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हहिंदी मातभ

ृ ाषा (कोड 002)


कऺा 9व –िं 10व िं (2019-20)

भाध्ममभक स्तय तक आते-आते विद्माथी ककशोय हो चुका होता है औय उसभें सन


ु ने, फोरने, ऩढ़ने, मरखने
के साथ-साथ आरोचनात्भक दृष्टि विकमसत होने रगती है । बाषा के सौंदमाात्भक ऩऺ,
कथात्भकता/गीतात्भकता, अखफायी सभझ, शब्द शष्ततमों की सभझ, याजनैततक एिॊ साभाष्जक चेतना का
विकास, स्िमॊ की अष्स्भता का सॊदबा औय आिश्मकता के अनस
ु ाय उऩमत
ु त बाषा- प्रमोग, शब्दों का
सचु चॊततत प्रमोग, बाषा की तनमभफद्ध प्रकृतत आदद से विद्माथी ऩरयचचत हो जाता है । इतना ही नहीॊ िह
विविध विधाओॊ औय अमबव्मष्तत की अनेक शैमरमों से बी ऩरयचचत हो चुका होता है । अफ विद्माथी की
दृष्टि आस-ऩडोस, याज्म-दे श की सीभा को राॊघते हुए िैष्श्िक क्षऺततज तक पैर जाती है । इन फच्चों की
दतु नमा भें सभाचाय, खेर, कपल्भ तथा अन्म कराओॊ के साथ-साथ ऩत्र-ऩत्रत्रकाएॉ औय अरग-अरग तयह की
ककताफें बी प्रिेश ऩा चक
ु ी होती हैं।
इस स्तय ऩय भातब
ृ ाषा दहॊदी का अध्ममन सादहष्त्मक, साॊस्कृततक औय व्मािहारयक बाषा के रूऩ भें कुछ
इस तयह से हो कक उच्चतय भाध्ममभक स्तय ऩय ऩहुॉचते-ऩहुॉचते मह विद्माचथामों की ऩहचान, आत्भविश्िास
औय विभशा की बाषा फन सके। प्रमास मह बी होगा कक विद्माथी बाषा के मरखखत प्रमोग के साथ-साथ
सहज औय स्िाबाविक भौखखक अमबव्मष्तत भें बी सऺभ हो सके।

इस ऩाठ्यक्रम के अध्ययन से -
(क) विद्माथी अगरे स्तयों ऩय अऩनी रूचच औय आिश्मकता के अनरू
ु ऩ दहॊदी की ऩढ़ाई कय सकेंगे
तथा दहॊदी भें फोरने औय मरखने भें सऺभ हो सकेंगे।
(ख) अऩनी बाषा दऺता के चरते उच्चतय भाध्ममभक स्तय ऩय विऻान, सभाज विऻान औय अन्म
ऩाठ्मक्रभों के साथ सहज सॊफद्धता (अॊतसंफध
ॊ ) स्थावऩत कय सकेंगे।
(ग) दै तनक जीिन व्मिहाय के विविध ऺेत्रों भें दहन्दी के औऩचारयक/अनौऩचारयक उऩमोग की दऺता
हामसर कय सकेंगे।
(घ) बाषा प्रमोग के ऩयॊ ऩयागत तौय-तयीकों एिॊ विधाओॊ की जानकायी एिॊ उनके सभसाभतमक सॊदबों की
सभझ विकमसत कय सकेंगे।
(ड.) दहॊदी बाषा भें दऺता का इस्तेभार िे अन्म बाषा-सॊयचनाओॊ की सभझ विकमसत कयने के मरए
कय सकेंगे।

कऺा 9व िं व 10व िं में मातभ


ृ ाषा के रूऩ में हहिंदी-शिऺण के उद्दे श्य :
 कऺा आठिीॊ तक अष्जात बावषक कौशरों (सन
ु ना, फोरना, ऩढ़ना औय मरखना) का उत्तयोत्तय
विकास।
 सज
ृ नात्भक सादहत्म के आरोचनात्भक आस्िाद की ऺभता का विकास।
 स्ितॊत्र औय भौखखक रूऩ से अऩने विचायों की अमबव्मष्तत का विकास।
 ऻान के विमबन्न अनश
ु ासनों के विभशा की बाषा के रूऩ भें दहॊदी की विमशटि प्रकृतत एिॊ ऺभता
का फोध कयाना।
 सादहत्म की प्रबािकायी ऺभता का उऩमोग कयते हुए सबी प्रकाय की विविधताओॊ (याटरीमता, धभा,
मरॊग एिॊ बाषा) के प्रतत सकायात्भक औय सॊिेदनशीर यिैमे का विकास।
 जातत, धभा, मरॊग, याटरीमता, ऺेत्र आदद से सॊफचॊ धत ऩि
ू ााग्रहों के चरते फनी रूदढ़मों की बावषक
अमबव्मष्ततमों के प्रतत सजगता।
 बायतीम बाषाओॊ एिॊ विदे शी बाषाओॊ की सॊस्कृततक विविधता से ऩरयचम।
 व्मािहारयक औय दै तनक जीिन भें विविध अमबव्मष्ततमों की भौखखक ि मरखखत ऺभता का
विकास।
 सॊचाय भाध्मभों (वप्रॊि औय इरेतरॉतनक) भें प्रमत
ु त दहॊदी की प्रकृतत से अिगत कयाना औय निीन
बाषा प्रमोग कयने की ऺभता से ऩरयचम।
 विश्रेषण औय तका ऺभता का विकास।
 बािमबव्मष्तत ऺभताओॊ का उत्तयोत्तय विकास।
 भतबेद, वियोध औय िकयाि की ऩरयष्स्थततमों भें बी बाषा को सॊिेदनशीर औय तकाऩण
ू ा इस्तेभार
से शाॊततऩण
ू ा सॊिाद की ऺभता का विकास।
 बाषा की सभािेशी औय फहुबावषक प्रकृतत की सभझ का विकास कयना।

शिऺण यक्ु ततयााँ


भाध्ममभक कऺाओॊ भें अध्माऩक की बमू भका उचचत िाताियण के तनभााण भें सहामक होनी चादहए। बाषा
औय सादहत्म की ऩढ़ाई भें इस फात ऩय ध्मान दे ने की जरूयत होगी कक -
 विद्माथी द्िाया की जा यही गरततमों को बाषा के विकास के अतनिामा चयण के रूऩ भें स्िीकाय
ककमा जाना चादहए ष्जससे विद्माथी अफाध रूऩ से त्रफना खझझक के मरखखत औय भौखखक
अमबव्मष्तत कयने भें उत्साह का अनब
ु ि कयें । विद्माचथामों ऩय शद्
ु चध का ऐसा दफाि नहीॊ होना
चादहए कक िे तनािग्रस्त भाहौर भें ऩड जाएॉ। उन्हें बाषा के सहज, कायगय औय यचनात्भक रूऩों
से इस तयह ऩरयचचत कयाना उचचत है कक िे स्िमॊ सहजरूऩ से बाषा का सज
ृ न कय सकें।
 विद्माथी स्ितॊत्र औय अफाध रूऩ से मरखखत औय भौखखक अमबव्मष्तत कये । अचधगभ फाचधत होने
ऩय अध्माऩक, अध्माऩन शैरी भें ऩरयितान कयें ।
 ऐसे मशऺण-त्रफॊदओ
ु ॊ की ऩहचान की जाए ष्जससे कऺा भें विद्माथी तनयॊ तय सकक्रम बागीदायी कयें
औय अध्माऩक बी इस प्रककमा भें उनका साथी फने।
 हय बाषा का अऩना व्माकयण होता है । बाषा की इस प्रकृतत की ऩहचान कयाने भें ऩरयिेशगत औय
ऩाठगत सॊदबों का ही प्रमोग कयना चादहए। मह ऩयू ी प्रकक्रमा ऐसी होनी चादहए कक विद्माथी स्िमॊ
को शोधकताा सभझे तथा अध्माऩक इसभें केिर तनदे शन कयें ।
 दहॊदी भें ऺेत्रीम प्रमोगों, अन्म बाषाओॊ के प्रमोगों के उदाहयण से मह फात स्ऩटि की जा सकती है
कक बाषा अरगाि भें नहीॊ फनती औय उसका ऩरयिेश अतनिामा रूऩ से फहुबावषक होता है ।
 मबन्न ऺभता िारे विद्माचथामों के मरए उऩमत
ु त मशऺण-साभग्री का इस्तेभार ककमा जाए तथा
ककसी बी प्रकाय से उन्हें अन्म विद्माचथामों से कभतय मा अरग न सभझा जाए।
 कऺा भें अध्माऩक को हय प्रकाय की विविधताओॊ (मरॊग, जातत, िगा, धभा आदद) के प्रतत
सकायात्भक औय सॊिेदनशीर िाताियण तनमभात कयना चादहए।
 काव्म बाषा के भभा से विद्माथी का ऩरयचम कयाने के मरए जरूयी होगा कक ककताफों भें आए
काव्माॊशों की रमफद्ध प्रस्ततु तमों के ऑडडमो-िीडडमो कैसेि तैमाय ककए जाएॉ। अगय आसानी से
कोई गामक/गातमका मभरे तो कऺा भें भध्मकारीन सादहत्म के अध्माऩन-मशऺण भें उससे भदद
री जानी चादहए।
 या.शै.अ. औय प्र. ऩ., (एन.सी.ई.आय.िी.) भानि सॊसाधन विकास भॊत्रारम के विमबन्न सॊगठनों
तथा स्ितॊत्र तनभााताओॊ द्िाया उऩरब्ध कयाए गए कामाक्रभ/ ई-साभग्री ित्त
ृ चचत्रों औय पीचय कपल्भों
को मशऺण-साभग्री के तौय ऩय इस्तेभार कयने की जरूयत है । इनके प्रदशान के क्रभ भें इन ऩय
रगाताय फातचीत के जरयए मसनेभा के भाध्मभ से बाषा के प्रमोग कक विमशटिता की ऩहचान
कयाई जा सकती है औय दहॊदी की अरग-अरग छिा ददखाई जा सकती है ।
 कऺा भें मसपा ऩाठ्मऩस्
ु तक की उऩष्स्थतत से फेहतय होगा कक मशऺक के हाथ भें तयह-तयह की
ऩाठ्मसाभग्री को विद्माथी दे खें औय कऺा भें अरग-अरग भौकों ऩय मशऺक उनका इस्तेभार कयें ।
 बाषा रगाताय ग्रहण कयने की कक्रमा भें फनती है , इसे प्रदमशात कयने का एक तयीका मह बी है
कक मशऺक खद
ु मह मसखा सकें कक िे बी शब्दकोश, सादहत्मकोश, सॊदबाग्रथ
ॊ की रगाताय भदद रे
यहे हैं। इससे विद्माचथामों भें इनके इस्तेभार कयने को रेकय तत्ऩयता फढ़े गी। अनभ
ु ान के आधाय
ऩय तनकितभ अथा तक ऩहुॉचकय सॊतटु ि होने की जगह िे सिीक अथा की खोज कयने के मरए
प्रेरयत होंगे। इससे शब्दों की अरग-अरग यॊ गत का ऩता चरेगा, िे शब्दों के सक्ष्
ू भ अॊतय के प्रतत
औय सजग हो ऩाएॉगे।

व्याकरण ब दिं ु
कऺा 9व िं
 उऩसगा, प्रत्मम
 सभास
 अथा की दृष्टि से िातम बेद
 अरॊकाय : शब्दारॊकाय – अनप्र
ु ास, मभक एिॊ श्रेष; अथाारक
ॊ ाय-उऩभा, रूऩक, उत्प्रेऺा,
अततशमोष्तत एिॊ भानिीकयण।
कऺा 10व िं
 यचना के आधाय ऩय िातम बेद
 िाच्म
 ऩद-ऩरयचम
 यस : श्ॊग
ृ ाय, िीय, करुण, हास्म, िात्सल्म, यौद्र
श्रवण व वाचन (मौखिक ोऱना) सिं ध
िं योग्यताएाँ
श्रवण (सन
ु ना) कौिऱ
 िखणात मा ऩदठत साभग्री, िाताा, बाषण, ऩरयचचाा, िातााराऩ, िाद-वििाद, कविता-ऩाठ आदद का
सन
ु कय अथा ग्रहण कयना, भल्
ू माॊकन कयना औय अमबव्मष्तत के ढॊ ग को जानना।
 िततव्म के बाि, विनोद ि उसभें तनदहत सॊदेश, व्मॊग्म आदद को सभझना।
 िैचारयक भतबेद होने ऩय बी ितता की फात को ध्मानऩि
ू क
ा , धैमऩ
ा ि
ू क
ा ि मशटिाचायानक
ु ू र प्रकाय
से सन
ु ना ि ितता के दृष्टिकोण को सभझना।
 ऻानाजान भनोयॊ जन ि प्रेयणा ग्रहण कयने हे तु सन
ु ना।
 िततव्म का आरोचनात्भक विश्रेषण कयना एिॊ सन
ु कय उसका साय ग्रहण कयना।

श्रवण (सन
ु ना) वाचन ( ोऱना) का ऩरीऺण : कुऱ 5 अिंक (2.5+2.5)
 ऩयीऺक ककसी प्रासॊचगक विषम ऩय एक अनच्
ु छे द का स्ऩटि िाचन कये गा। अनच्
ु छे द तथ्मात्भक मा
सझ
ु ािात्भक हो सकता है । अनच्
ु छे द रगबग 100-150 शब्दों का होना चादहए।
मा
ऩयीऺक 1-2 मभनि का श्व्म अॊश (ऑडडमो ष्तरऩ) सन
ु िाएगा। अॊश योचक होना चादहए। कथ्म
/घिना ऩण
ू ा एिॊ स्ऩटि होनी चादहए। िाचक का उच्चायण शद्
ु ध, स्ऩटि एिॊ वियाभ चचह्नों के
उचचत प्रमोग सदहत होना चादहए।
 ऩयीऺाथी ध्मान ऩि
ू क
ा ऩयीऺा/आडडमो ष्तरऩ को सन
ु ने के ऩश्चात ऩयीऺक द्िाया ऩछ
ू े गए प्रश्नों
का अऩनी सभझ से भौखखक उत्तय दें गे।

कौिऱों के मल
ू यािंकन का आधार
श्रवण (सन
ु ना) वाचन( ोऱना)
1 विद्माथी भें ऩरयचचत सॊदबों भें प्रमत
ु त शब्दों औय 1 विद्माथी केिर अरग-अरग शब्दों औय ऩदों
ऩदों को सभझने की साभान्म मोग्मता है । के प्रमोग की मोग्मता प्रदमशात कयता है ।
2 छोिे सस
ु फ
ॊ द्ध कथनों को ऩरयचचत सॊदबों भें 2 ऩरयचचत सॊदबों भें केिर छोिे सस
ु फ
ॊ द्ध
सभझने की मोग्मता है । कथनों का सीमभत शद्
ु धता से प्रमोग कयता
है ।
3 ऩरयचचत मा अऩरयचचत दोनों सॊदबों भें कचथत 3 अऩेक्षऺत दीघा बाषण भें जदिर कथनों के
सच
ू ना को स्ऩटि सभझने की मोग्मता है । प्रमोग की मोग्मता प्रदमशात कयता है ।
4 दीघा कथनों की श्ॊख
ृ रा को ऩमााप्त शद्
ु धता से 4 अऩरयचचत ष्स्थततमों भें विचायों को ताककाक
सभझता है औय तनटकषा तनकार सकता है । ढॊ ग से सॊगदठत कय धाया प्रिाह रूऩ भें
प्रस्तत
ु कय सकता है ।
5 जदिर कथनों के विचाय-त्रफदॊ ओ
ु ॊ को सभझने की 5 उद्दे श्म औय श्ोता के मरए उऩमत
ु त शैरी
मोग्मता प्रदमशात कयता है । को अऩना सकता है ।

हिप्ऩण
 ऩयीऺण से ऩि
ू ा ऩयीऺाथी को तैमायी के मरए कुछ सभम ददमा जाए।
 विियणात्भक बाषा भें िताभान कार का प्रमोग अऩेक्षऺत है ।
 तनधाारयत विषम ऩयीऺाथी के अनब
ु ि सॊसाय के हों, जैसे - कोई चुिकुरा मा हास्म-प्रसॊग सन
ु ाना,
हार भें ऩढ़ी ऩस्
ु तक मा दे खे गए मसनेभा की कहानी सन
ु ाना।
 जफ ऩयीऺाथी फोरना प्रायॊ ब कयें तो ऩयीऺक कभ से कभ हस्तऺेऩ कयें ।

ऩठन कौिऱ

 सयसयी दृष्टि से ऩढ़कय ऩाठ का केंद्रीम विचाय ग्रहण कयना।


 एकाग्रचचत हो एक अबीटि गतत के साथ भौन ऩठन कयना।
 ऩदठत साभग्री ऩय अऩनी प्रततकक्रमा व्मतत कयना।
 बाषा, विचाय एिॊ शैरी की सयाहना कयना।
 सादहत्म के प्रतत अमबरूचच का विकास कयना।
 सादहत्म की विमबन्न विधाओॊ की प्रकृतत के अनस
ु ाय ऩठन कौशर का विकास।
 सॊदबा के अनस
ु ाय शब्दों के अथा–बेदों की ऩहचान कयना।
 सकक्रम (व्मिहायोऩमोगी) शब्द बॊडाय की िद्
ृ चध कयना।
 ऩदठत साभग्री के विमबन्न अॊशों का ऩयस्ऩय सॊफध
ॊ सभझना।
 ऩदठत अनच्
ु छे दों के शीषाक एिॊ उऩशीषाक दे ना।
 कविता के प्रभख
ु उऩादान मथा - तक
ु , रम, मतत, गतत, फराघात आदद से ऩरयचचत कयाना।

ऱेिन कौिऱ
 मरवऩ के भान्म रूऩ का ही व्मिहाय कयना।
 वियाभ-चचह् नों का उऩमत
ु त प्रमोग कयना।
 प्रबािऩण
ू ा बाषा तथा रेखन-शैरी का स्िाबाविक रूऩ से प्रमोग कयना।
 उऩमत
ु त अनच्
ु छे दों भें फाॉिकय मरखना।
 प्राथाना ऩत्र, तनभॊत्रण ऩत्र, फधाई ऩत्र, सॊिेदना ऩत्र, ई-भेर, आदे श ऩत्र, एस.एभ.एस आदद मरखना
औय विविध प्रऩत्रों को बयना।
 विविध स्रोतों से आिश्मक साभग्री एकत्र कय अबीटि विषम ऩय तनफॊध मरखना।
 दे खी हुई घिनाओॊ का िणान कयना औय उन ऩय अऩनी प्रततकक्रमा दे ना।
 दहन्दी की एक विधा से दस
ू यी विधा भें रूऩाॊतयण का कौशर।
 सभायोह औय गोष्टठमों की सच
ू ना औय प्रततिेदन तैमाय कयना।
 साय, सॊऺेऩीकयण एिॊ बािाथा मरखना।
 गद्म एिॊ ऩद्म अितयणों की व्माख्मा मरखना।
 स्िानब
ु त
ू विचायों औय बािनाओॊ को स्ऩटि सहज औय प्रबािशारी ढॊ ग से अमबव्मतत कयना।
 क्रभफद्धता औय प्रकयण की एकता फनाए यखना।
 मरखने भें भौमरकता औय सजानात्भकता राना।
हहिंदी ऩाठ्यक्रम – अ (कोड सिं. - 002)
कऺा 9व िं हहिंदी अ – ऩरीऺा हे तु ऩाठ्यक्रम ववननदे िन 2019-20

ऩरीऺा भार ववभाजन


ववषयवस्तु उऩ भार कुऱ भार
1 अऩदठत गद्माॊश ि काव्माॊश ऩय शीषाक का चुनाि, विषम-िस्तु का
फोध, अमबव्मष्तत आदद ऩय अतत रघत्त
ू यात्भक एिॊ रघत्त
ू यात्भक प्रश्न
अ एक अऩदठत गद्माॊश (100 से 150 शब्दों के) (1x2=2) (2x3=6) 8 15
फ एक अऩदठत काव्माॊश (1x3=3) (2x2=4) 7
2 व्माकयण के मरए तनधाारयत विषमों ऩय विषम-िस्तु का फोध, बावषक
त्रफॊद ु /सॊयचना आदद ऩय प्रश्न (1x15)
व्माकयण
1 शब्द तनभााण 7
उऩसगा – 2 अॊक, प्रत्मम – 2 अॊक, सभास – 3 अॊक 15
2 अथा की दृष्टि से िातम बेद – 4 अॊक 4
3 अरॊकाय – 4 अॊक 4
(शब्दारॊकाय: अनप्र
ु ास, मभक, श्रेष) (अथाारक
ॊ ाय : उऩभा, रूऩक,
उत्प्रेऺा, अततशमोष्तत, भानिीकयण)
3 ऩाठ्मऩस्
ु तक क्षऺततज बाग – 1 ि ऩयू क ऩाठ्मऩस्
ु तक कृततका बाग -1
अ गद्म खॊड 13
1 क्षऺततज से तनधाारयत ऩाठों भें से गद्माॊश के आधाय ऩय 5
विषम-िस्तु का ऻान फोध, अमबव्मष्तत आदद ऩय प्रश्न ।
(2+2+1)
2 क्षऺततज से तनधाारयत गद्म ऩाठों के आधाय ऩय 8
विद्माचथामों की उच्च चचॊतन ऺभताओॊ एॊि अमबव्मष्तत
का आकरन कयने हे तु प्रश्न ।(2x4) (विकल्ऩ सदहत)
फ काव्म खॊड 13 30
1 क्षऺततज से तनधाारयत कविताओॊ भें से काव्माॊश के आधाय 5
ऩय प्रश्न (2+2+1)
2 क्षऺततज से तनधाारयत कविताओॊ के आधाय ऩय विद्माचथामों 8
का काव्मफोध ऩयखने हे तु प्रश्न। (2x4) (विकल्ऩ सदहत)
स ऩयू क ऩाठ्मऩस्
ु तक कृततका बाग – 1 4
कृततका के तनधाारयत ऩाठों ऩय आधारयत दो प्रश्न ऩछ
ू े जाएॉगे 4
(विकल्ऩ सदहत)। (2x2)
4 रेखन
अ विमबन्न विषमों औय सॊदबों ऩय विद्माचथामों के तकासॊगत विचाय 10
प्रकि कयने की ऺभता को ऩयखने के मरए सॊकेत त्रफॊदओ
ु ॊ ऩय 20
आधारयत सभसाभतमक एिॊ व्मािहारयक जीिन से जुडे हुए विषमों
भें से ककन्हीॊ तीन विषमों ऩय 200 से 250 शब्दों भें ककसी एक
विषम ऩय तनफॊध। (10x1)
फ अमबव्मष्तत की ऺभता ऩय केंदद्रत औऩचारयक अथिा 5
अनौऩचारयक विषमों भें से ककसी एक विषम ऩय ऩत्र। (5x1)
स ककसी एक विषम ऩय सॊिाद रेखन। (5x1) (विकल्ऩ सदहत) 5
कुर 80

नोि : ऩाठ्मक्रभ के तनम्नमरखखत ऩाठ केिर ऩढ़ने के मरए होंगे

क्षऺततज(बाग - 1)  उऩबोततािाद की सॊस्कृतत


 एक कुत्ता औय एक भैना
 साखखमाॉ ि सफद ऩाठ से सफद – 2 सॊतो बाई
आई..
 ग्राभ श्ी
कृततका (बाग - 1)  इस जर प्ररम भें
 ककस तयह आखखयकाय भैं दहॊदी भें आमा
हहिंदी ऩाठ्यक्रम -अ (कोड सिं. 002)
कऺा 10व िं हहिंदी - अ ऩरीऺा हे तु ऩाठ्यक्रम ववननदे िन 2019-20

ऩरीऺा भार ववभाजन


ववषयवस्तु उऩ भार कुऱभार
1 अऩदठत गद्माॊश ि काव्माॊश ऩय शीषाक का चुनाि, विषम-िस्तु का फोध,
अमबव्मष्तत आदद ऩय अतत रघत्त
ू यात्भक एिॊ रघत्त
ू यात्भक प्रश्न
अ एक अऩदठत गद्माॊश (100 से 150 शब्दों के) (1x2=2) (2x3=6) 8 15
फ एक अऩदठत काव्माॊश (1x3=3) (2x2=4) 7
2 व्माकयण के मरए तनधाारयत विषमों ऩय विषम-िस्तु का फोध, बावषक त्रफॊद ु
/सॊयचना आदद ऩय प्रश्न (1x15)
व्माकयण
1 यचना के आधाय ऩय िातम बेद (3 अॊक) 3 15
2 िाच्म (4 अॊक) 4
3 ऩद ऩरयचम (4 अॊक) 4
4 यस (4 अॊक) 4
3 ऩाठ्मऩस्
ु तक क्षऺततज बाग – 2 ि ऩयू क ऩाठ्मऩस्
ु तक कृततका बाग - 2
अ गद्म खॊड 13
1 क्षऺततज से तनधाारयत ऩाठों भें से गद्माॊश के आधाय ऩय विषम- 5
िस्तु का ऻान फोध, अमबव्मष्तत आदद ऩय प्रश्न । (2+2+1)
2 क्षऺततज से तनधाारयत गद्म ऩाठों के आधाय ऩय विद्माचथामों की 8
उच्च चचॊतन ऺभताओॊ एिॊ अमबव्मष्तत का आकरन कयने हे तु
प्रश्न। (2x4) (विकल्ऩ सदहत)
फ काव्म खॊड 13
1 क्षऺततज से तनधाारयत कविताओॊ भें से काव्माॊश के आधाय ऩय प्रश्न 5 30
(2+2+1) (विकल्ऩ सदहत)
2 क्षऺततज से तनधाारयत कविताओॊ के आधाय ऩय विद्माचथामों का 8
काव्मफोध ऩयखने हे तु प्रश्न । (2x4) (विकल्ऩ सदहत)
स ऩयू क ऩाठ्मऩस्
ु तक कृततका बाग – 2
कृततका के तनधाारयत ऩाठों ऩय आधारयत दो प्रश्न ऩछ
ू े जाएॉगे (विकल्ऩ 4
सदहत)। (2x2)
4 रेखन
अ विमबन्न विषमों औय सॊदबो ऩय विद्माचथामों के तकासॊगत विचाय प्रकि 10
कयने की ऺभता को ऩयखने के मरए सॊकेत त्रफॊदओ
ु ॊ ऩय आधारयत
सभसाभतमक एिॊ व्मािहारयक जीिन से जड ु े हुए तीन विषमों ऩय 200 20
से 250 शब्दों भें से ककसी एक विषम ऩय तनफॊध। (10x1)
फ अमबव्मष्तत की ऺभता ऩय केष्न्द्रत औऩचारयक अथिा अनौऩचारयक 5
विषमों भें से ककसी एक विषम ऩय ऩत्र। (5x1)
स विषम से सॊफचॊ धत 25-50 शब्दों के अॊतगात विऻाऩन रेखन। (5x1) 5
(विकल्ऩ सदहत)
कुऱ 80

नोि : ऩाठ्मक्रभ के तनम्नमरखखत ऩाठ केिर ऩढ़ने के मरए होंगे

क्षऺततज(बाग - 2)  दे ि
 जमशॊकय प्रसाद - आत्भकथ्म
 स्त्री मशऺा के वियोधी कुतकों का खॊडन
 सॊस्कृतत
कृततका (बाग -2)  एही ठै माॉ झुरनी हे यानी हो याभा!
 भैं तमों मरखता हूॉ?
प्रश्नऩत्र का प्रश्नानस
ु ार ववश्ऱेषण एविं प्रारूऩ
हहिंदी ऩाठ्यक्रम – अ
कऺा – 9व िं एविं 10व िं
ननधााररत समयावधध : 3 घिंिे अधधकतम अिंक : 80
क्र. प्रश्नों का दऺता ऩरीऺण/ अधधगम अनत- ऱघूत्तरात्मक नन िंधात्मक नन िंधात्मक कुऱ
ऱघूत्तरात्मक 2 अिंक -I -II
सिं. प्रारूऩ ऩररणाम योग
1 अिंक 5 अिंक 10 अिंक
क अऩदठत अिधायणात्भक फोध, अथाग्रहण, 05 05 15
अनुभान रगाना, विश्रेषण
फोध
कयना, शब्दऻान ि बावषक
कौशर
ख व्मािहारय व्माकयखणक सॊयचनाओॊ का फोध 15 15
औय प्रमोग, विश्रेषण एिॊ

बावषक कौशर
व्माकयण
ग ऩाठ्म प्रत्मास्भयण, अथाग्रहण 02 14 30
(बािग्रहण) रेखक के भनोबािों
ऩस्
ु तक
को सभझना, शब्दों का
प्रसॊगानुकूर अथा सभझना,
आरोचनात्भक चचॊतन,
ताककाकता, सयाहना, सादहष्त्मक
ऩयॊ ऩयाओॊ के ऩरयप्रेक्ष्म भें
भूल्माॊकन, विश्रेषण,
सज
ृ नात्भकता, कल्ऩनाशीरता,
कामा-कायण सॊफॊध स्थावऩत
कयना, साम्मता एिॊ अॊतयों की
ऩहचान, अमबव्मष्तत भें
भौमरकता एिॊ जीिन भूल्मों की
ऩहचान।
घ यचनात्भ सॊकेत त्रफद
ॊ ओ
ु ॊ का विस्ताय, 02 01 20
अऩने भत की अमबव्मष्तत,
क रेखन
सोदाहयण सभझाना, औचचत्म
(रेखन
तनधाायण, बाषा भें प्रिाहभमता,
कौशर) सिीक शैरी, उचचत प्रारूऩ का
प्रमोग, अमबव्मष्तत की
भौमरकता, सज
ृ नात्भकता एिॊ
ताककाकता
कुर 1x22 2x19 5x2 10x1 80
=22 =38 =10 =10

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