड
के पौड़ी और नैनीताल जले म भारतीय महा ीप के पहले रा ीय अभयार य क थापना स अंगरेजी लेखक जम काबट के
नाम पर क गई। जम काबट नशनल पाक नैनीताल से एक सौ प ह िकलोमीटर और िद ी से 290 िकलोमीटर दरू है। यह
अभयार य पाँच स इ क स िकलोमीटर े म फैला है। नव बर से जून के बीच यहाँ घूमने-िफरने का सव तम समय है।
िन न ल खत िवषय पर आलेख ल खए
रपोट\ ितवेदन
रपोट/ ितवेदन का सामा य अथ: सूचनाओं के त यपरक आदान- दान को रपोट या रपोिटग कहते ह। ितवेदन इसका िहंदी
पांतरण है। रपोट िकसी सं था, आयोजन या काय म क त या मक जानकारी है। बड़ी-बड़ी कंपिनयां अपने अंशधारक को
वािषक/अ वािषक गित रपोट भेजा करती ह।
रपोट के गुणः
3. मतदान के का य
5. आक मक बाढ़ से हई जनधन क ित
फ चर लेखन-िनधा रत अंक: 5
समकालीन घटना तथा िकसी भी े िवशेष क िविश जानकारी के सिच तथा मोहक िववरण को फ चर कहते ह। फ चर
मनोरंजक ढंग से त य को तुत करने क कला है। व तुतः फ चर मनोरंजन क उं गली थाम कर जानकारी परोसता है। इस कार
मानवीय िच के िवषय के साथ सीिमत समाचार जब चटपटा लेख बन जाता है तो वह फ चर कहा जाता है।
फ चर म अतीत, वतमान और भिव य क ेरणा होती है। फ चर लेखक पाठक को वतमान दशा से जोड़ता है, अतीत म ले जाता है
और भिव य के सपने भी बुनता है। फ चर लेखन क शैली िविश होती है। शैली क यह िभ ता ही फ चर को समाचार, आलेख या
रपोट से अलग ेणी म ला कर खड़ा करती है।
1. समाचार साधारण जनभाषा म तुत होता है और फ चर एक िवशेष वग व िवचारधारा पर कि त रहते हए िविश शैली म लखा
जाता है।
4. घटना के प रवेश, िविवध िति याएँ व उनके दरू गामी प रणाम भी फ चर म रहा करते ह।
नमूना फ चर:
िपय कड़ तोता:
संगत का असर आता है, िफर चाहे वह आदमी हो या तोता। ि टेन म एक तोते को अपने मा लक क संगत म शराब क ऐसी लत
लगी िक उसने घर वाल और पड़ो सय का जीना बेहाल कर िदया। जब तोते को सुधारने के सारे हथकंडे फेल हो गए तो मजबूरन
मा लक को ही शराब छोड़नी पड़ी। माक बेटोिकयो ने अ क जाित का तोला म लन पाला माक यदा-कदा शराब पी लेते। िगलास
म बची शराब म लन चट कर जाता। धीरे-धीरे म लन क तलब बढ़ने लगी। वह व -बेव शराब माँगने लगा।---------------------
िन न ल खत िवषय पर फ चर ल खए:
चुनावी वायदे
महँगाई के बोझतले मजदरू
वाहन क बढ़ती सं या
व र नाग रक के ित हमारा नज रया
िकसान का एक िदन
ांित के व न- ा अ दल
ु कलाम
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