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एक थे सौरभ सिंह , एक है ज्योति पासवान :-

साल था 2005 । यूपी में बलिया जिले में एक बहुत बड़े स्पेस साइंटिस्ट रातों रात पैदा हो गए । नाम डॉ सौरभ सिंह
जी । यूँ तो मैं उनका किस्सा पहले भी फेसबुक पे सुना चुका हूँ । पर उसे आज एक बार पन
ु ः नए परिप्रेक्ष्य में भी सुन
लीजिये ।

सो , हुआ यूँ कि डॉ सौरभ सिंह साब का जन्म बलिया जिले के एक सामान्य कृषक के घर हुआ था । जैसा कि होता है
, पर्वां
ू चल के ज़्यादातर बाप tested और certified मूर्ख होते हैं । आश्चर्य नहीं कि सौरभ सिंह जी के बाप भी certified
मूर्ख थे । सो उन ने अपने होनहार बेटे को , जिसने CBSE की 12th किलास में 52% स्कोर कर शानदार ऐतिहासिक
सफलता अर्जित की थी , उसको इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोटा भेज दिया ।

कोटा पहुँच के सौरभ सिंह जी ने 2 बरस तक पलंग तोड़ मेहनत की और IIT - JEE में दे स बिदे स सब top कर दिया ।
पर कौनो भी IIT में स्पेस साइंटिस्ट बनाने का कोरस नहीं था तो अपना होनहार कहीं भी ज्वाइन करने से रिफ्यूज कर
गिया और अपने कमरे में ही Space पे research करने लगा ।

और फिर एक दिन उसने Eureka Eureka चिंघाड़ते हुए ये घोषणा कर दी कि उसने NASA द्वारा आयोजित प्रवेश
परिक्षा में दे स बिदे स top कर दिया है । उसने ऐसी परिच्छा पास की है जिसमे APJ Abdul Kalam और कल्पना
आवला चावला सब फ़ैल हो गए थे । अपना सौरभ सिंह पास हो गया । अब सौरभ अमेरिका जायेगा , NASA में और
space Scientist बनेगा ।

लौंडा , कोटा में सफलता का परचम लहरा के बलिया लौट आया । घर आया । बाप को खुस्स्स खबरी दी ।

बाप बहुत खुस्सस्स हुआ । उसने मोहल्ले में खबर दी ।मुहल्ला भी बहोत खुस्सस्स हुआ । खबर फैलते फैलते गाँव
गिरांव में फ़ैल गयी ।

किसी ने अखबार में छपवा दी । पहले एक अखबार में छपी । बाकी पिछड़ गए । जो पिछड़ गए थे , वो लपके सौरभ के
घर की ओर । फिर आया BBC लंदन । विश्व का जाना पहचाना । उसने भी एक लंबी स्टोरी करके डॉ सौरभ की शान
में कसीदे काढ़ दिए।
उन दिनों ये सोसल मीडिया नमक कोढ़ ज्यादा नहीं फैला था । फिर भी हफ्ता बीतते बीतते परू े दे स में viral हो गयी ।
दे स का कोई अख़बार , हिंदी , इंगरे जी , उर्दू , तमिल ,तेलुगू न था जिसमे लंबे लंबे लेख न लिखे गए हों ।

खबर फैली तो खबरिया चैनल भी पहुँचने लगे सौरभ के गाँव । अपना सौरभ तो स्टार बन गया । अब जबकि इतना
बवाल मचा हो दे स में , तो उस स्कूल की प्रिंसिपल कैसे पीछे रहती , जिसने इस नायाब हीरे कोहिनरू को खोदा
तराशा था । वो भी बहती गंगा में कूद पड़ी ।

सौरभ की परु ानी इस्कूल में अभिनन्दन समारोह हुआ । सौरभ सिंह को हाथी पे बैठा के जल
ु स
ू बना के स्कूल लाया
गया । सन
ु ते हैं कि वह जल
ु स
ू 5 km लंबा था और उसमे परू ा बलिया उमड़ आया था । प्रिंसिपल साहिबा को सन
ु ते हैं
कि अपने इस होनहार लाल की उपलब्धि पे इतनी ममता और वात्सल्य उमड़ा कि उनको दध
ू उतर आया ।

प्रिंसिपल साहिबा ने महामहिम राष्ट्रपति महोदय से मिलने का टाइम मांग लिया । राष्ट्रपति थे अपने कलाम साहब
...... युवा ह्रदय सम्राट कलाम साहब । इन ने टाइम माँगा उन ने दे दिया ।

तब तक ऊपी परदे स की सरकार को होस आया । अरे हम क्यों पीछे रहे ????

उन ने बाकायदा विधान सभा में प्रस्ताव पास कर सौरभ सिंह का अभिवादन किया और सभी विधायकों का एक दिन
का वेतन सौरभ सिंह को दे ना तय किया । इसके अलावा उनको विधान सभा में बल
ु ा के अभिनन्दन करने का भी
निश्चय हुआ ।

और फिर नियत दिन पे , सौरभ सिंह एक बार फिर , दिल्ली की ओर चले । परू ा गाँव एक बार फिर जलूस बना के
उनको आजमगढ़ से कैफियत एक्सप्रेस में चढ़ा के आया । प्रिंसिपल साहिबा ने AC 2 टियर में सीट बुक करायी थी ।
वो उसको ले के चलीं राष्ट्रपति भवन ।

उधर दिल्ली में , राष्ट्रीय अखबार का एक "कमीना पतरकार" , ऊ साला खोजबीन में लगा था । आखिर ऐसी कौन सी
परिच्छा है भाई जिसमे कलाम साब फ़ैल गए और ये लौंडा निकाल लाया ........

उसने NASA को mail लिखी ....... नासा बोली .......

"एकदम्मे चू... हो का बे ? हमको और कोई काम नहीं है का ? हम ऐसी कोई परिच्छा नहीं कराते ।"
फिर उस पतरकार ने कोटा जा के अपने होनहार बिरवान की जांच पड़ताल की । पता चला कि हमारा होनहार सौरभ
तो IIT JEE छोड़ आज तक कभी किसी प्रतिष्ठित कोचिंग का entrance भी किलियर नहीं किया ....... 3 साल बाप के
पैसे से खाली ऐश किया लौंडे ने , कोटा में ।

इधर प्रिंसिपल साहिबा कैफियत से दिल्ली उतरीं उधर HT में खबर छप गयी ।

"Fraud है सौरभ सिंह ।"

कोटा से लेकर बलिया तक सब जगह हं गामा मच गया।पर राष्ट्रपति भवन में तो appointment fix थीं ।पहुंचे ,
सौरभ सिंह । राष्ट्रपति जी आये भी । मिले । सिर पे हाथ फेरा । बोले , कोई बात नहीं बेटा , पढ़ो । परिश्रम करो ।
आयुष्मान भव । चाय समोसा खिला के भेज दिया ।

बाहर निकले तो वहाँ मीडिया का हुजम


ू था । प्रिंसिपल साहिबा मँह
ु छिपा के भाग आयीं । उस शाम कैफियत express
के AC 2 की एक सीट खाली आई ।

सौरभ सिंह , उसी गाड़ी के cattle class , general coach में भूसे की तरह ठुसा के वापस आये ।

मीडिया ने अब फिर ज्योति पासवान के नाम से नया सौरभ सिंह पैदा किया गया है । फिर कुछ लोगों की छाती से
दध
ू बहने लगा है । इसकी शुरुआत वामपंथी समाचार पोर्टल्स से हुई । फिर सभी ने छापा और प्रसारित किया।

कहा गया जोती पासवान अपने बाप को 7 दिन में 1200 km लिया आई सइकील से .......

टोंटी जादो ने 1 लाख रुपये म नकद इनाम दिया। अंदरखाने से अफवाह आयी कि ज्योति पासवां को टिकट दे दिया है
मैनपुरी से .......

सस
ु ासन बाबू बीरता परु स्कार दें गे ।सइकील कंपनी उसको Brand Ambassador बनाने जा रही है ।
सबसे ऊपर अमेरिका के राष्ट्रपति की पुत्री इवांका ट्रम्प ने भी ज्योति की तारीफ करते हुए बयान जारी कर दिया ।

फिर हम जैसे किसी ने हिसाब निकाला कि 1200 km Devided by 7 Days इजकलटू 171 km per day ....... विथ a
55 किलो बीमार father and a 20 किलो bag ....... Lance Armstrong भी खून फेंक के मर जाये ,ऐसी खबर थी यह।

सबका माथा घूम गया । भारतीय साइकल फेडरे शन ने ज्योति को दे श का गौरव बताते हुए ट्रायल के लिए दिल्ली
बुला लिया । ज्योति के पिता को यह पता चला तो वो मुकर गए । बोले ज्योति पहले पढ़े गी फिर ट्रायल दे गी।

अभी आज दे खा तो आउटलुक मैगज़ीन में एक छोटी सी खबर लगी थी । ज्योति के पिता ने स्वीकार किया कि
ज्योति थोड़ी दरू साइकिल चलाती थी बाकी का सफर साइकिल को ट्रक और ट्रे क्टर पर रख कर पूरा किया है ।

लगता है इस कहानी में खब


ू झोल है । ज्योति को जीवटता से इनकार नही है लेकिन फर्जी खबरों के साथ किसीको
झठ
ू ा हीरो बनाना भी उस गरीब के साथ अन्याय है । वामपंथियों की कुत्सित रणनीति को पहचानना होगा।

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