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Shanigraha
Shanigraha
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श न क साढ़े साती और ढै या क वा त वकता
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श न साढ़े साती या वा तव म होती है , या यो त षय वारा बनाया गया एक हौआ ?
👉 साढ़े साती, ढै या एवं श न दशा के भाव 👉
कब क टदायी होती है साढ़े साती ?
या राजयोग भी दे ती ह साढ़े साती ?
👉वा त वकता, या म ?
👉आज से 50-60 वष पहले तक, श न के बारे म लोग इतने भयभीत नह ं थे. परु ाने शा
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म भी इसका बहुत
कम उ लेख है . पर इन वष म जगह- 2 श न महाराज के मं दर खलु गए ह और इन मं दर म भीड़ भी बढ़ गई
है . इस का एक मख ु कारण कुछ यो त षय वारा कया गया ामक चार है , जो उपाय , या कुछ य को
बेचने के उ दे य से कया जाता है . आजकल सरस / तल आ द तेल भी बहुत महँगे ह और उडद क (काल )
दाल के दाम तो मोद जी क सकार को बदनाम कर रहे ह. ऐसे म जगह-२ श न दे व महाराज क मू तयां रख
कर तेल और उडद बेच कर भी खब ू कमाई कई लोग करते ह.
👉श न का भाव
👉 जै मनी ऋ ष के अनसु ार क लयगु म श न का सबसे यादा भाव है । श न ह ि थरता का तीक है ।
कायकुशलता, गंभीर वचार, यान और वमश श न के भाव म आते ह। यह शांत, सहनशील, ि थर और ढ़
व ृ का होता है । उ लास, आनंद, स नता म गण ु वभाव म नह ं है ।
श न को यम भी कहते ह। श न क व तए ु ं नीलम, कोयला, लोहा, काल दाल, सरस का तेल, नीला क डा,
च डा आ द है । यह कहा जा सकता है क च मन का कारक है तथा श न बल या दबाव डालता है ।
👉श न क ि ट
👉 श न िजस रा श म ि थत होता है उससे ततृ ीय, स तम और दशम रा श पर पणू ि ट रखता है । ऐसा भी
माना जाता है , क श न जहाँ बैठता है , वहां तो हा न नह ं करता, पर जहाँ-२ उसक ि ट पड़ती है , वहां बहुत
हा न होती है (हालाँ क वा त वकता म यह भी दे खना पड़ता है , क बैठने/ ि ट का घर श न के म ह का है ,
या श ु ह, आ द)
👉म
👉 श न क साढ़े साती क शु आत को लेकर जहां कई तरह क वचारधाराएं मलती ह वह ं इसके भाव को
लेकर भी हमारे मन म म और कपोल कि पत वचार का ताना बाना बन ु ा रहता है । जन-मानस म इसके बारे
म बहुत सारे म भी या त ह। यह कसी भी ाणी को अकारण दं डत नह ं करता है । लोग यह सोच कर ह
घबरा जाते ह क श न क साढ़े साती शु हो गयी तो क ट और परे शा नय क शु आत होने वाल है ।
यो तषशा ी कहते ह जो लोग ऐसा सोचते ह वे अकारण ह भयभीत होते हवा तव म अलग अलग रा शय
के यि तय पर श न का भाव अलग अलग होता है ।
👉ल ण और उपाय
👉ल ण
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👉 िजस कार हर पीला दखने वाला धातु सोना नह ं होता उस कार जीवन म आने वाले सभी क ट का
कारण श न नह ं होता। आपके जीवन म सफलता और खु शय म बाधा आ रह है तो इसका कारण अ य ह
का कमज़ोर या नीच ि थ त म होना भी हो सकता है । आप अकारण ह श नदे व को दोष न द फर श न के
भाव म कमी लाने हे तु आव यक उपाय कर।
यो तषशा म बताया गया है क श न क साढ़े साती और ढै या आने के कुछ ल ण ह िजनसे आप खद ु जान
सकते ह क आपके लए श न शभ ु ह या तकूल।
जैसे घर, द वार का कोई भाग अचानक गर जाता है । घर के नमाण या मर मत म यि त को काफ धन खच
करना पड़ता है ।
र के अ धकांश सद य बीमार रहते ह, घर म अचानक अग लग जाती है , आपको बार-बार अपमा नत होना
पड़ता है । घर क म हलाएं अ सर बीमार रहती ह, एक परे शानी से आप जैसे ह नकलते ह दस ू र परे शानी सर
उठाए खड़ी रहती है । यापार एवं यवसाय म असफलता और नक ु सान होता है । घर म मांसाहार एवं मादक
पदाथ के त लोग का झान काफ बढ़ जाता है । घर म आये दन कलह होने लगता है । अकारण ह आपके
ऊपर कलंक या इ ज़ाम लगता है । आंख व कान म तकल फ महसस ू होती है एवं आपके घर से च पल जत ू े
गायब होने लगते ह, या ज द -ज द टूटने लगते ह। इसके अलावा अकारण ह लंबी दरू क या ाएं करनी
पड़ती है ।
नौकर एवं यवसाय म परे शानी आने लगती है । मेहनत करने पर भी यि त को पदो न त नह ं मल पाती है ।
अ धका रय से संबध ं बगड़ने लगते ह और नौकर छूट जाती है ।
यि त को अनचाह जगह पर तबादला मलता है । यि त को अपने पद से नीचे के पद पर जाकर काम करना
पड़ता है । आ थक परे शानी बढ़ जाती है । यापार करने वाले को घाटा उठाना पड़ता है ।
आजी वका म परे शानी आने के कारण यि त मान सक तौर पर उलझन म रहता है । इसका वा य पर भी
बरु ा भाव पड़ता है ।
यि त को जमीन एवं मकान से जड़ ु े ववाद का सामना करना पड़ता है ।
सगे-संबं धय एवं र तेदार म कसी पैतक ृ संप को लेकर आपसी मनमट ु ाव और मतभेद बढ़ जाता है । श न
महाराज भाइय के बीच द ू रयां भी बढ़ा दे ते ह।
श न का कोप जब कसी यि त पर होने वाला होता है तो कई कार के संकेत श न दे ते ह। इनम एक संकेत
है यि त का अचानक झठ ू बोलना बढ़ जाना।
👉उपाय
👉 श नदेव भगवान शंकर के भ त ह, भगवान शंकर क िजनके ऊपर कृपा होती है उ ह श न हा न नह ं
.
पहुंचाते अत: नय मत प से शव लंग क पज ू ा व अराधना करनी चा हए। पीपल म सभी दे वताओं का नवास
कहा गया है इस हे तु पीपल को आघ दे ने अथात जल दे ने से श न दे व स न होते ह। अनरु ाधा न म िजस
दन अमाव या हो और श नवार का दन हो उस दन आप तेल, तल स हत व ध पव ू क पीपल व ृ क पज ू ा
कर तो श न के कोप से आपको मिु त मलती है । श नदे व क स नता हे तु श न तो का नय मत पाठ
करना चा हए।
श न के कोप से बचने हे तु आप हनम ु ान जी क आराधाना कर सकते ह, य क शा म हनम
ु ान जी को
ावतार कहा गया है । आप साढ़े साते से मिु त हे तु श नवार को बंदर को केला व चना खला सकते ह। नाव
के तले म लगी क ल और काले घोड़े का नाल भी श न क साढ़े साती के कु भाव से आपको बचा सकता है अगर
आप इनक अंगठ ू बनवाकर धारण करते ह। लोहे से बने बतन, काला कपड़ा, सरस का तेल, चमड़े के जत ू ,े
काला सरु मा, काले चने, काले तल, उड़द क साबत ू दाल ये तमाम चीज़ श न ह से स बि धत व तए ु ं ह,
श नवार के दन इन व तओ ु ं का दान करने से एवं काले व एवं काल व तओ ु ं का उपयोग करने से श न क
स नता ा त होती है ।