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य: स्मरे त पण्
ु डरीकाक्षं स बाह्याभ्यांतर: शचि
ु : |
आचमन-
इसके बाद पंचपात्र से तीन बार जल पीना है और एक बार से हाथ धोना है .....
शिखाबंधन-
अब शिखा पर हाथ रखकर मस्तिष्क में स्तिथ चिदरूपिणी महामाया दिव्य तेजस शक्ति का ध्यान
करें जिससे साधना में प्रवत्ृ त होने हे तु आवश्यक उर्जा प्राप्त हों सके---
न्यास विधि-
ऋष्यान्यास विधि:
नमः सिरसि – बोलकर दाहिने हाथ की पाँचों उँ गलियों से मस्तक का स्पर्श करें I
अंगुष्ठाय नमः कहकर तर्जनी को मोड़कर अंगूठे की जड़ से जहाँ मंगल का क्षेत्र है वहां लगावें I
ह्रदयादि न्यास विधि: पदमासन की मुद्रा में बायां हाथ घुटनों पर रखे हुए सीधे हाथ की पांचों उँ गलियों से
अंगो का स्पर्श करें
अंगन्यास विधि:
दक्षिण नाशा पट
ु े कहकर दाहिने नथन
ु े का स्पर्श करें
आसन शुद्धि-
अब अपने आसन का पूजन करें जल, कंु कुम, अक्षत से---
ॐ पथ्
ृ वी ! त्वया धत
ृ ालोका दे वि ! त्वं विष्णन
ु ा धत
ृ ा
अब दिग्बन्ध करें यानि दसों दिशाओं का बंधन करना है ,जिससे कि आपका मन्त्र सही दे व तक पहुँच
सके, अतः इसके लिए चावल या जल अपने चारों ओर छिडकना है और बांई एड़ी से भूमि पर तीन बार
आघात करना है ....
भमि
ू शद्धि
ु -
अब भूमि शुद्धि करना है जिसमें अपना दायाँ हाथ भूमि पर रखकर मन्त्र बोलना है ---ॐ भूरसि
भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्यधर्त्रीं |
पथ्
ृ वी यच्छ पथ्
ृ वीं दृ (गुं) ह पथ्
ृ वीं मा ही (गूं) सी: ||
तिलक-
संकल्प –
भाइयों बहनों गुरु ध्यान अनेकों हैं अतः आप स्वयं चुन लें .......या
अब गरु
ु दे व का पंचोपचार पज
ू न संपन्न करें ----
इसमें स्नान वस्त्र तिलक अक्षत कंु कुम फूल धूप दीप और नैवेद्ध का प्रयोग होता है ----
हाथ में जल अक्षत कंु कुम फूल लेकर (गणेश विग्रह या जो भी है गनेश के प्रतीक रूप में )
सामने प्रार्थना करें ---
ॐ गणानां त्वां गणपति (गूं) हवामहे प्रियाणां त्वां प्रियपति (गूं) हवामहे निधिनाम त्वां
निधिपति (गूं) हवामहे वसो मम |
आवाहन---
हे हे रम्ब! त्वमेह्येही अम्बिकात्रियम्बकत्मज |
विशेषअर्ध्य---
अनेन कृतेन पज
ू नेन सिद्धिबद्धि
ु सहित: श्री गणाधिपति: प्रियान्तां ||
ॐ भं भैरवाय नमः |
ॐ अमत
ृ ोद्धव श्री वक्ष
ृ महादे व प्रिय: सदा I
गह
ृ णामी तव पत्राणि पज
ू ा साधना पज
ू नार्थ मादरात II
( शुरू के पांच बिल्वपत्र इसी मन्त्र को बोलकर तोड़े यानि एक बार श्लोक बोलें फिर एक बिल्वपत्र तोड़ें इसी प्रकार मन्त्र
बोलकर बाकि के तोड़ें पांच बिल्वपत्र तोड़ने के बाद आप इच्छानस
ु ार बिल्वपत्र तोड़ें )
बिस्मिल्लाह का मन्त्र -
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम