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प्रचालन मार्गननर्दे शिका

प्रधानमंत्री कृषि श च
ं ाई योजना (पीएमकेए वाई)

“पानी की हर बूंद
ू बहुमल्
ू य है । मेरी सरकार जल सूंरक्षण को उच्च प्राथममकता दे ने के मलए
प्रततबद्ध है । यह प्राथममकता आधार पर काफी समय से लम्‍बत पडी मसूंचाई पररयोजनाओूं
को पूरा करे गी और ‘हर खेत को पानी’ के लक्ष्य के साथ ‘प्रधानमूंत्री कृषि मसूंचाई योजना’ की
शुरुआत करे गी। जहााँ कहीूं सूंभव हो वहााँ नददयों को जोडने सदहत सभी षवकल्पों पर
ग‍भीरता से षवचार ककए जाने की आवश्यकता है ताकक बाढ़ और सख
ू े को रोकने के मलए
हमारे जल सूंसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल सतु नम्श्चत ककया जा सके। जल सूंचय और जल
मसूंचन के माध्यम से विाा जल के दोहन से हम जल सूंरक्षण करें गे और भूममगत जल स्तर
बढ़ाएूंगे। ‘प्रतत बूूंद - अधधक फसल’ को सुतनम्श्चत करने के मलए सूक्ष्म मसूंचाई को लोकषप्रय
बनाया जाएगा (16वीूं लोकसभा के सूंयुक्त सूंसद सत्र में महामदहम राष्‍टरपतत का सूंबोधन)।
1.0 प्रस्तावना

दे श में लगभग 141 मममलयन है क्टे यर कुल बुवाई क्षेत्र में से वतामान में लगभग 65
मममलयन है क्टे यर (45 प्रततशत) मसूंचाई के तहत कवर है । विाा पर अत्यधधक तनभारता गैर-
मसूंधचत क्षेत्रों में खेती को जोखखम भरा और कम उत्पादक व्यवसाय बनाती है । अनभ
ु वजन्य
साक्ष्य बताते हैं कक सुतनम्श्चत अथवा सूंरक्षक्षत मसूंचाई से ककसान, खेती सूंबूंधी प्रौद्योधगकी
और ऐसे आदान म्जससे उत्पादकता में वद्
ृ धध होती है और खेती से होने वाली आय बढ़ती है ,
में तनवेश बढ़ाने को प्रोत्सादहत होते हैं।

प्रधानमूंत्री कृषि मसूंचाई योजना का बह


ृ द् दृम्ष्‍टटकोण दे श में सभी कृषि फामा में सूंरक्षक्षत
मसूंचाई की पहुूंच को सुतनम्श्चत करे गा ताकक प्रतत बूूंद अधधक फसल उत्पादन मलया जा
सकेगा और इस प्रकार वाूंतित ग्रामीण समद्
ृ धता लाई जा सकेगी।

2.0 उद्र्दे श्य

पीएमकेएसवाई के मुख्य उद्दे श्य तन‍नमलखखत हैं :

क) फील्ड स्तर पर मसूंचाई में तनवेश का अमभसरण प्रदान करना (म्जला स्तर पर तैयारी,
यदद आवश्यक हो तो उप-म्जला स्तर जल उपयोग योजनाएूं)

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ख) खेत में जल की पहुाँच को बढ़ाना और सतु नम्श्चत मसूंचाई (हर खेत को पानी) के
तहत कृष्‍टय भमू म को बढ़ाना

ग) उधचत प्रौद्योधगककयों और पद्धततयों के माध्यम से जल के बेहतर उपयोग के मलए


जल सूंसाधन का समेकन, षवतरण और इसका दक्ष उपयोग

घ) अवधध और सीमा में अपमशष्‍टट घटाने और उपलब्धता वद्


ृ धध के मलए ऑन फामा जल
उपयोग क्षमता का सध
ु ार

ङ) पररशुद्ध मसूंचाई और अन्य जल बचत प्रौद्योधगककयों (अधधक फसल प्रतत बूूंद) के


अपनाने में वद्
ृ धध करना

च) जलभत
ृ भराव में वद्
ृ धध और सतत जल सूंरक्षण पद्धततयों की शुरूआत करना

ि) मद
ृ ा और जल सूंरक्षण, भूजल के पुनभाराव, प्रवाह बढ़ाना, आजीषवका षवकल्प प्रदान
करना और अन्य एनआरएम गततषवधधयों की ओर पनधारा दृम्ष्‍टटकोण का उपयोग
करते हुए विाा मसूंधचत क्षेत्रों के समेककत षवकास को सुतनम्श्चत करना

ज) जल सूंचयन, जल प्रबूंधन और ककसानों के मलए फसल सूंयोजन तथा जमीनी स्तर के


क्षेत्र कममायों से सूंबूंधधत षवस्तार गततषवधधयों को प्रोत्सादहत करना ।

झ)पेरी शहरी कृषि के मलए उपचाररत नगरपामलका अपमशष्‍टट जल के पुनउा पयोग की


व्यवहायाता खोजना

ञ) मसूंचाई में महत्वपूणा तनजी तनवेश को आकषिात करना

यह अवधध में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ायेगा और फामा आय में वद्


ृ धध करे गा ।

3.0 रणनीनत और फोक क्षेत्र;

उपयक्
ुा त उद्दे श्यों को प्राप्त करने के मलए पीएमकेएसवाई को मसूंचाई आपूतता श्ख
ूं ृ ला
जैसे जल स्रोत, षवतरण नेटवका, प्रभावी फामा स्तर अनुप्रयोग, नई प्रौद्योधगककयों और सूचना
पर षवस्तार सेवा आदद में मूलभूत समाधान पर फोकस करते हुए रणनीतत पर बनाई जाएगी।
वह
ृ त रूप में पीएमकेएसवाई तन‍नमलखखत पर फोकस करे गा;

क. नये जल स्रोतों का तनमााण, जीणा जल स्रोतों का पुनस्


ा थापन और पुनरोद्धार, जल
सूंचयन अवसूंरचनाओूं का तनमााण, द्षवतीयक और िोटे भूंडारण, भूजल षवकास,

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ग्रामीण स्तर पर पर‍परागत जल तालाबों जैसे जल मम्न्दर (गज
ु रात); खतरी, कुहल
(दहमाचल प्रदे श); जेबो (नागालैंड); इडी, ओरे तनस (तममलनाडु); डोंग (असम); कतास,
बूंधा (ओडडशा और मध्य प्रदे श) आदद की क्षमता बढ़ाना ।

ख. जहाूं मसूंचाई स्रोत (आश्वामसत अथवा सूंरक्षक्षत दोनों) उपलब्ध हैं अथवा तनममात हैं में
षवतरण नेटवका का षवस्तार/वद्
ृ धध करना ।

ग. वैज्ञातनक आर्द्ाता सूंरक्षण की वद्


ृ धध करना और भू-जल पन
ु भ
ा रण सध
ु ार के मलए
आवाह तनयूंत्रण उपाय करना ताकक शैलों ट्यूब/डगबैल के माध्यम से पन
ु भाररत जल
तक पहुूंच के मलए ककसानों हे तु अवसरों का तनमााण ककया जा सके।

घ. प्रभावी जल पररवहन और फामा के भीतर क्षेत्र अनप्र


ु योग उपकरणों यथा भूममगत
पाईप प्रणाली, पीवोट, रे नगन और अन्य अनुप्रयोग उपकरणों आदद को प्रोत्सादहत
करना ।

ड. पूंजीकृत उपयोग कताा समूह/कृिक उत्पादक सूंगठनों/एनजीओ के माध्यम से


सामुदातयक मसूंचाई को प्रोत्सादहत करना और

च. कृिक उन्मुख गततषवधधयों जैसे क्षमता तनमााण, प्रमशक्षण और प्रदशान दौरे , प्रदशान,
फामा स्कूल, प्रभावी जल में कौशल षवकास और मास मीडडया अमभयान के माध्यम से
अधधक फसल प्रतत बूूंद पर बह
ृ द स्तरीय जागरूकता सदहत फसल प्रबूंधन प्रणामलयाूं
(फसल सूंयोजन), प्रदशातनयाूं, फील्ड डेज तथा लघु काटूान कफल्मों के माध्यम से
षवस्तार गततषवधधयाूं आदद ।

उपयक्
ुा त क्षेत्र केवल पीएमकेएसवाई के वह
ृ द फलक का खाका प्रस्तुत करते हैं;
कायाकलापों के सूंयोजन के मलए स्थल षवमशष्‍टट म्स्थततयों और आवश्यकताओूं के
आधार पर अपेक्षक्षत हैं म्जसे म्जला और राज्य मसूंचाई योजनाओूं के माध्यम से
धचम्न्हत ककया जायेगा । मसूंचाई कवरे ज के मलए षवमभन्न राज्यों में मसूंचाई षवकास
पर अधधक फोकस ककया जायेगा । राज्यवार विाा मसूंधचत और मसूंधचत क्षेत्र को दशााने
वाला राज्यवार मैदरक्स अनुबंध-क पर है ।

4.0 कायगक्रम घटक

पीएमकेएसवाई में तन‍नमलखखत कायाक्रम घटक होंगे;

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क. त्वररत श च
ं ाई लाभ कायगक्रम (एआईबीपी)

क. राष्‍टरीय पररयोजनाओूं सदहत जारी मुख्य और मध्यम मसूंचाई पररयोजनाओूं को


तेजी से पूणा करने पर फोकस करना।

ख. पीएमकेए वाई (हर खेत को पानी)

क. लघु मसूंचाई (सतही और भूममगत जल दोनों) के माध्यम से नये जल स्रोतों का


तनमााण

ख. जल सग्रहणों की मर‍मत, सुधार और नवीकरण, परा‍परागत स्रोतों की वहन क्षमता


का मजबूतीकरण, जल सूंचयन सूंरचनाओूं का तनमााण (जल सूंचय)

ग. कमाूंड एररया षवकास, खेत से स्रोत तक षवतरण नेटवका का सदृ


ु ढ़ीकरण और
मजबूतीकरण

घ. क्षेत्रों में जहाूं यह प्रचरु मात्रा में हो, भज


ू ल षवकास करना ताकक उच्चतम विाा मौसम
के दौरान आवाह/बाढ़ जल का भूंडारण करने के मलए तालाब का तनमााण हो सके।

ड. उपलब्ध सूंसाधनों म्जनकी क्षमता का पूणा दोहन नहीूं हुआ है , से लाभ उठाने के मलए
जल तालाबों के मलए जल प्रबूंधन और षवतरण प्रणाली में सध
ु ार। कम से कम 10
प्रततशत कमाूंड एररया सक्ष्
ू म/पररशुद्ध मसूंचाई के तहत कवर ककया जाना।

च. षवमभन्न स्थानों के स्रोतों से जहाूं कम पानी के अधधक क्षेत्र आस-पास हो में जल


षवचलन, मसूंचाई कमाूंड के तनरपेक्ष में आईडब्ल्यूएमपी और मनरे गा के अलावा
आवश्यकता को पूरा करने के मलए नीचाई पर म्स्थत जल तनकायों नदी से मलफ्ट
मसूंचाई।

ि. परा‍परागत जल भूंडारण प्रणामलयों जैसे जल मम्न्दर (गुजरात); खतरी, कुहल


(दहमाचल प्रदे श); जेबो (नागालैंड); इडी, ओरे तनस (तममलनाडु); डोंग (असम); कतास,
बूंधा (ओडडशा और मध्य प्रदे श) आदद का व्यवहाया स्थानों पर तनमााण और
पन
ु रूद्धार।

र्. पीएमकेए वाई (प्रनत बंर्द अधधक फ ल)

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क. कायाक्रम प्रबूंधन, राज्यों/म्जला मसूंचाई योजना की तैयारी, वाषिाक काया योजना का
अनम
ु ोदन, मल्
ू याकूंन आदद।

ख. प्रभावी जल पररवहन और फामा के भीतर क्षेत्र अनुप्रयोग उपकरणों यथा भूममगत


पाइप प्रणाली, पीवोट, रे नगन (जल मसूंचन) का प्रोत्साहन।

ग. स्वीकाया सीमा से अधधक (40%) मसषवल तनमााण के तहत लाइतनूंग इनलैट,


आउटलैट, मसल्ट रै प्स, षवतरण प्रणाली आदद जैसी गततषवधधयों के मलए आदान
लागत को स‍पूररत करना ।

घ. टयूबवेल और डगवेल (ऐसे क्षेत्रों में जहाूं भूजल उपलब्ध है और षवकास की


अद्ाध/महत्वपर्
ू ा/अतत दोहन के तहत नहीूं हैं )सदहत स्रोत तनमााण गततषवधधयों को
सूंपूररत करने के मलए सूक्ष्म मसूंचाई सूंरचनाओूं का तनमााण करना म्जन्हें
ब्लॉक/म्जला मसूंचाई योजना के अनुसार एआईबी, पीएमकेएसवाई (हर खेत को
पानी), पीएमकेएसवाई (पनधारा) और मनरे गा के तहत सहायता नहीूं दी जाती ।

ड. अत्यधधक उपलब्धता (विाा मौसम) के समय नहर प्रणाली के अूंततम मह


ु ाने पर
द्षवतीयक भूंडारण सूंरचना अथवा प्रभावी ऑन फामा जल प्रबूंधन के माध्यम से
शुष्‍टक अवधध के दौरान बारहमासी स्रोतों जैसे माध्यमों से जल भूंडारण ।

च. पानी ले जाने वाले पाईपों, भूममगत पाइप प्रणाली सदहत पानी खीूंचने वाले
उपकरणों जैसे डीजल/इलेम्क्रक/सौर प‍प सैट ।

ि. विाा और न्यूनतम मसूंचाई आवश्यकता (जल सूंरक्षण) सदहत उपलब्ध जल के


अधधकतम उपयोग के मलए फसल सूंयोजन सदहत वैज्ञातनक आर्द्ा ता सूंरक्षण और
कृषि षवज्ञान उपायों के प्रोत्साहन के मलए षवस्तार गततषवधधयाूं ।

ज. क्षमता तनमााण, न्यून लागत प्रकाशनों सदहत प्रमशक्षण और जागरूकता अमभयान,


सामुदातयक मसूंचाई सदहत तकनीकी, कृषि षवज्ञान और प्रबूंधन प्रणामलयों के
माध्यम से क्षमता उपयोग जल स्रोत को बढ़ावा दे ने के मलए पीको प्रोजेक्टर और
कम लागत कफल्मों का उपयोग ।

झ. षवस्तार कमी पीएमकेएसवाई के तहत प्रासूंधगक प्रौद्योधगककयों के प्रसार के मलए


केवल तभी सक्षम होंगे जब उन्हें षवशेिकर वैज्ञातनक आर्द्ाता सूंरक्षण और कृषि
षवज्ञान के प्रोत्साहन के क्षेत्र में , पाइप और बॉक्स आउटलैट प्रणाली जैसे
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उन्नत/नवाचारी षवतरण तूंत्र आदद के मलए अपेक्षक्षत प्रमशक्षण प्रदान ककया जाता
है । उधचत डोमेन षवशेिज्ञ मास्टर प्रमशक्षक के रूप में काया करें गे ।

ञ. एनईजीपी-ए के माध्यम से सूचना सूंचार प्रौद्योधगकी (आईसीटी) का उपयोग जल


उपयोग क्षमता, पररशद्
ु ध मसूंचाई प्रौद्योधगककयों, ऑन फामा जल प्रबूंधन, फसल
सूंयोजन आदद में हो और योजना की सघन मातनटररूंग भी हो ।

घ. पीएमकेए वाई (पनधारा षवका )

क. पनधारा आधाररत आवाह जल का प्रभावी प्रूंबध


ूं न एवूं उन्नत मद
ृ ा और आर्द्ाता
सूंरक्षण गततषवधधयों जैसे ररज क्षेत्र उपचार, तनकासी लाईन उपचार, विाा जल
सूंचयन, आर्द्ा ता सूंरक्षण एवूं अन्य सूंबूंद्ध गततषवधधयााँ ।

ख. पर‍परागत जल तालाबों के नवीकरण सदहत धचम्न्हत षपिडे विाा मसूंधचत ब्लॉकों में
परू ी क्षमता हे तु जल स्रोतों के तनमााण के मलए मनरे गा के साथ अमभसरण ।

इन घटकों के तहत काया की जाने वाली गततषवधधयाूं अनुबंध-ख पर है ।

5.0 जजला और राज्य श च


ं ाई योजनाएं

म्जला मसूंचाई योजनाएूं पीएमकेएसवाई की योजना बनाने और कायाान्वयन के मलए


आधारमशला होंगी । वतामान उपलब्ध मसूंचाई अवसूंरचना और सूंसाधनों म्जन्हें बारहवीूं योजना
के दौरान अन्य जारी योजनाओूं (राज्य और केन्र्द्ीय दोनों) जैसे महात्मा गाूंधी राष्‍टरीय
ग्रामीण रोजगार गारूं टी योजना (मनरे गा), राष्‍टरीय कृषि षवकास योजना (आरकेवीवाई), ग्रामीण
अवसूंरचना षवकास तनधध (आरआईडीएफ), साूंसद स्थानीय क्षेत्र षवकास (एमपीएलएडी)
योजना, षवधायक स्थानीय क्षेत्र षवकास (एमएलएएलएडी) योजना, स्थानीय तनकाय तनधधयों
आदद के रू-बरू राष्‍टरीय कृषि षवकास योजना के मलए पहले से तैयार म्जला कृषि योजना
(डीएपी) पर षवचार करने के पश्चात डीआईपी मसूंचाई अवसूंरचना में कमी(gaps) को धचम्न्हत
करे गा ।

रणनीततगत अनुसूंधान और षवस्तार योजना (एसआरईजीपी) के तहत धचम्न्हत


कममयाूं(gaps) का उपयोग डीआईपी तैयार करने में होगा।

दीघाावधध षवकास योजनाओूं के तीन घटकों यथा जल स्रोत, षवतरण नेटवका और जल


उपयोग प्रणामलयों को पेयजल और घरे लू उपयोग, मसूंचाई तथा उद्योग के सभी उपयोगों को

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शाममल करके डी.आई.पी म्जले के समग्र मसूंचाई षवकास पररदृश्य को प्रस्तुत करे गा ।
डीआईपी म्जले में सभी मौजद
ू ा और प्रस्ताषवत जल सूंसाधन नेटवका प्रणामलयों का साराूंश
तैयार करे गा ।

डीआईपी को दो स्तर, ब्लॉक और म्जला पर तैयार ककया जायेगा। मानधचत्र तैयारी


और डाटा एकत्रीकरण की सुषवधा को ध्यान में रखते हुए काया को प्राथममक रूप से ब्लॉक
स्तर पर ककया जाना है । ब्लॉक स्तरीय मसूंचाई योजना को सामाम्जक-आधथाक और स्थान
षवशेि आवश्यकता पर आधाररत कायाकलापों को प्राथममकता दे ते हुए कृषि क्षेत्र के मलए
उपलब्ध और सूंभाषवत जल सूंसाधन तथा जल आवश्यकता के आधार पर तैयार ककया जाना
है । यदद योजना को बेमसन/उप-बेमसन स्तर के आधार पर ककया जाना हो तो व्यापक मसूंचाई
योजना में एक से ज्यादा म्जलों को कवर ककया जा सकता है । बेमसन/उप-बेमसन योजना में
धचम्न्हत कायाकलापों को म्जला/ब्लॉक स्तरीय काया योजना में अलग ककया जा सकता है । शुरू
में कम से कम पायलट आधार पर मसूंचाई योजनाओूं के षवकास के मलए सैटलाइट इमेजरी,
टोपोशीट और उपलब्ध डाटाबेस के उपयोग को उधचत रूप से उपयोग ककया जा सकता है और
तदनस
ु ार उसको सभी पररयोजनाओूं के मलए जा सकता है । डी.आई.पी तैयार करते समय
पनधारा पररयोजनाओूं की डीपीआर को भी ध्यान में रखना चादहए। इन आयोजनों(Plans)
को पूंचायत राज सूंस्थाओूं को शाममल करते हुए गहन पारस्पररक मशषवरा प्रकक्रया से तैयार
करने की आवश्यकता है। राज्य कृषि षवश्वषवद्यालय भी षवस्ततृ पररयोजना ररपोटा और
े़
म्जला स्तरीय योजनाओूं के तनष्‍टपादन और कायाान्वयन में गहरे रूप से जड
ु े होने चादहएूं।
ग्रामीण षवकास, शहरी षवकास षवभाग, पेयजल, पयाावरण तथा वन, षवज्ञान एवूं प्रौद्योधगक,
औद्योधगक नीतत आदद के साथ इस क्षेत्र के मलए उपलब्ध तकनीकी, षवत्तीय और मानव
सूंसाधन को जल क्षेत्र के व्यापक षवकास के मलए लगाया जाना है । तदोउपराूंत डीआईपी को
राज्य मसूंचाई योजना (एसआईपी) में शाममल ककया जाना है ।

प्रत्येक फामा को या तो तनम्श्चूंत या सूंरक्षी जल स्रोत की उपलब्धता के मलए ब्लॉक


के भूमम जल षवज्ञान और कृषि पाररम्स्थतकी पररदृश्य पर ध्यान दे ते हुए फसल जल
आवश्यकता का माूंग और आपूतता आूंकलन, प्रभावी विाा एवूं उपलब्ध और नये जल स्रोतों के
क्षमतापण
ू ा स्रोत की आवश्यकता होगी। मास्टर प्लान में उपलब्ध जल, षवतरण नेटवका
तनम्ष्‍टक्रय जल तनकायों, सतही और उप-सतही प्रणामलयों सदहत नई क्षमतात्मक जल स्रोतों,
अनुप्रयोग तथा पररवहन प्रावधान, उपलब्ध/अमभकम्ल्पत जल की मात्रा और स्थनीय कृषि
पाररम्स्थतकी के उधचत के मलए एकीकृत फसल और फसलन प्रणाली के सभी स्रोतों पर

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सच
ू ना शाममल की जायेगी। जल सूंचयन, सतही/उप-सतही स्रोतों से जल की वद्
ृ धध, जल
तनकायों की मर‍मत और पन
ु ध
ा ार सदहत जल अनप्र
ु योग और षवतरण, मख्
ु य मध्य और लघ
मसूंचाई काया, कूंमाड क्षेत्र षवकास आदद से सूंभाषवत सभी कायाकलापों को इस मास्टर प्लान
के भीतर ककया जाना है । प्रभावी षवतरण और अनुप्रयोग तूंत्र के जररये जल स्रोत की
पहुूंच/कवरे ज को बढ़ाना, कूंमाड क्षेत्र षवकास और सूक्ष्म मसूंचाई पर ज्यादा ध्यान दे ने के
जररये तनममात क्षमता और उपयोग के बीच अूंतर को कम करना जैसे लो हें धगूंग फ्रूट से
क्षमता लाभ प्राप्त करने पर जोर ददया जाना है । जल सूंसाधनों के बेहतर उधचत उपयोग के
मलए बाूंध और जल सूंचयन सूंरचनाओूं जैसे स्रोत के तनमााण, नहर और कूंमाड क्षेत्र षवकास
काया तथा सूक्ष्म मसूंचाई के उधचत समेकन ककया जाना है । मसूंचाई प्रयोजन के मलए शहरी
पररशुद्ध अपमशष्‍टट जल के उपयोग के मलए भी कदम उठाये जाना है । स‍बधधत नगरों के
मलए शहरी तनवास स्थान के स‍पूणा कृषि भमू म में इस प्रयोजन के मलए कूंमाड क्षेत्र धचम्न्हत
ककया जायेगा। तथाषप उपयोग के समय में षवशेि कायाकलापों के मलए गन्दें पानी की
गुणवत्ता के सूंस्तत
ु मानदर्डों (पररशिष्ट र् में दर्दया र्या) को साफ ककये गये पानी के
उपयोग के दौरान सुतनम्श्चत ककया जाये।

एसआईपी न केवल डीआईपी को शाममल करके तथा आरकेवीवाई के मलए पहले से ही


उपलब्ध राज्य कृषि योजना (एसएपी) के साथ सह-स‍बूंधधत करता है तथा दीघावधध सीमा के
माध्यम से सूंसाधन और रूपरे खा तनम्श्चत वाषिाक काया योजना को भी प्रथाममकता दे ता है ।
यह योजना कृषि प्रौद्योधगकी प्रबूंधन एूंजेंसी (एटीएमए) के तनरीक्षण के तहत षवस्तार और
आईसीटी सूंबूंधधत कायाकलापों पर सच
ू ीबद्ध करने का काया भी करता है ।

डीआईपी और एसआईपी सूंसाधनों और प्रयासों के अतत अच्िाददत को कम करके


तथा षवमभन्न केम्न्र्द्य प्रायोम्जत/राज्य योजना स्कीमों के जररये उपलब्ध तनधधयों का इष्‍टटतम
उपयोग सुतनम्श्चत करके समरूपता पर आपेक्षक्षत जोर दे गा।

प्रत्येक म्जलें को म्जला मसूंचाई योजना की तैयारी के मलए एक बार की षवत्तीय


सहायता प्रदान की जायेगी। पीएमकेएसवाई की शरू
ु वात से तीन महीने की अवधध के भीतर
डीआईपी और एसआईपी को अम्न्तम रूप ददया जाना है । एसआईपी की तैयारी और व्यापक
मसूंचाई षवकास के मलए राज्य सरकारों को परामशा प्रदान करने में राष्‍टरीय विाा क्षेत्र
प्राधधकरण (एनआरएए) का सहयोग होगा।

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म्जला मसूंचाई योजना तैयार करते समय माननीय ससूंद सदस्य, स्थानीय षवधायक के
सझ
ु ाव मलए जाएगें और म्जला मसूंचाई पररयोजना में सम्‍ममलत ककया जाएगा। इस म्जला
स्तरीय पररयोजना को अूंततम रूप दे ते समय स्थानीय सूंसद सदस्य के उपयोगी सुझावों को
प्राथममकता दी जाएगी।

6.0 लार्त मानर्दण्ड और हायता का प्रनतमान

एआईबीपी, पीएमकेएसवाई (हर खेत को पानी), पीएमकेएसवाई (प्रतत बूूंद अधधक


फसल), और पीएमकेएसवाई (पनधारा षवकास) जैसे सूंबूंधधत घटकों के कायाकलापों के मलए
तकनीकी आवश्यकता/मानक, सहायता का प्रततमान आदद सूंबूंधधत मूंत्रालयों/षवभागों के
वतामान ददशातनदे शों के अनुसार अथवा सूंबूंधधत केन्र्द्ीय मूंत्री के अनुमोदन के साथ सूंबूंधधत
मूंत्रालयों/षवभागों द्वारा जारी ककया गया, शरू
ु की गई अततररक्त कायाकलापों को शममल करते
हुए सूंशोधधत मानदर्डों के अनुसार ककया जायेगा।

समतल्
ु य केन्र्द्ीय योजना स्कीम के ना होने पर उनके स्कीमों के मलए सूंबूंधधत राज्य
सरकारों द्वारा तनधााररत मानदर्डों और शतों लागू ककया जायेगा।

जहाूं कोई केन्र्द्ीय/राज्य सरकारी मानदर्ड ना हो वहाूं प्रत्येक ऐसे मामलें में राज्य
स्तरीय पररयोजना स्क्रीतनूंग सममतत (एसएलपीएससी) द्वारा प्रस्ताषवत लागत का औधचत्य
प्रमाण पत्र इसके कारणों के साथ तनरपवाद रूप से ददया जायेगा।

राज्यों को सरकारी अनम


ु ोददत दर का पालन करना होगा उदाहरण मसूंचाई अवसूंरचना
की तैयारी के मलए ग्रामीण क्षेत्रों में कायारत सीपीडब्लयूडी/पीडब्ल्यूडी/मसूंचाई षवभाग और
समान सरकारी एूंजेम्न्सयों के दर की अनुसूची।

7.0 पात्रता मानर्दण्ड

वद्
ृ धधमान बजट के अलावा, पीएमकेएसवाई गततशील वाषिाक तनधध आबूंटन प्रणाली
अपनाया जायेगा जो पीएमकेएसवाई तनधधयों के प्राम्प्त के मलए योग्य बनने हे तु मसूंचाई क्षेत्रों
को अधधक तनधधयों के आबूंटन को राज्यों को आदे श दे गा। इस प्रायोजन के मलए :

क) राज्य पीएमकेएसवाई तनधध प्राम्प्त के मलए योग्य केवल तब होगा जब वह


आरूं मभक विा के अलावा और षवचाराधीन विा में कृषि क्षेत्र के मलए जल सूंसाधन

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षवकास में व्यय आधार रे खा व्यय से कम न हो और उसने म्जला मसूंचाई योजना
(डीआईपी) और राज्य मसूंचाई योजना (एसआईपी) तैयार करी हों। षवचाराधीन विा
के पहले के तीन विा में राज्य योजना में राज्य षवभाग पर ध्यान ददये बबना
मसूंचाई क्षेत्र में व्यय की औसत आधारी व्यय होगा (अथाात राज्य योजना स्कीमों
से जल स्रोत, षवतरण, प्रबूंधन, और अनुप्रयोग का सज
ृ न)।

ख) राज्यों को मसूंचाई प्रयोजन के मलए जल और षवघुत पर शुल्क लगाने के मलए


अततररक्त महत्व ददया जायेगा ताकक कायाक्रम की सततता को सुतनम्श्चत ककया
जा सके।

ग) पीकेएमएसवाई तनधध का अूंतर राज्य आबूंटन (i) मरूभूमम षवकास कायाक्रम


(डीडीपी) और सूखा प्रवण क्षेत्र षवकास कायाक्रम (डीपीएपी) के तहत वगीकृत क्षेत्रों
के प्रमख
ु ता सदहत राष्‍टरीय औसत की तल
ु ना में राज्य में अवमसूंधचत क्षेत्र की
प्रततशत का अूंश और (ii) षपिले विा के पहले के तीन विा से पहले राज्य योजना
व्यय में कृषि क्षेत्र के मलए जल सूंसाधन के षवकास पर व्यय के प्रततशत अूंश में
वद्
ृ धध (iv) राज्य में मसूंचाई क्षमता सुधार के आधार पर तनम्श्चत ककया जायेगा।

8.0 षवत्तपोिण प्रनतमान

पीएमकेएसवाई तनधधयाूं षवत्त मूंत्रालय और नीतत आयोग द्वारा तनम्श्चत केन्र्द्ीय


प्रयोम्जत स्कीमों के सहायता प्रततमान के अनुसार राज्य सरकारों को प्रदान ककया जायेगा।
विा 2015-16 के दौरान चल रही योजनाओूं की सहायता का वतामान प्रततमान जारी रखा
जायेगा।

9.0 कायगक्रम ंरचनााः

पीएमकेएसवाई को केवल ‘षवकेन्र्द्ीकृत राज्य स्तरीय योजना और पररयोजनाकृत


तनष्‍टपादन’ सूंरचना को अपनाते हुए क्षेत्र षवकास स्तर में कायााम्न्वत ककया जायेगा। जो राज्यों
को 5-7 विों की सीमा के साथ डीआईपी और एसआईपी पर आधाररत उनके अपने मसूंचाई
षवकास योजनाओूं को शुरू करने में अनुमतत दे गा। कायाान्वयन का प्राथममक स्तर 12वीूं
योजना के शेि के 02 विा होगा।

राज्य अनुसूधचत जातत/अनुसूधचत जनजातत तथा लघु एवूं सीमाूंत ककसानों की अधधक
जनसूंख्या वाले , ज्यादा अवमसूंधचत क्षेत्रों, कम कृषि उत्पादकता वाले म्जलों के बीच

10
पररयोजनाओूं को प्रमख
ु ता दे ते हुए राज्य पीकेएमएसवाई तनधधयों का लगभग 50 प्रततशत
आबूंदटत करे गा। राज्य पीकेएमएसवाई के कायाान्वयन के समय सूंसद आदशा ग्राम योजना
(एसएजीवाई) के तहत धचम्न्हत म्जलों को भी प्रमुखता दे गा। शेि 50 प्रततशत को
पररयोजनाओूं के सूंचालन/सूंशोधन के मलए प्रमुखता दी जायेगी जो समाम्प्त के रममानल स्तर
के अधीन है (जल सूंसाधन षवकास/पनधारा)। कूंमाड क्षेत्र षवकास और सूक्ष्म मसूंचाई के जररये
सम्ृ जत तथा वास्ताषवक रूप से उपयोग ककये गये मसूंचाई क्षमता के बीच अूंतर को कम करने
के मलए भी प्रमख
ु ता दे ता है ।

जैसा कक पीएमकेएसवाई पररयोजनाकृत दृम्ष्‍टटकोण के साथ क्षेत्र आधाररत योजना होगा


सभी महत्वपण
ू ा घटकों अथाात सूंभाव्य अध्ययन, कायााम्न्वत एूंजेम्न्सूंयों की योधगयता,
पूवाानुमातनत लाभ (पररणाम) जो ककसान/राज्य को जाता है , कायाान्वयन के मलए तनम्श्चत
समय सीमा आदद को शाममल करते हुए व्यापक मसूंचाई योजना पर आधाररत प्रत्येक
पीएमकेएसवाई घटक के मलए पररयोजना ररपोटा की तैयारी की जायेगी।

प्रत्येक कलस्टर की षवस्तत


ृ पररयोजना ररपोटा (डीपीआर) में समबूंद्धधत घटकों अथाात
आवश्यक षवत्त पोिण सहायता के साथ समबूंद्धधत घटकों के तहत कवर ककये गये
कायाकलापों पर आधाररत एआईबीपी, पीएमकेएसवाई (हर खेत को पानी), पीएमकेएसवाई
(प्रतत बूंद
ू अधधक फसल), पीएमकेएसवाई (पनधारा षवकास) की पतू ता के मलए 4 उप
पररयोजनाएूं होगी। यह सुतनम्श्चत ककया जाना चादहए कक षवत्त पोिण और/अथवा केन्र्द्/राज्य
सरकार के अन्य योजना स्कीमों के तहत ऐसे क्षेत्रों में समान कायाकलापों को करने के मलए
कोई आवम्ृ त्तकरण ना हो और प्रत्येक पररयोजना घटकवार के तहत प्रस्ताषवत विावार
वास्ताषवक षवत्तीय लक्ष्यों की स्पष्‍टट सूचना प्रदान करें ।

25 करोड रूपये से भी अधधक लागत वाले वह


ृ त व्यम्क्तगत पररयोजना कायाकल्प के
मामले में तत
ृ ीय दल ‘तकनीकी-षवत्तीय मूूंल्याकन’ के अधीन होगा।

जल के प्रभावी उपयोग को सुतनम्श्चत करने हे तु षवस्तार सेवाऐूं वह


ृ त कवरे ज और
ककसानों को सा‍यता सुतनम्श्चत करने के मलए कैसे कृषि पाररम्स्थततकी म्स्थततयों और उधचत
कृषि प्रणामलयों को तनधााररत फसलों/फसलन प्रणाली के जररये उपलब्ध जल को बेहतर
उपयोग बनाने के लक्ष्य पर फोकस करे गा। चयतनत क्षेत्रों में इस षविय के मलए कुि
प्रगाततशील ककसानों को सुग्राही बनाया जाएगा और वतामान मसूंचाई सुषवधाओूं के साथ
फसलन प्रततमान में पररवतानों के साथ प्रयोग को प्रोत्सादहत ककया जाएगा। एटीएमए स्कीम

11
के फामा स्कूल घटक को इस कायाकलाप की शरू
ु आत के मलए उधचत रूप से उपयोग ककया
जाएगा। जल और उसके प्रभावी उपयोग की क्षमता वद्
ृ धध को प्रदमशात करने के मलए योजना
के अनुसार उनको अलग करने के मलए म्जलों में 8 से 10 गााँवों के क्लस्टर को मलया
जाएगा। ऐसी कायाकलापों के सूंवधान में इन क्लस्टरों की सफलता म्जला के अन्य भागों में
दोहराई जायेगी।

वह
ृ त कवरे ज तक सूक्ष्म मसूंचाई की पहुूंच को बढ़ाने हे तु जागरूकता अमभयान, प्रदशान,
क्षमता तनमााण, प्रमशक्षण, रखरखाव सेवा प्रदान करना, तकनीकी समथान आदद के साथ
सम्‍ममलत कूंपतनयों सदहत सुतनम्श्चत ककया जाएगा।

पारूं पररक प्रणामलयााँ जैसे जल मम्न्दर; खत्री; खुल; जाबो ओररयनस; डोंग्स; कट्स;
बूंधास आदद, नवाचारी पररयोजना, सहभागी प्रबूंधन आदद की सफलता की कहातनयों को
व्यापक रूप से प्रततकृत करने हे तु अन्य राज्यों एूंजेंमसयों के साथ शेयर करने के मलए
एकबत्रत कर दस्तावेज के रूप में तैयार की जा सकती है ।

10.0 नोडल षवभार्

चकूूं क पीएमकेएसवाई का अम्न्तम पररणाम प्रत्येक खेत पर जल का प्रभावी षवतरण


और अनुप्रयोग की प्राम्प्त को सुतनम्श्चत करना है म्जसके जररये कृषि उत्पादन और
उत्पादकता में वद्
ृ धध को बढ़ाना है , पीएमकेएसवाई के कायाान्वयन के मलए राज्य कृषि षवभाग
नोडल षवभाग होगा। कृषि मूंत्रालय (एमओए) और राज्य सरकार के बीच के सभी सूचनाओूं
का आदान-प्रदान नोडल षवभाग के जररये होगा। तथाषप एआईबीपी, पीएमकेएसवाई (हर खेत
को पानी), पीएमकेएसवाई (प्रतत बूूंद अधधक फसल) और पीएमकेएसवाई (पनधारा षवकास)
जैसे चार घटकों के मलए कायााम्न्वत षवभागों को सूं‍बूंद्धधत कायाक्रम मूंत्रालय/षवभाग द्वारा
तनम्श्चत ककया जायेगा।

राज्य सरकार कायाक्रम के समग्र तनरीक्षण और समन्वय के मलए राज्य में


आरकेवीवाई के तहत वतामान तूंत्र और उपलब्ध सूंरचनाओूं को उपयोग करे गी। राज्य
पीएमकेएसवाई के कायों के समन्वयन का उत्तरदातयत्व सौंपने के मलए समान कायाकलापों
हे तु उपलब्ध वतामान राज्य स्तरीय एूंजेंमसयों सुदृढ़ भी करे गा। राज्य पीएमकेएसवाई के
अधधदे श को पूरा करने के मलए अततररक्त सदस्यों के समावेशन के साथ आईडब्ल्यूएमपी के
वतामान एसएएमईटीआई या एसएलएनए के पुनरुद्धार और पीएमकेएसवाई के कायाान्वयन के
मलए राष्‍टरीय विाा क्षेत्र प्राधधकरण (एनआरएए) के तनरीक्षण के तहत सूंचालन भी करे गा। सभी

12
प्रस्तावों को अूंतर षवभागीय काया समह
ू और राज्य स्तरीय सूंस्ततु त सममतत को प्रस्तुत करने
से पहले राज्य स्तरीय समन्वय एूंजेन्सी द्वारा समीक्षा की जाने की आवश्यकता है ।
पीएमकेएसवाई में कायाक्रम के प्रबूंधन के मलए सुदृढ़ तकनीकी घटक और डोमेन षवशेिज्ञ
होंगे। कायाक्रम के तहत राज्य को उपलब्ध प्रशासतनक प्रावधानों से परामशादाता और
व्यवसातयक को काया पर लगाने के मलए सहायता दी जाएगी।

राज्य द्वारा धचम्न्हत नोडल षवभाग तथा एजेंसी षवमभन्न कायाान्वयन षवभागों/म्जलों
से प्राप्त प्रत्येक कलस्टर के सभी उप-पररयोजनाओूं को प्रत्येक डीपीआर के रूप में एकबत्रत
करे गा और अूंतषवाभागीय काया-समूह (आईडीडब्ल्यज
ू ी) के समक्ष सूक्ष्म परीक्षण के मलए और
राज्य स्तरीय सूंस्वीकृतत सममतत (एसएलएससी) के समक्ष मूंजरू ी के मलए रखा जाएगा।

नोडल षवभाग/एजेंसी कायाान्वयक षवभागों/एजेंमसयों के साथ तनगरानी, षवत्तीय और


वास्तषवक प्रगतत का समन्वयन के मलए भी उत्तरदायी होगा और भारत सरकार को
सम्‍ममलत उपयोगी प्रमाण-पत्र (यूसी) और वास्तषवक/षवत्तीय प्रगतत ररपोटा प्रस्तुत करता है ।

इसके अततररक्त तन‍नमलखखत के मलए भी नोडल षवभाग/एजेंसी उत्तरदायी होगा:-

(i) डीआईपी और एसआईपी की तैयारी का समन्वयन

(ii) पररयोजनाओूं की तैयारी और मूल्याूंकन, कायाान्वयन, तनगरानी और षवमभन्न


षवभागों तथा कायाान्वयक एजेंमसयों के साथ मूल्याूंकन का समन्वयन

(iii) केन्र्द् तथा राज्य सरकारों से प्राप्त तनधधयों का प्रवतान और कायाान्वयक


एजेंमसयों को तनधधयों का षवतरण।

(iv) कृषि एवूं सहकाररता षवभाग को ततमाही वास्तषवक और षवत्तीय प्रगतत ररपोटा
की प्रस्तुतत

(v) वेब यक्


ु त आईटी आधाररत पीएमकेएसवाई प्रबूंधन सच
ू ना प्रणाली
(पीएमकेएसवाई-एमआईएस) प्रभावी रूप से उपयोग ककया जाना और तनयममत
रूप से अपडेट ककया जाना ।

(vi) एसएलएसपीसी और आईडीडब्ल्यज


ू ी बैठक को आयोम्जत करना। कायासच
ू ी की
पयााप्त प्रततयों सदहत बैठक सूचना और पररयोजना षववरण कृषि एवूं
सहकाररता षवभाग को भेजा जाए ताकक भारत सरकार के प्रतततनधधयों को

13
तैयारी और एसएलएससी बैठक में अथापण
ू ा सहभाधगता के मलए तैयार करने के
मलए एसएलएससी की बैठक से कम से कम 15 ददन पहले पहुाँच सके।

11.0 राज्य स्तरीय ंस्तनु त शमनत (ए एलए ी)

आरकेवीवाई के तहत पहले से घदटत और राज्य के मुख्य सधचव की अध्यक्षता में


राज्य स्तरीय सूंस्तुतत सममतत (एसएलएससी) भारत सरकार के प्रतततनधधयों द्वारा बैठक में
आईडीडब्ल्यज
ू ी द्वारा षवमशष्‍टट पररयोजनाओूं की सूंस्ततु त प्राधधकरण में तनदहत होगी।

अन्य बातों के साथ-साथ एसएलएससी तन‍नमलखखत के मलए भी उत्तरदायी होगी :-

(क) राज्य मसूंचाई योजना (एसआईपी) और म्जला मसूंचाई योजना (डीआईपी) का


अनुमोदन

(ख) पीएमकेएसवाई के तहत पररयोजनाओूं के षवत्त पोिण की सूंस्ततु त और प्रमुखता दे ना

(ग) पीएमकेएसवाई के कायाान्वयन की तनगरानी और समीक्षा

(घ) अन्य स्कीमों के साथ अमभसरण को सुतनम्श्चत करना और प्रयासों या सूंसाधनों की


पुनरावम्ृ त्त न हो

(ङ) पररयोजनाओूं में षवत्तीय प्रततमानों/राजसहायता समथान से सूंबूंधधत कोई अूंतर म्जला
असमानता न हो, को सुतनम्श्चत ककया जाना।

(च) पररयोजना की प्रकृतत पर आधाररत प्रत्येक पररयोजना के मलए राज्य में कायाान्वयक
एजेंसी/षवभाग को तनम्श्चत करना और एजेंसी/षवभाग के साथ उस षवभाग में उपलब्ध
को षवशेिीकृत करना।

(ि) यह सुतनम्श्चत करना कक सूंबूंधधत कायाक्रम/घटक मूंत्रालय/षवभाग द्वारा ददए गए


ददशा-तनदे शों के अनुसरण में कायाक्रम कायाान्वयन ।

(ज) समय-समय पर मूल्याूंकन अध्ययन को शुरु करना जहाूं भी आवश्यक हो;

(झ) यह सुतनम्श्चत करे कक भारत सरकार की सभी मौजूदा प्रकक्रयाओूं और तनदे शों का
पालन हो ताकक पररयोजनाओूं के कायाान्वयन पर व्यय अथाव्यवस्था के मलए
न्युनतम धचूंता को और षवत्तीय प्रथाममकताओूं पारदमशाकताओूं और सत्य तनष्‍टठता के
अनुरूप भी हो।

14
(ञ) यह सतु नम्श्चत करना की पीएमकेएसवाई के कायाान्वयन में पूंचयती राज सूंस्थान
(पीआरआई) षवशेि रूप में लाभाथीयों के चयन, सामाम्जक लेखा परीक्षा आयोजन
आदद में सकक्रया रूप से शाममल है ।

एसएलएससी बहु विा समयसीमा पररयोजनाओूं की पतू ता और भौततक प्रगतत के आधार पर


षवत्त पोिण को प्रमुखता दे ने के मलए पीएमकेएसवाई पररयोजनाओूं को पीएमकेएसवाई के
तहत राज्य वाषिाक आवूंटन की रामश को दो गुना तक अनुमोददत कर सकती है ।

वतामान एसएलएससी को प्रसूंधगक षवभागों उदाहरण; मसूंचाई/जल सूंसाधन और मद


ृ ा
सूंरक्षण,पनधारा,ग्रामीण षवकास/ग्रामीण काया, आईडब्ल्यूएमपी के तहत वन और राज्य स्तर
नोडल एजेंसी (एसएलएनए) से सदस्यों सदहत सुदृढीकृत ककया जाएगा।

एसएलएससी जल क्षेत्र में षवशेिज्ञों, मसूंचाई क्षेत्र में कायारत तनजी/सावाजतनक एजेंमसयाूं,
मसूंचाई के क्षेत्र में कायारत प्रततम्ष्‍टठत एनजीओ,अनुसूंधान सूंस्थान, प्रमुख ककसान आदद से
सदस्यों को सम्‍ममलत भी करे गा।

कृषि मूंत्रालय के अततररक्त एसएलएससी में जल सूंसाधन मूंत्रालय, भू सूंसाधन षवभाग


और ग्रामीण षवकास मूंत्रालय से भारत सरकार के प्रतततनधध होगें । एसएलएससी बैठकों के
मलए कोरम में भारत सरकार से कम से कम दो प्रतततनधध की उपस्थम्ााातत के बबना पूरी
नहीूं होगी।

एसएलएससी को बागवानी, कृषि, ग्रामीण षवकास, मसूंचाई, सतही भू जल सूंसाधन के


लाईन षवभागों के सधचवों को शाममल करते हुए अूंतर षवभागीय काया समह
ू (आईइडब्ल्यूजी)
द्वारा सहयोग ददया जाएगा।

राज्य नोडल सेल/समन्वयन एजेंसी म्जला मसूंचाई योजनाओूं की समय पर प्राम्प्त, राज्य
मसूंचाई योजना तैयार करना और उसके एसएलएससी द्वारा अनम
ु ोदन को सतु नम्श्चत करे गा।
इसके पश्चात एसएनसी लाईन षवभागों द्वारा कायायोजना का अनुमोदन और कायाान्वयन की
तनगरानी करे गी।

12. अंतर षवभार्ीय कायग मह (आईडीडब्‍्यजी);

अूंतर षवभागीय काया समूह (आईडीडब्ल्यूजी) में कृषि,बागवानी,ग्रामीण षवकास,जल


सूंसाधन/मसूंचाई,कमाूंड क्षेत्र षवकास,पनधारा षवकास, मद
ृ ा सूंरक्षण,पयाावरण और वन, भू जल
सूंसाधन, पेय जल, नगर योजना,औद्योधगक नीतत, षवज्ञान एवूं प्रौद्योधगकी से सूंबूंधधत
15
षवभाग और जल क्षेत्र से सूंबूंधधत सभी षवभागो के लाईन षवभागों के सधचव शाममल है ।
आईडीडब्ल्यज
ू ी कृषि उत्पादन आयक्
ु त/षवकास आयक्
ु त की अध्यक्षता में होगा। म्जन षवभागों
में अलग से सधचव नहीूं है वहाूं तनदे शक आईडीडब्ल्यूजी के सदस्यों के रूप में काया करें गे।
तनदे शक (कृषि) / मुख्य अमभयन्ता (जल सूंसाधन/मसूंचाई) आईडीडब्ल्यूजी के सह सूंयोजक के
रूप में काया करे गा। राज्य के भीतर स्कीम कायाकलापों के दै तनक समन्वय और प्रबूंधन के
मलए आईडीडब्ल्यज
ू ी उत्तरदायी होगा। आईडीडब्ल्यूजी प्रत्येक जल बूंद
ू के बेहतर सूंभाषवत
उपयोग को सतु नम्श्चत करने के मलए समग्र जलचक्र का व्यापक एवूं समग्र दृम्ष्‍टटकोण के मलए
जल बचाव/ उपयोग /ररसायम्क्लूंग /सूंरक्षण में लगे सभी मूंत्रालयों/ षवभागों/ एजेंमसयों/
अनुसूंधान/षवत्तीय सूंस्थानों को एक मूंच पर लाने के मलए समन्वय एजेन्सी होगी। यह
ददशातनदे शों के साथ अनुरूपता में पररयोजना प्रस्तावों/डीपीआर का िूं टाई/प्राथममकता दे गा
और यह कक वे तकनीकी मानकों और षवत्तीय मानदर्डों के साथ अनरू
ु प होने के बावजद

यह एसआईपी/डीआईपी से तनगात होंगे।

आईडीडब्ल्यज
ू ी जााँच और सुतनम्श्चत करे गा कक :

(क) प्रस्ताषवत पररयोजनाओूं के मलए राज्य सरकार और/अथवा भारत सरकार के अन्य
स्कीमों के तहत उपलब्ध तनधधयों को पीएमकेएसवाई के षवस्तार क्षेत्र के तहत
लाये जाने से पहले उपयोग के मलए प्राप्त और उपयोग/उपयोग के मलए
योजनाबद्ध कर ली गई है ;

(ख) राज्य/केन्र्द् सरकार के अन्य स्कीमों/कायाक्रमों की तल


ु ना में पीएमकेएसवाई
पररयोजनाओूं/कायाकलापों में सहायता/क्षेत्र कवरे ज का ककसी प्रकार का पुनरावम्ृ त्त
अथवा अतनयममत का सज
ृ न न होना चादहए।

(ग) पीएमकेएसवाई तनधधयोंको कायाक्रमों जैसे सूंबूंधधत स्कीमों की अनम


ु ोददत सीमा के
बाहर सामग्री लागत के तनधाारण को िोडकर राज्य/केन्र्द् सरकार के अन्य चल
रही स्कीमों/कायाक्रमों को अततररक्त या ‘टॉप-अप’ राजसहायता के रूप में
प्रस्ताषवत न ककया गया हो। (मनरे गा अतूंगत
ा सामग्री घटक लागत का 40%
सीममत है )

(घ) डीपीआर में तनगरानी और मूल्याकूंन के मलए प्रावधान शाममल ककया गया है ।

(ङ) अन्य राज्य/केन्र्द्ीय स्कीमों के साथ अमभसरण का प्रयास ककया गया है ।

16
13. जजला स्तर कायागन्वयन शमनत (डीएलआई ी):

डीएलआईसी, पीएमकेएसवाई, की तीसरा श्ेणी का स्वरूप तैयार करे गी। डीएलआईसी


की अध्यक्षता म्जला अधधकारी, म्जलाधीश द्वारा की जाएगी तथा इसमें सीइओ म्जला पररिद
पीडी डीआरडीए, बागवानी, कृषि, ग्रामीण-षवकास, सतही एवूं भू-जल सूंसाधन, मसूंचाई प्रभाग
के सूंयक्
ु त तनदे शक उपतनदे शक तथा म्जलों में अन्य लाइन- षवभाग, म्जला वन अधधकारी,
म्जले के अग्रणी बैंक अधधकारी को शाममल करें गे।

पररयोजना तनदे शक, कृषि प्रौद्योधगकी प्रबूंधन एजेंसी (एटीएमए) डीएलआईसी के


सदस्य सधचव होगें । इसके अलावा, डीएलआईसी दो प्रगततशील ककसानों, तथा म्जला में
कायारत अग्रणी-एनजीओ यदद कोई, हो को रख सकती है । ककसानों को एटीएमए के तहत
म्जला ककसान-सलाहकार सममतत से एक विा के मलए नामाूंककत ककया जाएगा। गैर सरकारी
सूंगठन के प्रतततनधधयों को म्जलाधीश/म्जला मम्जस्रे ट द्वारा तनयक्
ु त ककया जाएगा।

डीएलआईसी कक्रयान्वयन दे खरे ख तथा अूंतषा वभागीय समन्वयन करे गी तथा तन‍नमलखखत
भूममका तनभाएगी:

क. म्जले में षवमभन्न कायाान्वयन एजेंसी / लाइन षवभाग के बीच फील्ड स्तर पर
समन्वयक के रूप में काया करना तथा सुतनम्श्चत करना कक म्जला मसूंचाई
योजना/वाषिाक मसूंचाई योजना का कायाान्वयन सफलतापव
ू क
ा ककया जाता है ।

ख. म्जला मसूंचाई योजना (डीआईपी) तैयार करना, षवमशष्‍टट आउटपुट एवूं पररणाम के
प्रतत षवमभन्न षवत्तपोषित वगों एवूं कायाक्रमों के योगदान को दशााना तथा इस
के मलए एसएलएससी का अनम
ु ोदन प्राप्त करना।

ग. डीआईपी के अततररक्त वाषिाक मसूंचाई योजना (एआईपी) को तैयार करना तथा


अनम
ु ोदनाथा एसएलएससी को आगे भेजना।

घ. एआईपी के षवमभन्न घटकों की प्रगतत की मातनटररूंग करना, कायाान्वयन में


आने वाली बाधाओूं को दरू करना तथा एसएलएससी को तनयत कामलक
सामतयक प्रततवेदन तैयार कराना।

ड. डीआईपी के कायाान्वयन हे तु समथान जुटाने के मलए ककसानों, पीआरआई,


मीडडया तथा अन्य स्थातनय पणधाररयों को शाममल करने के मलए जन जागरण
एवूं उन्मुक्त खल
ु े प्रयास करना।
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पररयोजना तनदे शक, कृषि प्रौद्योधगकी प्रबूंधन एजेंसी (एटीएमए) पीएमकेएसवाई के
तहत कताव्यों का तनवााह करने के मलए म्जलों एवूं ब्लॉकों में एटीएमए के तहत षवद्यमान
अवसूंरचना एवूं कममायों का उपयोग करें गी।

डीएलआईसी म्जले के मलए म्जला मसूंचाई योजना (डीआईपी) तैयार करे गी, म्जसमें
षवमभन्न् मसूंचाई स्रोतों द्वारा सम्ृ जत म्जले की मौजूदा जल सूंसाधनों का मानधचत्रण, म्जले की
जल जोखखम म्स्थततयों को धचम्न्हत करने के उपाय, फामा स्तर पर वास्तषवक जल उपलब्धता
बढ़ाने के मलए नए जल स्रोतों की पहचान करना, उन्न्त जल उपयोग क्षमता तथा जल
षवतरण के उपाय शाममल होंगे । डीआईपी को मौजूदा और पर‍परागत फसल प्रणामलयों
षवशेिकर जल सूंसाधनों के इष्‍टटतम उपयोग के सूंदभा में आईसीएआर द्वारा आयोम्जत
अध्ययनों के पररणामों पर षवचार करना चादहए । इसके अततररक्त, डीआईपी तैयार करते
समय उस षवमशष्‍टट क्षेत्र के पर‍परागत जल प्रबूंधन तूंत्र पर षवचार ककया जाए । जल
सूंसाधन, नदी षवकास और गूंगा पुनरुद्धार मूंत्रालय को एक माह के भीतर पर‍परागत जल
प्रबूंधन तूंत्र के अध्ययन के मलए राज्य सरकारों से परामशा करना चादहए और डीआईपी में
शाममल करने के मलए सभी राज्यों को सच
ू ना प्रदान करनी चादहए ।

शहरी षवकास मूंत्रालय भवन तनमााण के मलए तैयार ककए गए उनके माडल
षवतनयमनों में अतनवाया जल सूंचयन प्रणाली को शाममल करे गा और राज्य सरकार उनके
भवन षवतनयमनों को तैयार करते समय इन मॉडल षवतनयमनों पर षवचार करे गा । तीन
सबसे कतनष्‍टठ बैच के आईएएस और आईएफएस (वन) अधधकाररयों द्वारा म्जला मसूंचाई
योजना तैयार की जाएगी । डीआईपी के तनमााण के मलए प्रमशक्षण माडयूल आईसीएआर
सूंस्थानों द्वारा अन्य सूंबूंधधत सूंस्थानों से परामशा करके तैयार ककए जाएूंगे और मसत‍बर,
2015 के अूंत तक डीआईपी तनमााण के मलए उन्हें प्रमशक्षण प्रदान ककया जाएगा तथा
ददस‍बर, 2015 के अूंत तक अधधकारी इस काया को पूरा करें गे । एटीएमए प्रबूंधन सममतत
पीएमकेएसवाई के तहत समन्वय और कक्रयान्वयन षवस्तार सूंबध
ूं ी कायाकलापों में
डीएलआईसी की सहायता करे गी ।

14.0 राष्रीय पररचालन शमनत (एनए ी):

एक अन्तरमूंत्रालयी राष्‍टरीय पररचालन सममतत (एनएससी) का गठन कायाक्रम


कायाान्वयन, सूंरक्षक्षत अन्तरााज्य मुद्दें तथा राष्‍टरीय प्राथममकताओूं आदद का समाधान करते
हुए समग्र पयावेक्षण प्रदान करने के मलए सामान्य नीतत रणनीतत तनदे शों/सलाहों को प्रदान

18
करने के मलए सदस्य सधचव के रूप में सधचव (कृषि एवूं सहकाररता) के साथ सदस्य के रूप
में जल सूंसाधन, नदी षवकास एवूं गूंगा पन
ु रूद्धार, ग्रामीण षवकास; भ-ू सूंसाधन, शहरी
षवकास; पेयजल एवूं स्वच्िता; षवज्ञान एवूं प्रौद्योधगकी; पयाावरण, वन एवूं जलवायु पररवतान;
औद्योधगक नीतत, पूवोत्त्ाार क्षेत्रों का षवकास (डीओएनइआर); उपाध्यक्ष, नीतत आयोग जैसे
सूंबूंधधत मूंत्रालयों से केन्र्द्ीय मूंत्री के साथ प्रधान मूंत्री की अध्यक्षता के तहत ककया जाएगा।
एनएससी अपनी काया प्रकक्रया को अपनाएगा तथा ऐसी शम्क्तयों का प्रत्यायोजन करे गा
म्जसकी राष्‍टरीय कायाकारी सममतत के मलए उपयक्
ुा त समक्षता हो।

15.0 राष्रीय कायगकारी शमनत (एनई ी):

राष्‍टरीय कायाकारी सममतत (एनईसी) का गठन कायाक्रम कायाान्वयन, सूंसाधनों का


आबूंटन, मूंत्रालय समन्वयन, मॉतनदटरूं ग एवूं तनष्‍टपादन आकलन, प्रशासतनक मुद्दों का
समाधान करना आदद का तनरीक्षण करने के मलए सदस्य सधचव के रूप में पीएमकेएसवाई के
प्रचार में उपाध्यक्ष, सूंबूंधधत मूंत्रालयों/षवभागों के सधचव तथा आवतान पर चयतनत राज्यों के
मुख्य सधचव, नाबाडा और जल सज
ृ न/उपयोग/रीसाइम्क्लूंग में लगे अन्य षवत्तीय सूंस्थानों,
एसएसी, एमएनसीएफसी, आईसीआरओ, आईएमडी, आईसीएआर जैसे व्यावसातयक सूंस्थानों
से प्रतततनधधयों; डीएसी, डीएलआर, एमडब्ल्यूआर के अपर सधचव एवूं षवत्तीय सलाहकार;
एनआरएए के सीइओ,सूंयक्
ु त सधचव(डीएसी) को सदस्य सधचव के रूप में शाममल करते हुए
नीतत आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में ककया जाएगा।

16.0. ननधधयों की ननमजुग ‍त :

सूंस्तुत पररयोजना के सूची में षवत्तीय विा के दौरान नई पररयोजना और चल रही


पररयोजनाओूं के जारी रखने का कायाान्वयन सूंस्तत
ु करते हुए एसएलएससी का कायावत

प्राप्त करने पर, राज्यों को पहली ककस्त के रूप में पीएमकेएसवाई वाषिाक आवूंटन का 60%
तनमक्
ुा त ककया जाएगा। तनधधयों की तनमक्
ुा त्म्ााा षवमशष्‍टट घटक के मलए षवशेि मूंत्रालय/
षवभाग द्वारा ककया जाएगा। सूंबूंधधत कायाान्वयन मूंत्रालय/षवभाग षवमशष्‍टट घटक हे तु तनधधयों
की तनमुम्ा क्त करते समय उपयोधगता प्रमाण पत्र एवूं समरूपी वास्तषवक एवूं षवत्तीय प्रगतत
की प्राम्प्त सुतनम्श्चत करने के मलए म्ज‍मेवार होंगे। उपयोगता प्रमाण पत्र राज्यों में षवशेि
कायााम्न्वत प्रभाग/एजेंसी द्वारा प्रस्तुत ककया जाना है ।

सूंस्तुत पररयोजना का कुल लागत वाषिाक पररव्यय से कम हो, के मामले में , सूंस्तुत
पररयोजना लागत की 60% तनधधयों तनमक्
ुा त्म्ााा की जाएूंगी।

19
द्षवतीय एवूं अूंततम ककस्त की तनमम्ुा क्त पर तन‍नमलखखत के प्राम्प्त पर षवचार ककया जाएगा:

क) षपिले षवत्तीय विा तक की तनमक्


ुा त तनधधयों के मलए 90% उपयोग प्रमाणपत्र
(यूसी) से अधधक हो;

ख) चालू विा के दौरान पहली ककस्त में तनमक्


ुा त तनधधयों का कम से कम 50% का
उपयोधगता प्रमाण पत्र; तथा

ग) षवमशष्‍टट प्रारूप में अनुमातनत समय-सीमा के अन्तगात वास्तषवक एवूं षवत्तीय


उपलम्ब्धयों के साथ-साथ पररणामों की शता पर तनष्‍टपादन प्रततवेदन।

यदद राज्य उधचत समयावधध के भीतर इन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने में असफल
होते है , तो शेि तनधध बेहतर तनष्‍टपादन राज्यों को पुन: आवूंदटत की जा सकती है ।

तनमक्
ुा त तनधध की तुलना में मॉतनटरे बल लक्ष्यों को सभी जदटल उप-घटकों के मलए
तनयत ककया जाएगा तथा दी गई समय-सीमा में कोई उपलम्ब्ध बेसलाइन/दहस्टोररक डाटा के
सूंबूंध में प्रत्येक गततषवधध गततषवधधयों के मलए ररपोटा दी जाएगी। यह उत्पादन क्षेत्र,
उत्पादकता, सक्ष्
ू म मसूंचाई सषु वधाओूं का उपयोग आदद में वद्
ृ धध शाममल कर सकते है । इस
प्रकक्रया में , जवाबदे ही तथा प्रौद्योधगकी का उपयोग तनयत करने पर फोकस भी होना चादहए।

नोडल प्रभाग को सुतनम्श्चत करना होगा कक पररयोजना-वार लेखों का रखरखाव


कायाान्वयन एजेंसी द्वारा ककया जाता है तथा सूंवैधातनक लेखा परीक्षा की सामान्य प्रकक्रया के
अधीन है । इस प्रकार सम्ृ जत पररसम्‍पतयाूं एवूं उस पर हुआ व्यय सामाम्जक अूंकेक्षण के
उद्दे श्य हे तु सूंबूंधधत ग्राम सभा को प्रदान ककए जा सकते है । इसी प्रकार, पीएमकेएसवाई
पररयोजन के तहत सम्ृ जत पररसूंपम्त्तयों की माूंग सूची व्यम्क्त, ककसानों आदद के मलए उनके
मलए िोडकर सावधानी पूवक
ा सूंरक्षक्षत होनी चादहए तथा ऐसी पररसूंपम्त्तयों म्जनकी माूंग नहीूं
है , इसके उपयोग हे तु एवूं पन
ु : प्रतततनयम्ु क्त जहाूं सूंभव हो, नोडल प्रभाग या शेि कायाक्रम
घटकों के ददशातनदे श के अनुसार स्थानातररत ककया जाना चादहए।

पीएमकेएसवाई के तहत केन्र्द्ीय सहायता षवत्त मूंत्रालय, भारत सरकार के षवद्यमान


ददशातनदे श के अनुसार तनमक्
ुा त की जाएगी।

20
17.0 प्रिा ननक व्यय एवं आकजस्मकताएं :

प्रशासतनक व्यय फील्ड स्तर पर पीएमकेएसवाई के प्रभावी कायाान्वयन हे तु समन्वय


का सदृ
ु ढीकरण, वैज्ञातनक योजना एवूं तकनीकी सहायता के मलए प्रत्येक स्तर पर, 5 प्रततशत
से अधधक नहीूं हो, के कायाक्रम से समानुपात आधार पर पूरा ककया जा सकता है । जारी
आईडब्लूएमपी पररयोजनाओूं के सूंबूंध में , प्रशासतनक व्यय पनधारा षवकास योजना की
कॉमन मागादमशाका (कॉमन मागादमशाका में पेरा -67) के अूंतगात स्वीकाया सीमा में रहे गी
अथाात षवमशष्‍टट पनधारा पररयोजना हे तु बजट के 10% तक। कायााम्न्वत पीएमकेएसवाई हे तु
उधचत समन्वय एजेंसी/सूंस्थानों के काया करने के मलए प्रशासतनक व्यय, सलाहकारों को
भुगतान, आवती व्यय, कमी लागत आदद स्वीकाया हैं। तथाषप न ही स्थायी रोजगार सम्ृ जत
ककए जा सकते है , न ही कोई वाहन खरीदा जा सकता है । राज्य उनके अपने सूंसाधनों से,
जाय़ज सीमा के अधधक कोई प्रशासतनक व्यय को सूंपूरक कर सकते है । भारत सरकार
आईइसी कायाकलापों के मलए पीएमकेएसवाई के प्रावधान का 1.5% तथा प्रशासतनक,
मॉतनटररूंग, मूल्याकूंन तथा कोई भी आकम्स्मकता में प्रत्येक प्रततभागी षवभाग द्वारा योजना
कायाान्वयन के दौरान उत्पन्न हो सकते है , के मलए आवूंटन का अन्य 1.5% सुरक्षक्षत रख
सकते है । प्रथम विा (2015-2016) में , 75 करोड रूपए की धनराधध डीआईपी एवूं एसआईपी
को तैयार करने के मलए अलग से तनधााररत ककया जाएगा, म्जसे कृषि एवूं सहकाररता षवभाग
के मलए तनधााररत तनधधयों के बाहर से बाहर से परू ा ककया जाएगा।

कृषि एवूं सहकाररता षवभाग अपनी षवद्यमान क्षमता एवूं शाममल सलाहकारों,
षवशेिताओूं से समषपात अधधकाररयों एवूं कमाचाररयों को तनयक्
ु त करते हुए तकनीकी सहायता
समह
ू की स्थापना कर सकते है । कृषि एवूं सहकाररता षवभाग पीएमकेएसवाई कायाकलापों से
सूंबूंधधत अध्ययन, प्रमशक्षण कायाक्रम, कायाशालाओूं; स‍मेलनों, जागरूकता अमभयान, प्रचार,
दस्तावेजीकरण आदद को शाममल करते हुए षवमशष्‍टट एजेंमसयों के मलए कुि तकनीकी तनयत
काया को आउटसोसा द्वारा कर सकते हैं।

18.0 मॉननदटरं र् एवं म्यांकन :

पीएमकेएसवाई (पीएमकेएसवाई – एमआईएस) के मलए वैब आधाररत प्रबूंधन सच


ू ना
प्रणाली का षवकास प्रत्येक पररयोजना से सूंबूंधधत आवश्यक सूचना एकत्र करने के मलए ककया
जाएगा। राज्य की म्ज‍मेवारी प्रणाली में समय (पाक्षक्षक आधार पर अधधमानता) से

21
पररयोजना डाटा ऑनलाईन प्रस्तुतीकरण/ अद्यतन करने के मलए होगी, जो सावाजतनक डोमेन
में पीएमकेएसवाई पररयोजना के आउटपुट,पररणाम एवूं योगदान पर वतामान एवूं प्रमाखणक
डाटा प्रदान करे गा । सभी उपघटको के मलए प्रत्येक घटक के षवरूद्ध तनगरानी योग्य लक्ष्यों
को भारत सरकार के सूंबधधत मूंत्रालय/षवभाग यथा कृषि एवूं सहकाररता षवभाग, जल
सूंसाधन, नदी षवकास और गूंगा पुनरुद्धार मूंत्रालय, भू सूंसाधन षवभाग तथा ग्रामीण षवकास
मूंत्रालय द्वारा तनधााररत ककया जाएगा (जहाूं भ-ू सूंसाधन षवभाग अपने जारी पनधारा
कायाक्रमों को पण
ू ा करता है , ग्रामीण षवकास मूंत्रालय मनरे गा तनधधयों द्वारा षवशेि फोकस के
मलए धचम्न्हत विाा मसूंधचत और षपिडे ब्लॉकों में जल स्रोतों के तनमााण के मलए सूचना
प्रस्तुत करे गा) । दी गई समय सीमा में बेसलाईन/दहस्टोररक डाटा के सूंबूंध में प्रत्येक
कायाकलापों के मलए ककसी भी उपलम्ब्ध की सूचना दी जाएगी इसमें उत्पादन क्षेत्र, उत्पादकता
में वद्
ृ धध, पररशद्
ु धता सषु वधाओूं का उपयोग आदद शाममल ककया जा सकता है । इस प्रकक्रया
में , लक्ष्यों को पूरा न करने तथा कायाान्वयन की समय सीमा के मलए जवाबदे ही एवूं
प्रौद्योधगककयों का उपयोग तनयत करने पर भी फोकस ककया जाना चादहए।

पीएमकेएसवाई – एमआईएस ररपोटा ‘अन्तरााज्य तनष्‍टपादन’ के ‘ऑन लाईन मॉतनटररूंग’


एवूं तनणाय का आधार हो, राज्य इस उद्दे श्य हे तु एवूं समषपात पीएमकेएसवाई – एमआईएस
सेल की स्थापना कर सकती है ।

‘’प्रधानमूंत्री ग्रामीण मसूंचाई योजना’’ के तहत सम्ृ जत पररसूंपम्त्तयों को भू- धचूंदहत


ककया जाएगा तथा भारतीय अूंतररक्ष अनुसूंधान सूंगठन (आईएसआरओ) द्वारा षवकमसत
भुवन एप्लीकेशन का उपयोग करते हुए स्थान षवमशष्‍टट मानधचत्रों पर मानधचत्रण ककया
जाएगा। इस कायाकलाप को एनएएमइटी के तहत हस्तचामलत उपकरणों के नए नवाचारी
प्रौद्योधगकी घटक के साथ समन्वय ककया जाएगा। षवस्तार कममायों या अन्य सत्यापन
प्राधधकरण एर्रॉयड एप्लीकेशन के रूप में ऑनलाईन फामा को भरते हुए योजना के तहत
सम्ृ जत या पूरा ककए गए पररसूंपम्त्तयों का षववरण एवूं क्षमता, स्रोत, प्रवेमशका, आउटलेट पर
सूचना के साथ डडम्जटल उपग्रह आकृतत के साथ षवतरण चैनल को जीपीएस समथा स्माटा
फोन के ज्यों-रे दटूंग षवशेिताओूं का उपयोग करते हुए अपलोड ककया जाता है । इन कायाकलापों
के पण
ू ा षववरण में जाने के क्रम में , भारतीय सवेक्षण (अक्षाूंश/दे शाूंतर षववरण रखते हुए) के
अनुसार ग्राम सीमा को म्जला/ ब्लॉक कोड के समन्वय के साथ ककसान पोटा ल को पूरी तरह
से ध्यान में रखते हुए उपयोग ककया जाएगा म्जससे कोई भी नकल या प्रततवाद को रोक जा
सके। प्रत्येक सूंरचना ‘’राज्य के प्रथम दो शब्द/ योजना का सूंक्षक्षप्त नाम/ म्जला के प्रथम

22
तीन शब्द/ प्रचालानात्मक विा/ दे शानूंतर/ अक्षाूंश’’ के साथ यतू नक आईडी सूंख्या रखेगी।
एमएनसीएफसी की सेवाओूं का ऐसे कायाकलापों के मलए उपयोग ककया जाएगा।

राज्य द्वारा सूंस्तुत पररयोजना का पच्चीस प्रततशत (25%) कायाान्वयन राज्यों द्वारा
तीसरा दल मॉतनटररूंग एवूं मल्
ू याूंकन के मलए अतनवाया रूप से प्रार‍भ होगा। इसके अलावा,
सम्ृ जत सभी पररसूंपम्त्तयों के लेखों को सामाम्जक अूंकेक्षण हे तु ग्राम सभा के समक्ष रखना
होगा।

मॉतनटररूंग एवूं मूल्याूंकन के मलए काया योजना अधधमानता सभी क्षेत्रों को कवर करते
हुए पररयोजना लागत, पररयोजना के महत्व आदद के आधार पर इसकी पहली बैठक में
एसएलएससी द्वारा चयतनत ककया जाएगा। राज्य सरकार अपने राज्यों में मॉतनटररूंग एवूं
मूल्याूंकन काया का सूंचालन करने के मलए ककसी भी प्रततम्ष्‍टठत एजेंसी का चयन करने के
मलए मक्
ु त होगी। मॉतनटररूंग एवूं मल्
ू याूंकन के प्रतत अपेक्षक्षत शल्
ु क/ लागत को राज्य
सरकार द्वारा प्रशासतनक व्यय के मलए अपनी द्वारा सुरक्षक्षत 5% आवूंटन से पूरा ककया
जाएगा।

कृषि एवूं सहकाररता षवभाग पीएमकेएसवाई का कायाान्वयन के समवती मल्


ू याूंकन के
मलए उपयुक्त तूंत्र षवकमसत करे गी। कृषि एवूं सहकाररता षवभाग योजना के राज्य षवमशष्‍टट/पैन
इम्र्डया तनयतकामलक कायाान्वयन मॉतनटररूंग और/या मध्यावधध/आवधधक मूल्याकूंन सूंचामलत
करने के मलए उपयुक्त एजेंमसयों को भी शाममल कर सकती है । एनआरएए को पीएमकेएसवाई
कायाक्रम के मध्यावधध/आवधधक मल्
ू याूंकन के प्रकक्रया में भी शाममल करे गी।

राज्यों के तनष्‍टपादन सूंबूंधी मूंत्रालय/षवभाग के पररणाम बजट दस्तावेज में दशााए जाएगें ।

19.0 अशभ रण :

पीएमकेएसवाई जल सूंरक्षण एवूं प्रबूंधन कायाक्रम योजना जैसे महात्मा गााँधी राष्‍टरीय
ग्रामीण रोजगार गारर्टी योजना (एमजीएनआरईजीएस), राष्‍टरीय कृषि षवकास योजना
(आरकेवीवाई), जवाहरलाल नेहरू राष्‍टरीय सोलर ममशन एवूं ग्रामीण षवद्युतीकरण कायाक्रम,
ग्रामीण अवसूंरचना षवकास तनधध (आरआईडीएफ), साूंसद स्थानीय क्षेत्र षवकास (एमपीएलएडी)
योजना, षवधायक स्थानीय क्षेत्र षवकास(एमएलएएलएडी) योजना, स्थानीय तनकाय तनधध,
राज्य वन प्रभाग की काया योजना आदद से सूंबूंधधत कायाक्रमों आधाररत सभी ग्रामीण
पररसूंपम्त्तयों/अवसूंरचना के साथ समरूपता सुतनम्श्चत करे गी। 2,500 षपिडे ब्लॉकों में

23
मनेरगा के तहत पहले से ही सूंचामलत सहभाधगता योजना कायाक्रम(आईपीपीई) से आदानों को
डीआईपी तैयार करने में उपयोग ककए जा सकते है । अधधकतर मामलों में , स्रोत सज
ृ न के
मलए मजदरू सघन कायों जैसे भूमम काया को एनजीएनआरइजीए के तहत शुरू ककया जा
सकता है । मसूंचाई उद्दे श्यों हे तु जल की उपलब्धता के मलए भूंडारण क्षमता में सुधार एवूं
लक्ष्यों के सज
ृ न करने के मलए पुराने तालाबों, जल मूंददर, खल
ु , टैंक आदद जैसे तालाब नहर
तनम्ष्‍टक्रय जल तनकाय से गाद हटाने के मलए मनेरगा तनधध का उपयोग करने पर जोर ददया
जाएगा। पीएमकेएसवाई (प्रतत बूंद
ू अधधक फसल) तनधध को परत, प्रवेमशका, तनकास, गाद
हटाने, समायोजन गेट आदद के मलए मनेरगा में षवमशष्‍टट सीमा के बाहर अथाात ् 40% की
सामग्री को लागत को भरने में भी उपयोग ककया जा सकेगा। सभी ककसानों, पूंचायत, एवूं
जमीनी स्तर के कममायों को नहरों को साफ करने, गाद तनकालने, जल सूंचयन सूंरचनाओूं का
तनमााण आदद की वैज्ञातनक/तकनीकी प्रकक्रया कायो के मलए मनेरगा का अधधक से अधधक
लाभ उठाने के मलए आईइसी का उपयोग करते हुए षवस्तार कायाकलापों, लघु एतनमेटेड कफल्म
आदद के माध्यम से इन कायों के मलए जागरूक बनाया जाएगा। काया के प्रकार एवूं प्रकृतत
पर तनभार होते हुए पीएमकेएसवाई (हर खेत को पानी), पीएमकेएसवाई (पणधारा) से अन्य
काया शुरू ककए जा सकते है । जहॉ ूं मसूंचाई स्रोत सम्ृ जत ककए जाते है , पीएमकेएसवाई (प्रतत
बूंद
ू अधधक फसल) घटक को इसके स्रोत से मसूंचाई दक्षता में सध
ु ार एवूं बह
ृ द कवरे ज को
बढ़ाने के मलए सशक्त रूप से उपयोग ककया जाएगा। भूमम सूंसाधन षवभाग, षवश्व बैंक
सहायता प्राप्त “नीराूंचल” पररयोजना शुरू कर रहा है । नीराूंचल का प्रस्ताव बेहतर वैज्ञातनक
बेमसन स्तर की आयोजना तैयार करने, कुशल जल प्रबूंधन के मलए प्रौद्योधगककयााँ, समुदाय
आधाररत जल षवज्ञान वधधात उत्पादन और उपज, मूंडी के साथ सूंपका, अत्याधतु नक
प्रौद्योधगककयों और शहरी पणधारा का उपयोग करते हुए वास्तव समय मॉतनटररूंग प्रणाली
एवूं नीराूंचल दोनों कायाक्रमों के बीच पयााप्त साहचया के साथ पीएमकेएसवाई का समथान
करे गा।

जहाूं एक से अधधक षवभाग को योजना का कायाान्वयन करने के मलए कवरे ज करना


पडता है , प्रत्येक षवभाग कायाान्वयन के मलए पथ
ृ क घटक प्रारूं भ कर सकते है । जहाूं कहीूं
मसूंचाई क्षमता का तनमााण ककया गया है , लेककन फील्ड चैनल के अभाव में अनुपयोग पडे
रहते हैं, ऐसे समधथात अवसूंरचनाओूं के सज
ृ न के मलए काया को प्राथममकता पर मनेरगा के
तहत प्रारूं भ ककया जाएगा तथा ऐसे कायो को म्जला मसूंचाई योजना का भाग भी होना
चादहए। मनेरगा के तहत प्रारूं भ ककए गए मसूंचाई काया के सन्दभा में , अन्य लाइन षवभाग को

24
तकनीकी सहायता प्रदान ककए की जाएगी। वास्तव में , ऐसी सहायता पीएमकेएसवाई के भाग
के रूप में कायों की वैज्ञातनक योजना एवूं स‍पादन को समथान दे गी।

पूंचायती राज्य मूंत्रालय स्थानीय/पूंचायत स्तर आवश्यकताओूं का डीआईपी एवूं


एसआईपी पयााप्त रूप से समाधान ककया जाता है , को सतु नम्श्चत करने के मलए उपयक्
ु त रूप
से षवचार षवमशा ककया जाएगा। पीएमकेएसवाई सूंसद आदशा ग्राम योजना (एसएजीवाई) के
ूं को प्राथममकता दे ते हुए भी अनुबूंध करे गी।
तहत धचूंदहत गॉवों

20.0 कृषि एवूं सहकाररता षवभाग, कृषि मूंत्रालय, भारत सरकार योजना के एनईसी के
अनुमोदन से जब कभी इस प्रकार का पररवतान आवश्यक समझा जाएूं, तब षवत्त पोिण
पैटना को प्रभाषवत करने के अलावा पीएमकेएसवाई प्रचालन ददशा-तनदे श में भी पररववातन कर
सकता है ।

21.0 ये ददशातनदे शन सभी राज्यों एवूं सूंघ राज्य क्षेत्रों पर लागू होते है ।

25
पररशिष्ट : क
कुल बुवाई, श धं चत तथा विाग श धं चत क्षेत्र की राज्यवार मात्रा (2011-12)
(हजार है क्टे यर में )
विाा मसूंधचत
क्र०सूं० राज्य कुल बव
ु ाई क्षेत्र कुल मसूंधचत क्षेत्र क्षेत्र
1 आूंध्र प्रदे श 11161 5090 6071
2 अरुणाचल प्रदे श 215 57 158
3 असम 2811 161 2650
4 बबहार 5396 3052 2344
5 ित्तीसगढ़ 4677 1415 3262
6 गोवा 132 41 91
7 गुजरात 10302 4233 6069
8 हररयाणा 3513 3073 440
9 दहमाचल प्रदे श 538 106 432
10 ज‍मू और कश्मीर 746 319 427
11 झारखूंड 1085 125 960
12 कनााटक 9941 3440 6501
13 केरल 2040 409 1631
14 मध्य प्रदे श 15237 7887 7350
15 महाराष्‍टर 17386 3252 14134
16 मखणपुर 365 69 296
17 मेघालय 285 65 220
18 ममजोरम 97 13 84
19 नागालैंड 379 84 295
20 उडीसा 4394 1259 3135
21 पूंजाब 4134 4086 48
22 राजस्थान 18034 7122 10912
23 मसम्क्कम 77 14 63
24 तममलनाडु 4986 2964 2022
25 बत्रपुरा 256 60 196
26 उत्तराखूंड 714 339 375

26
27 उत्तर प्रदे श 16623 13411 3212
28 पम्श्चम बूंगाल 5198 3078 2120
अर्डमान एवूं तनकोबार
29 द्वीपसमूह 15 0 15
30 चूंडीगढ़ 1 1 0
31 दादर एवूं नगर हवेली 17 4 13
32 दमन और दीव 3 0 3
33 ददल्ली 22 22 0
34 लक्षद्वीप 2 0 2
35 पाूंडडचेरी 18 15 3
कुल 140800 65266 75534
स्रोत: कृषि ांजययकी एक नज़र में , जन, 2014 अथग एवं ांजययकी ननर्दे िालय, कृषि मंत्रालय

27
अनुबंध- ख

पीएमकेए वाई के तहत व्याययात्मक कायगकलाप (दर्दिा ननर्दे ि के पैरा 4.0 े ंबंधधत)

क्र.सूं. कायाक्रम घटक व्याख्यात्मक कायाकलाप

1. एआईबीपी  राष्‍टरीय पररयोजना सदहत चल रही प्रमुख


एवूं मध्यम मसूंचाई को तेजी से पण
ू ा करने
पर फोकस करना ।

2. पीएमकेएसवाई (हर खेत को  लघु मसूंचाई (दोनों सतही एवूं भू-जल) के


पानी) माध्यम से नये जल स्रोतों का सज
ृ न

 जल तनकायों की मर‍मत, पुन:स्थापन एवूं


नवीकरण; पर‍परागत जल स्रोतों की वाहक
क्षमता का सदृ
ु ढीकरण करना, विाा जल
सूंचयन सूंरचनाओूं का तनमााण (जल सूंचय);

 कमाूंड एररया षवकास, सुदृढीकरण एवूं फामा


के स्रोत से षवतरण नेटवका का सज
ृ न;

 उपलब्ध स्रोतों का लाभ उठाने के मलए जल


तनकायों हे तु जल प्रबूंधन एवूं षवतरण
प्रणाली में सुधार, जो उसके पूणा क्षमता में
टै ब नहीूं होते हैं ।

सूक्ष्म एवूं पररशुद्ध मसूंचाई के तहत कमाूंड


एररया के कम से कम 10 प्रततशत कवर
ककया जाता है ।

 षवमभन्न स्थानों के स्रोतों से जल का


षवपतन जहाूं यह मसूंचाई कमाूंड के षवचार
ककए बबना आईडब्ल्यूएमपी तथा मनरे गा के
अलावा अनप
ु रू क आवश्यकताओूं को तन‍न
उत्किा पर जल तनकाय/नददयों से मसूंचाई

28
का उन्नयन करना, जल स्रोत क्षेत्रों से
पयााप्त होते हैं ।

 सुकर स्थानों पर पारम्‍पक जल भूंडारण


प्रणाली जैसे जल मूंददर (गज
ु रात); खतरी,
खल
ु (दहमाचल प्रदे श); जेबो (नागालैंड); इरी,
ऊरानीस (तममलनाडु); डाूंगस (असम);
कतास, भूंडास (ओडडशा और मध्य प्रदे श)
आदद का सज
ृ न एवूं पुनरु
ा द्धार ।

3. पीएमकेएसवाई (पणधारा)  पणधारा सूंरचनाओूं जैसे चैक डैम, नाला


बूंड, फामा तालाब, टैंक आदद ।

 लघु एवूं सीमाूंत ककसान आदद के मलए


पररसूंपम्त्त रदहत व्यम्क्तयों तथा उत्पादन
प्रणाली एवूं सूक्ष्म उद्यममयों के मलए क्षमता
तनमााण, प्रवेश बबन्द ु कायाकलाप, मेड क्षेत्र
उपचार, जल तनकास लाइन उपचार, मद
ृ ा
एवूं नमीय सूंरक्षण, नसारी रे म्जूंग, वनरोपण,
बागवानी, चारागाह षवकास, जीषवका
कायाकलाप ।

 प्रभावी विाा प्रबूंधन जैसे फील्ड बूंडडूंग,


कूंटोर बूंडडूंग/रें धचूंग, स्टे ग रें धचूंग, लेंड
लेवमलूंग, मम्ल्चूंग आदद ।

4. पीएमकेएसवाई (प्रतत बूूंद  कायाक्रम प्रबूंधन, राज्य/म्जला मसूंचाई


अधधक फसल) योजना की तैयारी, वाषिाक काया योजना,
मॉतनटररूंग आदद का अनुमोदन ।

 फामा में डरप म्स्प्रक्लर, पाइलट, रे नगन जैसे


पयााप्त जल वाहक तथा पररशुद्धता जल
अनुप्रयोगों का प्रोन्न्यन (जल मसूंचन);

29
 कायाकलाप जैसे लाइतनूंग इनलैट, आउटलैट,
मसल्ट रै प, षवतरण प्रणाली आदद के मलए
मनरे गा के तहत अनुज्ञेय सीमा (40
प्रततशत) के बाहर मसषवल तनमााण के तहत
षवशेित: आदान लागत को सूंपूररत करना;

 टयूब वैल एवूं डग वैल सदहत अनुपूरक


स्रोत सज
ृ न कायाकलाप (ऐसे क्षेत्रों में जहाूं
भू-जल उपलब्ध होते हैं तथा षवकास के
अधा जदटल/जदटल/अत्यधधक शोषित नहीूं
हो), म्जसे पीएमकेएसवाई (डब्ल्यूआर),
पीएमकेएसवाई (पणधारा) तथा मनरे गा के
तहत सहायता नहीूं दी जाती है , की सूक्ष्म
मसूंचाई सूंरचना का तनमााण ।

 जल सूंग्रह करने के मलए जब जल पयााप्त


मात्रा (विाा मौसम) में उपलब्ध होता हैं या
प्रभावी आन फामा जल प्रबूंधन के माध्यम
से सख
ू ी अवधध के दौरान उपयोग करने के
मलए धारा के रुप में धचर स्थाई स्रोतों से
नहर प्रणाली के अम्न्तम िोर पर गौण
भूंडारण सूंरचना ।

 जल वाहक पाइप सदहत डीजल/षवद्युत/सौर


ऊजाा प‍प से जैसे जल उठाने वाले
उपकरण ।

 विाा सदहत उपलब्ध जल का अधधकतम


उपयोग तथा मसूंचाई आवश्यकताओूं (जल
सूंरक्षण) को कम करने के मलए फसल
सूंयोजन सदहत वैज्ञातनक आर्द्ा ता सूंरक्षण
तथा कृषि षवज्ञान उपायों का उन्नयन के

30
मलए षवस्तार कायाकलाप

 समुदाय मसूंचाई सदहत प्रौद्योधगकीय, कृषि


सूंबूंधी तथा प्रबूंधन प्रचालनों के माध्यम से
जल स्रोत उपयोग की क्षमता को बढ़ावा दे ने
के मलए क्षमता तनमााण प्रमशक्षण।

 जल बचत प्रौद्योधगककयों, प्रचालनों,


कायाक्रमों आदद के सूंबूंध में जागरूकता
अमभयान, कायाशालाओूं, स‍मेलनों का
आयोजन, बुकलेट, पैंपलेट, सफल कहातनयों,
वत्ृ तधचत्र, षवज्ञापन आदद का प्रकाशन।

 तनयूंबत्रत आउटलैट के साथ पाइप तथा


बॉक्स आउटलैट प्रणाली जैसी
उन्नत/अमभनव षवतरण प्रणाली तथा जल
उपयोग क्षमता को बढ़ाने की अन्य
गततषवधधयाूं।

5. मनरे गा  कमजोर वगों के व्यम्क्तगत भूमम पर जल


सूंचयन सूंरचना, नए मसूंचाई स्रोतों का
तनमााण, पारूं पररक जल तनकायों को उन्नत
करना / गाद हटाना, जल सूंरक्षण काया
आदद।

 सूंपूणा क्षमता के षवकास हे तु उन पनधारा


पररयोजनाओूं के साथ योजनाओूं को तैयार
कर अमभज्ञात पश्चगामी विाा मसूंधचत खूंडों
में मद
ृ ा तथा जल सरूं क्षण कायों को पूरा
करना।

 नहर की सफाई तथा षवतरण प्रणाली,


मौजद
ू ा जल तनकायों को गहरा करना तथा

31
सफाई करना तथा बाूंध/ तटबूंध आदद का
सदृ
ु ढ़ीकरण।

 गाद हटाना तथा गहरा करना आदद जैसी


गततषवधधयों के माध्यम से जल मूंददर,
खतरी, कुल, जावों, ओरे तनस, डाूंग, कॉटस,
बाूंधस आदद जैसी पारूं पररक जल भूंडारण
प्रणामलयों की क्षमता का पुनभंडारण

32
पररमशष्‍टटः ग

सारणी 7.19 षवमशष्‍टट गततषवधधयों हे तु उपचाररत मसवेज गण


ु वत्ता के अनश
ु मूं सत मानक
पैरामीटर टॉयलैट अम्ग्न गाडी की गैर- भस्
ू खलन, बागवानी एवूं कृषि
फ्लमशूंग सरु क्षा बाहरी अनब
ु ध
ूं बागवानी फसलें
धुलाई जल गोल्फ फसलें जो खाई
को कोसा जाती है
रोकना गैर- कच्चा पका कर
खाद्य
फसलें
1. गदलापन <2 <2 <2 <2 <2 एए <2 एए
(एमटीय)ू
2. एसएस शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य 30 शन्
ू य 30

3. टीडीएस 2100

4. पीएच 6.5 से 8.3

5. तापमान सी० पररवेश


6. तेल तथा 10 शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य 10 10 शन्
ू य शन्
ू य
ग्रीस
7. न्यन
ू तम 1 1 1 0.5 1 शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य
अवशेि
क्लोरीन
8. कुल 10 10 10 10 10 10 10 10
कजेलदाही
नाइरोजन
एन के रूप
में
9. बीओडी 10 10 10 10 10 20 10 20
10. सीओडी एए एए एए एए एए 30 एए 30

11. घल
ु नशील 1 1 1 1 2 5 2 5
फॉस्फोरस पी
के रूप में
12. नाइरे ट 10 10 10 5 10 10 10 10
नाइरोजन
एन के
अनस
ु ार
13. कफकल शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य शन्
ू य 230 शन्
ू य 230

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कॉलीफोम
100 एमएल
में
14. हे लममन धथक एए एए एए एए एए <1 <1 <1
एग प्रतत
लीटर
15. रूं ग रूं गहीन रूं गहीन रूं गहीन रूं गहीन रूं गहीन रूं गहीन रूं गहीन रूं गहीन
16. गूंध अपतू तक म्जसका अमभप्राय है कोई गूंध नहीूं तथा सेम्प्टक नहीूं

जब तक एमजी/1 में सभी इकाइयों को वगीकृत नहीूं ककया जाता ; ए ए ; यह तब


होता है ; जब तक अन्य पैरामीटर सूंतोिजनक हैं;
5% की सह्यता अनुमत है , जब वाषिाक औसत मूल्यों पर षवचार ककया जाता है ।

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