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bc428bd0-58c9-11ea-9646-fda9f3934abc
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25/02/1988 12:55 PM
Gokarn, Karnataka, India
सामान्य कुं डली िववरण
वणर् वैश्य
अयनांश 23:41:30
वश्य चतुष्पद
सूयोर्दय 6:52:20
योिन सपर्
सूयार्स्त 18:39:44
गण मनुष्य
पर्हर 4 नामाक्षर वो
लग्न वृष
2 os.me
गर्ह िस्थित
गर्ह वकर्ी जन्म रािश अंश रािश स्वामी नक्षतर् नक्षतर् स्वामी भाव
लाभपर्द हािनपर्द सम
शिन राहु के तु
धनु मीन कन्या
मूल पूवर् भादर्पद उत्तर फाल्गुनी
योगकारक -- --
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जन्म कुं डली
लग्न कुं डली
व्यिक्त के जन्म के समय आकाश में पूवीर् िक्षितज जो रािश उिदत होती
गु
शु
है , उसे ही उसके लग्न की संज्ञा दी जाती है । जन्म कुण्डली में 12 भाव
3 1
4 चं 12 होते है । इन 12 भावों में से पर्थम भाव को लग्न कहा जाता है । कुण्डली
रा में अन्य सभी भावों की तुलना में लग्न को सबसे अिधक महत्व पूणर्
के 6 10 बु
7 9
मं श
गु चं रा
शु मं
3 1 6 4
4 चं 12 7 3 श
रा बु
2 5
5 11 सू 8 2 गु
8 11
के 6 10 बु शु 1
9
7 9 10 12
मं श सू के
लग्न कंुडली के बाद िजस रािश में चंदर्मा होता है उसे लग्न मानकर एक और कंुडली का नवांश कुण्डली को नौ भागों में बांटा जाता है , िजसके आधार पर जन्म कुण्डली का
िनमार्ण होता है जो चन्दर् कंुडली कहलाती है । चंदर् कंुडली का भी फिलत ज्योितष में लग्न िववेचन होता है । नवांश कुण्डली में यिद गर्ह अच्छी िस्थित या उच्च के हों तो वगोर्त्तम की
कंुडली िजतना ही महत्त्व है । लग्न शरीर, तो चंदर् मन का कारक है और वे एक दूसरे के िस्थत उत्पन्न होती है और व्यिक्त शारीिरक व आित्मक रुप से स्वस्थ हो शुभ दायक िस्थित
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िवम्शोत्तरी दशा - I
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िवम्शोत्तरी दशा - II
के तु शुकर् सूयर्
वत्तर्मान दशा
* ध्यान द
देंें - सभी िदनांक दशा समािप्त को दशार्ते ह
हैं।ैं
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लग्न फल
लग्न फल - वृष
स्वामी शुकर्
पर्तीक बैल
वृषभ रािश के व्यिक्त बलवान,अनवरत, दृढ़-संकल्पी धीरे धीरे स्वयं को बदलने वाले ,िस्थर, शांत(जब तक बहुत
परेशान ना िकया जाए—अन्यथा जंजाल का कारण ) - वफादार, व्यावहािरक, िज़द्दी, गैर आकर्ामक, सहनशील,
स्नेही, पिरशर्मी , िनिष्कर्य और सामान्यतः अिभमानी और मन की एक सामान्य धीमी गित के साथ अपनी आस्थाओं
वृषभ रािश के व्यिक्त िकसी के नेतृत्व में या,मान-मनोव्वल से तो कायर् कर सकते हैं लेिकन उनसे जोर ज़बरदस्ती से
कुछ भी नहीं करवाया जा सकता । संसाधन और संपित्त, चाहे वह व्यिक्त हों या िवत्त, आप के िलए बहुत महत्वपूणर् हैं ।
आप दूसरों द्वारा आरम्भ िकये गए कायोर्ं को सफलता पूवर्क गर्हण कर लेते हैं और आगे ले जाते हैं । सच्ची दृढ़ता और
इच्छा से आपको सफलता पर्ाप्त होती है । मीठे या स्वािदष्ट भोजन से आपका प्यार को आप के वजन को बढ़ा सकता
है ।
आप जो भी कायर् करें उसे कम सख्ती से करने की की कोिशश करें । अपने अन्दर ईष्यार् की भावना और हावी होने
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की पर्वृित्त को पनपने ना दें । बीमारी और ददर् से आप डरते भी हैं और घृणा भी करते हैं ।
“ वृषभ रािश का स्वामी शुकर् है , इसिलए शुकर् आपकी कुण्डली में महत्वपूणर्
होगा l
अनासिक्त
सकारात्मक लक्षण
नकारात्मक लक्षण
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