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पंचतंत्र
पंचतंत्र
ेरक कहानया
पंचतं क कहानय क रचना का इतहास भी बडा ह रोचक
ह। लगभग 2000 वष पूव" भारत वष" के द$%णी 'ह(से म*
म'हलारो+य नामक नगर म* राजा अमरशि0त का शासन था।
उसके तीन प
ु बहुशि0त, उ4शि0त और अनंतशि0त थे। राजा
अमरशि0त िजतने उदार शासक और कुशल नीत6 थे, उनके
प
ु उतने ह मख
ू " और अहं कार थे। राजा ने उ8ह* 9यवहा:रक
;श%ा दे ने 9यवहा:रक ;श%ा दे ने क बहुत को;शश क परं तु
<कसी भी कार से बात नहं बनी। हारकर एक 'दन राजा ने
अपने मं>य से मंणा क। राजा अमरशि0त के मं>मंडल म*
कई कुशल, दरू दश@ और योAय मंी थे, उ8हं म* से एक मंी
सुमत ने राजा को परामश" 'दया <क पंBडत CवDणु शमा"
सव"शा( के 6ाता और एक कुशल EाFमण ह, य'द राजकुमार
को ;श%ा दे ने और 9यवहा:रक Gप से $%त करने का
उHतरदायHव पंBडत पंBडत CवDणु शमा" को सIपा जाए तो उJचत
होगा, वे अKप समय म* ह राजकुमार को ;श$%त करने क
सामथ" रखते ह।
अ0लमंद हं स
आपस क फूट
एक और एक Aयारह
एकता का बल
कौए और उKलू
खरगोश क चतुराई
गजराज व मूषकराज
गधा रहा गधा ह
गोलू-मोलू और भालू
घंटधार ऊंट
चापलूस मंडल
झगडालू मेढक
झठ
ू ` शान
ढगी ;सयार
ढोल क पोल
तीन मछ;लयां
दUु मन का (वाथ"
दDु ट सप"
बंदर का कलेजा
बगुला भगत
बहGCपया गधा
>बKल का 8याय
बुCbमान ;सयार
म0खीचूस गीदड
;म क सलाह
मुcतखोर मेहमान
मूख" गधा
मूख" को सीख
रं ग म* भंग
रं गा ;सयार
शु क सलाह
शरारती बंदर
संगठन क शि0त
सdचा शासक
सdचे ;म
सांड और गीदड
;संह और ;सयार
(वजात ेम
रं ग->बरं गी ;मठाइयॉ
अ0लमंद हं स
एक बहुत बडा Cवशाल पेड था। उस पर बीसीय हं स रहते थे।
उनम* एक बहुत (याना हं स था,बुCbमान और बहुत दरू दश@।
सब उसका आदर करते ‘ताऊ’ कहकर बुलाते थे। एक 'दन
उसने एक न8ह-सी बेल को पेड के तने पर बहुत नीचे ;लपटते
एक यव
ु ा हं स हं सते हुए बोला “ताऊ, यह छोट-सी बेल हम* कैसे
मौत के मुंह म* ले जाएगी?”
दस
ू रे हं स को यकन न आया “एक छोट सी बेल कैसे सीढ
बनेगी?”
इस कार <कसी दस
ू रे हं स ने ताऊ क बात को गंभीरता से
नहं ;लया। इतनी दरू तक दे ख पाने क उनम* अ0ल कहां थी?
दस
ू रा हं स बोला “इस संकट से नकालने क तरकब तू ह हम*
बता सकता ह। आगे हम तेर कोई बात नहं टाल* गे।” सभी
हं स ने हामी भर तब ताऊ ने उ8ह* बताया “मेर बात gयान से
सुनो। सुबह जब बहे ;लया आएगा, तब मुदा" होने का नाटक
करना। बहे ;लया तुZह* मद
ु ा" समझकर जाल से नकाल कर
जमीन पर रखता जाएगा। वहां भी मरे समान पडे रहना। जैसे
ह वह अि8तम हं स को नीचे रखेगा, म सीट बजाऊंगा। मेर
सीट सुनते ह सब उड जाना।”
सब
ु ह बहे ;लया आया। हं सो ने वैसा ह <कया, जैसा ताऊ ने
समझाया था। सचमुच बहे ;लया हं स को मुदा" समझकर जमीन
पर पटकता गया। सीट क आवाज के साथ ह सारे हं स उड
गए। बहे ;लया अवाक होकर दे खता रह गया।
आपस क फूट
ाचीन समय म* एक CवJच प%ी रहता था। उसका धड एक
ह था, पर8तु ;सर दो थे नाम था उसका भाGं ड। एक शरर होने
के बावजद
ू उसके ;सर म* एकता नहं थी और न ह था
तालमेल। वे एक दस
ू रे से बैर रखते थे। हर जीव सोचने
समझने का काम 'दमाग से करता ह और 'दमाग होता ह ;सर
म* दो ;सर होने के कारण भाGं ड के 'दमाग भी दो थे। िजनम*
से एक पूरब जाने क सोचता तो दस
ू रा पिUचम फल यह होता
था <क टांग* एक कदम पूरब क ओर चलती तो अगला कदम
पिUचम क ओर और भाMंड (वयं को वहं खडा पाता ता।
भाGं ड का जीवन बस दो ;सर के बीच र(साकसी बनकर रह
गया था।
दस
ू रा ;सर बोला “खाने का मतलब केवल पेट भरना ह नहं
होता भाई। जीभ का (वाद भी तो कोई चीज ह। तबीयत को
संतुिDट तो जीभ से ह ;मलती ह। खाने का असल मजा तो
मंह
ु म* ह ह।”
पहला ;सर तुनकर Jचढाने वाले (वर म* बोला “मने तेर जीभ
और खाने के मजे का ठे का थोडे ह ले रखा ह। फल खाने के
बाद पेट से डकार आएगी। वह डकार तेरे मुंह से भी नकलेगी।
उसी से गज
ु ारा चला लेना। अब fयादा बकवास न कर और
ु े शांत से फल खाने दे ।” ऐसा कहकर पहला ;सर चटकारे
मझ
ले-लेकर फल खाने लगा।
इस घटना के बाद दस
ू रे ;सर ने बदला लेने क ठान ल और
मौके क तलाश म* रहने लगा। कुछ 'दन बाद <फर भाGं ड
भोजन क तलाश म* घूम रहा था <क दस
ू रे ;सर क नजर एक
फल पर पडी। उसे िजस चीज क तलाश थी, उसे वह ;मल गई
थी। दस
ू रा ;सर उस फल पर चच मारने ह जा रहा था <क <क
पहले ;सर ने चीखकर चेतावनी द “अरे , अरे ! इस फल को मत
खाना। 0या तुझे पता नहं <क यह Cवषैला फल ह? इसे खाने
पर मॄHयु भी हो सकती है ।”
दस
ू रा ;सर हं सा “हे हे हे ! तु चप
ु चाप अपना काम दे ख। तझ
ु े
0या लेना ह <क म 0या खा रहा हूं? भल
ू गया उस 'दन क
बात?”
दस
ू रा ;सर तो बदला लेने पर उताG था। बोला “मैने तेरे मरने-
जीने का ठे का थोडे ह ले रखा ह? म जो खाना चाहता हूं, वह
खाऊंगा चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो। अब मुझे शांत से
Cवषैला फल खाने दे ।”
दस
ू रे ;सर ने सारा Cवषैला फल खा ;लया और भाGं ड तडप-
तडपकर मर गया।
“कैसे?” JचBडया ने पछ
ू ा।
“मेरा एक ;म वींआख नामक भंवरा ह। हम* उससे सलाह लेना
एकता का बल
एक समय क बात ह <क कबूतर का एक दल आसमान म*
भोजन क तलाश म* उडता हुआ जा रहा था। गलती से वह
दल भटककर ऐसे दे श के ऊपर से गुजरा, जहां भयंकर अकाल
पडा था। कबत
ू र का सरदार Jचंतत था। कबत
ू र के शरर क
शि0त समा+त होती जा रह थी। शीp ह कुछ दाना ;मलना
जGर था। दल का युवा कबूतर सबसे नीचे उड रहा था। भोजन
नजर आने पर उसे ह बाक दल को सJु चत करना था। बहुत
समय उडने के बाद कहं वह सूखा4(त %े से बाहर आया।
नीचे ह:रयाल नजर आने लगी तो भोजन ;मलने क उZमीद
बनी। यव
ु ा कबत
ू र और नीचे उडान भरने लगा। तभी उसे नीचे
खेत म* बहुत सारा अ8न >बखरा नजर आया “चाचा, नीचे एक
खेत म* बहुत सारा दाना >बखरा पडा ह। हम सबका पेट भर
जाएगा।’
सरदार ने सच
ू ना पाते ह कबत
ू र को नीचे उतरकर खेत म*
>बखरा दाना चुनने का आदे श 'दया। सारा दल नीचे उतरा और
दाना चुनने लगा। वा(तव म* वह दाना प%ी पकडने वाले एक
बह;लए ने >बखेर रखा था। ऊपर पेड पर तना था उसका जाल।
जैसे ह कबूतर दल दाना चुगने लगा, जाल उन पर आ Jगरा।
सारे कबत
ू र फंस गए।
कबत
ू र के सरदार ने माथा पीटा “ओह! यह तो हम* फंसाने के
;लए फैलाया गया जाल था। भख
ू ने मेर अ0ल पर पदा" डाल
'दया था। मुझे सोचना चा'हए था <क इतना अ8न >बखरा होने
का कोई मतलब ह। अब पछताए होत 0या, जब JचBडया चुग
गई खेत?”
सबने ऐसा ह <कया। तभी जाल >बछाने वाला बहे ;लयां आता
नजर आया। जाल म* कबूतर को फंसा दे ख उसक आंख*
चमक। हाथ म* पकडा डंडा उसने मजबूती से पकडा व जाल
क ओर दौडा।
कहा।
गफ
ु ा म* नीत सलाहकार ने राजा से <फर से कहा “महाराज!
शु पर CवUवास मत करो। उसे अपने घर म* (थान दे ना तो
आHमहHया करने समान ह।” अ:रमद" न ने उसे jोध से दे खा
“तुम मझ
ु े fयादा नीत समझाने क को;शश मत करो। चाहो
तो तुम यहां से जा सकते हो।” नीत सलाहकार उKलू अपने दो-
तीन ;म के साथ वहां से सदा के ;लए यह कहता हुआ
“Cवनाशकाले Cवपरत बCु b।”
कुछ 'दन बाद ि(थरजीवी लकBडयां लाकर गुफा के tवार के
पास रखने लगा “सरकार, स'द" यां आने वाल ह। म लकBडय
क झोपडी बनाना चाहता हूं ता<क ठं ड से बचाव हो।’ धीरे -धीरे
लकBडय का काफ ढे र जमा हो गया। एक 'दन जब सारे उKलू
सो रहे थे तो ि(थरजीवी वहां से उडकर सीधे ॠDयमूक पव"त
पर पहुंचा, जहां मेघवण" और कौओं स'हत उसी क ती%ा कर
रहे थे। ि(थरजीवी ने कहा “अब आप सब नकट के जंगल से
जहां आग लगी ह एक-एक जलती लकडी चच म* उठाकर मेरे
पीछे आइए।”
भख
ू के मारे शेर का बरु ा हाल हो रहा था। जब उसने ;सफ"
एक छोटे से खरगोश को अपनी ओर आते दे खा तो ग(
ु से से
बौखला उठा और गरजकर बोला, ‘‘<कसने तुZह* भेजा है ? एक
तो Cपsी जैसे हो, दस
ू रे इतनी दे र से आ रहे हो। िजन बेवकूफ
ने तुZह* भेजा है म उन सबको ठ`क कMंगा। एक-एक का काम
तमाम न <कया तो मेरा नाम भी शेर नहं।’’
चलना है ?’’
मष
ू कराज बोला “हे गजराज, मझ
ु े चूहा कहते ह। हम बडी संmया
म* खंडहर बनी नगर म* रहते ह। म उनका मूषकराज हूं।
आपके हाथी रोज जलाशय तक जाने के ;लए नगर के बीच से
गुजरते ह। हर बार उनके पैर तले कुचले जाकर हजार चूहे
मरते ह। यह मूषक संहार बंद न हुआ तो हम नDट हो
जाएंगे।”
गजराज ने दख
ु भरे (वर म* कहा “मूषकराज, आपक बात सुन
मुझे बहुत शोक हुआ। हम* 6ान ह नहं था <क हम इतना
अनथ" कर रहे ह। हम नया रा(ता ढूढ ल* गे।”
मष
ू कराज कॄत6ता भरे (वर म* बोला “गजराज, आपने मझ
ु जैसे
छोटे जीव क बात gयान से सुनी। आपका ध8यवाद। गजराज,
कभी हमार जGरत पडे तो याद जGर किजएगा।”
गधे ने अपना दख
ु डा रोया “0या बताऊं भाई, िजस धोबी का म
गधा हूं, वह बहुत jूर ह। 'दन भर ढुलाई करवाता ह और चारा
कुछ दे ता नहं।”
गीदड ने उसे 8यौता 'दया “चाचा, मेरे साथ जंगल चलो न, वहां
बहुत हर-हर घास ह। खूब चरना तुZहार सेहत बन जाएगी।”
गीदड झठ
ू मठ
ू माथा पीटकर बोला “चाचा ओ चाचा! तुम भी
नरे मूख" हो। उस झाडी म* तुZहार दK
ु हन थी। जाने <कतने
ज8म से वह तुZहार राह दे ख रह थी। तुZह* दे खकर उसक
आंखे चमक उठ` तो तुमने उसे शेर समझ ;लया?”
मोलू ने ग(
ु से म* भरकर जवाब 'दया, ‘‘मझ
ु े ;म कहकर न
बुलाओ…और ऐसा ह कुछ भालू ने भी मुझसे कहा। उसने
कहा, गोलू पर CवUवास न करना, वह तुZहारा ;म नहं है ।’’
घंटधार ऊंट
एक बार क बात ह <क एक गांव म* एक जल
ु ाहा रहता था।
वह बहुत गरब था। उसक शाद बचपन म* ह हो गई ती।
बीवी आने के बाद घर का खचा" बढना था। यह Jच8ता उसे
खाए जाती। <फर गांव म* अकाल भी पडा। लोग कंगाल हो
गए। जल
ु ाहे क आय एकदम खHम हो गई। उसके पास शहर
जाने के ;सवा और कोई चारा न रहा।
शहर म* उसने कुछ महने छोटे -मोटे काम <कए। थोडा-सा पैसा
अंट म* आ गया और गांव से खबर आने पर <क अकाल
समा+त हो गया ह, वह गांव क ओर चल पडा। रा(ते म* उसे
एक जगह सडक <कनारे एक ऊंटनी नजर आई। ऊटं नी बीमार
नजर आ रह थी और वह गभ"वती थी। उसे ऊंटनी पर दया आ
गई। वह उसे अपने साथ अपने घर ले आया।
दस
ू रे 'दन जब ऊंट का दल चरकर लौट रहा था तब घंटधार
बाक ऊंट से बीस कदम पीछे चल रहा था। शेर तो घात
लगाए बैठा ह था। घंट क आवाज को नशाना बनाकर वह
दौडा और उसे मारकर जंगल म* खींच ले गया। ऐसे घंटधार
के अहं कार ने उसके जीवन क घंट बजा द।
भेBडए के मंह
ु से लार टपकने लगी “ऊंट को मरवाने का यह
मौका ह 'दमाग लडाकर कोई तरकब सोचो।”
गंगदHत के बेटे एक दस
ू रे का मुंह दे खने लगे। आxखर बडे बेटे
ने कहा “CपताXी, आपने कभी हम* टरा"ने क इजाजत नहं द।
टरा"ने से ह मेढक म* बल आता ह, हौसला आता ह और जोश
आता ह। आप ह बताइए <क >बना हौसले और जोश के हम
<कसी क 0या Cपटाई कर पाएंगे?”
अब गंगदHत सबसे Jचढ गया। एक 'दन वह कुढता और
बडबडाता कुएं से बाहर नकल इधर-उधर घूमने लगा। उसे एक
भयंकर नाग पास ह बने अपने >बल म* घस
ु ता नजर आया।
उसक आंख* चमक। जब अपने दUु मन बन गए हो तो दUु मन
को अपना बनाना चा'हए। यह सोच वह >बल के पास जाकर
बोला “नागदे व, मेरा णाम।”
उKलू ने पानी पीया। <फर ;सर 'हलाया जैसे उसे नराशा हुई
हो। हं स ने पछ
ू ा “;म! असंतDु टनजर आते हो। 0या +यास नहं
बुझी?”
एक 'दन उKलू ने दग
ु " के भीतर होने वाल गतCवJधय को
गौर से दे खा और उसके 'दमाग म* एक युि0त आई। उसने दग
ु "
क बात को खब
ू gयान से समझा। सैनक के काय"jम नोट
<कए। <फर वह चला हं स के पास। जब वह झील पर पहुंचा, तब
हं सराज कुछ हं सनय के साथ जल म* तैर रहा था। उKलू को
दे खते ह हं स बोला “;म, आप इस समय?”
सीखः झूठ` शान बहुत महं गी पडती ह। कभी भी झूठ` शान के
च0कर म* मत पडो।
ढगी ;सयार
;मJथला के जंगल म* बहुत समय पहले एक ;सयार रहता था।
वह बहुत आलसी था। पेट भरने के ;लए खरगोश व चूह का
पीछा करना व उनका ;शकार करना उसे बडा भार लगता था।
;शकार करने म* प:रXम तो करना ह पडता ह न। 'दमाग
उसका शैतानी था। यह तकडम लगाता रहता <क कैसे ऐसी
जुगत लडाई जाए िजससे >बना हाथ-पैर 'हलाए भोजन ;मलता
रहे । खाया और सो गए। एक 'दन उसी सोच म* डूबा वह
;सयार एक झाडी म* दब
ु का बैठा था।
;सयार ने आश@वाद क म|
ु ा म* हाथ उठाया “हे चतरु मष
ू क, यह
तो होना ह था। जो सdचे मन से मेर भि0त लरे गा, वह
सशरर बैकुठ को जाएगा। बहुत से चूहे भि0त का फल पा रहे
ह।”
सीखः ढग कुछ ह 'दन चलता ह, <फर ढगी को अपनी करनी
का फल ;मलता ह ह।
ढोल क पोल
एक बार एक जंगल के नकटदो राजाओं के बीच घोर यb
ु
हुआ। एक जीता दस
ू रा हारा। सेनाएं अपने नगर को लौट गई।
बस, सेना का एक ढोल पीछे रह गया। उस ढोल को बजा-
बजाकर सेना के साथ गए भांड व चारण रात को वीरता क
कहानयां सुनाते थे।
एक ;सयार उस %े म* घम
ू ता था। उसने ढोल क आवाज
सुनी। वह बडा भयभीत हुआ। ऐसी अजीब आवाज बोलते पहले
उसने <कसी जानवर को नहं सुना था। वह सोचने लगा <क
यह कैसा जानवर ह, जो ऐसी जोरदार बोल बोलता ह’ढमाढम’।
;सयार छपकर ढोल को दे खता रहता, यह जानने के ;लए <क
यह जीव उडने वाला ह या चार टांगो पर दौडने वाला।
;सयार पछ
ू ने लगी “तुम उसे मारकर 0य नहं लाए?”
तीन मछ;लयां
एक नद के <कनारे उसी नद से जुडा एक बडा जलाशय था।
जलाशय म* पानी गहरा होता ह, इस;लए उसम* काई तथा
मछ;लय का C य भोजन जलय सूम पौधे उगते ह। ऐसे
(थान मछ;लय को बहुत रास आते ह। उस जलाशय म* भी
नद से बहुत-सी मछ;लयां आकर रहती थी। अंडे दे ने के ;लए
तो सभी मछ;लयां उस जलाशय म* आती थी। वह जलाशय
लZबी घास व झाBडय tवारा घरा होने के कारण आसानी से
नजर नहं आता था।
मछुआरे पल
ु <कत होकर झाBडय म* से होकर जलाशय के तट
पर आ नकले और ललचाई नजर से मछ;लय को दे खने लगे।
इस कार मछुआरे दस
ू रे 'दन का काय"jम तय करके चले
गए। तीन मिलय ने मछुआरे क बात सुन ला थी।
जKद ह उसे वह लाश ;मल गई। लाश सडने लगी थी। Hयु
लाश के पेट म* घस
ु गई और सडती लाश क सडांध अपने
ऊपर लपेटकर बाहर नकल। कुछ ह दे र म* मछुआरे के जाल
म* Hयु फंस गई। मछुआरे ने अपना जाल खींचा और
मछ;लय को <कनारे पर जाल से उलट 'दया। बाक मछ;लयां
तो तडपने लगीं, पर8तु Hयु दम साधकर मर हुई मछल क
तरह पडी रह। मचुआरे को सडांध का भभका लगा तो
मछ;लय को दे खने लगा। उसने नUचल पडी Hयु को उठाया
और सूंघा “आक! यह तो कई 'दन क मर मछल ह। सड
चुक ह।” ऐसे बडबडाकर बुरा-सा मुंह बनाकर उस मछुआरे ने
Hयु को जलाशय म* फ*क 'दया।
यsी भी दस
ू रे मछुआरे के जाल म* फंस गई थी और एक टोकरे
म* डाल द गई थी। भाAय के भरोसे बैठ` रहने वाल यsी ने
उसी टोकर म* अ8य मछ;लय क तरह तडप-तडपकर ाण
Hयाग 'दए।
मेढकराज ने पछ
ू ा “उ8हने ऐसा CवJच आदे श 0य 'दया?”
एक बढ
ू ा मेढक बोला “मेढक एक सप" क सवारे कर* । यह एक
अदभुत बात होगी। हम लोग संसार म* सबसे XेDठ मेढक माने
जाएंगे।”
एक 'दन एक दस
ू रे सप" ने मंदCवष को मेढक को ढोते tख
;लया। बाद म* उसने मंदCवष को बहुत Jध0कारा “अरे !0य सप"
जात क नाक कटवा रहा ह?”
रहूंगा?”
दस
ू रे 'दन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने क बात
सोचकर ऊंची उड़ान भर। <फर उसने खरगोश को पकड़ने के
;लए बाज क तरह जोर से झप{ा मारा। अब भला कौआ बाज
का 0या मुकाबला करता। खरगोश ने उसे दे ख ;लया और झट
वहां से भागकर च{ान के पीछे छप गया। कौआ अपनी हं
झक म* उस च{ान से जा टकराया। नतीजा, उसक चच और
गरदन टूट गl और उसने वहं तड़प कर दम तोड़ 'दया।
शा—नकल करने के ;लए भी अकल चा'हए।
बंदर का कलेजा
एक नद <कनारे हरा-भरा Cवशाल पेड था। उस पर खब
ू
(वा'दDट फल उगे रहते। उसी पेड पर एक बदं र रहता था। बडा
म(त कलंदर। जी भरकर फल खाता, डा;लय पर झूलता और
कूदता-फांदता रहता। उस बंदर के जीवन म* एक ह कमी थी
<क उसका अपना कोई नहं था। मां-बाप के बारे म* उसे कुछ
याद नहं था न उसके कोई भाई थाऔर न कोई बहन, िजनके
साथ वह खेलता। उस %े म* कोई और बंदर भी नहं था
िजससे वह दो(ती गांठ पाता। एक 'दन वह एक डाल पर बैठा
नद का नजारा दे ख रहा था <क उसे एक लंबा Cवशाल जीव
उसी पेड क ओर तैरकर आता नजर आया। बंदर ने ऐसा जीव
पहले कभी नहं दे खा था। उसने उस CवJच जीव से पूछा “अरे
भाई, तुम 0या चीज हो?”
Cवशाल जीव ने उHतर 'दया “म एक मगरमdछ हूं। नद म* इस
वष" मिलय का अकाल पड गया ह। बस, भोजन क तलाश म*
घूमता-घूमता इधर आ नकला हूं।”
मगर दस
ू रे 'दन आया। बंदर ने उसे <फर फल xखलाए। इसी
कार बंदर और मगर म* दो(ती जमने लगी। मगर रोज आता
दोन फल खाते-xखलाते, गपशप मारते। बंदर तो वैसे भी अकेला
रहता था। उसे मगर से दो(ती करके बहुत स8नता हुई।
उसका अकेलापन दरू हुआ। एक साथी ;मला। दो ;मलकर
मौज-म(ती कर* तो दग
ु ना आन8द आता ह। एक 'दन बात-
बात म* पता लगा <क मगर का घर नद के शस
ू रे तट पर ह,
जहां उसक पHनी भी रहती ह। यह जानते ह बंदर ने उलाहन
'दया “मगर भाई, तुमने इतने 'दन मझ
ु े भाभीजी के बारे म*
नहं बताया म अपनी भाभीजी के ;लए रसीले फल दे ता। तुम
भी अजीब नक{ू हो अपना पेट भरते रहे और मेर भाभी के
;लए कभी फल लेकर नहं गए।
मगर हं सा “तZ
ु ह* तो मरना ह ह।”
मगर ने बंदर को कलेजे वाल सार बात बता द। बंदर ह0का-
ब0का रह गया। उसे अपने ;म से ऐसी बेइमानी क आशा
नहं थी।
सीखः 1. दस
ू र को धोखा दे ने वाला (वयं धोखा खा जाता ह।
2. संकट के समय बCु b से काम लेना चा'हए।
बगुला भगत
एक वन दे श म* एक बहुत बडा तालाब था। हर कार के
जीव के ;लए उसम* भोजन साम4ी होने के कारण वहां नाना
कार के जीव, प%ी, मछ;लयां, कछुए और केकडे आ'द वास
करते थे। पास म* ह बगल
ु ा रहता था, िजसे प:रXम करना
>बKकुल अdछा नहं लगता था। उसक आंखे भी कुछ कमजोर
थीं। मछ;लयां पकडने के ;लए तो मेहनत करनी पडती ह, जो
उसे खलती थी। इस;लए आल(य के मारे वह ायः भख
ू ा ह
रहता। एक टांग पर खडा यह सोचता रहता <क 0या उपाय
<कया जाए <क >बना हाथ-पैर 'हलाए रोज भोजन ;मले। एक
'दन उसे एक उपाय सझ
ू ा तो वह उसे आजमाने बैठ गया।
बगल
ु ा तालाब के <कनारे खडा हो गया और लगा आंख से
आंसू बहाने। एक केकडे ने उसे आंसू बहाते दे खा तो वह उसके
नकट आया और पूछने लगा “मामा, 0या बात ह भोजन के
;लए मछ;लय का ;शकार करने क बजाय खडे आंसू बहा रहे
हो?”
बगुले ने जोर क 'हचक ल और भरा"ए गले से बोला “बेटे,
बहुत कर ;लया मछ;लय का ;शकार। अब म यह पाप काय"
और नहं कGं गा। मेर आHमा जाग उठ` ह। इस;लए म नकट
आई मछ;लय को भी नहं पकड रहा हूं। तुम तो दे ख ह रहे
हो।”
बगल
ु े ने एक और 'हचक ल “ऐसे जीवन का नDट होना ह
अdछा ह बेटे, वैसे भी हम सबको जKद मरना ह ह। मुझे 6ात
हुआ ह <क शीp ह यहां बारह वष" लंबा सूखा पडेगा।”
सीखः 1. दस
ू रो क बात पर आंखे मंद
ू कर CवUवास नहं करना
चा'हए।
[संपा'दत कर* ] 2. मुसीबत म* धीरज व बुCbमानी से काय" करना
चा'हए।
बडे नाम का चमHकार
एक समय क बात है एक वन म* हाJथय का एक झंड
ु रहता
था। उस झंड
ु का सरदार चतद
ु
त नामक एक Cवशाल, पराjमी,
गंभीर व समझदार हाथी था। सब उसी क छ-छाया म* शख
ु
से रहते थे। वह सबक सम(याएं सुनता। उनका हल नकालता,
छोटे -बडे सबका बराबर mयाल रखता था। एक बार उस %े म*
भयंकर सूखा पडा। वष पानी नहं बरसा। सारे ताल-तलैया
चतद
ु
त पहले ह सार सम(या जानता था। सबके दख
ु समझता
था पर उसक समझ म* नहं आ रहा था <क 0या उपाय करे ।
सोचते-सोचते उसे बचपन क एक बात याद आई और चतद
ु
त
ने कहा “मझ
ु े ऐसा याद आता ह <क मेरे दादाजी कहते थे, यहां
से पूव" 'दशा म* एक ताल ह, जो भू;मगत जल से जुडे होने के
कारण कभी नहं सख
ू ता। हम* वहां चलना चा'हए।” सभी को
आशा क <करण नजर आई।
हाJथय का झंड
ु चतद
ु
त tवारा बताई गई 'दशा क ओर चल
पडा। >बना पानी के 'दन क गम@ म* सफर करना क'ठन था,
अतः हाथी रात को सफर करते। पांच रा> के बाद वे उस
अनोखे ताल तक पहुंच गए। सचमुच ताल पानी से भरा था
सारे हातय ने खूब पानी Cपया जी भरकर ताल म* नहाए व
डुब<कयां लगाl।
चतद
ु
त तरु ं त अपने झंड
ु के पास लौट गया और सबको सलाह
द <क उनका यहां से तरु ं त (थान करना ह उJचत होगा।
अपने सरदार के आदे श को मानकर हाJथय का झुंड लौट
गया। खरगोश म* खुशी क लहर दौड गई। हाJथय के जाने के
कुछ ह 'दन पUचात आकाश म* बादल आए, वषा" हुई और सारा
जल संकट समा+त हो गया। हाJथय को <फर कभी उस ओर
आने क जMरत ह नहं पडी।
सीखः चतुराई से शार:रक Gप से बलशाल शु को भी मात द
जा सकती ह।
बहGCपया गधा
एक नगर म* धोबी था। उसके पास एक गधा था, िजस पर वह
कपडे लादकर नद तट पर ले जाता और धुले कपडे लादकर
लौटता। धोबी का प:रवार बडा था। सार कमाई आटे -दाल व
चावल म* खप जाती। गधे के ;लए चार खरदने के ;लए कुछ
न बचता। गांव क चरागाह पर गाय-भस* चरती। अगर गधा
उधर जाता तो चरवाहे डंड से पीटकर उसे भगा दे ते। ठ`क से
चारा न ;मलने के कारण गधा बहुत दब
ु ल
" होने लगा। धोबी को
भी Jच8ता होने लगी, 0य<क कमजोर के कारण उसक चाल
इतनी धीमी हो गई थी <क नद तक पहुंचने म* पहले से दग
ु ना
समय लगने लगा था।
हर रात धोबी उसे खाल ओढाकर छोड दे ता। गधा सीधे खेत म*
पहुंच जाता और मनपस8द फसल खाने लगता। गधे को बाघ
समझकर सब अपने घर म* दब
ु ककर बैठे रहते। फसल* चर-
चरकर गधा मोटा होने लगा। अब वह दग
ु ना भार लेकर
चलता। धोबी भी खुश हो गया।
दस
ू रे चकोर के उडने के बाद वह चकोर सोच म* पड गया।
उसने फैसला <कया <क कल ह वह दरू नजर आने वाले खेत
क ओर जाएगा और उस अनाज नाम क चीज का (वाद
चखकर दे खेग।
दस
ू रे 'दन चकोर उडकर एक खेत के पास उतरा। खेत म* धान
क फसल उगी थी। चकोर ने कपल* खाई। उसे वह अत
(वा'दDट लगीं। उस 'दन के भोजन म* उसे इतना आनंद आया
<क खाकर तॄ+त होकर वहं आख* मंद
ू कर सो गया। इसके बाद
भी वह वहं पडा रहा। रोज खाता-पीता और सो जाता। छः –
सात 'दन बाद उसे सुध आई <क घर लौटना चा'हए।
चकोर ग(
ु से म* बोला- “वाह! कोई घर खाल ;मले तो इसका
यह मतलब हुआ <क उसम* कोई नहं रहता? म आxखर बार
कह रहा हूं <क शराफत से मेरा घर खाल कर दे वना"…।”
एक रात उस गधे क मल
ु ाकात एक गीदड से हुई। गीदड ने
उससे पूछा “xखए महाशय, आप इतने कमजोर 0य ह?”
गधे ने दख
ु ी (वर म* बताया <क कैसे उसे 'दन भर काम करना
पडता ह। खाने को कुछ नहं 'दया जाता। रात को अंधेरे म*
इधर-उधर मह
ंु मारना पडता ह।
बाग म* घस
ु कर गधे ने महन के बाद पहल बार भरपेट खाना
खाया। दोन रात भर बाग म* ह रहे और पौ फटने से पहले
गीदड जंगल क ओर चला गया और गधा अपने धोबी के पास
आ गया।
गधा हं सा “अरे मख
ू " गीदड! मेरा राग सन
ु कर बाग के चौकदार
तो 0या, बाग का मा;लक भी फूल का हार लेकर आएगा और
मेरे गले म* डालेगा।”
मुcतखोर मेहमान
एक राजा के शयनक% म* मंदरसCप"णी नाम क जंू ने डेरा
डाल रखा था। रोज रात को जब राजा जाता तो वह चप
ु के से
बाहर नकलती और राजा का खून चस
ू कर <फर अपने (थान
पर जा छपती।
‘‘ठ`क है ।’’ जूं बोल, ‘‘तुम चुपचाप राजा का खून चूस लेना, उसे
दस
ू रे बंदर ने सुझाया “दे खो, यहां <कतनी सूखी पिHतयां Jगर
पडी ह। इ8ह* इकnा कर हम ढे र लगाते ह और <फर उसे
सुलगाने का उपाय सोचते ह।”
सारे बंदर आग न सल
ु गा पाने के कारण खीजे हुए थे। एक
बंदर jोध से भरकर आगे बढा और उसने गौरै या पकडकर जोर
से पेड के तने पर मारा। गौरै या फडफडाती हुई नीचे Jगर और
मर गई।
सीखः मख
ू को सीख दे ने का कोई लाभ नहं होता। उKटे सीख
दे ने वाला को ह पछताना पडता ह।
मूख" बातूनी कछुआ
एक तालाब म* एक कछुआ रहता था। उसी तलाब म* दो हं स
तैरने के ;लए उतरते थे। हं स बहुत हं समुख और ;मलनसार थे।
कछुए और उनम* दो(ती हते दे र न लगी। हं सो को कछुए का
धीमे-धीमे चलना और उसका भोलापन बहुत अdछा लगा। हं स
बहुत 6ानी भी थे। वे कछुए को अदभुत बात* बताते। ॠCष-
मु नय क कहानयां सुनाते। हं स तो दरू -दरू तक घूमकर आते
थे, इस;लए दस
ू र जगह क अनोखी बात* कछुए को बताते।
कछुआ मंमुAध होकर उनक बात* सुनता। बाक तो सब ठ`क
था, पर कछुए को बीच म* टोका-टाक करने क बहुत आदत
थी। अपने सfजन (वभाव के कारण हं स उसक इस आदत का
बुरा नहं मानते थे। उन तीन क घनDटता बढती गई। 'दन
गज
ु रते गए।
उसे आUचय" हुआ <क उ8ह* इतने लोग दे ख रहे ह। वह अपने
;म क चेतावनी भल
ू गया और JचKलाया “दे खो, <कतने लोग
हम* दे ख रहे है !” मुंह के खुलते ह वह नीचे Jगर पडा। नीचे
उसक हoडी-पसल का भी पता नहं लगा।
सीखः बेमौके मह
ंु खोलना बहुत महं गा पडता ह।
रं ग म* भंग
एक बार जंगल म* प$%य क आम सभा हुई। प$%य के राजा
गGड थे। सभी गGड से असंतDु ट थे। मोर क अgय%ता म*
सभा हुई। मोर ने भाषण 'दया “साJथयो, गGडजी हमारे राजा ह
पर मुझे यह कहते हुए बहुत दख
ु होता ह <क उनके राज म*
हम प$%य क दशा बहुत खराब हो गई ह। उसका यह कारण
ह <क गGडजी तो यहां से दरू CवDणु लोक म* CवDणुजी क सेवा
म* लगे रहते ह। हमार ओर gयान दे ने का उ8ह* समय ह नहं
;मलता। हम* अओअनी सम(याएं लेकर फ:रयाद करने जंगल
चौपाय के राजा ;संह के पास जाना पडता ह। हमार Jगनती न
तीन म* रह गई ह और न तेरह म* । अब हम* 0या करना
चा'हए, यह Cवचारने के ;लए यह सभा बुलाई गई ह।
सभी प%ी एक दस
ू रे से सलाह करने लगे। काफ दे र के बाद
सारस ने अपना मुंह खोला “म राजा पद के ;लए उKलूजी का
नाम पेश करता हूं। वे बुCbमान ह। उनक आंख* तेज(वी ह।
(वभाव अत गंभीर ह, ठ`क जैसे राजा को शोभा दे ता ह।”
सीखः कई म* दस
ू र के रं ग म* भंग डालने क आदत होती ह और
वे उ}-भर क दUु मनी मोल ले बैठते ह।
रं गा ;सयार
एक बार क बात ह <क एक ;सयार जंगल म* एक परु ाने पेड
के नीचे खडा था। पूरा पेड हवा के तेज झके से Jगर पडा।
;सयार उसक चपेट म* आ गया और बरु तरह घायल हो गया।
वह <कसी तरह घसटता-घसटता अपनी मांद तक पहुंचा। कई
'दन बाद वह मांद से बाहर आया। उसे भूख लग रह थी।
शरर कमजोर हो गया था तभी उसे एक खरगोश नजर आया।
उसे दबोचने के ;लए वह झपटा। ;सयार खुछ दरू भागकर
हांफने लगा। उसके शरर म* जान ह कहां रह गई थी? <फर
उसने एक बटे र का पीछा करने क को;शश क। यहां भी वह
असफल रहा। 'हरण का पीछा करने क तो उसक 'हZमत भी
न हुई। वह खडा सोचने लगा। ;शकार वह कर नहं पा रहा था।
भूख मरने क नौबत आई ह समझो। 0या <कया जाए? वह
इधर उधर घूमने लगा पर कहं कोई मरा जानवर नहं िZमला।
घूमता-घूमता वह एक ब(ती म* आ गया। उसने सोचा शायद
कोई मुग@ या उसका बdचा हाथ लग जाए। सो वह इधर-उधर
ग;लय म* घूमने लगा।
एक बढ
ू े हाथी ने कहा “हे स}ाट, अब हम* बताइए <क हमार
0या कत"9य ह?”
शेर ने ;सर झक
ु ाकर कहा “महाराज, ऐसा ह होगा। आपक सेवा
करके हमारा जीवन ध8य हो जाएगा।”
रोज ककुदम
ु का दरबार भी लगता। रं गे ;सयार ने एक चालाक
यह कर द थी <क स}ाट बनते ह ;सयार को शाह आदे श
जार कर उस जंगल से भगा 'दया था। उसे अपनी जात के
जाव tवारा पहचान ;लए जाने का खतरा था।
ककुदम
ु अपना आपा खो बैठा। उसके अदं र के ज8मजात
(वभाव ने जोर मारा और वह भी मुंह चांद क ओर उठाकर
और ;सयार के (वर म* ;मलाकर ‘हू हू SSS’ करने लगा।
शु क सलाह
नद <कनारे एक Cवशाल पेड था। उस पेड पर बगुल का बहुत
बडा झंड
ु रहता था। उसी पेड के कोटर म* काला नाग रहता था।
जब अंड से बdचे नकल आते और जब वह कुछ बडे होकर
मां-बाप से दरू रहने लगते, तभी वह नाग उ8ह* खा जाता था।
इस कार वष से काला नाग बगल
ु के बdचे हडपता आ रहा
था। बगुले भी वहां से जाने का नाम नहं लेते थे, 0य<क वहां
नदम* कछुओं क भरमार थी। कछुओं का नरम मांस बगुल
को बहुत अdछा लगता था।
कचुए ने बगल
ु े को नेवले का >बल 'दखा 'दया। बगल
ु े ने वैसे
ह <कया जैसे कचुए ने समझाया ता। नेवला सचमुच मछ;लयां
खाता हुआ कोटर तक पहुंचा। नेवले को दे खते ह नाग ने
फुंकार छोडी। कुछ ह दे र क लडाई म* नेवले ने सांप के टुकडे-
टुकडे कर 'दए। बगुला खश
ु ी से उछल पडा। कछुए ने मन ह
मन म* कहा “यह तो शG
ु आत ह मख
ू " बगल
ु े। अब मेरा बदला
शG
ु होगा और तुम सब बगुल का नाश होगा।”
लगा।
बंदर खब
ू जोर लगाकर उसे 'हलाने क को;शश करने लगा।
कला जो लगाने पर 'हलने व xखसकने लगा तो बंदर अपनी
शि0त पर खुश हो गया।
वह और जोर से खI-खI करता कला सरकाने लगा। इस
धींगामुUती के बीच बंदर क पूंछ दो पाट के बीच आ गई थी,
िजसका उसे पता ह नहं लगा।
अगले 'दन सब
ु ह-सब
ु ह चुनाव रख ;लया गया और एक बड़े
मैदान म* सभी पश-ु प%ी मत दे ने के ;लए उपि(थत हो गए।
मतदान समा+त होने के एक घंटे पUचात मत को Jगनने का
काम शG
ु हुआ। यह 0या! सोनू हाथी Jगनती म* सबसे आगे
चल रहा था और जब मत क Jगनती समा+त हुई तो सोनू
हाथी सबसे fयादा मत से Cवजयी हो गया। सभी जानवर एक
दस
ू रे का मंह
ु ताक रहे थे।
चूहे ने Jचंतत (वर म* कहा “हां, बात बहुत गंभीर ह। जMर वह
<कसी मुसीबत म* पड गया ह। अब हम 0या करे ?” कौवे ने
ऊपर दे खते हुए अपनी चच खोल “;मो, वह िजधर चरने ायः
जाता ह, उधर म उडकर दे ख आता, पर अंधेरा घरने लगा ह।
नीचे कुछ नजर नहं आएगा। हम* सुबह तक ती%ा करनी
होगी। सब
ु ह होते ह म उडकर जाऊंगा और उसक कुछ खबर
लाकर तुZह* दं ग
ू ा।”
तभी उसे <कसी के रोने क आवाज सुनाई द। (वर उसके ;म
'हरण का-सा था। उस आवाज क 'दशा म* उडकर वह सीधा
उस जगह पहुंचा, जहां 'हरण एक ;शकार के जाल म* फंसा
चटपटा रहा था। 'हरण ने रोते हुए बताया <क कैसे एक नद" यी
;शकार ने वहां जाल >बछा रखा था। दभ
ु ा"Aयवश वह जाल न
ु का “;शकार आता ह
दे ख पाया और फंस गया। 'हरण सब
होगा वह मुझे पकडकर ले जाएगा और मेर कहानी खHम
समझो। ;म कौवे! तुम चह
ू े और कछुए को भी मेरा अंतम
नम(कार कहना।”
गीदडी भडक उठ` “तुम तो भIद ू हो। दे खते नहं उसक पीठ पर
जो चब@ क गांठ ह, वह <कसी भी समय Jगर जाएगी। हम*
उठाना भर होगा और इसके गले म* जो मांस क तह* नीचे
लटक रह ह, वे <कसी भी समय टूटकर नीचे Jगर सकती ह।
बस हम* इसके पीछे -पीछे चलते रहना होगा।”
पीले कर दे ने चा'हए।”
तभी कांता बोल “तात, यह बहुत गम" ह। मेर तो आंख* चंJु धया
रह ह। म इनसे Cववाह कैसे कMं? न कभी इनके नकट जा
पाऊंगी, न दे ख पाऊंगी।”
सय
ू द
" े व बोले “ॠCषवर, बादल मझ
ु से XेDठ ह। वह मझ
ु े भी ढक
लेता ह। उससे बात किजए।”
ॠCष ने पवन दे व से पछ
ू ा “तुZह बताओ <क तुमसे XेDठ कौन
ह?”
पवन दे व बोले “ॠCषवर, पव"त मुझसे भी XेDठ ह। वह मेरा
रा(ता रोक लेता ह।”
सीखः जीव िजस योनी म* ज8म लेता ह, उसी के सं(कार बने
रहते ह। (वभाव नकल उपाय से नहं बदले जा सकते।