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कोरोना के इस काल में क्या सच है क्या झूठे जानना जरूरी है । कोई बात अगर आपसे कही जा रही है

उसमें कितनी हकीकत है और क्या है कल्पना । वो भी जानना बहुत जरूरी है । जैसे ही चंद दिन हैं वैसे ही
कुछ नए सवाल हमारे सामने होते हैं जैसे कि Mask अगर हाथों का बना हुआ हो तो उसे आप धो सकते हैं
या नहीं धो सकते हैं । कितनी बार उसे इस्तेमाल कर सकते हैं । क्या एक गर्भवती महिला से उसके शिशु
तक कोरोना की बीमारी पहुंचती है । ऐसे ही बहुत सारे सवाल हैं जिनके जवाब आज हम आपको पूरी रिसर्च
के साथ दे ने वाले । एक अदृश्य दश्ु मन से प्रत्यक्ष युद्ध है ये कोरोना जिस तरह फैल रहा है । उसने विश्व भर
में हे ल्थ एक्सपर्ट्स को और सरकारों को और ज्यादा सतर्क कर दिया है । यह जंग दे शों के बीच नहीं ये तो
दनि
ु या की एक जट
ु जंग है । रे डियो दोस्त सैमसंग प्रेक्षणों नो प्रॉब्लम 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 एक ओर एक
वायरस से दस
ू री ओर परू ी दनि
ु या पारस को जानने समझने में दनि
ु या भर के दे शों के वैज्ञानिक दिन रात
लगे । इसीलिए हर बीतते पल के साथ नई जानकारियां और नई चन
ु ौतियां आती हैं । साथ ही आते हैं
अनगिनत सवाल । आज हम आपको बताएंगे क्या बिना लक्षण के भी परु ाना संक्रमण हो सकता है । क्या
एक बार संक्रमित होने के बाद दस
ू री बार संक्रमण का खतरा होता है । क्या कोरोना वायरस इंसान के हृदय
पर असर डालता है । कोरोना संक्रमित व्यक्ति कितने दिनों तक दस
ू रों को संक्रमित कर सकता है । क्या
मास्क को दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है और अगर हां तो कैसे । घरे लू मास्क को प्रयोग करते हुए
किन चीजों का ध्यानरखें । क्या गर्भवती महिला से शिशु में कोरोना संक्रमण जा सकता है । क्या टीबी की
वैक्सीन में छिपाकर कोरोना से बचाव । क्या मोबाइल फोन में भी छिपे हो सकते हैं कोरोना के कीटाणु ।
एसी रूम में कोरोना संक्रमण का कितना खतरा होता है । क्या स्विमिंग पूल में नहाना सुरक्षित है ।
राइजिंग तंबू में कोरोना वायरस का सफाया हो जाता है । कोबरा टीम के लक्षण क्या होते हैं ये शुरुआत से
ही पहला सबसे महत्वपूर्ण सवाल रहा है जब ये बताया गया कि फ्लू से कैसे अलग है । कोरियाई टीम के
लक्षण इसके साथ ही जर्मनी के एक रिसर्च में यह सामने आया कि स्वाद पर असर डालता है ये सूंघने की
क्षमता पर असर डालता है ये । लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि कोरोना हो पर उसके कोई लक्षण नजर आ
रहे हो । पुराना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके कुछ लक्षण बताए थे
जिनमें तेज बुखार सूखी खांसी और गले में दर्द जैसे लक्षण थे । लेकिन जैसे जैसे कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा
है वैसे वैसे एसीबी के सामने आ रही हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं । ऐसे में सवाल उठा कि क्या बिना लक्षण के
भी कोरोना संक्रमण हो सकता है । बिना लक्षण वाले या कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को लेकर
वैज्ञानिकों ने कई नए शोध किए । इनमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए । अब तक ये माना जा रहा था कि
कोई डाइटिंग बारिश उन लोगों से फैलता है जिनमें इसके लक्षण दिखाई दे ते हैं । लेकिन तमाम रिसर्च में ये
बात भी सामने आई कि कोरोना को फैलाने में साइलेंट कैरियर्स की भी बड़ी भूमिका है । साइलेंट कैरियर
यानि वो मरीज जो कोरोना संक्रमित तो होते हैं लेकिन उनमें लक्षण दिखाई नहीं । जो संघ जो एसएम
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ऑटोमेटिक है जिनको वो सिस्टम नहीं है उसको फैल सकता है कि समझने के चांसेस हैं । इसमें कोई दो
राय नहीं है लेकिन अगर आप नियमों का पालन पूरी तरह से करते हैं हाइजिन में टेन करते हैं बाजार से
आप अपने सब कुछ संयम तब मास्क का इस्तेमाल करते हैं स्टे ट्स मेनटे न करना और साथ में जो है गॉड
के रूल्स को फॉलो करना उसको फॉलो करना बोझ बोझ ये आपकी भलाई के लिए । केन्द्रीय स्वास्थ्य
मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने 8 अप्रेल को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि दे श में अब बिना लक्षण
वाले कोरोना संक्रमित भी मिल रहे हैं । ऐसे मरीज जो कि स्वस्थ दिखते हैं इसीलिए इनसे संक्रमण के
फैलने का ज्यादा खतरा रहता है । हमें एक इन्फेक्शन फ्री डील कर रहे इन्फेक्शन आदि से डील करने में
एक मुख्य संशय होता है कि अगर हमारी कहीं पर भी एक भी जगह पर फेलियर होती है तो वो हमारे ओरल
एफर्ट को हानि पहुंचा सकती है । इसलिए जो भी हम ऐक्शन लें वह यूनिफॉर्म हो । वह एक हं ड्रड
े परसेंट
एश्योर्ड हो उसके तहत हम सब आप लोगों के द्वारा फिट रिक्वेस्ट करना चाहें गे । यदि भूषण की जिस
लौटाने की स्थिति में हम ये सारे एफर्ट करें उसमें काहिली सबलोग हमें अपना सहयोग प्रोवाइड करें ।
अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल यानी सीडीसी के अनुसार कोरोना वायरस की चपेट में आए लगभग
25 प्रतिशत लोगों में इस रोग के लक्षण नहीं दिखाई दिए । हाल ही में चीन में 47 लोग कोरोना वायरस से
संक्रमित पाए गए जिनमें इसके कोई लक्षण नहीं थे । इनमें से 14 विदे श से आए थे । जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में
स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी ने इजरायल से आए 24 यात्रियों का परीक्षण किया । नतीजे
चौंकाने वाले थे । 24 में
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00:05:51.470
7 कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए जिनमें से 4 में कोई लक्षण नहीं थे । इस शोध की खास बात ये थी
कि जिन लोगों में लक्षण नहीं थे उनके पार्ट्स ज़्यादा सक्रिय थे । भारत में भी पंजाब गुजरात और
मध्यप्रदे श में ऐसे ही कुछ केस सामने आए । भारत में बिना लक्षण वाले केस सामने आने के बाद ही
सरकार ने सभी के लिए मास्क अनिवार्य करने का फैसला लिया जबकि शरु
ु आती दौर में मास्क को
अनिवार्य नहीं किया गया । निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि परू ी दनि
ु या में ऐसे कई केस
सामने आए हैं जिनमें बिना लक्षण के भी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए । इन लोगों की वजह
से ही कोरोना विकराल रूप धारण करता जा रहा है । कोरोना संक्रमित व्यक्ति कितने दिनों तक दस
ू रों को
संक्रमित कर सकता । वर्ल्ड हे ल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनस
ु ार कोरोना वायरस का इन्क्यब
ू श
े न पीरियड 14
दिन है लेकिन अब दावा किया जा रहा है कि 14 दिन के बाद भी संक्रमित व्यक्ति दस
ू रे को संक्रमित कर
सकता है । आइये बताते हैं रिसर्च क्या कहती । पूरा परिवार का कूबड़ नाइटी बार्स पूरी दनि
ु या के लिए नया
वायरस है । इसलिए वैज्ञानिक जैसे जैसे इसके व्यवहार पर शोध कर रहे हैं नई नई जानकारियां सामने आ
रही हैं । दिसंबर 2020 में चीन में जबकि बार्स फैला तो डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि इस वायरस का
इन्क्यूबश
े न पीरियड 14 दिन इन्क्यूबेशन पीरियड वो समय होता है जिसमें मरीज में बीमारी के न सिर्फ
लक्षण दिखते हैं बल्कि वो दस
ू रों को संक्रमित भी कर सकता है । आमतौर पर पुराना बारिस के लक्षण चौथे
से छठे दिन तक दिखने लगते । दे खिए इसमें दो चीजें हैं । एक तो होता है इन्क्यूबश
े न भी है । अगर किसी
मरीज को आज इन्फेक्शन होता है
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00:07:51.600
तो उसको करीब 1 से और 14 दिन तक लगते हैं जब वो सिस्टमेटिक होता है तो इस दौरान वो इन्फेक्शन
होता है औरों को भी दे सकता है । एक बार जब सिस्टम एपीयर हो जाते हैं तो उसके बाद भी दे खने में आया
है कि 7 से 10 दिन तक मरीज औरों को इन्फेक्शन फैला सकता है । लेकिन ये सब डिपें ड करता है कि जो
मरीज इन्फेक्शन हुआ वो मोबाइल के स्थान मॉडरे ट के स्थायी या केस था अगर उसका वायरल लोड बहुत
ज्यादा है तो उसका पीरियड ऑफ इन्फेक्शन और ज्यादा हो सकता है वो और ज्यादा समय तक दस
ू रों को
इफेक्ट कर सकता है । नई रिसर्च में दावा किया जा रहा है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति 20 से 28 दिनों तक
दस
ू रे को संक्रमित कर सकता है । दरअसल चीन के बाद जैसे जैसे इस पार्ट्स का विस्तार परू ी दनि
ु या में
हुआ इसके इन्क्यब
ू श
े न पीरिएड में भी बदलाव दे खा गया । चीन के हुबेई प्रांत में एक 70 साल के व्यक्ति में
27 दिनों तक कोरोना वायरस का लक्षण नजर नहीं आया लेकिन बाद में वो कोरोना से संक्रमित पाया गया
। हमलों में 23 मरीजों पर एक रिसर्च की गई । इसमें सामने आया कि कोवर्ट टीम बारिश से संक्रमित
अधिकतर लोगों में वायरल लोड पहले हफ्ते में सबसे ज्यादा था । 12 लोग का मतलब होता है शरीर में
कितने मार्क्स सक्रिय हैं । ज्यादा बारिश लोड मतलब ज्यादा बारिश और ज्यादा बारिश मतलब ज्यादा
गंभीर संक्रमण । चीन में 76 अस्पतालों के आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों की टीम ने ये दावा किया कि
संक्रमण के 10 वें दिन के बाद से बारिश की संख्या शरीर में कम होने लगती है जबकि होंगी तो लांसेट में
छपी एक रिपोर्ट के अनुसार एक तिहाई रोगियों में कोई भी डाइटिंग बारिस की पहचान 30 दिनों
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00:09:40.600
या उससे अधिक समय बाद तक हुई । एसएमएस मार्स का इन्क्यूबश े न पीरियड 14 दिन से ज्यादा है ।
चीन ने इसी आधार पर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए 28 दिन का प्रोटोकॉल तैयार किया । नई स्टडी के
अनुसार कुछ मामलों में इन्क्यूबश
े न पीरियड 20 से 28 दिन तक दे खा गया । यानी अगर कोई कोरोना
संक्रमित है तो उसे ठीक होने के बाद भी कम से कम 14 दिनों तक आइसोलेशन में रहना जरूरी । पूरी
दनि
ु या में कोरोना से लाखों लोग संक्रमित हुए और काफी तादाद में लोग ठीक भी हुए लेकिन एक सवाल
लोगों के जहन में उठता है वो ये कि अगर किसी को एक बार कोरोना हो जाए वो संक्रमण लग जाए तो क्या
उसके बाद दोबारा उसे कभी कोरोना नहीं होगा । क्या कोरोना के मरीज के ठीक होने के बाद भी होता है
संक्रमण का खतरा । क्या एक बार संक्रमित होने के बाद दस
ू री बार संक्रमण का खतरा होता है । पुराना
बनारस के गढ़ चीन के वुहान शहर से कुछ चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई । इनमें दावा किया गया कि
बारिश उन लोगों को दोबारा बीमार कर रहा है जिन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी । चलिए इस दावे की
सच्चाई जानते हैं । चीन के कई इलाकों से ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि लोग डैम खुलने के बाद वो लोग एक
बार फिर से बीमार हो गए जिन्हें डॉक्टरों ने इलाज के बाद छुट्टी दे दी थी । समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने
अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन के दक्षिण पश्चिमी सिचुआन प्रांत के चिंटू शहर में ठीक हो चुके कोरोना
मरीज को 10 दिन बाद फिर से कोरोना हो गया । टे स्ट में रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टरों के होश उड़
गए । इस बीच कई लोग उसके संपर्क में आए जिन्हें कॉन्टै क्ट करना
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00:11:34.040
पड़ा । इन घटनाओं से सबक लेते हुए चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने सझ
ु ाव दिया कि अस्पताल से
जिन मरीजों को छुट्टी दे दी जाए उनके स्वास्थ्य की निगरानी अगले 14 दिनों तक जरूरी की जाए । परु ाना
से ठीक होने के बाद फिर से गरु
ु न होने के ज्यादातर केस अभी तक चीन में ही आए हैं । भारत में अभी तक
ऐसा कोई केस नहीं आया । ऐसे में चीन की रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ठीक होने के बाद
भी ये वाइरस फिर से संक्रमित कर सकता है । क्या कोरोना वायरस इंसान के रिश्ते पर असर डालता है ।
यह सवाल दनि
ु या भर के डॉक्टरों के लिए नई पहे ली है । इस वायरस का सबसे अधिक प्रभाव अमेरिका
इटली स्पेन और चीन पर दिखा जहां पर हुए अलग अलग अध्ययन में इस सवाल से जड़
ु े जवाब सामने
आए । तो विनायक सेन पर अमेरिका के शुरुआती आँकड़ों के अध्ययन से एक चौंकाने वाली बात सामने
आई । इसके अनुसार अमेरिका में पाँच में से एक कोरोना मरीज की मौत घात की वजह से हुई जबकि में
सांस संबंधी बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे । इसी तरह से चीन में कोवें ट्री चीन के मरीजों पर तो अध्ययन ।
इसके नतीजे भी परे शान करते हैं । अस्पताल में भर्ती 416 16 मरीजों पर हुए अध्ययन से यह बात सामने
आई कि जिन 19 प्रतिशत कोरोना मरीजों में हृदय संबंधी दिक्कतें आईं उनकी मरने की आशंका ज्यादा थी
लेकिन ये कोरोना जो है वो पूरे शरीर में हाइपोथर्मिया कर दे ता है । कहीं आक्सीजन की बहुत बनकर कमी
कर लेता है । इसके अलावा फ्री रे डिकल्स के रूप में आयरन के पार्टिकल्स उन्हें घूमते रहते । ये सभी अंगों
को डैमेज करके दिल को भी डैमेज । चीन इटली और अमेरिका जैसे दे शों
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00:13:29.220
में ज्यादा उम्र के कोरोना मरीज आए । उनमें से 15 से 20 प्रतिशत मरीजों में शुरुआती स्तर पर हार्ट
डिजीज के लक्षण दिखे । बाद में कई मेडिकल टे स्ट के बाद क्लियर हुआ कि नहीं ये दिक्कत हार्ट के कारण
नहीं बल्कि कोरोना के कारण हो रही है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना पीड़ितों में 3.2
प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्हें दिल से जड़
ु ी पुरानी बीमारी । गुरु हमारे सांस के जरिये ही हमारे शरीर में प्रवेश
करता है । ये दिल से जुड़ी आर्टरीज में सूजन बढ़ा दे ता है जिससे हार्ट को पंप करने और ब्लड सप्लाई में
दिक्कत होती है । इस कारण सीने में तेज दर्द होता है । हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि जब तक इसपर
मुकम्मल रिसर्च न हो जाए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी । लखनऊ । हमारे जो कंप्रोमाइज होते तो दिल
के लिए असर पड़ता है और जो स्मोकर्स होते हैं उनकी तो खून की नली दिल वाली युवतियों 0 कमजोर
होती है । ऐसे लोगों में हृदय आघात भी ज्यादा होता है तो कोरोना वायरस के संक्रमण से लंग्स और हृदय
दोनों पर ही असर हो सकता है । क्या टीवी की बैक सीन में छिपा है करीना से बच्चा । बचपन में जो
बीसीजी का टीका टीबी जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए लगाया गया क्या वो कोवर्ट पैटर्न के
खिलाफ असरदार है । ये बहस दनि
ु या के कई वैज्ञानिकों में जोरशोर से छिड़ी है । आस्ट्रे लिया और
न्यज
ू ीलैंड के शोधकर्ताओं ने बीसीजी की वैक्सीन पर इस नजरिये से रिसर्च शरू
ु कर दी । बासिल क्या
लिमिट यरू ीन या बीसीजी के इस टीके से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है । वैज्ञानिक किसी
पहलू पर रिसर्च कर रहे हैं कि क्या ये बढ़ी हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के खिलाफ कारगर सिद्ध
होगी
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00:15:15.790
। अमेरिका में एक भी ग्रप
ु में फ्रंटलाइन हे ल्थ वर्क र्स पर टे स्ट करना शरू
ु कर दिया । जॉन हॉपकिन्स
यनि
ू वर्सिटी की रिसर्च के अनस
ु ार जहां जहां बीसीजी वैक्सीन का टीका दिया गया है वहां को विटामिन डी
की कमी है लेकिन ये कमी बीसीजी के टीके दे ने की वजह से आई । ये कहना भी मश्कि
ु ल है । डब्लए
ू चओ ने
भी शोध और सब
ु त
ू ों के अभाव में कोलगेट डायटिंग के खिलाफ बीसीजी वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए मना
किया है । हालांकि टीबी के टीके के तौर पर बीसीजी का इस्तेमाल जारी रहे गा । ये घरे लू मास्क जिसे एक
स्कार्फ में पीन तय करके मैंने अपने लिए तैयार किया है या फिर आप सिल्क पर भी इसे मास्क को तैयार
करते हैं घर में आजकल मास्क क्यों रहना वायु बहुत संक्रमण वाले इलाके में अगर आपका काम है तो वहां
पर आप उसे प्रयोग करते हैं पर इस मास की सफाई कैसे हुई । क्या यह उतना ही सुरक्षित है जितना एक
सर्जिकल मास्क होता है । ये सारी चीजें आपके मन में चल रही होंगी । हम इनके जवाब आपको दे ते हैं ।
क्या मांस को दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता । डब्ल्यूएचओ के अनुसार मास्क लगाना तभी फायदे मंद
होता है जब हाथों को लगातार अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर या साबुन पानी से धोया जाए । मांस का
मकसद खाँसी या चीक से निकलने वाले ट्रक को चेहरे पर पहुँचने से रोकना यानी मास्क लगाने वाले शख्स
दस
ू रों को संक्रमित नहीं करे गा और खुद भी संक्रमित होने से बच जाएगा । लेकिन यहां ये जानना जरूरी है
कि मांस को कैसे पहना जाए और कब डिस्पोज किया जाए । मास्क पहनने से पहले ध्यान रखें कि आपके
हाथ साबुन से धुले हों । मास्क लगाएं तो मुंह नाकों से जरूर ढं के चेहरे और मांस के बीच कोई ज्ञापनों
मास्क को हाथों
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00:17:18.790
से बार बार न छुएं । मास्क उतारना भी हो तो उसको कान के पास से पकड़कर हटाएं । नाक से नहीं ।
सवाल उठता है कि एक मासूम कितनी दे र तक लगाया जाए कब उसको इस्तेमाल करना बंद कर दिया
जाए उसको कैसे और कहां फेंका जाए ताकि आगे इन्फेक्शन का खतरा ना । मास्क अगर डिस्पोजेबल है
तो उसको फेंक दिया जाए । अगर घरे लू कपड़ों का बना है तो उसको एक बार इस्तेमाल के बाद दोबारा
पहनने से पहले धोना ज़रूरी है । जैसे ही मास्क नम हो जाए उसको एक बंद डस्टबिन के अंदर फेंक दें और
दोबारा इस्तेमाल न करें । अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार जिस तरह से लोग
गंदे कपड़ों को बगैर धोए पहनना पसंद नहीं करते हैं उसी तरह जिन मास्ट को धोया जा सकता है उनको
बगैर धोए नहीं पहनना चाहिए । घरे लू मांस को प्रयोग करते हुए किन चीजों का ध्यान रखें । मेडिकल
साइंस एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मौजूदा हालात में इन नए डिवाइस मास्क सबसे अच्छे हैं । उसके बाद हल्के
नीले दिखने वाले इस सर्जिकल मास्क लेकिन दोनों ही तरह के मांस की कमी है । ऐसे हालात में एक नई
डिवाइस मास्क सबसे पहले डॉक्टर्स और हे ल्थ के विकास के लिए जरूरी है । आम लोग घर पर बने मास्क
पहन सकते हैं जो कि सामान्य संक्रमण से बचाने के लिए बहुत कारगर होता है । घर पर मास्क बना रहे हैं
तो ध्यान रखें कि कपड़े की कम से कम तीन लेयर से ऐसा मास्क बनाएं । अगर आप स्कार्फ गमछा या
दप
ु ट्टे से अपना चेहरा ढक रहे हैं तो ध्यान रखें कि कपड़े की जो लेयर बाहर की तरफ है वो लेयर बाहर की
तरफ ही रहनी चाहिए । वह किसी भी सरू त में आपके चेहरे नाक या मंह
ु के संपर्क में
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00:19:04.460
न आए । जो लोग गमछे को मास्क के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं वो ऐसी लापरवाही कर सकते हैं
इसीलिए ध्यान दे ने की आवश्यकता है । अगर कपड़े का संक्रमित हिस्सा चेहरे के संपर्क में आ जाएगा तो
सारे एहतियात धरे के धरे रह जाएंगे । इसीलिए ध्यान दे ने की आवश्यकता है । इसके साथ ही एक दिन
इस्तेमाल करने के बाद कपड़े के उस मास्को या गमछे को अच्छी तरीके से साबुन पानी से धोना चाहिए
और धूप में कम से कम पांच घंटे सुखाना चाहिए । एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर आप घर में बने मास्क का
इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसे दो या तीन मास्क को अपने साथ रखें और रोजाना बदल बदलकर मास्क का
प्रयोग करें । कोरोना का संक्रमण छूने से फैलता है । ये सब जानते हैं लेकिन क्या कोई गर्भवती महिला जब
कोरोना पॉजिटिव निकलती है उसके शिशु को भी संक्रमण का खतरा होता है । दनि
ु या में कई ऐसे मामले हैं
उसके आधार पर रिसर्चर्स क्या कह रहे हैं वो दे खिए क्या गर्भवती महिला से शिशु में कोरोना संक्रमण जा
सकता है । सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवें शन के अनुसार आम लोगों के मुकाबले गर्भवती महिलाओं को किसी
भी तरह की सांस की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है । गर्भवती महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता
में बदलाव होने की वजह से उनके बीमार होने का डर बढ़ जाता है । सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन के अनुसार
वो गर्भवती महिलाएं जिनको इससे पहले सर्दी जुकाम जैसे दस
ू रे बारिस इन्फेक्शन हो चुके हैं उनको कूबड़
होने की आशंका ज्यादा होती है । अभी बहुत जानकारी उपलब्ध नहीं है । हमारे भारतवर्ष में जहां तक मेरी
नॉलेज है अभी बहुत केस में इनका कोई बच्चा पैदा हुआ है । चाइना में इसमें बहुत सारी रिपोर्ट्स आई है
लेकिन उसमें सिर्फ एक
Add Speaker
00:20:55.480
बार ही बच्चों की रिपोर्ट सही तो जो अभी तक उपलब्ध हमारे पास शोध पत्र हैं या उपलब्ध जानकारियां हैं
उसमे यही पता चलता है कि ये ग्रह गर्भवती महिला से ये संक्रमण गर्भस्थ शिशु में नहीं प्लेसेंटा के द्वारा
नहीं जाता है । डब्लूएचओ ने कोरोना से संक्रमित 147 गर्भवती महिलाओं के सैम्पल को स्टडी किया ।
डब्ल्यूएचओ ने पाया कि सिर्फ 8 प्रतिशत को गंभीर को बिठा 1 प्रतिशत क्रिटिकल की । रॉयल कॉलेज ऑफ
इंस्टीट्यूशंस गायनिकोलॉजिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में कोरोना संक्रमित कुछ महिलाओं में
प्रीमैच्योर बच्चों को जन्म दिया लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई कि संक्रमित मां के कारण बच्चा
प्रीमैच्योर पैदा हुआ या फिर डॉक्टरों को मां की खराब तबीयत दे खकर वक्त से पहले डिलिवरी करानी पड़ी
। इस स्टडी में मिसकैरिज के भी कोई केस दे खने को नहीं मिला । मेडिकल साइंस एक्सपर्ट्स का मानना है
कि चंकि
ू प्राइवेट कैं टीन संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक की बंद
ू ों से फैलता है ऐसे में नवजात शिशु को
मां से कोरोना संक्रमण होने का खतरा नहीं होता । नशे का इंजेक्शन नहीं लगाने से जलन के फ्रंट का
अफसर बाल बचा । मौके पर तैश में आए क्योंकि बच्चा इलाके में आएगा और मां अगर कोई पॉजिटिव है
इसका मतलब ये हुआ कि मां की सांस में मां के कपड़े में मां की साड़ी में मां की सारी चीजों में कोई गहरे
संकट का परू ा चांस है और अगर हम बच्चे और मां के बीच में अगर हम कोई बैरियर नहीं रखेंगे किसी भी
तरीके में कोई रुकावट नहीं होगी तो उस हालत में इस नवजात शिशु को कोई इन्फेक्शन का पूरा । चीन में
नौ कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं पर किए गए एक रिसर्च में मां के सामने ऑप्टिक फ्लूइड या
नवजात शिशु के गले के स्वाब में पारस नहीं
Add Speaker
00:23:04.160
मिला । लेकिन एक दसू रे बड़े शोध में जिसमें तैतीस प्रेग्नेंट महिलाओं पर स्टडी की गई उसमें तीन नवजात
बच्चों में कोरोना के लक्षण मिले । बाकी 30 में ऐसे लक्षण नहीं मिले । हालांकि इस सवाल का जवाब
शोधकर्ता नहीं दे पाए कि बच्चों में कोरोना संक्रमण मासिक आया या फिर पैदा होने के बाद वो संक्रमित
हुए । भारत में ऐसे नाजुक मामलों को दे खते हुए राज्य सरकारों ने गाइडलाइंस जारी की है जिसमें कहा
गया है कि कोरोना संक्रमित मां का प्रसव सिर्फ और सिर्फ कोरोना अस्पताल में ही होगा जहां जन्म के बाद
कोरोना से मां और बच्चे को बचाने के लिए दस
ू री सावधानियां भी बरती जाएगी । इसके लिए हमें वेस्टर्न
स्टे प्स फॉलो करने हैं जिसमें सबसे पहला तो वही है जो बाकी लोग कर रहे हैं जैसे कि सोशल डिस्टें स
मेनटे न करना । सिक्स स्पीड डिस्टें स पे रहना और ज्यादा भीड़ भाड़ वाले इलाकों में ना जाना अनसेफ
ट्रै वल नहीं करना है । अपने हॉस्पिटल से आप इंसान रहे हमेशा वो कितना दरू है । आपके हॉस्पिटल में
आज बनाकर फैमली को लॉक कर रहे हैं कि नहीं इस समय ये सारी चीजों की जानकारी आपको पहले से
लेकर रखनी है । अगर आप लेबर में है और अगर आपको कोई इन्फेक्शन हो गया है तो आपको अपने
हॉस्पिटल को पहले इत्तला दे नी पड़ेगी ताकि वो बच्चे बचाव की सारी तैयारी कर सके । अब और आपको
अगर इन्फेक्शन हो जाता है तो डिलिवरी के बाद आपको दस
ू रे रूम में रखा जा सकता है और ब्लड आप
ब्रेस्ट फीड स्टूल कर सकती हैं । पंकज की जा सकती है खासकर ग्लव्स लगाकर फिर भी प्रस्तुत कर सकते
हैं कि ब्रेस्ट फीडिंग में ये वायरस ट्रांसफर नहीं होता है । तो निष्कर्ष के तौर पर ये कहा जा सकता है कि
डब्लूएचओ ने अभी तक ऐसे
Add Speaker
00:24:54.020
किसी भी मामले की पुष्टि नहीं की है लेकिन फिर भी सावधानी जरूरी । क्या हाइड्रॉक्साइड क्लोरोक्वीन से
कोरोना का इलाज संभव है । प्रधानमंत्री नरें द्र मोदी ने जब हाइड्रॉक्साइड क्लोरोक्वीन का कन्साइनमें ट
दनि
ु या के दस
ू रे दे शों में भिजवाना शुरू किया तो उन दे शों के साथ भारत के रिश्तों की बुनियाद और मजबूत
होती गई । लेकिन आखिर इस दवा की डिमांड अचानक पूरी दनि
ु या में क्यों बढी । क्या हाइड्रॉक्साइड
क्लोरोक्वीन खत्म कर सकता है । चलिए हम आपको परू ी जानकारी दे । क्लोरोक्वीन मलेरिया के इलाज
के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा है जिसकी खोज उन्नीसवीं 34 में हुई थी लेकिन क्लोरोक्वीन के
साइड इफेक्ट्स बहुत ज्यादा होते हैं । ओवरडोज से मरीज की मौत तक हो सकती है । इस वजह से जरूरत
पड़ी क्लोरोक्वीन का एक रिड्यस
ू कंपाउं ड बनाने की आम भाषा में कहें तो ऐसी दवा जिसके साइड इफेक्ट्स
कम हों । वैज्ञानिकों ने इसको नाम दिया हाइड्रॉक्साइड क्लोरोक्वीन हाइड्रॉक्साइड क्लोरोक्वीन मलेरिया से
लड़ने में बेहद कारगर मानी जाती । विश्व के जाने माने जर्नल नेचर डॉट कॉम के अनस
ु ार हाइड्रॉक्साइड
क्लोरोक्वीन टे स्ट ट्यूब में कोलगेट फाइटिंग संक्रमण को रोकने में कामयाब हो रही है । अमेरिकी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रं प ने फ्रांस में 36 लोगों पर हुए एक छोटी क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर दवा पर
भरोसा जता दिया है । हालांकि फ्रांस के उस टे स्ट पर फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रे शन के अलावा दनि
ु या के कई
वैज्ञानिक राजी नहीं हुए क्योंकि उसको नो कंट्रोल सिचुएशन में किया गया था । लेकिन अमेरिका के
न्यूयॉर्क में 15 सौ लोगों पर दवा का टे स्ट कर दिया गया । हालांकि साथ ही हम आपको बता दें की
हाइड्रॉक्साइड क्लोरोक्वीन को लेकर चीन भी बहुत आश्वस्त नहीं । हाइड्रॉक्साइड क्लोरोक्वीन अभी उन
लोगों को दी जा सकती है जो या तो बहुत गंभीर रूप से बीमार है ताकि
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किसी भी दस ू रे मरीज को डॉक्टरों ने इस दवा को न इस्तेमाल करने की सख्त हिदायत दी है । साथ ही ये
भी कहा गया है कि यह केवल स्वास्थ्य कर्मियों के लिए उपयोग किया जा रहा है । सार्स कोरोना वायरस
सुखासन फाइट फंड में हाइड्रॉक्साइड क्लोरोक्वीन और इसी तरह मेडिसिन कॉम्बिनेशन में ट्रीटमेंट के लिए
प्रयोग किया गया था और कुछ हद तक के बने फिसल रहा था तो टूटा झरना ट्वेन्टी का कोवर्ट डिजाइन जो
है इसमें भी इसका रोल है और ये लेकिन केवल प्रफुल्ल के लिए यूज किया जा रहा है । ये वायरस के सत्य पे
काम करता है और वहां पे उसके निमित्त करता है और ग्रोथ रिकार्ड करता है । ये एंटी मलेरिया ड्रग है और
इसके और बहुत सारे यूजर्स हैं और कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं तो ये फिलहाल रुटीन ट्रीटमें ट में रिकमंड
नहीं है । हां लेकिन प्रफुल्ल के लिए ये जरूर दिया जा सकता है । प्रश्न मतलब वो पेशेंट्स जो करुणा शून्य
के कॉन्टै क्ट में हैं जैसे कि हे ल्थ केयर वर्क र्स या उनके अपने फैमिली में बर्स । यह सिगरे ट शेयर करके पीने
से कुरूपता बारे संक्रमण हो सकता है । कोरोना को लेकर एक दावा ये भी किया जा रहा है कि सिगरे ट के
शौकीन अगर शेयर करके सिगरे ट पीते हैं तो उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है । बैंकॉक शहर में एक
साथ पार्टी करने वाले दोस्तों में कोरोना वायरस की पष्टि
ु हुई । बताया जा रहा है कि पार्टी के दौरान इन
दोस्तों ने आपस में सिगरे ट भी शेयर की थी । डॉक्टरों का कहना है कि इसकी वजह से कोरोना वायरस एक
से दस
ू रे में ट्रांसफर हुआ । भारतीय डॉक्टरों का भी मानना है कि सिगरे ट शेयर करने से ये वाइरस एक दस
ू रे
में फैल सकता है । डॉक्टरों के अनुसार जब किसी इन्सान
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में कोरोना वायरस पहुंचता है तो सबसे पहले अपर रे स्पिरे टरी सिस्टम को प्रभावित करता है । फिर लोअर
रे स्पिरे टरी सिस्टम तक पहुंचता है । अपर में सबसे पहले गले और नाक के हिस्से में बारिस पहुँचता है ।
जब ये नाक को प्रभावित करता है तो इसे मेडिकल भाषा में नोबल फाइनेंसियल कहते हैं जबकि गले और
दोनों टॉन्सिल्स तक पहुँच जाता है तो इसे औरों फाइनेंशियल कहा जाता है । डॉक्टरों का कहना है कि इसी
प्रकार जब वायरस लोअर रे स्पिरे टरी सिस्टम में पहुंच जाता है तब इसका मतलब होता है कि मरीज के
फेंफड़ों तक वायरस पहुंच गया । अगर हम अपना सीक्रेट किसी दस
ू रे को दे ते हैं तो चंकि
ू सिगरे ट हमारे हाथ
से छूकर के ।

युक्त हो जाती है । एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कोरोना बारिश किसी भी सतह पर काफी वक्त जिंदा रह सकता
है यानी आपका मोबाइल फोन आसानी से वाइरस कैरियर बन सकता है । तो आप क्या करें । जरूरी है कि
आप अपने स्मार्टफोन को अच्छी तरह से साफ करें । लेकिन कैसे साफ करें । फोन बनाने वाली सभी बड़ी
कंपनियां तो किसी भी तरह के अल्कोहल बेस सैनिटाइजर से फोन साफ करने को मना करती हैं क्योंकि
इससे फोन की कोटिंग और टे क्नॉलजी खराब होने का डर रहता है । कई फोन में फिं गरप्रिंट सेंसर होते हैं जो
सैनिटाइजर से खराब हो सकते हैं । इसमें सबसे पहले तो फोन पर स्क्रीन प्रोटे क्टर लगाया जा सकता है
जिसको डायट अल्कोहल से साफ किया जा सकता है । मोबाइल में प्लास्टिक होता है और प्लास्टिक में
वायरस की लाइफ लंबी होती है तो उसको ध्यान में रखते हुए यह संभावना है कि किसी संक्रमित व्यक्ति ने
किसी मोबाइल को हुआ हो तो उसको वो पास होने के चांसेज हैं अगर वो अपने नाना के मुंह पर टच करता
है तो । इसी रूप में संक्रमण का खतरा होता है । उत्तर भारत में सूर्य दे वता का प्रकोप तेज हो रहा है । लोग
डाउन की वजह से लोग घर पर ही हैं लिहाजा एक कंडीशनर की जरूरत महसूस की जा रही है । लेकिन
सोशल मीडिया पर एक वीडियो कोरोना वायरस को लेकर हो रहे दावे से लोग डरे हुए हैं । ये दावा है कि घर
ऑफिस या फिर कार में एसी के प्रयोग से कोरोना वायरस का खतरा बढ़ सकता है । एम्स के डायरे क्टर
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार कार में एसी या घरों में विंडो एसी के प्रयोग से कोई खतरा नहीं है
लेकिन अगर आप दफ्तर में सेंट्रलाइज्ड एसी का प्रयोग कर रहे हैं तो
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आप कोरोना वायरस की गिरफ्त में आ सकते हैं । इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण खुद डॉक्टर गुलेरिया
ससुर । अगर आपके घर में विंडो एसी लगा है तो आपके जो एसी कमरे में जो हवा है वो आपके ही कमरे में
रहे गी और बहुत कहीं नहीं जाएगी । दस
ू रे कमरे में नहीं जाएगी । इसलिए विंडो एसी है गाड़ी में इसी है तो
वो जो है वो चलाने में कोई प्रॉब्लम नहीं । लेकिन अगर सेंट्रली एसी है तो सेंट्रल एसी का मतलब कि सारे
कमरों में आवाज सर्कु लेट हो रही है और तब ये डर रहता है कि अगर किसी अगर दस
ू रे कमरे में या ऑफिस
के किसी और हिस्से में कोई खास रहा है उसको इंफेक्शन है तो एसी के डर से एक कमरे से दस
ू रे कमरे तक
फैल सकती है । क्या स्विमिंग पल
ू में नहाना इस समय सुरक्षित है । लौटाने की वजह से वैसे तो ज्यादातर
स्विमिंग पल
ू बंद हैं लेकिन लोगों के मन में ये सवाल जरूर है कि कोरोना संक्रमण के दौर में क्या स्विमिंग
पल
ू में नहाना सरु क्षित होगा । ज्यादातर जगहों पर स्विमिंग पल
ू में क्लोरीन डाला जाता है जिसे अलग
अलग तरह के कीटाणु खत्म होते हैं । इसमें कहा जा सकता है कि स्विमिंग पल
ू में क्लोरीन ठीक मात्रा में
मिलाया गया है तो वो सरु क्षित है लेकिन चें जिग
ं रूम या बिल्डिंग में किसी वस्तु या दरवाज़ों को छूने से
संक्रमण का खतरा हो सकता है । अगर कोई संक्रमित व्यक्ति पल
ू में आपके नजदीक हो और खांसते या
छींकते तो भी आपको संक्रमण का खतरा हो सकता है । आजकल इस तरह के सारे डायजेशन कानन

सबको बहुत सारे मिल जाएंगे जिसमें लोग अगर गुजरते हैं तो उसके बाद पूरी तरीके से स्वच्छ होकर
निकलते हैं । लेकिन क्या ये कोरोना के कीटाणुओं को इंसान के शरीर
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पर मार सकता है । आइये जानते हैं । क्या टनल में कोरोना वायरस का सफाया हो जाता है । परु
ु षों से
बचने के लिए पूरी दनि
ु या में सैनिटाइजर टनल बनाए जा रहे । भारत में भी कई जगहों पर ऐसे टनल
लगाए जा रहे सैनिटाइजर होने के लिए एक एक कर लोग उसमें से गुजरते हैं चंद सेकंड भीतर ही खड़े रहते
हैं और फिर बाहर निकलते हैं पर ये सारे टाइल्स कितने सुरक्षित हैं और क्या ये कोरोना वायरस को मार पा
रहे हैं । एक्साइड राइजिंग के स्प्रे में सोडियम हाइपो क्लोराइड और दस
ू रे केमिकल का प्रयोग हो रहा है ।
वैज्ञानिकों के अनुसार ये केमिकल्स कभी कभी हानिकारक भी हो सकते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन के
अनुसार हाइपो क्लोराइड किसी भी चीज की सतह पर तो प्रभावी है लेकिन मानव शरीर पर नहीं
सेनिटाइजर टॉन्सिल्स जो होते हैं इनसे हाइड्रोक्लोराइड सलश
ू न की बरसात होती है और उसमें से आदमी
गुजरता है गुजर कर जाता है तो अगर आदमी की जो खुली स्किन होती है उस पर अगर ये पड़ेगा तो उसपर
घातक होता है हमारे नेत्रों पर भी नुकसान पहुंचा सकता है और हमें इसकी एलर्जी हो सकती है तो इसको
पूरी तरह से तो नहीं कहा जा सकता । डब्ल्यूएचओ के अनुसार साल्ट राइजिंग टनल संक्रमण से बचाव का
प्रभावी उपाय नहीं है इससे अच्छा है कि आप साबुन से हाथ धोएं और सोशल डिस्पेंसिग
ं का पालन करें
टनल के ज्यादा प्रयोग से लोग आख नाक और त्वचा संबंधी समस्याओं का शिकार हो सकते हैं जो इस
समय कलर्स की बात प्रारं भ में की जा रही थी उसको ये दे खा गया कि लोग प्रश्नचिह्न ् पर लग गए हैं । एक
तो उनका एफिशियंसी इफेक्टिव नर्स नहीं है वो बिल्कुल संक्रमण मुक्त शरीर को नहीं कर रहे हैं और दस
ू रा
उससे भी बड़ा कंसर्न इस समय
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आया है कि जो वहां पर केमिकल्स प्रयोग किए जा रहे थे हाइड्रोक्लोराइड सॉल्यश
ू न ज्यादातर प्रयोग किया
जा रहा है वो शरीर के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है । एलर्जी भी उससे हो रही है । डॉक्टरों के अनुसार
सोडियम हाइपो क्लोराइड एंटीबैक्टीरियल है । यह शरीर पर प्रभावी है लेकिन अगर स्प्रे के जरिये यह आँख
नाक कान या मुंह में गया तो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है । किसी भीड़ भाड़ वाली जगह की एंट्री
पॉइंट पर अगर सैनिटाइजर कमल लगा हुआ है तो कई दफा ऐसा दे खा जाता है कि लोग उसके बाद अधिक
आश्वस्त हो जाते हैं और सोशल डिस्पें सिग
ं जैसे नियमों का पालन नहीं करते हैं जिसके कारण ऐसी किसी
भी प्रक्रिया का विपरीत असर पड़ने का परू ा परू ा खतरा रहता । कोरोना के इस काल में सच और झठ
ू का
फर्क जानना बहुत ज्यादा जरूरी हो जाता है क्यंकि
ू सही जानकारी ही बचाव । कंपनी सहित मोहसिन के
साथ मझ
ु े दीजिए इजाजत । दे श और दनि
ु या की बाकी खबरों के लिए आप दे खते रहिए । आज तक ।

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