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मेरे आदरणीय श क को सम पत…

सदंु र सरु सजाने का साज बनाते ह..


नौ स खयो प रंद को भी बाज़ बनाते ह..
चप ु चाप सनु ते ह शकायत सबक ..
तब द ु नयाँ बदलने क आवाज़ बनाते ह..
समंदर तो परखता है हौसले कि तय के..
और आप डूबती कि तय को जहाज बनाते ह..
बनाए चाहे चाँद पे कोई बजु -ए-ख़ल फा..
आप तो क चे ट से ह ताज़ बनाते ह…
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आपका आ ाकार छा …

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