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11-02-2020 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन

"मीठे ब े - तु अपार खुशी होनी चािहए िक हम अभी पुराना कपड़ा छोड़ घर जायगे िफर नया कपड़ा नई दुिनया म लगे''
ः- डामा का कौन-सा राज़ अित सू समझने का है?
उ र:- यह डामा जूँ िमसल चलता रहता है, िटक-िटक होती रहती है। जसक जो ए चली वह िफर ब 5
हज़ार वष के बाद रपीट होगी, यह राज़ ब त सू समझने का है। जो ब े इस राज़ को यथाथ नहीं
समझते तो कह दे ते डामा म होगा तो पु षाथ कर लगे, वह ऊंच पद नहीं पा सकते।

ओम् शा । ब ों को बाप क पहचान िमली िफर बाप से वसा लेना है और पावन बनना है। कहते भी ह-हे पितत-पावन
आकर हमको पावन बनाओ ोंिक समझते ह हम पितत बुि ह। बुि भी कहती है यह पितत आइरन एजड दुिनया है। नई
दुिनया को सतो धान, पुरानी दुिनया को तमो धान कहा जाता है। तुम ब ों को अभी बाप िमला है, भ ों को भगवान् िमला
है, कहते भी ह भि के बाद भगवान् आकर भि का फल दे ते ह ोंिक मेहनत करते ह तो फल भी मांगते ह। भ ा
मेहनत करते ह सो तो तुम जानते हो। तुम आधाक भि माग म ध े खाकर थक गये हो। भि म ब त मेहनत क है।
यह भी डामा म नूँ ध ह। मेहनत क जाती है फायदे के लए। समझते ह भगवान् आकर भि का फल दे , तो फल दे ने वाला
िफर भी भगवान् ही रहा। भ भगवान को याद करते ह ोंिक भि म दु:ख है, तो कहते ह आकर हमारे दु:ख हरो, पावन
बनाओ।

कोई भी नहीं जानते ह िक अभी रावण रा है। रावण ने ही पितत बनाया है। कहते भी ह राम रा चािहए पर ु वह कब,
कै से होना है-कोई को भी यह पता नहीं है। आ ा अ र समझती है िक अब रावण रा है। यह है ही भि माग। भ ब त
नाच-तमाशे करते ह। खुशी भी होती है, िफर रोते भी ह। भगवान् के ेम म ऑसू आ जाते ह पर ु भगवान् को जानते नहीं।
जसके ेम म ऑसू आते ह, उनको जानना चािहए ना। च ों से तो कु छ िमल नहीं सकता। हाँ , ब त भि करते ह तो
सा ा ार होता है। बस वही उनके लए खुशी क बात है। भगवान् खुद ही आकर अपना प रचय दे ते ह िक म कौन ँ। म
जो ँ, जैसा ँ, दुिनया म कोई नहीं जानते। तु ारे म जो बाबा कहते ह उनम भी कोई प े ह, कोई क े ह। दे ह-अ भमान
टू टने म ही मेहनत लगती है। दे ही-अ भमानी बनना पड़े। बाप कहते ह तुम आ ा हो, तुम 84 ज भोग तमो धान बनी हो।
अभी आ ा को तीसरा ने िमला है। आ ा समझ रही है। तुम ब ों को सारे सृि च का नॉलेज बाप दे ते ह। बाप
नॉलेजफुल है तो ब ों को भी नॉलेज दे ते ह। कोई पूछे सफ तुम ही 84 ज लेते हो? बोलो-हाँ , हमारे म कोई 84, कोई
82 ज लेते ह। ब त म ब त 84 ज ही लेते ह। 84 ज उनके ह जो शु म आते ह। जो अ रीित पढ़कर ऊंच पद
पाते ह, वह ज ी आयगे। माला म नजदीक िपरोये जायगे। जैसे नया घर बनता रहता है तो िदल म आता ज ी बन जाये तो
हम जाकर बैठ। तुम ब ों को भी खुशी होनी चािहए-अभी हमको यह पुराने कपड़े छोड़ नये लेने ह। नाटक म ए स घ टा
आधा पहले से ही घड़ी को दे खते रहते ह, टाइम पूरा हो तो घर जाय। वह टाइम आ जाता है। तुम ब ों के लए बेहद क
घड़ी है। तुम जानते हो जब कमातीत अव ा को पायगे तो िफर यहाँ रहगे नहीं। कमातीत बनने लए भी याद म रहना पड़े,
बड़ी मेहनत है। नई दुिनया म तुम जाते हो िफर एक-एक ज म कला कम होती जाती है। नये मकान म 6 मास बैठो तो
कु छ न कु छ दाग़ आिद हो जाते ह ना। थोड़ा फक पड़ जाता है। तो वहाँ नई दुिनया म भी कोई तो पहले आयगे, कोई थोड़ा
दे री से आयगे। पहले जो आयगे उनको कहगे सतो धान िफर आिह े-आिह े कला कम होती जाती है। यह डामा का च जूँ
िमसल चलता रहता है। िटक-िटक होती रहती है। तुम जानते हो सारी दुिनया म जसक जो भी ए चलती है, यह च
िफरता रहता है। यह बड़ी सू बात ह समझने क । बाप अनुभव से सुनाते ह।

तुम जानते हो यह पढ़ाई िफर 5 हज़ार वष बाद रपीट होगी। यह बना-बनाया खेल है। इस च का िकसको पता नहीं है।
इसका ि येटर, डायरे र, मु ए र कौन है-कु छ भी नहीं जानते। अभी तुम ब ों को पता है - हम 84 ज भोग अब
वािपस जाते ह। हम आ ा ह। दे ही-अ भमानी बन तब खुशी का पारा चढ़े । वह है हद का नाटक, यह है बेहद का। बाबा हम
आ ाओं को पढ़ा रहे ह, यह नहीं बतायगे िक फलाने समय यह होगा। बाबा से कोई भी बात पूछते ह तो कहते ह डामा म जो
कु छ बताने का है वह बता दे ते ह, डामा अनुसार जो उ र िमलना था सो िमल गया, बस उस पर चल पड़ना है। डामा िबगर
बाप कु छ भी नहीं कर सकते ह। कई ब े कहते ह डामा म होगा तो पु षाथ कर लगे, वह कभी ऊंच पद पा नहीं सकते।
बाप कहते ह पु षाथ तुमको करना है। डामा तुमको पु षाथ कराता है क पहले मुआिफक। कोई डामा पर ठहर जाते ह िक
जो डामा म होगा, तो समझा जाता है इनक तकदीर म नहीं है। अब तुमको ृित आई है-हम आ ा ह, हम यह पाट बजाने
आये ह। आ ा भी अिवनाशी है, पाट भी अिवनाशी है। 84 ज ों का पाट आ ा म नूँ धा आ है िफर वही पाट बजायगे।
इसको कहा जाता है कु दरत। कु दरत का और ा िव ार करगे। अब मु बात है-पावन ज र बनना है। यही िफकरात है।
इसको कहा जाता है कु दरत। कु दरत का और ा िव ार करगे। अब मु बात है-पावन ज र बनना है। यही िफकरात है।
कम करते ए बाप क याद म रहना है। तुम एक माशूक के आ शक हो ना। एक माशूक को सब आ शक याद करते ह। वह
माशूक कहते ह अभी मुझे याद करो। म तुमको पावन बनाने आया ँ। तुम मुझे ही पितत-पावन कहते हो िफर मुझे भूल कर
गं गा को ों पितत-पावनी कहते हो? अभी तुमने समझा है तो वह सब छोड़ िदया है। तुम समझते हो बाप ही पितत-पावन
है। अब पितत-पावन कृ को समझ कभी याद नहीं करगे। पर ु भगवान् कै से आते ह-यह कोई नहीं जानते। कृ क
आ ा जो सतयुग म थी वह अनेक प धारण करते-करते अभी तमो धान बनी है िफर सतो धान बनती है। शा ों म यह भूल
कर दी है। यह भी भूल जब हो तब तो हम आकर अभुल बनाय ना। यह भूल भी डामा म ह, िफर भी होंगी। अब तुमको
समझाया है, शव भगवानुवाच। भगवान् कहते भी शव को ह। भगवान् तो एक ही होता है। सब भ ों को फल दे ने वाला
एक भगवान्। उनको कोई भी जान नहीं सकते। आ ा कहती है ओ गॉड फादर। वो लौिकक फादर तो यहाँ है िफर भी उस
बाप को याद करते ह, तो आ ा के दो फादर हो जाते ह। भि माग म उस फादर को याद करते रहते ह। आ ा तो है ही।
इतनी सब आ ाओं को अपना-अपना पाट िमला आ है। एक शरीर छोड़ िफर दूसरा ले पाट बजाना होता है। यह सब बात
बाप ही समझाते ह। कहते भी ह हम यहाँ पाट बजाने आये ह। यह एक मा वा है। उनम यह चांद- सतारे आिद सब बि यां
ह। इन सूय, चांद, सतारों को मनु दे वता कह दे ते ह ोंिक यह ब त अ ा काम करते ह, रम झम करते ह, िकसको
तकलीफ नहीं दे ते ह, सबको सुख दे ते ह। ब त काम करते ह इस लए इनको दे वता कह दे ते। अ ा काम करने वाले को
कहते ह ना-यह तो जैसे दे वता है। अब वा व म दे वताय तो सतयुग म थे। सब सुख दे ने वाले थे। सबक ीत थी इस लए
दे वताओं से उनक भट क है। दे वताओं के गुण भी गाये जाते ह। उ ों के आगे जाकर गाते ह-हम िनगुण हारे म कोई गुण
नाही, आप ही तरस परोई..... आपको तो तरस पड़ता होगा। बाप कहते ह तरस पड़ा है तब तो िफर से आया ँ, तुमको
गुणवान बनाने। तुम पू थे, अब पुजारी बने हो िफर पू बनो। हम सो का अथ भी तुमको समझाया है। मनु तो कह
दे ते-आ ा सो परमा ा, परमा ा सो आ ा। बाप कहते ह यह रांग है। तुम आ ा िनराकार थी िफर सो दे वता, ि य, वै ,
शू बनी। अभी सो ा ण वण म आई हो। आ ा पहले सतो धान, सतो, रजो, तमो म आती है। अभी तुम ब े समझते हो
यह नॉलेज बाबा क -क सं गमयुग पर हमको आकर दे ते ह। बरोबर भारत ग था, वहाँ िकतने थोड़े मनु होंगे। अभी
क लयुग है। सब धम आ गये ह। सतयुग म थोड़ेही कोई धम था। वहाँ होता ही है एक धम। बाक सब आ ाय चली जाती
ह। तुम जानते हो अभी इस पुरानी दुिनया का िवनाश सामने खड़ा है। बाप राजयोग सखला रहे ह। कोई भी आये, बोलो यह
बेहद क घड़ी है। बाप ने िद ि दे यह घड़ी बनवाई है। जैसे वह घड़ी तुम घड़ी-घड़ी दे खते हो, अब यह बेहद क घड़ी
याद पड़ती है। बाप ा ारा एक धम क ापना, शं कर ारा आसुरी दुिनया का िवनाश कराते ह। बुि भी कहती है-पा
िफरना ज र है। क लयुग के बाद सतयुग आयेगा। अभी मनु भी ब त ह, उप व भी ब त होते रहते ह। मूसल भी वही ह।
शा ों म तो िकतनी कथाय बना दी ह। बाप आकर वेदों-शा ों का सार समझाते ह। मु धम भी 4 ह। यह ा ण धम है
पांचवा। सबसे ऊंच ते ऊंच यह है छोटा धम। य क स ाल करने वाले ा ण ह। यह ान य है। उप व को िमटाने के
लए य रचते ह, वह समझते ह - यह लड़ाई आिद न लगे। अरे लड़ाई नहीं लगेगी तो सतयुग कै से आयेगा, इतने सब मनु
कहाँ जायगे! हम सब आ ाओं को ले जाते ह तो ज र शरीर यहाँ छोड़ना पड़े। तुम पुकारते भी हो-हे बाबा, आकर हमको
पितत से पावन बनाओ।

बाप कहते ह हमको ज र पुरानी दुिनया का िवनाश कराना होगा। पावन दुिनया है ही सतयुग, सबको मुि धाम ले जाता ँ।
सब काल को तो बुलाते ह ना। यह नहीं समझते िक हम तो कालों के काल को बुलाते ह। बाप कहते ह यह भी डामा म नूँ ध
है। आ ाओं को छ -छ दुिनया से िनकाल शा धाम ले जाता ँ। यह तो अ बात है ना। तुमको मुि म जाकर िफर
जीवनमुि म आना है िफर जीवनबं ध म। इतने सब सतयुग म तो नहीं आयगे िफर न रवार आयगे इस लए अब शा धाम
और सुखधाम को याद करो। िपछाड़ी म जो आते ह, उ ों का तो पाट ही थोड़ा है। पहले ज र वह सुख पायगे। तु ारा पाट
सबसे ऊंच है। तुम ब त सुख पाते हो। धम ापक तो सफ धम क ापना करते, िकसी को लबरेट नहीं करते। बाप तो
भारत म आकर सबको ान दे ते ह। वही सबका पितत-पावन है, सबको लबरेट करते ह। और धम ापक कोई स ित करने
नहीं आते, वह आते ह धम ापन करने। वह कोई शा धाम-सुखधाम म नहीं ले जाते, सबको शा धाम, सुखधाम म बाप
ही ले जाते ह। जो दु:ख से छु ड़ाए सुख दे ते ह, उनके ही तीथ होते ह। मनु समझते नहीं, वा व म स ा तीथ तो एक बाबा
का ही है। मिहमा भी एक क ही है। सब उनको पुकारते ह-हे लबरेटर आओ। भारत ही स ा तीथ है, जहाँ बाप आकर
सबको मुि -जीवनमुि दे ते ह। तो तुम िफर भि माग म उनके बड़े-बड़े म र बनाते हो। हीरे-जवाहरों के म र बनाते हो।
सोमनाथ का म र िकतना खूबसूरत बनाते ह और अभी दे खो बाबा कहाँ बैठे ह, पितत शरीर म, पितत दुिनया म। तुम ही
पहचानते हो। तुम बाबा के मददगार बनते हो। औरों को रा ा बताने म जो मदद करेगा उनको ऊंच पद िमलेगा। यह तो
कायदा है। बाप कहते ह मेहनत करो। ब तों को रा ा बताओ िक बाप और वस को याद करो। 84 का च तो सामने ह,
यह है जैसे अ ों के आगे आइना। यह डामा ब रपीट होता है िफर भी मुझे कोई नहीं जानेगा। ऐसे नहीं िक मेरा म र

लूटते ह तो म कु छ क ँ । डामा म लूटने का ही है, िफर भी लूट ले जायगे। मुझे बुलाते ही ह पितत से पावन बनाओ तो म
लूटते ह तो म कु छ क ँ । डामा म लूटने का ही है, िफर भी लूट ले जायगे। मुझे बुलाते ही ह पितत से पावन बनाओ तो म
आकर तुम ब ों को पढ़ाता ँ। डामा म िवनाश क भी नूँ ध है, सो िफर भी होगा। म कोई फूंक नहीं दे ता ँ िक िवनाश हो
जाए। यह मूसल आिद बने ह-यह भी डामा म नूध है। म भी डामा के बं धन म बांधा आ ँ। मेरा पाट सबसे बड़ा है-सृि को
बदलना, पितत से पावन बनाना। अब समथ कौन? म या डामा? रावण को भी डामा अनुसार आना ही है। जो नॉलेज मेरे म है,
वह आकर दे ता ँ। तुम शवबाबा क सेना हो। रावण पर जीत पाते हो। बाप कहते ह से स खोलते रहो। म आता ँ पढ़ाने।
म कु छ लेता नहीं ँ। पैसे जो कु छ ह वह इसम सफल करो। ऐसे भी नहीं सब खलास कर भूख मरो। भूख कोई मर नहीं
सकता। बाबा ने सब कु छ िदया िफर भूख मरते ह ा? तुम भूख मरते हो ा? शवबाबा का भ ारा है। आजकल तो दुिनया
म दे खो िकतने मनु भूख मरते रहते ह। अभी तुम ब ों को तो बाप से पूरा वसा लेने का पु षाथ करना है। यह है हानी
नेचर ोर। िब ु ल स ुल बात सफ मुख से कहते ह म नाभव। आ ा को ोर करते ह इस लए बाप को अिवनाशी
सजन भी कहते ह। कै सा अ ा ऑपरेशन सखलाते ह। मुझे याद करो तो तु ारे सब दु:ख दूर हो जायगे। पावत राजा बन
जायगे। इन कांटों के जं गल म रहते ए ऐसे समझो िक हम फूलों के बगीचे म जा रहे ह। घर जा रहे ह। एक-दो को याद
िदलाते रहो। अ ाह को याद करो तो बे बादशाही िमल जायेगी। अ ा!

मीठे -मीठे सक लधे ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद- ार और गुडमॉिनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े।

धारणा के लए मु सार:-

1) ऊंच पद पाने के लए बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है। अ ों को रा ा िदखाना है। बेहद क घड़ी को सदा याद रखना
है।

2) य क स ाल करने के लए स ा-स ा ा ण बनना है। पैसे आिद जो ह उ सफल कर बाप से पूरा-पूरा वसा लेना
है।

वरदान:- -उ ित ारा सेवा म उ ित करने वाले स े सेवाधारी भव


-उ ित सेवा क उ ित का िवशेष आधार है। -उ ित कम है तो सेवा भी कम है। सफ िकसी को मुख
से प रचय दे ना ही सेवा नहीं है लेिकन हर कम ारा े कम क ेरणा दे ना यह भी सेवा है। जो म ा-
वाचा-कमणा सदा सेवा म त र रहते ह उ सेवा ारा े भा का अनुभव होता है। जतनी सेवा करते
उतना यं भी आगे बढ़ते ह। अपने े कम ारा सेवा करने वाले सदा फल ा करते रहते ह।
ोगन:- समीप आने के लए सोचना-बोलना और करना समान बनाओ।

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