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काल मा स और धम 5 अ ैल को काल मा स का ज म दन बनाया गया। अनेक क यु न ट धम को अफ म कह रहे …

Arya Samaj
1 घंटा ·

काल मा स और धम
5 अ ैल को काल मा स का ज म दन बनाया गया। अनेक क यु न ट धम को अफ म कह रहे थे। इस लेख से जा नए क या धम अफ म है? नह । तो
फर अफ म या है?-डॉ ववेक आय
काल मा स के वचन प ढ़ए
1.) Religion is the opium of the masses अथात र लजन लोग का अफ म है !
2.) The first requisite for the happiness of the people is the abolition of religion अथात लोग क ख़ुशी के लए पहली
आव यकता र लजन का अंत है !
तथा
3.) Religion is the impotence of the human mind to deal with occurrences it cannot understand अथात र लजन मानव
म त क जो न समझ सके उससे नपटने क नपुंसकता है .
स य यह है क काल मा स धम और मज़हब म अंतर नह कर पाए। अं ेजी म धम श द का कोई भी पयायवाची नह है। Religion श द का योग
मजहब के लए आ है। ाय:अपने आपको ग तशील कहने वाले लोग धम और मज़हब को एक ही समझते ह।
मज़हब अथवा मत-मता तर अथवा पंथ के अनेक अथ ह जैसे वह रा ता जी वग और ई र ा त का ह और जो क मज़हब के वतक ने बताया ह।
अनेक जगह पर ईमान अथात व ास के अथ म भी आता ह।
धम और मजहब ( र लजन} म अंतर
१. धम और मज़हब समान अथ नह ह और न ही धम ईमान या व ास का ाय: ह।
२. धम या मक व तु ह मज़हब व ासा मक व तु ह।
३. धम मनु य के वाभाव के अनुकूल अथवा मानवी कृ त का होने के कारण वाभा वक ह और उसका आधार ई रीय अथवा सृ नयम ह। पर तु
मज़हब मनु य कृत होने से अ ाकृ तक अथवा अ वाभा वक ह। मज़हब का अनेक व भ भ होना तथा पर पर वरोधी होना उनके मनु य कृत
अथवा बनावती होने का माण ह।
४. धम के जो ल ण मनु महाराज ने बतलाये ह वह सभी मानव जा त के लए एक समान है और कोई भी स य मनु य उसका वरोधी नह हो सकता।
मज़हब अनेक ह और केवल उसी मज़हब को मानने वाल ारा ही वीकार होते ह। इस लए वह सावजा नक और सावभौ मक नह ह। कुछ बात सभी
मजहब म धम के अंश के प म ह इस लए उन मजहब का कुछ मान बना आ ह।
५. धम सदाचार प ह अत: धमा मा होने के लये सदाचारी होना अ नवाय ह। पर तु मज़हबी अथवा पंथी होने के लए सदाचारी होना अ नवाय नह ह।
अथात जस तरह तरह धम के साथ सदाचार का न य स ब ध ह उस तरह मजहब के साथ सदाचार का कोई स ब ध नह ह। यूं क कसी भी मज़हब
का अनुनायी न होने पर भी कोई भी धमा मा (सदाचारी) बन सकता ह।
पर तु आचार स प होने पर भी कोई भी मनु य उस व तक मज़हबी अथवा प थाई नह बन सकता जब तक उस मज़हब के मंत पर ईमान अथवा
व ास नह लाता। जैसे क कोई कतना ही स चा ई र उपासक और उ च को ट का सदाचारी यूँ न हो वह जब तक हज़रात ईसा और बाइ बल अथवा
हजरत मोह मद और कुरान शरीफ पर ईमान नह लाता तब तक ईसाई अथवा मु लमान नह बन सकता।
६. धम ही मनु य को मनु य बनाता ह अथवा धम अथात धा मक गुण और कम के धारण करने से ही मनु य मनु य व को ा त करके मनु य कहलाने
का अ धकारी बनता ह। सरे श द म धम और मनु य व पयाय ह। यूं क धम को धारण करना ही मनु य व ह। कहा भी गया ह-
खाना,पीना,सोना,संतान उ प करना जैसे कम मनु य और पशुय के एक समान ह। केवल धम ही मनु य म वशेष ह जो क मनु य को मनु य बनाता
ह। धम से हीन मनु य पशु के समान ह। पर तु मज़हब मनु य को केवल प थाई या मज़हबी और अ ध व ासी बनाता ह। सरे श द म मज़हब अथवा
पंथ पर ईमान लेन से मनु य उस मज़हब का अनुनायी अथवा ईसाई अथवा मु लमान बनता ह ना क सदाचारी या धमा मा बनता ह।
७. धम मनु य को ई र से सीधा स ब ध जोड़ता ह और मो ा त न मत धमा मा अथवा सदाचारी बनना अ नवाय बतलाता ह पर तु मज़हब मु के
लए को प थाई अथवा मज़हबी बनना अ नवाय बतलाता ह। और मु के लए सदाचार से यादा आव यक उस मज़हब क मा यता का
पालन बतलाता ह।
जैसे अ लाह और मुह मद सा हब को उनके अं तम पैग बर मानने वाले ज त जायेगे चाहे वे कतने भी भचारी अथवा पापी हो जब क गैर मुसलमान
चाहे कतना भी धमा मा अथवा सदाचारी यूँ न हो वह दोज़ख अथात नक क आग म अव य जलेगा यूं क वह कुरान के ई र अ लाह और रसूल पर
अपना व ासनह लाया ह।
८. धम म बाहर के च ह का कोई थान नह ह यूं क धम लगा मक नह ह -न लगम धमकारणं
अथात लग (बाहरी च ह) धम का कारण नह ह।
पर तु मज़हब के लए बाहरी च ह का रखना अ नवाय ह जैसे एक मु लमान के लए जालीदार टोपी और दाड़ी रखना अ नवाय ह।
९. धम मनु य को पु षाथ बनाता ह यूं क वह ानपूवक स य आचरण से ही अ युदय और मो ा त क श ा दे ता ह पर तु मज़हब मनु य को
आल य का पाठ सखाता ह यूं क मज़हब के मंत मा को मानने भर से ही मु का होना उसम सखाया जाता ह।
१०. धम मनु य को ई र से सीधा स ब ध जोड़कर मनु य को वतं और आ म वालंबी बनाता ह यूं क वह ई र और मनु य के बीच म कसी भी
म य थ या एजट क आव यकता नह बताता। पर तु मज़हब मनु य को परतं और सर पर आ त बनाता ह यूं क वह मज़हब के वतक क
सफा रश के बना मु का मलना नह मानता।
११. धम सर के हत क र ा के लए अपने ाण क आ त तक दे ना सखाता ह जब क मज़हब अपने हत के लए अ य मनु य और पशुय क
ाण हरने के लए हसा पी क़रबानी का स दे श दे ता ह।
१२. धम मनु य को सभी ाणी मा से ेम करना सखाता ह जब क मज़हब मनु य को ा णय का माँसाहार और सरे मज़हब वाल से े ष सखाता
ह।
१३. धम मनु य जा त को मनु य व के नाते से एक कार के सावजा नक आचार और वचार ारा एक क पर के त करके भेदभाव और वरोध को
मटाता ह तथा एकता का पाठ पढ़ाता ह। पर तु मज़हब अपने भ भ मंत और कत के कारण अपने पृथक पृथक ज थे बनाकर भेदभाव और
वरोध को बढ़ाते और एकता को मटाते ह।
१४. धम एक मा ई र क पूजा बतलाता ह जब क मज़हब ई र से भ मत वतक/गु /मनु य आ द क पूजा बतलाकर अ ध व ास फैलाते ह।
धम और मज़हब के अंतर को ठ क कार से समझ लेने पर मनु य अपने चतन मनन से आसानी से यह वीकार करके के े क याणकारी काय को
करने म पु षाथ करना धम कहलाता ह इस लए उसके पालन म सभी का क याण ह।

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Singh Vineet
ले कन इ लाम को कुछ ना कया जाय ना ईसाई को वाह र दोगला काल मा स 2

58 मनट लाइक कर जवाब द और

Ritesh Mishra
Sabhi ko dharm aur majhab ki jankari honi chahiye.hum Apne sanatan dharm ko bhul Gaye aur hum
secular ban Gaye Jo hamre ant Ka karan hai.jag jago Hindu Jag jao.abhi BHI samay hai
37 मनट लाइक कर जवाब द और

Tanuj Verma
Sir ak baat btay me hindu hu ye mera dharm he ya mera religion pls btay kyo ki manytay aap jante ho
hamare yha 33koti devta he jinka mere gharm me ak uccha sthan he
32 मनट लाइक कर जवाब द और

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