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2C) Rajyoga Short Commentary - Hindi & Eng PDF
2C) Rajyoga Short Commentary - Hindi & Eng PDF
इन शब्दों को श ांतिपूर्क
व धीरे धीरे पढ़िे हुए, उनसे सम्बांतधि तित्रों को अपने मन की आखों में
बन ने क गांभीर प्रय स करें :
मैं अपने को स्र्यां ( आत्म ) पर केन्द्रिि करिी हूूँ, एक अतिसूक्ष्म ज्योति बबांद.ु .....
में भ्रकुटी के मध्य तनर् स करिी हूूँ ......
मैं श ांति, पबर्त्रि और प्रेम की ककरणें सभी कदश ओां में फैल रही हूूँ ......
मैं स्र्यां को धीरे धीरे इस भौतिक शरीर से ब हर तनकलि हुआ अनुभर् कर रही हूूँ ......
मैं, िमकि हुआ तसि र सम न कदव्य उर् व , अन्द्रधय रे आक श में उड़िी हूूँ ......
मैं स्र्यां को बबन्द््डां ग और रोशनी के बृहद फैल र् में िैरि हुआ दे खिी हूूँ ......
धीरे धीरे मैं अांिररक्ष में प्रर्ेश करने के तलए और ऊपर ऊूँि उठिी हूूँ ......
मैं अपने को असांख्य ग्रह और तसि रों से तिर हुआ दे खिी हूूँ ......
धीरे धीरे मैं स्र्यां को प ांि ित्र्ों की दतु नय से प र उड़ि हुआ दे खिी हूूँ ......
मैं सफ़ेद तसि र अब एक अलग आय म में, हलके सुनहरे ल ल प्रक श की दतु नय में प्रर्ेश करिी हूूँ
......
ऐसी दतु नय र्ह ूँ पर स्र्ीट स इलेंस और श तां ि है .....
मैं यह ूँ स्र्यां को प्रक श से तिर हुआ शुद्ध मांद उष्णि अनुभर् करिी हूूँ ......
मैं प्रक श र्ीर् छठे ित्र् में िमकिी हूूँ ......
में सभी िन र्ों से मुक्त, बहुि ह्क , श ि
ां , अिल और न्द्स्िर हूूँ ......
यही र्ह ध म है र्ह ूँ की मैं तनर् सी हूूँ, मेर र् स्िबर्क िर, सभी आत्म ओां क िर ......
मैं इस स्ि न को पहि निी हूूँ, आर् र् से परे ...... ।
मैं इसे भूल िुकी िी अब मैंने इसे पुनः खोर् तलय है ......
अब मैं अपन ध्य न परम ल इट – परमबपि परम त्म पर केन्द्रिि करिी हूूँ, एक िमकि हुआ कदव्य
तसि र । र्ह अति सूक्ष्म बबांद ु है पररिु श ांति क परम स्त्रोि है । र्ह इिन शबक्तश ली है कक सभी उनसे
शबक्त और उर् व प्र प्त करिे हैं पररिु कफर भी उसकी उर् व कम नहीां होिी । मैं उनसे शबक्तश ली र् यब्रेशांस
क प्रर् ह अनुभर् कर रही हूूँ र्ो मेरे द्व र सभी आत्म ओां और प्रकृ ति के ५ ित्र्ों िक फ़ैल रह है । यह
शबक्तश ली प्रकम्परन मुझे ि र्व कर मर्बूि और शबक्तश ली बन रह है । मैं बहुि अच्छ और उर् र्
व न
फील कर रही हूूँ । मैं तिांि मुक्त, िन र्मुक्त हो गयी हूूँ और स्र्यां को बहुि ह्क अनुभर् कर रही हूूँ ।
यह परम त्म स ि क अनुभर् ककिन सुरदर है । इस अनुभर् की िुलन ककसी से भी नहीां की र् सकिी
। मैं स्र्यां को इस ईश्वरीय सांग में ्े्ठ अनुभर् करिी हूूँ । अपने ूहह नी बपि की गोद में बैठ हूूँ ।
हे परमबपि , मैं आपके के प्रति बहुि कृ िज्ञ हूूँ कक आप ने मुझे अपन कदव्य ज्ञ न कदय । आप के ज्ञ न
से मेर मन क द्व र खुल िुक है और अब मैं इस बर्श्व न टक में अपन प टव बहुि अच्छ रीिी से बर्
सकिी हूूँ । आप ने मुझे तसख य कक ड्र म के कोई भी दृश्य दे खकर बर्ितलि नहीां होन और स क्षी होकर
अपन प टव बर् न । अब पूणव ि र्व होकर मैं पुनः स क र बर्श्व में अपन प टव बर् ने के तलए प्रस्ि न
कर रही हूूँ ।
कुछ तमनट इन सक र त्मक अनुभर्ों में गुर् रें और कफर धीरे धीरे नीिे उिरकर भौतिक शरीर में पुनः
अपन स्ि न ग्रहण करें ।
Rajyoga Meditation – short practice..
Along with reading over the following words slowly and silently, make a sincere
effort to create corresponding images of them in the eye of your mind:
Now I focus my attention on the supreme light – the God Father, a bright shining
divine star. He is very tiny point but he is the supreme source of peace. He is
so powerful that everyone receives power and energy from him but still his
energy don’t deplete. I am feeling strong vibrations coming out from him and
through me spreading to all souls and 5 elements of nature. The strong
vibrations from him are charging me making me strong and powerful. I feel so
good and energetic. All my worries, tensions have slipped away and I feel light.
It is such a beautiful experience to be with. I automatically feel elevated in
God’s company. I am sitting on the lap of my spiritual father.
Oh ! God father, I am very much grateful to you that you have given me your
divine knowledge. Your knowledge has open up my mind and now I am able to play
my role in world drama in better way. You have taught me not to get disturbed by
looking at any scene of drama and play role in detached manner. After getting
charged completely, I am going back to corporeal world to play my role.
Spend a few minutes in this positive experience and then gradually come
downwards to take your seat back in the physical body.