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नातको र क उपा ध के लए तत ु
ल
घु शोध बंध
श ीषक
“ ेमचंद का होर ामीण कृषक का
तमान क सम या “
नद शका
डॉ मीरा कुमार
हंद वभाग
बलदे व साहू महा व यालय
लोहरदगा
03
आभार ापन
ततु लघु शोध बंध संप न करने म मझ ु े अपनी नद शका
डॉ मीरा कुमार का बहुमू य सहयोग ा त हुआ है I
मागदशन के बना इस लघु शोध बंध या संप न करना
असंभव थाI
अत: म इनके सहयोग के लए आभार य त करती हूं I
साथी हमारे व यालय के भार साथ ह हमारे बलदे व साहू
महा व यालय के भार ाचाय ोफेसर डॉ गो सनर कपरू के
त आभार य त करती हूं I उनके आशीवचन और ो साहन
से ह यह काय सफल हो सका है I
इसके अलावा म अपने बलदे व साहू महा व यालय के हंद
वभाग नातको र के सहायक श क ोफेसर डॉ वज
व वकमा , श का ोफेसर सेनेल हे लन के त आभार
य त करती हूं इन सभी श क के वारा इस लघु शोध बंध
को परू ा करने म समय-समय पर मागदशन मलता रहा है ।
इ ह ने हमार सार िज ासाओं को शांत कर हर सम याओं का
समाधान कया है । म अपने सभी सहपा ठय स हत अपने
माता- पता एवं प रवार के सभी सद य के त बहुत-बहुत
ध यवाद ापन करती हूं , िज ह ने सदै व मेरा सहयोग कया है I
04
तावना
हंद बहुत खब
ू सरू त भाषाओं म से हंद एक ऐसा वषय है जो हर
कसी को अपना लेती है अथात सरल के लए बहुत सरल क ठन के
लए बहुत क ठन बन जाती है हंद को हर दन एक नया प एक
नई पहचान दे ने वाले थे उसके सा ह यकार उसके लेखक उ ह ं म से
एक महान छ व थी मश ंु ी ेमचंद क , वे एक ऐसी तभाशाल
यि त व के धनी थे िजसने हंद वषय क काया पलट द I वे एक
ऐसे लेखक थे जो समय के साथ बदलते गए और हंद सा ह य को
आधु नक प दान कया I मश ंु ी ेमचंद ने सरल सहज हंद को
ऐसा सा ह य दान कया िजसे लोग कभी नह ं भल ू सकते I बड़ी
क ठन प रि थ तय का सामना करते हुए हंद जैसे खब ू सरू त वषय म
अ मत छाप छोड़ी मश ंु ी ेमचंद हंद के लेखक ह नह ं बि क एक
महान सा ह यकार , नाटककार, उप यासकार जैसी बहुमख ु ी तभा
के धनी थे I ेमचंद क दो मख ु रचनाएं गोदान तथा गवन थी I
05
वषय सच
ू ी
0 सं0 अ याय प0
ृ सं0
1. तावना
2. थम अ याय
(क) ेमचंद क जीवनी
(ख) ेमचंद वारा र चत उप यास
गोदान का प रचया मक अ ययन
3. वतीय अ याय
ेमचंद के उप यास गोदान एक कसान क
जीवन-कथा
4. ततृ ीय अ याय
म यम कोट के यि तय क दशा तथा भोग
वलास यु त आनंदमय जीवन बताने वाले
उ च को ट के पज
ंू ी प तय का च ण
5. चतथु अ याय
गोदान उप यास का श प
पंचम अ याय
ेमचंद के उप यास का चंतन
संदभ ंथ सच ू ी