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ु मझ
ु को कब तक रोकोगे
मैं पत्थर पर ललखी इबारत हूूँ… मैं पत्थर पर ललखी इबारत हूूँ ..
शीशे से कब तक तोड़ोगे..
झक
ु -झक
ु कर सीधा खड़ा हुआ, अब कफर झक
ु ने का शौक नहीं..