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Bhagat Singh
Bhagat Singh
पिता सरदार कृष्ण सिंह कांग्रेस पार्टी के गणमान्य सदस्यों में से थे।
आप के चाचा अजीत सिंह ‘पगड़ी सम्भाल जट्टा” लहर के नेता थे और
अंग्रेज़ों की लम्बी सजा काट कर आए थे। आप की दादी बचपन से ही
वीर परु
ु षों की कहानियां सन
ु ाती थी और वीरता की लोरियाँ दे ती थी।
ऐसे वीर और दे श भक्त परिवार में पला हुआ सरदार भगत सिंह क्यों
न दे श भक्त निकलता।सरदार भगत सिंह का पहला नाम भागांवाला
था क्योंकि जिस दिन यह पैदा हुआ उस दिन इनके पिता नेपाल से
आए थे और दादी ने कहा था यह लड़का भाग्य शाली है इसी लिए
इसका नाम भागांवाला रखा गया और यही बाद में भगत सिंह के
नाम से प्रसिद्ध हुआ। सचमुच यह बालक सौभाग्यशाली था दे श के
लिए भी और परिवार के लिए भी। इस का जन्म सन ् 1907 में
पंजाब प्रान्त के ज़िला जालन्धर के तहसील बंगा के पास खटकड़
कलां में सरदार कृष्ण सिंह के घर हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही
पाई। मैट्रिक तक शिक्षा डी. ए. वी. स्कूल से पाई और नेशनल कालेज
लाहौर से आप ने बी. ए. पास की। अनेक पत्रों के सम्पादक बने। एक
स्कूल में मुख्य अध्यापक भी रहे । नाम बदल-बदल कर भी कई
स्थानों पर घूमते रहे । घर वालों ने आप का विवाह करने का विचार
किया पर आप घर से यह सोच कर भागे कि शादी दे श भक्ति में बाधा
पहुंचाएगी इस तरह आप का जीवन दे श भक्ति से यक्
ु त रहा।
क्रांति के पथ पर- जिस समय शहीद भगत सिंह का जन्म हुआ उस
समय कांग्रेस की दो पार्टियां बन चुकी थीं। नरम दल और गरम दल।
नरम दल के लोग नियमों द्वारा और विधान द्वारा दे श को स्वतन्त्र
करवाना चाहते थे। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू इसी दल के
सदस्य रहे पर गरम दल वालों का विचार था कि लातों के भत
ू बातों
से नहीं माना करते इस लिए अनुनय विनय से आज़ादी नहीं मिल
सकती इस लिए क्रान्ति का पथ अपनाना चाहिए। लोक मान्य तिलक
इस दल के नेता थे। बाद में चन्द्र शेखर आज़ाद, बटुकेश्वर दत्त आदि
ने इस पथ को अपनाया। सरदार भगत सिंह जी इसी दल के सदस्य
बने।