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ए ज़िन्दगी

कु दरत का के हर ही तो हे ये मंजर।
जिसके साथ खेल रहे थे हम।

अब सब कु छ ठेहर सा गया हे।


इस ज़िन्दगी की रफ़्तार मे सब कु छ भूल गए थे हम

अब सबक मिला हे
थोड़ा अपनों के साथ वक्त बिताओ
थोड़ा ठेहर सा जाओ।।

इस मुश्किल की घड़ी मे साथ मिलकर लड़ेंगे।


थोड़ा ठहर तो जाओ।
अपने वीराने मे थोड़ा ठहर सा जाओ।

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