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मुद्दे
1 :- क्या इं डिवा दं ि संडहता की धारा 124 (क) संडवधान के अनुच्छेद 19 (1) (क)
के तहत अडभव्यक्ति और वाक् की स्वतंत्रता के मौडलक अडधकारों का उल्लंघन करती है
?
तकों का सार
अनुच्छेद 19 (2) में वाक् औि अडिव्यक्ति के अडधकाि ं के उडित प्रबंधन डदए गए हैं
। इं डिवा दं ि संडहता की धािा 124 (क) िी इं डिवा संडवधान के अनुच्छेद 19 (1) (क)
के अडधकाि पि प्रडतबंध लगाता है । अनुच्छेद 19 (1) डविाि ं के प्रिाि-प्रसाि की स्वतं त्रता
का अडधकाि दे ता है । अनुच्छेद 19 (2) में डनडदि ष्ट ल ग ं के अलावा डकसी िी आधाि पि
ब लने औि अडिव्यक्ति की स्वतंत्रता आडधकारिक व्यक्ति पि लगाए गए प्रडतबंध ं क सही
ठहिाने के डलए जरूिी है ।
3 :- कोई व्यक्ति जो अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत सरकार को संरक्षण दे ने के डलए
डहंसा की वकालत करता है और सरकार इस राडश की कठोर आलोचना करता है। जो
राज्य की सुरक्षा को कमजोर करता है यह जनता का डवघटन करता है धारा 124 के
तहत मामला बनने के डलए सरकारी आदे श में गडबडी
-सुप्रीम क र्ि ने केदािनाथ बनाम डबहाि िाज्य के मामले में फैसला सु नाया डक सिकाि
की कायिवाही की एकमात्र आल िना ज दृढ़ता से वाक् औि अडिव्यक्ति की स्वतंत्रता के
अनुरूप ह गी। अनुच्छेद 19 (1) (क) केवल कानून औि व्यवस्था क िंग किने के डलए
खतिनाक प्रवृडि या उद्दे श्य िखने वाले शब् ं क साविजडनक व्यवस्था के डहत में दं डित डकया
जाएगा। अपिाडधकता के डनधाि िण के डलए प्रत्येक मामले में न्यायालय क यह डनधाि रित किना
ह गा डक डकसी िी व्यक्ति द्वािा ब ले गए औि डलखे गए शब् ं डित्रण एवं मुद्रण के द्वािा
क ई िी अपिाडधक अवस्था का या कानून व्यवस्था क िंग किने का इिादा है तिी दं ि
कानून िाितीय दं ि संडहता के द्वािा सजा दी जाए।
इं डिवा संडवधान द्वािा अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत गािं र्ीकृत वाक् एवं अडिव्यक्ति
की स्वतंत्रता के प्रावधान ं की वजह से इं डिवा दं ि संडहता की धािा 124 (क) के िाजद्र ह
के कानून ने डववादास्पद महत्व ग्रहण डकया है । इस डवशेि मामले में इं डिवा के नागरिक का
वाक् एवं अडिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौडलक अडधकाि प्रिाडवत हुए है याडिकाकताि ओं के
अनुच्छेद 19 (1) (क) के मौडलक अडधकाि का उल्लंघन डकया गया है । इं डिवा दं ि संडहता
की धािा 124 (क) दे शद्र ह क परििाडित किती है । अनुच्छेद 19 (1) संडवधान के िाग
3 के तहत एक मौडलक अडधकाि के रूप में डविािाधीन है । याडिकाकताि ओं पि इं डिवा दं ि
संडहता की धािा 124 (क) के तहत मामला दजि डकया गया है ज दे शद्र ह की बात किता
है । ज प्रकृडत में डवि धािासी है क् डं क संडवधान िाग 3 में वडणित है 19 (1) (क) के
तहत प्रत्येक नागरिक क स्वतंत्र रूप से अपनी िाय व्यि किने के कानूनी अडधकाि दे ता है
डजसका िाितीय दं ि संडहता धािा 124 (क) उल्लंघन किती है ।
1922 में महात्मा गां धी ने यंग इं डिया के 3 लेख ं में उनके औि शंकिलाल बैंकि क दे शद्र ह
की धािा 124 (क) के तहत कािावास की सजा सुनाई। गां धीजी ने धािा 124 ( क) क
“नागरिकता की स्वतं त्रता क दबाने के डलए डिजाइन डकए गए इं डिया दं ि संडहता के
िाजनीडतक वगों के िाजकुमाि” के रूप में संदडिित डकया है
1951 में इं डिवा के संडवधान का पहला संश धन पारित डकया गया तब प्रधानमंत्री जवाहिलाल
नेहरू ने धािा 124 (क) से छु र्कािा पाने का प्रस्ताव डकया गया था। ( प्रकाश एवं सत्य
िाशन या ना किने के डलए िाजद्र ह कानून पि नेहरू बाजी दु डवधा 10 डसतंबि 2018 तू)
2 :- लोगों को बोलने और अडभव्यक्ति की स्वतंत्रता नही ं डमलती है ।
-इं डिवा संडवधान अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत अडिव्यक्ति औि वाक् की स्वतंत्रता के
अडधकाि की गािं र्ी दे ता है । इनमें से प्रत्येक अडधकाि क िाज्य डवधाडयका संसद द्वािा बनाए
गए कानून ं के अनुसाि डनयंडत्रत परित्याग औि कुछ हद तक डवडनयडमत डकया जा सकता है ।
इं डिवा संडवधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) अडिव्यक्ति औि वाक् की स्वतंत्रता दी गई है ।
डजस पि अनुच्छेद 19 (2) के तहत डवधाडयका के द्वािा उडित प्रडतबंध लगाया जा सकता है ।
अनुच्छेद 19 (1) (क) से ज नागरिक ं क स्वतंत्रता के अडधकाि डदए गए हैं डजस पि
अनुच्छेद 19 (2) द्वािा लगाई गई एक सीमा उन पि एक दु गने उद्दे श्य के काम किती है
अथाि त एक तिफ डनडदि ष्ट किते हैं डक यह स्वतं त्रता पूणि नहीं है औि दू सिी औि उन
स्वतंत्रता क सीडमत िखने के डलए िाज्य की डवधाडयका क अनुच्छेद (19) के तहत शक्ति
प्रदान किता है । वह इन स्वतंत्रता क समाप्त कि दे ता है ।
अदालत ने “उडित” की सर्ीक परििािा पि फैसला नहीं डकया है । प्रत्येक मामले क अपनी
य ग्यता से न्याय डकया है जैसा डक स्टे र् ऑफ मद्रास बनाम डवजय िाव मामले में सवोच्च
न्यायालय ने दे खा डक यह ध्यान िखना महत्वपूणि है डक तकि की कसौर्ी जब िी डनधाि रित की
जाए त प्रत्येक व्यक्तिगत प्रडतिा पि लागू डकया जाना िाडहए औि व्यवहारिकता का क ई
मानक या सामान्य पैर्नि सिी मामल ं पि लागू डकया जा सकता है ।
-इं डिवा दं ि संडहता की धािा 124 (क) इं डिवा संडवधान द्वािा प्रदि अनुच्छेद 21 में
प्राण एवं दै डहक स्वतं त्रता के अडधकाि ं का उल्लं घन किती है । िाष्टरीय अपिाध रिकॉिि ब्यूि
की एक रिप र्ि में कहा गया है डक 2014 में कई दे शद्र ह के 47 मामले दजि डकए गए।
डजसमें 58 ल ग ं की डगिफ्तािी हुई औि इसमें खतिनाक वृ द्दी हुई है । 2015 औि 2016 में
21 मामले दजि डकए गए। द डिय ं की ओि से रिप र्ि मौन है । याडिकाकताि ओं की ओि से
वकील एक लेख पि बेंि का ध्यान आकडिित किते हुए कहा डक “िाजद्र ह के मामले के डलए
दु बिलता से कम द िडसद्द का प्राथडमक कािण यह है डक कानून गलत है ।” यह समझना
िाडहए डक सिकाि क उखाड़ फेंकने के डलए की गई डहं सा का केवल एक कृत्य ही य ग्य
है । िाजद्र ह के मामले पि वरिष्ठ वकील प्रशां त िूिण ने कहा “लेडकन इन डदन ं हमें दे खने
क डमलता है डक स शल मीडिया पि डर्प्पणी किने के डलए दे शद्र ह का आि प लगाया।”
मेनका गां धी बनाम िाित संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 21 क
एक नया आयाम डदया औि इसके क्षेत्र क अत्यंत डवशद बना डदया। इसमें न्यायालय ने यह
िी डनधाि रित डकया डक प्राण का अडधकाि केवल िौडतक अक्तस्तत्व तक ही सीडमत नहीं है
बक्ति इसमें मानव गरिमा क बनाए िखते हुए जीने का अडधकाि है अनुच्छेद 21 द्वािा व्यक्ति
औि वाक् स्वतंत्रता के कई अडधकाि ं क संिक्षण डदया है ।
डबहाि िाज्य बनाम लालकृष्ण आिवाणी मामले में सुप्रीम क र्ि ने कहा डक अडधकाि ं
की प्रडतष्ठा अनुच्छेद 21 के तहत एक नागरिक के जीवन के अडधकाि ं का एक पहलू है
वतिमान मामले में सिी याडिकाकताि ओं की गरिमा के साथ जीने के अडधकाि का उल्लंघन
हुआ है । इं डिवा दं ि संडहता की धािा 124 (क) उस अडधकाि का उल्लंघन कि िही है
इसडलए यह धािा असंवैधाडनक है साथ ही ऐसे कानून के तहत नागरिक ं पि आि प लगाना
िी ल कतंत्र की मंशा क पिाडजत किता है ।