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म इस के लए रोशनी फ़रमा,(नोटः ये दआ
ु रसल
ू
अ लाह! हमम से िजसे तू िज़ दा रखे तो इसे ईमान
अ लाह (स) ने अबू सलमा (रज़) के लए पढ़ थी)
के साथ िज़ दा रख और िजसे तू मौत दे इ लाम पर
ब चे क म यत(मरने वाले) के लए दआऐं
ु
मौत दे , ऐ अ लाह! हम इस के अजर से मेह म ना
रख (जो हमने मरने वाले के लए दआ
ु क ) और इस
के बाद हम गमराह
ु भी ना कर दे ना। ऐ अ लाह! इस को क़ के अज़ाब से बचा।
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तय
ै ार करने वाला, और(बाइस)अजर बनादे ।
हज़रत अबु हरै
ु रा (रज़) से रवायात है ः मरने के बाद
बि शश क दआऐं
ु
दे ने वाला इ म या नेक औलाद जो मरने वाले के लए
लोग म इस का जाँनशीन मक़रर
ु फ़मा या रब दआ
ु करती है ।