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सह सकता। जब दिन लंबे तथा रातें छोटी होती हैं, तब इसमें बीज के डंठल निकलने लगते
हैं और पौधों का बढ़ना कम हो जाता है ।
सर्दियों के मौसम में सबसे स्वास्थ्यवर्धक सब्जी मानी जाती है । पालक में जो गुण पाये
जाते है वे समान्यत:अन्य सब्जियों में नहीं पाये जाते। पालक में लोहे का अंश भी बहुत
अधिक रहता है , पालक में मौजूद लोहा शरीर द्वारा आसानी से सोख लिया जाता है ।
इसलिए पालक खाने से खन
ू के लाल कणों की संख्या बढ़ती है । [2] [3]
मत्ृ यु के समय व्यक्ति के गले में कफ जमा हो जाने के कारण श्वसन क्रिया एवम बोलने
में रुकावट आ जाती है । तुलसी के पत्तों के रस में कफ फाड़ने का विशेष गुण होता है
इसलिए शैया पर लेटे व्यक्ति को यदि तल
ु सी के पत्तों का एक चम्मच रस पिला दिया
जाये तो व्यक्ति के मख
ु से आवाज निकल सकती है ।
नीम भारतीय मल
ू का एक पर्ण- पाती वक्ष
ृ है । यह सदियों से समीपवर्ती
दे शों- पाकिस्तान, बांग्लादे श, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका
आदि दे शों में पाया जाता रहा है । लेकिन विगत लगभग डेढ़ सौ वर्षों में यह वक्ष
ृ भारतीय
उपमहाद्वीप की भौगोलिक सीमा को लांघ कर अफ्रीका, आस्ट्रे लिया, दक्षिण पूर्व एशिया,
दक्षिण एवं मध्य अमरीका तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीपसमूह के अनेक उष्ण और उप-उष्ण
कटिबन्धीय दे शों में भी पहुँच चक
ु ा है नीम एक तेजी से बढ़ने वाला पर्णपाती पेड़ है , जो
15-20 मी (लगभग 50-65 फुट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है और कभी-कभी 35-
40 मी (115-131 फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है । नीम गंभीर होती है । हां पत्तियां
अवश्य कड़वी होती हैं, लेकिन कुछ पाने के लिये कुछ तो खोना पड़ता है मसलन स्वाद।
सूखे में इसकी अधिकतर या लगभग सभी पत्तियां झड़ जाती हैं। इसकी शाखाओं का
प्रसार व्यापक होता है । तना अपेक्षाकृत सीधा और छोटा होता है और व्यास में 1.2 मीटर
तक पहुँच सकता है । इसकी छाल कठोर, विदरित (दरारयुक्त) या शल्कीय होती है और
इसका रं ग सफेद-धूसर या लाल, भूरा भी हो सकता है । रसदारु भूरा-सफेद और अंत:काष्ठ
लाल रं ग का होता है जो वायु के संपर्क में आने से लाल-भूरे रं ग में परिवर्तित हो जाता
है । जड़ प्रणाली में एक मजबूत मुख्य मूसला जड़ और अच्छी तरह से विकसित पार्श्व जड़ें
शामिल होती हैं।इसका स्वाद तो कड़वा होता है लेकिन इसके फायदे अनेक और बहुत
प्रभावशाली है । [1][2] [3]
१- नीम की छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक है ।
२- नीम की दातन
ु करने से दांत और मसड़
ू े स्वस्थ रहते हैं।
३- नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान
आ रही हिमालय से पक
ु ार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार;
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत