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व टर ं केल और उनक पु तक “मै स सच फॉर मी नंग”

डॉ. हे नर$ अ&मसन

'हंद$ अनुवाद : अर व द ग+ु ता

व टर ं केल ने दस
ू रे महाय.
ु म/ 'हटलर के कंसं0ेशन कै2पस म/ तीन साल तक कड़ी सजा झेल$. उ ह6ने
मनो8च9क:सा जगत म/ एक नयी धारा क शु=आत क . ?यादातर मनो8च9क:सक6 क तरह, उ ह6ने भी अपना काम
वयाना म/ ह$ 9कया. Bसगमंड ायड को मनो8च9क:सा वCान का पतामह माना जाता है . उनके छाE अडलर को
दस
ू रे मनो8च9क:सा कूल, और ं केल को मनो8च9क:सा के तीसरे कूल का जनक माना जाता है . ं केल ने लोगो-
थेरेपी का इजाद 9कया. Iीक म/ “लोगो” का अथ होता है “शJद”. उ नीसवीं और बीसवीं शतािJदय6 के 8चंतक6 ने
बड़े-बड़े Bस.ांत6 क MयाNया क . ायड के Bलए सबसे अहम ् सवाल “आनंद” का था. नी:शे के Bलए सवPQच RSन
“स:ता” का था. पर ं केल के सामने सबसे मह:वपूण RSन “जीवन का मतलब” खोजना था. ं केल का योगदान
केवल मनो8च9क:सा जगत तक ह$ सीBमत नह$ं रहा. उससे Mयापक समाज लाभाि वत हुआ. उनके Bस.ांत6 से
लाख6-करोड़6 हताश और नराश लोग6 को फायदा हुआ जो अपने जीवन म/ “अथ” खोज रहे थे. अगर लोग अपने
जीवन म/ “अथ” खोजते, तो उनम/ तमाम कVट और पीड़ाएं झेलने के Wमता आती थी.

व टर ं केल का ज म 1905 म/ , और म:ृ यु 1997 म/ हुई. वो लगभग पूर$ बीसवीं शताJद$ िजए. वो उस शताJद$
के एक महान 8च तक भी थे. उनका ज म एक म_यम-वग`य, यहूद$ पaरवार म/ हुआ. उनके पaरवार के सद य
ल2बे अरसे तक ऑि 0या क सरकार म/ नौकरशाह रहे . यहूद$ पर2पराओं से वे अQछe तरह अवगत थे. बचपन म/
वो बहुत अQछा गाते थे इसBलए धाBमक अनुVठान6 म/ उनके गीत6 क ज़बरद त मांग रहती थी. थोड़ा बड़े होने पर
उनको वा ता नाि तक Bस.ांत6 से हुआ. और शायद इसीBलए वो धम क राह पर आगे नह$ं बढ़े . धम का उनके
जीवन पर गहरा Rभाव रहा, पर उ ह6ने धम का कभी अiयास नह$ं 9कया. ं केल क दस
ू र$ प:नी इसाई थीं. अपने
घर म/ वो यहू'दय6 के पव “खनका” के साथ-साथ इसाई पव 9kसमस भी मनाते थे. उनके मह:वपूण योगदान के
कारण ं केल क प:नी उनका बहुत स2मान करती थीं.

अब ज़रा ं केल क िज़ दगी पर नज़र डाल/. वो पेशे से एक डॉ टर थे और उ ह6ने “ यूरोलॉजी” म/ उQच पदवी
Iहण क . कम उl से ह$ उनपर Bसगमंड ायड का Rभाव पड़ा. एक mप से Bसगमंड ायड, ं केल के गाइड थे.
दोन6 के बीच काफ पE Mयवहार भी हुआ. ायड ने ं केल को एक शोध-पE RकाBशत करने के Bलए Rेaरत 9कया.
इस Rकार ं केल, मनो8च9क:सा के पतामह के सीधे संपक म/ रहे . ं केल पर, ायड के BशVय अडलर का भी
Rभाव पड़ा. “आ:मह:या” वषय म/ ं केल क वशेष m8च थी. सार$ िज़ दगी ं केल इस वषय पर शोध और मनन-
8चंतन करते रहे . 1920 और 1930 के दशक6 म/ , पर$Wा म/ कम नंबर आने के कारण बहुत से छाE आ:मह:या कर
रहे थे. तब ं केल ने छाE6 के Bलए बड़े पैमाने पर नशुqक परामश या न काउं सBलंग आयोिजत क िजससे बहुत
लोग6 को लाभ पहुंचा. उस समय आ:मह:याओं का कुछ ऐसा दौर था 9क छाE6 के हॉ टल नमाण के दौरान, कमर6
म/ sखड़9कयाँ नह$ं होती थीं. यं9ू क sखड़9कय6 से कूदकर नराश छाE खद
ु कशी कर सकते थे! ं केल क -
काउं सBलंग स वस के कारण वयाना म/ आ:मह:याएं शू य हो गu! यह एक बहुत बड़ी उपलिJध थी! बाद म/ ं केल
ने “आ:मह:या” वषय को अपना पेशा भी बनाया. उनका मानना था 9क अगर लोग अपने जीवन म/ कोई मकसद
या अथ खोज ल/, तो वे 9कqलत और मिु Sकल6 से भर$ िज़ दगी, उदासी और wडRेशन को भी झेल पाएंगे. पर ज़mर$
है 9क उनके पास िज़ दगी जीने का कोई सबब हो. ं केल क काउं सBलंग से हजार6 wडRे ड म'हलओं को फायदा
हुआ. ं केल ने वयाना के बड़े टा यनहोफ अ पताल के मनो8च9क:सा वभाग म/ काम करना शुm 9कया. वहां वो
“आ:मह:या” वाले wडपाटम/ ट के Rमख
ु थे. वहां केवल आ:मह:या करने वाले मर$ज6 को ह$ भत` 9कया जाता था.
यह$ं पर ं केल ने हजार6 म'हलाय6 का नशुqक इलाज 9कया.

जब ं केल अपने Mयवसाय म/ Rग त कर रहे थे, तब पिSचमी यूरोप के कई दे श – खासकर जमनी और ऑि 0या,
राV0$य-समाजवाद क ओर बढ़ रहे थे. 1938 म/ जमनी ने, ऑि 0या पर कJज़ा 9कया. उसके बाद से 'हटलर
यूरोपीय दे श6 से और aरयायत/ मांगने लगा. BमE दे श6 को लगा 9क कह$ं पहले महायु. जैसी दब
ु ारा जंग न छड़
जाये, इसBलए वे 'हटलर क मांग6 को मानते रहे . इस तिु Vट के काफ भयावह पaरणाम नकले. धीरे -धीरे 'हटलर ने
ऊँगल$ पकड़ते-पकड़ते 8गरे बान पकड़ना शुm 9कया. उसक मांगे 'दन-ब-'दन बढ़ती गयीं. अंत म/ 'हटलर ने
चेको लोवा9कया के उस पहाड़ी इलाके क मांग क जहाँ बहुत से जमन मूल के लोग रहते थे. तब {&टे न के
त:काल$न RधानमंEी चेमबरलेन ने, 'हटलर के साथ समझौता 9कया और चेको लोवा9कया का वो इलाका जमनी को
स|प 'दया. चेमबरलेन को लगा 9क उस तोहफे के साथ 'हटलर क मांग/ बंद हो जाएँगी. पर ऐसा हुआ नह$ं.
ऑि 0या म/ एक वग था जो जमनी के साथ वलय से बहुत खुश था. इसीBलये ऑि 0या म/ नाि:सय6 का Rभाव
बहुत तेज़ी से फैला.

इन तेज़ी से घट$ राजनै तक घटनाय6 का ं केल पर बहुत बुरा असर पड़ा. उ ह/ टा यनहोफ अ पताल से नकाल
'दया गया, उनका पद उनसे छeन Bलया गया. मेwडकल डॉ टर के mप म/ Rैि टस करने पर उनपर पाब द$ लगी.
उ ह/ “यहू'दय6 का डॉ टर” करार 9कया गया. अब वो केवल यहूद$ मर$ज6 का ह$ इलाज कर सकते थे. टा यनहोफ
अ पताल छोड़ने के बाद ं केल ने रोथचाइqड अ पताल म/ काम करना शुm 9कया. यह अ पताल यहू'दय6 के Bलए
था. यहाँ ं केल यूरोलॉजी वभाग के अ_यW बने. वे बहुत क'ठन और वषम पaरि थ तय6 म/ भी यहू'दय6 का
इलाज करते रहे . उस समय यहू'दय6 पर नाि:सय6 का अ:याचार लगातार बढ़ रहा था, िजससे यहूद$ बहुत परे शान
और wडRे ड रहते थे. वयाना के यहू'दय6 को तुरंत कंसं0ेशन कै2पस म/ नह$ं भेजा गया. इसम/ कुछ साल लगे. पर
वहां के यहू'दय6 को बहुत दबाव म/ जीना पड़ा. इस काल म/ ं केल ने नाि:सय6 }वारा वकलांग बQच6 को मारने क
नी त के sखलाफ बहुत कड़ा =ख अपनाया. ना:सी, डाउ स Bसं~ोम और अ य जेने'टक रोग6 से पीwड़त बQच6 क
ह:या करना चाहते थे, िजससे 9क एक वशु. “आय” न ल का नमाण हो सके. इसके Bलए इन बQच6 क डा टर$
जांच करवाई जाती थी. ं केल ने जांच के दौरान हजार6 बQच6 को सामा य करार 'दया. उससे बQचे मौत से बच
सके. 1941 के बाद इ ह$ नी तय6 के तहत नाि:सय6 ने लाख6 यहू'दय6 को गैस क भ'€य6 म/ झ6का.

उसके बाद “होलोकॉ ट” का दौर शुm हुआ. कंसं0ेशन क• प म/ भेजे जाने से पहले ं केल ने एक युवा यहूद$ म'हला –
अनातोल$ Iोसअर से शाद$ क . शाद$ के च द मह$न6 बाद ह$ दोन6 को अलग-अलग कंसं0ेशन कै2+स म/ भेजा गया.
यहाँ पर ं केल के जीवन क Eासद$ और माBमक हो गयी. भा‚यवश, कंसं0ेशन क• प म/ ं केल को अमर$का जाने का
वीसा Bमला. ं केल बेहद खुश हुए यूं9क अब वो अपनी प:नी के साथ अमर$का म/ सुरƒWत रह सकते थे. इस खबर
को सुनाने और ख़ुशी को बाँटने के Bलए ं केल अपने माँ-बाप से Bमलने गए. घर म/ ं केल को मेज़ पर एक माबल
(संगमरमर) का टुकड़ा 'दखा. पता ने बताया 9क नाि:सय6 ने वयाना म/ यहू'दय6 के महान Bसनागोग को _व त
9कया था. मलबे म/ ढूंढते हुए उ ह/ टे न कमांडम/ ˆस का एक टुकड़ा Bमला िजसम/ एक अWर 'ह&ू म/ Bलखा था. मं'दर
के _व त होने से उदास होकर पता उस माबल के टुकड़े को बतौर यादगार घर ले आये थे. ं केल ने पता से पूछा,
“आप टे न कमांडम/ ˆस म/ से 9कस कमांडम/ ट को बचा पाए?” पता ने उ:तर 'दया, “वो कमांडम/ट था – अपने माता-
पता का आदर करो”. इसका ं केल पर बेहद गहरा भावना:मक Rभाव पड़ा और उ ह6ने अमर$क वीसा को रŠ होने
'दया. उसके बाद ं केल और उनके पूरे पaरवार को कंसं0ेशन कै2प म/ भेज 'दया गया. कंसं0ेशन कै2+स म/ माता-
पता के साथ-साथ उसक युवा प:नी का भी क़:ल हुआ. यह$ं से ं केल क लोगो-थेरेपी क शुmआत भी हुई.

ं केल को एक-के-बाद-एक करके चार अलग-अलग कंसं0ेशन कै2+स म/ भेजा गया. यहाँ पर कंसं0ेशन कै2+स के बारे
म/ कुछ बताना ज़mर$ होगा. 'हटलर ने दो अलग-अलग तरह के कै2+स था पत 9कये थे. पहले वाले कंसं0ेशन
कै2+स थे, िजनक संNया लगभग सौ थी और वे पूरे यूरोप म/ फैले थे. उनके थापना 'हटलर ने 1933 म/ स:ता
सँभालने के बाद शुm कर द$ थी. दस
ू रे कै2+स “म:ृ यु कै2पस” (डेथ-कै2पस) थे. डेथ-कै2पस क संNया कुल छह थी.
कंसं0ेशन कै2+स म/ ?यादातर गैर-यहूद$ बंद$ थे, जो 'हटलर के राजनै तक वरोधी और शEु थे. पर जैसे-जैसे दस
ू रा
महायु. पास आया वैस-े वैसे कंसं0ेशन कै2पस म/ ऐसे तमाम लोग6 को बंद$ बनाया गया िजनसे 'हटलर को नफरत
थे. इनम/ समल•8गक, िज+सी, क2यु न ट, Bभखार$ और वकलांग लोग थे. धीरे -धीरे यह सच
ू ी बढ़ती ह$ गयी.
कंसं0ेशन कै2+स म/ अ8धकतर मौत/ भुखमर$ और बबरता के कारण हुu.

1941 के बाद से डेथ-कै2पस बनाये गए. उनका एक ह$ उŠेSय था – बं'दय6 को मौत के घाट उतारना. इन कै2+स
म/ आने वाले कै'दय6 म/ से 90-R तBशत को 24 घंटे के अ दर-अ दर मौत के घाट उतारा जाता था. डेथ-कै2+स म/
सबसे कुNयात थे - औिSवग, {बकŒनाऊ, बेqज़ेक, म•दनेक और दचाऊ. दचाऊ शुm म/ एक कंसं0ेशन कै2प था पर तु
बाद म/ उसे एक डेथ-कै2प म/ तJद$ल 9कया गया. डेथ-कै2पस क वशेषता थी – वहां क गैस क भ'€याँ. बं'दय6 के
आने के तुरंत बाद उ ह/ गैस भ'€य6 म/ भेजा जाता था. बाद म/ उनके मत
ृ शर$र6 को दाŽIह म/ भेजा जाता था.
दाŽIह म/ म:ृ यु दर बहुत •यादा थी और वहां रोज़ सैकड़6-हजार6 शव6 से नबटा जाता था. ं केल को िजस क• प म/
सबसे पहले भेजा गया वो एक मॉडल क• प था. इस क• प म/ नर$Wण के Bलए अ सर रे ड kॉस को लाया जाता था.
ना:सी द ु नया को 'दखाना चाहते थे 9क वो यहू'दय6 के साथ 9कतना मानवीय Mयवहार कर रहे थे. कुछ समय बाद
ह$ ं केल के पता क मौत हो गयी. 9फर परू े पaरवार को औिSवग भेज 'दया गया जहाँ ं केल क माँ, भाई और
युवा प:नी क भी मौत हुई. ं केल के पaरवार म/ उनके अलावा केवल उनक बहन ह$ यु. और कंसं0ेशन कै2प से
िजंदा बच पाई. एक ववरण के अनुसार ं केल क प:नी को क• प म/ गभपात करने के Bलए मजबूर 9कया गया.

कै2+स म/ आने वाले कै'दय6 म/ से 90-R तBशत को 24 घंटे के अ दर मौत के घाट उतारा जाता था. जैसे ह$ बंद$
0े न या मालगाwड़य6 के wडJब6 से उतरते, वह$• से उनका चयन शुm हो जाता था. उनक शार$aरक सेहत के आधार पर
यह चुनाव 9कया जाता. अगर सेहत अQछe होती और वो क'ठन शार$aरक काम के लायक होते तो उ ह/ दायीं ओर
जाने को कहा जाता. जड़
ु वां लोग6 को भी दायीं ओर भेजा जाता. कारण? जड़
ु वां लोग मेwडकल aरसच म/ बहुत काम
आते. पर बाक सभी लोग6 को बायीं ओर धकेला जाता. वहां उनके सारे Mयि तगत क मती सामान छeने जाते.
इसम/ पतलून के अ तर म/ Bसले Bस के, सोने के दांत, कृ{Eम अंग और चSमे जैसे सामान शाBमल होते. कुछ लोग6
क चमड़ी भी उधेड़ी जाती, िजससे बाद म/ ल•प-शेड बनाये जाते. उसके बाद इन बं'दय6 को गैस क भ'€य6 म/ मारा
जाता और 9फर उनके शव6 को, दाŽIह म/ जलाया जाता. िजन 10-R तBशत लोग6 को दायीं ओर भेजा जाता उनसे
क• प म/ तरह-तरह के काम करवाये जाते. कुछ यहू'दओं को गैस-चै2बर के मत
ृ शव6 को दाŽIह ले जाना होता. कुछ
यहू'दय6 को क• प म/ दे ख-रे ख के Bलए मुsखया पBु लस बनाया जाता. कुछ कै2+स के साथ कारखाने भी जड़
ु े थे.
Bमसाल के Bलए औिSवग के आस-पास 5 सॅटॅलाइट कै2+स थे जहाँ यु. के Bलए उपयोगी चीज़6 का नमाण होता
था. औिSवग के पास एक क• प म/ एसीटोन बनता था. यह केBमकल कई उ}योग6 म/ इ तेमाल होता था. इन Bश वर6
म/ बं'दय6 के साथ गल
ु ाम6 जैसा सलूक 9कया जाता था. भा‚यवश, ं केल को दायीं ओर भेजा गया. कैद$ के mप म/
उ ह6ने कई मह$ने भूख झेलकर गुलाम जैसे कड़ी मेहनत क . पर बाद म/ एक काउं सलर के mप म/ उनक शोहरत
फैल$ और उ ह/ कुछ आसान काम 'दए गए. ं केल के साथ जो वशेष सलूक 9कया गया शायद उसी वज़ह से वो
क• प क िज़ दगी और यु. को झेल पाए. 1942 से लेकर 1945 तक, उ ह6ने कंसं0ेशन कै2+स के वहशीपन और
नममता को खद
ु अनुभव 9कया. वो कई कै2+स म/ गए िजनम/ औिSवग, और दचाऊ के नज़द$क दख
ु ा यम क• प भी
शाBमल थे.

इन कंसं0ेशन कै2+स म/ ं केल ने अपनी सबसे मह:वपण


ू खोज/ क ं. होलोकॉ ट सा'ह:य म/ बार-बार कै2+स म/
बं'दय6 का िज़k आता है िज ह/ “मु लमान” बुलाया जाता है . यहाँ “मु लमान” शJद का इ लाम धम से कुछ लेना-
दे ना नह$ं है . यह शJद उन बं'दय6 के Bलए इ तेमाल 9कया जाता था जो अब मौत क कगार पर थे. शायद उनके
अंत म/ ह‘ते, दो-ह‘ते ह$ बचे थे. इन बं'दय6 ने आशा छोड़ द$ थी और परू $ तरह से नाउ2मीद हो गए थे. वे Bश वर
म/ पागल6 क तरह इधर-उधर नरउŠेSय घम
ू ते रहते थे. जीवन जीने क उनक इQछाशि त {बलकुल ख़:म हो गयी
थी. •यादा खाना Bमले इसम/ भी उनक अब कोई m8च नह$ं थी. वो क• प म/ बदहवासी क हालत म/ इधर-उधर
घूमते-9फरते थे और 9फर भुखमर$ और बीमाaरय6 से मर जाते थे. कुछ मनो8चक:सक6 के अनुसार “तब इंसान मर
जाता है, बस उसका खोल बचता है .” ं केल ने कई बार बाक बं'दय6 को आपस म/ फुसफुसाते हुए सुना, “दे खो
उसका अब एक ह$ ह‘ता बचा है , उसके दस 'दन बचे है, आ'द.” ऐसे लोग {बलकुल अलग और साफ़ छटकते थे.
अगर कोई उनके जूते चोर$ कर के लेता तो भी वो बदले म/ कुछ नह$ं करते. वे {बना जूत6 के नंगे पैर घूमते रहते
और अंत म/ बफ“ल$ ठ”ड से चल बसते. ऐसा केवल कुछ वBशVट पaरि थ तय6 म/ ह$ घटता है. कै2+स म/ पोषण
तर अनाथालय6 से भी कह$ं बदतर था. क• प म/ “मु लमान” जैसे शJद6 के उपयोग मज़ाक म/ 9कया जाता था. उस
समय ऐसे कई मजा9कया शJद Rचलन म/ थे. Bमसाल के Bलए यहू'दय6 से ज़Jत 9कये चSमे, सोने के दांत आ'द
सामान को िजस बड़े गोदाम म/ रखा जाता था उसे “कनाडा” बल
ु ाया जाता था. ं केल खद
ु “मु लमान” बनने क
R9kया से गुज़रे थे और उ ह6ने उसका बहुत कर$बी से अ_ययन कर, उस R9kया को बहुत गहराई से समझा था.

यहाँ पर एक अ य शोधकता और व}वान टे र/स दे स Rेस का उqलेख बहुत ज़mर$ है. वो पहले Mयि त थे िज ह6ने
कंसं0ेशन कै2+स के कै'दय6 का अ_ययन 9कया. उनके ऊपर उ ह6ने एक वलWण पु तक Bलखी “द सरMहाईवर” जो
1980 के शुm म/ छपी. पर अपनी पु तक Bलखने के तरु ं त बाद टे र/स दे स Rेस ने खुदकशी कर ल$. उ ह6ने कंसं0ेशन
कै2+स और डेथ-कै2पस के बारे म/ जो पढ़ा और समझा वो बहुत व फोटक था और उस सQचाई को पचा पाना
बेहद मुिSकल था. अपनी पु तक म/ टे र/स दे स Rेस ने नाि:सय6 क रणनी त का उqलेख 9कया. सबसे पहले ना:सी
कै'दय6 क सार$ Mयि तगत चीज़/ छeन लेते थे और उसके बाद उनक अि मता, उनके Mयि त:व को परू $ तरह
कुचलते थे. जब ं केल को क• प म/ भेजा गया तो वो एक पा”डुBल प पर काम कर रहे थे, िजसे उ ह6ने अपनी जैकेट
के अ तर म/ Bसलकर छपाया था. वो भी उनसे छeन ल$ गयी. कै'दय6 के कपड़े, और बाल भी उतारे जाते थे.
उनका नाम भी उनसे छeन Bलया जाता था. उनके पास या बचता था? माE एक नंबर. क• प म/ 9कसी को नाम से
बुलाने पर सNत पाब द$ थी. Bसफ नंबर से ह$ आप 9कसी को संबो8धत कर सकते थे. टे र/स दे स Rेस के अनुसार
ना:सी कै'दय6 को पानी जैसा पतला शोरबा दे ते थे िजससे सबको द त लग जाते थे. बहुत कम शौचालय होने के
कारण Mय क लोग बQच6 जैसे अपने कपड़6 म/ ह$ शौच कर दे ते थे. इसे टे र/स दे स Rेस ने “शौच-आkमण” क संCा
द$. इससे यहू'दय6 क अि मता और मानवीयता अपने सबसे न2न तर पर आ गयी. अंत म/ वे “मु लमान” क
•ेणी म/ आ गए और 9फर उनके Bलए सब कुछ शू य हो गया. यह “मु लमान” क •ेणी भला या थी?

ं केल के अनुसार क• प के ?यादातर कै'दय6 के जीवन म/ कोई “अथ” या “मतलब” नह$ं रह गया था. उ ह/ आsखर
या हुआ? कोई इंसान भला इतना कुछ कैसे गँवा सकता है ? ऐसी अव था म/ लोग या करते थे? हम/ इसक भी
झलक ं केल क आ:मकथा से Bमलती है. जब कभी Rाथना आयोिजत होती, तो उस भयंकर ि थ त म/ भी लोग
उसम/ बेहद लगन के साथ 'ह सा लेत.े अगर 9कसी को बैरक के बाहर सु दर सूया त 'दखाई दे ता, तो बाक लोग
भी उसे नहारने के Bलए बाहर आते. जब कै'दय6 को एक क• प से दस
ू रे क• प म/ ले जाया जा रहा होता तो कैद$ 0े न
क sझaरय6 से र ते म/ पहाड़6 को नहारते. िजन लोग6 ने अपना सबकुछ खो 'दया था, उनक Rकृ त क सु दरता
नहारने म/ अभी भी m8च बाक थी. ं केल ने खद
ु इस बात को महसूस 9कया. प:नी के बारे म/ सोचने से उ ह/
बहुत शि त और बल Bमलता था. प:नी िजंदा भी थीं, या नह$ं इसका भी ं केल को कोई इqम नह$ं था. प:नी
100-गज दरू थीं या 9फर 1000-मील दरू इसका भी ं केल को कोई अंदाज़ नह$ं था. पर कंसं0ेशन कै2प क उन
अमानवीय और भयानक पaरि थ तय6 म/ अपनी प:नी के बारे म/ सोचने से ं केल को अपार बल Bमलता था. इन
तमाम अनुभव6 से ं केल को लगा 9क इंसान म/ िज़ दगी का अथ “अथ” खोजने क ती– ललक होती है . जीवन म/
कोई उŠेSय होने पर वो कंसं0ेशन कै2प क कठोर-से-कठोर पaरि थ तय6 का सामना कर पाते थे. अगर इंसान अपने
जीवन म/ “मायने” खोज ले तो वो वषम पaरि थ तय6 का भी सामना कर सकता था. ं केल क यह खोज वाकई म/
ज़बरद त थी.

अब हम दस
ू रे महायु. के बाद ं केल }वारा 9कये —जना:मक काम पर नज़र डाल/ गे. यं9ू क ं केल बीसवीं शताJद$
के मशहूर 8च तक थे, इसBलए उनके कई भाषण वwडयो पर उपलJध ह•. वैसे उ ह6ने 30 पु तक/ Bलखी ह• पर िजस
एक पु तक ने उ ह/ अंतराV0$य RBस.ी 'दलाई उस पु तक का नाम था “मैनस सच फॉर मी नंग” (या न इंसान क
िज़ दगी म/ अथ क खोज). शm
ु म/ इस पु तक का नाम था, “सदा िज़ दगी को हाँ कहो!” ं केल ने अपनी
आ:मकथा को इस पु तक म/ तJद$ल 9कया. यह 9कताब बहुत लोक Rय सा{बत हुई. 2010 तक इस पु तक क एक
करोड़ बीस लाख R तयाँ {बक चुक थी. एक जापानी अखबार ने हाल म/ अपने पाठक6 से उनक 10 सबसे Rय
पु तक6 के बारे म/ पछ
ू ा. पाठक6 ने कहा 9क “मैनस सच फॉर मी नंग” इतनी मह:वपूण है और उसका स दे श इतना
शि तशाल$ है 9क इस पु तक को अगल$ शताJद$ म/ भी िजंदा रहना चा'हए. पु तक के पहले भाग म/ ं केल ने
अपने अनुभव6 का वणन 9कया है और दस
ू रे भाग म/ उ ह6ने लोगो-थेरेपी का स व तार ववरण Bलखा है.

एक बार ं केल को एक टै सी म/ दो लोग Bमले. दोन6 आ:मह:या करने क सोच रहे थे. उ ह6ने दोन6 से अलग-
अलग खद
ु कशी करने का कारण पछ
ू ा. “आप यंू आ:मह:या करना चाहते ह•?” दोन6 ने उ:तर 'दया, “हम बेहद
नराश ह•. अब िज़ दगी से हम/ कोई अपेWा नह$ं बची है ?” यह सुनकर ं केल ने उनसे पछ
ू ा, “आप ज़रा सोच/ :
शायद िज़ दगी को आपसे अभी भी कुछ अपेWाएं ह6! शायद आप पर िज़ दगी का अथ समझने क िज़2मेदार$ हो.”

ं केल अंIेजी बहुत अQछe बोलते थे और वो एक सश त व ता थे. द ु नया क नामी-8गरामी यू नवBसट$ज म/ उ ह/


ले चर दे ने के Bलए बल
ु ाया जाता था. उ ह/ 29 पीएचडी wड8Iय6 से नवाज़ा गया.

1972 म/ उ ह6ने यू नवBसट$ ऑफ़ टोरं टो, कनाडा म/ एक भाषण म/ कहा “लोग6 म/ एक बड़ी ग़लतफ़हमी है . वे
सोचते ह• 9क अमर$क छाE िज़ दगी म/ बहुत पैसे बनाना चाहते ह•. पर एक सवŒ से मालूम पड़ा है 9क केवल 16-
R तशत छाE6 का लšय ह$, धन कमाना था. पर ?यादातर छाE या करना चाहते ह•? सवŒ के अनुसार, 78-R तशत
छाE अपने जीवन म/ कुछ “मतलब” और “अथ” खोजने को त:पर थे. इस सवŒ से आप इंसान को उसक समIता म/
समझ पाएंगे.

एक बार ं केल ने कहा : जब मेर$ काफ उl हो गयी थी, तब म•ने हवाई जहाज उड़ाने क 0े नंग ल$. मेरे ‘लाइट
इं 0 टर ने मुझ से कहा, “मान लो 9क तुम पूव से पिSचम क ओर जाना चाहते हो, और रा ते म/ तु2हे “kॉस
वंड” Bमलती है तो 9फर तम
ु पिSचम से कुछ नीचे दƒWण के {बंद ु पर जा पहुंचोगे. इसBलए “kॉस वंड” का वरोध
करने के Bलए त2
ु हे पूव से उड़ते समय थोड़ा उ:तर क 'दशा लेनी होगी. इसको “kेिJबंग” कहा जाता है . तभी तुम
अपने लW या न पिSचम म/ पहुंचोगे. शायद यह उपमा इंसान6 पर भी लागू होती है . अगर मनुVय से जैसा वो है ,
{बलकुल वैसा ह$ बताव 9कया जाये तो वो मनVु यता से 8गरकर थोड़ा वहशी बन जाता है. पर अगर हम मनुVय को
“आदSता” क पहाड़ी पर बैठाएं तो 9फर हम उसे एक “अQछा इंसान” बनने के Bलए Rो:सा'हत करते ह•.

इसBलए अगर हम मनुVय को जैसा वो है, वैसा ह$ मानकर हम उसे बुरा बनाते ह•. पर जब हम उससे “आदश” बनने
क अपेWा करते ह• तो 9फर वो वैसा बनता है जैसे उसे होना चा'हए. यह सीख मेरे ‘लाइट इं 0 टर ने मुझे नह$ं
Bसखाई. इसे RBस. लेखक गेटे ने कहा था. शायद मनो8च9क:सा का यह सबसे अहम ् गुर है . इसBलए अगर कोई
नवयुवक अपने जीवन म/ “अथ” नह$ं खोज रहा है तो 9फर वो बुरा, सु त और नराश बनता है . हर बरु े आदमी म/ –
चोर, उच के, लफंगे, शराबी, ~ग-एwड ट म/ एक 8चंगार$ होती है – उनम/ जीवन का “अथ” खोजने क एक गहर$
चाह होती है. उस चाह को पहचानकर हम उसे वो बनाने म/ सहायक हो सकते ह•, जैसा उसे वाकई म/ बनना चा'हए
था.

यहाँ ं केल क पु तक “मैनस सच फॉर मी नंग” का एक अंश पेश है:

“जब म•ने पु तक को 1945 म/ Bलखा था, तो मेरे 'दमाग म/ ऐसा कुछ नह$ं था. इस पूर$ पु तक को म•ने Bसफ नौ
'दन6 म/ Bलखा, और म• चाहता था 9क पु तक म/ लेखक का कह$ं नाम न हो. या न वो अनाम छपे. सच तो यह है
9क 9कताब के पहले जमन सं करण के कवर पर कह$ं पर मेरा नाम नह$ं था. पर बाद म/ BमE6 के आIह पर म•ने
पु तक म/ अपना नाम Bलखने क मंज़रू $ द$. जब म•ने पु तक Bलखी तो मेरा ›ढ वSवास था, 9क इस अनाम कृ त
के लेखक को कभी कोई वाहवाह$ और सा'हि:यक RBस . नह$ं Bमलेगी. म• अपने पाठक6 को केवल एक स दे श दे ना
चाहता था – चाह/ पaरि थ त कैसी भी यूं न हो, 9कतनी भी ख़राब यूं न हो, 9फर भी इंसान के जीवन म/ कुछ-न-
कुछ स2भावना अवSय होती है. मुझे लगा 9क अगर इस Bस.ांत को म• कंसं0ेशन कै2प जैसी ठोस और kूर ि थ त
म/ 'दखा सकंू तो शायद •यादा लोग मेर$ पु तक को पढ़/ . उसके बाद मझ
ु े लगा 9क यह मेर$ िज़2मेदार$ है 9क म•
िजस kूरता से गुज़रा हूँ, म• उन अनुभव6 के बारे म/ Bलखूं. मुझे लगा 9क जो लोग बहुत नराश है , उ ह/ इन
अनुभव6 को पढ़ कर कुछ बल ज़mर Bमलेगा.”

“मुझे यह बात भी काफ अजीब और मह:वपूण लगी. मेर$ दजन6 9कताब/ म/ से केवल यह$ एकमाE अनाम 9कताब
ह$ इतनी सफल यूं हुई? इसBलए यूरोप और अमर$का म/ , म• अपने छाE6 को लगातार यह नसीहत और चेतावनी
दे ता हूँ, कभी भी सफलता को अपना लW मत बनाओ. तुम िजतना •यादा सफलता के पीछे भागोगे, वो त2
ु ह/ उतना
ह$ चकमा दे गी. यूं9क सफलता और खुशी का आप कभी पीछा नह$ं कर सकते ह•. आप अQछे और नेक काम,
सतत इमानदार$ और लगन के साथ करते रह/ . उससे आपको अपार ख़ुशी Bमलेगी और यह$ सफलता के साथ भी
होगा. अगर आप ख़ुशी और सफलता क परवाह करना छोड़ द/ गे तो वो आपके पांव चूमेगी. आप केवल अपनी
आ:म क आवाज़ सुने और अपनी पूर$ इमानदार$, लगन और नVठा के साथ अपना काम कर/ . 9फर समय बीतने
के साथ-साथ आपको सफलता ज़mर Bमलेगी. सफलता आपको इसBलए Bमलेगी यूं9क आपने उसक कभी परवाह
नह$ं क थी.”

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