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पाठ-१

वायुमडलं भृशं दूिषतं न िह िनमलं जलम्।


कु िसतवतुिमितं भयं समलं धरातलम्॥
करणीयं बिहरतजगित तु ब! शु"ीकरणम्। शुिच . . . ॥3॥
अवयः- वायुमडलं भृशं दूिषतं (जातम्) जलं िनमलं िह न, भयं कु िसतवतुिमितं, धरातलं
समलं, जगित तु अत: बिह: ब! (िनमल)ं शुि"करणं करणीयम्(भवेत्)। पयावरणं शुिच (भवेत्)।
पदाथा:-
भृशम्=अयिधकम्, दूिषतम्=दूिषत !आ, िनमलम्= मलय अभावः, भयम्=खा/वतु,
कु िसतवतुिमितम्=(कु िसतेन वतुना िमितम्) खराब वतु1 से िमित, समलम्=(मलेन
सिहतम्) मलयु2।
िहदी अनुवाद=3य45क वायुमडल अयिधक 6दूिषत हो गया है। इसिलए अब िनमल (साफ)
पानी भी नही ँ है। खा/-सामि;य4 म< भी खराब वतु1 का िमण 5कया जा रहा है, स=पूण
धरातल गदगी से यु2 है। इस संसार म< अंदर और बाहर ब!त शु"ीकरण 5कया जाना चािहए।
पयावरण पिव? हो।

कि@त् कालं नय माममाAगराद् ब!दूरम्।


6पBयािम ;ामाते िनझर-नदी-पयःपूरम्॥
एकाते कातारे Dणमिप म< यात् स@रणम्। शुिच . . . ॥4॥
अवयः- माम् अमात् नगरात् कि@त् कालं ब!दूरं नय। ;ामाते (अहं) पयःपूरम् िनझरनदE
6पBयािम, Dणम् अिप एकाते कातारे मे स@रणम् यात्। पयावरणं शुिच (भवेत्)।

पदाथाः- कि@त्- कम्+िचत्।(िचत् और चन अFय का 6योग अिनिGत अथ म< होता है।
जैसे- त? क: अित?- वहाँ कौन है? कGन बालकः अित-कोई बालक है/किGत् बालकः अित
- कोई चालक है।
;ामाते-(;ामय अते) सीमायाम्/गांव कH सीमा म<। पयःपूरं जलाशयम्-पयसा पूIरतं तडागम्।
कातारे - वने ।
िहदी अनुवाद-मुझे कु छ समय के िलए इस नगर से ब!त दूर ले चलो, जहाँ गाँव कH सीमा म<
जल से भरे तालाब हो। वहाँ झरने और नदी को जी-भर कर देखूंगा। मJ एक Dण के िलए (थोड़ी
देर के िलए) भी एकांत जंगल म< घूम सकूँ (यह मेरी कामना है)। पयावरण पिव? हो।

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