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गुंजन योग

क्या ऐसा हो सकता है कक 3 कि. िें ककसी आसान साधन से अनेकोों किकार दू र हो जायें?

उत्तर है *ह ाँ*

कसर्फ 3 किनट *गूूँजनयोग* का अभ्यास करने से अनेक रोग ठीक होते हैं ।

1. 3 किनट गोंजन योग का अभ्यास करने से िस्तिष्क िें किशे ष िाइब्रेशन (कम्पन) होता
है .... और शरीर ि िस्तततष्क िें औक्सीजन का प्रिाह पयाफ प्त होने लगता है ।इससे न्यू रॉन्स
एस्तििेट होते हैं।हािोन कसस्टि सचारू रूप से कायफ करने लगता है।

2.कई िस्तिष्क रोग दू र होते हैं.. स्टर े स और टे न्शन दू र होती है ,,,, िन िें शाों कत ि िैिोरी
पािर बढती है ..।

3.कनरन्तर सबह शाि 3 किनट गूँजन योग के उच्चारण से रक्त सोंचार सोंतकलत होता है
और रक्त िें औक्सीजन लेबल बढता है।
4.रक्त चाप , हृदय रोग, कोलस्टर ोल जै से रोग ठीक हो जाते हैं ....।
5.शरीर िें किशे ष ऊजाफ का सोंचार होता है .........
6.िात्र 3 सप्ताह दोनोों सिय गूूँजनयोग के अभ्यास स घबराहट, बेचैनी, भय, एों ग्जाइटी
जै से रोग दू र होते हैं।
7.कोंठ िें किशे ष कोंपन होता है िाों सपेकशयोों को शस्तक्त किलती है ..।थाइराइड, गले की
सूजन दू र होती है और स्वर दोष दू र होने लगते हैं ..।
8.पेट िें भी किशे ष िाइब्रेशन और दबाि होता है ....।
9.पाचन तन्त्र , लीिर, आूँ तोों को शस्तक्त प्राप्त होती है , और डाइजेशन सही होता है ,
सैकड ों उदर रोग दू र होते हैं ..।
10.उच्च िर का प्राणायाि होता है, और कोंपन से र्ेर्ड़ोों िें किशे ष लाभ होता है ..।
र्ेर्ड़े िजबूत होते हैं , स्वशनतों त्र की शस्तक्त बढती है , 6 िाह िें अस्थिा, राजयक्ष्मा
(T.B.) जै से रोगोों िें लाभ होता है।
11.आय बढती है।
ये सारे ररसचफ (शोध) किश्व िर के िैज्ञाकनक स्वीकार कर चके हैं।
जरूरत है तीन मिनट रोज अभ्य स करने की....।
गाँजनयोग की सरल मिमि
गोंजन योग करने के कलए रीढ़ की हड्डी सीधे रखते हुए आरािदायक िद्रा िें
भी बैठ जाएों ।अपने हाथोों से कबेर िद्रा लगा ले ,इसके कलए तजफनी, िध्यिा
और अोंगूठे को जोड़ लें। तथा अपनी जीभ को तालू से जोड़ लें अथाफ त खेचरी
िद्रा लगा लें।
कबेर िद्र (Kuber Mudra)

कबेर िद्रा के कलए िध्यिा, तजफनी उों गली और अोंगूठे के शीषफ को किलाएों ।

अनाकिका और ककनष्ठा को िोड़कर हथेली से लगा लें। कचत्र दे खें।

कबेर िद्र के ल भ

कबेर िद्रा पाों च तत्ोों का सोंतलन स्थाकपत करती है और व्यस्तक्त को तनाििक्त कर उसिें सकारात्मक
सोच भरती है ।इससे सख,सिृस्ति, सम्पन्नता प्राप्त होती है ।

[खेचरी िद्र (khechari mudra):- यह एक सरल ककन्त अत्योंत िहत्पूणफ किकध है ।इसिें कजह्वा को
िोडकर तालू के उपरी कहस्से से सटाना होता हे । कनरों तरता सेअभ्यास करते रहने के पररणाि स्वरूप
अिृत का स्त्राि आरम्भ होता है । अिृतका स्त्राि होते िक्त एक किशेष आों नद का अनभि होता है ।
खेचरी िद्रा से िन पूणफत: स्तस्थर होता है ।जागरूकता, शास्तन्त िें िृस्ति होती है ]

अब लोंबी गहरी साों स लें और छोड़ें ।एक और लोंबी गहरी साों स लेकर
छोड़ें ।तीसरी लोंबी गहरी साों स लें और भ रें की आिाज के साथ,"हूँ "की
आिाज के साथ िूँह बोंद रखते हुये स्वाश छोड़ें ।इस प्रकिया को लगातार 3
किनट करें । इस पूरी किया को सहज भाि से करना है ।श्वास ले ते सिय और
छोड़ते सिय जो बीच िें एक अोंतराल आता है ,उस पर ध्यान दे ना है ।इस
प्रकिया िें आपको गहन शाों कत,किचार िस्तक्त और आनोंद का अनभि
होगा।इस शाों कत को पूरे ब्रह्माण्ड िें र्ैला दे ना है ।केिल एक किचार करना है
और यह हो जाता है ।

आप सद स्वस्थ और प्रसन्न रहे यही िुंगल क िन ।


ॐ निः मिि य।

Mahesh Chandra Seth,

Satya reiki Healing & Meditation,

Bhopal

www.divinehealingnow.com

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