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हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन
डॉ. हरिवंश िाय बच्चन एक उच्च कोटि के कटव थे । उनकी अनुपम काव्यशै ली
वर्तमान समय में भी हि आयु के लोगों को प्रभाटवर् किर्ी है । टहन्दी टित्रजगर्
के महानायक अटमर्ाभ बच्चन उन्ही के सुपुत्र हैं । साटहत्य जगर् में अटवस्मर्णीय
योगदान दे ने के अटर्रिक्त वह दे श की आज़ादी की लड़ाई में भी शाटमल हुए थे ।
िाष्ट्रीयता भािर्ीय
बालपन व क्षशिा
छायावादी कटव हरिवंश िाय बच्चन का शुरूआर्ी जीवन इलाहबाद शहि से
सिे प्रर्ापगढ़ टजले के छोिे से गााँ व बापू पट्टी में बीर्ा था। वह एक कायस्थ
परिवाि से थे । उनके मार्ा-टपर्ा का नाम प्रर्ाप नािायर्ण श्रीवास्तव औि
सिस्वर्ी दे वी था। छोिी आयु में उन्हे बच्चन नाम से पुकािा जार्ा था। टजसका
अथत “बच्चा” होर्ा है । टजस कािर्ण आगे िल कि उनका सिनेम “बच्चन” हुआ।
हकीकर् में उनका सिनेम श्रीवास्तव है ।
उन्होने अपनी प्राथटमक टशक्षा टजला परिषद प्राथटमक स्कूल से सम्पन्न की थी।
उसके बाद वह कायस्थ पाठशाला से आगे का अध्ययन किने के टलए जुड़े, जहां
उन्होने अपनी खानदानी पिं पिा आगे बढ़ार्े हुए उदू त का अभ्यास टकया। उसके
बाद उन्होंने प्रयाग टवश्वटवद्यालय में एमए की पढाई की। आगे िल कि टिि
उन्होने “डबल्यू बी यीि् स” नाम के प्रटसद्ध अंग्रेज़ी कटव की ििनाओं पि शोध
किर्े हुए अपना पी॰एि॰डी॰ का अभ्यास कैम्ब्रिज टवश्वटवद्यालय से पूर्णत
टकया। W.B. Yeats पि एपीआई थीटसस पूिी किने के दौिान ही उन्होंने पहली
बाि “श्रीवास्तव” की जगह “बच्चन” सिने म का प्रयोग टकया।
हरिवं श िाय औि श्यामा दे वी (प्रथम पत्नी)
बच्चन जी की पहली शादी श्यामा दे वी से हुई थी। इस टववाह के वक्त वह टसित
19 वषत के थे। औि उनकी पत्नी 14 वषत की थीं। बड़े दु भात ग्य की बार् है की
उनका लग्न सं बद्ध दीर्त काल र्क जीवंर् नहीं िह सका िूाँटक श्यामा दे वी को 24
वषत की आयु में िीबी िोग नें र्ेि टलया। टजस कािर्ण, वषत 1936 में उनकी
अकाल मृत्यु हो गयी।
चाि खेमे चौंसठ खूं टे (1962) भाषा अपनी भाव पिाये (1970)
बसेिे से दू ि (1977),
नई से नई-पुिानी से पुिानी
(1985)
दशिाि से सोपान तक (1985)
मृ त्यु
अपनी उत्कृष्ट् ििनाओं से लोगों के टदल में अमित्व प्राप्त कि
लेने वाले इस महान कटव नें 18 जनविी, 2003 पि इस संसाि
को अलटवदा कहा। उनकी मौर् शिीि के महत्वपूर्णत अंग खिाब
हो जाने के कािर्ण हुई थी। मृत्यु के वक्त उनकी आयु 95 वषत
थी। जीवन का अंटर्म सत्य मृत्यु ही होर्ा है , पि कुछ लोग अपने
सत्कमत औि सद् गुर्णों की ऐसी छाप छोड़ जार्े हैं टजस कािर्ण
समाज उन्हे आने वाले लंबे समय र्क याद किर्ा है । स्वगीय
ििनाकि हरिवंश िाय बच्चन जी को हमािा शर्-शर् नमन.