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सीबीएसई

क ा - 12 िह दी कोर िवतान
पाठ – 01 स वर वैिडंग

पाठ का सार- ‘ स वर वेिडंग’ कहानी क रचना मनोहर याम जोशी ने क है। इस पाठ के मा यम से पीढ़ी के अंतराल का मािमक
िच ण िकया गया है। आधुिनकता के दौर म, यशोधर बाबू परंपरागत मू य को हर हाल म जीिवत रखना चाहते ह उनका उसूल
पसंद होना द तर एवम घर के लोग के लए सरदद बन गया था। यशोधर बाबू को िद ी म अपने पाँव जमाने म िकशनदा ने मदद क
थी, अतः वे उनके आदश बन गए।

द तर म िववाह क प चीसव सालिगरह के िदन द तर के कमचारी, मेनन और च ा उनसे जलपान के लए पैसे माँगते ह। जो वे
बड़े अनमने ढंग से देते ह य िक उ ह िफजूलखच पसंद नह । यशोधर बाबू के तीन बेटे ह। बड़ा बेटा भूषण, िव ापन क पनी म
काम करता है। दस
ू रा बेटा आई. ए. एस. क तैयारी कर रहा है और तीसरा छा वृित के साथ अमे रका जा चुका है। बेटी भी डा टरी
क पढ़ाई के लए अमे रका जाना चाहती है, वह िववाह हेतु िकसी भी वर को पसंद नह करती। यशोधर बाबू ब च क तर क से
खुश ह िकंतु परंपरागत सं कार के कारण वे दिु वधा म ह। उनक प नी ने वयं को ब च क सोच के साथ ढाल लया है। आधुिनक
न होते हए भी, ब च के ज़ोर देने पर वे अ धक माडन बन गई है।

ब चे घर पर स वर वेिडंग क पाट रखते ह, जो यशोधर बाबू के उसूल के खलाफ था। उनका बेटा उ ह डे संग गाउन भट करता
है तथा सुबह दध
ू लेने जाते समय उसे ही पहन कर जाने को कहता है, जो उ ह अ छा नह लगता। बेटे का ज़ रत से यादा
तन वाह पाना, तन वाह क रकम वयं खच करना, उनसे िकसी भी बात पर सलाह न माँगना और दध
ू लाने का ज मा वयं न
लेकर उ ह डे संग गाउन पहनकर दध
ू लेने जाने क बात कहना जैसी बात, यशोधर बाबू को बुरी लगती है। जीवन के इस मोड़ पर वे
वयं को अपने उसूल के साथ अकेले पाते ह।

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