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पंचां ग ौहार कैलडर त मु त दै िनक पंचां ग ज कुंडली कुंडली िमलान
मराठी বাংলা
ोितष पि का
2020 म गुड़ी English िहं दी ौहार
आइए जानते ह िक 2020 म गुड़ी पड़वा कब है व गुड़ी पड़वा 2020 की तारीख व मु त। गुड़ी पड़वा का पव अभी खरीद
ेक 32 माह, 16 िदन और 8 घटी के बाद वष म अिधक मास जोड़ा जाता है । अिधक मास होने के बावजूद
ितपदा के िदन ही नव संव र आरं भ होता है । ऐसा इसिलए ोंिक अिधक मास भी मु महीने का ही अंग ा खरीद
माना जाता है । इसिलए मु चै के अित र अिधक मास को भी नव स र का िह ा मानते ह। ए ोसेज डॉट कॉम से सव े
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गुडी पडवा की पूजा-िविध
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िन िविध को िसफ़ मु चै म ही िकए जाने का िवधान है –
संक के समय नव वष नाम हण (नए साल का नाम रखने की था) को चै अिधक मास म ही शु प की
ितपदा को मनाया जा सकता है । इस संव र का नाम मादी है तथा वष 2077 है । साथ ही यह ी
शालीवाहन शकसंवत 1942 भी है और इस शक संवत का नाम शावरी है ।
ातः त संक
- लोग घरों की सफ़ाई करते ह। गाँ वों म गोबर से घरों को लीपा जाता है ।
- सूय दय के तुर बाद गुड़ी की पूजा का िवधान है । इसम अिधक दे री नहीं करनी चािहए।
3. नए व सु र कपड़े पहनकर लोग तैयार हो जाते ह। आम तौर पर मराठी मिहलाएँ इस िदन नौवारी (9
गज लंबी साड़ी) पहनती ह और पु ष केस रया या लाल पगड़ी के साथ कुता-पजामा या धोती-कुता
पहनते ह।
6. पार रक तौर पर मीठे नीम की पि याँ साद के तौर पर खाकर इस ौहार को मनाने की शु आत
की जाती है । आम तौर पर इस िदन मीठे नीम की पि यों, गुड़ और इमली की चटनी बनायी जाती है ।
ऐसा माना जाता है िक इससे र साफ़ होता है और शरीर की ितरोधक मता बढ़ती है । इसका ाद
यह भी िदखाता है िक चटनी की ही तरह जीवन भी ख ा-मीठा होता है ।
इस िदन महारा म लोग गुड़ी लगाते ह, इसीिलए यह पव गुडी पडवा कहलाता है । एक बाँ स लेकर उसके
ऊपर चां दी, तां बे या पीतल का उलटा कलश रखा जाता है और सु र कपड़े से इसे सजाया जाता है । आम तौर
पर यह कपड़ा केस रया रं ग का और रे शम का होता है । िफर गुड़ी को गाठी, नीम की पि यों, आम की डं ठल
और लाल फूलों से सजाया जाता है ।
गुड़ी को िकसी ऊँचे थान जैसे िक घर की छत पर लगाया जाता है , तािक उसे दू र से भी दे खा जा सके। कई
लोग इसे घर के मु दरवाज़े या खड़िकयों पर भी लगाते ह।
गुड़ी का मह
गुड़ी पड़वा से अनेक चीज़े जुड़ी ई ह। आइए, दे खते ह उनम से कुछ िवशेष को–
1. स ाट शािलवाहन ारा शकों को परािजत करने की ख़ुशी म लोगों ने घरों पर गुड़ी को लगाया था।
2. कुछ लोग छ पित िशवाजी की िवजय को याद करने के िलए भी गुड़ी लगाते ह।
3. यह भी मा ता है िक ा जी ने इस िदन ा की रचना की थी। इसीिलए गुड़ी को ज भी
माना जाता है । इसे इ - ज के नाम से भी जाना जाता है ।
4. भगवान राम ारा 14 वष का वनवास पूरा करके अयो ा वापस आने की याद म भी कुछ लोग गुड़ी
पड़वा का पव मनाते ह।
5. माना जाता है िक गुड़ी लगाने से घर म समृ आती है ।
6. गुड़ी को धम- ज भी कहते ह; अतः इसके हर िह े का अपना िविश अथ है –उलटा पा िसर को
दशाता है जबिक द मे -द का ितिनिध करता है ।
7. िकसान रबी की फ़सल की कटाई के बाद पुनः बुवाई करने की ख़ुशी म इस ौहार को मनाते ह।
अ ी फसल की कामना के िलए इस िदन वे खेतों को जोतते भी ह।
8. िह दुओं म पूरे वष के दौरान साढ़े तीन मु त ब त शुभ माने जाते ह। ये साढ़े तीन मु त ह–गुड़ी
पड़वा, अ य तृतीया, दशहरा और दीवाली को आधा मु त माना जाता है ।
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