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चाणक्य के 5 नीति वाक्य …

1) "दूसरो की गलतियों से सीखो


ऄपने ही उपर प्रयोग करके सीखने को िम्ु हारी अयु कम पडेगी."

2) "तकसी भी व्यति को बहुि इमानदार नहीं होना चातहए,


ृ और व्यति पहले काटे जािे हैं."
सीधे वक्ष

3) "ऄगर कोइ सपप जहरीला नहीं है िब भी ईसे जहरीला तदखना चातहए


वैसे दंश भले ही न दो
पर दंश दे सकने की क्षमिा का दूसरों को ऄहसास करवािे रहना चातहए. "

4) "हर तमत्रिा के पीछे कोइ स्वार्प जरूर होिा है, यह कडुअ सच है."

5) "कोइ भी काम शुरू करने के पहले िीन सवाल ऄपने अपसे पूछो : मैं ऐसा क्यों करने
जा रहा हूँ ?
आसका क्या पररणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"
चाणक्य के 5 सूति वाक्य …

6) "भय को नजदीक न अने दो ऄगर यह नजदीक अये आस पर हमला करदो यानी भय से


भागो मि आसका सामना करो ."

7) "दुतनया की सबसे बडी िाकि परु


ु ष का तववेक

और मतहला की सन्ु दरिा है."

8) "काम का तनष्पादन करो , पररणाम से मि डरो."

9) "सग
ु ंध का प्रसार हवा के रुख का मोहिाज़ होिा है

पर ऄच्छाइ सभी तदशाओ ं में फैलिी है."

10) "इश्वर तचत्र में नहीं चररत्र में बसिा है

ऄपनी अत्मा को मंतदर बनाओ."


चाणक्य के 5 सूति वाक्य …
11) "व्यति ऄपने अचरण से महान होिा है जन्म से नहीं."

12) "ऐसे व्यति जो अपके स्िर से उपर या नीचे के हैं ईन्हें दोस्ि न बनाओ, वह िम्ु हारे
कष्ट का कारण बनेगे. समान स्िर के तमत्र ही सख
ु दाइ होिे हैं ."

13) "ऄपने बच्चों को पहले पांच साल िक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल िक
ु ासन और संस्कार दो. सोलह साल से ईनके सार् तमत्रवि व्यवहार करो. अपकी
कठोर ऄनश
संिति ही अपकी सबसे ऄच्छी तमत्र है."

14) "ऄज्ञानी के तलए तकिाबें और ऄंधे के तलए दपपण एक समान ईपयोगी है ."

15) "तशक्षा सबसे ऄच्छी तमत्र है. तशतक्षि व्यति सदैव सम्मान पािा है. तशक्षाकी शति के
ु ा शति और सौंदयप दोनों ही कमजोर हैं ."
अगे यव

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