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रात के नौ बजे थे । थके-मााँ दे मजदू र तो सो चुके थे, ठाकुर के दरवाजे पर दस-

पााँ च बेफिक्रे जमा थे। मैदानी बहादु री का तो अब न जमाना रहा है , न मौका। कानूनी
बहादु री की बातें हो रही थीीं । फकतनी होफियारी से ठाकुर ने थानेदार को एक खास मुकदमे
में ररश्वत दी और साि फनकल गये।फकतनी अक्लमींदी से एक माके के मुकदमे की नकल ले
आये । नाफजर और मोहतफमम, सभी कहते थे , नकल नहीीं फमल सकती । कोई पचास
मााँ गता, कोई सौ। यहााँ बेपैसे- कौडी नकल उडा दी । काम करने ढीं ग चाफहए ।
इसी समय गींगी कुएाँ से पानी लेने पहाँ ची ।
कुप्पी की धुाँधली रोिनी कुएाँ पर आ रही थी । गींगी जगत की आड में बैठी मौके का
इीं तजार करने लगी । इस कुएाँ का पानी सारा गााँ व पीता है । फकसी के फलए रोका नहीीं,
फसिफ ये बदनसीब नहीीं भर सकते।
गींगी का फवद्रोही फदल ररवाजी पाबींफदयोीं और मजबूररयोीं पर चोटें करने लगा- हम क्ोीं
नीच हैं और ये लोग क्ोीं ऊाँच हैं ? इसफलए फक ये लोग गले में तागा डाल लेते हैं ? यहााँ
तो फजतने है , एक- से -एक छाँ टे हैं । चोरी ये करें , जाल-िरे ब ये करें , झूठे मुकदमे ये
करें । अभी इस ठाकुर ने तो उस फदन बेचारे गडररये की भेड चुरा ली थी और बाद मे
मारकर खा गया । इन्ीीं पींफडत के घर में तो बारहोीं मास जुआ होता है। यही साहू जी तो
घी में तेल फमलाकर बेचते है । काम करा लेते हैं , मजूरी दे ते नानी मरती है । फकस-फकस
बात में हमसे ऊाँचे हैं , हम गली-गली फचल्लाते नहीीं फक हम ऊाँचे है , हम ऊाँचे । कभी
गााँ व में आ जाती हूाँ , तो रस-भरी आाँ ख से दे खने लगते हैं । जैसे सबकी छाती पर सााँ प
लोटने लगता है , परीं तु घमींड यह फक हम ऊाँचे हैं !
कुएाँ पर फकसी के आने की आहट हई । गींगी की छाती धक-धक करने लगी । कहीीं
दे ख लें तो गजब हो जाय । एक लात भी तो नीचे न पडे । उसने घडा और रस्सी उठा
ली और झुककर चलती हई एक वृक्ष के अींधेरे साये मे जा खडी हई । कब इन लोगोीं को
दया आती है फकसी पर ! बेचारे महाँ गू को इतना मारा फक महीनो लहू थू कता रहा। इसीफलए
तो फक उसने बेगार न दी थी । इस पर ये लोग ऊाँचे बनते हैं ?

1. ठाकुर का कुआाँ समाज के फकस समस्या को दिाफ ती है ?


2. दफलतोीं को पानी न फमलने का कारण क्ा था?
3. गींगी का चररत्र फचत्रण
4. कहानी के िीर्फक की साथफकता बताइयें

ठाकुर का कुआाँ प्रेमचींद जी द्वारा रफचत मानसरोवर भाग १ में से


एक कहानी है ।

प्रेमचींद जी एक ऐसे प्रगफतिील ले ख़ख थे , फजन्ोींने नायक के


परम्परागत मानदीं डो को खींफडत कर एक आम आदमी को नायक
का दजाफ फदया है । उन्ोींने प्रसींगानुसार दफलतोीं को अपनी कहाफनयो
में स्थान फदया है ।उनके अफधकाीं ि पात्र दफलत वगफ से सींबींफधत है ।
दफलत अथाफ त् मिाल कुचला या रौींदा हआ होता है । प्रे मचींद जी ने
फदन दफलत पर होने वाले अत्याचारोीं के साक्षी रहे है । इसफलए
उनकी कहाफनयो में उभरी फचींतन की भूफम फबल्कुल स्वाभाफवक और
हर युग, में प्रासींफगक है ।
गरीब वगफ से सींबींफधत ठाकुर का कुआाँ प्रेमचींद जी की प्रथम दफलत
कहानी है । इस में जोखूाँ ऐवीं उसकी पत्नी गनी फनम्न जाती के अपती
पत्नी है । बीमार जोखूाँ के फलए उसकी पत्नी कुएाँ से पानी भर के
आती है । पानी से आती बदबू आने के कारण पानी नफह पी पता।
गींगी गरीब और अस्पृश्य हाइन के कारण ठाकुर और साहू के कुएाँ
से ओआफन नफह भर सकती थी।
अस्पररश्ता दफलतोीं के फलए अफभिाप बन गया है । इस सामाफजक
व्यवस्था सा पीफडत, िोफर्त गींगी ठाकुर के कुएाँ ओर पहाँ चकर
अपना घडा कुएाँ में डाल दे ती है , लेफकन अचानक ठाकुर का
दरवाजा खुलते ह हाथ में पकडी रस्सी छोडकर भाग जाती है । इस
प्रकार कहे तो दफलत नारी फकतनी ही सीं कल्पबाध और फवधरोफह क्ोीं
न हो जाए फकतनु परम्परागत फहीं दू ररवाजोीं के फवरुध कभी नफह जा
सकती। उछवगफ के सामने दफलत वगफ की फहम्मत आफख़र टू ट ही
जाती है ।

बडी जाफतयााँ छोटी जाफतयोीं के प्रफत फकतना क्रूर और फनभफय व्यवहार


करती हैं , नीची जाफतयोीं में उनका आतींक फकस हद तक व्याप्त है -
इसका अहसास हमें इस कहानी से होता है ।

अब भी, गााँ व, छोटे िहर और बडे िहर हैं जहााँ लोग अब भी इस


बीमार भेदभाव को सहते हैं । तो वहााँ अलगाव होगा और यफद
आपका कोई भारतीय समाचार पत्र अब हर फदन पढ़ता है तो
आपको इस तरह की खबरें आती हैं ...। मींफदर में घुसने की
कोफिि करने पर दफलत को पीटा! उच्च जाफत के व्यक्ति ने अपनी
िादी के दौरान घोडे की सवारी करने के फलए एक व्यक्ति की
फपटाई की! पुरुर् दफलत मफहला का बलात्कार करते हैं , ग्राम पींचायत
(स्थानीय अदालत) पुफलस में जाने के फलए लडकी और उसके
पररवार को सजा दे ती है । पु रुर्ोीं ने उनके सामने चप्पल पहनने के
फलए एक दफलत की फपटाई की दफलत लडके ने हत्या की, उसकी
मााँ और बहन ने उस लडके के साथ बलात्कार फकया, फजसने उच्च
जाफत की लडकी के साथ डे ट पर जाने की फहम्मत की उच्च जाफत
के लोगोीं द्वारा सींचाफलत की जा रही बैलगाडी को ओवरटे क करने
के फलए बाइक चलाने वाले फनचली जाफत के लडके ने फपटाई की
उच्च जाफत के लोग दफलत के घर जलाते हैं ..... (फकसी भी
चीज के फलए बहत ज्यादा)

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