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के ले की खेती कै से कर (kele ki kheti in


hindi)
By Kheti Guruji - June 19, 2018  1

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के ले की खेती (kele ki kheti or banana
cultivation)
● वान पितक नाम : Musa Spdentum, and Musa Paradisiaca,
● कु ल – Musaceae
● गुणसू की सं या – 2n 43
● के ला का उ व थान – दि ण पूव एिशया का उ ण किटबंधीय ेतर्
के ला म पाए जाने वाले पोषक त व – के ले म 20 ितशत शकरा पाई जाती है।
Vitamin A,B,C, B2, तथा ोटीन व काबोहाइड् रेट चुर मा ा म पाया जाता है । साथ
ही के ले म Mg,Ph,K,Na,व Ca,लोहा पर पाया जाता है। पपीते म
कोबा ट,ज ता,आयोडीन,मै ीन भी आं िशक मा ा म पाया जाता है।

जलवायु व तापमान (cilmate and temperature) :


के ला का पौधा एक उ ण किटबंधीय पौधा है । के ले की खेती (kele ki kheti) के पूरे
साल गम व तर तथा अ धक बा रश वाली जलवायु उ म होती है । के ले के पौधे के
सवागीण वृि व िवकास के िलए स पूण वष 10 से 40 ०C तापमान उपयु होता है ।
बहत अ धक ठंडी इसके िलए हािनकारक है । 175 से 200 सटीमीटर वषा वाले ेतर् ों म
के ला उ पादन अ धक लाभकारी होता है ।

भूिम का चयन (bhumi jankari) :


इसके पौधे (banana plant) को अ धक जल की आव यकता होती है अतः इसक
बागवानी के िलए उपजाऊ,गहरी तथा अ धक जल धारण वाली दोमट िम ी उपयु होती है

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।िकसान भाई झील,तालाब अथवा नदी िकनारे की नम भूिम पर रोपाई करके के ले की खेती
(kele ki kheti) से अ छी पैदावार ा कर सकते ह ।

भूिम की तैयारी (soil preparation)  –


के ले की रोपाई हेतु भूिम को देशी हल अथवा क टीवेटर से जुताई कर समतल बना ल ।
जुताई के दौरान िनकले ढेल को पाटा चलकर फोड़ द । तािक भूिम भरभूरी व समतल हो
जाए । िकसान भाई 50×50×50 सटीमीटर आकार से ग े खोद ल । ग म गोबर की
खाद व िम ी भर द । ग म ह क संचाई कर द तािक अधो भू तारी के रोपाई तक नमी
बनी रहे ।

के ला की बागवानी हेतु के ले के पौध की रोपाई का समय-


● भारत के उ री मैदानी ेतर् ों म रोपाई का समय – वषा ऋतु जुलाई से अग त
● भारत के पहाड़ी ढलान म फरवरी से माच तक के ले की खेती (kele ki kheti) कर
● प चम बंगाल के मैदानी भाग म फरवरी तथा अग त व अ टू बर म
देश के तटीय भाग म अ ैल से जून अथवा अग त से सतंबर तक िकसान भाई रोपाई कर

● भारत के दि ण भाग म के ले िक रोपाई का सही समय अ ैल-जुलाई व सत बर-
अ टू बर है ।

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उ त िक म (kele ki unnat kisme)-
● फल के पम खाई जाने वाली िक म-
च पा,माल भोग,मोहनभोग,पंचन दन, अमृत सागर, हरी छाल,पूवन, लाल के ला,बसराई,
अलपना,
● स जी के
खाई जाने वाली िक म-
पम
हजारा,च पा,बंबई,कोलंबो,अमृतपान,काबुली,रामकेला,मंथन,माइकेल, मतमान,

के ले का वधन-
के ले की खेती (kele ki kheti) के िलए के ले का वधन अधो भू तारी या Sucker
ारा िकया जाता है । के ले का वधन दो कार से िकया जाता है –

तलवार सकर ारा(Sword sucker) :

इसक प यां कम चौड़ी होती ह । जनका आकार िब कुल तलवार के आकार का होता है
। नए पौधे तैयार करने के िलए सकर उ म माने जाते ह ।

पानी वाले सकर ारा(Water Sucker) –

इस सकर कक प िकं तु तलवार सकर के मुकाबले बेहद कमजोर होती


यां चौड़ी तो होती ह
ह । इस लए पानी वाले सकर को रोपाई हेतु योग म लेने से पूव यह प कर ल की चयन
िकया गया सकर ओज वी व प रप व हो साथ ही िकसी रोग से सं िमत न हो ।

के ले के संवधन के िलए 3 से 4 माह पुराने सकर अ छे माने जाते ह ।के लेके संवधन हेतु
60 से 90 सटीमीटर ऊंचाई वाले सकर अथवा पु याँ उ म माने जाते ह ।

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के ले के पौधे शी ा करने हेतु क द जसम कम से कम एक कली अव य हो
को,काटकर योग म लाएं । िकसान भाइय इस िव ध म कंद से पौधा बनने से कु छ
अ धक समय तो लगेगा । लेिकन के ले की खेती (kele ki kheti) के ले से उपज अ छी
ा होगी ।

बागवानी की सफलता के मूल मं जाने

के ले के अधोभू तारी को उपचा रत करना –


के ले की खेती (kele ki kheti) को रोपाई से पहले के ले के सकर यानी अधोभू तारी को
फफंू दनाशक सेरसे ान अथवा एगलाल के 0.25 ितशत घोल से एक िमनट तक डु बोकर
उपचा रत करना चािहए ।

के ले के अधोभू तारी अथवा Sucker की रोपाई –


के ले की रोपाई शाम के समय करना उ म होता है । के ले के सकर को 50×50×50
भूिम की तैयारी के दौरान तैयार िकये ग म रोपाई कर देनी चिहये । रोपाई के दौरान ित
हे टेयर करीब 200 कु तल गोबर की सड़ी खाद का उपयोग करना चािहए ।
के ले के सकर की रोपाई यिद ना लय म करनी हो तो 2 मीटर की दरू ी पर 50 सटीमीटर
चौड़ी व 50 सटीमीटर गहरी नाली म सकर की रोपाई करनी चािहए । के ले म सकर की
रोपाई के तुरतं बाद संचाई कर देनी चािहए ।

संचाई व जल िनकास बंधन –

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िकसान भाइय के ले की संचाई के िलए कहावत है िक-
धान, पान व के ला

के
ये तीन पानी चेला ।।
कहावत से प है िक के ला
म संचाई की काफी
आव यकता होती है ।

◆ वषा तथा जाड़े के समय – 25से 30 िदन के अंतराल पर


◆गम के समय – 15 से 20 िदन के अंतराल पर संचाई करनी चािहए । के ले के छोटे
पौध म संचाई थाला िव ध ारा तथा बड़े पौध म संचाई नाली वाह ारा की जानी
चािहए ।
ढलवा तथा ऊंचे नीचे थान म के ले के पौध पर संचाई िछड़काव िव ध से करनी चािहए

के ले की बागवानी म खाद व उवरक –


के ले के पौधे की रोपाई करते समय 18 से 20 िकलोग्राम ित पौधा गोबर की सड़ी खाद द
। के ले को खेती से समुिचत लाभ लेने के िलए मृदा परी ण कर ही खेत म खाद व उवरक द
। िक ही कारणवश िम ी की जांच न हो पाए तो नाइटोजन 250 ाम,फॉ फो रक अ ल
100 ाम,200 ाम पोटाश की मा ा ित पौधा द ।इसके अलावा के ले की खेती (kele
ki kheti) म अंडी की खली की िनयिमत प से तीन बार टॉप डे संग ारा हर पौधे को
खुराक द ।

के ले म िनराई – गुड़ाई व फसल की देखभाल –


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के ले के खेत म खरपतवार के िनयं ण हेतु िनयिमत प से आव यकतानुसार िनराई गुड़ाई
करते रहना चािहए । गुड़ाई कर िम ी के ले की जड़ म चढ़ानी चािहए । तािक पौधे को
अ धक से अ धक मजबूती और त भन शि िमल सके । पौधे के अ धक वृि व िवकास
के िलए पैतृक वृ से िनकले हए अ य दसू रे अधोभू तारी को मु य पौधे म फल आम तक
वृि करने से रोकना चिहये । अ यथा ये अनै छक अधोभू तारी के ले के फल उ पादन पर
बुरा भाव डालते ह । के ले के पौधे फल आने पर एक तरफ झुक जाते ह अ धक भार पड़ने
पर पौधे टू ट सकते ह इसके िलए पौध म बांस अथवा लकड़ी की टेपनी का सहारा द ।
साथ ही के ले के पौध की जड़ म 25 से 30 सटीमीटर िम ी चढ़ा देनी चािहए ।

के ले म पु पन व फल का लगना :
हमारे देश म के ले की अगेती िक मों म रोपाई के 7 से 8 माह म लाल रंग म पु प आने
लगते ह । के ले के पु प म नर व मादा दोनो पाए जाते ह । के ले म पु प आने के 6 से 7
माह म के ले की फ लयां पकने लगती है ।के ले की रोपाई के बाद पहली फलन लगभग 14 से
16 माह म होती है । के ले की दसू री फलन 22 से 25 माह म ा होती है ।

िकसान भाई यान द जस पौध म एक बार फलन हो जाती है उस पर दोबारा पु प नही


लगते इस लए पोषक त व के द ु पयोग से बचाव हेतु फलन के बाद उस पौधे को काटकर
िगरा द । तने को एक ही बार म न काट । जससे अ धक मा ा म पोषक त व ा कर
पु याँ पर कोई द ु भाव न पड़े । के ले के घौर कटने के करीब 15 से 20 िदन म अंतराल
म दो बार करके तना काट । जससे पौधे के जड़ के पास िनकली अधोभू तारी पु याँ
खुली हवा व पोषक त व पाकर ज दी से िवक सत हो जाती है।

फल की कटाई : (Harvesting) –

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के ले की घौर म लगे के ल जब पया प से िवक सत व सुड़ौल हो जाएं तब घौर को लगभग
30 सटीमीटर डंठल सिहत काट ल

उपज :
1 हे टेयर के ले की खेती (kele ki kheti) से लगभग 250-300 कु तल के ला ा
होता है।
एक पेड़ से के वल एक ही घौर ा होती है । एक घौर म करीब 50 से 100 फ़ लयाँ होती
ह। 1 है टेयर म करीब 3335 घौर ा होते ह

के ले के फल को पकाने की िव ध  :
घौर के प म के लों को प ररि त करने के िलए मोम अथवा वैसलीन लगाकर अ धक िदन
के िलए प ररि त कर सकते ह । कम समय के िलए के ले के डंठल म बुझे हए चूने का पानी
लगाना चािहए ।
● के लों को पकाने के िलए घौर को के ले की प य ,पुवाल अथवा बोरा से ढककर कमरे म
बंद कर रख देते ह । 6 से 8 िदन म घौर की सभी फ़ लयाँ पक जाती ह ।
● यवसाियक प से के लों को काबाइड रसायन से पकाते ह ।
● के ले के घौर को बंद कमरे म 2 से 2.5 मीटर की ऊंचाई पर टांगकर 18 से 24 घ टे
तक धुँवा धुँवा देने के बाद िबना धुँवा वाले कमरे म रख देते ह । 2 से 4 िदन म फ़ लयाँ
पक जाती ह ।

आशा है kheti kisani का यह आलेख के ले की खेती (kele ki kheti) पसंद आया


होगा । पपीते की खेती कै से कर,िहंदी म पूरी जानकारी (Papaya ki Kheti in hindi)
पढ़

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 

1 COMMENT

अजय संह September 27, 2019 at 7:34 pm

हे ो सर
के ले की रोपाई अ
टू बर 20 तक करना िकतना
उिचत रहेगा
अजय संह जला बरेली उ र देश
िदसंबर जनबरी म रात को
तापमान 3 िड ी तक चला जाता है
1 है टेयर म िकतने पौधे रोपे ज सकते है

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और पौधा िकतनेपया िमलेगा ।
कृ पया
मुझे जानकारी देनेकी कृ पा कर
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