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थम: पाठ: (शुिचपया वरणम्)

हरततणां .............. संगमनम्। शुिच...॥ 5 ॥


अवयः- हरततणां लिलतलतानां(च) माला रमणीया(यात्)। समीरचािलता कु सुमाविलः मे
वरणीया यात्, रसालं िमिलता नवमािलका संगमनम् िचरं (यात्)। पया वरणं शुिच (भवेत्)।
पदाथा ः - हरततणाम् -(हरतानां तणाम्) हरे वृ ! का। लिलतलतानाम्-(लिलतानां
लतानाम्) सुदर तता# का। रमणीया(रम्+अनीयर्+टाप्) सुदर। समीरचािलता-(समीरे ण
चािलता) हवा से चलायी &यी (िहलायी गयी)। कु सुमाविलः- (कु सुमानाम् आविलः)-फू ल! क)
पंि*याँ। मे-(म,म्) मुझ।े वरणीया-(वृ+अनीयर्+टाप्) वरण करने यो/य, लेने यो/य। रिचरम्-
सुदरम्। मािलका-माला (चमेली का एक कार)
िहदी अनुवाद- हरे -हरे वृ ा: और सुदर लता# क) माला अ2यिधक सुदर है। वायु के झकोर!
से िहलती &यी फू ल! को पंि*याँ मुझे अपनी ओर ख5च रही ह6, फू ल! क) लताय7 (नई मालाय7)
आम म7 िमल रही ह6, उनका संगम मनोहारी है।
अिय चल ............. कु या 9ीिवतरसहरणम्। शुिच... ॥6॥
अवयः- अिय बधो! खगकु लकलरव गुि<तवनदेशम् धृतसुखसदेशम् चल, पुरकलरव-
स=>िमत-जने@यः चाकिचAयजालं जीिवतरसहरणम् न कु या त्। पया वरणं शुिच (भवेत्)।
पदाथा : - खगकु लकलरव-(खगकु लानां कलरव:) पि समूहानां Bविनः।
खगकु लकलरवगुि<तवनदेशम्-खगलकु लरवेण गुिजतं वनदेशम्-पि य! के समूह! क) Bविन से
वनदेश गु<ायमान हो। पुरकलरवस=>िमतजने@यो-(पुरकलरवेण स=>िमता: जना: ते@यः)
नगर के कोलाहल से िवचिलत लोग! के िलए। चाकिवयजलम्-(कृ िCमं भावपूणE जगत् नकली
चकाचFध। धृतसुखसदेशम्- धृतं सुखय सदेशं येन तम्।
िहदी अनुवाद-ओ िमC! पि य! के समूह! के कलरव! (आवाज) से गु<ायमान वनात म7,
िजसने (शाित के कारण) सुख का सदेश धारण Hकया है, चलो! इस संसार म7 नगर के कोलाहल
से अशात Kिथत लोग! के जीवन के आनद का हरण यह नकली चकाचFध न करे ।

तरतले ............जीवमरणम्। शुिच... ॥7॥


अवयः- तरतले लतातगुLमाः िपMाः न भवतु। िनसगN पाषाणी स@यता समािवMा न यात्।
(अहं) मानवाय जीवनं कामये जीवमरणं न। पया वरणं शुिच (भवेत्)।

पदाथा : - तरतले-(तराणां तले) प2थर! के नीचे। लतातगुLमाः (लता: तरव: गुLमा: च)


लता वृ और झाड़ी। िपMा:-(िपष्+*) पीसे न जाय7। िनसगN-(कृ 2याम्) कृ ित म7। पाषाणी-
प2थर से बनी &ई। समािवMा-(सम्+आ+िवश्+*+टाप्)

िहदी अनुवाद-ओ िमC! पि य! के समूह! के कलरव! (आवाज) से गु<ायमान वनात म7,


िजसने (शाित के कारण) सुख का सदेश धारण Hकया है, चलो! इस संसार म7 नगर के कोलाहल
से अशात Kिथत लोग! के जीवन के आनद का हरण यह नकली चकाचFध न करे ।

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