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12 Hindi 1
12 Hindi 1
1. यशोधर बाबू क प नी समय के साथ ढल सकने म सफल होती है लेिकन यशोधर बाबू असफल रहते ह। ऐसा य ?
उ र:- यशोधर बाबू बचपन म ही माता-िपता के देहांत हो जाने क वजह से ज मेदा रय के बोझ से लद गए थे। वे सदैव पुराने
याल वाले लोग के बीच रहे, पले, बढ़े अतः वे उन परंपराओं को चाह कर भी छोड़ नह पाये। यशोधर बाबू अपने आदश घोर
सं कारी िकशनदा से अ धक भािवत ह और आधुिनक प रवेश म बदलते हए जीवन-मू य और सं कार के िव ह।इसी के
चलते प रवार के सद य से उनका मतभेद बना रहता है जबिक उनक प नी अपने ब च के साथ खड़ी िदखाई देती ह।िववाह के
बाद उसे संयु प रवार के कठोर िनयम का िनवाह करना पड़ा इस लए वह अपने ब च के आधुिनक ि कोण से ज दी ही
भािवत हो गई। वे बेटी के कहे अनुसार नए कपड़े पहनती ह और बेट के िकसी मामले म दखल नह देती। यशोधर बाबू क प नी
समय के साथ प रवितत हो जाती है, लेिकन यशोधर बाबू अभी भी िकशनदा के सं कार और परंपराओं से िचपके हए ह।वे बदलते
समय को समझते तो है िक तु पूर े मन से वीकार न कर पाने के कारण असफल रहते ह।
3. 'समहाउ इं ापर' वा यांश का योग यशोधर बाबू लगभग हर वा य के ांरभ म तिकया कलाम क तरह करते ह। इस वा यांश
का उनके यि व और कहानी के क य से या संबध
ं बनता है?
उ र:- यशोधर बाबू लगभग हर वा य के ांरभ म 'समहाउ इं ापर' श द का उपयोग तिकया कलाम क तरह करते ह। उ ह जो
अनुिचत लगता है, तब अचानक यह वा य कहते ह।
पाठ म 'समहाउ इं ापर' वा यांश का योग िन न ल खत संदभ म हआ है -
• साधारण पु को असाधारण वेतन िमलने पर
• कूटर क सवारी पर
• द तर म स वर वैिडंग
• डीडीए लैट का पैसा न भरने पर
4. यशोधर बाबू क कहानी को िदशा देने म िकशनदा क मह वपूण भूिमका रही है। आपके जीवन को िदशा देने म िकसका मह वपूण
योगदान रहा और कैसे?
उ र:- यशोधर बाबू क कहानी को िदशा देने म िकशनदा क मह वपूण भूिमका रही है। मेर े जीवन को िदशा देने म मेरी बड़ी बहन
क मह वपूण भूिमका रही है। वे पढ़ाई- लखाई, खेल-कूद सभी म हमेशा आगे रहती थी। उ ह देखकर मुझे भी आगे बढ़ने क ेरणा
िमलती थी। वे समय-समय पर मुझे मागदशन भी देती रही तथा मेरी कमजो रय को दरू करने म मेरी पूरी सहायता क ।
5. वतमान समय म प रवार क संरचना, व प से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंज य िबठा पाते ह ?
उ र:- इस पाठ के मा यम से पीढ़ी के अंतराल का मािमक िच ण िकया गया है। आधुिनकता के दौर म, यशोधर बाबू परंपरागत
मू य को हर हाल म जीिवत रखना चाहते ह। उनका उसूलपसंद होना द तर एवम घर के लोग के लए सरदद बन गया था।
यशोधर सं कार से जुड़ना चाहते ह और संयु प रवार क संवेदनाओं को अनुभव करते ह जबिक उनके ब चे अपने आप म जीना
चाहते ह।वे पुरानी मा यताओं को नह मानते ह।
अतः मेर े मत से पुरानी-पीढ़ी को कुछ आधुिनक होना पड़ेगा और नई-पीढ़ी को भी पुरानी परंपराओं और मा यताओं का याल
रखना होगा,ये तभी सामंज य संभव है जब दोनो प एक दस
ू रे का स मान एवं सुख-सुिवधा का याल रखेग।
7. अपने घर और िव ालय के आस-पास हो रहे उन बदलाव के बारे म लख जो सुिवधाजनक और आधुिनक होते हए भी बुज़ुग ं
को अ छे नह लगते। अ छा न लगने के या कारण ह गे?
उ र:- हमारे घर व िव ालय के आसपास िन न ल खत बदलाव हो रह ह ज ह बुज़ुग पसंद नह करते -
• घर से िव ालय जाने के लए साईिकल एवं मोटर का इ तेमाल।
• लड़िकयाँ-लड़क का एक साथ पढ़ना और िमलना-जुलना।
• युवा लड़क और लड़िकय ारा अंग दशन करना।
• देर रात तक पािटयाँ करना।
• िदनभर क यूटर, इ टरनेट एवं मोबाइल का इ तेमाल।
बुज़ुग ं को यह सब अ छा नह लगता य िक जब वे युवा थे, उस समय संचार के साधन क कमी थी।संयु पा रवा रक पृ भूिम के
कारण वे युवाव था म अपनी भावनाओं को काबू म रखते थे और अ धक ज मेदार होते थे। आधुिनक प रवेश के युवा बड़े-बूढ़ के
साथ बहत कम समय यतीत करते ह इस लए सोच एवं ि कोण म अ धक अ तर आ गया है। युवा पीढ़ी क यही नई सोच बुजुग ं
को अ छी नह लगती।
8. यशोधर बाबू के बारे म आपक या धारणा बनती है? िदए गए तीन कथन म से आप जसके समथन म ह, अपने अनुभव और
सोच के आधार पर उसके लए तक दी जए –
(क) यशोधर बाबू के िवचार पूरी तरह से पुराने ह और वे सहानुभूित के पा नह ह।
(ख) यशोधर बाबू म एक तरह का ं है जसके कारण नया उ ह कभी-कभी ख चता तो है पर पुराना छोड़ता नह । इस लए उ ह
सहानुभूित के साथ देखने क ज़ रत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदश यि व है और नयी पीढ़ी ारा उनके िवचार का अपनाना ही उिचत है।
उ र:- यशोधर बाबू म एक तरह का ं है जसके कारण नया उ ह कभी-कभी ख चता तो है पर पुराना छोड़ता नह । इस लए उ ह
सहानुभूित के साथ देखने क ज़ रत है।
यशोधर बाबू जैसे लोग साधारणतया िकसी न िकसी से भािवत होते ह, जैसे यशोधर बाबू िकशन दा से। ये परंपरागत ढर पर चलना
पस द करते ह तथा बदलाव पस द नह करते। अतः समय के साथ ढ़लने म असफल होते ह।
मेर े दादाजी भी पुराने िवचार से भािवत ह उ ह भी नई चीज अपनाने म तकलीफ़ होती है। इस कारण वे हमसे दख
ु ी रहते है और
हम भी दःु ख होता है इस लए म उनसे अनुनय िवनय करके धीरे-धीरे उनक आव यकता से प रिचत कराना चाहता हॅ ं तािक वे भी
लाभा वत हो सक।