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खुद को गुमराह न होने दें , गलत सूचना का शिकार न बनें

नागररकता संिोधन कानून के तथ्ों को सही प्रकार से समझें

प्रश्न-1. क्या CAA में ही NRC शनशहत है ?

जवाब – ऐसा नह ीं है। CAA अलग कानून है और NRC एक अलग प्रक्रिया है। CAA सींसद से
पाररत होने के बाद दे शभर में लागू हो चुका है , जबक्रक दे श के क्रलए NRC के क्रनयम व प्रक्रिया
तय होने अभ बाक हैं। असम में जो NRC क प्रक्रिया चल रह है , वह मानन य सवोच्च
न्यायालय के आदे श और असम समझौते के तहत क गई है।

प्रश्न-2. क्या भारतीय मुसलमानों को CAA और NRC को लेकर शकसी प्रकार परे िान
होने की जरूरत है ?

जवाब : क्रकस भ धमम को मानने वाले भारत य नागररक को CAA या NRC से परे शान होने
क कोई जरूरत नह ीं है।

प्रश्न-3. क्या NRC शसर्फ मुस्लिमों के शलए ही होगा?

जवाब – क्रबल्कुल नह ीं। इसका क्रकस धमम से कोई लेना-दे ना नह ीं है। यह भारत के सभ
नागररकोीं के क्रलए होगा। यह नागररकोीं का केवल एक रक्रजस्टर है , क्रजसमें दे श के हर नागररक
को अपना नाम दजम कराना होगा।

प्रश्न-4. क्या NRC में धाशमफक आधार पर लोगों को बाहर रखा जाएगा?

जवाब : नह ,ीं NRC क्रकस धमम के बारे में क्रबल्कुल भ नह ीं है । जब NRC लागू क्रकया जाएगा,
वह न तो धमम के आधार पर लागू क्रकया जाएगा और न ह उसे धमम के आधार पर लागू क्रकया
जा सकता है। क्रकस को भ क्रसर्म इस आधार पर बाहर नह ीं क्रकया जा सकता क्रक वह क्रकस
क्रवशेष धमम को मानने वाला है।

प्रश्न –5. क्या NRC के जररये मुस्लिमों से भारतीय होने का सबूत मांगा जाएगा?
जवाब – सबसे पहले आपके क्रलए ये जानना जरूर है क्रक राष्ट्र य स्तर पर NRC जैस कोई
औपचाररक पहल शुरू नह ीं हुई है। सरकार ने न तो कोई आक्रधकाररक घोषणा क है और न
ह इसके क्रलए कोई क्रनयम-कानून बने हैं । भक्रवष्य में अगर ये लागू क्रकया जाता है तो यह नह ीं
समझना चाक्रहए क्रक क्रकस से उसक भारत यता का प्रमाण माीं गा जाएगा।
NRC को आप एक प्रकार से आधार कार्म या क्रकस दू सरे पहचान पत्र जैस प्रक्रिया से समझ
सकते हैं । नागररकता के रक्रजस्टर में अपना नाम दजम कराने के क्रलए आपको अपना कोई भ
पहचान पत्र या अन्य दस्तावेज दे ना होगा, जैसा क्रक आप आधार कार्म या मतदाता सूच के
क्रलए दे ते हैं ।

प्रश्न-6. नागररकता कैसे दी जाती है ? क्या यह प्रशिया सरकार के हाथ में होगी?

जवाब : नागररकता क्रनयम 2009 के तहत क्रकस भ व्यक्ति क नागररकता तय क जाएग ।


ये क्रनयम नागररकता कानून, 1955 के आधार पर बना है । यह क्रनयम सावमजक्रनक रूप से
सबके सामने है। क्रकस भ व्यक्ति के क्रलए भारत का नागररक बनने के पाीं च तर के हैं ।
1. जन्म के आधार पर नागररकता
2. वींश के आधार पर नागररकता
3. पींज करण के आधार पर नागररकता
4. दे श यकरण के आधार पर नागररकता
5. भूक्रम क्रवस्तार के आधार पर नागररकता

प्रश्न-7. जब कभी NRC लागू होगा, तो क्या हमें अपनी भारतीय नागररकता साशबत
करने के शलए अपने माता-शपता के जन्म का शििरण उपलब्ध कराना पडे गा?

जवाब : आपको अपने जन्म का क्रववरण जैसे जन्म क तार ख, माह, वषम और स्थान के बारे में
जानकार दे ना ह पयामप्त होगा। अगर आपके पास अपने जन्म का क्रववरण उपलब्ध नह ीं है
तो आपको अपने माता-क्रपता के बारे में यह क्रववरण उपलब्ध कराना होगा। लेक्रकन कोई भ
दस्तावेज माता-क्रपता के द्वारा ह प्रस्तुत करने क अक्रनवायमता क्रबल्कुल नह ीं होग । जन्म क
तार ख और जन्मस्थान से सींबींक्रधत कोई भ दस्तावेज जमा कर नागररकता साक्रबत क जा
सकत है । हालाींक्रक अभ तक ऐसे स्व कायम दस्तावेजोीं को लेकर भ क्रनणमय होना बाक है।
इसके क्रलए वोटर कार्म , पासपोटम , आधार, लाइसेंस, ब मा के पेपर, जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल
छोड़ने का प्रमाणपत्र, जम न या घर के कागजात या क्रर्र सरकार अक्रधकाररयोीं द्वारा जार
इस प्रकार के अन्य दस्तावेजोीं को शाक्रमल करने क सींभावना है । इन दस्तावेजोीं क सूच
ज्यादा लींब होने क सींभावना है ताक्रक क्रकस भ भारत य नागररक को अनावश्यक रूप से
परे शान न उठाना पड़े ।
प्रश्न-8. अगर NRC लागू होता है तो क्या मुझे 1971 से पहले की िंिािली को साशबत
करना होगा?

जवाब: ऐसा नह ीं है। 1971 के पहले क वींशावल के क्रलए आपको क्रकस प्रकार के पहचान
पत्र या माता-क्रपता / पूवमजोीं के जन्म प्रमाण पत्र जैसे क्रकस भ दस्तावेज को प्रस्तुत करने क
जरूरत नह ीं है । यह केवल असम NRC के क्रलए मान्य था, वो भ ‘असम समझौता’ और
मानन य सवोच्च न्यायालय के क्रनदे श के आधार पर। दे श के बाक क्रहस्ोीं के क्रलए The
Citizenship (Registration of Citizens and Issue of National Identity Cards)
Rules, 2003 के तहत NRC क प्रक्रिया पूर तरह से अलग है।

प्रश्न-9. अगर पहचान साशबत करना इतना ही आसान है तो शर्र असम में 19 लाख
लोग कैसे NRC से बाहर हो गए?

जवाब - असम क समस्या को पूरे दे श से जोड़ना ठ क नह ीं है । वहाीं घुसपैठ क समस्या लींबे


समय से चल आ रह है। इसके क्रवरोध में वहाीं 6 वषों तक आीं दोलन चला है। इस घुसपैठ क
वजह से राज व गाींध सरकार को 1985 में एक समझौता करना पड़ा था। इसके तहत
घुसपैक्रठयोीं क पहचान करने के क्रलए 25 माचम, 1971 को कट ऑर् र्े ट माना गया, जो
एनआरस का आधार बना।

प्रश्न-10. क्या NRC के शलए मुस्लिल और पुराने दस्तािेज मांगे जाएं गे, शजन्हें जुटा पाना
बहुत मुस्लिल होगा?

जवाब – पहचान प्रमाक्रणत करने के क्रलए बहुत सामान्य दस्तावेज क जरूरत होग । राष्ट्र य
स्तर पर NRC क घोषणा होत है तो उसके क्रलए सरकार ऐसे क्रनयम और क्रनदे श तय करे ग
क्रजससे क्रकस को कोई परे शान न हो।

सरकार क यह मींशा नह ीं हो सकत क्रक वह अपने नागररकोीं को परे शान करे या क्रकस
क्रदक्कत में र्ाले!

प्रश्न-11. अगर कोई व्यस्लि पढा-शलखा नही ं है और उसके पास संबंशधत दस्तािेज नही ं
हैं तो क्या होगा?
जवाब : इस मामले में अक्रधकार उस व्यक्ति को गवाह लाने क इजाजत दें गे। साथ ह अन्य
सबूतोीं और Community Verification आक्रद क भ अनुमक्रत दें गे। एक उक्रचत प्रक्रिया का
पालन क्रकया जाएगा। क्रकस भ भारत य नागररक को अनुक्रचत परे शान में नह ीं र्ाला जाएगा।

प्रश्न-12. भारत में एक बडी तादाद में ऐसे लोग हैं , शजनके पास घर नही ं हैं , गरीब हैं और
पढे -शलखे नही ं हैं , और उनके पास पहचान का कोई आधार भी नही ं है , ऐसे लोगों का
क्या होगा?

जवाब – यह सोचना पूर तरह से सह नह ीं है। ऐसे लोग क्रकस न क्रकस आधार पर ह वोट
र्ालते हैं और उन्हें सरकार क कल्याणकार योजनाओीं का लाभ क्रमलता है । उस के आधार
पर उनक पहचान स्थाक्रपत हो जाएग ।

प्रश्न-13. क्या NRC शकसी ट् ांसजेंडर, नास्लस्तक, आशदिासी, दशलत, मशहला और


भूशमहीन लोगों को बाहर करता है , शजनके पास दस्तािेज नही ं हैं ।

जवाब : नह ,ीं NRC जब कभ भ लागू क्रकया जाएगा, ऊपर बताए गए क्रकस भ समूह को
प्रभाक्रवत नह ीं करे गा।

अपना स्वाथफ साधने िालों के बहकािे में न आकर खुद पढें , समझें और
शर्र इस मामले में शििेक से अपनी राय बनाएं ।

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