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पर्यटन के लिए अवसंरचना लवकास लनवेश कार्यक्रम (पररर्ोजना ३)

लिमाचि प्रदे श राज्य

पयया वरण आकलन दस्तयवेज

प्रारं लिक पर्ायवरणीर् परीक्षा

एडीबी ऋण संख्यय ३२२३-IND

अं श ३

उप-पररर्ोजना - धमयशािा और मैकिोडगंज में प्रमुख मंलदर के

पररसर में पर्यटन के लिए शिरी बुलनर्ादी ढांचे का संरक्षण और


उन्नर्न।

जनवरी २०१६

लिमाचि प्रदे श सरकार द्वारा तैर्ार

यह आईईई उधयरकतया कय दस्तयवेज है ॰ यह जरूरी नहीं की इसमें व्यक्त ववचयर एडीबी के वनदे शक मं डल, प्रबंधन
यय कमा चयररय ं के ह
आईईई: धमा शयलय और मै कल डगंज में प्रमु ख मं वदर के पररसर में पयाटन के वलए शहरी बुवनययदी ढयंचे कय संरक्षण और उन्नयन,
आईडीआईपीटी (एचपी)

कार्यकारी सारांश

१. पृ ष्ठिूलम: पयाटन ववत्तप षण सुववधय (सुववधय) के वलए बुवनययदी ढयं चय ववकयस वनवेश कययाक्रम वहमयचल प्रदे श,
पंजयब, उत्तरयखं ड और तवमलनयडु के चयर भयग ले ने वयले रयज् ं में बुवनययदी शहरी ढयं चे और सेवयओं कय
ववकयस और सुधयर करे गय, ज आवथा क ववकयस के वलए प्रमु ख चयलक के रूप में पयाटन क्षे त्र कय समथा न करे गय॰
इस कययाक्रम में वनम्नवलखखत बयत ं पर ध्ययन वदयय जयएगय: (१) प्रमु ख पयाटन स्थल ं के बीच संपका क मजबूत
करनय; (२) बुवनययदी शहरी ढयं चे और सेवयओं में सुधयर करनय, जै से वक पयनी की आपूवता, सड़क और
सयवाजवनक पररवहन, ठ स अपवशष्ट प्रबंधन और मौजू दय और उभरते पयाटन स्थल ं पर पयया वरण में सुधयर,
तयवक आगंतुक ं के वलए शहरी सुववधयएं और सुरक्षय सुवनवित की जय सके और प्रकृवत और संस्कृवत-आधयररत
आकषा ण ं की रक्षय की जय सके; (३) पयाटन स्थल ं के बेहतर प्रबंधन के वलए संबंवधत क्षे त्र की एजें वसय ं और
स्थयनीय समु दयय ं के वलए क्षमतय वनमया ण कययाक्रम, और क्रमशः पयाटन से संबंवधत आवथा क गवतवववधय ं में
अवधक सवक्रय भयगीदयरी सुवनवित करनय॰
२. स्थान: भयगसूनयग मं वदर (३२°१४’३९.७०"N, ७६°२०'४. २२"E) धमा शयलय से लगभग ७ वकमी की दू री पर खस्थत
है , जबवक अग्रवयल महयदे व मं वदर पयलमपुर र ड पर धमा शयलय से लगभग ४ वकमी यय चयमुं डय दे वी जी मं वदर से
१२ वकमी दू र खस्थत है ॰
३. लनष्पादन और कार्ायन्वर्न एजेंलसर्ां: वनष्पयदन एजें सी, पयाटन और नयगररक उड्डयन, वहमयचल प्रदे श कय
एक ववभयग है ॰ पररय जनय प्रबंधन इकयई (PMU) वशमलय में समग्र वनष्पयदन क समखित करने के वलए
सेटअप है ॰ वशमलय में पररय जनय प्रबंधन सलयहकयर (पीएमसी) वनष्पयदन में पीएमयू क सहययतय प्रदयन करतय
है ॰ कययया ियन एजें सी पररय जनय कययया ियन इकयई (पीआईयू) है , वजसे वडजयइन पयावेक्षण सलयहकयर
(डीएससी) द्वयरय समवथा त वकयय जयनय है ॰ संपवत्त कय मयवलक मं वदर टर स्ट, नगर वनगम धमा शयलय, वजलय प्रशयसन
आवद है ॰
४. वगीकरण: उप-पररय जनय वजलय कयं गड़य में खस्थत है तथय इसे एसपीएस २००९ के अनु सयर पयया वरण श्रे णी बी के
रूप में वगीकृत वकयय गयय है क् वं क यहयाँ पर क ई महत्वपूणा प्रभयव की कल्पनय नहीं की गई है ॰ तदनु सयर यह
प्रयरं वभक पयया वरणीय परीक्षय (आएईई ) तैययर की गई है ज पयया वरणीय प्रभयव ं कय आकलन करती है और यह
सुवनवित करती है वक शमन और वनयंत्रण उपयय ं क प्रदयन करके सबप्र जे क्ट के पररणयमस्वरूप क ई
महत्वपूणा प्रभयव न ह ॰
५. उप-पररर्ोजना दार्रा: उक्त पररय जनय के प्रमु ख घटक ं क भयगसू नयग और अघंजर महयदे व में कययया खित
वकयय जयनय प्रस्तयववत है ॰ सयं स्कृवतक केंद्र, शौचयलय ब्लॉक (पुरुष और मवहलय द न ं के वलए अलग), कैफेटे ररयय,
भू वनमया ण, रे न शे ल्टर, सयइने ज, चौक सुधयर, बेंच, गेट, गयडा न आवद क दययरे में शयवमल वकयय जयएगय॰

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आईईई: धमा शयलय और मै कल डगंज में प्रमु ख मं वदर के पररसर में पयाटन के वलए शहरी बुवनययदी ढयंचे कय संरक्षण और उन्नयन,
आईडीआईपीटी (एचपी)

६. पर्ायवरण का वणयन: वजले कय पूरय क्षे त्र उत्तर-पविम से दवक्षण-पूवा तक वशवयवलक, धौलयधयर और वहमयलय की
बदलती ऊंचयई से वघरय है ॰ वजले की ऊंचयई समु द्र तल से ५०० मीटर से ५००० मीटर के बीच है ॰ यह उत्तर में
चंबय और लयहौल और स्पीवत वजल ं से वघरय हुआ है ॰ हमीरपुर और ऊनय द्वयरय दवक्षण में और पूवा में मं डी और
पविम में पंजयब के गुरदयसपुर वजले द्वयरय॰ वतामयन कयं गड़य वजलय १ वसतंबर, १९७२ क अखस्तत्व में आयय,
वजसके पररणयमस्वरूप वहमयचल प्रदे श सरकयर द्वयरय वजल ं कय संगठन वकयय गयय॰
७. पर्ायवरण प्रबं धन: एक पयया वरण प्रबंधन य जनय (ईएमपी) क आएईई के भयग के रूप में शयवमल वकयय गयय
है , वजसमें वनम्नवलखखत शयवमल हैं (१) कययया ियन के दौरयन पयया वरणीय प्रभयव ं के वलए शमन उपयय; (२) एक
पयया वरण वनगरयनी कययाक्रम, और शमन, वनगरयनी और ररप वटिं ग के वलए वजम्मेदयर संस्थयएाँ ; (३) सयवाजवनक
परयमशा और सूचनय प्रकटीकरण; और (४) वशकययत वनवयरण तंत्र॰ वडजयइन ं में संश धन करके कई प्रभयव ं
और उनके महत्व क पहले ही कम कर वदयय गयय है ॰ ईएमपी क वसववल वका वबवडं ग और अनु बंध दस्तयवेज ं
में शयवमल वकयय जयएगय॰
८. प्रिावों को कम करने के लिए प्रस्तालवत अवसंरचनाओं के स्थान और स्थिों पर लवचार लकर्ा गर्ा िै ।
प्रस्तयववत उप-पररय जनय (पैकेज संख्यय एचपीटीडीबी/१३/२) के वडजयइन में वनम्नवलखखत अवधयरणयएं पर
ववचयर वकयय गयय है (१) वडजयइन, सयमग्री और पैमयने स्थयनीय वयस्तु वशल्प, भौवतक, सयं स्कृवतक और भू वनमया ण
तत्व ं के अनु रूप ह ग
ं ी; (२) यथयसंभव स्थयनीय सयमग्री और श्रम के उपय ग क प्रयथवमकतय दी जयएगी; (३)
संरक्षण के वलए, आस-पयस के क्षे त्र में उपलब्ध स्थयनीय वनमया ण सयमग्री कय यथयसंभव उपय ग वकयय जयएगय; (४)
सभी पेंवटं ग कयया (आं तररक और बयहरी) पयया वरण के अनु कूल कम वयष्पशील कयबावनक यौवगक पेंट के सयथ
हग
ं े; (५) दीवयर की मरम्मत के कयम के वलए, स्थयनीय कुशल श्रम द्वयरय सीमें ट म टया र में स्थयनीय स्तर पर
उपलब्ध पत्थर के सयथ ययदृखिक मलबे की वचनयई कय उपय ग वकयय जयएगय; (६) यवद बैक वफवलं ग की
आवश्यकतय ह गी, त यह सयइट से ख दी गई सयमग्री द्वयरय की जयएगी; और (७) यह सुवनवित वकयय जयनय
चयवहए वक सयइट चयन के वलए सभी य जनय, वडजयइन और वनणाय सयवाजवनक परयमशा और प्रकटीकरण से
इनपुट क प्रवतवबंवबत करके और स्थयनीय समु दयय ं के परयमशा से वलए जयएं ॰
९. वनमया ण के चरण के दौरयन, वनस्पवत के नु कसयन कय ज खखम मु ख्य रूप से बेकयर वमट्टी और ववध्वं स सयमग्री की
मयत्रय के वनपटयन की आवश्यकतय से उत्पन्न ह तय है ॰ यह शहरी क्षे त्र ं में वनमया ण कय सबसे आम प्रभयव है , उनके
शमन के वलए अिी तरह से ववकवसत तरीक ं क लयगू वकयय जयतय है ॰ यह अनु शंसय की जयती है वक वनमया ण
कयया ऐसे समय में वकए जयएं जब क ई फसल न उगयई जयती है और वकसी भी असुववधय क कम करने के वलए
सवोत्तम वनमया ण वववधय ं क वनय वजत वकयय जयए॰ पररचयलन चरण में, सभी सुववधयएं और बुवनययदी ढयं चे
वनयवमत रखरखयव के सयथ कयम करें गे, वजससे पयया वरण क क ई प्रभयव नहीं पड़े ॰ मरम्मत कय कयम भी

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आईईई: धमा शयलय और मै कल डगंज में प्रमु ख मं वदर के पररसर में पयाटन के वलए शहरी बुवनययदी ढयंचे कय संरक्षण और उन्नयन,
आईडीआईपीटी (एचपी)

समय-समय पर वकयय जयएगय॰ इस वजह से पयया वरण पर प्रभयव बहुत कम ह गय क् वं क वनमया ण कयया वनयवमत
नहीं ह गय और इस तरह केवल छ टे क्षे त्र ं पर असर पड़े गय॰
१०. सभी नकयरयत्मक प्रभयव ं क स्वीकयया स्तर तक कम करने के वलए शमन उपयय ववकवसत वकए गए हैं ॰ वनमया ण
के दौरयन वकए जयने वयले पयया वरण वनगरयनी के एक कययाक्रम द्वयरय, शमन सुवनवित वकयय जयएगय॰ पयया वरण
वनगरयनी कययाक्रम यह सुवनवित करे गय वक सभी उपयय ं क लयगू वकयय जयए और यह वनधया ररत वकयय जयए वक
पयया वरण अिी तरह से संरवक्षत है यय नहीं॰ इसमें सयइट पर और ऑफ-सयइट दस्तयवेज़ जयं च, श्रवमक ं और
लयभयवथा य ं के सयथ सयक्षयत्कयर शयवमल ह ग
ं े॰ सुधयरयत्मक कयरा वयई के वलए आवश्यकतयओं पर एडीबी क
सूवचत वकयय जयएगय॰

११. आईईई क वहतधयरक ं द्वयरय औन- सयइट चचया और सयवाजवनक परयमशा के मयध्यम से ववकवसत वकयय गयय
थय॰ व्यक्त वकए गए ववचयर आईईई में और उप-पररय जनय की य जनय और ववकयस में शयवमल वकए गए थे ॰
आईईई क शहर के सयवाजवनक स्थयन ं पर उपलब्ध करययय जयएगय वजसके वलए एडीबी और वहमयचल प्रदे श
पयाटन वेबसयइट ं कय उपय ग वकयय जयएगय॰ पररय जनय के कययया ियन के दौरयन परयमशा प्रवक्रयय क जयरी
रखय जयएगय और उसमें ववस्तयर वकयय जयएगय तयवक वहतधयरक पररय जनय में पूरी तरह से व्यस्त रहे तथय
इसके ववकयस और कययया ियन में भयग ले ने कय पूरय अवसर ह ॰
१२. कयं गड़य क्षे त्र के पयाटक, व्यवसययी और नयगररक इस पररय जनय के प्रमु ख लयभयथी ह ग
ं े॰ शहर के पयाटक ं और
आबयदी के वलए सबसे अवधक ध्ययन दे ने य ग्य पयया वरणीय लयभ, सकयरयत्मक और बड़े ह ग
ं े क् वं क प्रस्तयववत
उप-पररय जनय (पैकेज संख्यय एचपीटीडीबी/१३/२) ववश्वसनीय और पयया प्त पयाटन सुववधयओं तक पहुं चने में
सुधयर करे गी और रयज् की स्थयनीय परं परयओं और सयं स्कृवतक ववरयसत कय प्रचयर करे गी॰ यह उप-पररय जनय
स्थयनीय परं परयओं और मू ल् ं के वलए एक सयमयन्य मं च भी प्रदयन करे गी, ज स्थयनीय समु दयय ं के वलए
व्ययवसयवयक अवसर ं क प्रदयन करने और सुधयरने के वलए सयं स्कृवतक और प्रयकृवतक ववरयसत पयाटन से जु ड़ी
ह गी॰
१३. परामशय, प्रकटीकरण और लशकार्त लनवारण: पररय जनय और आएईई की तैययरी में सयवाजवनक परयमशा
वकयय गयय थय॰ पररय जनय के कययया ियन की अववध के दौरयन भी वनयवमत परयमशा ह ग
ं े॰ एक वशकययत
वनवयरण तंत्र IEE के भीतर पररभयवषत वकयय गयय है तयवक यह सुवनवित वकयय जय सके वक वकसी भी सयवाजवनक
वशकययत ं क जल्दी से दू र वकयय जयए॰
१४. लनगरानी और ररपोलटिं ग: पयया वरण वनगरयनी के वलए पीएमयू, पीआईयू, पीएमसी और डीएससी वजम्मेदयर
हग
ं े॰ डीएससी के सयथ समिय में पीआईयू पीएमयू क मयवसक वनगरयनी ररप टा प्रस्तु त करे गय॰ इस आधयर पर
पीएमयू ईएमपी के कययया ियन पर एडीबी क अधा वयवषा क ररप टा प्रस्तु त करे गय, और एडीबी क पयया वरण
समीक्षय वमशन ं की अनु मवत दे गय ज पररय जनय के पयया वरणीय पहलु ओं की ववस्तयर से समीक्षय करे गय॰॰ एडीबी

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आईईई: धमा शयलय और मै कल डगंज में प्रमु ख मं वदर के पररसर में पयाटन के वलए शहरी बुवनययदी ढयंचे कय संरक्षण और उन्नयन,
आईडीआईपीटी (एचपी)

अपनी वेबसयइट पर पयया वरण वनगरयनी ररप टा प स्ट करे गय॰ गंभीर पयया वरणीय पररणयम ं वयले वकसी भी बड़े
हयदसे की सूचनय तुरंत दी जयएगी॰ पीएमसी पयया वरण ववशे षज्ञ पयया वरण प्रगवत ररप टा तैययर करने में मदद
करें गे॰
१५. लनष्कर्य और सुझाव: प्रस्तयववत उप-पररय जनय एचपीटीडीबी/१३/२ के कयरण क ई महत्वपूणा और प्रवतकूल
प्रभयव नहीं पड़े गय॰ वडजयइन, वनमया ण और संचयलन से जु ड़े संभयववत प्रभयव ं क उवचत इं जीवनयररं ग वडजयइन
और अनु शंवसत शमन उपयय ं और प्रवक्रययओं के वनगमन यय आवेदन के मयध्यम से कवठनयई के वबनय मयनक
स्तर तक कम वकयय जय सकतय है ॰ आईईई के वनष्कषों के आधयर पर, उप-पररय जनय कय क ई महत्वपूणा
प्रभयव नहीं ह गय क् वं क यह वगीकरण की श्रे णी बी में आतय है ॰ क ई और ववशे ष अध्ययन यय ववस्तृ त
पयया वरणीय प्रभयव मू ल्यं कन (ईआईए), एडीबी एसपीएस-१००९ यय भयरत सरकयर ईआईए अवधसूचनय १००६ के
अनु पयलन के वलए वकए जयने की आवश्यकतय नहीं है ॰

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