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Parthiv pujan & rudrabhishek

ब्राह्मण ों की सोंख्या 3

कार्य दिवस 1

व्यर् 11000

कदिर्ु ग में दिव की पादथयव पू जा का दवधान भी है । पु राण ों के अनुसार श्री


राम ने रावण वध के पश्चात् ब्रह्महत्या ि ष से मु क्ति के दिए दमट्टी के
पादथयव दिों ग बनाकर उसका पू जन दकर्ा था | पादथयव दिोंग के दनमाय ण में
इस बात का ध्यान रखें दक र्ह 12 अों गुि से ऊोंचा नही ों ह । इससे अदधक
ऊोंचा ह ने पर पादथयव दिोंग पू जन का पु ण्य प्राप्त नही ों ह ता है । साथ ही ज
प्रसाि दिवदिोंग से स्पिय कर जाए, उसे ग्रहण नही ों करें ।

पादथयव पूजन से िाभ :-


 कार्यक्षेत्र में उन्नदत
 नवग्रह ि ष ों की िाोंदत
 स्वास्थ्य िाभ
 सफिता
 िु र्यटनाओों से बचाव
 तनाव एवों पाररवाररक उिझन ों से राहत

रािी के अनुसार दिव पूजन मन्त्र


मेष - ऊँ ह्रों जूों स:
वृ षभ - ऊँ ििीिेषरार् नम:
दमथु न - ऊँ महा कािेश्वरार् नम:
ककय - ऊँ त्र्यम्बकार् नम:
दसोंह - ऊँ व्य मार् पाय्र्र्ार् नम:
कन्या - ऊँ नम: कैिाि वादसने नों दिकेश्वरार् नम:
तु िा - ऊँ िदिमरदिने नम:
वृ दश्चक - ऊँ महाकािेश्वरार् नम:
धनु - ऊँ कपादिक भैरवार् नम:
मकर - ऊँ भव्यार् मर् भवार् नम:
कुम्भ - ऊँ कृत्सनार् नम:
मीन - दपोंङगिार् नम:

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