Professional Documents
Culture Documents
1513924714420-राजभाषा पुस्तिका PDF
1513924714420-राजभाषा पुस्तिका PDF
संदेश
(राजीव अग्रवाल)
महाप्रबंधक, पूवोत्तर रे लवे एवं
अध्यक्ष, नराकास, गोरखपरु
राजभाषा पुस्तिका 2
सं देश
(रवव वल्लूरी)
मख्
ु य राजभाषा अधधकारी एवं
प्रमुख मुख्य पररचालन प्रबंधक
राजभाषा पुस्तिका 3
सं देश
राजभाषा पुस्तिका 4
सं देश
(अजय मलिक)
उप ननदे शक/कायाान्वयन (उत्तरी)
राजभाषा नवभाग, गृ ह मं त्रािय
गालजयाबाद
राजभाषा पुस्तिका 5
संपादक की से ....
रा जभाषा का सामान्य अर्थ होता है, राजकाज की भाषा अर्ाथत वह भाषा जजसमें शासन का संचालन ककया जाता है। भारत की
कें द्रीय भाषा के संदभथ में जवचार करें तो हम देखते हैं कक प्राचीन काल में यहां की राजभाषा संस्कृ त (ईसा पूवथ 500 ई.) र्ी,
तदंतर राजकाज में पाली (500 ई. पूवथ से 1 ई.) एवं प्राकृ त (1 ई. पूवथ से 500 ई.) का भी प्रयोग हुआ। इसके पश्चात अपभ्रंश का जवकास
हुआ और 1000 ई. तक आते-आते हहंदी एवं अन्य आधुजनक भारतीय भाषाओं के अंकुर कदखाई पड़ने लगे। जनभाषा होने के कारण
राजकाज एवं साजहत्य में इनके प्रयोग भी कदखाई पड़ने लगते हैं। 12वीं शताब्दी में तुकों एवं अफगानों के आगमन से मध्य देश की
राजभाषा फारसी बन गई, लेककन कोई भी शासन जबना जनता की जुबान को अपनाए नहीं चल सकता, इसजलए आवश्यकतावश
स्वभावतः ही हहंदी सह राजभाषा के रूप में व्यवहृत होने लगी। पुरानी हहंदी के रूप में रे खांककत की गई यही हहंदी मुगल शासन में सह
राजभाषा का कायथ करने के सार्-सार् राजस्र्ान, महाराष्ट्र, गुजरात में राजकाज का माध्यम बनी और दजिण में जाकर दजखखनी हहंदी
के रूप में पहचानी गई। इसी हहंदी को अमीर खुसरो ने ‘हहंदवी’ के रूप में पहचान दी और यही हहंदी जसद्धों, नार्ों, संतो, कजवयों,
मनीजषयों की वाणी के सार् जवजभन्न बोजलयों-बाजनयों में ढलकर संपूणथ भारत के संवाद सूत्र के रूप में जवकजसत हुई।
अंग्रेजों द्वारा हहंदस्ु तान का शासन सूत्र संभाल जलए जाने के बाद फारसी राजभाषा के मुख्य पद से हटी एवं उसका स्र्ान
1935 में अंग्रेजी ने ग्रहण ककया, लेककन जन भाषा हहंदी को अस्वीकार कर शासन संचालन संभव नहीं र्ा, इसजलए अजधकांश िेत्रों में
संपकथ भाषा के रूप में कायम हहंदी की ओर ध्यान कदया गया। फ्रेडररक जपन्काट (1878) जैसे व्यजि ने इसके महत्व को समझते हुए
भारत आने वाले सभी अंग्रेजों को हहंदी की परीिा पास करने का प्रस्ताव पास कराया। जसजवल सेवा में आने वालों को हहंदी पढ़नी
पड़ती र्ी। इसके पूवथ र्ामसन ने अपनी ररपोटथ (1843-44) में यह जलखा र्ा कक ‘इं जललश अफसरों के जसवाय जनता के सार् सभी
कामकाज वनाथखयूलर भाषा में ककया जाए।’ इसके सार् ही अंग्रेजों ने हहंदी भाषा, व्याकरण एवं साजहत्य पर भी महत्वपूणथ अनुसंधान
कायथ ककए।
स्वतंत्रता की पहली लड़ाई अर्ाथत 1857 के सार्-सार् ही सुधार आंदोलनों का दौर प्रारं भ हुआ। आयथ समाज, ब्रह्म समाज
जैसे अनेक संगठनों ने सुधार कायथक्रम चलाए। एक िेत्र के मनीजषयों का दूसरे िेत्र में आना-जाना हुआ। आचायथ दयानंद सरस्वती
कोलकाता गए। वह संस्कृ त में व्याख्यान देते र्े। ब्रह्म समाज के संस्र्ापक आचायथ के शवचंद्र सेन ने उन्हें सुझाव कदया कक हहंदी में बोले
ताकक सामान्य लोग समझ सकें । के शवचंद्र सेन ने अपने पत्र ‘सुलभ-समाचार’ में 1875 में स्पष्ट शब्दों में भारत की एकता के जलए एक
भाषा पर बल कदया और इसके जलए हहंदी को अपनाने को कहा। इस तरह 19वीं शताब्दी के उत्तराधथ में हहंदी वैचाररक आंदोलनों को
जनसामान्य तक पहुंचाने का माध्यम बनी।
स्वतंत्रता आंदोलन की गजत तेज होने के सार् ही जन आंदोलनों, जनसभाओं, पत्र-पजत्रकाओं एवं जन साजहत्य का अजवरल
प्रवाह होने लगा। इस प्रवाह की भाषा बनी हहंदी। उत्तर से दजिण तक एवं पूवथ से पजश्चम तक संपकथ का माध्यम हहंदी हो गई। महात्मा
गांधी ने दजिण अफ्रीका के आंदोलन के दौरान ही भाषा के महत्व को रे खांककत ककया र्ा और ‘हहंद स्वराज’ में उन्होंने स्पष्ट भाषा नीजत
घोजषत की एवं हहंदस्ु तानी को अपनाने का आग्रह ककया। अंततः कांग्रेस ने भी 1925 में कानपुर में आयोजजत अजधवेशन में महासजमजत
और कायथकाररणी का कायथ हहंदी में करने का प्रस्ताव पाररत ककया। स्वतंत्रता संघषथ की यात्रा के सार्-सार् चहुमुखी लोकजप्रयता एवं
प्रयोगाजधखय के चलते हहंदी ने जनमत में ‘राष्ट्रभाषा” का दजाथ हाजसल कर जलया, जो आज भी इस के सार् लगा हुआ है।
स्वतंत्रता प्राजि के पश्चात संजवधान सभा में भाषा के संबंध में 12, 13 एवं 14 जसतंबर, 1949 को चचाथ हुई, जजसमें देश के
स्वनाम धन्य जवद्वान एवं अनेक भाषाओं से जुड़े लोग शाजमल हुए। इसी चचाथ के पश्चात हहंदी को 14 जसतंबर, 1949 को संघ की
राजभाषा के रूप में स्वीकार ककया गया एवं अन्य भारतीय भाषाओं के सार् संजवधान की अष्टम अनुसच
ू ी में स्र्ान कदया गया। ज्ञातव्य
हो कक इस अनुसूची में उस समय 14 भाषाओं को अजधसूजचत ककया गया र्ा, आज इनकी संख्या बढ़कर बाइस हो गई है।
संजवधान लागू होने के सार् ही भाषा संबंधी प्रावधान भी लागू हो गए। इन्हीं प्रावधानों के अनुसार आज हहंदी संसद, अनेक
जवधानसभाओं एवं संघ की राजभाषा के रूप में कें द्रीय सरकार के कायाथलयों, बैंकों, जनगमों, जनकायों की भाषा के रूप में जनरं तर प्रगजत
कर रही है।
राजभाषा पुस्तिका 6
संरक्षक
राजभाषा कर्वभाग नगर राजभाषा कायान्वयन
राजीव अग्रवाल पूर्वोत्तर रेलर्वे, गोरखपुर सकमति, गोरखपुर
महाप्रबंधक
उप ननदे शक/राजभाषा, गह
ृ मंत्रालय का संदेश - 5
संपादक
र्ॉ. संजय कुमार मसंह संपादक की कलम से - 6
वररष्ठ राजभाषा अधधकारी
राजभाषा संबंधी सांववधाननक उपबंध - 8
ननिःशल्
ु क वविरण हे िु
राजभाषा पुस्तिका 7
राजभाषा संबं धी सांविधाविक उपबं ध
संघ की राजभाषा िीवि
भारि का संविधाि—भाग-5 (120), भाग-6 (210) और भाग 17 (343 से 351)
1) भाग 17 में ककसी बात के होते हुए भी, ककं तु 2) खंड (1) में ककसी बात के होते हुए भी, इस
अनच्ु छे द 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संववधान के प्रारं भ से पंद्रह वषि की अवधध तक
राज्य के ववधान-मंडल में कायि राज्य की राजभाषा संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के र्लए
या राजभाषाओं में या हहंदी में या अंग्रेजी में ककया अंग्रेजी भाषा का प्रयोग ककया जाता रहे गा स्जनके
जाएगा। र्लए उसका ऐसे प्रारं भ से ठीक पहले प्रयोग ककया
परं त,ु यथास्स्थतत, ववधान सभा का अध्यक्ष या जा रहा था:
ववधान पररषद का सभापतत अथवा उस रूप में परन्तु राष्रपतत उतत अवधध के दौरान, आदे श
कायि करने वाला व्यस्तत ककसी सदस्य को, जो द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से ककसी के
पव
ू ोतत भाषाओं में से ककसी भाषा में अपनी र्लए अंग्रेजी भाषा के अततररतत हहंदी भाषा का
पयािप्त अर्भव्यस्तत नहीं कर सकता है , अपनी और भारतीय अंकों के अंतरािष्रीय रूप के
मातभ
ृ ाषा में सदन को संबोधधत करने की अनज्ञ
ु ा अततररतत दे वनागरी रूप का प्रयोग प्राधधकृत कर
दे सकेगा। (यह अनच्
ु छे द जम्म-ू कश्मीर पर लागू सकेगा।
नहीं होगा)।
3) इस अनच्
ु छे द में ककसी बात के होते हुए भी,
2) जब तक राज्य का ववधान-मंडल ववधध द्वारा संसद उतत पन्द्रह वषि की अवधध के पश्चात,
अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संववधान के ववधध द्वारा
राजभाषा पुस्तिका 8
क) अंग्रज
े ी भाषा का, या सभा के सदस्य होंगे और दस राज्य सभा के
ख) अंकों के दे वनागरी रूप का, सदस्य होंगे जो िमशः लोक सभा के सदस्यों और
ऐसे प्रयोजनों के र्लए प्रयोग उपबंधधत कर सकेगी राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनप
ु ाततक
जो ऐसी ववधध में ववतनहदि ष्ट ककए जाएं। प्रतततनधधत्व पद्धतत के अनसु ार एकल संिमिीय
अनच्
ु छे द 344: राजभाषा के संबध
ं में आयोग और मत द्वारा तनवािधचत होंगे।
संसद की सममनि 5) सर्मतत का यह कतिव्य होगा कक वह खंड (1)
1) राष्रपतत, इस संववधान के प्रारं भ से पांच वषि के अधीन गहठत आयोग की र्सफाररशों की परीक्षा
गहठत करे गा जो एक अध्यक्ष और आठवीं 6) अनच्ु छे द 343 में ककसी बात के होते हुए भी,
अनस राष्रपतत खंड (5) में तनहदिष्ट प्रततवेदन पर ववचार
ु च
ू ी में ववतनहदिष्ट ववर्भन्न भाषाओं का
प्रतततनधधत्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से करने के पश्चात उस संपि
ू ि प्रततवेदन के या उसके
र्मलकर बनेगा स्जनको राष्रपतत तनयत ककसी भाग के अनस
ु ार तनदे श दे सकेगा।
ु त करे और
आदे श में आयोग द्वारा अनस
ु रि की जाने वाली अनच्
ु छे द 345: राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं
प्रकिया पररतनस्श्चत की जाएगी। अनच्
ु छे द 346 और अनच्
ु छे द 347 के उपबंधों के
2) आयोग का यह कतिव्य होगा कक वह राष्रपतत अधीन रहते हुए, ककसी राज्य का ववधान-मंडल,
को - ववधध द्वारा, उस राज्य में प्रयोग होने वाली
क) संघ के शासकीय प्रयोजनों के र्लए हहंदी भाषाओं में से ककसी एक या अधधक भाषाओं को
भाषा के अधधकाधधक प्रयोग, या हहंदी को उस राज्य के सभी या ककन्हीं
ख) संघ के सभी या ककन्हीं शासकीय प्रयोजनों शासकीय प्रयोजनों के र्लए प्रयोग की जाने वाली
के र्लए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर भाषा या भाषाओं के रूप में अंगीकार कर सकेगाः
तनबंधनों,
परं तु जब तक राज्य का ववधान-मंडल, ववधध
ग) अनच्
ु छे द 348 में उस्ललणखत सभी या
द्वारा, अन्यथा उपबंध न करे तब तक राज्य के
ककन्हीं प्रयोजनों के र्लए प्रयोग की जाने
भीतर उन शासकीय प्रयोजनों के र्लए अंग्रेजी
वाली भाषा,
भाषा का प्रयोग ककया जाता रहे गा स्जनके र्लए
घ) संघ के ककसी एक या अधधक ववतनहदिष्ट
उसका इस संववधान के प्रारं भ से ठीक पहले प्रयोग
प्रयोजनों के र्लए प्रयोग ककए जाने वाले
ककया जा रहा था।
अंकों के रूप,
ङ) संघ की राजभाषा तथा संघ और ककसी अनच्
ु छे द 346: एक राज्य और दस ू रे राज्य के
राज्य के बीच या एक राज्य और दस ू रे बीच या क्रकसी राज्य और संघ के बीच पत्राहद की
राज्य के बीच पिाहद की भाषा और उनके राजभाषा
प्रयोग के संबध
ं में राष्रपतत द्वारा आयोग संघ में शासकीय प्रयोजनों के र्लए प्रयोग ककए
को तनदे र्शत ककए गए ककसी अन्य ववषय, जाने के र्लए तत्समय प्राधधकृत भाषा, एक राज्य
के बारे में र्सफाररश करे । और दस ू रे राज्य के बीच तथा ककसी राज्य और
3) खंड (2) के अधीन अपनी र्सफाररशें करने में , संघ के बीच पिाहद की राजभाषा होगी:
आयोग भारत की औद्योधगक, सांस्कृततक और परं तु यहद दो या अधधक राज्य यह करार करते हैं
वैज्ञातनक उन्नतत का और लोक सेवाओं के संबध
ं कक उन राज्यों के बीच पिाहद की राजभाषा हहंदी
में अहहंदी भाषी क्षेिों के व्यस्ततयों के न्यायसंगत भाषा होगी तो ऐसे पिाहद के र्लए उस भाषा का
दावों और हहतों का सम्यक ध्यान रखेगा। प्रयोग ककया जा सकेगा।
4) एक सर्मतत गहठत की जाएगी जो तीस
सदस्यों से र्मलकर बनेगी स्जनमें से बीस लोक
राजभाषा पुस्तिका 9
अनच्
ु छे द 347: क्रकसी राज्य की जनसंख्या के है , हहंदी भाषा का या उस राज्य के शासकीय
क्रकसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबध
ं प्रयोजनों के र्लए प्रयोग होने वाली ककसी अन्य
में ववशेष उपबंध भाषा का प्रयोग प्राधधकृत कर सकेगाः
परं तु इस खंड की कोई बात ऐसे उच्च
यहद इस तनर्मत्त मांग ककए जाने पर राष्रपतत का
न्यायालय द्वारा हदए गए ककसी तनििय, डडिी या
यह समाधान हो जाता है कक ककसी राज्य की
आदे श को लागू नहीं होगी।
जनसंख्या का पयािप्त भाग यह चाहता है कक
उसके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य 3) खंड (1) के उपखंड (ख) में ककसी बात के होते
द्वारा मान्यता दी जाए तो वह तनदे श दे सकेगा हुए भी, जहां ककसी राज्य के ववधान-मंडल ने,उस
कक ऐसी भाषा को भी उस राज्य में सविि या ववधान-मंडल में परु ःस्थावपत ववधेयकों या उसके
उसके ककसी भाग में ऐसे प्रयोजन के र्लए, जो वह द्वारा पाररत अधधतनयमों में अथवा उस राज्य के
ववतनहदिष्ट करे , शासकीय मान्यता दी जाए। राज्यपाल द्वारा प्रख्यावपत अध्यादे शों में अथवा
उस उपखंड के पैरा (iii) में तनहदि ष्ट ककसी आदे श,
अनच्
ु छे द 348: उच्चिम न्यायालय और उच्च
तनयम, ववतनयम या उपववधध में प्रयोग के र्लए
न्यायालयों में और अधधननयमों, ववधेयकों आहद के
अंग्रेजी भाषा से र्भन्न कोई भाषा ववहहत की है
मलए प्रयोग की जाने वाली भाषा
वहां उस राज्य के राजपि में उस राज्य के
1) इस भाग के पव
ू ग
ि ामी उपबंधों में ककसी बात के राज्यपाल के प्राधधकार से प्रकार्शत अंग्रेजी भाषा
होते हुए भी, जब तक संसद ववधध द्वारा अन्यथा में उसका अनव ु ाद इस अनच् ु छे द के अधीन उसका
उपबंध न करे तब तक-- अंग्रेजी भाषा में प्राधधकृत पाठ समझा जाएगा।
क) उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च
अनच्
ु छे द 349: भाषा से संबधं धि कुछ ववधधयां
न्यायालय में सभी कायिवाहहयां अंग्रेजी
अधधननयममि करने के मलए ववशेष प्रक्रक्रया
भाषा में होंगी,
इस संववधान के प्रारं भ से पंद्रह वषि की अवधध के
ख)(i) संसद के प्रत्येक सदन या ककसी राज्य के
दौरान, अनच्
ु छे द 348 के खंड (1) में उस्ललणखत
ववधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन में
ककसी प्रयोजन के र्लए प्रयोग की जाने वाली भाषा
परु ःस्थावपत ककए जाने वाले सभी
के र्लए उपबंध करने वाला कोई ववधेयक या
ववधेयकों या प्रस्ताववत ककए जाने वाले
संशोधन संसद के ककसी सदन में राष्रपतत की पव
ू ि
उनके संशोधनों के,
मंजूरी के त्रबना परु ःस्थावपत या प्रस्ताववत नहीं
(ii) संसद या ककसी राज्य के ववधान-मंडल
ककया जाएगा और राष्रपतत ककसी ऐसे ववधेयक
द्वारा पाररत सभी अधधतनयमों के और
को परु ःस्थावपत या ककसी ऐसे संशोधन को
राष्रपतत या ककसी राज्य के राज्यपाल
प्रस्ताववत ककए जाने की मंजूरी अनच्
ु छे द 344 के
द्वारा प्रख्यावपत सभी अध्यादे शों के, और
खंड (1) के अधीन गहठत आयोग की र्सफाररशों
(iii) इस संववधान के अधीन अथवा संसद या
पर और उस अनच्
ु छे द के खंड (4) के अधीन
ककसी राज्य के ववधान-मंडल द्वारा बनाई
गहठत सर्मतत के प्रततवेदन पर ववचार करने के
गई ककसी ववधध के अधीन तनकाले गए या
पश्चात ही दे गा, अन्यथा नहीं।
बनाए गए सभी आदे शों, तनयमों,
ववतनयमों और उपववधधयों के, प्राधधकृत अनच्
ु छे द 350: व्यथा के ननवारण के मलए
पाठ अंग्रज
े ी भाषा में होंगे। अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा
प्रत्येक व्यस्तत ककसी व्यथा के तनवारि के र्लए
2) खंड(1) के उपखंड (क) में ककसी बात के होते
संघ या राज्य के ककसी अधधकारी या प्राधधकारी
हुए भी, ककसी राज्य का राज्यपाल राष्रपतत की
को, यथास्स्थतत, संघ में या राज्य में प्रयोग होने
पवू ि सहमतत से उस उच्च न्यायालय की
वाली ककसी भाषा में अभ्यावेदन दे ने का हकदार
कायिवाहहयों में , स्जसका मख्
ु य स्थान उस राज्य में
होगा।
राजभाषा पुस्तिका 10
अनच्ु छे द 350 क: प्राथममक तिर पर मािभ
ृ ाषा में अंतरालों पर जो राष्रपतत तनहदिष्ट करे , राष्रपतत
मशक्षा की सवु वधाएं को प्रततवेदन दे और राष्रपतत ऐसे सभी प्रततवेदनों
को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा
प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय
और संबधं धत राज्यों की सरकारों को र्भजवाएगा।
प्राधधकारी भाषाई अलपसंख्यक-वगों के बालकों को
र्शक्षा के प्राथर्मक स्तर पर मातभ
ृ ाषा में र्शक्षा
की पयािप्त सवु वधाओं की व्यवस्था करने का अनच्
ु छे द 351: हहंदी भाषा के ववकास के मलए
प्रयास करे गा और राष्रपतत ककसी राज्य को ऐसे ननदे श
तनदे श दे सकेगा जो वह ऐसी सवु वधाओं का उपबंध
संघ का यह कतिव्य होगा कक वह हहंदी भाषा का
सतु नस्श्चत कराने के र्लए आवश्यक या उधचत
प्रसार बढ़ाए, उसका ववकास करे स्जससे वह भारत
समझता है ।
की सामार्सक संस्कृतत के सभी तत्वों की
अनच्
ु छे द 350 ख: भाषाई अल्पसंख्यक-वगों के अर्भव्यस्तत का माध्यम बन सके और उसकी
मलए ववशेष अधधकारी प्रकृतत में हस्तक्षेप ककए त्रबना हहंदस्
ु थानी में और
आठवीं अनस ु च
ू ी में ववतनहदि ष्ट भारत की अन्य
भाषाई अलपसंख्यक-वगों के र्लए एक ववशेष
भाषाओं में प्रयत
ु त रूप, शैली और पदों को
अधधकारी होगा स्जसे राष्रपतत तनयत
ु त करे गा।
आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या
ववशेष अधधकारी का यह कतिव्य होगा कक वह इस वांछनीय हो वहां उसके शब्द-भंडार के र्लए
संववधान के अधीन भाषाई अलपसंख्यक-वगों के मख्
ु यतः संस्कृत से और गौितः अन्य भाषाओं से
र्लए उपबंधधत रक्षोपायों से संबधं धत सभी ववषयों शब्द ग्रहि करते हुए उसकी समद्
ृ धध सतु नस्श्चत
का अन्वेषि करे और उन ववषयों के संबध
ं में ऐसे करे ।
राजभाषा पुस्तिका 11
अष्टम अिुसूची को श्री बालासाहब गंगाधर खेर (बी.जी.खेर) की
(अिुच्छेद 344(1) और 351) अध्यक्षता में तनम्नाककं त ववषयों पर र्सफाररशें
करने के र्लए राजभाषा आयोग का गठन ककया:–
भाषाएं
(क) संघ के सरकारी कामकाज के र्लए हहंदी
भाषा का िमश: अधधक से अधधक से
1. असर्मया 2. बंगाली 3. गज
ु राती
प्रयोग।
4. हहंदी 5. कन्नड 6. कश्मीरी
7. मलयालम 8. मराठी 9. उडडया (ख) संघ के सभी या कुछ सरकारी कामों के
10. पंजाबी 11. संस्कृत 12. तर्मल र्लए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग की मनाही।
13. तेलग
ु ु 14. उदि ू 15. र्संधी (ग) संववधान के अनच्
ु छे द 348 में वणिित सभी
16. कोंकिी 17. मणिपरु ी 18. नेपाली अथवा कुछ कायो के र्लए ककस भाषा का
19. बोडो 20. डोगरी 21. मैधथली प्रयोग ककया जाए।
22. संथाली
(घ) संघ के ककसी या ककन्ही खास कायो के
* 10 अप्रैल, 1967 को संववधान में 21वां
र्लए प्रयोग में आने वाले अंकों का रूप
संशोधन करके ‘मसंधी’ भाषा को जोडा गया।
* 31 अगस्त, 1992 को संववधान में 71वां (ड) एक समग्र अनस
ु च
ू ी तैयार करना स्जसमें
संशोधन करके ‘कोंकणी, मणणपुरी एवं ये बताया जाए कक कब और ककस प्रकार
नेपाली’ भाषा को जोडा गया। संघ की राजभाषा तथा संघ एवं राज्यों के
* 07 जनवरी, 2004 को संववधान में 92वां बीच और एक राज्य और दस
ू रे राज्यों के
संशोधन करके ‘बोर्ो, र्ोगरी, मैधथली एवं
बीच संचार की भाषा के रूप में अग्रें जी का
संथाली’ भाषा को जोडा गया।
स्थान धीरे धीरे हहंदी ले।
उललेखनीय है कक संशोधन के उपरांत
अपनी र्सफाररशें करते समय आयोग को
शार्मल की गई भाषाओं को अंग्रेजी विािनस
ु ार
इस बात का ध्यान रखना था कक उन र्सफाररशों
पन
ु संख्यांककत तनम्नप्रकार से ककया गया है ।
से भारत की औद्योधगक, सांस्कृततक और
1. असममया 2. बंगाली 3. बोर्ो
वैज्ञातनक प्रगतत में ककसी प्रकार की बाधा न पहुंचे
4. र्ोगरी 5. गज
ु रािी 6. हहंदी
और सरकारी नौकररयों के मामले में हहंदीतर क्षेिों
7. कन्नर् 8. कश्मीरी 9. कोंकणी
के लोगों के उधचत अधधकार और हहत सरु क्षक्षत
10. मैधथली 11. मलयालम 12. मणणपरु ी
रहे । आयोग ने अपने ववचाराथि ववषय के ववर्भन्न
13. मराठी 14. नेपाली 15. उडर्या
पहलओ
ु ं से आधतु नक भाषा, भारतीय भाषाओं का
16. पंजाबी 17. संतकृि 18. संथाली
स्वरूप, पाररभावषक शब्दावली, संघ की भाषा और
19. मसंधी 20. िममल 21. िेलग
ु ु
र्शक्षा पद्धतत, सरकारी प्रशासन में भाषा, कानन
ू
22. उदड ू
और न्यायालयों की भाषा, संघ की भाषा, लोक
सेवाओं की परीक्षाएं, हहंदी और प्रादे र्शक भाषाओं
राजभाषा आयोग, 1955
का प्रचार और ववकास, राष्रीय भाषा संबधी
संववधान में राजभाषा आयोग और उसकी कायििम को कायि रूप दे ने के र्लए संस्थाओं आहद
र्सफाररशों की जांच करने के र्लए राजभाषा की व्यवस्था आहद के बारे में ववस्तार से वववेचन
सर्मतत गहठत करने की व्यवस्था है । तदनस
ु ार तथा ववचार ववमशि करने के पश्चात 31 जुलाई
राष्रपतत ने संववधान के अनच्
ु छे द 344 (1) में 1956 को अपना प्रततवेदन राष्रपतत को प्रस्तत
ु
प्रदत्त शस्ततयों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 ककया।
राजभाषा पुस्तिका 12
संसदीय राजभाषा सममवि
राजभाषा
ग्रामीि ववकास मंिालय, यव
ु ा कायििम और खेल
अधधतनयम 1963 की धारा-4 के
मंिालय, जनजातीय कायि मंिालय, अलपसंख्यक
उपबन्धों के अनस
ु ार संसदीय राजभाषा सर्मतत का मंिालय, संस्कृतत मंिालय, उत्तर पव
ू ी क्षेि ववकास
गठन ककया गया। इस सर्मतत में 20 लोक सभा मंिालय, ववधध और न्याय मंिालय, महहला एवं
के और 10 राज्य सभा के सदस्य होते हैं। केन्द्र बाल ववकास मंिालय, पोत पररवहन, सडक
सरकार के कायािलयों, बैंको तथा तनगमों आहद में पररवहन और राजमागि मंिालय, पंचायतीराज
हहंदी को प्रभावी ढं ग से लागू करने हे तु संसदीय मंिालय।
राजभाषा सर्मतत अब तक महामहहम राष्रपतत जी (ख) सममनि सदतय-
को 9 प्रततवेदन (ररपोटि ) प्रस्तत
ु कर चक
ु ी है और 1. श्री सत्यव्रत चतव
ु ेदी, संयोजक
राष्रपतत जी द्वारा आदे श भी जारी ककए जा चुके 2. श्री ए. पी. स्जतेन्द्र रे ड्डी, सदस्य
हैं। सर्मतत संघ के सरकारी प्रयोजनों के र्लए हहंदी 3. श्री अजय र्मश्रा टे नी, सदस्य
के प्रयोग में हुई प्रगतत की समीक्षा करती है और 4. श्रीमती संतोष अहलावत, सदस्य
उस पर र्सफाररश करते हुए राष्रपतत को अपना 5. श्री तामध्वज साहू, सदस्य
प्रततवेदन प्रस्तत
ु करती है । राष्रपतत द्वारा 6. श्रीमती रं जीत रं जन, सदस्य
राजभाषा अधधतनयम,1963 की धारा 4(4) के 7. श्री श्रीरं ग आप्पा बारिे, सदस्य
अनस
ु ार सर्मतत के प्रततवेदन पर ववचार करके 8. श्री ए. अनवर राजा, सदस्य
तनदे श जारी ककया जाता है । 04 माचि 1976 की 9. डॉ. सभ
ु ाष चन्द्रा, सदस्य
अपनी बैठक में सर्मतत ने मंिालयों,ववभागों और 10. श्री मंघराज जैन, सदस्य
उनके कायािलयों तथा कंपतनयों आहद में हहंदी के
प्रयोग के पन
ु रीक्षि के र्लए तीन उप सर्मततयां
दस
ू री उप सममनि
बनाई हैं। संसदीय राजभाषा सममनि के हदनांक 25
अप्रैल, 2017 के पत्र सं. 13011/1/2016-सममनि-
(क) कायडक्षेत्र-
4 के अनस
ु ार सर्मतत के अध्यक्ष माननीय गह
ृ
रे ल मंिालय, सच
ू ना एवं प्रसारि मंिालय, संचार
मंिी श्री राजनाथ र्संह एवं उपाध्यक्ष डॉ.
एवं सच
ू ना प्रौद्योधगकी मंिालय, नागर ववमानन
सत्यनारायि जहटया हैं। इन उप सर्मततयों के
मंिालय, ववज्ञान और प्रौद्योधगकी मंिालय, जल
कायिक्षेि एवं सदस्यों का वववरि नीचे हदया गया
संसाधन मंिालय, उपभोतता मामले, खाद्य और
है ः-
साविजतनक ववतरि मंिालय, ववद्यत
ु मंिालय,
नवीन एवं नवीकरिीय ऊजाि मंिालय, कृवष
पहली उप सममनि
मंिालय, पथ्
ृ वी ववज्ञान मंिालय, अंतररक्ष ववभाग,
(क) कायडक्षत्र
े - पयिटन मंिालय
रक्षा मंिालय, ववदे श मंिालय, गह
ृ मंिालय, मानव
संसाधन मंिालय, कापोरे ट कायि मंिालय, (ख) सममनि सदतय-
पेरोर्लयम और प्राकृततक गैस मंिालय, कार्मिक, 1. डॉ. प्रसन्न कुमार पाटसािी, संयोजक
लोक र्शकायत तथा पें शन मंिालय, रसायन एवं 2. श्री गोकाराजू गंगाराजू, सदस्य
उविरक मंिालय, परमािु ऊजाि ववभाग, योजना 3. श्री लक्ष्मी नारायि यादव, सदस्य
आयोग, सामास्जक न्याय और अधाररता मंिालय, 4. डॉ. सन
ु ील बलीराम गायकवाड, सदस्य
राजभाषा पुस्तिका 13
5. श्री राम मोहन नायडु कींजरप,ू सदस्य (ख) सममनि सदतय-
6. श्री वववेक गप्ु ता, सदस्य 1. श्री हुतम दे व नारायि यादव, संयोजक
7. श्री वर्शष्ठ नारायि यादव, सदस्य 2. श्री अस्श्वनी कुमार, सदस्य
8. श्री डी. पी. त्रिपाठी, सदस्य 3. प्रो. धचंतामिी मालवीय, सदस्य
4. डॉ. ए. संपत, सदस्य
िीसरी उप सममनि 5. श्री संतोष कुमार, सदस्य
(क) कायडक्षेत्र- 6. श्री जयप्रकाश नारायि यादव, सदस्य
ववत्त मंिालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंिालय, भारी 7. श्री शादीलाल बिा, सदस्य
उद्योग मंिालय, इस्पात मंिालय, वस्ि मंिालय, 8. श्रीमती रजनी पाहटल, सदस्य
सक्ष्
ू म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंिालय, शहरी 9. प्रो. रामगोपाल यादव, सदस्य
ववकास मंिालय, श्रम मंिालय, कोयला मंिालय, आलेख एवं साक्ष्य उप सममनि
पयािवरि एवं वन मंिालय, स्वास्थ्य और पररवार
कलयाि मंिालय, खान एवं खतनज मंिालय, 1. डॉ. सत्यनारायि जहटया, अध्यक्ष
संसदीय कायि मंिालय, भारत के तनयंिक एवं 2. श्री सत्यव्रत चतव
ु ेदी, सदस्य
महालेखा परीक्षक का कायािलय, सांस्ख्यकी और
3. डॉ. प्रसन्न कुमार पाटसािी, सदस्य
कायििम कायािन्वयन मंिालय
4. श्री हुतम दे व नारायि यादव, सदस्य
5. श्री श्रीरं ग आप्पा बारिे, सदस्य
6. डॉ. सन
ु ील बलीराम गायकवाड, सदस्य
महादे वी वमाड
सय
ू क
ड ान्ि त्रत्रपाठी ननराला
जन्म- माघ शत
ु ल 11 सम्वत 1953 (1896 ई.)
जन्मभमू म महहषादल स्टे ट मेदनीपरु (बंगाल)
मत्ृ यु 15 अतटूबर, 1961 मत्ृ यु तथान प्रयाग,
अमभभावक पं. रामसहाय पत्नी मनोहरा दे वी
कमड-क्षेत्र कवव, लेखक ववषय कववता, खंडकाव्य, तनबंध, समीक्षा
राजभाषा पुस्तिका 14
राजभाषा अमधवियम, 1963
(यथासंशोमधि, 1967)
(1963 का अमधवियम संखयांक 19)
उ
केंद्रीय
न भाषाओं
प्रयोजनों, संसद में
और राज्य
का, जो संघ के
कायि के संव्यवहार,
अधधतनयमों और
राजकीय
उच्च
परं तु संघ और ककसी ऐसे राज्य के बीच,
स्जसने हहंदी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं
अपनाया है , पिाहद के प्रयोजनों के र्लए अंग्रेजी
न्यायालयों में कततपय प्रयोजनों के र्लए प्रयोग में भाषा प्रयोग में लाई जाएगीः
लाई जा सकेंगी,उपबन्ध करने के र्लए परन्तु यह और कक जहां ककसी ऐसे राज्य के,
अधधतनयम। भारत गिराज्य के चौदहवें वषि में स्जसने हहंदी को अपनी राजभाषा के रूप में
संसद द्वारा तनम्नर्लणखत रूप में यह अपनाया है और ककसी अन्य राज्य के, स्जसने
अधधतनयर्मत होः- हहंदी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया
1. संक्षक्षप्ि नाम और प्रारम्भ है , बीच पिाहद के प्रयोजनों के र्लए हहंदी को
1. यह अधधतनयम राजभाषा अधधतनयम, 1963 प्रयोग में लाया जाता है , वहां हहंदी में ऐसे पिाहद
कहा जा सकेगा। के साथ-साथ उसका अनव
ु ाद अंग्रेजी भाषा में भेजा
2. धारा 3, जनवरी, 1965 के 26 वें हदन को जाएगा:
प्रवत्त
ृ होगी और इस अधधतनयम के शेष
परन्तु यह और भी कक इस उपधारा की ककसी
उपबन्ध उस तारीख को प्रवत्त
ृ होंगे स्जसे
भी बात का यह अथि नहीं लगाया जाएगा कक वह
केंद्रीय सरकार,शासकीय राजपि में अधधसच
ू ना
ककसी ऐसे राज्य को, स्जसने हहंदी को अपनी
द्वारा तनयत करे और इस अधधतनयम के
राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है , संघ के साथ
ववर्भन्न उपबन्धों के र्लए ववर्भन्न तारीखें
या ककसी ऐसे राज्य के साथ, स्जसने हहंदी को
तनयत की जा सकेंगी।
अपनी राजभाषा के रूप में अपनाया है , या ककसी
2. पररभाषाएं
अन्य राज्य के साथ, उसकी सहमतत से, पिाहद के
इस अधधतनयम में जब तक कक संदभि से
प्रयोजनों के र्लए हहंदी को प्रयोग में लाने से
अन्यथा अपेक्षक्षत न हो,
तनवाररत करती है , और ऐसे ककसी मामले में उस
(क) 'तनयत हदन' से, धारा 3 के सम्बन्ध में ,
राज्य के साथ पिाहद के प्रयोजनों के र्लए अंग्रेजी
जनवरी, 1965 का 26वां हदन अर्भप्रेत है और
भाषा का प्रयोग बाध्यकर न होगा।
इस अधधतनयम के ककसी अन्य उपबन्ध के
सम्बन्ध में वह हदन अर्भप्रेत है स्जस हदन को (2) उपधारा (1) में अन्तवविष्ट ककसी बात के होते
वह उपबन्ध प्रवत्त
ृ होता है ; हुए भी, जहां पिाहद के प्रयोजनों के र्लए हहंदी या
(ख) 'हहंदी' से वह हहंदी अर्भप्रेत है स्जसकी र्लवप अंग्रेजी भाषा-
दे वनागरी है । (i) केंद्रीय सरकार के एक मंिालय या ववभाग या
3. संघ के राजकीय प्रयोजनों के मलए और संसद कायािलय के और दस
ू रे मंिालय या ववभाग या
में प्रयोग के मलए अंग्रज
े ी भाषा का रहना- कायािलय के बीच ;
(1) संववधान के प्रारम्भ से पंद्रह वषि की (ii) केंद्रीय सरकार के एक मंिालय या ववभाग या
कालावधध की समास्प्त हो जाने पर भी, हहंदी कायािलय के और केंद्रीय सरकार के स्वार्मत्व
के अततररतत अंग्रेजी भाषा, तनयत हदन से ही, में के या तनयंिि में के ककसी तनगम या
(क) संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के र्लए कम्पनी या उसके ककसी कायािलय के बीच;
स्जनके र्लए वह उस हदन से ठीक पहले प्रयोग (iii) केंद्रीय सरकार के स्वार्मत्व में के या तनयंिि
में लाई जाती थी; तथा में के ककसी तनगम या कम्पनी या उसके
(ख) संसद में कायि के संव्यवहार के र्लए प्रयोग ककसी कायािलय के और ककसी अन्य ऐसे
में लाई जाती रह सकेगी: तनगम या कम्पनी या कायािलय के बीच;
राजभाषा पुस्तिका 15
प्रयोग में लाई जाती है वहां उस तारीख तक, जब और इस प्रकार बनाए गए तनयम ववर्शष्टतया यह
तक पव
ू ोतत संबधं धत मंिालय, ववभाग, कायािलय सतु नस्श्चत करें गे कक जो व्यस्तत संघ के
या ववभाग या कम्पनी का कमिचारीवद
ृ हहंदी का कायिकलाप के सम्बन्ध में सेवा कर रहे हैं और जो
कायिसाधक ज्ञान प्राप्त नहीं कर लेता, ऐसे पिाहद या तो हहंदी में या अंग्रेजी भाषा में प्रवीि हैं वे
का अनव
ु ाद, यथास्स्थतत, अंग्रेजी भाषा या हहंदी में प्रभावी रूप से अपना काम कर सकें और यह भी
भी हदया जाएगा। कक केवल इस आधार पर कक वे दोनों ही भाषाओं
(3) उपधारा (1) में अन्तवविष्ट ककसी बात के में प्रवीि नहीं है उनका कोई अहहत नहीं होता है ।
होते हुए भी हहंदी और अंग्रज
े ी भाषा दोनों ही-
(5)उपधारा (1) के खंड (क) के उपबन्ध और
उपधारा (2), उपधारा (3) और उपधारा (4), के
(i) संकलपों, साधारि आदे शों, तनयमों,
उपबन्ध तब तक प्रवत्त
ृ बने रहें गे जब तक
अधधसच
ू नाओं, प्रशासतनक या अन्य प्रततवेदनों
उनमें वणिित प्रयोजनों के र्लए अंग्रेजी भाषा का
या प्रेस ववज्ञस्प्तयों के र्लए, जो केंद्रीय
प्रयोग समाप्त कर दे ने के र्लए ऐसे सभी
सरकार द्वारा या उसके ककसी मंिालय, ववभाग
राज्यों के ववधान मण्डलों द्वारा, स्जन्होंने हहंदी
या कायािलय द्वारा या केंद्रीय सरकार के
को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है ,
स्वार्मत्व में के या तनयंिि में के ककसी
संकलप पाररत नहीं कर हदए जाते और जब
तनगम या कम्पनी द्वारा या ऐसे तनगम या
तक पव
ू ोतत संकलपों पर ववचार कर लेने के
कम्पनी के ककसी कायािलय द्वारा तनकाले जाते
पश्चात ऐसी समास्प्त के र्लए संसद के हर एक
हैं या ककए जाते हैं ;
सदन द्वारा संकलप पाररत नहीं कर हदया
(ii) संसद के ककसी सदन या सदनों के समक्ष रखे
जाता।
गए प्रशासतनक तथा अन्य प्रततवेदनों और
राजकीय कागज-पिों के र्लए ; 4. राजभाषा के सम्बन्ध में सममनि -
(iii)केंद्रीय सरकार या उसके ककसी मंिालय, (1)स्जस तारीख को धारा 3 प्रवत्त
ृ होती है उससे
ववभाग या कायािलय द्वारा या उसकी ओर से दस वषि की समास्प्त के पश्चात, राजभाषा के
या केंद्रीय सरकार के स्वार्मत्व में के या सम्बन्ध में एक सर्मतत, इस ववषय का संकलप
तनयंिि में के ककसी तनगम याकम्पनी द्वारा संसद के ककसी भी सदन में राष्रपतत की पव ू ि
या ऐसे तनगम या कम्पनी के ककसी कायािलय मंजूरी से प्रस्ताववत और दोनों सदनों द्वारा
द्वारा तनष्पाहदत संववदाओं और करारों के र्लए पाररत ककए जाने पर, गहठत की जाएगी।
तथा तनकाली गई अनज्ञ
ु स्प्तयों, अनज्ञ
ु ापिों,
(2) इस सर्मतत में तीस सदस्य होंगे स्जनमें से
सच
ू नाओं और तनववदा-प्ररूपों के र्लए, प्रयोग में
बीस लोक सभा के सदस्य होंगे तथा दस राज्य
लाई जाएगी।
सभा के सदस्य होंगे, जो िमशः लोक सभा के
(4)उपधारा (1) या उपधारा (2) या उपधारा
सदस्यों तथा राज्य सभा के सदस्यों द्वारा
(3) के उपबन्धों पर प्रततकूल प्रभाव डाले त्रबना
आनप
ु ाततक प्रतततनधधत्व पद्धतत के अनस
ु ार
यह है कक केंद्रीय सरकार धारा 8 के अधीन
एकल संिमिीय मत द्वारा तनवािधचत होंगे।
बनाए गए तनयमों द्वारा उस भाषा या उन
(3) इस सर्मतत का कतिव्य होगा कक वह संघ के
भाषाओं का उपबन्ध कर सकेगी स्जसे या स्जन्हें
राजकीय प्रयोजनों के र्लए हहंदी के प्रयोग में
संघ के राजकीय प्रयोजन के र्लए, स्जसके
की गई प्रगतत का पन
ु वविलोकन करें और उस
अन्तगित ककसी मंिालय,ववभाग, अनभ
ु ाग या
पर र्सफाररशें करते हुए राष्रपतत को प्रततवेदन
कायािलय का कायिकरि है , प्रयोग में लाया जाना
करें और राष्रपतत उस प्रततवेदन को संसद् के
है और ऐसे तनयम बनाने में राजकीय कायि के
हर एक सदन के समक्ष रखवाएगा और सभी
शीघ्रता और दक्षता के साथ तनपटारे का तथा जन
राज्य सरकारों को र्भजवाएगा।
साधारि के हहतों का सम्यक ध्यान रखा जाएगा
राजभाषा पुस्तिका 16
(4) राष्रपतत उपधारा (3) में तनहदि ष्ट प्रततवेदन और ऐसी दशा में ऐसे ककसी अधधतनयम या
पर और उस पर राज्य सरकारों ने यहद कोई अध्यादे श का हहंदी में अनव
ु ाद हहंदी भाषा में
मत अर्भव्यतत ककए हों तो उन पर ववचार उसका प्राधधकृत पाठ समझा जाएगा।
करने के पश्चात उस समस्त प्रततवेदन के या
7. उच्च न्यायालयों के ननणडयों आहद में हहंदी
उसके ककसी भाग के अनस
ु ार तनदे श तनकाल
या अन्य राजभाषा का वैकस्ल्पक प्रयोग-
सकेगा:
तनयत हदन से ही या तत्पश्चात ककसी भी हदन से
[परन्तु इस प्रकार तनकाले गए तनदे श धारा 3
ककसी राज्य का राज्यपाल, राष्रपतत की पव
ू ि
के उपबन्धों से असंगत नहीं होंगे।]
सम्मतत से, अंग्रेजी भाषा के अततररतत हहंदी या
5. केंरीय अधधननयमों आहद का प्राधधकृि उस राज्य की राजभाषा का प्रयोग, उस राज्य के
हहंदी अनव
ु ाद- उच्च न्यायालय द्वारा पाररत या हदए गए ककसी
(1) तनयत हदन को और उसके पश्चात शासकीय तनििय, डडिी या आदे श के प्रयोजनों के र्लए
राजपि में राष्रपतत के प्राधधकार से प्रकार्शत- प्राधधकृत कर सकेगा और जहां कोई तनििय, डडिी
(क) ककसी केंद्रीय अधधतनयम का या राष्रपतत या आदे श (अंग्रेजी भाषा से र्भन्न) ऐसी ककसी
द्वारा प्रख्यावपत ककसी अध्यादे श का, अथवा भाषा में पाररत ककया या हदया जाता है वहां उसके
(ख) संववधान के अधीन या ककसी केंद्रीय साथ-साथ उच्च न्यायालय के प्राधधकार से तनकाला
अधधतनयम के अधीन तनकाले गए ककसी गया अंग्रेजी भाषा में उसका अनव
ु ाद भी होगा।
आदे श, तनयम, ववतनयम या उपववधध का हहंदी 8. ननयम बनाने की शस्क्ि -
में अनव
ु ाद उसका हहंदी में प्राधधकृत पाठ (1) केंद्रीय सरकार इस अधधतनयम के प्रयोजनों को
समझा जाएगा। कायािस्न्वत करने के र्लए तनयम, शासकीय राजपि
(2) तनयत हदन से ही उन सब ववधेयकों के, जो में अधधसच
ू ना द्वारा, बना सकेगी।
संसद के ककसी भी सदन में परु ःस्थावपत ककए (2) इस धारा के अधीन बनाया गया हर तनयम,
जाने हों और उन सब संशोधनों के, जो उनके बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के हर एक
सम्बन्ध में संसद के ककसी भी सदन में प्रस्ताववत सदन के समक्ष, जब वह सि में हो, कुल तीस
ककए जाने हों, अंग्रज
े ी भाषा के प्राधधकृत पाठ के हदन की अवधध के र्लए रखा जाएगा। वह अवधध
साथ-साथ उनका हहंदी में अनव ु ाद भी होगा जो एक सि में , अथवा दो या अधधक आनि ु र्मक सिों
ऐसी रीतत से प्राधधकृत ककया जाएगा, जो इस में परू ी हो सकेगी। यहद उस सि के या पव ू ोतत
अधधतनयम के अधीन बनाए गए तनयमों द्वारा आनि
ु र्मक सिों के ठीक बाद के सि के अवसान
ववहहत की जाए। के पव
ू ि दोनों सदन उस तनयम में कोई पररवतिन
6. कनिपय दशाओं में राज्य अधधननयमों का करने के र्लए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह
प्राधधकृि हहंदी अनव
ु ाद- ऐसे पररवततित र्रप में ही प्रभावी होगा। यहद उतत
जहां ककसी राज्य के ववधानमण्डल ने उस राज्य अवसान के पव
ू ि दोनों सदन सहमत हो जाएं कक
के ववधानमण्डल द्वारा पाररत अधधतनयमों में वह तनयम नहीं बनाया जाना चाहहए तो तत्पश्चात
अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यावपत यह तनष्प्रभाव हो जाएगा। ककन्तु तनयम के ऐसे
अध्यादे शों में प्रयोग के र्लए हहंदी से र्भन्न कोई पररवततित या तनष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले
भाषा ववहहत की है वहां, संववधान के अनच्
ु छे द की गई ककसी बात की ववधधमान्यता पर प्रततकूल
348 के खण्ड (3) द्वारा अपेक्षक्षत अंग्रेजी भाषा में प्रभाव नहीं पडेगा।
उसके अनव
ु ाद के अततररतत, उसका हहंदी में 9. कनिपय उपबन्धों का जम्म-ू कश्मीर को
अनव
ु ाद उस राज्य के शासकीय राजपि में , उस लागू न होना-
राज्य के राज्यपाल के प्राधधकार से, तनयत हदन धारा 6 और धारा 7 के उपबन्ध जम्म-ू कश्मीर
को या उसके पश्चात प्रकार्शत ककया जा सकेगा राज्य को लागू न होंगे।
राजभाषा पुस्तिका 17
राजभाषा सं कल्प, 1968
संसद के दोनों सदनों द्वारा पाररत तनम्नर्लणखत सरकारी संकलप आम जानकारी के र्लए प्रकार्शत ककया जाता है -
राजभाषा पुस्तिका 18
राजभाषा वियम (संघ के शासकीय प्रयोजिों के प्रयोग के लिए) 1976
(यथा संशोमधि 1987, 2007 एिं 2011)
राजभाषा पुस्तिका 19
(2) केंद्रीय सरकार के कायािलय से - केंद्रीय सरकार ऐसे कायािलयों में हहंदी को
(क) क्षेि ’ख’ में ककसी राज्य या संघ राज्यक्षेि कायिसाधक ज्ञान रखने वाले व्यस्ततयों की
को या ऐसे राज्य या संघ राज्यक्षेि में ककसी संख्या हहंदी में पिाहद भेजने की सवु वधाओं
कायािलय (जो केंद्रीय सरकार का कायािलय न और उससे आनष
ु धं गक बातों को ध्यान
हो) या व्यस्तत को पिाहद सामान्यतया हहंदी में रखते हुए समय समय पर अवधाररत
में होंगे और यहद कोई पिाहद अंग्रेजी में भेजे करें ।
जाते हैं तो उनके साथ उनका हहंदी अनव
ु ाद
4. केंरीय सरकार के कायाडलयों के बीच पत्राहद
भी भेजा जाएगा।
(क) केंद्रीय सरकार के ककसी एक मंिालय या
परं तु यहद कोई ऐसा राज्य या संघ
ववभाग या और ककसी दस
ू रे मंिालय या
राज्यक्षेि यह चाहता है कक ककसी ववर्शष्ट
ववभाग के बीच पिाहद हहंदी या अंग्रेजी में हो
वगि के पिाहद या उसके ककसी कायािलय के
सकते हैं।
पिाहद संबद्ध राज्य या संघ राज्य क्षेि की
(ख) केंद्रीय सरकार के एक मंिालय या ववभाग
सरकार द्वारा ववतनहदिष्ट अवधध तक अंग्रेजी
और क्षेि ’क’ में स्स्थत संलग्न या अधीनस्थ
या हहंदी में भेजे जाएं और उसके साथ दस
ू री
कायािलयों के बीच पिाहद हहंदी में होंगे और
भाषा में उसका अनव
ु ाद भी भेजा जाए तो
ऐसे अनप
ु ात में होंगे जो केंद्रीय सरकार, ऐसे
ऐसे पिाहद उसी रीतत से भेजे जाएंगे।
कायािलयों में हहंदी का कायिसाधक ज्ञान रखने
(ख) क्षेि ’ख’ के ककसी राज्य या संघ में ककसी
वाले व्यस्ततयों की संख्या, हहंदी में पिाहद
व्यस्तत को पिाहद हहंदी या अंग्रेजी में भेजे
भेजने की सवु वधाओं और उससे संबधं धत
जा सकते हैं।
आनष
ु धं गक बातों को ध्यान में रखते हुए
(3) केंद्रीय सरकार के कायािलय से क्षेि ’ग’ में
समय-समय पर अवधाररत करें ।
ककसी राज्य या संघ राज्य क्षेि को या ऐसे
(ग) क्षेि ’क’ में स्स्थत केंद्रीय कायािलय के ऐसे
राज्य में ककसी कायािलय (जो केंद्रीय सरकार
कायािलयों के बीच जो खंड (क) या खंड (ख )
का कायािलय न हो) या व्यस्तत को पिाहद
में ववतनहदि ष्ट कायािलयों से र्भन्न हैं, पिाहद
अंग्रेजी में होंगे।
हहंदी में हों।
(4) उपतनयम (1) और (2) में ककसी बात के होते
(घ)* क्षेि ’क’ स्स्थत केंद्रीय सरकार के कायािलयों
हुए भी क्षेि ’ग’ में केंद्रीय सरकार के
और क्षेि ’ख’ या ’ग’ में स्स्थत केंद्रीय सरकार
कायािलय से क्षेि ’क’ या ’ख’ में ककसी राज्य
के कायािलयों के बीच पिाहद हहंदी या अंग्रज
े ी
या संघ राज्य क्षेि को या ऐसे राज्य में
में हो सकते हैं।
ककसी कायािलय (जो केंद्रीय सरकार का
परं तु ये पिाहद हहंदी में ऐसे अनप
ु ात में होंगे
कायािलय न हो ) या व्यस्तत को पिाहद हहंदी
जो केंद्रीय सरकार ऐसे कायािलयों में हहंदी का
या अंग्रेजी में हो सकते हैं।
कायिसाधक ज्ञान रखने वाले व्यस्ततयों की
परं तु हहंदी में पिाहद ऐसे अनप
ु ात में होंगे जो
संख्या, हहंदी में पिाहद भेजने की सवु वधाओं
* राजभाषा तनयम में 1987 में तनयम 4(घ) में संशोधन इस प्रकार ककया गया-
4(घ) क्षेि ’क’ स्स्थत केंद्रीय सरकार के कायािलयों और क्षेि ’ख’ या ’ग’ में स्स्थत केंद्रीय सरकार के कायािलयों के
बीच पिाहद हहंदी या अंग्रेजी में हो सकते हैं।
परं तु ये पिाहद हहंदी में ऐसे अनुपात में होंगे जो केंद्रीय सरकार ऐसे कायािलयों में हहंदी का कायिसाधक ज्ञान रखने
वाले व्यस्ततयों की संख्या, हहंदी में पिाहद भेजने की सवु वधाओं और उससे अनष ु ंधगक बातों को ध्यान में रखते हुए
समय-समय पर अवधाररत करें ।
राजभाषा पुस्तिका 20
और उससे अनष
ु धं गक बातों को ध्यान में 7. आवेदन,अभ्यावेदन आहद
रखते हुए समय-समय पर अवधाररत करें । (1) कोई कमिचारी आवेदन, अपील या अभ्यावेदन
(ड.) क्षेि ’ख’ या ’ग’ में स्स्थत केंद्रीय सरकार के हहंदी या अंग्रज
े ी में कर सकता है ।,
कायािलयों के बीच पिाहद हहंदी या अंग्रेजी में (2) जब उपतनयम (1) में ववतनहदि ष्ट कोई
हो सकते हैं। आवेदन, अपील या अभ्यावेदन हहंदी में ककया
परं तु ये पिाहद हहंदी में ऐसे अनप
ु ात में होंगे गया हो या उस पर हहंदी में हस्ताक्षर ककए
जो केंद्रीय सरकार ऐसे कायािलयों में हहंदी का गए हों तब उसका उत्तर हहंदी में हदया
कायिसाधक ज्ञान रखनेवाले व्यस्ततयों की जाएगा।
संख्या हहंदी में पिाहद भेजने की सवु वधाओं (3) यहद कोई कमिचारी यह चाहता है कक सेवा
और उससे आनष
ु धं गक बातों को ध्यान में संबध
ं ी ववषयों (स्जनके अंतगित अनश
ु ासतनक
रखते हुए समय-समय पर अवधाररत करें । कायिवाहहयां भी हैं ) से संबधं धत कोई आदे श
परं तु जहां ऐसे पिाहद - या सच
ू ना, स्जनका कमिचारी पर तामील
(i) क्षेि ’क’ या क्षेि ’ख’ के ककसी कायािलय को ककया जाना अपेक्षक्षत है , यथास्स्थतत, हहंदी या
संबोधधत है वहां यहद आवश्यक हो तो, उनका अंग्रेजी में होनी चाहहए तो वह उसे
दस
ू री भाषा में अनव
ु ाद पिाहद प्राप्त करने के असम्यक ववलंब के त्रबना उसी भाषा में दी
स्थान पर ककया जाएगा । जाएगी।
(ii) क्षेि ’ग’ में ककसी कायािलय को संबोधधत है , 8. केंरीय सरकार के कायाडलयों में हटप्पणणयों का
वहां उनका दस
ू री भाषा में अनव
ु ाद उनके मलखा जाना
साथ भेजा जाएगा। (1) कोई कमिचारी ककसी फाइल पर हटप्पि या
परं तु यह और कक यहद कोई पिाहद ककसी कायिवत्त
ृ हहंदी या अंग्रेजी में र्लख सकता है
अधधसधू चत कायािलय को संबोधधत है तो और उससे यह अपेक्षा नहीं की जाएगी कक
दस
ू री भाषा में ऐसा अनव
ु ाद उपलब्ध कराने वह उसका अनव
ु ाद दस
ू री भाषा में प्रस्तत
ु
की अपेक्षा नहीं की जाएगी । करें ।
(2) केंद्रीय सरकार का कोई भी कमिचारी, जो
5. हहंदी में प्राप्ि पत्राहद के उत्तर
हहंदी का कायिसाधक ज्ञान रखता हो, हहंदी में
तनयम 3 और तनयम 4 में ककसी बात के
ककसी दस्तावेज के अंग्रज
े ी अनव
ु ाद की मांग
होते हुए भी, हहंदी में प्राप्त पिाहद के उत्तर
तभी कर सकता है , जब वह दस्तावेज
केंद्रीय सरकार के कायािलय से हहंदी में हदए
ववधधक या तकनीकी प्रकृतत का है , अन्यथा
जाएंगे ।
नहीं।
6. हहंदी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग (3) यहद यह प्रश्न उठता है कक कोई ववर्शष्ट
अधधतनयम-1963 की धारा-3 की उपधारा (3) दस्तावेज ववधधक या तकनीकी प्रकृतत का है
में तनहदिष्ट सभी दस्तावेजों के र्लए हहंदी और या नहीं तो ववभाग या कायािलय का प्रधान
अंग्रेजी दोनो का प्रयोग ककया जाएगा और उसका ववतनश्चय करे गा।
ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करनेवाले (4) उपतनयम (1) में ककसी बात के होते हुए भी
व्यस्ततयों का यह उत्तरदातयत्व होगा कक वे केंद्रीय सरकार, आदे श द्वारा ऐसे अधधसधू चत
यह सतु नस्श्चत कर लें कक ऐसे दस्तावेज हहंदी कायािलयों को ववतनहदिष्ट कर सकती है जहां
और अंग्रज
े ी दोनों ही में तैयार ककए जाते हैं, ऐसे कमिचाररयों द्वारा, स्जन्हें हहंदी में
तनष्पाहदत ककए जाते हैं और जारी ककए जाते प्रवीिता प्राप्त है , हटप्पिी, प्रार्रपि और ऐसे
हैं।
राजभाषा पुस्तिका 21
अन्य शासकीय प्रयोजनों के र्लए, जो आदे श प्रततशत ने हहन्दी का ऐसा ज्ञान प्राप्त कर
में ववतनहदिष्ट ककए जाएं, केवल हहंदी का र्लया है तो उस कायािलय के कमिचाररयों के
प्रयोग ककया जाएगा। बारे में सामान्यतया यह समझा जाएगा कक
उन्होंने हहन्दी का कायिसाधक ज्ञान प्राप्त कर
9. हहंदी में प्रवीणिा प्राप्ि
र्लया है ।
यहद ककसी कमिचारी ने-
(3) केंद्रीय सरकार या केंद्रीय सरकार द्वारा इस
(क) मैहरक परीक्षा या उसकी समतल
ु य या उससे
तनर्मत्त ववतनहदिष्ट कोई अधधकारी यह
उच्चतर कोई परीक्षा हहंदी के माध्यम से
अवधाररत कर सकता है कक केंद्रीय सरकार
उत्तीिि कर ली है ; या
के ककसी कायािलय के कमिचाररयों ने हहन्दी
(ख) स्नातक परीक्षा में या स्नातक परीक्षा की
का कायिसाधक ज्ञान प्राप्त कर र्लया है या
समतल
ु य या उसके उच्चतर ककसी अन्य
नहीं।
परीक्षा में हहंदी को एक वैकस्लपक ववषय के
(4) केंद्रीय सरकार के स्जन कायािलयों में
रूप में र्लया था; या
कमिचाररयों ने हहन्दी का कायिसाधक ज्ञान
(ग) यहद वह इन तनयमों में उपाबद्ध प्ररूप में
प्राप्त कर र्लया है उन कायािलयों के नाम
यह घोषिा करता है कक उसे हहंदी में
राजपि में अधधसधू चत ककए जाएंगे;
प्रवीिता प्राप्त है; तो उसके बारे में यह
परन्तु यहद केंद्रीय सरकार की राय है कक
समझा जाएगा कक उसने हहंदी में प्रवीिता
ककसी अधधसधू चत कायािलय में काम करने
प्राप्त कर ली है ।
वाले और हहन्दी का कायिसाधक ज्ञान रखने
10. हहंदी का कायडसाधक ज्ञान वाले कमिचाररयों का प्रततशत ककसी तारीख में
1.(क) यहद ककसी कमिचारी ने- से उपतनयम (2) में ववतनहदि ष्ट प्रततशत से
(i) मैहरक परीक्षा या उसकी समतल
ु य या उससे कम हो गया है , तो वह राजपि में
उच्चतर परीक्षा हहंदी ववषय के साथ उत्तीिि अधधसच
ू ना द्वारा घोवषत कर सकती है कक
कर ली है; या उतत कायािलय उस तारीख से अधधसधू चत
(ii) केंद्रीय सरकार की हहंदी र्शक्षि योजना के कायािलय नहीं रह जाएगा।
अंतगित आयोस्जत प्राज्ञ परीक्षा या, यहद उस
11. मैनअ
ु ल, संहहिाएं, प्रक्रक्रया संबध
ं ी अन्य
सरकार द्वारा ककसी ववर्शष्ट प्रवगि के पदों
साहहत्य, लेखन सामग्री आहद-
के संबध
ं में उस योजना के अंतगित कोई
(1) केंद्रीय सरकार के कायािलयों से संबधं धत सभी
तनम्नतर परीक्षा ववतनहदि ष्ट है , वह परीक्षा
मैनअ
ु ल, संहहताएं और प्रकिया संबध
ं ी अन्य
उत्तीिि कर ली है ; या
साहहत्य हहंदी और अंग्रेजी में द्ववभावषक र्रप
(iii) केंद्रीय सरकार द्वारा उस तनर्मत्त ववतनहदि ष्ट
में यथास्स्थतत, महु द्रत या साइतलोस्टाइल
कोई अन्य परीक्षा उत्तीिि कर ली है ; या
ककया जाएगा और प्रकार्शत ककया जाएगा।
(ख) यहद वह इन तनयमों में उपाबद्ध प्ररूप में
(2) केंद्रीय सरकार के ककसी कायािलय में प्रयोग
यह घोषिा करता है कक उसने ऐसा ज्ञान
ककए जानेवाले रस्जस्टरों के प्रार्रप और शीषिक
प्राप्त कर र्लया है ; तो उसके बारे में यह
हहंदी और अंग्रेजी में होंगे ।
समझा जाएगा कक उसने हहंदी का कायिसाधक
(3) केंद्रीय सरकार के ककसी कायािलय में प्रयोग
प्राप्त कर र्लया है ।
के र्लए सभी नामपट्ट, सच
ू ना पट्ट, पि
(2) यहद केंद्रीय सरकार के ककसी कायािलय में
शीषि और र्लफाफों पर उत्कीिि लेख तथा
कायि करने वाले कमिचाररयों में से अस्सी
लेखन सामग्री की अन्य मदें हहंदी और
राजभाषा पुस्तिका 22
अंग्रेजी में र्लखी जाएंगी, महु द्रत या उत्कीिि (i)* यह सतु नस्श्चत करें कक अधधतनयम और इन
होंगी। तनयमों के उपबंधों और उप तनयम (2) के
परं तु यहद केंद्रीय सरकार ऐसा करना अधीन जारी ककए गए तनदे शों का समधु चत
आवश्यक समझती है तो वह, साधारि या र्रप से अनप
ु ालन हो रहा है और
ववशेष आदे श द्वारा केंद्रीय सरकार के ककसी (ii) इस प्रयोजन के र्लए उपयत
ु त और
कायािलय को इस तनयम के सभी या ककन्ही प्रभावकारी जांच के र्लए उपाय करें ।
उपबंधों से छूट दे सकती है। (2) केंद्रीय सरकार अधधतनयम और इन तनयमों
के उपबंधों के सम्यक अनप
ु ालन के र्लए
12. अनप
ु ालन का उत्तरदानयत्व - अपने कमिचाररयों और कायािलयों को समय-
(1) केंद्रीय सरकार के प्रत्येक कायािलय के समय पर आवश्यक तनदे श जारी कर सकती
प्रशासतनक प्रधान का यह उत्तरदातयत्व होगा है ।
कक वह-
* राजभाषा तनयम में 1987 में तनयम 12(1) के (i) में संशोधन इस प्रकार ककया गया-
12(1) का (i) - यह सुतनस्श्चत करें कक अधधतनयम और इन तनयमों के उपबंधों और उप तनयम (2) के अधीन जारी
ककए गए तनदे शों का समुधचत र्रप से अनुपालन हो रहा है ।
राजभाषा पुस्तिका 23
हहं दी प्रोत्साहन एवं पुरस्कार योजनाएं
राजभाषा पुस्तिका 24
रे ल मंत्री व्यस्क्िगि परु तकार में कथा संग्रह/उपन्यास और कहानी पस्
ु तक
इस योजना के अंतगित प्रततवषि हहंदी में लेखन पर प्रेमचन्द परु स्कार योजना चला रखी
प्रशंसनीय कायि करनेवाले रे ल कर्मियों को रे लवे है । पस्
ु तक लेखक की मौर्लक कृतत होनी चाहहए
के र्लए आवंहटत कोटा संख्या के हहसाब से और पहले कहीं से परु स्कृत न हो। ककसी अन्य
प्रशस्स्त-पि के साथ 3000/- र्रपये परु स्कार भाषा से ली गई अनहू दत अथवा सम्पाहदत
स्वर्रप प्रदान ककया जाता है। पस्
ु तकों पर ववचार नहीं ककया जाएगा। इस
योजना के अंतगित एक लेखक को लगातार दो
रे ल मंत्री राजभाषा शील्र्/ट्रॉफी परु तकार योजना
वषि तक परु स्कृत नहीं ककया जाएगा।
इस योजना के तहत रे ल मंिालय द्वारा ’क’,
प्रथम परु स्कार (एक) - 20,000/- र्रपए
’ख’ तथा ’ग’ क्षेि में स्स्थत प्रधान कायािलयों/
द्ववतीय परु स्कार (एक)- 10,000/- रूपए
मंडलों तथा उत्पादन कारखानों को राजभाषा में
तत
ृ ीय परु स्कार (एक) - 7,000/- रूपए
सविश्रेष्ठ कायि करने हे तु अलग-अलग शीलड,
रॉफी तथा चल वैजयंती प्रदान की जाती है । चुने मैधथलीशरण गप्ु ि परु तकार योजना
गए सविश्रेष्ठ आदशि स्टे शन/कारखाना को शीलड इस योजना के अंतगित सविश्रेष्ठ काव्य संग्रह के
के साथ-साथ 7000/-, 7000/- र्रपए की नकद र्लए परु स्कृत ककया जाता है । पस्
ु तक लेखक की
रार्श भी प्रदान की जाती है , स्जसे कमिचाररयों मौर्लक कृतत होनी चाहहए और पहले कहीं से
और अधधकाररयों के बीच समान र्रप से ववतररत परु स्कृत न हो। ककसी अन्य भाषा से ली गई
ककया जाता है । अनहू दत अथवा सम्पाहदत पस्
ु तकों पर ववचार
नहीं ककया जाएगा। इस योजना के अंतगित एक
लाल बहादरु शातत्री िकनीकी मौमलक पत
ु िक
लेखक को लगातार दो वषि तक परु स्कृत नहीं
लेखन योजना
ककया जाएगा।
रे लों से संबधं धत तकनीकी ववषयों पर मल
ू र्रप से
प्रथम परु स्कार (एक) - 20,000/- र्रपए
हहंदी में पस्
ु तकें र्लखने वाले प्रततभावान रे ल
द्ववतीय परु स्कार (एक)- 10,000/- रूपए
कर्मियों को प्रोत्साहहत करने के उद्दे श्य से रे लवे
तत
ृ ीय परु स्कार (एक) - 7,000/- रूपए
बोडि ने यह योजना लागू की है ।
पस्
ु तक मौर्लक रचना होनी चाहहए। पस्
ु तक का रे ल यात्रा वत्त
ृ ांि परु तकार योजना
ववषय रे ल संचालन या रे ल प्रबंध से संबधं धत आम लोगों और रे ल कर्मियों के रे ल यािा संबध
ं ी
होना चाहहए। पस्
ु तक सामान्यतः 100 पष्ृ ठ से अनभ
ु व के आधार पर प्रत्येक कलेंडर वषि में
कम नहीं होनी चाहहए। स्जन पस्
ु तकों को इस पाए गए सवोत्तम यािा वत्त
ृ ांत के र्लए
परु स्कार योजना के र्लए पहले प्रस्तत
ु ककया जा तनम्नानस
ु ार नकद परु स्कार प्रदान ककए जाते
चुका है , उन्हें दोबारा प्रस्तत
ु नहीं ककया जाए। है :-
इस योजना के अंतगित तनम्नर्लणखत रार्श प्रदान प्रथम परु स्कार (एक) - 10,000/- र्रपए
की जाती है । द्ववतीय परु स्कार (एक)- 8,000/- र्रपए
प्रथम परु स्कार (एक) - 20,000/- र्रपए तत
ृ ीय परु स्कार (एक) - 6,000/- र्रपए
द्ववतीय परु स्कार (एक)- 10,000/- रूपए सांत्वना परु स्कार (पांच)- 4,000/- र्रपए
तत
ृ ीय परु स्कार (एक) - 7,000/- रूपए
राजभाषा कीनिड परु तकार योजना
राजभाषा पुस्तिका 25
तनकायों और नगर राजभाषा कायािन्वयन लेख/तनबंध/कहानी - 500/- रूपए
सर्मततयों को परु स्कार स्वरूप राजभाषा शीलड कववता/रे खाधचि - 200/- रूपए
प्रदान करके सम्मातनत ककया जाता है ।
हहंदी परीक्षाएं पास करने पर परु तकार
राजभाषा गौरव परु तकार योजना गैर हहंदी भाषा-भावषयों के र्लए हहंदी प्रर्शक्षि के
इसके अंतगित तनम्नर्लणखत तीन परु स्कार अंतगित प्रबोध, प्रवीि और प्राज्ञ पाठ्यिम है ।
योजनाएं है ः- इन पाठयिमों की अवधध 5-5 महीनों की है । वे
(1) भारत के नागररकों के र्लए हहंदी में ज्ञान- पाठयिम पि
ू क
ि ार्लक हैं और इन्हें तनयत कायि
ववज्ञान मौर्लक पस्
ु तक लेखन परु स्कार हदवसों में परू ा ककया जाता है । पाठ्यिम की
(नकद के साथ प्रमािपि एवं स्मतृ त परीक्षा उत्तीिि करने पर प्रततभाधगयों को प्रमाि
धचह्न) प्रदान ककए जाते है ः- पि हदए जाते हैं तथा ववशेष योग्यता के साथ
प्रथम परु स्कार - 2,00,000/- रूपए परीक्षा उत्तीिि करने पर तनम्नर्लणखत रार्श
द्ववतीय परु स्कार - 1,25,000/- रूपए प्रदान की जाती है :
तत
ृ ीय परु स्कार - 75,000/- रूपए
70% से अधधक अंक प्राप्ि करने पर
सांत्वना परु स्कार(दस) - 10,000/- रूपए
प्रबोध को 1600/-, प्रवीि को 1800/-
(2) केन्द्र सरकार के कार्मिकों (सेवातनवत्त
ृ तथा प्राज्ञ को 2400/- र्रपए।
सहहत) के र्लए हहंदी में मौर्लक पस्
ु तक 60% से 69% िक अंक प्राप्ि करने
लेखन परु स्कार (नकद के साथ प्रमािपि पर प्रबोध को 800/-, प्रवीि को 1200/- तथा
एवं स्मतृ त धचह्न) प्रदान ककए जाते है ः- प्राज्ञ को 1600/- र्रपए।
प्रथम परु स्कार - 1,00,000/- रूपए 55% से 59% िक अंक प्राप्ि करने पर
द्ववतीय परु स्कार - 75,000/- रूपए प्रबोध को 400/-, प्रवीि को 600/- तथा
तत
ृ ीय परु स्कार - 60,000/- रूपए प्राज्ञ को 800/- र्रपए।
सांत्वना परु स्कार(दस) - 30,000/- रूपए हहंदी परीक्षाएं पास करने पर तनयमानस
ु ार एक
वषि हे तु वैयस्ततक वेतन भी हदया जाता है ।
(3) केन्द्र सरकार के कार्मिकों (सेवातनवत्त
ृ
ननजी प्रयत्नों से हहंदी परीक्षा पास करने पर
सहहत) के र्लए हहंदी में उत्कृष्ट लेख हे तु
कमडचाररयों को एकमश्ु ि परु तकार
परु स्कार (नकद के साथ प्रमािपि
प्रबोध - 1600/- रूपए
एवं स्मतृ त धचह्न) प्रदान ककए जाते है ः-
प्राज्ञ - 2400/- रूपए
हहंदी भाषी हहंदीतर भाषी
प्रवीि - 1500/- रूपए
प्रथम परु स्कार - 20,000/- 25,000/-
द्ववतीय परु स्कार– 18,000/- 22,000/- हहंदी टाइवपंग/हहंदी आशमु लवप परीक्षा ननजी िौर
तत
ृ ीय परु स्कार - 15,000/- 20,000/- पर पास करने पर एकमश्ु ि परु तकार
हहंदी टाइवपंग - 800/- रूपए
पत्रत्रका में प्रकामशि रचनाओं आहद के मलए
हहंदी आशर्ु लवप - 1500/- रूपए
मानदे य
रे लों द्वारा प्रकार्शत हहंदी पत्रिकाओं प्रकार्शत इसके र्लए टाइवपस्टों तथा हहंदी भाषा
आशर्ु लवपकों को 12 माह के र्लए एक वैयस्ततक
मल
ू लेखों, तनबंध, कहानी, कववताओं एवं वेतनवद्ृ धध के बराबर की रार्श का लाभ तथा
रे खाधचिों के र्लए तनम्नानस
ु ार नकद मानदे य हहंदीतर भाषी आशर्ु लवपकों को दो वेतनवद्
ृ धध के
हदए जाने का प्रावधान है - बराबर की रार्श का लाभ।
राजभाषा पुस्तिका 26
क्षे त्रीय रे ि अनिकाररयों के अद्यतन पदनाम
प्रमख
ु मख्
ु य कार्मिक अधधकारी प्रमक
ु ाधध
PRINCIPAL CHIEF PERSONNEL OFFICER PCPO
प्रमख
ु मख्
ु य धचककत्सा तनदे शक प्रमधु चतन
PRINCIPAL CHIEF MEDICAL DIRECTOR PCMD
राजभाषा पुस्तिका 27
प्रमख
ु मख्
ु य पररचालन प्रबंधक प्रमप
ु ररप्र
PRINCIPAL CHIEF OPERATION MANAGER PCOM
प्रमख
ु मख्
ु य यांत्रिक इंजीतनयर प्रमय
ु ांइं
PRINCIPAL CHIEF MECHANICAL ENGINEER PCME
मख्
ु य संरक्षा अधधकारी मस
ु धं ध
CHIEF SAFETY OFFICER CSO
मख्
ु य प्रशासतनक अधधकारी/तनमािि मप्र
ु शाअधध/तन.
CHIEF ADMINISTRATION OFFICE/CON CAO/Con
मख्
ु य यािी पररवहन प्रबंधक मय
ु ापररप्र
CHIEF PASSENGER TRAFFIC MANAGER CPTM
मख्
ु य मालभाडा पररवहन प्रबंधक मम
ु ाभापररप्र
CHIEF FREIGHT TRAFFIC MANAGER CFTM
मख्
ु य कारखाना इंजीतनयर मक
ु ाइं
CHIEF WORKSHOP ENGINEER CWE
मख्
ु य चल स्टाक इंजीतनयर मच
ु स्टाइं
CHIEF ROLLING STOCK ENGINEER CRSE
मख्
ु य र्सगनल इंजीतनयर मर्ु सइं
CHIEF SIGNAL ENGINEER CSE
मख्
ु य स्वास्थ्य तनदे शक मस्
ु वातन
CHIEF HEALTH DIRECTOR CHD
मंडल रे ल प्रबंधक मंरेप्र
DIVISIONAL RAILWAY MANAGER DRM
अपर मंडल रे ल प्रबंधक अमंरेप्र
ADDITIONAL DIVISIONAL RAILWAY MANAGER ADRM
मख्
ु य कारखाना प्रबंधक मक
ु ाप्र
CHIEF WORKSHOP MANAGER CWM
मख्
ु य धचककत्सा अधीक्षक मधु चधी
CHIEF MEDICAL SUPERINTENDENT CMS
वररष्ठ मंडल ववत्त प्रबंधक वमंववप्र
SENIOR DIVISIONAL FINANCE MANAGER SR.DFM
वररष्ठ राजभाषा अधधकारी वराधध
SENIOR RAJBHASHA ADHIKARI Sr.RBA
राजभाषा अधधकारी राधध
RAJBHASHA ADHIKARI RBA
राजभाषा पुस्तिका 28
हहंदी के प्रयोग के मलए वषड 2017-18 का वावषडक कायडक्रम
राजभाषा पुस्तिका 29
हहंदी के प्रयोग के मलए वषड 2017-18 का वावषडक कायडक्रम
12. नागररक चाटि र तथा जन 100% (द्ववभाषी) 100% (द्ववभाषी) 100% (द्ववभाषी)
सूचना बोडो आहद का प्रदशिन
(ii) मुख्यालय में स्स्थत 25%( न्यूनतम) 25%( न्यूनतम) 25%( न्यूनतम)
अनुभागों का तनरीक्षि
राजभाषा पुस्तिका 30
राजभाषा कायाान्वयन सनमनत
भा रत
राजभाषा कायािन्वयन को सच
सरकार
कायािलयों,उपिमों,बैंकों
ु ारू, सतु नयोस्जत और
के
आहद
सभी
में
कायािन्वयन की समीक्षा के र्लए सधचव, राजभाषा
ववभाग की अध्यक्षता में केन्द्रीय
कायािन्वयन सर्मतत गहठत है । मंिालयों/ववभागों
राजभाषा
प्रभावी ढं ग से संचार्लत करने के र्लए ववर्भन्न में राजभाषा हहंदी का कायि दे ख रहे प्रभारी
स्तरों पर राजभाषा सर्मततयों का गठन ककया अधधकारी (संयत
ु त सधचव स्तर) सर्मतत के पदे न
गया है । सदस्य होते हैं । इस सर्मतत की बैठक का
कुल 41 सदस्य हैं, स्जनमें छह मंिालयों-ववदे श सभी मंिालयों में भारत सरकार का राजभाषा
मंिालय, मानव संसाधन मंिालय, संचार और नीतत के कायािन्वयन को सच
ु ारू रूप से लागू
सच
ू ना प्रौद्योधगक मंिालय, रे लवे मंिालय, सच
ू ना कराने एवं उस पर तनगरानी रखने के र्लए
प्रसारि मंिालय तथा कार्मिक, जन र्शकायत और संबधं धत मंिालय के केत्रबनेट/राज्य मंिी की
पें शन ववभाग के मंिी शार्मल हैं। स्थावपत अध्यक्षता में एक सलाहकार सर्मतत गहठत है ,
व्यवस्था के अनस
ु ार इस सर्मतत में राज्यों का स्जनकी वषि में कम से कम दो बैठकें होनी
प्रतततनधधत्व छह राज्यों जैसे दे श के तीन भाषीय आवश्यक है ।
क्षेिों नामत: क, ख, ग, एवं प्रतत क्षेि से दो मख्
ु य
नगर राजभाषा कायाडन्वयन सममनि
मंत्रियों द्वारा ककया जाता है । वतिमान में छह
केन्द्र सरकार के दे श भर में फैले कायािलयों/
राज्यों असम, त्रबहार, केरल, ओडडशा,
ा पंजाब और
उपिमों/बैंकों आहद में राजभाषा के प्रयोग को
राजस्थान के मख्
ु यमंिी शार्मल हैं। संसदीय
बढ़ावा दे ने और भारत सरकार की राजभाषा नीतत
राजभाषा सर्मतत के उपाध्यक्ष और इसकी तीनों
के कायािन्वयन में आ रही कहठनाइयों को दरू
उप-सर्मततयों के संयोजक कुल र्मलाकर चार
करने के र्लए केन्द्र सरकार के 10 या 10 से
व्यस्तत इस सर्मतत के पदे न सदस्य हैं। इनके
अधधक कायािलयों वाले नगर ववशेष में स्स्थत
अततररतत दे श भर से 21 प्रख्यात ववद्यवान और
केन्द्रीय सरकार के कायािलयों/उपिमों/बैंको आहद
साहहत्यकार, और केन्द्रीय गह
ृ मंिालय के
के वररष्ठतम अधधकाररयों में से एक अधधकारी की
राजभाषा ववभाग के सधचव भी इसके सदस्य हैं।
अध्यक्षता में गह
ृ मंिालय, राजभाषा ववभाग के
केन्रीय राजभाषा कायाडन्वयन सममनि सधचव के अनम
ु ोदन से नगर राजभाषा कायािन्वयन
केन्द्र सरकार के मंिालयों/ववभागों में संववधान के सर्मतत गहठत की जाती है । वतिमान में परू े दे श
प्रावधानों, राजभाषा अधधतनयम, 1963, राजभाषा में 385 नगर राजभाषा कायािन्वयन सर्मततयां
संकलप, 1968 और राजभाषा तनयम 1976 के गहठत हैं। इस सर्मतत की वषि में 2 बैठकें
उपबंधों तथा संसदीय राजभाषा सर्मतत की आयोस्जत करना आवश्यक है । इन बैठकों में सभी
संस्ततु तयों के आलोक में महामहहम राष्रपतत के सदस्य कायािलयों/उपिमों/बैंको आहद में राजभाषा
आदे शों के अनस
ु ार सरकारी प्रयोजनों के र्लए हहंदी कायािन्वयन की समीक्षा की जाती है । सर्मतत
के अधधकाधधक प्रयोग, केन्द्र सरकार के द्वारा सदस्य कायािलयों में कायिरत अधधकाररयों /
कमिचाररयों के प्रर्शक्षि तथा राजभाषा ववभाग कमिचाररयों के र्लए समय-समय पर हहंदी
द्वारा समय-समय पर जारी ककए गए अनद
ु े शों के प्रर्शक्षि, प्रततयोधगताएं तथा हहंदी कायिशालाओं
राजभाषा पुस्तिका 31
आहद की व्यवस्था की जाती है । सर्मतत द्वारा ववभागाध्यक्ष, मंडलों के अपर मंडल रे ल प्रबंधक,
सरकारी कामकाज में हहंदी के प्रयोग को बढ़ाने के मख्
ु य कारखाना प्रबंधक, संबधं धत क्षेि में आने
र्लए सभी सदस्य कायािलयों को राजभाषा ववभाग वाले रे लवे भती बोडि के अध्यक्ष, रे ल दावा
द्वारा जारी वावषिक कायििम तथा समय-समय अधधकरि के अपर तनबंधक शार्मल हैं। यह
पर जारी ववर्भन्न आदे शों एवं हदशा तनदे शों के सर्मतत अपनी रे लवे में राजभाषा से संबधं धत
बारे में व्यापक जानकारी दी जाती हैं। महत्वपि
ू ि मद्
ु दों के संबध
ं में ववचार-ववमशि करती
है । इस सर्मतत की हर ततमाही में एक अथाित वषि
रे लवे पर गहठि राजभाषा कायाडन्वयन सममनियां
में चार बैठकें आयोस्जत की जाती है ।
उललेखनीय है कक रे ल मंिी जी की अध्यक्षता में
रे लवे हहंदी सलाहकार सर्मतत का गठन ककया मंर्ल राजभाषा कायाडन्वयन सममनि
जाता है स्जसकी वषि में दो बैठकें अपेक्षक्षत है । क्षेिीय रे लों के सभी मंडलों में संबधं धत मंडल रे ल
इसके अलावा तनम्नर्लणखत स्तर पर सर्मततयां प्रबंधक की अध्यक्षता में मंडल राजभाषा
कायिशील है ः- कायािन्वयन सर्मतत गहठत है । मंडल के सभी
शाखा अधधकारी इस सर्मतत के सदस्य हैं। इस
रे लवे बोर्ड राजभाषा कायाडन्वयन सममनि
सर्मतत की हर ततमाही में एक अथाित वषि में चार
रे ल मंिालय, रे लवे बोडि में राजभाषा हहंदी के
बैठकें आयोस्जत की जाती है ।
प्रयोग-प्रसार की समीक्षा करने के र्लए अध्यक्ष,
रे लवे बोडि की अध्यक्षता में रे लवे बोडि राजभाषा कारखाना राजभाषा कायाडन्वयन सममनि
राजभाषा पुस्तिका 32
कंप्यूटर में हहं दी यूननकोड सहिय करना
Start > Control Panel > Regional & Lan- Start > Control Panel > Regional and Lan-
guage Options > Languages Tab guage > Location – India.
Choose the Country – India. Tick the Check Keyboard and Languages Tab > Change
box to Install files for complex scripts... Keyboard > General Tab > Add > Hindi >
and click OK. Keyboard > Devnagari – INSCRIPT
वििंडोज़-10 के लिए
Hindi का चयि करें और Keyboard layout के
लिए Devnagari – INSCRIPT का चयि करके OK
Start > Setting > Time and Language >
दबाएं और कंप्यूटर Reboot करें। िीलजए आपके
Region and Language > Region – India >
कंप्यूटर में वििंदी यूविकोड सविय िो गया।
Select Language - Hindi
राजभाषा पुस्तिका 33
राजभाषा प्रश्नोत्तरी
वव
भागीय परीक्षाओं में हहंदी माध्यम का ववकलप दे ना एवं अन्य प्रश्नों के साथ-साथ राजभाषा ववषयक
प्रश्न हदया जाना अतनवायि है । ववभागीय परीक्षाओं में अकसर पछ
ू े जाने वाले प्रश्नों का उत्तर सहहत
वववरि तनम्नवत है ः-
प्र.1 भारत संघ की राजभाषा तया है ? उ. क्षेि (क) और क्षेि (ख) में तनहदिष्ट राज्यों
और संघ राज्य क्षेिों से र्भन्न अन्य
उ. दे वनागरी र्लवप में हहंदी
राज्य तथा संघ राज्य क्षेि
प्र.2 संसद में संववधान का भाग-17 ककस
तारीख को पाररत हुआ? प्र.9 हर साल हहंदी हदवस कब मनाया जाता है
प्र.3 राजभाषा अधधतनयम 1963 कब पाररत प्र.10 अर्रिाचल प्रदे श की राजभाषा तया है ?
हुआ? उ. अंग्रेजी
प्र.6 क क्षेि के अंतगित आने वाले राज्य कौन- प्र.13 राजभाषा नीतत की जानकारी दे ने वाले
अनच्
ु छे द 343 से 351 संववधान के ककस
कौन से हैं?
भाग में है ?
उ. त्रबहार, हररयािा, हहमाचल प्रदे श, मध्य
प्रदे श, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड उ. भाग 17
राजस्थान और उत्तर प्रदे श राज्य तथा प्र.14 राजभाषा अधधतनयम 1963 की धारा 7
अंडमान और तनकोबार द्वीप समह
ू , का संबध
ं ककसके साथ है ?
हदलली संघ राज्य क्षेि
उ. उच्च न्यायालय के तनिियों में हहंदी या
प्र.7 ख क्षेि के अंतगित आने वाले राज्य कौन अन्य राजभाषा के वैकस्लपक प्रयोग से
कौन से हैं? संबधं धत है ।
उ. गज
ु रात, महाराष्र और पंजाब राज्य तथा प्र.15 राजभाषा अधधतनयम 1963 की धाराएं 6
चंडीगढ़, दमि और दीव तथा दादरा और एवं 7 ककस राज्य में लागू नहीं होती?
नगर हवेली संघ राज्य क्षेि
उ. जम्मू एवं कश्मीर राज्य
प्र.8 ग क्षेि के अंतगित आने वाले राज्य कौन
प्र.16 ककन-ककन राज्यों में उदि ू को राजभाषा के
कौन से हैं?
रूप में घोवषत ककया गया है ?
राजभाषा पुस्तिका 34
उ. आंध्र प्रदे श एवं त्रबहार उ. 22 (असर्मया, बांग्ला, गज
ु राती, हहंदी,
कन्नड, कश्मीरी, कोंकिी, मलयालम,
प्र.17 रे ल मंिालय का तनरीक्षि संसदीय
मणिपरु ी, मराठी, नेपाली, उडडया, पंजाबी,
राजभाषा सर्मतत की कौन-सी उपसर्मतत
संस्कृत, र्संधी, तर्मल, तेलग
ु ,ू उदि ,ू बोडो,
करती है
संथाली, मैधथली, एवं डोगरी)
उ. दस
ू री उपसर्मतत
प्र.26 राजभाषा तनयम 1976 ककस राज्य पर
प्र.18 राजभाषा ववभाग में प्रयत
ु त राकास से
लागू नहीं होता?
आप तया समझते हैं?
उ. तर्मलनाडु
उ. राजभाषा कायािन्वयन सर्मतत
प्र.27 राजभाषा की संसदीय सर्मतत का मख्
ु य
प्र.19 केंद्र सरकार के कमिचाररयों के र्लए हहंदी
कायि तया है ?
के कौन-कौन से पाठ्यिम तनधािररत हैं?
उ. हहंदी के प्रगामी प्रयोग की समीक्षा करना
उ. प्रबोध, प्रवीि और प्राज्ञ
एवं राष्रपतत को प्रततवेदन दे ना।
प्र.20 केंद्रीय हहंदी सर्मतत के अध्यक्ष कौन हैं? प्र.28 प्रमख नगरों में गहठत नगर राजभाषा
ु
उ. प्रधानमंिी कायािन्वयन सर्मतत के अध्यक्ष कौन होते
हैं?
प्र.21 संबधं धत मंिालय या ववभाग में हहंदी के
प्रचार में प्रगतत की समीक्षा ककस सर्मतत उ. नगर के वररष्ठतम अधधकारी
राजभाषा पुस्तिका 35
उ. भाग-17 - सिहवें भाग उ. 9 नौ
प्र.34 केंद्र सरकार के र्लवपकीय कमिचाररयों के प्र.44 केंद्र सरकार के कमिचाररयों के र्लए कौन-
र्लए तनधािररत अंततम पाठ्यिम तया है ? सा कायािलय हहंदी परीक्षाएँ चलाता है ?
उ. प्राज्ञ उ. गह
ृ मंिालय के अधीन केन्द्रीय हहंदी
प्र.35 हहंदी पाठ्यिमों में प्रर्शक्षक्षत होने के र्लए प्रर्शक्षि संस्थान
केंद्र सरकार के कमिचाररयों को कौन-कौन
प्र.45 अनच्
ु छे द 344 के अनस
ु रि में राजभाषा
सी प्रर्शक्षि सवु वधाएँ उपलब्ध हैं?
आयोग की तनयस्ु तत कब हुई?
उ. तनयर्मत, गहन, पिाचार एवं तनजी
उ. वषि 1955 में
प्र.36 हहंदी पाठ्यिमों में प्रर्शक्षक्षत होने के र्लए
प्र.46 राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन थे?
कौन अहि होंगे?
उ. श्री बालासाहब गंगाधर खेर
उ. केन्द्र सरकार के श्रेिी घ व ऊपर के
प्र.47 राजभाषा आयोग की र्सफाररशों पर ववचार
अधधकारी एवं कमिचारी
करने के र्लए गहठत सर्मतत के अध्यक्ष
प्र.37 रे लवे स्टे शनों पर स्टे शन का नाम ककस
कौन थे?
िम में प्रदर्शित ककया जाता है ?
उ. श्री गोववन्द बललभ पंत
उ. िमशः प्रादे र्शक भाषा, हहंदी, अंग्रेज़ी
प्र.48 भारतीय संववधान में राजभाषा संबध
ं ी
प्र.38 आम जनता द्वारा प्रयोग ककए जाने वाले
भाग 6 में कौन-सा अनच्
ु छे द है ?
फामों को ककस िम में तैयार ककया जाता
उ. अनच्
ु छे द 210
है ?
प्र.49 वषि 1976 में गहठत संसदीय राजभाषा
उ. द्ववभाषी (हहंदी व अंग्रेज़ी)
सर्मतत के अध्यक्ष कौन थे?
प्र.39 रबड मह
ु रों को ककस प्रकार तैयार ककया
उ. तत्कालीन गह
ृ मंिी श्री ओम मेहता
जाना है ?
उ. हहंदी-अंग्रेज़ी द्ववभाषी रूप में - एक लाइन प्र.50 राजभाषा और राष्रभाषा में तया अंतर है ?
राजभाषा पुस्तिका 36
राजभाषा प्रश्नोत्तरी
मंिालय स्तर पर (अध्यक्ष- संबधं धत प्र.54 राजभाषा हहंदी ककस र्लवप में र्लखी जाती
केन्द्रीय मंिी) है ?
उ. 20 (बीस)
प्रेमचंद
अन्य नाम - नवाब राय
जन्म- 31 जुलाई, 1880 जन्म भमू म- लमही गाँव, वारािसी
मत्ृ यु - 8 अततब
ू र 1936 मत्ृ यु तथान- वारािसी, उत्तर प्रदे श
कमड-क्षेत्र अध्यापक, लेखक, उपन्यासकार
मुख्य रचनाएँ ग़बन, गोदान और बडे घर की बेटी
राजभाषा पुस्तिका 37
कोई काम शुरू करने से पहले,
तवयं से िीन प्रश्न कीस्जये –
जब गहराई से सोचने पर इन
प्रश्नों के संिोषजनक उत्तर
ममल जायें, िभी आगे बढें ।
... चाणक्य
राजभाषा पुस्तिका 38