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हये ये ल बी कहानी (लघु उप यास) दरअसल अपने रह यमय कथानक क भांित ही,
अपने पीछे भी कह अ ात म, कहानी के अित र , एक और ऐसा सच िलये हये है ।
जो इसी कहानी क भािं त ही अ य त रह यमय है ?
य िक यह कहानी िसफ़ एक कहानी न होकर उन सभी घटनाकृम का एक माकूल
जबाब था । नाटक का अ त था और पटा ेप था । िजसके बारे म िसफ़ िगने चनु े लोग
जानते थे । और वो भी य का य नह जानते थे ।
खैर..कहानी क शैली थोङी अलग, िविच सी, िदमाग घमु ाने वाली, उलझा कर रख
देने वाली है, और सबसे बङी खास बात ये है िक भले ही आप घोर उ सक ु ता वश
ज दी से कहानी का अ त पहले पढ़ ल । म य, या बीच बीच म कह भी पढ़ ल । जब
तक आप परू ी कहानी को गहराई से समझ कर शु से अ त तक नही पढ़ लेते ।
कहानी समझ ही नह सकते ।
और जैसा िक मेरे सभी लेखन म होता है िक वे सामा य दिु नयावी लेखन क तरह न
होकर िविश िवषय और िवशेष साम ी िलये होते ह ।
- राजीव कुल े ।
आगरा
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कामवासना
(एक अजीब और रह यमय कथानक)
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